वे फ़ुल फ़ार्म मे थे और नुक्कड़मत उनके साथ था बोले वाह ये लोग बम फ़ोड़े और हम उफ़ भी न करें मान गये आपको छद्म धर्म्निरपेक्षी । मैने कहा भाई हमसे बड़े धर्म निरपेक्ष तो वो आतंकवादी थे बम ऐसी जगह फ़ोड़ा कि 24 मरने वालों मे से 7 मुसलमान थे 3 इसाई और बाकी हिंदु । दीपक जी उबल पड़े बोले यह तो चांस की बात है वरना निशाना तो हिंदू ही थे । मैने कहा भाई मारना हिंदुओ को होता तो मंदिर मे बम रखते क्यों व्यापारिक जगहो पर रखा ये काम किसका है और इससे फ़ायदा किस को है यह भी तो देखो । क्या साफ़ नजर नही आता कि हमले का उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना है । दीपक जी ने तर्क दिया कहने लगे मंदिरो मे सुरक्षा कड़ी है रख न पाये होंगे और यह काम मुसलमानो का ही है यह बात तो बार बार साबित हुयी है । मैने कहा भाई भारत मे सुरक्षा की बात करते हो कुछ बड़े मंदिरो को छोड़ दो तो हर जगह ढोल मे पोल है । देखा नही चिदम्बरम जी कैसे मुह लटकाये बात कर रहे थे । बेशर्मी इतनी कि नक्सलवाद हो या आतंकवाद कहीं एक रूपये की सफ़लता नही मिली इनको घोटालो मे नाम आ रहा है वो अलग लेकिन क्या इस्तीफ़े की बात भी जुबान पर आयी है कभी नही ।
और ये क्या बार बार मुसलमान भजते हो चोरो और आतंकवादियो की कोई जात नही होती ये काम मुसलमानो का नही पाकिस्तान का है । जिसमे सामने से लड़ने की ताकत न रही तो चोर उचक्को की तरह लड़ रहा है । खुद पाकिस्तान मे लोग अब खुलेआम सेना को गालिया दे रहे हैं कि एक लड़ाई तो जीत न सकी और आतंकवादी पाल लिये जो अब खुद उनके देश को खा रहे हैं । इतने ही मुसलमान होते ये आतंकवादी तो क्या अपने ही देश की अपने ही धर्म की मस्जिदो दरगाहो मे बम फ़ोड़ते । हद तो यहां तक है कि पाकिस्तान के ही विमान उड़ा रहे हैं ये लोग मुसलमान नही है भैय्ये के लोग मूर्ख हैं बेरहम है और बरगलाये हुये हैं ।
दीपक जी भड़क गये सब लफ़्फ़ाजी है अपनी सरकार मे दम नही है कसाब और अफ़जल गुरू को पाल रही है तो औरों की हिम्मत क्यों न हो । मुझे एक टींम और हथियार मिल जाये तो एक महिने मे आतंकवाद मिटा दूंगा । मैने पूछा क्या करोगे भाई कहने लगे पहले कसाब को बीच चौक मे गोली से उड़ा दूंगा । मैने कहा भाई साथ मे पेट्रोल भी ले जाना दीपक जी की आखें चमक गयी वाह दवे जी सही आईडिया दिया है जिंदा जलाना ही सही रहेगा॥ मैने कहा भाई पेट्रोल उसके लिये नही है संविधान के लिये है उसे जलाकर ही तो तुम कसाब को गोली मारोगे वरना जब तक संविधान है तब तक तो प्रक्रिया से ही काम होगा गुस्से से नही । उसे जला दो सबका काम आसान बिना प्रक्रिया से गुजरे जिस पर गुस्सा आया मार दो भले निर्दोष हो या दोषी ।
दीपक जी बोले हमारे देश के मुसलमान क्यो शामिल होते हैं देश द्रोह मे । मैने कहा भाई गद्दारो की कोई जात होती है क्या मीरजाफ़र हो या जयचंद । कोई पैसे के नाम से बिकता है कोई धर्म के नाम पर कोई लालच से फ़सता है कोई मूर्खता से । अपने नेता अफ़सर भी कम गद्दार हैं क्या इन आतंकवादियो ने तो इतने सालो मे महज सात सौ लोगो को मारा है । लालबत्ती काफ़िलो से लगे ट्रैफ़िक जाम मे हर साल हजारो बीमार फ़स कर मर जाते हैं । कमीशन खा खरीदे जा रहे घटिया उपकरणॊ से कितनी मौते होती होंगी । दो लाख करोड़ से कितने गरीबो की कितने बीमारो की जान बचाई जा सकती थी । कितने नौनिहाल शिक्षा पा सकते थे उसको तो छोड़ ही दो पढ़ लिख लेते तो भी यहां तो पेपर ही बिक जाते हैं । पास भी हो गये तो नौकरी पाने के लिये लाखों का दांव आतंकवादी ज्यादा बुरे हैं कि मुनाफ़ावादी ये लोग तो आज तो छोड़ो कल तक को बेच रहे हैं । क्या पता कि देश की समस्याओ से लोगो का ध्यान बटाने के लिये ये लोग किस हद तक जा सकते हैं पुरूलिया मे आखिर हथियार अपने देश के नेताओ ने ही गिराये थे न और नक्सलवादियों का साथ भी यही लोग देते हैं ।
नुक्कड़ मत पलटता देख दीपक जी कुलबुलाये बोले हे परम विद्वान जरा आतंकवाद खत्म कैसे होगा इस पर प्रकाश डालिये मैने मुस्कुराकर कहा भाई मै तो डाल दूंगा आपसे कान मे डालते न बनेगा फ़िर भी सुनो आतंकवाद खत्म तब होगा जब देश मे गरीबो मे खासकर अल्पसंख्यको मे शिक्षा और खुशहाली का प्रसार होगा । इससे भी उपर जब यह जरूरी है कि पाकिस्तान मे स्थिरता और खुशहाली आये और भारत पाकिस्तान के बीच दोस्ती और अपनेपन का भाव हो विवाद सुलझें पर भैय्ये ऐसा होना मुश्किल है क्योंकी ऐसा होते ही दोनो देशो की जनता का ध्यान देश के भीतर फ़ैली समस्याओं पर चला जायेगा और नेताओं का जीना मुश्किल हो जायेगा ।
दीपक जी ने सिर झटका और अपने एक मित्र के साथ यह कहते हुये चले गये कि ऐसे मूर्खो को समझाना ही बेकार है रहेंगे वही के वही फ़र्जी धर्मनिरपेक्षी ।
aur keya kabar hai boleya
ReplyDeletekeya hoga en sab ka
जरूरी है कि पाकिस्तान मे स्थिरता और खुशहाली आये और भारत पाकिस्तान के बीच दोस्ती और अपनेपन का भाव हो विवाद सुलझें ||
ReplyDeleteपर भैय्ये ऐसा होना मुश्किल है
मुश्किल होता है ऐसे मौकों पर तटस्थ रहना.
ReplyDeleteराइटअप ठीक है, पर इस बार धार गायब है.हम अपने यहाँ ही स्थिरता लायें सब ठीक हो जायेगा.
ReplyDeleteआतंकवाद और नक्सलवाद.... इनका कोई चेहरा कोई धर्म नहीं होता.... ये नफरत के लायक हैं....
ReplyDeleteलालबत्ती काफ़िलो से लगे ट्रैफ़िक जाम मे हर साल हजारो बीमार फ़स कर मर जाते हैं । कमीशन खा खरीदे जा रहे घटिया उपकरणॊ से कितनी मौते होती होंगी ।
ReplyDelete......बिलकुल सही कहा आपने ट्रैफ़िक जाम मे हर साल नान जाने कितनी जाने जाती है पर ज़िम्मेदार कौन है इन सब का
क्या यही बात हिन्दुओं पर लागू मानी जाये. वहां भी अशिक्षा है और गरीबी, बेरोजगारी भी. यदि यही पैमाना है तो फिर भगवान भी मालिक नहीं रह सकेगा.
ReplyDelete"लहू यूँ बहाने के लिए नहीं होती
ReplyDeleteज़ीस्त उड़ाने के लिए नहीं होती
कुछ बातें समझने की होती हैं
दोस्त समझाने की नहीं होती"
सही लिखा है अरुणेश भाई....
आतंक और नफरत का चेहरा नहीं होता...
धर्म नहीं होता... इनका एक ही धर्म होता है- हिंसा का...
जाने कब इन बुजदिलों का सर चौराहों पर लटकाए जायेंगे...???
दवे जी नुक्कड़ पर तो आप छा गए हो
ReplyDeleteजय शर्मनिरपेक्षता , आप को तो टीम राहुल में होना चाहिए था ..............आप लिखते भी व्यंग हो ताकि तर्कों का सामना ना करना पड़े
ReplyDeleteशर्म करो ,कुछ तो शर्म करो
ReplyDeleteहम क्यों चाहते हैं कि किसी मामले की जांच ही न हो
जांच हो तो कोई कारर्वाई ही न हो
पहले से ही तय है कौन दुश्मन है
फिर पुलिस मोके पर जाती ही क्यों है
नुक्कड़ पर चाय खरीदने से आपको प्रधानमन्त्री तक को गाली देने का अधिकार मिलता है और सुनाने सुनने वाले भी,
जो भी ये हरकतें कर रहे हैं इसी आज़ादी को खत्म करेंगे
मुसलमान का मतलब होता है पूरा इमान वाला
बेईमान कब से मुसलमान होने लगे
जिनके स्विस अकाउंट है वही धर्मं निरपेक्ष हैं
विसेष विमान से तिरुपति जाकर विशेष दर्शन करते हैं
अपने बच्चों को विसेष कोटे में ईसाई बताते हैं प्रवेश पाने के लिए
आप क्यों मुफ्त में जहमत उठाते हैं