Tuesday, December 20, 2011

अरे अन्ना, बेचारे संघ का समर्थन ले लो भाई



नुक्कड़ पर दीपक भाजपाई  उर्फ़ संघ वादी खड़े हो कर चिल्ला रहे थे - " ऐ भाई संघ का समर्थन ले लो भाई ।" हमने पूछ लिया - "" जिसको समर्थन देना है, उसी से डाइरेक्ट जाकर क्यों नही कहते।" दीपक बाबू फ़ट पड़े - "वो ले ही नही रहा,  लेता तो क्या बात थी।"  हम अचरज में पड़ गये,  यहा तो सारे समर्थन के लिये मरे जाते है और जब ये मुफ़्त में देना चाह रहे हैं तो किसी को क्या दिक्कत। हमने कहा- "भाई जरा साफ़ साफ़ कहो, किसको समर्थन देना चाह रहे हो।" दीपक जी बोले - "समर्थन हम अन्ना हजारे को देना चाह रहे हैं, और वो ले क्यों नही रहा। "  हमने कहा- "मान लो ले नही रहा तो आप क्यों मरे जा रहे हो देने को।" दीपक जी बोले "संघ हमेशा देश हित के सारे आंदोलनो को अपना समर्थन देता है चाहे कोई मांगे या न मांगे।"


हमने कहा- "भाई यह कैसा समर्थन दे रहे हो,  दिग्विजय सिंग के साथ टाईमिंग मिला के बयान बाजी करते हो। आप कहते हो हम अन्ना के साथ है उधर से दिग्विजय कहता है संघ अन्ना के पीछे है। मुझे तो लगता है कि आप दोनो सेटिंग कर के मुसलमानो को अन्ना के आंदोलन से दूर करना चाहते हो।" दीपक बाबू ने सिर झटकाया - " हम मुसलमानो का नही जानते, पर अन्ना के बिना मांगे भी हम जबरदस्ती समर्थन दे कर रहेंगे।" हमने कहा - "ये कैसा समर्थन है दीपक बाबू, मुंह में राम बगल में छुरी, एक तरफ़ गले पड़ाउ समर्थन देने की बात करते हो। दूसरी ओर सायबर ब्रिगेड को लगा रखा है कि सुबह शाम अन्ना हजारे और उसकी टीम को कोसो, क्या चक्कर है रे भाई।"

दीपक संघी तुरंत नट गये - "कोसने वाले हमारे आदमी नही हैं।" हमने कहा- "पाकिस्तान भी कहता है कि आतंकवादी हमारे नही है। दरअसल बात यह है कि  बाबा रामू से भी आपका काम न हुआ तो आप अन्ना के आंदोलन के कंधे से भी फ़ायरिंग का जुगाड़ बैठा रहे थे। अन्ना से किनारे लगा दिया तो मुसलमानो को उनसे दूर करने के लिये समर्थन वाली बयान बाजी कर रहे हो और हिंदुओ को दूर करने के लिये नेट मे साईबर ब्रिगेड लगा दिये हो। आपका मतलब साफ़ है हम भी खेलेंगे नही तो खेल खराब करेंगे।"


दीपक संघी भड़क गये - "संघ का समर्थन नही चाहिये हम अछूत हैं।" हमने कहा - " प्रियंका गांधी ने हमे छोड़ राबर्ट वढेरा से शादी कर ली, मै अछूत हूं क्या। अरे भाई जिसे जो पसंद आये उसका साथ ले या ब्याह करे क्या जबरदस्ती किसी के गले पड़ जाओगे।" दीपक जी बोले - " मेहनत करी श्रद्धेय बाबा रामदेव ने देश को जगाया उन्होने और क्रेडिट ले जाये अन्ना। उसके बाद तुर्रा ये की अब साथ नही चाहिये।" हमने कहा - "मेहनत की बाबा रामदेव ने और पिटवा दिया आपने। आपको तो जनाक्रोश चाहिये था न।" दीपक संघी और भड़क गये - "पीटा कांग्रेस ने और दोष हम पर लगाते हो।" हमने कहा - "पीटा तो कांग्रेस ने ही लेकिन साध्वी को तो आपने भेजा था कि नही।" दीपक संघी संभल कर बोले - " आदरणीय बहन श्रद्धेय साध्वी और बाबा रामदेव से हमारा कोई नाता नही है संबंध केवल उतना है जितना अन्ना हजारे से है हम समर्थन करते है बस।"



हमने कहा - "भाई तुम लोग गांधी का स्वदेशी चुरा लिये, खादी चुरा लिये, हे राम तक चुरा लिये, चश्मा क्यों नही चुराये। चश्मा चुरा लेते तो साफ़ साफ़ नजर आता कि हिंदुओ का हित किसमे है। क्यों विरोधाभासी विचारधारा अपनाते हो। अन्ना हजारे को हिटलर कहते समय यह क्यों नही सोचते कि हिंदुस्तान के हिंदू आपको इज्जत से देखते हैं।  हिंदू हित का बना संगंठन है उसको क्यो दाये बाये ले जाते हो। वनवासी कल्याण, सरस्वती शिशु मंदिर से लेकर कितने अच्छे काम करते हो, फ़िर क्यों ऐसी चीजो मे शामिल होना कि मुंह चुराना पड़े। 


दीपक भाजपाई कम संघी भड़क उठे - " जब गधे के कानो में हवा भर जाती है तो वो इधर से उधर दौड़ने लगता है ....यही हाल भारत की मूर्ख जनता का हो चला है ..... इन निष्कृष्टों को हमेशा कुछ ऐसा चाहिए जिसमे कुछ करना न पड़े और इनकी देशभक्ति के ढोंग को दिखाने के लिए आयाम मिल जाये। गांधी ने भी यही सोचकर चरखा घुमाते हुये ,बकरी का दूध पीते हुये,विनम्रता के चार बोल सुना दिये थे ....... फिर वही मूर्ख अंधी, हिन्दू जनता चल पड़ी है मोमबत्ती लेकर क्रांतिकारी बनने ।  हिन्दुओ और हिन्दुत्व का सत्यानाश हो रहा है दिन ब दिन तब तुम क्यो नहीं निकलते ? फिर वही क्यो निकलोगे गांधी और अन्ना है न फिर से तैयार हो जाओ एक नए छोटे गांधी कि विचार धारा को अगले बीस से पच्चीस साल तक झेलने के लिए ..... बस देखना ये है ये लेटैस्ट गांधी , कितनी हानि कर के मरेगा ?"



हमने कहा- "रे भाई हिंदूओ के स्वयंभू ठेकेदार हम बता रहे कि आपको तकलीफ़ क्या है। आपकी शाखाओं मे कौंवे बोल रहे हैं। आपके बुलाये लोग एकत्रित नही हो रहे तो दूसरो के सर पर सवार होकर आपको अपना एजेंडा पूरा करना है। क्या मांग रहे है अन्ना हजारे देश हित के लिये कड़े कानून। क्या अहित हो जायेगा रे भाई इस कानून से हिंदूओ का। औरहिंदुओ का हित तो हिंदुस्तान की तरक्की में है की नही। यहां दूसरे धर्मो के लोग सुख शांती से रहे यही तो हमारा गौरव है सहिष्णुता ही हमारा तिलक है। और जो देश द्रोह का काम करे उसके लिये कानून है संविधान है। रिपोर्ट लिखाओ , पकड़ो कानून के हवाले करो।  हिंदूत्व का आंदोलन करना है, क्रांतीकारी बनना है तो बनो रे भाई कौन तुम्हारा खाकी चड्डा पकड़ के रोक रहा है। खड़ा करो अपना आंदोलन लोगो के सामने बात रखो उनको समझ मे आयेगा तो आपका समर्थन करेंगे। दूसरो के आंदोलन को खराब करने से कौन से शिवाजी बन जाओगे।"

दीपक संघी बोले -"हमे आप के जैसे क्षद्मनिरपेक्ष सिकुलर बिकाउ मिडिया के भांड, देश द्रोही लोगो की नसीहत नही चाहिये। हम अब इस देश में हिंदुत्व की लहर उठा कर रहेंगे और इस देश से आप जैसे लोगो को भगा कर रहेंगे।"
इतना कह दीपक बाबू पैर पटकते चल दिये और हम सिर खुजाते खड़े रह गये कि ये भाई लोग क्षद्म हिंदुत्व से ग्रसित हैं कि हमारे जैसे लोग हिंदूत्व की गलत व्याख्या कर रहे हैं। अब ये लोग गीता, वेद, शास्त्रो की व्याख्या पर बात करते ही नही करते। इनके मुद्दे  बटवारे के समय के हिंदुस्तान,  पाकिस्तान पर अटके हैं। गांधी मर गये, गोड़से मर गये। लेकिन ये भाई लोग है कि उस समय की सोच पर ही अटके है।

Tuesday, December 13, 2011

ये तेरा बिल ये मेरा बिल~ ~ ~ ~ ~ ~ ये बिल बहुत हसीन है


नुक्कड़ में चाय पीते पीते आसिफ़ भाई गीत गुनगुना उठे - " हमारी हसरतो का बिल, ये बिल बहुत हसीन है। " हमने टोका,   आसिफ़ भाई,  क्या भाभी के लिये लिपस्टिक पाउडर खरीद लाये हो,  जो उसका बिल  आपको हसीन लग रहा है। क्या बात है, बुढ़ापे में उलानबाटी खा रहे होआसिफ़ भाई भुनभुनाये, कहने लगे- "बीबी से बचने के लिये आदमी नुक्कड़ आता है, और आप हैं कि यहां भी याद दिला रहे हो उनकी "। हमने गलती मानते हुये पूछा- "  फ़िर ये कौन सा बिल है गाने में, जरा हमें भी बताईये।"


आसिफ़ भाई, फ़िर रूमानी अंदाज में आ गये- "मियां,  हम लोकपाल बिल की बात कर रहे थे।  एक बार यह आ जाये, फ़िर भारत में हर ओर ईमानदारी होगी,  कहीं रिश्वत न ली जायेगी।" हमने बीच में टोका- " आसिफ़ भाई हवा में मत उड़ो,  सारी पार्टियो को उस बिल में कमिया नजर आ रही है। और आप को  हरा ही हरा  नजर आ रहा है। इतने में दीपक भाजपाई कूद पड़े- "वाह दवे जी, आपने मेरे दिल की बात कह दी,  आसिफ़ भाई को हरा ही हरा नजर आता है।" हमने कहा- "हे स्वयंभू भगवा ठेकेदार,  यहां बात सावन के अंधे वाले हरेपन की हो रही है। और आ गये आप अपना एजेंडा लेकर। हां आसिफ़ भाई,  आप बतायें बिल का माजरा।"
आसिफ़ भाई मुस्कुरा उठे, गुनगुना उठे- "किसी को देखना हो अगर,  तो मांग ले मेरी नजर तेरी नजर"।  भाई नजर नजर का खेल है। हम लोगो को बिल हसीन नजर आ रहा है,  कि यह हमारे सपनो का भारत बनायेगा और ये पैसा खाउ कपटी नेता।  इन को सपने में भी ऐसा,  साफ़ सुथरा भारत नजर नही आ सकता।  इसीलिये इनको बिल मे खामिया नजर आ रही है।  और ये लोग तो आने जाने वाले हैं,  महान शक्तिशाली सिविल सर्विसेस के अधिकारियो को तो जिंदगी भर खाना है। ये क्यो अपने पैरो पर फ़रसा कुल्हाड़ी चलायेंगे । ऐसा ऐसा पैतरा बतायेंगे की नेता चाहे तो भी कर नही सकेंगे ।

प्रधानमंत्री को लाना और न लाना तो कोई मुख्य मुद्दा है ही नही,  जो ये लोग उछाल रहे हैं। मत लाओ भले प्रधानमंत्री को पर बाकी मुद्दे ज्यादा गंभीर है । लोकपाल का चुनाव निष्पक्ष तरीके से होना चाहिय॥  वह स्वतंत्र होना चाहिये । उसके पास दबावो से मुक्त स्वतंत्र जांच एजेंसी होनी चाहिये। ये मीडिया और सरकार तो इस पर चर्चा ही नही कर रही । लोकपाल कार्य करे कैग की तरह और मामले की सुनवाई करे सुप्रीम कोर्ट के तर्ज पर।  इन शर्तो के बिना लोकपाल नही धोखपाल बिल बनेग। और ये सरकार बनायेगी धोखपाल ही लोकपाल तभी बनेगा जब  जन सैलाब उमड़ पड़ेगा

 तभी सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने बीच मे टांग अड़ाई, कहने लगे- "हम तो नेक इरादो से आगे बढ़ रहे है। पर  दीपक भाजपाई को तो देखिये, अपने पत्ते ही नही खोल र्हे।"  दीपक भाजपाई मुस्कुरा कर बोले- "हमने तो आपसे शो मांग लिया है, आपको ही अपने पत्ते पहले दिखाने पड़ेंगे।" हमने कहा- "भाईयो, खेल लो जुआं जितना खेलना हो। पत्ते छुपाओ चाहे दिखाओ,  जो बोलना है बोलते रहो। हम तो संसद में कौन सा बिल आ रहा है उसका इंतजार कर रहे हैं । अगर वो बिल हमारी हसरतो का बिल न हुआ, फ़िर बात की जायेगी। यह गलत फ़हमी मत पालना कि धर्म के नाम पर,  पार्टी के नाम पर अब ये देश बटने वाला है । लोग  देख रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि कब अन्ना की आंधी उठेगी।"

" देश हित में आप भी सावधान रहें,  लोकतंत्र के सड़ चुके इस पेड़ की नयी जड़े, बरगद के समान जमीन तलाश ले और इस लोकतंत्र मे नव जीवन का संचार करे इसी मे देश का हित है। कहीं यह पेड़ उखड़ गया तो हमारा देश  कई दशको के लिये अराजकता और अंधकार में डूब जायेगा।" 

Friday, December 9, 2011

इदं अल्लाहाये स्वाहा इदं खुदाए स्वाहा


जनाब कुछ हुआ ऐसा कि हमारे मित्र डाक्टर अनवर धमाल खान ने एक लेख लिखा  कि श्रीराम मुसलमानों के लिये भी श्रद्धेय हैं। हालांकि आगे यह भी लिखा था की श्रीराम देवता नहीं महापुरूष थे, पर एक महापुरूष होने के कारण श्रीराम का सम्मान, हर मुसलमान का फ़र्ज है।  इतना पढ़ते ही हमारा दिल बाग बाग हो गया,  कि चलो कम से कम एक कदम तो आगे बढ़ाया। आज महापुरूष माना है, कल हो सकता है देवता भी मानने लगें। गोया कि हिंदुस्तान में हिंदू मुस्लिम एकता का एक नया आगाज हो रहा है। चुनाचे हमने भी सोचा भाई कि अब हिंदुओ को भी आगे  कदम बढ़ाना चाहिये।

हमने भी एक हिंदू मुस्लिम एकता यज्ञ का आयोजन किया। लाउड स्पीकर लगा कर  मंत्र पढ़ना शुरू हुये- "ओम अल्लाहाये नमः,  ओम खुदाये नमः,  अल्लाह आव्ह्यामि स्थापयामी।"  इतना सुनते ही,  डा. अनवर धमाल दौड़ते भागते आये, जोर से चिल्लाये- "दवे जी, खबरदार एक शब्द भी आगे कहा तो।"  हम हड़बड़ा गये,  पूछा-  "क्या हुआ भाई, क्यों भड़क रहे हो।"  वे गरजते बरसते बोले - " आपको पता नही कि इस्लाम में मूर्ती पूजा निषेध है।" हमने कहा- "भाई किसकी मूर्ती,  कैसी मूर्ती,  हमने तो कॊई मूर्ती नही रखी।"  अनवर धमाल साहब कोई मूर्ती न पाकर, थोड़े नरम पड़े - " फ़िर किसकी स्थापना कर रहे थे।"  हमने कहा- "किसी की नही, हम तो खुदा को याद  कर रहे थे। हमें तो पता है,  अल्लाह की तस्वीर या मूर्ती होती ही नही। वे तो हमारे निराकार ब्रम्ह की तरह ही हैं।"

डा. अनवर धमाल बोले -" चलिये अल्लाह को हर आदमी अपने तरीके से पुकार सकता है, आप करते रहें हमें कोई आपत्ती नही है।" अनवर साहब थोड़ी दूर भी न पहुंचे होंगे कि उन्हे लाउड स्पीकर पर हमारी आवाज सुनाई पड़ी- "इदं अल्लाये स्वाहा, इदं खुदाये स्वाहा।" फ़िर दौड़ते भागते वापस आये - "अब ये क्या नौटंकी है, आप खुदा को स्वाहा करके जलाने की बात कह रहे हो, मिस्त्र से लेकर इंडोनेशिया तक पूरे विश्व में आग लग जायेगी।" हमने कहा भाई - "खुदा को प्रसाद चढ़ा रहे हैं, अब अब आप हिंदू धर्म से ज्यादा परिचित नही हो न,  इसलिये आपको पता नही है कि हिंदू  भगवान को जो आहुती चढ़ाते हैं वह अग्नी मे डाल देते है और स्वाहा का उच्चारण करते है।" अनवर धमाल फ़िर भी न माने, बोले- " अल्लाह को यज्ञ में आहुती नही दी जा सकती।"  हमने कहा भाई हमने इस्लाम के विद्वानो से पूछ लिया है,  कुरान में कही भी यह नही लिखा है कि अल्लाह को यज्ञ में आहुती नही दी जा सकती। अब आप पता कर लो यदि कुछ मिल जाये तो हमे दिखा देना हम ऐसा करना बंद कर देंगे।"


अब साहब इधर अनवर धमाल कुरान पर रिसर्च करने गये नही,  कि उधर से संघ के सायबर एजेंट अनिल गुप्ता दौड़ते भागते आ गये- "क्या दिमाग खराब हो गया है दवे जी जो अल्लाह के नाम आहूती डाल,  यज्ञ की वेदी को भ्रष्ट कर रहे हो।" हमने कहा -"भाई कभी कुछ कहते हो कभी कुछ। आप ही ने कहा था कि नही कि जो हिंदुस्तान मे रहता है वो हिंदू। अब मुसलमान हिंदु हुये तो उनके खुदा भी हमारे खुदा हुये की नही। और भाई पहले ही तैतीस करोड़ देवी देवता हैं एक दो और बढ़ जायेंगे  तो आपका क्या जायेगा।" अब गुप्ता जी सकपका गये,  हमारी बात का जवाब देते न बना। हमने और चने के झाड़ में चढ़ाया- "गुरू सोचो तो,  पहले ही हिंदू राष्ट्र का इतना बड़ा वाला नक्शा बनाये हो। अफ़गानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया तक,  उसमे अरब और आफ़्रीका भी जुड़ जायेगा। फ़िर सब जगह भाजपा का राज होगा, आपकी दोनो उंगलिया घी में और सर कढ़ाही मे।" गुता जी शांत होकर चले गये तो हमने राहत की सांस ली। कहीं शांत न होते तो जेब मे रखा रॆडीमेड देश द्रोही का सर्टीफ़िकेट तड़ से चपका देते।"

इसके बाद हमने अपना यज्ञ फ़िर शुरू किया - " इदं खुदाये स्वाहा इदं अल्लाहे स्वाहा, इदं रामाए स्वाहा इदं ब्रह्मांए स्वाहा।" इतने में अनवर धमाल फ़िर दौड़ते भागते आ गये,  कलप कर बोले -"दवे जी बंद कीजिये।" हमने कहा- "अब क्या हो गया भाई हद है, बात बात में भड़कते हो।"  डा. अनवर धमाल बोले - "दवे जी अल्लाह के अलावा किसी की भी इबादत करना कुफ़्र है।" हमने पूछा - "कहां लिखा है भाई।"  उनका जवाब था कुरान में,  हमारे पूछने पर कि कुरान को कौन मानता है,  वे बोले मुसलमान।" हमने कहा भाई- " कुरान  पवित्र ग्रंध है, हम बहुत इज्जत करते हैं। लेकिन हम तो हिंदु है हिंदु विधी से पूजा करते हैं। हमारा मानना है कि ईश्वर,  अल्लाह एक ही हैं। सो हम अलग अलग नाम से पूजा कर रहे हैं, और  जबरदस्ती आपका पेट दुख रहा है।"

लेकिन अनवर धमाल साहब नही मानें,  उन्होने कह सुन कर हमारे खिलाफ़ फ़तवा जारी करवा दिया, कि दवेजी ने कुफ़्र किया है। उनको मारने वाले को एक करोड़ का इनाम। हम  फ़तवा जारी करने वाले मौलवी के पास पहुंचे, पूरा केस बताया कि भाई हमारी गलती इतनी ही है कि हमने अपने भगवानों के साथ खुदा की भी पूजा कर ली और हमने खुदाकी कोई तस्वीर या मूर्ती भी नही बनाई थी।" मौलवी ने अपनी दाढ़ी खुजाई - "  केवल सही तरीके से इबादत करने पर ही खुदा जन्नत अता फ़रमाता है,  और इबादत सहीं करो भी तो भी केवल नेक काम करने वालो पर ही खुदा की नेमत होती है।"  हमने कहा -" मौलवी जी हमे भले खुदा जन्नत न दे,  पर आप तो हमारा उपर का टिकट मत कटाओ।" मौलवी ने कहा - " पर ऐसा किया क्यों, जरूरत क्या थी।" हमने,  डा. अनवर धमाल खान से लेकर श्रीराम को महापुरूष बताने तक और हिंदू मुस्लिम एकता के हमारे द्वारा किये गये प्रयास की सारी कहानी बताई। मौलवी ठठा कर हंसा - "" अरे भाई आप किसके चक्कर में आ गये, वह तो लेख लिख लिख कर खुदा को प्रसन्न करना चाहता है, सोचता है कि जितने लोग उसको पढ़ेंगे जन्नत उसके उतना और नजदीक आते जायेगी। खैर अभी  फ़तवा वापस ले रहा हूं आगे ध्यान रखियेगा और ऐसे लोगो के चक्कर में मत फ़ंसियेगा।"


तो साहब हम तो ले दे कर बच गये आप डा.  अनवर धमाल खान  के चक्कर में फ़ंस कर इदं अल्लाए स्वाहा,  इदं खुदाए स्वाहा मत करने लगना कहीं लेने के देने न पड़ जाये।

Monday, December 5, 2011

मनमोहन सिंग वालमार्ट वाले हाजिर हो

अदालत खचाखच भरी हुयी थी,  मनमोहन सिंग  के उपर वालमार्ट कंपनी को भारत बुला कालू किराना वाले का व्यवसाय चौपट करने का संगीन आरोप था। कालू किराना वाले की तरफ़ से बाबा रामू उर्फ़ भाजपाई वकील थे। और मनमोहन सिंग की तरफ़ से स्वयं दवे जी।   भगवा कोट पहने बाबा रामू बोले - " माई लार्ड, ये मुकदमा किसी एक आदमी का नही है। देश के लाखो करोड़ो गरीब किसानो का है, व्यापारियों का है।  ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस देश को गुलाम बना लिया था। देश द्रोही ताकते आज वालमार्ट को लाने मे लगी है।

 हमने अपनी दलील दी- " माई लार्ड हमारे देश की कंपनिया भी दुसरे देशो में जाकर व्यापार कर रही है  ऐसे में हम किसी दूसरे देश की कंपनी को अपने यहा काम करने से कैसे रोक सकते हैं। हमारे मुवक्किल तो स्वयं जाने माने अर्थशास्त्री हैं सोच समझ कर ही काम करते हैं। बाबा रामू योग के गुरू है कि अर्थशास्त्र के , जब देखिये तब नया नया आरोप लगाते हैं।"

बाबा रामू खड़े हुये - " माई लार्ड मै ’बिकाउ’ माफ़ कीजियेगा,  काबिल वकील से पूछना चाहुंगा कि एक छोटी दुकान और वालमार्ट मे अंतर क्या है। वालमार्ट समान खुद बनवाता है और लाने ले जाने के लिये ट्रक भी खुद के रखता है, किसानो से सीधे माल लेता है। दवाई से लेकर दारू तक  सब एक ही छत के नीचे बेचता है।  वालमार्ट से मुकाबला करना किसी भारतीय दुकान वाले के औकात के बाहर होगा।   माई लार्ड यह भारत को बेरोजगार करने का कदम हैं।

हमने कहा - "माईलार्ड , मै ’भड़काउ’ माफ़ कीजियेगा, काबिल वकील  से पूछना चाहूंगा कि अगर भारत बेरोजगार हो जायेगा तो वालमार्ट माल बेचेगा किसको। आज भी थोक बाजार मे सब्जिया सस्ती मिलने के बावजूद, क्या लोग घर के सामने आये ठेले से माल नही लेते। माई लार्ड,  वाल मार्ट के आने से करोड़ो नयी नौकरियों का सृजन होगा, भारत में खुदरा बाजार में नयी तकनीक आयेगी और सामान की आसमान छूती कीमते मुह के बल नीचे गिर जायेगी। वालमार्ट का तो नारा ही सस्ता खरीदो सस्ता बेचो है। भारत मे किसान से उद्योग से पहले दलाल लेता है फ़िर वह माल होलसेलर को जाता है है फ़िर रिटेलर के पास जाता है। सब्जिया रखने के लिये कोल्ड स्टोर नही होने से बहुत सा माल खराब चला जाता है। बनाने वाले को दस रूपये मिलते हैं और खरीदने वाले को वह चीज पचास रूपये में पड़ती है। क्या हमारे देश की जनता महंगाई के बोझ से दबी रहे क्या सवा अरब लोगो को चीजे सस्ती पाने का अधिकार नही। "


बाबा रामू उछल कर खड़े हो गये - "माई लार्ड भारत में कोल्ड स्टोर नही है तो ये गलती कांग्रेस की है इतने सालो में क्यों नही बने।  सरकार खुद क्यो नही विपणन संघ बनाती, और चले इन कांग्रेसियों से नही होता तो क्यों नही भारत के उद्योगपति बड़े व्यापारी इस काम को करते, क्या जरूरत है विदेशियों की। पर नही इनको तो चंदा मिलना चाहिये बस देशी विदेशी से कोई फ़र्क नही पड़ता।  माई लार्ड, मैं आफ़ द रिकार्ड ये आरोप लगा रहा हूं कि जिन कांग्रेसियों की मम्मी ही विदेशी हो,  वो क्यों नही विदेशियो को मामा समझ कर बुलायेंगे।

हम विरोध में जोर से चिल्लाये - "माई लार्ड, ये लोग इतने साल सत्ता मे थे खुद कुछ क्यों नही किये। क्या हम मामाओं को बुलाते हैं का आरोप लगाने वाले ,जनता को मामू नही बनाते हैं। अरे करोड़ो भारतीय विदेश मे नौकरी कर रहे है धंधा कर रहे है, हम किसी बात पर अड़ जाये तो क्या उनको नही भगाया जा सकता कि भाई हम लोग स्वदेशी ही एलाउ करेंगे। माई लार्ड मै भी आफ़ द रिकार्ड आरोप लगाता हूं कि ये लोग गांधी जी का स्वदेशी चुराये, उस समय चश्मा भी चुरा लेते। तो इनको दिखता जनता महंगाई के बोझ से दबी हुयी है मुनाफ़ाखोर ऐश कर रहे हैं। और ये लोग बेकार मे जनहित के मामले मे क्षुद्र राजनीति कर रहे हैं।

बाबा रामू बोले - "माई लार्ड खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश  के दुष्परिणाम तो सोचिये।   वालमार्ट को विश्व के किसी भी भाग से कुछ भी आयात करने की छूट होगी। शराब से लेकर शर्बत तक, उसे पूरे विश्व में जहा सस्ता मिलेगा वहा से मंगायेगी। माई लार्ड पांच एकड़ खेत वाला कालू किसान किस तरह पांच हजार एकड़ वाले गोरे किसान से कीमतो में मुकाबिला कर पायेगा। हमारा उद्योग जगत भी हिल जायेगा, चीन की फ़ैट्रियों से माल खरीद खरीद कर भारत के बाजारो को पाट दिया जायेगा। माई लार्ड इस देश को गुलामी से और गरीबी से बचा लीजिये हुजूर वरना इतिहास आपको कभी माफ़ नही कर पायेगा।"


हमने खड़े होकर गंभीरता से कहा - " माई लार्ड , मै बाबा रामू की काबिलियत की दाद देना चांहूंगा। किस तरह इन्होने इस पूरे मामले को देश भक्ति से जोड़ कर,  इस केस  को संगीन बनाने की कोशिश की है।  बेस्ट प्राईस के नाम से पहले ही वालमार्ट देश में काम कर ही रहा है। जहा से होलसेल दर में व्यापारी माल खरीद रहे है।   रही बात उद्योगो की तो उन्हे मजबूरन होलसेल व्यापारियों को सस्ते दामो में माल बेचना पड़ता है।  ग्राहक को वही माल महंगा मिलता है।  भारत का पांच प्रतिशत व्यापारी वर्ग,  मुनाफ़ा कमाने के लिये मिलावट खोरी तक से बाज नही आता अनाज से लेकर दूध और सब्जियो के नाम पर हमें जहर दिया जाता है।   इतना सुनते ही जज साहब ने हामी मे सर हिलाया बोले- " मिलावट तो देश की सबसे बड़ी समस्या बन गयी है। खैर फ़िर भी अगर आप की सारी बाते सही हैं तो फ़िर काहे ये वकील साहब बाबा रामू और उनकी पार्टी इस का विरोध कर रहे हैं।"

हमने कहा - बाबा रामू की पार्टी है ही व्यापरियों की पार्टी, व्यापारियों के चंदे से ही न काम चलता है। और ये बाबा रामू तो निजी कारणॊ से मोटा मोटा तर्क दिये जा रहे हैं माई लार्ड। अब मुनाफ़ाखोर लोग ही न तेल घी खाकर चर्बी बढ़ाते है। हार्ट प्राब्लम, मोटापा, किडनी प्राब्लम ये लोगो को ही न होता है फ़िर महंगा महंगा टिकट कटा कर ये लोग ही न योगा सीखने जाते है। बात और भी है देखिये बाबा रामू गाय से गौ मूत्र लेते है। फ़िर वह जाता है होलसेलर के पास, वहा से रिटेलर के पास।  गाय द्वारा मुफ़्त मे दिया मूत्र, रोगी के पास पहुंचता है चार सौ  रूपये लीटर। अब  वालमार्ट सीधे गाय से लेगा, वहीं छान छून के पैक करके सीधे रोगी को खुद ही बेचेगा और रोगी को वह पड़ेगा बीस रूपये लीटर।

बाबा रामू उछल कर खड़े हो गये बोले - "माई लार्ड दवे जी उटपटांग तर्क देकर विदेशी लुटेरों को भारत मे लाना चाह रहे हैं।"हमने तड़ से कहा - "माई लार्ड ये बाबा रामू हर जगह उल्टा बात कहते हैं। अभी वालमार्ट नही है तो गला फ़ाड़ फ़ाड़ के कालाधन वापस लाओ का नारा लगा रहे हैं। अब वालमार्ट आ जायेगी तो कम से कम पता तो रहेगा कि पैसा विदेशी ले गया।  बाबा रामू कालाधन ले भी आयें तो पैसा सरकार के पास न रहेगा। खर्चा फ़िर नेता दलालों के जरिये न होगा। फ़िर छह महिने बाद बाबा रामू खड़े हो जायेंगे कि  कालाधन वापस लाओ। माई लार्ड मैं तो कहता हूं कि वालमार्ट आ जाने के बाद, कालाधन और महंगाई दोनो जड़ से गायब हो जायेंगे। अब ये नेता, व्यापारी धन तो बहुत है। पर करे क्या सब का सब काला है। रिटेल सेक्टर में निवेश के लिये वालमार्ट से सेटिंग कर वापस ला रहे है, तो ये बाबा रामू का पेट दुख रहा है।" 

माजरा समझ कर जज साहब ने तुरंत मुकदमा खारिज कर दिया। और बाबा को ताकीद की कि बाबा मार्टबना कर वे वालमार्ट का मुकाबला करें।