Friday, July 22, 2011

डंडे की तमन्ना है कि अन्ना मुझे मिल जाये

नुक्कड़ पर भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी फ़िल्म थ्री ईडियट की तर्ज पर अपने दो मित्रो के साथ पोंद मटकाते हुये अश्लील नृत्य करते हुये आल इज वेल गाना गा रहे थे । पोंद शब्द की जगह  कूल्हे जैसे थोड़े सम्मानीय शब्द का भी इस्तेमाल हो सकता था पर शर्मा जी के हावभाव ऐसे कुटिल थे  कि क्या कहूं । इस नृत्य  मे उनके साथियो का नाम लिखना भी उचित न होगा आज कल बिना मान वाले भी मानहानी का दावा कर देते हैं । पर अपनी सुविधा से आप उन मित्रो की जगह मन्नू उर्फ़ SMS, कुटिल उर्फ़ सब्बल, दिग्गी उर्फ़ हटेला,  या इन सबकी प्यारी सोणी मम्मी का नाम रख सकते हैं । खैर साहब यह देख हमसे रहा न गया हमने तत्काल प्रतिवाद किया भाई आल इज नाट वेल चहुं ओर भ्रष्टाचार है। कल तिहाड़ का जेलर भी हमसे मिलने आया था कह रहा था कि दवे जी तिहाड़ के बाकी कैदियों को मे इन नेताओ से कैसे बचाउं कही हवा लग गयी तो देश चलाने के जैसे जेल चलाना मुश्किल हो जायेगा । मेरे पास मम्मी टाईप बली का बकरा बनाने के लिये गूंगा जेलर बनाने की सुविधा भी नही है

शर्मा जी ठठा कर हसें कहने लगे दवे जी क्यों मनगढ़ंत आरोप लगाते हो है कोई सबूत और होगा भी तो पहले वो जेलर ही अंदर जायेगा झूठ कहता है देख लेंगे निपटा देंगे उसको । हमने कही चलो भाई जेलर कि न मानो पर अन्ना की तो सुनोगे ताल ठोक कर कह रहे हैं कि देश भ्रष्टाचार के कारण रसातल मे जा रहा है । लोकपाल बिल लाये बिना मामला ठीक होगा नही और सरकार जो है जोकपाल बिल लाना चाहती है । इतना सुनते ही शर्मा जी के दिल से लय फ़ूट पड़ी  " डंडे की तमन्ना है कि अन्ना मुझे मिल जाये " शर्मा जी मुस्कुराते हुये कहने लगे आ तो जाये ये अन्ना जंतर मंतर सारा नेतागिरी भुला दिया जायेगा फ़िर  बोले तुम्हारा ये अन्ना सुप्रीमकोर्ट क्यों गया है इसको डंडे से डर क्यों लगता है भाई गांधी जी तो कभी नही डरे असली गांधीवादी होता तो कभी न डरता ।

हमने कहा भाई चालू राम चलपुर्जे सारी होशियारी का ठेका तुमको ही नही मिला हुआ अन्ना महाराष्ट्र के कई होशियार नेताओ को पहले ही निपटा चुके हैं । वो जानते हैं कि तुम लोग साम दाम दंड भेद सब लगाओगे उनको अनशन से रोकने के लिये इसी लिये सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं कि तुम लोग बाबा रामदेव के जैसे उनके आंदोलन को कुचल न पाओ । और शर्मा जी ये जो तुम्हारी मक्कारी है सब लोग देख रहे हैं जनता मूर्ख नही है सब जान रही है । संभल जाओ नही तो देश मे मिस्र जैसे हालात बन जायेंगे तो बेटा नानी याद आ जायेगा अभी भी समय है मक्कारी छोड़ समझदारी से काम लो हवा के रूख को पहचानो और अन्ना का कहना मानो इसी मे सार है । शर्मा जी सुधरने वालो मे से कहां थे कहने लगे किस अन्ना की बात करते हो इसका एनजीओ भ्रष्टाचार मे लिप्त है इसके वकील भ्रष्ट हैं । ये लोग सिविल सोसाईटी कहलाने का हक ही नही रखते भाई सिविल मतलब मिलजुल कर रहने वाला । मिलते जुलते कहां है ये लोग मिलजुल कर रहते तो अनशनियाने का नौबत आता क्या

तभी आसिफ़ भाई पीछे से डंडा निकाल लाये कहने लगे दवे जी बातचीत का समय गया अब इन लो्गो को पीट पीट कर बताते हैं कि आल इज नाट वेल तभी लाईन मे आयेंगे हमने बड़ी मुश्किल से रोका समझाया भाई करोड़ो रूपया घूस खिलाने के बाद एक बड़ा नेता तैयार होता है काहे आप राष्ट्रीय संपत्ती का नुकसान करने पर तुले हो गांधी का देश है भाई  सारी सेना पुलिस इन्ही के नियंत्रण मे है रक्तपात के अलावा कुछ न होगा ।

खैर साहब शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी आज भी नुक्कड़ पर अपने मित्रो के साथ मक्कारी भरे अंदाज मे आल इज वेल गा रहे हैं और और आसिफ़ भाई जैसे लोग गुस्से मे दांत पीस रहे हैं । अब विचार आपको करना है कि अन्ना के आंदोलन का समर्थन करना है कि नही और समर्थन करना है तो घर बैठ कर करना है कि धरना स्थल पर पहुंच कर
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17 Comments

17 comments:

  1. हमने बड़ी मुश्किल से रोका समझाया भाई करोड़ो रूपया घूस खिलाने के बात एक बड़ा नेता तैयार होता है काहे आप राष्ट्रीय संपत्ती का नुकसान करने पर तुले हो. lakh take ki baat hai ye.

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  2. इसे कहते है व्यंग्य की धार , सबको दिया मार बधाई

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  3. अरुणेश भाई, शीर्षक देख कर ही मुस्कराहट आ गयी थी होठों पर जो पूरे पोस्ट में बरकरार रहा.... तीखा और क्लीन व्यंग्य ...
    सादर...

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  4. "गांधी का देश है भाई अहिंसा से ही काम लेना होगा।"
    --
    मगर गांधी जी के वंशज
    खांग्रेसियों को कौन समझाए।
    कि वो डण्डे से बाज आयें!

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  5. "तिहाड़ के बाकी कैदियों को मे इन नेताओ से कैसे बचाउं कही हवा लग गयी तो देश चलाने के जैसे जेल चलाना मुश्किल हो जायेगा ।" बढिया कटाक्ष।
    "गांधी का देश है भाई...........सारी सेना पुलिस इन्ही के नियंत्रण मे है रक्तपात के अलावा कुछ न होगा ।" बीच का शब्‍द हटाकर इतना कहा जाता तो आज की कटु सच्‍चाई नग्‍न होकर सामने आ जाती। बहरहाल,अच्‍छा व्‍यंग्‍य।

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  6. धासूं व्यंग्य

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  7. बहुत सटीक और सार्थक आलेख...

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  8. इन्‍हें ऑल इज वेल पर नंगा नाच करने दो. जल्‍द ही परिणाम सबके सामने होंगे.

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  9. शीर्षक देखकर ही पढने की उत्सुकता जाग गई थी. पढ़कर तो ऐसा लगा व्यंग का इससे बेहतर अंदाज़ तो हो ही नहीं सकता . मम्मी जी ने कांग्रेसियों को यही गीत रटवाया है चाहे स्थिति कुछ भी हो.

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  10. गोली मार कर कह देंगे कि शहीद था इसलिये गोली खा गया और जो बच जायेगा उस के लिये कहेंगे कि क्रान्तिकारी कभी भला ऐसे बचते थे.

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  11. देश ऐसे ही चलेगा. जनता ऐसे ही लुटेगी...

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  12. करारा व्यंग....सार्थक बात.

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