Tuesday, December 13, 2011

ये तेरा बिल ये मेरा बिल~ ~ ~ ~ ~ ~ ये बिल बहुत हसीन है


नुक्कड़ में चाय पीते पीते आसिफ़ भाई गीत गुनगुना उठे - " हमारी हसरतो का बिल, ये बिल बहुत हसीन है। " हमने टोका,   आसिफ़ भाई,  क्या भाभी के लिये लिपस्टिक पाउडर खरीद लाये हो,  जो उसका बिल  आपको हसीन लग रहा है। क्या बात है, बुढ़ापे में उलानबाटी खा रहे होआसिफ़ भाई भुनभुनाये, कहने लगे- "बीबी से बचने के लिये आदमी नुक्कड़ आता है, और आप हैं कि यहां भी याद दिला रहे हो उनकी "। हमने गलती मानते हुये पूछा- "  फ़िर ये कौन सा बिल है गाने में, जरा हमें भी बताईये।"


आसिफ़ भाई, फ़िर रूमानी अंदाज में आ गये- "मियां,  हम लोकपाल बिल की बात कर रहे थे।  एक बार यह आ जाये, फ़िर भारत में हर ओर ईमानदारी होगी,  कहीं रिश्वत न ली जायेगी।" हमने बीच में टोका- " आसिफ़ भाई हवा में मत उड़ो,  सारी पार्टियो को उस बिल में कमिया नजर आ रही है। और आप को  हरा ही हरा  नजर आ रहा है। इतने में दीपक भाजपाई कूद पड़े- "वाह दवे जी, आपने मेरे दिल की बात कह दी,  आसिफ़ भाई को हरा ही हरा नजर आता है।" हमने कहा- "हे स्वयंभू भगवा ठेकेदार,  यहां बात सावन के अंधे वाले हरेपन की हो रही है। और आ गये आप अपना एजेंडा लेकर। हां आसिफ़ भाई,  आप बतायें बिल का माजरा।"
आसिफ़ भाई मुस्कुरा उठे, गुनगुना उठे- "किसी को देखना हो अगर,  तो मांग ले मेरी नजर तेरी नजर"।  भाई नजर नजर का खेल है। हम लोगो को बिल हसीन नजर आ रहा है,  कि यह हमारे सपनो का भारत बनायेगा और ये पैसा खाउ कपटी नेता।  इन को सपने में भी ऐसा,  साफ़ सुथरा भारत नजर नही आ सकता।  इसीलिये इनको बिल मे खामिया नजर आ रही है।  और ये लोग तो आने जाने वाले हैं,  महान शक्तिशाली सिविल सर्विसेस के अधिकारियो को तो जिंदगी भर खाना है। ये क्यो अपने पैरो पर फ़रसा कुल्हाड़ी चलायेंगे । ऐसा ऐसा पैतरा बतायेंगे की नेता चाहे तो भी कर नही सकेंगे ।

प्रधानमंत्री को लाना और न लाना तो कोई मुख्य मुद्दा है ही नही,  जो ये लोग उछाल रहे हैं। मत लाओ भले प्रधानमंत्री को पर बाकी मुद्दे ज्यादा गंभीर है । लोकपाल का चुनाव निष्पक्ष तरीके से होना चाहिय॥  वह स्वतंत्र होना चाहिये । उसके पास दबावो से मुक्त स्वतंत्र जांच एजेंसी होनी चाहिये। ये मीडिया और सरकार तो इस पर चर्चा ही नही कर रही । लोकपाल कार्य करे कैग की तरह और मामले की सुनवाई करे सुप्रीम कोर्ट के तर्ज पर।  इन शर्तो के बिना लोकपाल नही धोखपाल बिल बनेग। और ये सरकार बनायेगी धोखपाल ही लोकपाल तभी बनेगा जब  जन सैलाब उमड़ पड़ेगा

 तभी सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने बीच मे टांग अड़ाई, कहने लगे- "हम तो नेक इरादो से आगे बढ़ रहे है। पर  दीपक भाजपाई को तो देखिये, अपने पत्ते ही नही खोल र्हे।"  दीपक भाजपाई मुस्कुरा कर बोले- "हमने तो आपसे शो मांग लिया है, आपको ही अपने पत्ते पहले दिखाने पड़ेंगे।" हमने कहा- "भाईयो, खेल लो जुआं जितना खेलना हो। पत्ते छुपाओ चाहे दिखाओ,  जो बोलना है बोलते रहो। हम तो संसद में कौन सा बिल आ रहा है उसका इंतजार कर रहे हैं । अगर वो बिल हमारी हसरतो का बिल न हुआ, फ़िर बात की जायेगी। यह गलत फ़हमी मत पालना कि धर्म के नाम पर,  पार्टी के नाम पर अब ये देश बटने वाला है । लोग  देख रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि कब अन्ना की आंधी उठेगी।"

" देश हित में आप भी सावधान रहें,  लोकतंत्र के सड़ चुके इस पेड़ की नयी जड़े, बरगद के समान जमीन तलाश ले और इस लोकतंत्र मे नव जीवन का संचार करे इसी मे देश का हित है। कहीं यह पेड़ उखड़ गया तो हमारा देश  कई दशको के लिये अराजकता और अंधकार में डूब जायेगा।" 
Comments
21 Comments

21 comments:

  1. अपने पत्ते ही नही खोल रहा दीपक भाजपाई मुस्कुरा कर बोले हमने तो आपसे शो मांग लिया है आपको ही अपने पत्ते पहले दिखाने पड़ेंगे ||

    बहुत सुन्दर | हृदयग्राही ||

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  2. ये तो पेड़ उअखड़ने मे ही लगे है क्केओकि इन्को राम राज्य चाहिये प्रजअतन्त्र नही वल्कि रम्र राज

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  3. ha ha ha ha

    uttam vichar poorn lekh
    samajik samsya par sahajta se likha hai

    dhanyvaad

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  4. दीपक भाजपाई भी स्विस दौरा कर आयें हैं...कही २०१४ में लाटरी लगी तो कंही लोकपाल आँखे ततेर ले अपनी इसलिए पत्ते नहीं खोलेंगे.. खा के बिना डकार लिए पचाना दीपक भाजपाई को भी है..
    और मजा भी लेना है जब तक लोकपाल जोक्पल और कांग्रेसियों की भद्द पिटती रहे...

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  5. अच्‍छा लिखा है।
    मजेदार किस्‍सा।
    शुभकामनाएं आपको.......

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  6. बहुत सही अब बरगद का तना तो सड़ ही चुका है!
    इसे सहारा देने के लिए बरगत की नई दाढ़ियों (हेयररूट्स) को ही जमीन तक आना होगा!

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  7. ये बिल हसीन रहे तभी कुछ बात है.... वरना सारे लोग इसकी सूरत बिगाड़ने में लगे हुए हैं.... मस्त लेखन....
    सादर...

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  8. bahut hi acchi bathai

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  9. nice thought...........nazar nazaarka fark hei...kya kre.........

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  10. सरकार ऐसा बिल चाहती है जो उनके अधिकार क्षेत्र में हो. इसलिए ही अडंगा डाल रही है. राजनीति अपने चरम है और मीडिया की कमाई भी. इन दिनों सरकारी विज्ञापनों से भरे कई-कई पेज नजर आ रहे हैं.
    एवरीथिंग मैटर्स everything matters

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  11. बहुत सुंदर व्यंग्यात्मक लेख,
    आभार,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  12. सच है . ये बिल बड़ा हसीन है,पर हमारी कुरूप सरकार को कुरूप नज़र आ रहा है.

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  13. देश हित मे आप भी सावधान रहो लोकतंत्र के सड़ चुके इस पेड़ की नयी जड़े बरगद के समान जमीन तलाश ले और इस लोकतंत्र मे नव जीवन का संचार करे इसी मे देश का हित है । कहीं यह पेड़ उखड़ गया तो हमारा देश कई दशक के लिये अराजकता और अंधकार मे डूब जायेगा । आपकी चिंता जायज़ है।

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  14. बेहतरीन पोस्ट

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  15. एकदम सटीक व्यंग है...सही हालात बयां किये आपने ...

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  16. लाजवाब व्यंग है ... मज़ा आ गया ..

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  17. बहुत सुन्दर बेहतरीन पोस्ट

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  18. app ke likhe se eka gana yaad aaya lekin aapne bhut hi sundar likha hai ...

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  19. यह गलत फ़हमी मत पालना कि धर्म के नाम पर, पार्टी के नाम पर अब ये देश बटने वाला है ।

    बहुत सुन्दर अरुणेश भाई..... एकदम खरी खरी.....
    सादर बधाई..

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