Tuesday, December 20, 2011

अरे अन्ना, बेचारे संघ का समर्थन ले लो भाई



नुक्कड़ पर दीपक भाजपाई  उर्फ़ संघ वादी खड़े हो कर चिल्ला रहे थे - " ऐ भाई संघ का समर्थन ले लो भाई ।" हमने पूछ लिया - "" जिसको समर्थन देना है, उसी से डाइरेक्ट जाकर क्यों नही कहते।" दीपक बाबू फ़ट पड़े - "वो ले ही नही रहा,  लेता तो क्या बात थी।"  हम अचरज में पड़ गये,  यहा तो सारे समर्थन के लिये मरे जाते है और जब ये मुफ़्त में देना चाह रहे हैं तो किसी को क्या दिक्कत। हमने कहा- "भाई जरा साफ़ साफ़ कहो, किसको समर्थन देना चाह रहे हो।" दीपक जी बोले - "समर्थन हम अन्ना हजारे को देना चाह रहे हैं, और वो ले क्यों नही रहा। "  हमने कहा- "मान लो ले नही रहा तो आप क्यों मरे जा रहे हो देने को।" दीपक जी बोले "संघ हमेशा देश हित के सारे आंदोलनो को अपना समर्थन देता है चाहे कोई मांगे या न मांगे।"


हमने कहा- "भाई यह कैसा समर्थन दे रहे हो,  दिग्विजय सिंग के साथ टाईमिंग मिला के बयान बाजी करते हो। आप कहते हो हम अन्ना के साथ है उधर से दिग्विजय कहता है संघ अन्ना के पीछे है। मुझे तो लगता है कि आप दोनो सेटिंग कर के मुसलमानो को अन्ना के आंदोलन से दूर करना चाहते हो।" दीपक बाबू ने सिर झटकाया - " हम मुसलमानो का नही जानते, पर अन्ना के बिना मांगे भी हम जबरदस्ती समर्थन दे कर रहेंगे।" हमने कहा - "ये कैसा समर्थन है दीपक बाबू, मुंह में राम बगल में छुरी, एक तरफ़ गले पड़ाउ समर्थन देने की बात करते हो। दूसरी ओर सायबर ब्रिगेड को लगा रखा है कि सुबह शाम अन्ना हजारे और उसकी टीम को कोसो, क्या चक्कर है रे भाई।"

दीपक संघी तुरंत नट गये - "कोसने वाले हमारे आदमी नही हैं।" हमने कहा- "पाकिस्तान भी कहता है कि आतंकवादी हमारे नही है। दरअसल बात यह है कि  बाबा रामू से भी आपका काम न हुआ तो आप अन्ना के आंदोलन के कंधे से भी फ़ायरिंग का जुगाड़ बैठा रहे थे। अन्ना से किनारे लगा दिया तो मुसलमानो को उनसे दूर करने के लिये समर्थन वाली बयान बाजी कर रहे हो और हिंदुओ को दूर करने के लिये नेट मे साईबर ब्रिगेड लगा दिये हो। आपका मतलब साफ़ है हम भी खेलेंगे नही तो खेल खराब करेंगे।"


दीपक संघी भड़क गये - "संघ का समर्थन नही चाहिये हम अछूत हैं।" हमने कहा - " प्रियंका गांधी ने हमे छोड़ राबर्ट वढेरा से शादी कर ली, मै अछूत हूं क्या। अरे भाई जिसे जो पसंद आये उसका साथ ले या ब्याह करे क्या जबरदस्ती किसी के गले पड़ जाओगे।" दीपक जी बोले - " मेहनत करी श्रद्धेय बाबा रामदेव ने देश को जगाया उन्होने और क्रेडिट ले जाये अन्ना। उसके बाद तुर्रा ये की अब साथ नही चाहिये।" हमने कहा - "मेहनत की बाबा रामदेव ने और पिटवा दिया आपने। आपको तो जनाक्रोश चाहिये था न।" दीपक संघी और भड़क गये - "पीटा कांग्रेस ने और दोष हम पर लगाते हो।" हमने कहा - "पीटा तो कांग्रेस ने ही लेकिन साध्वी को तो आपने भेजा था कि नही।" दीपक संघी संभल कर बोले - " आदरणीय बहन श्रद्धेय साध्वी और बाबा रामदेव से हमारा कोई नाता नही है संबंध केवल उतना है जितना अन्ना हजारे से है हम समर्थन करते है बस।"



हमने कहा - "भाई तुम लोग गांधी का स्वदेशी चुरा लिये, खादी चुरा लिये, हे राम तक चुरा लिये, चश्मा क्यों नही चुराये। चश्मा चुरा लेते तो साफ़ साफ़ नजर आता कि हिंदुओ का हित किसमे है। क्यों विरोधाभासी विचारधारा अपनाते हो। अन्ना हजारे को हिटलर कहते समय यह क्यों नही सोचते कि हिंदुस्तान के हिंदू आपको इज्जत से देखते हैं।  हिंदू हित का बना संगंठन है उसको क्यो दाये बाये ले जाते हो। वनवासी कल्याण, सरस्वती शिशु मंदिर से लेकर कितने अच्छे काम करते हो, फ़िर क्यों ऐसी चीजो मे शामिल होना कि मुंह चुराना पड़े। 


दीपक भाजपाई कम संघी भड़क उठे - " जब गधे के कानो में हवा भर जाती है तो वो इधर से उधर दौड़ने लगता है ....यही हाल भारत की मूर्ख जनता का हो चला है ..... इन निष्कृष्टों को हमेशा कुछ ऐसा चाहिए जिसमे कुछ करना न पड़े और इनकी देशभक्ति के ढोंग को दिखाने के लिए आयाम मिल जाये। गांधी ने भी यही सोचकर चरखा घुमाते हुये ,बकरी का दूध पीते हुये,विनम्रता के चार बोल सुना दिये थे ....... फिर वही मूर्ख अंधी, हिन्दू जनता चल पड़ी है मोमबत्ती लेकर क्रांतिकारी बनने ।  हिन्दुओ और हिन्दुत्व का सत्यानाश हो रहा है दिन ब दिन तब तुम क्यो नहीं निकलते ? फिर वही क्यो निकलोगे गांधी और अन्ना है न फिर से तैयार हो जाओ एक नए छोटे गांधी कि विचार धारा को अगले बीस से पच्चीस साल तक झेलने के लिए ..... बस देखना ये है ये लेटैस्ट गांधी , कितनी हानि कर के मरेगा ?"



हमने कहा- "रे भाई हिंदूओ के स्वयंभू ठेकेदार हम बता रहे कि आपको तकलीफ़ क्या है। आपकी शाखाओं मे कौंवे बोल रहे हैं। आपके बुलाये लोग एकत्रित नही हो रहे तो दूसरो के सर पर सवार होकर आपको अपना एजेंडा पूरा करना है। क्या मांग रहे है अन्ना हजारे देश हित के लिये कड़े कानून। क्या अहित हो जायेगा रे भाई इस कानून से हिंदूओ का। औरहिंदुओ का हित तो हिंदुस्तान की तरक्की में है की नही। यहां दूसरे धर्मो के लोग सुख शांती से रहे यही तो हमारा गौरव है सहिष्णुता ही हमारा तिलक है। और जो देश द्रोह का काम करे उसके लिये कानून है संविधान है। रिपोर्ट लिखाओ , पकड़ो कानून के हवाले करो।  हिंदूत्व का आंदोलन करना है, क्रांतीकारी बनना है तो बनो रे भाई कौन तुम्हारा खाकी चड्डा पकड़ के रोक रहा है। खड़ा करो अपना आंदोलन लोगो के सामने बात रखो उनको समझ मे आयेगा तो आपका समर्थन करेंगे। दूसरो के आंदोलन को खराब करने से कौन से शिवाजी बन जाओगे।"

दीपक संघी बोले -"हमे आप के जैसे क्षद्मनिरपेक्ष सिकुलर बिकाउ मिडिया के भांड, देश द्रोही लोगो की नसीहत नही चाहिये। हम अब इस देश में हिंदुत्व की लहर उठा कर रहेंगे और इस देश से आप जैसे लोगो को भगा कर रहेंगे।"
इतना कह दीपक बाबू पैर पटकते चल दिये और हम सिर खुजाते खड़े रह गये कि ये भाई लोग क्षद्म हिंदुत्व से ग्रसित हैं कि हमारे जैसे लोग हिंदूत्व की गलत व्याख्या कर रहे हैं। अब ये लोग गीता, वेद, शास्त्रो की व्याख्या पर बात करते ही नही करते। इनके मुद्दे  बटवारे के समय के हिंदुस्तान,  पाकिस्तान पर अटके हैं। गांधी मर गये, गोड़से मर गये। लेकिन ये भाई लोग है कि उस समय की सोच पर ही अटके है।

Tuesday, December 13, 2011

ये तेरा बिल ये मेरा बिल~ ~ ~ ~ ~ ~ ये बिल बहुत हसीन है


नुक्कड़ में चाय पीते पीते आसिफ़ भाई गीत गुनगुना उठे - " हमारी हसरतो का बिल, ये बिल बहुत हसीन है। " हमने टोका,   आसिफ़ भाई,  क्या भाभी के लिये लिपस्टिक पाउडर खरीद लाये हो,  जो उसका बिल  आपको हसीन लग रहा है। क्या बात है, बुढ़ापे में उलानबाटी खा रहे होआसिफ़ भाई भुनभुनाये, कहने लगे- "बीबी से बचने के लिये आदमी नुक्कड़ आता है, और आप हैं कि यहां भी याद दिला रहे हो उनकी "। हमने गलती मानते हुये पूछा- "  फ़िर ये कौन सा बिल है गाने में, जरा हमें भी बताईये।"


आसिफ़ भाई, फ़िर रूमानी अंदाज में आ गये- "मियां,  हम लोकपाल बिल की बात कर रहे थे।  एक बार यह आ जाये, फ़िर भारत में हर ओर ईमानदारी होगी,  कहीं रिश्वत न ली जायेगी।" हमने बीच में टोका- " आसिफ़ भाई हवा में मत उड़ो,  सारी पार्टियो को उस बिल में कमिया नजर आ रही है। और आप को  हरा ही हरा  नजर आ रहा है। इतने में दीपक भाजपाई कूद पड़े- "वाह दवे जी, आपने मेरे दिल की बात कह दी,  आसिफ़ भाई को हरा ही हरा नजर आता है।" हमने कहा- "हे स्वयंभू भगवा ठेकेदार,  यहां बात सावन के अंधे वाले हरेपन की हो रही है। और आ गये आप अपना एजेंडा लेकर। हां आसिफ़ भाई,  आप बतायें बिल का माजरा।"
आसिफ़ भाई मुस्कुरा उठे, गुनगुना उठे- "किसी को देखना हो अगर,  तो मांग ले मेरी नजर तेरी नजर"।  भाई नजर नजर का खेल है। हम लोगो को बिल हसीन नजर आ रहा है,  कि यह हमारे सपनो का भारत बनायेगा और ये पैसा खाउ कपटी नेता।  इन को सपने में भी ऐसा,  साफ़ सुथरा भारत नजर नही आ सकता।  इसीलिये इनको बिल मे खामिया नजर आ रही है।  और ये लोग तो आने जाने वाले हैं,  महान शक्तिशाली सिविल सर्विसेस के अधिकारियो को तो जिंदगी भर खाना है। ये क्यो अपने पैरो पर फ़रसा कुल्हाड़ी चलायेंगे । ऐसा ऐसा पैतरा बतायेंगे की नेता चाहे तो भी कर नही सकेंगे ।

प्रधानमंत्री को लाना और न लाना तो कोई मुख्य मुद्दा है ही नही,  जो ये लोग उछाल रहे हैं। मत लाओ भले प्रधानमंत्री को पर बाकी मुद्दे ज्यादा गंभीर है । लोकपाल का चुनाव निष्पक्ष तरीके से होना चाहिय॥  वह स्वतंत्र होना चाहिये । उसके पास दबावो से मुक्त स्वतंत्र जांच एजेंसी होनी चाहिये। ये मीडिया और सरकार तो इस पर चर्चा ही नही कर रही । लोकपाल कार्य करे कैग की तरह और मामले की सुनवाई करे सुप्रीम कोर्ट के तर्ज पर।  इन शर्तो के बिना लोकपाल नही धोखपाल बिल बनेग। और ये सरकार बनायेगी धोखपाल ही लोकपाल तभी बनेगा जब  जन सैलाब उमड़ पड़ेगा

 तभी सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने बीच मे टांग अड़ाई, कहने लगे- "हम तो नेक इरादो से आगे बढ़ रहे है। पर  दीपक भाजपाई को तो देखिये, अपने पत्ते ही नही खोल र्हे।"  दीपक भाजपाई मुस्कुरा कर बोले- "हमने तो आपसे शो मांग लिया है, आपको ही अपने पत्ते पहले दिखाने पड़ेंगे।" हमने कहा- "भाईयो, खेल लो जुआं जितना खेलना हो। पत्ते छुपाओ चाहे दिखाओ,  जो बोलना है बोलते रहो। हम तो संसद में कौन सा बिल आ रहा है उसका इंतजार कर रहे हैं । अगर वो बिल हमारी हसरतो का बिल न हुआ, फ़िर बात की जायेगी। यह गलत फ़हमी मत पालना कि धर्म के नाम पर,  पार्टी के नाम पर अब ये देश बटने वाला है । लोग  देख रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि कब अन्ना की आंधी उठेगी।"

" देश हित में आप भी सावधान रहें,  लोकतंत्र के सड़ चुके इस पेड़ की नयी जड़े, बरगद के समान जमीन तलाश ले और इस लोकतंत्र मे नव जीवन का संचार करे इसी मे देश का हित है। कहीं यह पेड़ उखड़ गया तो हमारा देश  कई दशको के लिये अराजकता और अंधकार में डूब जायेगा।" 

Friday, December 9, 2011

इदं अल्लाहाये स्वाहा इदं खुदाए स्वाहा


जनाब कुछ हुआ ऐसा कि हमारे मित्र डाक्टर अनवर धमाल खान ने एक लेख लिखा  कि श्रीराम मुसलमानों के लिये भी श्रद्धेय हैं। हालांकि आगे यह भी लिखा था की श्रीराम देवता नहीं महापुरूष थे, पर एक महापुरूष होने के कारण श्रीराम का सम्मान, हर मुसलमान का फ़र्ज है।  इतना पढ़ते ही हमारा दिल बाग बाग हो गया,  कि चलो कम से कम एक कदम तो आगे बढ़ाया। आज महापुरूष माना है, कल हो सकता है देवता भी मानने लगें। गोया कि हिंदुस्तान में हिंदू मुस्लिम एकता का एक नया आगाज हो रहा है। चुनाचे हमने भी सोचा भाई कि अब हिंदुओ को भी आगे  कदम बढ़ाना चाहिये।

हमने भी एक हिंदू मुस्लिम एकता यज्ञ का आयोजन किया। लाउड स्पीकर लगा कर  मंत्र पढ़ना शुरू हुये- "ओम अल्लाहाये नमः,  ओम खुदाये नमः,  अल्लाह आव्ह्यामि स्थापयामी।"  इतना सुनते ही,  डा. अनवर धमाल दौड़ते भागते आये, जोर से चिल्लाये- "दवे जी, खबरदार एक शब्द भी आगे कहा तो।"  हम हड़बड़ा गये,  पूछा-  "क्या हुआ भाई, क्यों भड़क रहे हो।"  वे गरजते बरसते बोले - " आपको पता नही कि इस्लाम में मूर्ती पूजा निषेध है।" हमने कहा- "भाई किसकी मूर्ती,  कैसी मूर्ती,  हमने तो कॊई मूर्ती नही रखी।"  अनवर धमाल साहब कोई मूर्ती न पाकर, थोड़े नरम पड़े - " फ़िर किसकी स्थापना कर रहे थे।"  हमने कहा- "किसी की नही, हम तो खुदा को याद  कर रहे थे। हमें तो पता है,  अल्लाह की तस्वीर या मूर्ती होती ही नही। वे तो हमारे निराकार ब्रम्ह की तरह ही हैं।"

डा. अनवर धमाल बोले -" चलिये अल्लाह को हर आदमी अपने तरीके से पुकार सकता है, आप करते रहें हमें कोई आपत्ती नही है।" अनवर साहब थोड़ी दूर भी न पहुंचे होंगे कि उन्हे लाउड स्पीकर पर हमारी आवाज सुनाई पड़ी- "इदं अल्लाये स्वाहा, इदं खुदाये स्वाहा।" फ़िर दौड़ते भागते वापस आये - "अब ये क्या नौटंकी है, आप खुदा को स्वाहा करके जलाने की बात कह रहे हो, मिस्त्र से लेकर इंडोनेशिया तक पूरे विश्व में आग लग जायेगी।" हमने कहा भाई - "खुदा को प्रसाद चढ़ा रहे हैं, अब अब आप हिंदू धर्म से ज्यादा परिचित नही हो न,  इसलिये आपको पता नही है कि हिंदू  भगवान को जो आहुती चढ़ाते हैं वह अग्नी मे डाल देते है और स्वाहा का उच्चारण करते है।" अनवर धमाल फ़िर भी न माने, बोले- " अल्लाह को यज्ञ में आहुती नही दी जा सकती।"  हमने कहा भाई हमने इस्लाम के विद्वानो से पूछ लिया है,  कुरान में कही भी यह नही लिखा है कि अल्लाह को यज्ञ में आहुती नही दी जा सकती। अब आप पता कर लो यदि कुछ मिल जाये तो हमे दिखा देना हम ऐसा करना बंद कर देंगे।"


अब साहब इधर अनवर धमाल कुरान पर रिसर्च करने गये नही,  कि उधर से संघ के सायबर एजेंट अनिल गुप्ता दौड़ते भागते आ गये- "क्या दिमाग खराब हो गया है दवे जी जो अल्लाह के नाम आहूती डाल,  यज्ञ की वेदी को भ्रष्ट कर रहे हो।" हमने कहा -"भाई कभी कुछ कहते हो कभी कुछ। आप ही ने कहा था कि नही कि जो हिंदुस्तान मे रहता है वो हिंदू। अब मुसलमान हिंदु हुये तो उनके खुदा भी हमारे खुदा हुये की नही। और भाई पहले ही तैतीस करोड़ देवी देवता हैं एक दो और बढ़ जायेंगे  तो आपका क्या जायेगा।" अब गुप्ता जी सकपका गये,  हमारी बात का जवाब देते न बना। हमने और चने के झाड़ में चढ़ाया- "गुरू सोचो तो,  पहले ही हिंदू राष्ट्र का इतना बड़ा वाला नक्शा बनाये हो। अफ़गानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया तक,  उसमे अरब और आफ़्रीका भी जुड़ जायेगा। फ़िर सब जगह भाजपा का राज होगा, आपकी दोनो उंगलिया घी में और सर कढ़ाही मे।" गुता जी शांत होकर चले गये तो हमने राहत की सांस ली। कहीं शांत न होते तो जेब मे रखा रॆडीमेड देश द्रोही का सर्टीफ़िकेट तड़ से चपका देते।"

इसके बाद हमने अपना यज्ञ फ़िर शुरू किया - " इदं खुदाये स्वाहा इदं अल्लाहे स्वाहा, इदं रामाए स्वाहा इदं ब्रह्मांए स्वाहा।" इतने में अनवर धमाल फ़िर दौड़ते भागते आ गये,  कलप कर बोले -"दवे जी बंद कीजिये।" हमने कहा- "अब क्या हो गया भाई हद है, बात बात में भड़कते हो।"  डा. अनवर धमाल बोले - "दवे जी अल्लाह के अलावा किसी की भी इबादत करना कुफ़्र है।" हमने पूछा - "कहां लिखा है भाई।"  उनका जवाब था कुरान में,  हमारे पूछने पर कि कुरान को कौन मानता है,  वे बोले मुसलमान।" हमने कहा भाई- " कुरान  पवित्र ग्रंध है, हम बहुत इज्जत करते हैं। लेकिन हम तो हिंदु है हिंदु विधी से पूजा करते हैं। हमारा मानना है कि ईश्वर,  अल्लाह एक ही हैं। सो हम अलग अलग नाम से पूजा कर रहे हैं, और  जबरदस्ती आपका पेट दुख रहा है।"

लेकिन अनवर धमाल साहब नही मानें,  उन्होने कह सुन कर हमारे खिलाफ़ फ़तवा जारी करवा दिया, कि दवेजी ने कुफ़्र किया है। उनको मारने वाले को एक करोड़ का इनाम। हम  फ़तवा जारी करने वाले मौलवी के पास पहुंचे, पूरा केस बताया कि भाई हमारी गलती इतनी ही है कि हमने अपने भगवानों के साथ खुदा की भी पूजा कर ली और हमने खुदाकी कोई तस्वीर या मूर्ती भी नही बनाई थी।" मौलवी ने अपनी दाढ़ी खुजाई - "  केवल सही तरीके से इबादत करने पर ही खुदा जन्नत अता फ़रमाता है,  और इबादत सहीं करो भी तो भी केवल नेक काम करने वालो पर ही खुदा की नेमत होती है।"  हमने कहा -" मौलवी जी हमे भले खुदा जन्नत न दे,  पर आप तो हमारा उपर का टिकट मत कटाओ।" मौलवी ने कहा - " पर ऐसा किया क्यों, जरूरत क्या थी।" हमने,  डा. अनवर धमाल खान से लेकर श्रीराम को महापुरूष बताने तक और हिंदू मुस्लिम एकता के हमारे द्वारा किये गये प्रयास की सारी कहानी बताई। मौलवी ठठा कर हंसा - "" अरे भाई आप किसके चक्कर में आ गये, वह तो लेख लिख लिख कर खुदा को प्रसन्न करना चाहता है, सोचता है कि जितने लोग उसको पढ़ेंगे जन्नत उसके उतना और नजदीक आते जायेगी। खैर अभी  फ़तवा वापस ले रहा हूं आगे ध्यान रखियेगा और ऐसे लोगो के चक्कर में मत फ़ंसियेगा।"


तो साहब हम तो ले दे कर बच गये आप डा.  अनवर धमाल खान  के चक्कर में फ़ंस कर इदं अल्लाए स्वाहा,  इदं खुदाए स्वाहा मत करने लगना कहीं लेने के देने न पड़ जाये।

Monday, December 5, 2011

मनमोहन सिंग वालमार्ट वाले हाजिर हो

अदालत खचाखच भरी हुयी थी,  मनमोहन सिंग  के उपर वालमार्ट कंपनी को भारत बुला कालू किराना वाले का व्यवसाय चौपट करने का संगीन आरोप था। कालू किराना वाले की तरफ़ से बाबा रामू उर्फ़ भाजपाई वकील थे। और मनमोहन सिंग की तरफ़ से स्वयं दवे जी।   भगवा कोट पहने बाबा रामू बोले - " माई लार्ड, ये मुकदमा किसी एक आदमी का नही है। देश के लाखो करोड़ो गरीब किसानो का है, व्यापारियों का है।  ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस देश को गुलाम बना लिया था। देश द्रोही ताकते आज वालमार्ट को लाने मे लगी है।

 हमने अपनी दलील दी- " माई लार्ड हमारे देश की कंपनिया भी दुसरे देशो में जाकर व्यापार कर रही है  ऐसे में हम किसी दूसरे देश की कंपनी को अपने यहा काम करने से कैसे रोक सकते हैं। हमारे मुवक्किल तो स्वयं जाने माने अर्थशास्त्री हैं सोच समझ कर ही काम करते हैं। बाबा रामू योग के गुरू है कि अर्थशास्त्र के , जब देखिये तब नया नया आरोप लगाते हैं।"

बाबा रामू खड़े हुये - " माई लार्ड मै ’बिकाउ’ माफ़ कीजियेगा,  काबिल वकील से पूछना चाहुंगा कि एक छोटी दुकान और वालमार्ट मे अंतर क्या है। वालमार्ट समान खुद बनवाता है और लाने ले जाने के लिये ट्रक भी खुद के रखता है, किसानो से सीधे माल लेता है। दवाई से लेकर दारू तक  सब एक ही छत के नीचे बेचता है।  वालमार्ट से मुकाबला करना किसी भारतीय दुकान वाले के औकात के बाहर होगा।   माई लार्ड यह भारत को बेरोजगार करने का कदम हैं।

हमने कहा - "माईलार्ड , मै ’भड़काउ’ माफ़ कीजियेगा, काबिल वकील  से पूछना चाहूंगा कि अगर भारत बेरोजगार हो जायेगा तो वालमार्ट माल बेचेगा किसको। आज भी थोक बाजार मे सब्जिया सस्ती मिलने के बावजूद, क्या लोग घर के सामने आये ठेले से माल नही लेते। माई लार्ड,  वाल मार्ट के आने से करोड़ो नयी नौकरियों का सृजन होगा, भारत में खुदरा बाजार में नयी तकनीक आयेगी और सामान की आसमान छूती कीमते मुह के बल नीचे गिर जायेगी। वालमार्ट का तो नारा ही सस्ता खरीदो सस्ता बेचो है। भारत मे किसान से उद्योग से पहले दलाल लेता है फ़िर वह माल होलसेलर को जाता है है फ़िर रिटेलर के पास जाता है। सब्जिया रखने के लिये कोल्ड स्टोर नही होने से बहुत सा माल खराब चला जाता है। बनाने वाले को दस रूपये मिलते हैं और खरीदने वाले को वह चीज पचास रूपये में पड़ती है। क्या हमारे देश की जनता महंगाई के बोझ से दबी रहे क्या सवा अरब लोगो को चीजे सस्ती पाने का अधिकार नही। "


बाबा रामू उछल कर खड़े हो गये - "माई लार्ड भारत में कोल्ड स्टोर नही है तो ये गलती कांग्रेस की है इतने सालो में क्यों नही बने।  सरकार खुद क्यो नही विपणन संघ बनाती, और चले इन कांग्रेसियों से नही होता तो क्यों नही भारत के उद्योगपति बड़े व्यापारी इस काम को करते, क्या जरूरत है विदेशियों की। पर नही इनको तो चंदा मिलना चाहिये बस देशी विदेशी से कोई फ़र्क नही पड़ता।  माई लार्ड, मैं आफ़ द रिकार्ड ये आरोप लगा रहा हूं कि जिन कांग्रेसियों की मम्मी ही विदेशी हो,  वो क्यों नही विदेशियो को मामा समझ कर बुलायेंगे।

हम विरोध में जोर से चिल्लाये - "माई लार्ड, ये लोग इतने साल सत्ता मे थे खुद कुछ क्यों नही किये। क्या हम मामाओं को बुलाते हैं का आरोप लगाने वाले ,जनता को मामू नही बनाते हैं। अरे करोड़ो भारतीय विदेश मे नौकरी कर रहे है धंधा कर रहे है, हम किसी बात पर अड़ जाये तो क्या उनको नही भगाया जा सकता कि भाई हम लोग स्वदेशी ही एलाउ करेंगे। माई लार्ड मै भी आफ़ द रिकार्ड आरोप लगाता हूं कि ये लोग गांधी जी का स्वदेशी चुराये, उस समय चश्मा भी चुरा लेते। तो इनको दिखता जनता महंगाई के बोझ से दबी हुयी है मुनाफ़ाखोर ऐश कर रहे हैं। और ये लोग बेकार मे जनहित के मामले मे क्षुद्र राजनीति कर रहे हैं।

बाबा रामू बोले - "माई लार्ड खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश  के दुष्परिणाम तो सोचिये।   वालमार्ट को विश्व के किसी भी भाग से कुछ भी आयात करने की छूट होगी। शराब से लेकर शर्बत तक, उसे पूरे विश्व में जहा सस्ता मिलेगा वहा से मंगायेगी। माई लार्ड पांच एकड़ खेत वाला कालू किसान किस तरह पांच हजार एकड़ वाले गोरे किसान से कीमतो में मुकाबिला कर पायेगा। हमारा उद्योग जगत भी हिल जायेगा, चीन की फ़ैट्रियों से माल खरीद खरीद कर भारत के बाजारो को पाट दिया जायेगा। माई लार्ड इस देश को गुलामी से और गरीबी से बचा लीजिये हुजूर वरना इतिहास आपको कभी माफ़ नही कर पायेगा।"


हमने खड़े होकर गंभीरता से कहा - " माई लार्ड , मै बाबा रामू की काबिलियत की दाद देना चांहूंगा। किस तरह इन्होने इस पूरे मामले को देश भक्ति से जोड़ कर,  इस केस  को संगीन बनाने की कोशिश की है।  बेस्ट प्राईस के नाम से पहले ही वालमार्ट देश में काम कर ही रहा है। जहा से होलसेल दर में व्यापारी माल खरीद रहे है।   रही बात उद्योगो की तो उन्हे मजबूरन होलसेल व्यापारियों को सस्ते दामो में माल बेचना पड़ता है।  ग्राहक को वही माल महंगा मिलता है।  भारत का पांच प्रतिशत व्यापारी वर्ग,  मुनाफ़ा कमाने के लिये मिलावट खोरी तक से बाज नही आता अनाज से लेकर दूध और सब्जियो के नाम पर हमें जहर दिया जाता है।   इतना सुनते ही जज साहब ने हामी मे सर हिलाया बोले- " मिलावट तो देश की सबसे बड़ी समस्या बन गयी है। खैर फ़िर भी अगर आप की सारी बाते सही हैं तो फ़िर काहे ये वकील साहब बाबा रामू और उनकी पार्टी इस का विरोध कर रहे हैं।"

हमने कहा - बाबा रामू की पार्टी है ही व्यापरियों की पार्टी, व्यापारियों के चंदे से ही न काम चलता है। और ये बाबा रामू तो निजी कारणॊ से मोटा मोटा तर्क दिये जा रहे हैं माई लार्ड। अब मुनाफ़ाखोर लोग ही न तेल घी खाकर चर्बी बढ़ाते है। हार्ट प्राब्लम, मोटापा, किडनी प्राब्लम ये लोगो को ही न होता है फ़िर महंगा महंगा टिकट कटा कर ये लोग ही न योगा सीखने जाते है। बात और भी है देखिये बाबा रामू गाय से गौ मूत्र लेते है। फ़िर वह जाता है होलसेलर के पास, वहा से रिटेलर के पास।  गाय द्वारा मुफ़्त मे दिया मूत्र, रोगी के पास पहुंचता है चार सौ  रूपये लीटर। अब  वालमार्ट सीधे गाय से लेगा, वहीं छान छून के पैक करके सीधे रोगी को खुद ही बेचेगा और रोगी को वह पड़ेगा बीस रूपये लीटर।

बाबा रामू उछल कर खड़े हो गये बोले - "माई लार्ड दवे जी उटपटांग तर्क देकर विदेशी लुटेरों को भारत मे लाना चाह रहे हैं।"हमने तड़ से कहा - "माई लार्ड ये बाबा रामू हर जगह उल्टा बात कहते हैं। अभी वालमार्ट नही है तो गला फ़ाड़ फ़ाड़ के कालाधन वापस लाओ का नारा लगा रहे हैं। अब वालमार्ट आ जायेगी तो कम से कम पता तो रहेगा कि पैसा विदेशी ले गया।  बाबा रामू कालाधन ले भी आयें तो पैसा सरकार के पास न रहेगा। खर्चा फ़िर नेता दलालों के जरिये न होगा। फ़िर छह महिने बाद बाबा रामू खड़े हो जायेंगे कि  कालाधन वापस लाओ। माई लार्ड मैं तो कहता हूं कि वालमार्ट आ जाने के बाद, कालाधन और महंगाई दोनो जड़ से गायब हो जायेंगे। अब ये नेता, व्यापारी धन तो बहुत है। पर करे क्या सब का सब काला है। रिटेल सेक्टर में निवेश के लिये वालमार्ट से सेटिंग कर वापस ला रहे है, तो ये बाबा रामू का पेट दुख रहा है।" 

माजरा समझ कर जज साहब ने तुरंत मुकदमा खारिज कर दिया। और बाबा को ताकीद की कि बाबा मार्टबना कर वे वालमार्ट का मुकाबला करें। 

Wednesday, November 30, 2011

ऐ भिखारी कौन प्रदेश का है रे






दिल्ली के व्यस्त इलाके में लालबत्ती पर एक कार रुकी। एक भिखारी एक करोड़ की कार के मालिक को खुदा द्वारा उपलब्ध कराया गया सुनहरा मौका मान तड़ से पहुंच गया । गाड़ी का शीशा नीचे हुआ अंदर स्वयं राहुल बाबा उर्फ़ अमूल बेबी बैठे हुये थे। भिखारी कातर स्वर में बोला - " अल्लाह के नाम पर दे दे बाबा।"  राहुल बाबा ने कहा -" भाई मै धर्म निरपेक्ष पार्टी का हूं, सो भगवान या अल्लाह के नाम से नही दे सकता।" भिखारी अचकचाया, अपने जीवन काल में उसने बहुत से टरकाउ देखे थे,  पर ऐसा अदभुत बहाना किसी ने नही बनाया था। खैर जो ढीठ न हो वो भिखारी कैसा सो उसने कहा -"जो चाहो उस नाम से दे दो बाबा, चाहो तो बिना नाम के भी दे दो।"  राहुल बाबा बोले - "भाई यह बताओ, कहां के रहने वाले हो।"


भिखारी बोला -" भारत का रहने वाला हूं बाबूजी और इंडिया में भीख मांगता हूं।"  तभी बाजू मे खड़ी कार से भगवा नेता चिल्लाया- " अरे निर्लज्ज हिंदुस्तान कहने मे क्या शर्म आती है  तुझे,  मुसलमान है क्या रे।" भिखारी हाथ जोड़ कर बोला- "बाबूजी बचपन से अनाथ हूं , जात का तो पता नही।"  भगवा नेता ने अफ़सोस जाहिर करते हुये कहा - "फ़िर तो तुझे भीख देना बड़ा मुश्किल है,  इसाई  भी होता तो घर वापसी अभियान के अंतर्गत तुझे मैं कुछ दे देता। चल एक काम कर वंदे मातरम और भारत माता की जय का नारा लगा दे,  मैं तुझे कुछ दे दूंगा।"  भिखारी बोला -"बाबूजी जय जय कार करने वाले नारे वे लगाते हैं जिनके पेट भरे होते है जिस देश मे बूढ़े और मासूम बच्चे भीख मांग कर गुजारा करते हैं,  उसकी जय तो मैं बिल्कुल नही करूंगा।


तभी राहुल बाबा ने दखल दिया - " यार तुम यूपी के होते तो मै कुछ कर सकता था।" तभी वहां पहुंचा दूसरा भिखारी बोले -"माई बाप, मै यूपी का हूं।" राहुल बाब प्रसन्न होकर बोले - "आपको पता नही है कि आपको भिखारी क्यों बनना पड़ा। हमने केंद्र से बहुत सा पैसा भेजा था कि आप फ़लो, फ़ूलो,  पर लखनउ में बैठी हथिनी उसे हजम कर जाती है।" दूसरा भिखारी बोला- " अब तो आप हमसे मिल गये हो माई बाप, यहीं दे दो।" राहुल बाबा बोले- "अगले चुनाव में, आप हमें वोट दीजियेगा। उसके बाद यूपी मे किसी को भीख मांगने की जरूरत नही पड़ेगी। अभी यूपी मे हमारा शासन नही है इसलिये हम आपकी मदद नही कर सकते।"  तभी एक तीसरा भिखारी चिल्लाया - " मै राजस्थान का हूं राहुल बाबा, मेरी मदद कर दीजिये , वहां आप ही की सरकार है।" राहुल बाबा बोले - " भाई मै यूपी का प्रभारी महासचिव हूं राजस्थान के बारे में कुछ नही कह सकता।"

तभी बाबा रामू पहुंच गये बोले - "भाई भिखारी,  एक बार हमारा आंदोलन सफ़ल हो जाये तो हम प्रमाणिकता के साथ गांव गांव को स्वर्ग बना देंगे, तीन सौ तीस लाख करोड़ आ जाये तो भारत वासियो के पास दुनिया भर के सुख होंगे। कोई गरीब न रहेगा, भारत वर्ष सुपर पावर बन जायेगा,  हम भारत को सोने की चिड़िया बना देंगे।" मुग्ध होकर भिखारी बोला- "बाबा फ़िर तो हमें कोई कमी न होगी पर यदि फ़िर भी कभी कभार भीख मांगने का दिल हुआ तो।" बाबा रामू बोले - "कालाधन आ जाने के बाद आपको कमी क्या होगी जो भीख मांगो। फ़िर भी दिल करे तो अपनी मर्सीडीज बेंज मे बैठ कर प्रमाणिकता के साथ भीख मांगना। दस हजार रूपये की भीख से कम जो दे आप उसे ही पांच हजार दे देना कि ले भाई मुझसे ज्यादा तुझे इसकी जरूरत है।"


तभी वहां एक हाथी आकर रुका, उस के उपर एक बहन जी बैठी हुयी थी। हाथी के आजू बाजू समर्थक नारे लगा रहे थे- "बाबा रामू शंख बजायेगा, हाथी दिल्ली जायेगा।" बहन हाथी पर से बोलीं-  "अरे भिखारी तू जरूर अगड़ा गरीब या पिछड़ा मुसलमान है।" हमने केंद्र सरकार से कह दिया है कि दलितो का तो हमने उद्धार कर दिया है, आप लोगो को भी आरक्षण दिया जाना चाहिये।" इसके अलावा हम एक के  चार राज्य बनवा रहे हैं। जब तक आरक्षण न मिले,  तब तक घूम घूम कर भीख मागने की सुविधा हो जायेगी। इस चिकने राहुल बाबा उर्फ़ बबलू के चक्कर में मत आना। यह गरीबो का मजाक उड़ाने ही आता है।  आप से हाथ मिला भी ले,  तो घर जाकर विदेशी साबुन से नहाता है। और बाबा रामू बोल भी चुके हैं कि इससे बेहतर प्रधानमंत्री मैं साबित होउंगी।"

तभी भाजपा नेता बीच में कूद पड़े  - "भाईयो ये राहुल बाबा वालमार्ट नामक विदेशी कंपनी को ला रहा है। उसके आने से हजारो दुकाने बंद हो जायेंगी। इसमे आपका कितना नुकसान है, हर दुकान से एक एक रूपया भीख भी मिलती तो हजारो रूपये हो जाते। और ये वालमार्ट वाला तो राहुल बाबा की तरह इसाई है, देगा नही। दे भी देगा तो हद से हद दस रूपये। सो इस राहुल बाबा के जाल मे न फ़सना, हमे ही वोट देना। इतने बड़े बड़े भिखारियों को देख कर गरीब भिखारियों का कलेजा कांप गया। आपस में मशवरा किया कि भाई इनसे कुछ मिलने वाला नही। हम तो पेट भरने के बाद दूसरो को दे भी देते हैं। इनका तो पेट ही नही भरता हमे क्या देंगे भला।

तभी मजमा जमा देख कर एक हवलदार आ गया बोला -" अरे भिखारियों तुम लोगो कितनी बार भगाता हूं फ़िर भीख मांगने पहुंच जाते हो शर्म नही आती। एक भिखारी ने जवाब दिया - "दरोगा जी जब हम जैसे बूढ़े और मासूम बच्चो को भीख मांगते देख हमारे देश वासियो को शर्म नही आती। तो हम तो लाचार हैं माई बाप , जीवन में कोई सहारा नही। और हम न रहें तो इन घूस खोरो मुनाफ़ाखोरों को इनके पापो से मुक्ति दिलाने का जरिया कौन बनेगा।  आखिर हमें  भीख देकर ही न ये लोग पुण्य कमाते और पाप काटते हैं।"


चलिये साहब ये तो चर्चा थी बड़े और छोटे भिखारियों के बीच,  ये भिखारी हमसे भी अकसर याचना करते हैं। देखियेगा कि कहीं पुण्य के चक्कर मे कोई पाप न हो जाये। 

Friday, November 25, 2011

चांटा लगाऽऽऽऽऽऽऽ~~~~~~~~ हाय रब्बा




एक केंद्रीय मंत्री,  आत्म मुग्ध से पत्रकारों को दुनिया भर के कठिन सवालो का जवाब देते चले जा रहे थे। उनके जवाब हालांकि बेहद सरल थे,  किसी को भी तड़ से समझ आ सकने वाले।  मसलन -"मै ज्योतिष नही हूं", "मामला कैबिनट मीटिंग मे तय होगा"। तभी अचानक एक तगड़े से सरदार, अपने मन्नू की तरह कमजोर नही, बल्की एक दम असरदार, ने दन्न से चांटा जड़ दिया। मंत्री जी पुराने चावल थे,  थोड़ा लखड़ाये जरूर लेकिन तुरंत संभल कर,  पूरे मामले को झटक कर आगे बढ़ गये।

मसला कैमरों में कैद हो चुका था। टीवी चैनलों पर एक ही तमाचा रूक रूक कर, खिंच खिंच कर तड़ातड़ पड़ता नजर आ रहा था। अब देखिये विभिन्न चैनलों मे नेताओ की प्रतिक्रियाएं और उसके बाद हमारे दिमाग में बजी घंटी।

पिटने वाले मंत्री जी - "हमे पता ही नही चला कि क्या हो गया, चेहरा घूम जाने के कारण केवल धक्का ही लगा"

हम - " हां भाई, हमको भी कहां पता चलता है। पांच रूपये किलो का टमाटर पचास रूपये हो जाता है, सौ रूपये फ़ुट की जमीन हजार रू हो जाती है। रही बात चांटे की,  वो तो सामने नजर आ ही रहा है,  कहां पड़ा,  कितनी जोर से पड़ा।"

वित्त मंत्री प्रणब दादा,  धिक्कारते हुये - "पता नही देश कहां जा रहा है।"

हम -"  बात तो सही है मंत्री जी, हमे भी नही पता कि देश कहां जा रहा है। पर इतना जरूर पता है,  ले जा आप ही लोग रहे हो।"

शरद यादव - " ये बात अच्छी नही है सांसद और नेता है तो देश चल रहा है। उनकी इज्जत होनी चाहिये,  हिंसा से नही अहिंसा से विरोध करना चाहिये "

हम - "वाह रे शरद बाबू, कलमाड़ी मामले मे तो संसद मे कह रहे थे कि देश की जनता उदासीन है जाग जायेगी तो पीटेगी होश ठिकाने ले आयेगी। अब जागरूक होकर पीट रही है तो पलटी मार रहे हो, खैर जो पलट न जाये वो नेता कैसा।"


राशिद अल्वी कांग्रेस प्रवक्ता - "यशवंत सिन्हा ने बयान दिया था कि लोग हिंसा पर उतारू हो सकते हैं। यह घटना उसी बयान का नतीजा है।"

हम - "अरे लालबुझक्कड़, इन भाजपाईयों के कहने पर ही जनता रोड में आती तो देश को बाबाओ की अन्नाओ की क्या जरूरत थी। ये लोग तो तुम्हारे ही चचेरे भाई है। बिना पौव्वा,चेपटी बाटॆ तो आडवानी की सभाओ में भी कौव्वे बोलते।"

यशवंत सिन्हा - यह हिंसा मेरे बयान से नही उपजी है, थप्पड़ मारने वाला मेरे बयान के पहले सुखराम को भी थप्पड़ मार चुका था।"

हम - "अरे बुड़बक यह न कहता कि हमने तो पहले ही चेता दिया था कि महंगाई  कम कर नही सकते तो कम से कम पिटने से बचने का इंतजाम कर लो।"

लालू यादव - यह अच्छा घटना नही न हुआ, डेम्होक्रेसी में गांधी बाबा के रास्ते पर चलना चाहिये, हिंसा नही होनी चाहिये।

हम - "हां लालू बाबू आपको सब से ज्यादा खतरा है, बाकी नेता तो अपना शहर छोड़ कही और छुप सकते है। हिंसा फ़ैली तो आपको देश का बच्चा बच्चा जानता है विदेशे भागने से जान बचेगा।"


खैर साहब यह तो इन लोगो की प्रतिक्रिया थी, लेकिन हमारी प्रतिक्रिया भी सही नही है। तमाचा मारना है तो हिंदुस्तानियो को पहला तमाचा खुद के मुंह पर मारना चाहिये। आखिर हम लोग ही न धर्म के नाम पर, जात के नाम पर, निजी फ़ायदे के हिसाब से या पैसा खाकर इन लोगो को सत्ता मे लाते हैं। कहावत भी है कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहा से होय। अभी चुनाव आयेगा तो कोई हिंदुओ को खतरा है का नारा लगाते एक को वोट देगा कोई मुसलमानो पर छाये कयामत के नाम पर दूसरे को वोट देगा। धर्म और जात से उपर उठ कर जब तक हम इमानदारी और विकास पर वोट नही देंगे तब तक यही भ्रष्टासुर राज करते रहेंगे।

Friday, November 18, 2011

भारत पाकिस्तान वार्ता में दवे जी

साहब हुआ कुछ ऐसा कि मनमोहन सिंग साहब ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री गिलानी साहब को शांती पुरूष करार दिया। बस क्या था पूरे देश में हल्ला मच गया। लोग पानी पी पी कर कोसने लगे, कोई प्रधानमंत्री की इज्जत अफ़जाई कर रहा था और कोई पाकिस्तान को लानते भेजने में लगा था। कांग्रेस पार्टी की गिरी हुयी टीआरपी अजमल कसाब के बराबर पहुंच गयी। आनन फ़ानन में कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक हुयी,  पाकिस्तान से अगली वार्ता सर पर थी और समस्या गंभीर थी। किसी ने सुझाव दिया कि भाई दवे जी नाम के एक फ़ोकटचंद सलाहकार हैं उनसे राय ली जाये।

बुलावा मिलते ही हम तड़ से पहुंच गये,  समस्या सुनकर हमने कहा - " आप हमे मुख्यवार्ताकार बना दीजिये हम मामला संभाल लेंगे।" कांग्रेस के मुंशी मैनेजर चढ़ बैठे - " इस अनुभव हीन आदमी को वार्ताकार बनाना, क्या बेवकूफ़ी की बात है,  इसे कूटनीती का क भी नही आता होगा।" हमने देश की प्रधानमम्मी से कहा - "मम्मी जी, ये सब इतने शिवाजी पाले हैं आपने,  क्या हालत कर दी है आपकी इन लोगो ने। आज शनी भगवान चाहें तो भी आपकी पार्टी की इससे ज्यादा दुर्गती नही कर सकते,  हमको मौका दीजिये हम सब संभाल लेंगे।"  लंबी जद्दोजहद के बाद हमारा नाम तय हुआ, हमारे नाम की घोषणा होते ही पत्रकारों ने हमे घेर लिया।

 एक ने पूछा - " इस बातचीत से आपकी क्या उम्मीदें हैं।"
हमने कहा - " पाकिस्तान से किसी बातचीत का कोई फ़ायदा नही।"
अचकचाये पत्रकार ने पूछा- " फ़िर आप बातचीत क्यों करने जा रहे हैं"
हमने कहा- " ताकि अमेरिका की आत्मा को शांती मिले "

हड़बड़ाये कॄष्णा साहब कोई दखल देते इसके पहले ही हमने अगली लाईन जड़ दी- " जब तक वार्ता में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष और आई एस आई प्रमुख न होंगे, हम पाकिस्तान से बात नहीं करेंगे। और अगर पाकिस्तान नही सुधरता तो हमें सुधारना भी आता है।"

हमारे इस बयान के बाद कांग्रेस मुख्यालय से लेकर अमेरिका तक  कूटनीतिक धमाका हो गया।  चारों ओर से दबाव पड़ने लगा,  प्रधानमम्मी पर उनके मुंशी मैनेजर चढ़ बैठे-  " देखा मम्मी जी, हम न कहते थे, आपने किसी भी  रोडछाप आदमी को वार्ताकार बनाकर भूल कर दी है।" भारी दबाव में आयी प्रधानमम्मी ने हमें फ़ोन लगाया - " दवे जी आप ने ये क्या कर दिया,  पहले ही हम इतनी मुसीबत में हैं और अब ये नया संकट आ खड़ा हुआ है।" हमने कहा - "मम्मी जी आप कल सुबह तक इंतजार करें, अभी आप तनाव न लीजिये।"

अगले दिन सुबह अखबारों की हेडलाईन -
टाईम्स आफ़ इंडिया - " भारत का मुंहतोड़ जवाब",   द हिंदू - " चौसठ साल बाद उठाया सही कदम",  दैनिक जागरण - "सकते में पाकिस्तान",  दैनिक भास्कर - "प्रधानमम्मी का सही कदम, इंदिरा गांधी की यादे ताजा"

राजनैतिक दलो के बयान
भाजपा-  "कमजोर प्रधानमम्मी ने देर से सही कदम उठाया"
कम्यूनिस्ट पार्टी - " अमेरिका के दबाव मे न आकर, हमें कदम पीछे नही खीचना चाहिये",
संघ - "प्रधान मम्मी के अगले कदम की प्रतीक्षा, साहस पूर्ण सही कदम"

विभिन्न देशों के बयान
अमेरिका - " भारत और पाकिस्तान की समस्या बातचीत और सामंजस्य से ही सुलझ सकती है"
ब्रिटेन   - "परमाणू शक्ति संपन्न देशो को संयम से आपसी संबंध सुधारने चाहिये"
चीन    - "चीन पाकिस्तान का अभिन्न मित्र है, संकट की घड़ी मे हम पाकिस्तान का पूरा साथ देंगे"

अगले दिन जब हम कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे तो मंजर बदला हुआ था। अपार जनसमर्थन से प्रधानमम्मी का चेहरा दमक रहा था और मुंशी मैनेजर दाये बायें झांक रहे थे। मन मार कर सबने हमे बधाई दी, विदेश मंत्री बार बार अमेरिका के और दुसरे देशो के पड़ते दबाव का जिक्र कर रहे थे। हमारी अमेरिका की विदेश मंत्री चची हिलेरी क्लिंटन से बात कराई गयी।  हम पर वे बरस पड़ी दो परमाणू संपंन्न देशो के बीच तनाव का अंजाम, दक्षिण पूर्व एशिया के हालातो की दुहाई देने लगीं। हमने उन्हे भरोसा दिलाया कि हम वार्ता को शांती पूर्ण तरीके से निपटायेंगे और वार्ता खत्म होते ही दोनो देशो के संबंध सुमधुर हो जायेंगे।

खैर साहब वार्ता तो होनी ही उसके बिना पाकिस्तान के दान दाता अमेरिका को चैन नही पड़ता। भारी दबाव के बीच मन मार कर पाकिस्तान  प्रतिनिधी मंडल भेजने को तैयार हुआ। हमने दुनिया भर के समुद्रतटों का फ़ोटू देख मारीशस चुना। जब हम एयरपोर्ट पहुंचे तो देखा विदेश मंत्री के साथ तीस चालीस अधिकारी भी झोला पकड़ जाने को रेडी थे। हमने कहा- " ये लोग क्या करेंगे भाई।" विदेश मंत्री जी बोले -"ये लोग अलग अलग मंत्रालयो से है।" हमने कहा- "दादा जी वहां इनका क्या काम, खाली दारू मुर्गा चबा के समुद्र तट मे सुंदरियों को ताड़ के लौट आयेंगे। इनकी जरूरत नही फ़ोकट देश का पैसा खराब होगा।"

विमानतल पर पत्रकारो ने हमसे पूछा - " दवे जी, बिना अधिकारियों के क्या बात होगी"

हमने कहा- " दॊ टूक बात करने के लिये अफ़सरो की फ़ौज नही चाहिये। हमारा संदेश छोटा और  साफ़ है , हरकतों से बाज आओ, आतंकवाद नही  शांती और विकास का रास्ता पकड़ो।"

उसके बाद हम लोग मारीशस पहुंचे,  हमसे पूछा गया कि पाकिस्तानी प्रतिनिधी मंडल में पहले किससे मुलाकात करना पसंद करेंगे । हमने तड़ से कहा- "हिना रब्बानी खर से।"  मुलाकात तय होते ही हमने सेंट परफ़्यूं छिड़का काला चश्मा लगाया और पहुंच गये हिना मैडम से मीठी मीठी बाते करने। मुलाकात भी हुयी, बाते भी हुयी, पर औरतों को भी अल्लाह ने गजब ताकत दी है, वे लंपटो को पहचान ही जाती हैं। खैर साहब, कहें क्या वार्ता के बाद हिना मैडम ने कॄष्णा साहब से हाथ भी मिलाया,  साथ फ़ोटॊ भी खिंचाई और हमें दूर से ही नमस्कार कर दिया। आप हमारे लिये दुखी न हों, हमे सुंदरियों द्वारा दूर से नमस्कार किये जाने की आदत सी हो चुकी है। विदेश मंत्री जी इसे अपनी कूटनीतिक विजय समझ रहे थे,  हमसे मुस्कुरा कर बोले- दवे जी कूटनितीक जगत में मंत्रियों की ही आपस में बात होती है।" हम जले भुने थे ही हमने कहा - "दादा जी ज्यादा  मत मुस्कुराओ,  नही तो मुह की सुपारी और दांत दोनो गिर जायेंगे।"

खैर साहब अगला दौर हमारे और पाकिस्तान की सेना के बीच था।  माहौल तनाव पूर्ण था, सेना प्रमुख जनरल कियानी और आईएसआई प्रमुख जनरल पाशा को हमने ब्लू लेवल व्हिस्की, कीमती सिगरेटॊ से लेकर चांदनी चौक की सोहन पापड़ी तक तमाम चीजे भेंट की। फ़िर हमने कहा - "गुरू,  क्यों न एक दो पैग शैग लगा लिये जाये।" दोनो जनरलों ने हमे विश्व के तीसरे अजूबे की तरह देखा। जनरल कियानी बोले- " हम पाकिस्तानी हैं, बातचीत होशो हवास में करते है।" हमने कहा- "जनरल साहब, बात शात क्या करनी जैसा चल रहा है चलने दो। हम तो बधाई देने आये हैं, वाह गुरू क्या चाल चली क्या फ़साया अमेरिका को अफ़गानिस्तान में, मान गये।" तारीफ़ सुन कर दोनो जरा ढीले हुये, आधे घंटे यहां वहां की बात होने के बाद हमने कहा- " यार जनरल साहब आपको जो करना है करते रहो और हम भी करते रहेंगे। पर ये चीजे कब और कहां करनी है इस पर तो समझौता हो सकता है की नही। " बात दोनो के भेजे में घुसने लगी- " पाशा साहब बोले-  "हां, इस पर बात हो सकती है, आप बतायें क्या चाहते हैं" हमने कहा -"भाई आप लोगो को राजनैतिक दलो को सत्ता से दूर रखना है और हम लोगो को विपक्षी पार्टियों को। धमाका तो हो पर वहां हो जो सरकार को नही,  विपक्ष को मुसीबत में डालने वाला हो।" इस विषय पर आगे तकनीकी चर्चा हुयी हमने केवल विपक्ष शासित प्रदेशो मे बम धमाका करने का प्रस्ताव पास करा लिया और पाकिस्तानियों की भी कुछ मांगे मान ली। ये बात भी तय हो गयी कि संबंध इस स्थिती से न सुधारना है न बिगाड़ना है। हमारी आड़ लेकर जनरल साहब अफ़गान बार्डर से फ़ौजें हटाने की धमकी देते रहें और अमेरिका से डालर वसूलते रहें और हम देश में देश भक्ति की हवा बहाकर और पाकिस्तान से लड़ाई का फ़िजां बनाकर तमाम मामलों से जनता का ध्यान हटा दें। आखिर मे जनरल कियानी बोले- "चलिये अब मीडिया के सामने कुछ अच्छी अच्छी बाते कर ली जायें।"

हमने कहा- "जनरल साहब, क्या किये कराये में पानी फ़ेरना है, ऐसा किया तो आप के यहां के हिंदू विरोधी चरम पंथी और हमारे यहां के मुस्लिम विरोधी चरम पंथी अपना अपना राजनैतिक एजेंडा लेकर पिल पड़ेंगे। और मीडिया भी कोसने को ही देश भक्ति मानती है ऐसा करने से अपने कुर्कमो का बोझ पत्रकारों के दिल से हल्का जो हो जाता है।" जनरल साहब बोले- "बात तो सही है, फ़िर किया क्या जाये।" हमने कहा- "करना ये है कि यहां से बाहर निकल कर एक दूसरे को कोसना है एक दूसरे के लिये धमकियां देनी है। आखिर में दुनिया भर से दबाव पड़ेगा तो दोनो फ़िर अगली वार्ता के लिये सहमत हो जाना है।"

जनरल कियानी मुस्कुराते हुये बोले- "मिया दवे जी, आप लालबहादुर शास्त्री के बाद दूसरे आदमी हो जिसे पाकिस्तान मे पैदा होने था, गजब खोपड़ी लगाई है भाई।" हमने कहा- "कियानी साहब, भाई कहा है तो हमारा एक काम करना होगा। जब फ़िर से वार्ता करने की बात पर सहमति बन जाये तो जरा हिना रब्बानी खर मैडम के साथ हाथ मिलाते और मुस्कुराते हुये हमारा एक फ़ोटॊ सेशन करवा दीजियेगा।"

चलिये मामला हमारे हिसाब से जम भी गया और हिना मैडम के साथ फ़ोटो सेशन भी हो ही गया। आप सोचते होंगे कि दवे जी हिना मैडम के  साथ फ़ोटो खिचाने को इतने आतुर क्यों तो साहब जब चौका बर्तन का बोझ ज्यादा हो जाये और और पति किसी सुंदरी के साथ खिंची अपनी फ़ोटो के सामने खड़ा नजर आये, तो सुना है बीबियां शौहर से  कुछ समय के लिये बड़ी मुहब्बत से पेश आती  हैं।

रही बात भारत पाकिस्तान संबंधो की, तो साहब इन बातचीतों से कुछ होना जाना नही है। मुद्दो को हल करने की इच्छा ही न हो तो राह निकल ही नही सकती। इच्छा हो भी जाये तो दोनो तरफ़ की मीडिया तिल का ताड़ बनाकर हर वार्ता को ढेर कर देती है। मीडिया साथ हो भी जाये तो दोनो तरफ़ के विपक्षी और पाकिस्तान के सेना इस दोस्ती मे सेंध लगाने से बाज नही आते। आखिर अपना हित देश के हित के आड़े जो आ जाता है। इसलिये इस बातचीत से हमने कम से कम देश की प्रधान मम्मी भला किया की नही।

Sunday, November 13, 2011

बाबा रामू का प्रवचन

एक दिन सुबह सुबह श्रीमती ने फ़रमाईश रख दी- " बाबा रामू आये हुये हैं,  आपको हमें प्रवचन में ले चलना होगा।  हमने कहा भी कि भाई आज कल बाबा रामू में पहले जैसे योग नही सिखाते है फ़ोकट राजनैतिक प्रवचन झेलना होगा" श्रीमति कहां मानती हमे ले जाकर ही दम लिया।

खैर बाबा का प्रवचन शुरू हुआ, बोले - "हम प्रमाणिकता के साथ आपकी बीमारियों को दूर भगा देंगे और विदेशों से कालाधन वापस ले आयेंगे।"  उसके बाद बाबा ने कपाल भाती सिखाना शुरू किया, बोले- " जोर से सांस खींचो।"  हमने सांस अंदर ली,  फ़िर बाबा बोल उठे- "कालाधन छोड़ो।" हमने कहा- " बाबा हम तो आपके कहे में केवल सांस अंदर किये हैं, अब कालाधन कैसे छोड़ें।"  बाबा बोले - " बेटा आप को सांस ही छोड़ना है कालाधन वाला बात तो हम कांग्रेसियों के लिये कह रहे थे।"

बाबा फ़िर शुरू हुये - " देश का तीन सौ तीस लाख करोड़ कालाधन विदेशो में जमा है। हम कानून बनवा कर इसे राष्ट्रीय संपंत्ती घोषित कर देश में वापस लायेंगे।   इस पैसे को हम बैंक में जमा करवा देंगे,  इससे हर साल तैतीस लाख करोड़ की आमदनी होगी।  इससे हम गांव गांव को स्वर्ग बना देंगे,  इस पैसे से हिंदुस्तान की हर सड़क पर दस मिमी मोटी सोने की परत चढ़ाई जा सकती है। गांव गांव में खादी बुनी जायेगी,  पंदरह करोड़ लोगो को इससे रोजगार मिलेगा।  पूरा विश्व भारत का बनाया कपड़ा ही पहनेगा।  गाय के गोबर से हम मीथेन गैस बनाकर इससे बिजली बनायेंगे फ़िर भारत को तेल आयात करने की जरूरत नही होगी।"

इतना सुनते सुनते हम सपनो में खो गये। बाबा देश के राष्ट्रपति और हम उनके प्रमुख सचिव बन गये। हमसे मिलने के लिये लोगो का ताता लग गया।  हर कोई शिकायत बताने और मांगे लेकर हमारे पास आ रहा था। एक प्रतिनिधी मंडल आया,  बोला - " साहब हमारे दलित गांव का गोबर,  पड़ोस के गांव के दबंग छीन कर सोसाईटी में बेच देते हैं।" हमने तुरंत आदेश जारी किया- "गायो के मालिको का हिसाब रखा जाये और नाथूराम गोड़से गोबर खरीद गारंटी मिशन के अंतर्गत चेक से सीधे मालिक के खाते में भुगतान हो।"


तभी विभिन्न देशों का के राजदूत मिलने आये, पाकिस्तान वाला बोला- "सर आपने हमसे कपास खरीदना क्यों बंद कर दिया है।" हमने कहा-  " पहले आतंकवाद बिल्कुल बंद होना चाहिये,  दाउद के जैसे तमाम आरोपी भारत को सौंपिये, उसके बाद आपसे कपास खरीदा जायेगा।" अगला दल यूरोप का था, आते ही गिड़गिड़ाने लगे- "माई माप,  सारे यूरोप का पैसा तो आप वापस ले गये हो।  हमारे यहां हाहाकार मचा हुआ है,  हमें कर्ज दीजिये वरना हम तबाह हो जायेंगे।"  हमने कहा- "अपना सोना गिरवी रखना होगा,  उसके अलावा ब्रिटेन के म्यूजियम में भारत  की जितनी ऐतिहासिक वस्तुयें हो, वो सब लौटानी होगी।  आखिरी शर्त लंदन के मुख्य मार्केट की सड़क हमारी होगी। उसमें बोर्ड लगा होगा- " ब्रिटिश एन्ड डाग्स नाट अलाउड।"

 इसके बाद अमेरिका के वैज्ञानिकों का दल था,  वे आते ही चढ़ बैठे-  "आप विश्व हित की टेक्नोलाजी को  छुपा  रहे हो।  आप वसुदैव कुटूंबकम की हिंदू संस्कृती भूल गये हो।"  हमने  पूछा- " भाई मामला क्या है।"  वे और भड़क गये- " आपके यहां गायें खुल्ला घूमती है,  उनके पीछे गोबर इकठ्ठा करने के लिये भागना पड़ता है। फ़िर भी आप उस गोबर से मीथेन गैस बना,  इंधन के मामले में आत्म निर्भर हो गये। और हम है कि दस हजार गायें एक एक फ़ार्म में पालते है,  सबका गोबर आटॊमेटिक एकत्र हो जाता है। फ़िर भी हम उसका उपयोग करने में असमर्थ हैं।" हमने कहा- " हम आपको गोबर की तकनीक विशेष शर्तो पर उपलब्ध करा सकते हैं।  इस तकनीक में काम आने वाला गौ मूत्र,  शुद्ध भारतीय होगा।  यह गोमूत्र आपको सौ रूपये प्रति लीटर पर खरीदना होगा।"  शर्ते सुन कर अमेरिकी जमीन में लोट गये बोले -" माई बाप पहले एक रूपये की कीमत पचास डालर हो गयी है,  हम ये बोझ और न सह पायेंगे।"  हमने इंकार में सर हिला दिया

अमरीकन बोले- " हम बाबा रामू से सीधे बात करेंगे।"  हमने कहा -" सौ देशो की खुफ़िया पुलिस बाबा रामू को खोज रही है कि उनके हाथ लग जायें तो उनके देश का भला हो जाये। इसलिये वे गुप्त स्थान पर रहते हैं,  आप नही मिल सकते।"  जाते जाते अमेरिकन भुनभुना रहे थे -" जितने आलतू फ़ालतू बाबा थे,  उनको हरे रामा हरे कृष्णा करने अमेरिका भेजते रहे और महान  बाबा रामू से मिलने तक नही देते हैं।"


तभी  भाजपा के गुड़गुड़ी साहब आ गये, बोले, "दवे जी चुनाव सर पर आ गया है,  देश में कोई समस्या ही नहीं बची है, जनता से कहें क्या?" हमने कहा - "कल ही वित्त मंत्री  कह रहे थे कि सारे विकास कार्य हो चुके हैं। जो बचे हैं, उनके लिये पैसा आबंटित हो चुका है। अब हर साल ब्याज के तैंतीस लाख करोड़ खर्च कहां करें? आप विश्व के सत्तर गरीब देशों की इस पैसे से मदद कीजिये।  फिर यूएन में उनकी सहायता से प्रस्ताव पारित करा लिया जायेगा कि चीन और पाकिस्तान भारत को जमीन वापस करें।  बिना लड़े जमीन वापस आ गई तो समझिये अगला चुनाव जीतना तय है।"  ।"  

प्रसन्न होकर गड़करी साहब निकले ही थे कि तभी तेल उत्पादक देशों (ओपेक) का दल आया। आते ही गिड़गिड़ाने लगे -" साहब कोई ऐसे आर्डर कैंसल करता है क्या भला।  आपने तो हमे कहीं का नही छोड़ा। " हमने कहा- भाई करे क्या अब कुछ काम ही नही रहा तेल का,  अब तो खाली परंपरा निभाने के लिये राष्ट्रपति पंदरह अगस्त को पेट्रोल  कार में बैठ कर समारोह में जाते हैं।"  बाकी देशों ने तो मन मसोस लिया, लेकिन अरब वाले पैरों में गिर गये- "माई बाप हमारे छोटे छोटे बच्चों पर तरस खाओ, साल मे कम से कम पांच टैंकर ले लो।" हमे याद आया, जब तेल बिकता था तो कैसे अकड़ते थे साले, हमने तुरंत लात जड़ी - "चलो भागो यहां से।"

तभी हमारा स्वप्न भंग हो गया।  देखा तो हमारे सामने बैठा श्रद्धालू मुंह के बल जमीन पर पड़ा था।  हमारी लात अरब राजदूत को नही,  उसे पड़ी थी। लोग भड़क गये,  हमें घेर लिया। तभी बाबा रामू ने बीच बचाव करते हुये पूछा- " क्या बेटा लात क्यों मारी।"  हमने  सफ़ाई दी- " बाबा आपकी बाते सुनकर हमे कांग्रेस पर इतना गुस्सा आया कि हम क्रोध में होश खो बैठे और गलती से लात चल गयी।"

 माफ़ी मांग हम प्रवचन से उठ तो आये। लेकिन कहे क्या,  आज तक मन कालेधन की वापसी की राह देख रहा है।  रोज भगवान से दुआ करते हैं कि बाबा को इतनी शक्ती दे कि बाबा कालाधन वापस ले आयें। गोबर से मीथेन गैस बना परमाणू संयंत्रो से, कोयल की राख से मुक्ती दिलवाये।  पूरा विश्व भारत का माल खरीदे पर भारत किसी देश का माल न ले।

Tuesday, November 8, 2011

हाय हिंदी हाय हिंदी हाय हाय

बार में भाई दीपक भाजपायी बियर का घूंट भरते हुये बोले- " यार हिंदी के गिरते स्तर से मैं बहुत दुखी हूं,  ऐसा ही चलता रहा तो हमारी मातृभाषा खत्म हो जायेगी।" बाजू में बैठे सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने भी सहमति में सर हिलाया, बोले - " मै दीपक जी की बात से सहमत हूं।" हमने दाये बायें देखा फ़िर उनसे कहा -" मियां गजब करते हो,  कोई सुन लेता तो जान जाता कि आप दोनो एक ही थैली के चट्टॆ बट्टे हो।" दोनो ने एक सुर में जवाब दिया- "देश हित के मामलों में हम एक हैं।" हमने कहा - "भई वाह, हम तुरंत जाकर तमिलनाडु, केरल, आंध्रा जैसे राज्यों में जाकर सूचना दे देते हैं कि अब से काम हिंदी में ही होगा।  संसद में इस बात पर दो तिहाई बहुमत हो गया है।" सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने तुरंत विरोध किया- " दवे जी, हमने हिंदी के स्तर को उपर उठाने की बात की है,  राज्यों मे हिंदी में काम करने की बात नही की है।"  हमने कहा - "मियां ये बात तुम्हारे बस में भी नही  है ,सिर्फ़ दीपक भाजपायी की पार्टी यह काम कर सकती है।"  सोहन शर्मा जी भड़क गये -" बोले आप साबित कर के बताओ।"

हमने कहा- "साबित कुछ नहीं करना है, ये लोग बोलते हैं कि जो भारत में रहता है वो हिंदू है, इसलिये जो भारत मे बोली जाती है वो हिंदी।  ये लोग मुस्लिम, इसाई, पारसी सब को हिंदू बोल सकते हैं तो कन्नड़, मलयाली और तमिल को भी हिंदी बोल सकते हैं। अब तो ये लोग हिंदू राष्ट्र का बड़ा वाला नक्शा भी बना लिये हैं। अब उर्दू, बर्मीस, थाई, सुमात्रन पता नही कितनी भाषायें हिंदी बन जायेगी। कांग्रेसी ऐसा उत्थान तो सौ जन्मो में भी नही कर सकते।" इतना सुन दीपक भाजपायी भड़क गये- " दवे जी बात हिंदी के उत्थान की हो रही है और क्या क्या बड़बड़ा रहे हो, मुद्दे पर की बात करो।"

हमने कहा-  "भाई मेरे, हिंदी संम्मेलन में आधे से उठकर दवे जी जैसे गरीब लेखकों को बियर पिलाने से तो हिंदी का उद्धार नही न होगा। हिंदी का उत्थान चाहते हो ये तो ठीक है, पर यह होगा कैसे यह बताओ।"  शर्मा जी बोले - " हमारी सरकार ने राज कार्य में हिंदी भाषा के प्रयोग के लिये बहुत कुछ किया है। हमारी प्यारी मम्मी ने तो इटली की होने के बावजूद हिंदी में भाषण देना सीख लिया है। आगे हम और जोर शोर से इस दिशा मे कार्य करेंगे।" हमने कहा- "शर्मा जी तुम तो रहने ही दो, साठ साल हो गये भाषण पिलाते। हिंदी की चिंदी हो गयी पर  आपकी बेशर्मी कम नही हुयी, फ़िर नया वादा करते हो, आप तो बस इतना कर दो स्विस बैंक मे किस किस के खाते हैं यह सूची हिंदी में जारी कर दो ताकि आम आदमी पढ़ सके।" दीपक भाजपायी प्रसन्न हो कर बोले -"सही कहा दवे जी हम लोग हिंदी की शुद्धी को वापस लायेंगे और हिंदी को हिंदुस्तान की शान बनायेंगे।" हमने कहा- " भाई तुम तो जाओ हिंद महासागर और अरब सागर के बीच दीवाल बनाओ पहले। दीपक भाजपायी बोले- "वो क्यों।"  हमने कहा- "भाई अरब सागर का पानी  हिंद महासाहर को दूषित कर रहा है कि नही और आप तो हिंदी, हिंदू ,हिंद इन से जुड़ी हर चीज के स्वयंभू रक्षक हो।"  दीपक भाजपायी बोले- "यार आप बियर पीने के बाद बहक जाते हो,  पता नही क्या क्या बोलने लगते हो।"


शर्मा जी ने बीच बचाव किया- "दवे जी बहस से क्या फ़ायदा, आप उपाय बताओ।" हमने कहा - "भाई किसी भी भाषा  का स्तर तभी उपर उठता है, जब उसमे नित नयी नयी उतकृष्ठ रचनाओ का निर्माण होता है। जिसे पढ़ने मे आम आदमी की रूचि जागती है। इस रूची से भाषा की मात्राओं और व्याकरण से भी आम आदमी परिचित होता है। दूसरी ओर भाषा तभी संमृद्ध होती है जब उसमें दूसरी भाषाओं के रोचक और वैज्ञानिक शब्दो का समावेश होता है। अब इसको भाषा का असमृद्ध होना बोलेगे तो फ़िर वही,  एक से एक कठिन शब्द जैसे रुद्धोष्म भित्ति, वेफशिकात्वीय तरंगें  का निर्माण करोगे। अव्वल तो विद्यार्थी इसका शब्दार्थ नही निकाल सकता सो रटन्तु विद्या का सहारा लेगा। और कालेज पहुंच गया तो फ़िर चारो खाने चित्त फ़िर अंग्रेजी के शब्द को समझो रटो और स्कूल मे पढ़े ज्ञान को कालेज की पढ़ाई से कनेक्ट नही कर सकता। सो मियां अगर हिंदी को समृद्ध बनाना है तो लेखको कवियों की पेट पूजा का ध्यान रखना होगा, उन्हे सम्मान देना होगा। ये नही कि लेख लिखा और अखबार वाले ने दो सौ रूपये पकड़ा दिया।"

दीपक भाजपायी ने टांग अड़ाई - दवे जी अब आप तो यह भी कह दोगे कि उर्दू के शब्द भी मिला दो आप तो हो ही क्षद्म  धर्मनिर्पेक्ष।  मौका मिला नही और पहुंच गये मुसलमानो को खुश करने।" हमने कहा- क्यों मिया उर्दू पैगंबर साहब ने बनाई थी कि मदीने में बैठ कर किसी ने लिखी थी।  भाई भाषा तो वही है, उसको पाकिस्तान में उर्दू बोले या हिंदुस्तान में हिंदी। पाकिस्तान के चैनल देखे होते तो पता चलता कि वहां प्रयोग होने वाले आधे शब्द हिंदी के हैं। भाषा बनाई नही जाती जनमानस जो बोलता है वह बन जाती है उसमे सुधार साहित्यिक कृतियों से ही होता है, गायन से होता है। जगजीत सिंग को हिंदी सुर सम्राट कहते है कि उर्दू सुर सम्राट।  हिंदी फ़िल्में नही होती तो आज भी आधा देश हिंदी का ह नही जानता।"

बात रिश्वत की तरह दीपक भाजपायी और सोहन कांग्रेसी के दिल मे प्रवेश कर गयी। दोनो फ़िर एक सुर में बोले - "दवे जी आपका कहना सही है। हम दोनो मिल कर इस दिशा मे प्रयास करेंगे।" हमने कहा- " वाह रे कलयुग के कालिदासों, जिस  डंगाल में खड़े हो उसे ही काट दोगे।" दोनो चट्टे बट्टॆ हैरानी से हमारी ओर देखने लगे, हमने समझाया- "भाई लेखकों का पेट भर जायेगा तो  सामाजिक विषमता, भ्रष्टाचार, धर्म के नाम पर राजनीति, देश के संसाधनो की लूट इन पर लेखो की बाढ़ आ जायेगी, लोग पढ़ेंगे तो जाग जायेंगे। मियां फ़िर देश की जनता आप लोगो को पीटेगी,  होश ठिकाने ले आयेगी,  सारी नेतागिरी उड़न छू हो जायेगी।"

दोनो भाई सतर्क हो गये- "बात तो आप सही कह रहे हो दवे जी, तो किया क्या जाये।"  हमने कहा- करना क्या है भाई, सोहन बाबू आप बाबा ठग, अन्ना के साथी भ्रष्ट छपवाते रहो और दीपक बाबू तो लगे ही है नेहरू का दादा मुसलमान था,  लव जिहाद चल रहा है, हिंदू धर्म पर मंडराते खतरे। बस चैन की बंसी बजाते रहो और हाय हिंदी हाय हिंदी गाते रहो। जब मन ज्यादा दुखी हो जाये तो हमारे जैसे गरीब लेखको को कुछ खिला पिला दिया करो मन का बोझ भी हल्का हो जायेगा और स्विस बैंक का खाता भारी का भारी रहा आयेगा।"

Thursday, November 3, 2011

दवे जी और जन्नत की 72 हूरें (अप्सरायें)

रात को सोते समय श्रीमती ने पूछ लिया - "क्यों जी आपको स्वर्ग में 72  हूरें मिल जायेंगी तो आप क्या करोगे"। हमने कहा - " बिल्कुल आपकी तरह दिखती होंगी तो ठीक वरना हम लौटा देंगे।"  श्रीमति प्रसन्न होकर सो गयीं और हम भी नींद के आगोश मे चले गये।"  सपने में हमने देखा कि हम अस्पताल में भर्ती हैं और हमें स्व. श्रीलाल शुक्ल जी की तरह ज्ञानपीठ पुरुस्कार  देने स्वयं राज्यपाल आये हैं। हमें तभी अंदर से सदबुद्धी ने टोका- " तुझे कहीं पुरूस्कार मिल सकता है रे बुड़बक।" हमनें जवाब दिया- " मियां जिस तरह पुरूस्कारों का स्तर गिर रहा है, हमारे बुढ़ाते तक ज्ञानपीठ पुरुस्कार  भी ऐरे गैरों को मिलने लगेगा।" खैर साहब फ़िर हम  सपने में टपक गये और सीधा स्वर्ग या कहें जन्नत के दरवाजे में पहुंचे।

वहां एक पंडित टाईप और एक मौलवी टाईप द्वारपाल खड़े थे। हमसे पूछा गया कि हिंदू हो या मुसलमान। हमें तत्काल 72 हूरों की बात याद आयी, चूंकि हम ब्राह्मण हैं और वेद पुराण भी बांची है। तो हमे हमे पता था कि अप्सराओं का जिक्र तो है, पर कितनी मिलेंगी इसकी कोई गारंटी नही दी गयी है। सो हमने मुसलमान वाला आप्शन चुना। मौलवी द्वारपाल ने हमारा हिसाब निकाला, बड़े गौर से पढ़ने लगा कि हमे जन्नत अता की जाये या दोजख में धकेल दिया जाये। आखिर में उसने घोषणा की - " वैसे तो जनाब व्यंग्यकार थे और जो लिखा उससे लोग जले भुने ही हैं और नेकी का कोई काम भी नही किया है। पर कर्तव्य की सीमा से आगे बढ़ कर खतरनाक बीबी की मौजूदगी के बावजूद, तहे दिल से घर का झाड़ू, पोछा, बर्तन, चौका करने और बीबी की झिड़कियों को सुनने के बावजूद इसने इसका दोष कभी अल्लाह को न दिया। हर दम अपनी बेवकूफ़ी को ही कोसता रहा। गोया इसे दोजख में मिलने वाले सारे दंड जमीन पर ही मिल चुके है। इसलिये इस इंसान को जन्न्त अता फ़रमाई जाती है।"

 हमें जन्नत के अंदर ले जाया गया और द्वारपाल ने 72 हूरों को बुलवाया और उनसे कहा लो जन्नत का मजा अब ये तुम्हारे हवाले।  हम सकपकाये कहा- " हुजूर जन्नत का मजा लेने हम आये हैं कि ये हूरें।  द्वारपाल ने ठहाका लगाया - "बड़े व्यंग्यकार बने फ़िरते थे मियां, हम तो मजाक कर रहे थे और आप हैं कि घबरा गये।"

खैर साहब द्वारपाल ने बुरका पहनी हूरों को हमारे हवाले किया। हमने कहा- हुजूर जन्नत में भी बुरका। " द्वारपाल बोला- "आदमी को 72  मिलें या 72 सौ, मन तो उसका भरता नही और जन्न्त में परायी औरत पर नजर टिकी नही कि सीधे दोजख मे डाल दिया जाता है। सो आप जैसे लंपट जन्नत का मजा ले सके इसलिये ये सावधनी बरती गयी है।  द्वारपाल के जाने के बाद हम नर्विसिया गये, मुसलमान होते तो कम से कम चार को संभालने  का अनुभव होता यहा तो हम एक भी ठीक से हैंडल न कर पाये थे और अब मामला 72  को संभालने का था।

हमने सोचा जब जन्न्त में ही रहना है तो जल्दबाजी कैसी,  जरा टहल लिया जाये। सो हमने 71 हूरों से अलग अलग तरह के पकवान बनाने को कहा और एक को साथ ले निकल पड़े। सैर के दौरान  हमने हूर से गुजारिश की- " बेगम जरा अपना चेहरा तो दिखाओं।"  हूर ने सकुचाई सी मीठी आवाज में कहा- " हम केवल हरम में बुरका हटा सकते हैं बाकी जगह पाबंदी है"।  हमने सोचा,  खामखा हड़बड़ी की तो जमीन की बेगम की तरह इन बेगमो पर भी हमारा गलत इंप्रेशन पड़ जायेगा।  एक बार इज्जत गवांई तो चौका बर्तन ही नसीब होता है इस बात का हमे अनुभव था ही।

घूमते घूमते हमें एक और जन्नत नशीं सज्जन मिलें, वे पूरे काफ़िले साथ थे। दुआ सलाम हुयी, हमने  कोने में लेकर पूछा- "72 बेगमों को हैंडल कैसे किया जाये, आपने अलग अलग दिन बांधे है कि कोई और व्यवस्था की है।" वे हसने लगे बोले - "मियां अब आप जमीन पर नही जन्नत में हो, यहां ये नही कि दस पराठे खाये और पेट भर गया चाहो तो हजार खा लो।" हमने सोचा ये बात तो अपने भेजे में आयी ही न थी। खुदा ने 72  हूरें दी है तो सोच समझ कर ही न जन्नत आखिर जन्नत कहलाती किसलिये है। हमने सज्जन से हंसी खुशी विदा ली और हूर से कहा अब हम हरम में आराम करना चाहेंगे।


हरम पहुंच कर, बड़े चाव से हमने पकवानों का मदिरा का जी भर आनंद लिया। अब आप ये मत सोच लेना कि चाहे सौ पैग पिये और चढ़ी नह॥ चढ़ी पर बस इतनी कि सुरूर आ जाये,  उसके बाद हमने बत्तियां बुझाने का आर्डर फ़रमाया। फ़िर हुआ क्या ये तो न बता पायेंगे पर तत्काल हरम से दौड़ते भागते हम द्वारपाल के पास पहुंचे। द्वारपाल ने पूछा- क्या हुआ मियां, खैरियत तो है।  हमने कहा - " हुजूर आपसे गड़बड़ हो गयी वो हूर तो हैं पर हूर नही है" द्वारपाल बोला - "मियां हूर तो हैं पर हूर नही है ये क्या कह रहे हो। " हमने फ़ुसफ़ुसाकर कान में कहा- " हुजूर जो हूर आपने दी हैं वो न तो खातून है और न ही मर्द।" द्वारपाल हसने लगा - "मियां और तुम खुद क्या हो ये तो देखो।" हमने देखा तो हम और बौखला गये, हम भी उन खातूनों की तरह बीच का मामला बन चुके थे।

हम द्वारपाल के सामने मिमियाये - "हुजुर, कम से कम हम को तो ठीक कर दो।" द्वारपाल और जोर से हंसा- "मियां तुम अभी तक जमीन मामलो में अटके हो,  मरने के बाद तो रूह ही जन्नत में आती है शरीर थोड़ी न आता है।  रूह तो न आदमी होती है और न औरत, वो तो मां के पेट  अल्लाह उसे आदमी और औरत में तक्सीम कर देता है।"

हमने पूछा- " फ़िर उन हूरों का क्या करें।" द्वारपाल बोला - "अबे रूह हो, रुहानी मजा लो।" हम गुस्से में आ कर जन्नत के बाहर भागने लगे तो द्वारपाल ने पकड़ा- " अब कहा जा रहे हो तुम।" हमने कहा- " उस धोखेबाज, कमीनी तस्लीमा नसरीन को पीटने। खामखा लोगो को बरगलाती है कि आदमी है तो जन्नत में हूरो के साथ  ऐश करेगा और औरत हो तो जमीन में ही ऐश कर लो।"


तभी हमारी आंख खुली तो हमारा बेटा हमें झकजोर रहा था - " पापा उठो किसको धोखेबाज, कमीनी कह के नींद में चिल्ला रहे हो।" तभी पीछे से श्रीमती की आवाज गूंजी - " रहने दे बेटा, कल हूर की बात की थी तो सपने में किसी हूर के पास पहुंच गये होंगे, उसने भगाया होगा तो बड़बड़ा रहे हैं।" खैर साहब हमने राहत की सांस ली कि जिंदा भी है और 72 हूरें न सही, हमारी रग रग पहचानने वाली श्रीमती तो है। और उनके रहते हमारा जन्नत जाना तय है यह तो आप अब तक जान ही चुके होंगे।

Tuesday, November 1, 2011

डा. अनवर धमाल खान की आत्महत्या

अपने चुन्नु भाई ब्लाग जगत में गुस्साये घूम रहे थे हमने पूछ लिया - " क्या हुआ चुन्नू भाई सब खैरियत तो है।" वे भड़क गये, बोले -" दवे जी पिछले साल छह लाख लोगो ने आत्म हत्या कर ली। ये बेगैरत और मर जाता तो कितना अच्छा होता।" हमने कहा - " मियां बात साफ़ करो कौन मर जाता, क्यों मर जाता।" चुन्नू भाई बोले - "अरे यही मुआ अनवर धमाल, दिन रात हमारे धर्म के लिये अनाप शनाप लेख लिखता है।"  हमने कहा- "यार सुनो इस तरह किसी के आत्महत्या करने की बात सोचना अच्छी बात नही और ये अनवर धमाल तो बड़ा खतरनाक आदमी है। अभी तड़ से पोस्ट लगा देगा "हिंदू दूसरों के आत्महत्या की बात सोचते हैं" खामखा आपके कारण पूरी हिंदू कौम बदनाम हो जायेगी।" चुन्नू भाई भड़के हुये थे बोले - " चाहे जो हो जाये दवे जी, हम अपना स्टैंड नही बदलेंगे। ये तो अपने आप को उच्च शिक्षित भी कहता है और यह भी कहता है कि उच्च शिक्षा पाने वाले आत्म हत्या कर लेते हैं।" हमने उनको याद दिलाया - " उनके अनुसार वो बात केवल हिंदूओं पर लागू होती है।" चुन्नू भाई बोले - " अरे दवे जी आप भी क्या बात कहते हो,  क्या मुस्लिम आत्महत्या नही करते और नही भी करते हों तो इसको तो हम ही निपटा देंगे।"

हमने कहा - " चुन्नू भाई आप जरूर आईएसआई के एजेंट हो वरना अनवर धमाल के बारे में ऐसी बाते न करते।" चुन्नू भाई भड़क गये- " आपका दिमाग तो खराब नही हो गया हम और पाकिस्तानी एजेंट हम तो कट्टर हिंदूवादी आदमी है भाई।" हमने कहा- " कटटर हिंदूवादी होते तो कभी ऐसी बात नही करते। अपने इतने काम के आदमी कोई मारता है भला।" चुन्नू  जी सकपकाये बोले - " दवे जी, तबीयत तो ठीक है, कैसी बहकी बहकी बाते कर रहे हो।" हमने कहा - " हम बिल्कुल ठीक है भाई, आप मामला नही समझते हो। देखो कट्टरहिंदू वादी साठ सालों से कलम घिसते घिसते थक गये कि मुसलमान हिंदूओं के दुश्मन हैं, बटवारे में हिंदूओ के साथ ऐसा हुआ था, फ़लां जगह वैसा हो रहा है, देश में लव जिहाद चल रहा है। पर ये लोग भारत में हिंदू मुस्लिम एकता को नही तोड़ पाये। अब इस अनवर धमाल के एक एक लेख से सैकड़ो हिंदू मुसलमानों से नफ़रत करने लगते है। मियां अगर कट्टर हिंदू हो और मुसलमानों के खिलाफ़ देश मे आक्रोश खड़ा करना चाहते हो तो अनवर धमाल जैसे लेखकों को खोजो, पालो और इनके लेख अखबारों मे पैसा देकर छपवाओ। फ़िर देखो कैसे देश में नफ़रत की आग भड़क उठती है।" चुन्नू भाई बोले - "नही भाई हम भी देश मे प्रेम और सदभाव का वातावरण चाहते हैं, हमें देश मे आग नही लगानी।"  हमने कहा- " भाई, अगर आप शांती चाहते हो तो फ़िर उन लेखकों को भी रोकना होगा जो मुसलमानो और इस्लाम के बारे में दुष्प्रचार करते हैं। क्योंकि वे लोग भी आईएसआई के एजेंट हैं और देश के मुसलमानों को भड़का कर देश में अशांती लाना चाहते हैं।"

चुन्नू भाई बोले -" उनका विरोध तो हम कर लेंगे पर इस अनवर धमाल का क्या करें इसके लेख हमको भड़का देते हैं।" हमने कहा - " भाई आप ही लोग तो हो जो ऐसे मूर्खों के ब्लाग पर जा जा कर टिप्पणी देते हो और इनके ब्लाग चर्चित की सूची में टाप पर आ जाते हैं। आप लोग ऐसे लोगो को पढ़ो ही ना, टिप्पणी ही न करो तो चार घंटे में इनका लेख कहां गायब हो जाये मालूम ही न पड़े।  फ़िर भी मन नही माने तो ऐसे लोगो इमेल के जरिये अपनी भावनाएं पहुंचा दिया करो पर ऐसे लोगो के ब्लाग पर टिप्पणी कभी मत करो।" चुन्नू भाई प्रसन्न होकर बोले - " वाह दवे जी आपने तो जबरदस्त आईडिया दिया है मन प्रसन्न हो गया।" हमने कहा- " मियां, मन प्रसन्न हो गया तो फ़टाफ़ट हमारे ब्लाग पर टिप्पणी चिपका आओ "।


खैर साहब बात तो थी चुन्नू भाई की पर लागू हम सब पर होती है। और बात सिर्फ़ ऐसे लोगो के ब्लाग पर टिप्पणी न करने पर ही खत्म नही होती है। ये लोग तो सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिये ऐसा लेखन करते हैं। हम सब को  किसी भी धर्म, जाति, संप्रदाय को आहत करने वाला लेखन नही करना चाहिये । कुरान में उल्लेख है कि " किसी के खुदा को बुरा मत कहो कि वह तुम्हारे खुदा को बुरा कहेगा।" जाहिर है सम्मान देने से ही मिलता है। इतिहास में क्या हो चुका है यह हमारे हाथ में नही है पर भविष्य हम खुद बना सकते हैं।  

Monday, October 24, 2011

ट्रेन टू पाकिस्तान

दोस्तों

मैने एक नया ब्लाग बनाया है,  जिसमे पाकिस्तान में घट रही घटनाओं पर सतत जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास रहेगा। इस ब्लाग  में मेरी कोशिश रहेगी कि आप  सभी को पाकिस्तान मे चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दूं। मेरे शुरूवाती लेख ही देश के प्रमुख अखबारों मे शाया हुये हैं। इसका मतलब तो साफ़ ही है कि ब्लाग जगत भी  समाचार जगत पर अब गहरा प्रभाव डाल रहा है।

पाकिस्तान- अपने बनाये जाल में फ़ंसा देश  



यह लेख पाकिस्तान की उलझन और भविष्य पर आधारित है


आपका ही

अरूणेश सी दवे



 

 

 




 

Friday, October 21, 2011

मुस्लिम युवा आत्मह्त्या नही करते ~~~~हिंदू युवा ही क्यों करते है

मियां बात ऐसी है कि आज अनवर जमाल साहब की पोस्ट "क्यों मर रहे हैं उच्च शिक्षित हिंदू युवा।"  पढ़ते ही दिमाग झनझना गया। संघ का तो कोई आदमी जवाब क्या देता, वो तो बेचारे "हम अन्ना के समर्थन में हूं" में व्यस्त हैं। और कांग्रेस अन्ना वादियों को चोर साबित करने में। अब अनवर जमाल साहब ने लेख लिखा और उनके जैसे महानतम सर्वधर्मी विद्वान के लेख पर अगर प्रतिक्रिया न आये तो समझिये कि यह उनका अपमान है। खैर अपमान करने वाले हम सभी का मुफ़्त में अपमान कर ही देते हैं।  वो तो भला हो  कि टिप्पणी में कुछ फ़ंदा लगाया है,  वरना लेखकों की इज्जत उतारना आसान सा काम है। किसी ने लिखने में दिन लगाया और किसी ने इज्जत उतारने में सिर्फ़ "अमां इस गवांर को लेखक किसने बनाया"  लिख दिया और लेखक गया तेल लेने।

खैर हम साहब हिंदू है सो पहली चिंता तो यह हुयी कि हिंदू युवा क्यों मर रहे हैं। दूसरे हमारे बच्चे पढ़ लिख कर उच्च शिक्षित बनें ऐसी हम रोज भगवान से  दुआयें करते हैं। सो हमने लेख खोला.  उसमे लिखा तो कुछ न था, खाली एक उच्च शिक्षित हिंदू युवा के आत्म हत्या की खबर थी। हमारा दिल धड़का कि मियां जब कुछ कहा ही नही,  दिग्विजय सिंग टाईप खाली फ़ोकट लोगो का ध्यान खींचने के लिये हेडिंग लगा दी तो हम जवाब दें क्या। हमारा हाल लगभग अन्ना की तरह हो गया और जमाल साहब हेडिंग लगा कर दिग्विजय सिंग की तरह मजा ले रहे थे। खैर हमने दिमाग लगाया कि हिंदू उच्च शिक्षित युवा ही आत्म हत्या करते हैं और मुस्लिम उच्च शिक्षित युवा नही करते । इसका जवाब या तो कुरान मे मिलेगा या वेदों में,  वेद्कुरान ब्लागस्पाट में तो खैर नही मिल सकता कि मियां जमाल साहब ही चलाते हैं और उन्हे मालूम होता तो वे यह सवाल उठाते ही क्यों।


सो हमने एक इसाई को खोजा कि भाई ये आदमी  मामले को सुलझायेगा। सो पीटर से हमने पूछा- कि साहब फ़र्क क्या है।"  वे बोले- "भाई हिंदू खुद मरता है और मुसलमान सबको ले मरता है।" हमने कहा- " भाई बात विस्तार से कहो।"  वे बोले- " मुसलमान को जब दुनिया से निराशा होती है तो चला जाता है मौलवी के पास। मौलवी न केवल उसे जन्नत नशीं होने का सर्टीफ़िकेट देता है बल्की,  उसके खानदान वालों को पैसे भी देता है बशर्ते कि ऐसा आत्मह्त्या करने वाला इस्लाम के लिये मारने जा रहा हूं का वीडियो खिंचवा ले और आत्म घाती हमला कर दे।"

अब साहब अमेरिका का पाकिस्तान से संबंध टूट चुका है और बेगम हिलेरी कल पाकिस्तान भी आ रही है कि आतंकवाद को रोको वरना अमेरिका पाकिस्तान पर हमला कर देगा । सो हमने सोचा कि इसाईयों की बात सुनना आज सही नही,  बेचारे पाकिस्तान और मुस्लिम भाईयों को पहले जेहाद का लारी लप्पा दिया और अब मामला उल्टा पड़ा तो पाकिस्तान पर हमले की बात कह रहे हैं।


अब हमने सोचा कि किसी धर्म निरपेक्ष आदमी से पूछा जाये,  सो हमने कमल वामपंथी से पूछा,  वे हंसने लगे,  बोले-  "भाई मुस्लिम उच्च शिक्षा को प्राप्त करेंगे तब न आत्म हत्या करेंगे । अभी तो बेचारे कांग्रेस के मारे,  साठ साल बाद भी अधिकाशंतः अनपढ़ है। अंगूठा छापी मे वोट देते है, कांग्रेस इसी का तो खा रही है,  भाजपा भी इसीलिये तो हिंदूओं का बजा रही है। भाई भारत मे वोट विकास के नाम पर नही,  धर्म और जातीवाद के नाम पर पड़ता है। वरना देश में भाजपा, कांग्रेस नही ऐसी पार्टी होती जो भारत वादी होती।


हमने कहा- " कमल जी,  बाकी तो हम समझ गये पर यह नही समझे कि अनवर जमाल साहब ऐसा क्यों लिखते हैं। "कमल जी हंसने लगे बोले - " भाई उसको अल्लाह ने ठेका देकर भेजा है कि तूने सौ लोगो को मुसलमान बना लिया तो तुझे मैं जन्नत अता फ़रमाउंगा।" हमने कहा- "कमल जी अगर हम सौ लोगो को हिंदू बना दें तो क्या हमको स्वर्ग मिल जायेगा।" वे हंसने लगे, बोले - मियां, आप पहले हिंदू बन जाओ और अनवर जमाल मुसलमान  फ़िर हमारे पास आना,  अल्लाह और भगवान तुम दोनो को जन्नत अता फ़रमा देंगे। यही तो लिखा है वेद और कुरान में कि धर्म के अनुसार आचरण करो, अच्छे इंसान बनो, दूसरों की पीड़ा और दर्द को समझो और किसी को तकलीफ़ न पहुंचाओ तो तुम्हे स्वर्ग या जन्नत की प्राप्ती होगी।"

Tuesday, October 18, 2011

हाय रे हाय मीडिया बिक गया







                                              पवन जी के पवन टून से साभार

सुबह सुबह नुक्कड़ पर दीपक हिंदूवादी  दुखी नजर आये,  हमने कारण पूछा तो फ़ट पड़े - " ये भारत का मीडिया बिकाउ है साला।"  हमने कहा- "अरे भाई,  अखबार बिकेंगे नही लोग खरीद कर पढ़ेंगे नही तो चलेंगे कैसे।"  दीपक जी ने हमारी बुद्धी पर तरस खाते हुये समझाया -" अरे भाई वैसे बिकाउ नही कहा हमने,  हमारा कहने का मतलब है कि संपादक लेखक लोग पैसे लेकर झूठी खबरे छापते हैं,  खबरे दबा भी देते हैं"। हमने कहा - " भाई जरा बात को उदाहरण सहित समझाया करो पिछली बार ही हम उलझ गये थे।"  दीपक भाई ने उदाहरण दिया -  अब प्रशांत भूषण का मामला ही देख लो,  सब लोग उसकी पिटाई करने वालों के खिलाफ़ उल्टा सीधा छाप रहे हैं।  जबकी भगत सिंग सेना के लोगो ने देश भक्ती का काम किया था। कश्मीर को अलग करने की बात करने वालों को पीटना चाहिये था कि नही।"


हमने कहा-  "बयान का विरोध तो सभी कर रहे हैं।  पर ये मारपीट वाला तरीका असंवैधानिक है। अब आपके आडवानी जी को ही ले लो,  हमारे मोदी जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के बजाय खुद ही बुढ़ापे में उलानबाटी खा रहे हैं।  हमको बिल्कुल पसंद नही आ रहा,  तो क्या हम पीटे उनको जाकर।"  दीपक भाई बोले-  "देशभक्ती का  मामला अलग होता है।"  हमने कहा भूषण तो कश्मीरियों को अपने साथ मिलाने की बात भी कह रहा था ये तो पाकिस्तान जाकर जिन्ना जैसे देशद्रोही की तारीफ़ कर के आ गये थे।  उसके बाद जाकर आतंकवादियो को काबुल भी पहुंचा आये थ। और आप कहते हो ये मामला अलग है।"

दीपक जी बोले - " यार दवे जी,  बात को कहा से कहा पहुंचा देते हो।  हम यह कह रहे थे कि भारतीय मीडिया हिंदू विरोधी है। हममे कहा- "यार सारे चैनलो में तो सुबह शाम पंडित, ज्योतिषियों के कार्यक्रम आते हैं। इंडिया टीवी तो भगवानो का घर और राक्षसों के महल ही खोजता रहता है।"  दीपक बाबू ने मुंह बनाया - भाई ये सब तो ये लोग टीआरपी के लिये करते हैं पर हिंदूओ पर हो रहे अत्याचार और उनके हितो के नुकसान के बारे मे कुछ नही बताते।" हमने कहा - " रामदेव बाबा की पिटाई एक हफ़्ते तक  दिखाई जाते रही। उनका मंच से कूदना सलवार सूट पहन कर भागना और उसके बाद जान से मारने की कोशिश वाला इंटरव्यू कितने दिनो तक चलता रहा  और तो और आपकी पूज्यनीय साध्वी के मंच पर नजर आने के बाद मीडिया ने ऐसा सब हो सकता है इसकी भविष्यवाणी भी कर दी थी।

दीपक जी बोले- "हमारे बाबा पर हुये दमन की बात तो दिखाई,  पर उसके विरोध में देश भर मे हुये आंदोलन को नही दिखाया।   कांग्रेस का एजेंट अन्ना  जेल में बंद क्या हुआ,  सुबह से लेकर शाम तक उसी को दिखाते रहे।  और तो और हिसार में अन्ना के तीन आदमी सिर्फ़ तीन दिन पहले गये थे तो उनकी जीत बता दिया और हमारे बाबा रामदेव के हजारो कार्यकर्ता दो महिनो से कांग्रेस को हराने की अपील कर रहे थे उसके बारे मे कुछ नही बताया।

हमने कहा- "तब तो आपकी भाजपा भी बिक गयी है।  भाजपा नही बिकी होती तो बुलाती बाबा रामदेव को प्रचार में और वहां अपने प्रत्याषी के साथ सभा करती। और ये बार बार मीडिया को कोसना बंद करो जब देखो तब हाय मीडिया हाय मीडिया चिल्लाते हो और कंप्यूटर मे अफ़वाहे फ़ैलाते हो कि नेहरू का दादा मुसलमान था, गांधी का बाप मुसलमान था राहुल गांधी अमेरिका मे नशे के व्यापारी के साथ पकड़ाया था, यहां हिंदू मारे जा रहे हैं,  वहां मंदिर टूट रहे हैं। दीपक जी गला फ़ाड़ कर चिल्लाये " यह सब एक दम सच बात है दवेजी आप कांग्रेसी हो इसलिये इसे अफ़वाहे बता रहे हो।"

हमने कहा- "सच है तो क्यो नही भाजपा प्रेस कांफ़्रेस कर आरोप लगाती। गांधी का बाप मुसलमान था, गांधी ने भारत के टुकड़े करवा दिये तो क्यों राजघाट जाते है भाजपा नेता श्रद्धांजली देने।  और जहां हिंदू मर रहे हैं मंदिर टूट रहे हैं तो क्यो नही वहा जाकर धरने पर बैठ जाते। सबसे बड़ी बात जब मालूम है कि मीडिया बिकाउ है। तो खरीदते क्यों नही, हाय हाय करते पचास साल गुजर गया क्यों अकल नही आती। दीपक बाबू बोले - "दवे जी, हम लोग भ्रष्ट नही है"। हमने कहा- "यार यह बात सुनकर हमको हंसी भी आती है और रोना भी। हंसी इसलिये कि ऐसी साफ़गोई से झूठ बोलने वाला जोकर, भारतीय राजनीती मे ही मिल सकता है और रोना इसलिये कि जिस चाल चेहरा और चरित्र की उम्मीद थी उसका बेड़ा गर्क कर दिया है भाजपाइयों ने।"

दीपक बाबू ने बात घुमाई- "दवे जी हम लोग धर्म युद्ध लड़ रहे हैं, हमे बिकाउ मीडिया का साथ नही चाहिये। " हमने कहा - "इतना हिंदू वादी बने फ़िरते हो,  गीता पढ़े होते तो जान जाते धर्म युद्ध में सब जायज है। और धर्म युद्ध, इमानदारी सब लारी लप्पा है आप लोगो को सिर्फ़ माल अंदर करने की हो रही है ये बेचारे कांग्रेसी कितने इमानदार टाइप के बेईमान  हैं,  खाते भी है तो आधा मीडिया तक पहुंचा देते हैं। और आप लोगो की सरकार आये तो माल पानी अंदर करके इंडिया शाईनिंग चिल्लाने लगते हो। फ़िर हार जाते हो तो हाय मीडिया हाय मीडिया चिलाते हो।"

दीपक बाबू बोले - "दवे जी, आपकी बात में दम तो है हम पार्टी में प्रस्ताव रखेंगे "  हमने कहा क्या खाक रखोगे पहले अपने अखबारो की हालत पर विचार रखवाना।  पांचजन्य को पांच आदमी नही पढ़ते  स्वदेश आज कल कौन से देश में छपता है यह जरूर पता करके आना। और सुनो आज के बाद हमारे सामने हाय मीडिया हाय मीडिया मत चिल्लाना।"


अब साहब दीपक बाबू तो नुक्कड़ से निकल लिये और हम सिर खुजाते रह गये कि इस बिकाउ मीडिया को अपने भाजपायी भाउ कब खरीदेंगे या जीवन भर हाय मीडिया हाय मीडिया ही भजते रहेंगे। अब उम्मीदे तो इन्ही से है,  भारत की प्रधान मम्मी और उनकी पार्टी को झेलना अब हमारे बूते की बात नही।

Thursday, October 13, 2011

बबली को देखकर देखता रह गया


साहब नुक्कड़ पर  बबलू आंधी जी की आसाराम बापू द्वारा की गयी खिंचाई पर हंसी ठठ्ठा चल रहा था कि भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी पहुंच गये बोले - " ये आसाराम बापू यह न समझे कि हमको जवाब देना नही आता "। हमने तुंरंत जेब से कागज निकाला और शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी का जवाब पढ़ना शुरू कर दिया - " यह आसाराम बापू किस मुह से बबलू आंधी के बारे में बात कर रहा है यह तो खुद सर से पैर तक भ्रष्टाचार मे लिप्त है, पाखंडी है ठग है और उनके पीछे संघ का हाथ ह।" शर्मा जी बोले - ये असाराम को आप बापू क्यों बोलते हैं क्या आप को मालूम नही बापू कहलाने का अधिकार सिर्फ़ महात्मा गांधी को है।"  हमने कहा - और गांधी जी का सरनेम सहित सारा कापीराईट आपके पास है। चाहे जो घोटाला कर दो खदान बेच खाओ, लाईंसेंस की बंदरबाट कर दो,  महात्मा गांधी की जय बोलते ही आपके सारे पाप धुल जाते हैं। और आप चाहते हो कि हम लोग गांधी जी के तीन बंदरो की तरह बुरा न सुने बुरा न कहें और बुरा न देखे।

शर्मा जी ने बात घुमाई - " आज हमें जगजीत सिंग जी के जाने का बड़ा अफ़सोस है,  ईश्वर उनकी आत्मा को शांती प्रदान करे।" हमने कहा- " भाईयो जगजीत सिंग जी की याद मे कुछ गजलें पेश कर रहा हूं सुनिये -" बात निकलेगी बबलू तो दूर तलक जायेगी ~~~लोग पूछॆंगे कि स्विस बैंक मे काला धन क्यूं है~~~ ये भी पूछेंगे कि तुम अब तक कुवारे क्यूं हो।"  शर्मा जी भड़क गये बोले- "दवे जी, अब आगे आदरणीय़ बबलू जी के बारे में एक शब्द न बोलिये।"  हमने कहा " चलिये बबलू जी पर नही कहते उनकी दीदी बबली जी पर ही गजल पेश कर रहे हैं " बबली को देख कर देखता रह गया~~~~ क्या कहूं~~~क्या कहूं~~~ कहने को क्या रह गया"।"  शर्मा जी और भड़क गये - " किसी विवाहित महिला के बारे मे ऐसी बात करते आपको शर्म नही आती है।" हमने कहा शर्मा जी हमारी बात नही समझ रहे आप इसे सुनिये आप सब समझ जायेंगे।एक दूसरी गजल पेश कर रहा हूं- " आते आते~~हमारा नंबर रह गया~~~ और बबली को बंटी पडेरा ले गया" और शर्मा जी  आज कल 2G  वाले सारे मोबाईल में बंटी और बबली वाला रिंगटोन बज रहा है।

शर्मा जी बोले हमारी प्यारी मम्मी को पता चल गया दवे जी तो आपकी खैर नही।"  हमने कहा - "शर्मा जी  उस पर भी गजल है, " आपकी मम्मी के कदमो पे सर होगा~~~~और सीबीआई सर पे खड़ी होगी"।" शर्मा जी  ने प्रतिवाद किया - " दवे जी,  सीबीआई तो आदरणीय मन्नू जी की सरकार के पास है, हमारी मम्मी जी के पास थोड़े न है।"  हमने कहा- "भाई शर्माजी आप मन्नू की बात तो करो ही मत,  वो तो सत्ता सुंदरी के नशे मे ऐसे चूर है कि बस यही गुनगुनाते रहते हैं - " ठुकराओ अब के प्यार करो~~~~मै नशे मे हूं " और नशा इतना गहरा है कि देश भर में फ़जीहत हो रही है पर उनको समझ में नही आ रहा है।"

 शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी बोले - " क्यों मुफ़्त मे अपना खून जला रहे हो,   कर तो कुछ नही सकते। चुनाव भी आयेगा तो चुनोगे तो नेताओ में से ही किसी को। और वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी चोर चोर मौसेरे भाई, इसलिये मै कहता हूं इंडिया टीवी में चमत्कार देखा करो और खुश रहो,  और फ़िर भी नही मानना तो कोसते रहो हमारी बला से।" हमने कहा- "शर्मा जी जगजीत सिंग की एक गजल और सुन लो सारा मामला समझ मे आ जायेगा - " आह को चाहिये एक उम्र असर होने तक" , फ़िर शर्मा जी अपने साथियों के साथ बैठ कर तिहाड़ में गाना - "ये दौलत भी ले लो ~~ये शोहरत भी ले लो~~~ भले छीन लो हमारा माल पानी।"

इतना सुन साहब शर्मा जी तो चले गये,  हम खड़े हो सोचते रहे "भगवान के घर देर है पर अंधेर नही" यह मुहावरा सही साबित होगा या नही।

Sunday, October 9, 2011

गांधी और गोड़से की वापसी


Date- 1 oct  2011  Place.  India gate New delhi

Time-  10 Am

दिल्ली के इंडिया गेट पर इंडिया टीवी का कैमरामैन अपने पत्रकारिता के नाम पर कलंक साथी के साथ "कैसे पिटा प्रेमी" नामक ड्रामे के मुख्यपात्र के इंतजार मे खड़ा हुआ था। मक्खी मारते कैमरामैन की नजर एक  अधनंगे आदमी पर पड़ी जो हूबहू गांधी की तरह नजर आ रहा था। कैमरामैन पुराना चावल था और कम तंख्वाह पर पल रहे कई नकारा पत्रकारों की नौकरी अपने दम पर सालों तक चलवा चुका था।  उसने अपने साथी से कहा - " चल इसका इंटरव्यू ही ले लेते हैं गाधी जयंती पर प्रोड्यूसर को आफ़िस बैठे तो कुछ मिलने वाला नही है और साबरमती जाने का खर्चा तो चैनल उठायेगा नही सो इससे बढ़िया काम चल सकता है।
पत्रकार ने उस आदमी से पूछा - "आप कौन हो भाई,  क्या कुछ समय इंटरव्यू दोगे, दो सौ रूपया दूंगा उसका"।

वह आदमी बोला - " मै मोहन दास करम चंद गांधी हूं बेटा पूछो क्या पूछना है"।

पत्रकार ने कैमरा मैन से धीरे से कहा -"यह तो पागल है यार फ़ोकट समय खराब करवायेगा, । कैमरामैन ने अपने कमबुद्धी साथी को क्रोध से देख बोला - " अबे मूर्ख यह हफ़्ता भर चलने वाली रिपोर्ट है, काम में ध्यान लगा"।

सटपटाया पत्रकार पुनः इस गांधी की ओर मुड़ा - " बाबा गांधी जी को मरे तो साठ साल हो गया है, आप कैसे गांधी हो सकते हो"।



गाधींजी बोले -" मै वापस आया हूं, बेटा अपने भारत को देखने कि मेरे सिद्धांतो पर चल भारत आज कहां पहुंचा है।"


कैमरामैन ने अपने साथी को अलग खींचा बोला - "यार दिखता तो हूबहू गांधी है तू एक काम कर, इससे गांधी जी के इतिहास के बारे मे सवाल पूछ। चेक कर इसे आता है कि नही और जो न आता हो इसे याद करवाना और सुन आता तो तुझे भी कुछ नही होग॥ आफ़िस फ़ोन कर गुगल से सब उगलवाना फ़िर इससे पूछना और जो न इसे आये याद करवाना।"


इतना कह कैमरा मैन ने संपादक को फ़ोन लगाया - " गुरू डबल धमाका मिला है, एक दम डिक्टो गांधी खोजा है मैने। आवाज भी मुन्ना भाई गांधीगिरी फ़िल्म जैसी है हूबहू"।~~~~~~~ "हां हां एक्दम वैसा ही दिखाता है 2 अक्टूबर को फ़ुल टीआरपी खींचेगा"। कैमरा मैन ने फ़ोन काटा ही था कि हड़बड़ाये पत्रकार ने उसे झटका - " बास इसको तो सब कुछ मालूम है मां बाप के नाम से लेकर कौन से अधिवेशन मे कौन अध्यक्ष था गोलमेज कांफ़्रेस मे कौन कौन था यह भी मालूम है साले को पूरा गांधी बनने की तैयारी करके आया है यह तो"

Time- 5 Pm     इंडिया टीवी  ---- Breaking news 

 मोहनदास करमचंद गांधी की वापसी~~~~~ क्यों आये हैं गांधी जी वापस~~~~~~ उनकी वापसी से कौन होगा खुश कौन खौफ़जदा होगा

एंकर - जी हां कल सुबह दो अक्टूबर गांधी जी की जयंती के अवसर पर देखना न भूलियेगा कल सुबह दस बजे मोहनदास करमचंद गांधी की वापसी
2nd october  Time- 10 Am


इंडिया टीवी पर  दस मिनट तक इस खबर को विभिन्न झन्नाटेदार आवाजो और आखें चुधियाती तस्वीरों के बाद एंकर ने बोलना शुरू किया पांच मिनट तक बोलने के बाद एंकर ने कही गयी सारी बाते पत्रकार से फ़िर कही और फ़िर उस पत्रकार ने तकरीबन वही बाते गांधी जी से पूछी। वापस आने के मकसद से लेकर उनके जीवन की तमाम घटनाओं के बारे मे बेफ़ाल्तू के सवाल किये गये आखिर मे पत्रकार ने पूछा- "अब आपका क्या इरादा है गांधी जी"

गांधीजी- " अभी तो मै राजघाट जा रहा हूं बेटा और वहां अपनी समाधी पर बैठ सोचूंगा कि अब मै क्या करूं"

Time- 2 Pm   Place- Rajghat

सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री और लालकृष्ण आडवानी के राजघाट मे पुष्पांजली अर्पण कर लौटने के बाद राजघाट पर वीरानी छाई हुयी थी खाली कुछ पक्के गांधीवादी और पर्यटक वहां आ जा रहे थे। नये गांधी राजघाट पर जा कर बैठ गये ।

इंडिया टीवी - ब्रेकिंग न्यूस ~~~ राजघाट पर लौटे गांधी~~~ देखिये लाईव तस्वीरें


हूबहू गांधी की तरह दिखने वाले शख्स के आने से राजघाट मेM थोड़ी रौनक लौट आयी लोग उन्हे घेर कर खड़े हो गये कि तभी रायपुर से आये वयोवृद्ध गांधीवादी भूतपूर्व सांसद केयूर भूषण को  नये गांधी ने आवाज लगाई - " अरे केयूर क्या हाल है बेटा, तू तो कहता था कि मै बूढ़ा नही होउंगा फ़िर कैसे बुढ़ा गया" । हैरान केयूर भूषण ने कहा -" आपको कैसे मालूम हुआ कि मै गांधी जी से ऐसा कहता था" । नये गांधी ने कहा -" तू बूढ़ा भी हो गया और तेरी आंखे भी कमजोर हो गयी हैं"। केयूर भूषण ने गांधी जी से कई सवाल किये और सबका सही उत्तर पा वे गांधी जी के पैरों में गिर गये।
केयूर भूषण ने घोषणा की- "हमारे बापू वापस आ चुके हैं"
राजघाट मे लोगो का ताता लगा,
टीवी चैनलो की हेडलाईन - "बापू की वापसी, स्वयं को गांधी कहने वाला आदमी राजघाट में पहुंचा, गांधीवादियों ने यह दावा किया है कि वाकई गांधी जी की वापसी हो चुकी है"

कांग्रेस प्रवक्ता का बयान - " हम अफ़वाहों पर बयान नही देते हैं"

भाजपा प्रवक्ता का बयान- " हम अफ़वाहों पर ध्यान नही देते हैं"


Date- 3 oct  2011  Place.  Rajghat    Time-  10 Am


राजघाट पर लाखों लोगो का जमावड़ा, टीवी चैनलो मेM लाईव प्रसारण, "वैष्णवजन तेने कहिये रे" भजन से राजघाट का माहौल गांधीमय हुआ

सरकार की लोगो से अफ़वाहो पर न विश्वास करने की अपील, नये गांधी को राजघाट से हटाने का पुलिस का प्रयास असफ़ल लोगो ने पुलिस को परिसर से बाहर खदेड़ा,

गांधी जी की अहिंसा न त्यागने की अपील, सरकार से कहां मै वापस किसी स्वार्थ से नही बल्की देशवासियों का दुखदर्द जानने आया हूं

दिग्विजय सिंग ने नये गांधी को धूर्त, ठग, पाखंडी करार दिया साथ टीवी चैनलो से संयम बरतने की अपील

अन्ना हजारे ने नये गांधी का स्वागत किया और अपने आंदोलन मे शामिल होने की अपील भी की

महात्मा गांधी हाय हाय का नारा लगाते लोगों का झुंड राजघाट के बाहर जमा काले झंडे लहराये

पुलिस ने इनको खदेड़ा पत्रकारो से बातचीत करने नही दिया आपाधापी में केवल "नाथूराम गोड़से जिंदाबाद" के नारे ही सुनाई दिये।

बाबा रामदेव ने जनता का ध्यान भटकाने की कांग्रेसियों की चाल और साजिश बताई कहा गांधी आये या आंधी हम कालाधन वापस ला कर रहेंगे

पत्रकारो ने बाबा रामदेव से गोड़से पर उनकी राय पूछी। बाबा ने कहा- " स्वर्गवासी लोगो पर बयान देना हम उचित नही समझते"

क्रमशः अगले खंड मे गांधी जी की धोषणाएं, नाथूरम गोड़से की भी वापसी, और कांग्रेस की उलझन

Thursday, October 6, 2011

हम सोचा हमउ भ्रष्टाचारी रावण मार आउं

दशहरे के दिन नुक्कड़ पर बैठे बैठे हमें देशभक्ती के कीड़े ने काटा,  तत्काल दिमाग में आईडिया फ़्लैश हुआ और हमने आसिफ़ भाई से कहा - "चलो गुरू रावण को मारा जाय"।  आसिफ़ भाई बोले - " मियां सटक गये हो क्या, नेताओं के रहते हमको भला कौन रावण का पुतला जलाने देगा।"  हमने कहा -" पुतला नही जलाना,  भ्रष्टाचार के रावण को खत्म करना है।"  आसिफ़ भाई ने सर खुजाया,  बोले - "मियां मेहनत बाबा टाइप करेंगे हम और अन्ना टाईप  क्रेडिट आप ले जाओगे।"  हमने कहा- "नही भाई,  हम दोनो प्रशांत भूषण,  केजरीवाल टाईप साथ रहेंगे।"  आसिफ़ भाई ने सहमती मे सर हिलाया- " विचार तो नेक है मियां, इस ससुरे भ्रष्टाचार की बहन सूर्पणखा उर्फ़ महंगाई ने हमारी नाक में दम कर रखा है। चिकन तो सवासौ से कम मिलता ही नही और भिंडी भी पचास रूपये किलो से कम नही।"

हम दोनो ने नुक्कड़ में अपनी सेना एकत्रित करी ही थी कि सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने कहा - "दवे जी, आसिफ़ भाई हम आपसे सहमत हैं। इस भ्रष्टाचार के रावण को खत्म करना ही होगा और इसके लिये हम प्रयासरत भी है आप हमारा साथ दें।"   हमने कहा- "यार शर्मा जी, इस रावण का चेहरा आपसे बड़ा मिलता जुलता है। खाली जब आप भाषण देते हो तभी राम नजर आते हो बाकि टाईम तो रावण सी दिनचर्या मे लगे रहते हो कि कौन सा लाइसेंस बाटूं, किस विमान कंपनी को दिवालियां करूं, कौन सी खदान खोद कर पर्यावरण को खुदा के पास भेजूं ,कहां की तेल गैस अंबानीयों को बेच खाउं। शर्मा जी साथ मत मांगो चंपत हो जाओ कि हमला तुम पर ही होने वाला है।"


बाजू खड़े दीपक भाजपाई ने ताली बजाई - " सही पहचाना आपने, ये सोहन कांग्रेसी ही भ्रष्टाचारी रावण है और तो और बेशर्मी इतनी है कि अपने लिये विदेशी महारानी खोज लाये है। हमे हर्ष है कि आपने भगवान राम याने कि हमारी सेना में शामिल हो इनको भस्म करने का बीड़ा उठाया है।" हमने कहा -" हे भाई रामानंद, बहुत दिन तुम लोग राम के नाम से आनंद उठा चुके हो अब रहम करो हम पर। और किस मुह से हमको अपनी सेना में शामिल करते हो। तुम लोग कौन सा कसर छोड़ रखे हो भाई,  तुम लोग ही भ्रष्टाचार के रावण से लड़ते होते तो क्या हमको ये दिन देखना होता। तुम लोग खाली आम खाओ,  भ्रष्टाचारी रावण से लड़ाई रूपी पेड़ लगाने का काम हम पर छोड़ दो।"


तभी नुक्कड़ पर शर्मा जी ने प्रेस कांफ़्रेंस कर घोषणा कर दी - " आसिफ़ भाई और दवे जी चाय के भुगतान मे घपला करते हैं। ये किस मुंह से भ्रष्टाचारी रावण से लड़ने की बात करते हैं ये तो खुद सर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। और दवेजी के दादा के पिताजी पलासी की लड़ाई में मैदान छोड़ कर भाग गये थे इसलिये दवेजी भी भाग जायेंगे।" शर्मा जी की घोषणा को अनसुनी कर हम लोग आगे बढ़े ही थे कि नुक्कड़ की शाही मस्जिद के इमाम आलू बुखारी जी ने घोषणा कर दी - " आसिफ़ भाई जिस रावण को मारने जा रहे हैं वह हिंदुओं का है। इस्लाम किसी रावण को मारने कि  इजाजत नही देता क्योंकी यह काम अल्लाह या पैगंबर ही कर सकते हैं। अतः हम भ्रष्टाचारी रावण को मारने के अभियान के खिलाफ़ फ़तवा जारी कर रहे हैं।"


आसिफ़ भाई ठिठक गये- "दवे जी ये तो फ़तवा जारी हो गया अब।" हमने कहा- "आसिफ़ भाई  क्या यह इमाम आपके चिकन को सस्ता करवा सकता है, बच्चे की फ़ीस कम करवा सकता है, जो इसको फ़तवा जारी का हक दिया जाय।" तभी अनवर जमाल नाम के महाविद्वान पहुंच गये बोले -" इमाम को जानकारी नही है,  राम जो हैं अवतार नही थे महापुरूष थे।अतः उनका साथ देने मे कोई बुराई नही"।  ऐसे पहुंचे हुये छुपे एजेंडे वाले  इतिहासकार को दरकिनार कर हम आगे बढ़े ही थे कि होसलेवाला नाम का मतवाला सामने आ खड़ा हुआ कहने लगा - " दवे जी आप जानते नही हो,  भ्रष्टाचार रूपी रावण सीता रूपी कालेधन को उठा कर नही ले गया था। बल्की कालाधन रूपी सीता अपनी मर्जी से साथ गयी थी,  आप मनुवादी राम का साथ देकर सही नही कर रहे हो"। आसिफ़ भाई ने कहा " अरे अंबेडकर के नाम पर कलंक, साईड हटो हम लोगो को काम पर जाने दो।"


तभी हमारा रास्ते में मंडल जी और बैठा जी आकर बैठ गये कहने लगे - " देखो भाईयो स्वर्ण वर्ग की यह करतूत,  ये लोग भ्रष्टाचार रूपी रावण को मारने जा रहे हैं,  क्योंकी आज यह रावण इनको तकलीफ़ दे रहा है। इससे पहले जब हमारे दलित भाईयों को यह तकलीफ़ दे रहा था तब ये स्वर्ण समाज आराम से घर मे बैठा हुआ था। लेकिन आज एक अछूत, दलित मंत्री राजा ने चार पैसे दलित समाज की भलाई के लिये ले लिये तो ये लोग उसको तिहाड़ में बंद कर दिये,  इनका साथ मत दो"।  हमने समझाया- "बैठा जी खड़े हो जाओ, ये रावण सब को तकलीफ़ दे रहा है क्या स्वर्ण क्या दलित,  क्या रिश्वत मांगने वाला जात पूछता है।" मंडल जी अपनी जगह अटल थे बोले - " आपने अपने साथ दलितो का प्रतिनिधी क्यों नही लिया और अपनी सेना मे दलितों को आरक्षण क्यों नही दिया, जब तक आप ऐसा नही करेंगे हम आपके खिलाफ़ हैं। हमने लाख समझाया- " भाई इस सेना में तो जो चाहे भर्ती हो सकता है। कोई संख्या या जाति बंधन थोड़े है,  और न इसमे कोई तंख्वाह है।"  पर मंडल जी नही माने और दलितो को इस सेना से दूर रहने का संदेश देने लगे।

खैर साहब उससे भी आगे बढ़े तो तरूण कुमार हिंदूवादी आकर खड़े हो गये बोले -" पहले आसिफ़ भाई और इनके साथियों को भारत माता की जय और वंदे मातरम  कहना होगा। फ़िर ही आपको हिंदुस्तान के हिंदु असुर रावण रूपी भ्रष्टाचार को मारने की इजाजत है।"  आसिफ़ भाई कुछ कहते उसके पहले हमने कहा - " आसिफ़ भाई भारत माता की जय नही बोलेंगे, भारत माता की विजय हो बोलेंगे।  इसी तरह वंदे मातरम की जगह बंदा ए मातरम कहेंगे"। तरूण कुमार जी हमे गुस्से से देखने लगे बोले " आप जैसे सिकुलर देशद्रोही हिंदुओं के कारण ही देश का यह हाल है"। हमने कहा- "ओ भाई स्वयंभू धर्मरक्षक,  धरे रह अपना सर्टीफ़िकेट अपने पास।जब हम मरेंगे तब यमराज से कह नर्क भिजवा देना हमको।" 


खैर साहब इतने धर्म और जात, दल, भाषा के नाम पर भड़काने वालों से अपनी सेना को बचा हम भ्रष्टाचारी रावण से लड़ने पहुंचे तो देखा हमारा स्वागत में सीबीआई, पुलिस,  इनकम टैक्स,से लेकर तमाम सरकारी एजेंसियां और उनके साथ खड़ा पत्रकारों का दल खड़ा था। जो हमारे मुंह से निकली एक गलत बात को कांट छांट कर घुमाफ़िरा कर प्रसारित करने को तैयार था और जिसका काम भ्रष्टाचारी रावण के बारे में नही सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे बारे में बात करना था।

इतना सब देख आसिफ़ भाई लड़खड़ा गये बोले - " मियां हमारे परदादा के परदादा काजी की बीबी को भगा कर ले गये थे। अगर बात खुल गयी तो हमारे खानदान की बड़ी बेईज्जती होगी।" हमने भी सहमती में सर हिलाया- " भाई बात हमारी भी ऐसी ही है, जवानी में हमने बहुत से प्रेमपत्र लिखे थे। सीबीआई ने खोद निकाला तो कईयों के पती और हमारी पत्नी हमें बहुत पीटेगी।"

तो साहब हम दोनो ने तो अपना अभियान स्थगित कर लिया है। आपसे भी अनुरोध है कि देश भक्ती का कीड़ा कभी आपको काटे तो बाथरूंम में बंद हो नेताओ को कोस लेना। भड़ास भी निकल जायेगी और आप खामखा परेशानियों मे भी नही पड़ोगे।

Tuesday, October 4, 2011

अमरीका, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान - एक त्रिकोणीय़ पहेली


यह तीन नाम आजकल अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छाये हुये हैं। भारत में इस विषय पर कुछ खास चर्चा नही हो रही और जाहिर है सरकार भी अन्ना और बाबाओं के हाथों अपनी फ़जीहत से बचने में इतनी व्यस्त है कि इस मामले को गंभीरता से संभालेगी इस बात में शक ही नजर आता है।  अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई साहब के हालिया  भारत  दौरे के मद्देनजर इस पूरे मामले को समझना इंतिहाई जरूरी और भारत के हितो के लिये महत्वपूर्ण भी है।

आज अमेरिका अफ़गानिस्तान से बाहर निकलने के दौर से गुजर रहा है और वह अफ़गानिस्तान से जीत कर निकलना चाहता है। जाते जाते अमेरिका यहां अपनी पिठ्ठू सरकार को  मजबूत कर जाना चाहता है। पाकिस्तान की यह कोशिश है कि अमेरिका के जाने के बाद अफ़गानिस्तान में उसकी पिठ्ठू सरकार बनें, जिससे उसकी रक्षा पंक्ति को गहराई भी मिल सके और वह तालिबान के लड़ाकों को  हिंदुस्तान के खिलाफ़  इस्तेमाल कर सके।  भारत का हित  कमोबेश अमेरिका के हित के साथ जुड़ा हुआ है।  भारत अफ़गानिस्तान में अपनी पसंद की सरकार बनवाना चाहता है,  ताकि पाकिस्तान उस मोर्चे पर उलझा रहे और भारत के खिलाफ़ तालिबान का इस्तेमाल न कर सके।

इसके अलावा भी बलूचिस्तान जैसे पाकिस्तान के हिस्सों ( जहां कश्मीर की तर्ज पर ही आजादी की जंग चल रही है और हालात कमोबेश कश्मीर से भी बदतर हैं ) के अलगाववादियों की भी भारत अफ़गानिस्तान के रास्ते से मदद कर सकता है। ब्लोच राष्ट्रवादियों को भारत  कश्मीर के विवाद को सुलझाने के लिये एक लीवरेज की तरह काम मे ला सकता है और उन्हे हथियार आदि देकर अपने यहां हुयी आतंकवादी वारदातों का बदला भी चुका सकता है।


इस पूरे मामले को समझने के लिये एक बेहद दिलचस्प पहलू यह भी है कि अमेरिका को अफ़गानिस्तान की जंग में पाकिस्तान ही खींच कर लाया था।  जब तक अमेरिका अफ़गानिस्तान में बना रहे तब तक ही पाकिस्तान को मिलने वाली अमेरिकी मदद की गारंटी भी बनी  रहती है। पाकिस्तान का एक पुराना और बुरा अनुभव यह रहा कि सोवियत रूस के खिलाफ़ जंग में अमेरिका ने पाकिस्तान का इस्तेमाल किया उसकी धरती को जेहादियों का स्वर्ग बना दिया। सोवियत रूस के हट जाने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को न केवल उसके हाल पर छोड़ दिया बल्कि परमाणू बम के नाम से तमाम प्रतिबंध भी लगा दिये। इससे न केवल पाकिस्तान आर्थिक रूप से तबाह हो गया, बल्कि उसकी फ़ौज के सारे हथियार भी लगभग नकारा हो गये। क्योंकि उनके पुर्जो की सप्लाई भी अमेरिका से ही आनी थी, जिस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।

ऐसे में 9/11  को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुये हमले के बाद जब अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन की तलाश शुरू की तो उसने पाकिस्तान से कहा कि मुल्ला उमर पर दबाव डाल करर ओसामा बिन लादेन को अमेरिका के हवाले करवा दे। आप को यह भी ध्यान होगा कि मुल्ला उमर की तालिबानी सरकार पूरी तरह से पाकिस्तान और अरब देशो की सहायता पर ही निर्भर थी और वह पाकिस्तान का कहा नही टाल सकती थी। पर इस वन टाईम डील में पाकिस्तान ने लंबी डील देखी और अमेरिका को फ़िर अफ़गानिस्तान मे फ़साने की ठानी। आईएसआई के मुखिया हामिद गुल अफ़गानिस्तान में मुल्ला उमर के पास अमेरिकियों का संदेश लेकर गये पर उनसे कहा- "कोई नई , ओसामा को बिल्कुल नही देना पहले सोवियत संघ को ठिकाने लगाया और अब इस अमेरिका को भी हम यही ठिकाने लगायेंगे"।

हुआ भी यही मुल्ला उमर ने मना कर दिया और अमेरिका ने पाकिस्तान को धमकी दी कि "आतंक के खिलाफ़ लड़ाई में या तो वह अमेरिका का साथ दे या परिणाम भुगतने को तैयार रहे।"  पाकिस्तान तो तैयार बैठा ही था नवाज शरीफ़ का तख्ता पलट चुके मुशर्रफ़ को अंतराष्ट्रीय मदद और मान्यता, फ़ौज को हथियार और देश को पैसा भी चाहिये ही था। और पाकिस्तान ने अमेरिका से "फ़्रैंड्स नाट मास्टर्स" का समझौता फ़िर कर लिया।फ़िर क्या था धड़ाधड़ पैसा और हथियार पाकिस्तान को मिलने लगे और अमेरिकी अफ़गानिस्तान भर मे ओसामा और मुल्ला उमर को खोजने लगे। पर ओसामा और मुल्ला उमर तो वहां थे ही नही। वे तो पाकिस्तान की गोदी मे बैठे हुये थे, वही पाकिस्तान जो "वार आन टेरर" में अमेरिका का सबसे पक्का दोस्त था। प्यादो को मारने पकड़ने का खेल चलता रहा और अमेरिका पाकिस्तान का बिल भरता रहा।

इसी समय पाकिस्तान ने पहली गलती की, अफ़गानिस्तान में लड़ रहे तालिबान के एक धड़े जो कि पाकिस्तान मे स्वात और बाजौर के इलाके से आपरेट कर रहे थे। रणनीतिक रूप से उन पर हमला करने में अक्षम होने के कारण अमेरिका ने स्वात और बाजौर में यह काम पाकिस्तानियों पर छोड़ दिया। तालिबान की यह इकाई मुल्ला उमर के नियंत्रण से बाहर भी थी। पहले यह तालिबान के धुर विरोधी अहमदशाह मसूद के समर्थन में लड़ चुकी थी। तालिबान के इस गुट पर हमला करना  पाकिस्तान को भारी पड़ गयी और तालिबान का यह हिस्सा आज तहरीक-ए-तालीबान बन कर पाकिस्तान पर कहर बरपा रहा है। पाकिस्तान के सैकिक प्रतिष्ठानों और हालिया करांची नौसेना के एयरबेस पर हुये हमलों मे तालिबान के इसी गुट का हाथ है।


शेष अगले लेख में


Monday, October 3, 2011

ये भाजपा मुझे आत्महत्या नही करने देती

रात को  हम नुक्कड़ में टहल रहे थे कि एक कोने से एक महिला के सिसकने की आवाज आई| औरतों का दर्द हमसे देखा ही नही जाता सो हम पहुंच गये और पूछा - " क्यों सुंदरी आप क्यों रो रही हैं।"  उसने सिसकते हुये कहा "ये कमबख्त हमें सुईसाईड नही करने दे रहे।" हमने कहा- "सुंदरी यह तो अच्छी बात है, किसी को भी सुसाईड करने से रोकना ही चाहिये और आप हो कौन"। जवाब मिला- " मै आत्मा हूं" । आत्मा सुनते ही हमारी रूह फ़ना हो गयी, हमने कहा - " पहले तो अम्मा सामने आओ,  हम कनफ़र्म करेंगे कि आप आत्मा हो"।

आत्मा ने कहा -" पहले तो बड़ा सुंदरी, सुंदरी कर रहा था, अब अम्मा पर उतर आया। सही है आत्मा के सामने बड़े बड़े लंपट सीधे हो जाते हैं"। इतना कह आत्मा सामने आई, उसे देख हमारे रोंगटे खड़े हो गये। तार तार हुये कपड़े क्षतविक्षत शरीर, गमजदा चेहरा।  हमने डरते हुये कहा- "आत्मा भला कही सुईसाईड कर सकती है।" आत्मा भड़क गई- "अरे मूर्ख शरीर सुईसाईड करेगा तब न आत्मा को मुक्ती मिलेगी।"  हमने धीरे से कहा - आपकी किसकी आत्मा हैं"। जवाब मिला- "कांग्रेस की।"  हमने पूछा- "आप आत्महत्या क्यों करना चाह रही हैं कांग्रेस माई।"  आत्मा ने कहा - "बेटा वो दिन गये जब हमें लोग कांग्रेस माई कहते थे, अब तो हमारा नाम कांग्रेस आई हो गया है।

हमने कहा -" पहले आप आराम से बैठिये और हमे पूरा किस्सा सुनाईये।"  आत्मा ने कहा - " क्या बताउं बेटा मेरे जन्म के बाद मुझे गांधी जी के आश्रम मे भर्ती कर दिया गयावहां सत्य अहिंसा दलित उद्धार और धार्मिक सदभाव का मैने पाठ पढ़ा। आजादी के बाद गांधी जी ने मुझे नेहरू जी को सौंप दिया तब लोग नेहरू की कुछ नाकामियों को कोसते भी थे पर मेरे बारे में भला बुरा कोई न कहता था। नेहरू के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने तो मेरा नाम और उंचा कर दिया था जय जवान जय किसान के नारे लगाते लोग मेरी जयजयकार करते थे। फ़िर  इंदिरा से लेकर राजीव और अब उसकी पत्नी दिनोदिन मेरी इज्जत गिरती गयी और आज का हाल तो देख ही रहे हो बेटा कांग्रेस का नाम अब कलंक  हो गया है।"

हमने समझाया - चिंता मत करो अम्मा आज भी पार्टी में ईमानदार लोग हैं । आत्मा बोली - "मुझ बुढ़िया को समझा रहे हो बेटा देखी नही ईमानदारों की हालत।"  हमने कहा -" कुछ नही अम्मा, वह तो मनमुटाव दूर किया उन्होने।"  आत्मा ने हमारी बात काटी -" थूक कर चाटना कहते हैं बेटा इसे"। इतना कह वह  फ़िर सिसकने लगी"।

हमने पूछा - " अम्मा आपका शरीर मरेगा कैसे यह तो बताओ" आत्मा बोली- "सुसाईड से, मुझे अनिच्छा मृत्यू का वर है। अर्थात जब तक मेरा शरीर आत्महत्या न करे तब तक मेरी मुक्ती संभव नही"। हमने कहा- "तब तो अम्मा कब तक इस तरह रोती रहोगी,  समय की कोई गारंटी तो नही है"|  आत्मा बोली - " अरे बेटा इतने सालों बाद इस मनमोहन की सरकार बनी। मैने तरह तरह की तपस्या कर इसे एटमी डील के लिये प्रेरित किया, कैश फ़ार वोट स्कैंडल भी करवा दिया। उसके बाद जब कुछ होता न दिखा तो मैने जप तप कर इस मनमोहन को दूसरी बार चुनाव जितवा दिया और तमाम घोटालो के भंडाफ़ोड़ भी करवा दिये कि इस शरीर से मुक्ति मिले।"

हमने दिमाग पर जोर डाला - हां अम्मा कल वो लालकॄष्ण आडवानी बता तो रहे थे कि कांग्रेस आत्महत्या की राह पर चल रही है। इतना सुनते ही आत्मा भड़क गयी- "नाम मत लो उस मुये और उसकी पार्टी का, मुंह में दात नही पेट में आंत नही और चले हैं प्रधानमंत्री बनने"। ये कांग्रेस तो कब का आत्महत्या कर लेती पर ये  भाजपा है न,  काम सारे कांग्रेस वाले, बेईमानी एक रूपये भी कम नही और गाना गायेंगे "चाल चेहरा चरित्र, सुशासन यात्रा।  और सोचेंगे घर बैठे कांग्रेस आत्महत्या कर ले। और जब देखेंगे जनता साथ नही दे रही तो बाबाओं के पीछे यतियों के पीछे छुप के सत्ता पाने की सोचेंगे। उससे बस नही चलेगा तो नफ़रत फ़ैलायेंगे, नेहरू का दादा मुसलमान था, बटवारे में हिंदुओं का ऐसे कत्ल हुआ, यहां दंगा हो रहा है, वहां कावड़ियें नही जा पा रहे, लव जिहाद चल रहा है। इनके अलवा अन्ना हजारे के जैसा कोई और आयेगा तो उसके पीछे पड़ जायेंगे कि कांग्रेस का एजेंट है। ये नही कि इमानदारी और विकास के बल पर जनता का विश्वास जीतें। इनका फ़ार्मूला तो मुंह में गांधी और बगल में गोड़से वाला है।

ले देकर एक इमानदार मोदी काम कर रहा है तो उसको आगे बढ़ाने के बदले पीछे से टांग खींच रहे है। ये भाजपाई लोग ही तो हैं बेटा जो कांग्रेस को आत्महत्या करने नही दे रहे हैं।" हमने कहा- "अम्मा अब ये मामला तो इतने लफ़ड़े वाला है कि हम क्या करें।  आत्मा ने सुझाव दिया- " बेटा एस एम एस कर लोगों को मेरी तकलीफ़ बताओ" हमने कहा- "अम्मा वह तो संभव नही, सरकार ने  सौ से अधिक एसएमएस पर रोक लगा दी है"। आत्मा ने कहा -" बेटा, फ़िर फ़ेसबुक, ब्लाग जैसी जगहों पर लेख लिख लोगो को जागरूक करो। हमने कहा- "अम्मा , वह भी संभव नही दिग्विजय सिंग केस कर देता है आजकल कि उसको मानसिक पीड़ा पहुंच रही है।" और लिख भी दो अम्मा तो देश की अस्सी प्रतिशत जनता के पास तो पेट भरने के अलावा बाकी किसी चीज के लिये समय नही फ़ायदा कुछ नही होगा।"


इतना सुनते ही अचानक आत्मा गायब हो गयी और हम बोझिल कदमों से घर की ओर बढ़ लिये। मित्रो हो सकता है कि यह आत्मा फ़िर मुझे कही नजर आ जाये। ऐसे मे अगर कांग्रेस कैसे आत्महत्या कर सकती है इस विषय पर आपके पास कोई विचार हो तो अवश्य बताईयेगा।

Thursday, September 29, 2011

2G में फ़ंसे जीजाजी ---- सलाह दो दवेजी

सुबह सुबह नींद खुली ही थी कि भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी पहुंच गये। हमने कहा- "भाई क्या आफ़त आ गयी जो सुबह सुबह पहुंच गये"। शर्मा जी बोले - "दवे जी दस धनपथ से प्यारी मम्मी का फ़ोन आया था, एक गंभीर विषय पर आपसे सलाह लेने को कहा है।" मुफ़्त की सलाह देने का अपना बहुत पुराना शौक है। सो हमने प्रसन्न होकर उनसे समस्या के बारे में पूछा। शर्मा जी बोले - "जीजाजी का नाम आ रहा है 2G घोटाले में बताईये इस मामले से कैसे निपटा जाय"। हमने गंभीर चिंतन के बाद कहा - "हम को शक था ही कि आंधी परिवार का कोई ऐसा आदमी इसमे रूची ले रहा है कि मन्नू से लेकर चिंदीबम तक सब के सब दंडवत होकर फ़ाईल आगे बढ़ा रहे थे। खैर मामला तो गंभीर है प्यारे आपके जीजाजी को अपना नही तो कम से कम आपकी प्यारी दीदी के बारे में सोचना था।"

शर्मा जी ने सर झटकाया बोले -" ये दीदी भी न,  कहां गड़बड़ आदमी से शादी कर ली। मुफ़्त में नाम खराब हो रहा है, संकट खड़ा है सो अलग।"  हमने कहा- ""वह तो भाई आंधी परिवार की खानदानी बीमारी है,  सभी लोग गलत शादी ही करते हैं। देखो आपके प्यारी दीदी के पापाजी ने विदेशी से शादी कर ली। अब लोग सीआईए से लेकर क्या क्या आरोप नही लगाते हैं।  उसके बाद आपकी प्यारी दीदी की दादी जी ने कमाल ही कर दिया था। ले दे कर आंधी नाम इंपोर्ट करके काम चलाना पड़ा" । शर्मा जी ने कहा- "ठीक कहते हो भाई पापाजी के नानाजी ने बस सही शादी करी थी"। हमने कहा भाई उसमे भी गड़बड़ थी फ़र्क बस इतना है कि गलती नानी ने की थी। देखते नही नानाजी की लंपटाई के किस्से तो इतिहास मे दर्ज है विदेशी महिलाओं से प्यार करने की परंपरा भी नानाजी की ही देन है।"

शर्मा जी बोले- "तो भाई रास्ता क्या है, हल बताएं किस्से न सुनाएं"। हमने कहा भाई आंधी परिवार में जीजाओं से किनारा करने की खानदानी परंपरा रही है। वह भी अजमाया जा सकता है और जीजा की बात तो छोड़ो उसमे अभी समय है फ़िलहाल तो मामला चिंदीबम पर अटका है कि बिना किसी समस्या के चिंदीबम को कैसे किनारे किया जाये।  पर तिहाड़ जाते ही चिंदीबम चुप तो नही रहेगा जैसे राजा ने चिंदी बम का नाम लिया था वैसे चिंदीबम भी किसी न किसी का नाम तो लेगा।  विपक्ष भी अभी मन्नू से चिंदीबम को हटाने की मांग कर रहा है उसके बाद मन्नू पर आ जायेगा। जो दोष राजा का है वही चिंदीबम का भी है और वही मन्नू का। घोटाला हुआ है तो तीनो शामिल है आधिकारिक रूप से इनसे आगे बात आपके जीजाजी तक भी आती है पर आपके जीजाजी के फ़ंसने की हालत मे अनिल अंबानी से लेकर कई और बड़े शिवाजी फ़सेंगे,  अब इसकी कितनी संभावना है यह अभी मालूम नही है। "

शर्मा जी ने पूछा- " इन सब लफ़ड़ों के बीच दवे जी हमारी प्यारी दीदी के बारे मे आपका क्या खयाल है।"


हमने कहा  -   उनकी उम्मीद और इंतजार करते हैं।

                    आज भी हम उनसे खूब प्यार करते हैं॥

शर्मा जी भड़क गये बोले - " दवे जी होश मे रहो खबरदार, जो आपने हमारी प्यारी दीदी के बारे में कुछ सोचा तो।"


हम भी भड़क गये - " बड़ी घटिया सोच के आदमी हो यार शर्मा जी,  हम भारत की आम जनता के जैसे उन्हे पसंद करते हैं और पता नही आप क्या सोच बैठे। और पसंद क्यों न करें, आपकी प्यारी दीदी भी तो इंदिरा जी जैसी दिखती है, बाते करती है और शादी की गलती को छोड़ दो तो, समझदार भी नजर आती है। वो ही ऐसा आखिरी रामबाण है,  ऐसी कृष्ण है जो भाजपा के शापित महायोद्धा कर्ण उर्फ़ मोदी को युद्ध के मैदान में धाराशाही कर सकती है। और उनके पास दो राजकुमार भी हैं, खाली पडेरा हटा कर आंधी लगाने की जरूरत थी बस। अब भाजपा तो आपके प्यारे जीजाकी का पीछा पाताल तक नही छोड़ेगी, उनको निपटाये बिना आपकी प्यारी दीदी के सामने उसका उद्धार नही है।"

"और हमको खबरदार करते हो महामूर्ख,  खुद खबरदार रहते  तो आज ऐसे जीजाजी के कारण मुंह छिपाने की नौबत नही आती। सही समय में हमारे जैसा कोई योग्य वर तलाश अपनी प्यारी दीदी का ब्याह रचाते, तो आज सब मामला सही रहता।  उसको भी छोड़ो, आज पूरे देश को मालूम है घोटाला हुआ है और उसमे मन्नू और चिंदीबम शामिल हैं तो उनको गेट बाहर नही कर रहे हो। और हमसे सलाह लेने आये हो,  चलो भागो यहां से,  आ जाते हैं सुबह सुबह सलाह लेने।"


सटपटा के शर्मा जी निकल लिये और हम चैन की सांस ली कि, हमारा बरसो पुराना प्यार सार्वजनिक होने से बच गया। खैर साहब शर्मा जी की प्यारी दीदी का चेहरा और दहेज मे उनके साथ आने वाला जलावा ही कुछ ऐसा है कि इतने सालो बाद भी हम उनको न भूल पाये हैं।

Sunday, September 25, 2011

कालू गरीब हाजिर हो

खचाखच भरे न्यायालय में  कालू को पेश होने की पुकार लगते ही अदालत में कोलाहल मच गया। कटघरे में कालू के खड़े होने के बाद,  उसके खिलाफ़ आरोपों की सूची पढ़ी गयी। पहला आरोप था बत्तीस रूपये रोज से ज्यादा कमाने के बाद भी खुद को गरीब बताकर गरीबों को दी जाने वाली सरकारी सुविधाओं  का लाभ उठाना। दूसरा आरोप था,  श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली नेशनल एडवाईजरी काउंसल के निर्णय को गलत ठहराना।


कालू के वकील दीपक भाजपाई ने आरोपो को सिरे से खारिज करते हुये कहा -" माई लार्ड,  कालू की कमाई किसी तरह भी बत्तीस रूपये रोज से कम है। यह सरकार गरीबी नही, गरीबों को इस देश से हटाना चाहती है। इस लिये ऐसे मनगढ़ंत आरोप लगा रही है।  इस सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिये कि कालू को रोज काम नही मिलता है।"

सरकार की तरफ़ से स्वयं दवे जी याने की हम वकील थे। हमने खड़े होकर कहा- " माई लार्ड, यह कालू सिर्फ़ कालू नही है। ये ऐसे करोड़ो लोगों का नुमाईंदा है, जो अमीर होने के बावजूद गरीब बने रहते हैं। और ऐसे ही लोगो के कारण बेचारे असली गरीबों तक सरकारी मदद नही पहुंच रही है। सबूत मे दी गयी तस्वीरों मे यह कालू चाट खाते, चाय पीते और कुल्फ़ी खाते नजर  रहा है।"

दीपक भाजपाई ने विरोध किया बोले -" माई लार्ड कालू गरीब है तो क्या हुआ, महिने में एकाध दिन अच्छी दिहाड़ी मिलने पर अगर वह कुछ शौक पूरे कर ले,  तो क्या वह अमीर हो जायेगा।"

हमने कहा-" माई लार्ड,  मुझे पता था कि मेरे काबिल दोस्त यही कहेंगे। इस लिये अगला सबूत,  मनरेगा में कालू के अंगूठे का छाप लगी रसीदें पेश कर रहा हूं। कालू ने साल के सौ दिन 120 रूपये की रोजी पाकर काम किया है। अगर यह मान भी लिया जाये कि इसके अलावा कालू ने कोई काम नहीं किया तो भी तकरीबन बत्तीस रूपये रोज की सालाना कमाई की ही गयी है।"

तभी कालू चिल्लाया - " माई बाप,  मुझे सिर्फ़ बीस दिन का काम मिला है, और इसके अलावा बीस दिन की बिना काम,  आधी  हाजिरी दे,  सरपंच के बच्चे ने धोखे में रख अंगूठा लगवा लिया। अगर मुझे मालूम होता कि वह कमीना बाकी साठ दिन की हाजिरी अकेला डकार रहा है, तो मै कम से कम अपनी आधी हाजिरी तो ले लेता।"


दीपक भाजपाई तुरंत खड़े होकर बोले - "माई लार्ड,  सुना आपने,  अब तो यह साबित हो जाता है कि सरकारी वकील का दावा गलत है और कालू की कमाई बत्तीस रूपये रोज से कम है।"

हमने खड़े होकर कहा - " माई लार्ड, हम तो केंद्र सरकार के वकील हैं, राज्य में घोटाला हुआ है कि नही यह नही बता सकते।  अब राज्य में आरोपी के काबिल वकील दीपक भाजपाई की सरकार है। अगर वह स्वीकार कर रहे हैं कि उनके राज्य में मनरेगा में  घोटाला हो रहा है। तब यह माना जा सकता है कि बेचारे कालू को पूरा भुगतान नही मिला है।" 

सकपकाये दीपक भाजपाई खड़े होकर बोले - " नहीं माई लार्ड,  राज्य में मनरेगा का पूरा और सही भुगतान हो रहा है। और कालू को पूरी हाजिरी मिली ही होगी, अतः यह तो बात साबित ही नजर आती है कि कालू बत्तीस रूपये रोज से कमा रहा है।"

 यह बात सुनते ही कालू चप्पल उठा,  दीपक भाजपाई को मारने दौड़ा। हंगामा मच गया और पुलिस वाले कालू को पकड़ बाहर ले गये, पीछे दीपक भाजपाई भी गये। दस मिनट बाद जब वे सब लौटे तो ऐसा लगा कि दीपक भाजपाई ने कुछ लारी लप्पा दे, कालू को मना लिया है।

दीपक भाजपाई गला साफ़ कर बोले -" माई लार्ड यह मान भी लिया जाये कि कालू बत्तीस रूपये रोज कमाता है तो भी यह साबित नही होता कि वह गरीब नही है। बत्तीस रूपये में आज की महंगाई मे आता ही क्या है। दूध 35 रूपये, सब्जियां चालीस से अस्सी रूपया, फ़ल सौ रूपये किलो, मेवे चार सौ रूपया किलो।  ऐसे में बत्तीस रूपये में जीना संभव ही नही सरकारी वकील शायद आज से बीस साल पहले  की बात कर रहे है।"

हमने कहा-  "माई लार्ड,  भारत का आम आदमी,  आम तौर पर आम चीजें ही खाता है खास नही। बत्तीस रूपये में दो किलो गेंहूं  या दस अंडे आ सकते हैं और ऐसी तमाम चीजें आ सकती है जिमके सहारे आदमी आराम से जिंदा रह सकता है। माई लार्ड,  भारत में गरीब उसे कहते हैं जो भूख से मर जाये। और यह बात साफ़ है कि कालू जिंदा रहने लायक कमा ही रहा है। अतः अब ये किसी सरकारी मदद का हकदार नही है।"

दीपक भाजपाई बोले- "माई लार्ड, मेरे काबिल दोस्त से मैं जानना चाहूंगा कि यह बत्तीस रूपये की रकम इनके मुवक्किल  ने कैसे तय की इसका आधार क्या है। जिंदा ही रहना हो तो बाईस या बयालीस रूपये भी तय किया सकते थे पर नही, इन्होने एसी आफ़िस में बैठ मनगढ़ंत रकम तय कर दी है।"


हमने कहा - माई लार्ड बत्तीस का आंकड़ा मनगढ़ंत नही है इसके पीछे आर्थिक से लेकर ऐतिहासिक कारण मौजूद हैं। मेरे मुवक्किल ने तीन बातों का ध्यान रखा,  पहले मुंह में बत्तीस दांत होते हैं,  दूसरे आदमी इतना ज्यादा न खाये कि कमर की साईज बत्तीस  से अधिक हो जाये और तीसरा और अंतिम कारण मेरे मुवक्किल  नेशनल एडवाईजरी काउंसिल की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी विक्रमादित्य के सिंहासन ( जिसमे बत्तीस कठपुतलियां थी, और उसमे बैठा आदमी अद्भुत और सटीक न्याय करता था ) से बहुत प्रभावित हैं। अतः उन्होने भी अपने आसपास बत्तीस कठपुतली सलाहकारों को बैठा रखा है,  उनकी सलाह से ही यह रकम तय की गयी है।"


दीपक भाजपाई बोले - "माई लार्ड,  क्या मेरे काबिल दोस्त यह कहना चाह रहे हैं कि देश की सौ करोड़ जनता सिर्फ़ रूखा सूखा खाकर जिंदा रहे। उसे स्वादिष्ट चीजें खाने का कोई अधिकार नही है?  इससे साफ़ पता चलता है कि इनके मुवव्किल याने श्रीमती सोनिया गांधी का दल इस देश के आम आदमी को कीड़ा मकौड़ा समझता है। क्या यह मासूम कालू  फ़ल, सब्जी, दूध, मिठाई न खाये,क्या यह कभी मुर्गा मछली खा ले तो इसे गरीबो की श्रेणी रहने का हक नही। माई लार्ड मै आपसे दरख्वास्त करता हूं कि आप इनके मूर्खतापूर्ण तर्कों को खारिज करते हुये इस बेचारे कालू को गरीबो को मिलने वाली सुविधा पाने का और कालू गरीब कहलाने का हक पुनः प्रदान करें।


हमने खड़े होकर कहा- "माई लार्ड,  मेरे मुवव्किल को इस कालू से  पूरी सहानुभूती है। मेरे काबिल दोस्त,  दीपक भाजापाई कालू को और आपको भावनापूर्ण तर्क दे, बरगलाने का भरसक प्रयास कर चुके हैं। पर मै आपके सामने एक ऐसा तथ्य रखने जा रहा हूं जिससे इस बारे में कोई संशय नही रह जायेगा।"


"माई लार्ड,  यह है यूएन की रिपोर्ट, जिसमे कहा गया है कि हर साल भूख से मरने वाले दस आदमियों के मुकाबले ज्यादा खाने से सौ आदमी मारे जाते हैं। क्या मेरे काबिल दोस्त ने इस ओर सोचा है कि इस मासूम कालू को यदि दूध अंडा चिकन तेल धी चाकलेट खाने दिया गया तो इसके हार्ट मे कोलेस्ट्राल की मात्रा बहुत बढ़ जायेगी, कभी भी इसे हार्ट अटैक आ जायेगा। और माई लार्ड आजकल खेती मे रसायनों का अत्यधिक इस्तेमाल होने के कारण,  ज्यादा खाने से कैंसर होने की कितनी संभावना बढ़ जायेगी। और तो और माई लार्ड, अगर कालू ने यूरिया से बना दूध पी लिया तो इसकी किडनी फ़ेल होने का खतरा है। और माई लार्ड इनमे से कुछ भी इसे हो गया तो इसके मासूम बीबी बच्चे इसके इलाज के लिये दर दर ठोकरें खायेंगे और उसका पैसा कहां से लायेंगे।"

"इन सबसे भी उपर माई लार्ड,  इन सब बेकार चीजों को खाने से आदमी को मोटापा आ जाता है। फ़िर यह बेचारा कालू मोटापे के कारण सरकारी योजनाओं में काम नही कर पायेगा। और अगर ऐसा हो गया तो इसके परिवार का अंजाम क्या होगा।  इसलिये माई लार्ड मेरी आपसे गुजारिश है आप श्रीमती सोनिया गांधी के द्वारा अपनी कठपुतलियों की सलाह से लिये गये इस बेहतरीन निर्णय को तत्काल लागू करे।"


जज साहब ने अपना निर्णय सुनाया -  "तमाम दलीलों के मद्देनजर यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि कालू का अपने गरीब होने का दावा गलत है। अतः उसका नाम कालू गरीब से बदल कालू आम आदमी किया जाता है। और कालू के वकील दीपक भाजपाई को सख्त ताकीद की जाती है कि आज के बाद फ़िर किसी कालू जैसे मासूम को बरगला उसका और अदालत का कीमती समय जाया न करे।"