भाई सोहन शर्मा नुक्कड़ पर ठहाके लगा रहे थे कारण पूछने पर बोले- "देखो तो दीपक भाजपाई के संघेरे भाईयों को, स्लट वाक याने बेशर्मी मोर्चा का विरोध कर रहे हैं। अरे भाई, कोई कैसे भी कपड़े पहने इनको क्या आपत्ति है। कम कपड़े पहनने का यह मतलब थोड़े ही है कि लड़की आप को बुला रही है, कि आओ बलात्कार करो । हमने सर हिलाया- बड़े उच्च विचार हैं आपके, वैसे शर्मा जी सोना-चांदी, पैसा कहां रखते हो। शर्मा जी बोले - लाकर में या अलमारी के सेफ़ में और आदमी कहां रखेगा ? हमने कहा घर के बाहर शोकेस बनवा दो आते-जाते लोग आपकी संपत्ति की, गहनों की तारीफ़ करेंगे, मुहल्ले में आपकी इज्जत बढ़ेगी, मान बढ़ेगा ।
शर्मा जी बोले- दिमाग खराब हो गया है क्या, जिस चोर की निगाह पड़ी वही लूट लेगा, कौन शोकेस की चौकीदारी करता फ़िरेगा दिन भर। हमने कहा यही बात महिलाओं पर लागू नहीं होती क्या ? जिन कपड़ों से बलात्कारियों की नजर मे चढ़ो , उसको पहनने का फ़ायदा क्या, खास कर उन लड़कियों को जो परिवार से दूर रहती हों या असुरक्षित जगहों पर जाती हों । चोर और बलात्कारी तो आसान और बढ़िया शिकार खोजते हैं , क्या वे स्ल्ट वाक को देख अपनी हरकते बंद कर देंगे। सुंदर लड़कियों को कम कपड़ों में देख आप जैसा अच्छा इंसान तो मन मसोस कर रह जाता है कि लड़की के घर वाले पीटेंगे, पुलिस वाले पीटेंगे और सबसे बड़ी बात बीबी पीटेगी ।
शर्मा जी ने सर हिलाया पीट तो बीबियां वैसे भी लेती हैं भाई पर छोड़ के चले जायेगी उसका क्या। शर्माइन को भले मुझमें लाख बुराईयां और अपने में लाख अच्छाईयां नजर आये, शादी के इतने सालों बाद, मन भी नहीं लगता उनके बिना । हमने शर्मा जी को टोका - ओ भाई होश में आओ, कहां श्रीमती के प्यार में खो गये अभी घर पहुंचते ही भाभी चार काम बतायेंगी तो तुम्हारा प्यार का नशा हिरण हो जायेगा। अभी बात बेशर्मी मोर्चा की करना है , क्या विचार बनाया आपने। शर्मा जी ने स्टैंड बदला - मैं सहमत हूं कि बेशर्मी मोर्चा का विरोध होना चाहिये ।
अब शर्मा जी से हमने कहा तुरंत दिल्ली जाओ , अपनी सोणी मम्मी, राउल बाबा और उनके चालीस चोरों का जो रोजाना स्लट वाक हो रहा है उसे बंद कराओ। शर्मा जी भड़क गये- कहां की बात कहां पहुंचा दी, क्या हमारी पार्टी के लोग कम कपड़े पहनते हैं। हमने कहा- भ्रष्टाचार का नंगा नाच हो रहा है लाखों करोड़ रूपये लूटे जा रहे हैं, उसके बाद आलम यह है कि व्यवस्था में सुधार करने आंदोलन करो तो आधी रात में आंदोलनकारियों पर हमला कर उनका दमन कर देते हो। भाई मेरे बेशर्मी केवल कपड़ों में नहीं होती हरकतों में भी होती है, आप लोगों को शर्म नहीं आती क्या।
शर्मा जी रोज भ्रष्टाचार पर गालियां खाते थोड़े बेशर्म हो चुके थे कहने लगे- कल सुना नहीं श्रद्धेय मन्नू जी क्या कह रहे थे, विपक्ष के बहुत से 'शर्मिंदगी भरे राज' हैं। भाई जब सभी लोग बेशर्मी मोर्चा निकाल रहे हों , कम कपड़े पहने हों , तब काहे की शर्म । हमाम में सभी नंगे हों तो एक को नंगा कहना मूर्खता है या नहीं । बेशर्मी मोर्चा ही सही तुम लोग दुखाते रहो अपना पेट । क्यों सुने जनता की आवाज, क्या लिखा है संविधान मे निर्णय और कानून संसद बनायेगी और इस पर चर्चा वहीं होगी । जब चुनाव आयेगा तब तुम लोग वोट देना, दोगे किसको हममे से किसी एक को ही न जो आयेगा वो बेशर्मी मोर्चा निकालेगा चिल्लाते रहो । धरना देते रहो जब लगेगा मामला हाथ से बाहर जा रहा है, तो गांधी का देश है तुम अहिंसा अपनाना हम हिंसा अपनायेंगे । आजादी मे क्या हुआ ! सत्ता का हस्तांतरण हमे अंग्रेजो ने अपना काम सौपा । वही तो कर रहे हैं जैसे उन्होने लूटा अब हम लूट रहे हैं ।
हम भड़के शर्मा जी गलतफ़हमी है आपको, कि लोकतंत्र की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त नही हो सकती । दुख की बात तो यह है कि जब दुर्घटना होगी तो भी भुगतना जनता को ही पड़ेगा । भ्रष्टाचार का शौक फ़रमाना बंद करो और मजबूत लोकपाल बिल लेकर आओ । वरना एलिया साहब की ये पंक्तिया कहनी पड़ेंगी "कि शौक मे कुछ न गया , शौके जिंदगी गयी "।
शर्मा जी ठहाके लगाने लगे बोले अरे ओ क्रांतीकारी जुटा कुछ जानकारी वरना अकेले जूते खायेगा । बेटा मीडिया हमारी पुलिस हमारी और तुम लोग भारत के आम आदमी। अभी अल्लाह ओ अकबर और हर हर महादेव के नारे लगवा दूंगा तो आपस मे लड़ते नजर आओगे । लोकपाल जोकपाल सब किनारे लग जायेगा। इतना कह शर्मा जी पलटे और "कि भईया, आल इज वेल" का गाना गाते हुये संसद की ओर रवाना हो गये।
और अपने राम रह गये नुक्कड़ में सर खुजाते शर्मा जी के इस तर्क का हमारे पास कोई जवाब न था।