Friday, July 1, 2011

शिव पार्वती - क्या भ्रष्टाचार से हारेगा अन्ना ?


कैलाश पर विराजे शिव जी से माता ने पूछा क्यों प्राणनाथ ये अन्ना हजारे का क्या होगा । प्रभु ने कहा प्रिये प्रारब्ध को अपना काम करने दो आप क्यो  परेशान हो रही हो । माता बोलीं वाह बेचारा भारत भूमी के उद्धार के लिये अनशन कर रहा है और आप कहते हो मै परेशान न हॊउं सच है पुरुष पत्थर दिल होते हैं । अपनी गलती के कारण समस्त पुरूषो को बदनाम होता देख प्रभु बोले नही नही  ऐसी बात नही है पर ये अन्ना लोकतंत्र विरूद्ध कार्य भी तो कर रहा है देखा नही कल प्रणब मुखर्जी अनशन को लोकतंत्र के विरूद्ध हमला बता रहे थे कह रहे थे की कांग्रेस को जनता का समर्थन प्राप्त है दो महिना पहले ही तीन राज्यो मे चुनाव जीत कर आयी है । माता बोलीं लोकतंत्र विरूद्ध अरे वो तो भ्रष्टाचार के खिलाफ़ अनशन मे बैठा है समर्थन मे थोड़े ही बैठा है । और चंद विज्ञापन पाउ पत्रकारो को छोड़ दो तो देश मे आज आप जिस से भी पूछेंगे वो अन्ना के आंदोलन का समर्थन ही करेगा  सारी जनता अन्ना के साथ है । शिव जी मुस्कुराये अरे आप समझी नहीं देखिये  पडिंतो ने क्या कहा है " जेही विधी राखे राम तेही विधी रहिये सीता राम सीता राम कहिये "

अब कलयुग मे ये नेता अफ़सर लोग ही तो राम हैं जैसे रख रहें है रहो अब इनसे लड़ने जाओगे तो हारना तो निश्चित है बात को समझिये जनता अपने खून पसीने की कमाई से लड़ती है और ये जनता से लूटे गये पैसो । माता बोलीं क्या आप कुछ भी कहते हैं अरे इसी अहिंसा और उपवास के अस्त्र का प्रयोग करके तो महात्मा गांधी ने अंग्रेजो को भारत से बाहर खदेड़ा था । प्रभु ने कहा अरे वो लोग अलग देश के रंग के थे और वे ये जानते थे कि आज नही तो कल इसे छोड़ के जाना है । ये नेता अफ़सर तो इसी देश के इसी रंग के हैं और ये केवल अपने पैसे को विदेश भेजने की सोच सकते हैं देश छोड़ने का तो इनको सपना भी नही आता । ये सब अस्त्र इन पर लागू नही हो सकता ।


माता ने कहा क्या करोड़ो लोगो की भीड़ भी इन भ्रष्टाचारियो को सबक नही सिखा सकती प्रभू । हजारो सालो से राजाओ बादशाहो अंग्रेजो और अब नेताओ की गुलामी सहती जनता उदासीन हो चुकी है उदासीन न होती तो पीटती होश ठिकाने ले आती प्रभु ने कहा । और पीटना भी किसको अपने ही लोगो को वैसे भी भारत का आदमी दया सागर है । नेता हो या अफ़सर दोषी के पैरो मे लोटते ही स्वय़ं भगवान क्रुपानिधान बन जाता है उसपर रहम कर सोचता है वाह मैने कितना पुण्य कमा लिया जनता का भी यही हाल है नेता गिड़गिड़ाया नही कि बस ।

इतना सुनते ही माता भड़क उठीं ठहरिये मै अभी ही इन भ्रष्टाचारियो का संहार कर देती हूं । माता को रौद्र रूप मे देख प्रभु ने उन्हे शांत करते हुये कहा आप कानून व्यवस्था अपने हाथ मे न लें हे जगदबें आप ऐसा करेंगी तो आप के नाम से कपटी साधू लोग सत्ता हाथ मे ले लेंगें । अभी तक जो रामानंद बन राम के नाम से आनंद उठा रहे हैं वे दुर्गानंद बन कर आपका कोई विदेशियो द्वारा ध्वस्त मंदिर खोज उसके नाम पर आनंद उठाना चालू कर देंगे क्या आप ऐसा चाहती हैं । माता ने कहा कदापी नही पर मै इस दुष्ट भ्रष्टासुर को जीवित भी तो नही छोड़ सकती । और ये अन्ना तो मुझे पुत्र के समान प्रिय है इसकी रक्षा तो मै करूंगी ही ।


आप चिंता न करें प्रिये ये अन्ना भी पुराना चावल है इसने महाराष्ट्र मे कई नेताओं को ठीक किया है ये जानता है कब उंगली टेढ़ी करना है और कब सीधी इसे ये भी मालूम है कि बात एक बार मे ही नही बन जायेगी लड़ाई लंबी लड़नी होगी । बातचीत से कोई न कोई रास्ता निकल जायेगा आप चिंता न करें । माता का गुस्सा फ़िर भी कम न हुआ था आप ये बात सीधे सीधे नही कह सकते थे हर बात को गोल गोल घुमाना आपकी आदत बन गयी दिखती है । प्रभु ने मुस्कुरा कर कहा आप तो आजकल दिन भर महिला मुक्ती नारी शक्ती पता नही क्या क्या आंदोलनो मे इतना व्यस्त रहतीं है कि मुझसे बात करने का आपको समय ही नही मिलता इसी बहाने आपके दो मीठे बोल तो सुन लेता हूं मै । इतना सुनते ही माता का क्रोध शांत हो गया और मुस्कुराकर बोलीं क्या आप भी दो बच्चो के पिता होकर ऐसी बातें करते हैं इधर प्रभु ने  चैन की सांस ली ।
Comments
9 Comments

9 comments:

  1. सच है पुरुष पत्थर दिल होते हैं।
    मगर सोनिया का तो मन मोहन ने मोह लिया है!
    अन्ना का भगवान भला करे!
    उनके लिए तो सोनिया पार्वती बनने से रही!

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  2. आपकी पोस्ट कल(3-7-11) यहाँ भी होगी
    नयी-पुरानी हलचल

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  3. बहुत-बहुत बधाई ||

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  4. सोखे सागर चोंच से, छोट टिटहरी नाय |

    इक-अन्ने से बन रहे, रुपया हमें दिखाय ||


    सौदागर भगते भये, डेरा घुसते ऊँट |

    जो लेना वो ले चले, जी-भर के तू लूट ||


    कछुआ - टाटा कर रहे , पूरे सारोकार |

    खरगोशों की फौज में, भरे पड़े मक्कार ||


    कोशिश अपने राम की, बचा रहे यह देश |

    सदियों से लुटता रहा, माया गई विदेश ||


    कोयल कागा के घरे, करती कहाँ बवाल |

    चाल-बाज चल न सका, कोयल चल दी चाल ||


    प्रगति पंख को नोचता, भ्रष्टाचारी बाज |

    लेना-देना क्यूँ करे , सारा सभ्य समाज ||

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  5. अलग दृष्टिकोण का लेखन... आपका चुटीला अंदाज़ अलग ही है अरुणेश भाई....
    सादर...

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  6. आजकल दिन भर महिला मुक्ती नारी शक्ती पता नही क्या क्या आंदोलनो मे इतना व्यस्त रहतीं है कि मुझसे बात करने का आपको समय ही नही मिलता इसी बहाने आपके दो मीठे बोल तो सुन लेता हूं मै । इतना सुनते ही माता का क्रोध शांत हो गया और मुस्कुराकर बोलीं क्या आप भी दो बच्चो के पिता होकर ऐसी बातें करते हैं इधर प्रभु ने चैन की सांस ली । बस यही शाश्वत सत्य है।

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  7. रोचकता और प्रवाह बढि़या है. प्रूफ-वर्तनी की चूक से व्‍यवधान हो रहा है.

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  8. पोस्ट के पहले शब्द से आखिरी शब्द तक रोचकता बनी रही . प्रभु शिव और माता पार्वती के बहाने अपना सन्देश भी आपने दे दिया. इस शानदार पोस्ट के लिए धन्यवाद .

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  9. भ्रष्‍टाचार का राक्षस भयंकर रूप धारण कर चुका है. अब तो कोई दैवीय चमत्‍कार ही इसका समाधान है.
    खैर, शिव जी भी कांग्रेसी लग रहे हैं, जो पार्वती जी को उस राक्षस का संहार करने से रोक रहे हैं और बातों में उलझा रहे हैं.
    हा हा
    जय हो भगवान शिव की.

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