Thursday, March 31, 2011

अल्लाह का प्यारा पाकिस्तान अल्लाह को प्यारा हो गया





करांची की मस्जिद की सीढ़ियों पर बैठा एक अंधा फ़कीर फ़ूट फ़ूट कर रो रहा था " या खुदाया पाकिस्तान की मुसीबत से मारी आवाम को एक सुख भी न मिल सका क्रिकेट का मैच भी हम हार गये अल्लाह का प्यारा मेरा पाकिस्तान अल्लाह को प्यारा हो गया " कि तभी एक पुरजोर आवाज उसके कानो मे गूंजी " ए नेक इंसान तू रो क्यो रहा है । रोऊं नही तो क्या करूं आप ही बतायें बम विस्फ़ोट महंगाई कत्लों गुरबत कर्जे मे डूबे मेरे वतन को एक खुशी भी न मिल सकी एक अल्लाह को मानने वाले करोड़ो मुसलमानो की एक दुआ भी खुदा ने कबूल न की ।


वो आवाज फ़िर गूजी " अरे एक अल्लाह को तो मानते हो पर बात उसकी एक भी नही मानते और दुआएं तो हिंदुस्तान के मुसलमानो ने भी अपने वतन के लिये भी की थी और वे तो तुमसे भी ज्यादा हैं "। फ़कीर भुनभुनाया नही ए अनजान आदमी वे हमारे जैसे कट्टर  मुसलमान नही है हम अपने धर्म को ज्यादा अच्छी तरह मानते हैं और चलो इस मैच को छोड़ भी दें तो खुदा हमारे इस प्यारे वतन को इतनी मुसीबतो से क्यों नही बचा रहा और उस हिंदुस्तान मे जहां बुतो की पूजा होती है देखो तो कितनी बरकत है ।


उस आवाज ने कहा जहां तक बरकत की बात है हिंदुस्तान के हुक्मरान भी उसी रास्ते मे जा रहें हैं जिस पर पाकिस्तानी काफ़ी पहले चल पड़े थे वे भी वतन को लूटने मे लगे हुये हैं उससे भी आगे अब वे अमेरिका परस्त हो गये हैं और अमेरिका की चीन से लड़ाई मे अमेरिका की तरफ़ से लड़ने की तैयारी कर रहें है हिंदोस्तान का भी वही हाल होगा जो अमेरिका की रूस से लड़ाई मे साथ देने पर पाकिस्तान का हुआ था और आज भी हो रहा है । याद रख जब मुल्क के नेता अपना इमान छोड़ देते हैं तो अवाम भी इमान से किनारा कर लेती हैं और फ़िर जब मुसीबत मुल्क को घेरती है तो मुल्क तबाहो बरबाद हो जाता है ।


और रही बात धर्म को निभाने की तो याद रख हर धर्म का जन्म वतन वक्त और हालात के हिसाब से होता है जब पैगंबर साहब का जन्म हुआ था उस समय समाज अलग अलग भगवानो की पूजा करने के कारण आपस मे लड़ मर रहा था और ये पश्चिमी लुटेरे हमारे मुल्क को जो अरब से हिंद तक फ़ैला हुआ था लूट खसोट रहे थे तब पैगंबर साहब ने सिखाया अल्लाह एक ही है जिसे तुम अलग अलग नामो से पूजते हो और फ़िर नामो के लेकर आपस मे लड़ते हो और पैगंबर ने पैगाम दिया आज से बुत पूजा बंद करो और उसे एक ही नाम से पुकारो और एक हो जाओ ताकि इन पश्चिमी लड़ाको का सामना किया जा सके और खुदा के उस नेक बंदे ने कि कही लोग उसकी ही पूजा न करने लगे अपना या खुदा का चित्र बनाने पर भी रोक लगा दी और पैगाम दिया कि जाओ पूरे मुल्क के लोगो को अपने नेक चरित्र और नेक कामो से समझाओ कि वे एक ही खुदा को माने ।



पर तुम लोगो ने क्या किया शिया सुन्नी अहमदी पता नही क्या क्या फ़िरको मे खुद को बाट लिया और आपस मे ही लड़ने मरने लगे अपनी नेक चलनी  से नही बल्की हथियारो के दम पर लोगो मुसलमान बनाना चाहा और फ़िर उन्ही पश्चिमी ताकतो के पिठ्ठू बन गये जिनका सामना करने के लिये तुम्हे पैगंबर ने एक किया था और दुश्मन उनको नही अपने हमवतनो को ही मानने लगे । याद रखो मैने अरब से लेकर हिंद की धरती मे ही वो तमाम नेमते दी हैं जो किसी कौम को खुशहाल बना सकती है जब तक आपस मे लड़ोगे और अमेरिका परस्ती करोगे तब तक तुम इसी तरह बरबाद होते रहोगे । हिंदु और मुसलमान एक ही पिता की औलाद हैं उनका खून भी एक ही है आपस मे भाईचारे से रहोगे तो दुनिया मे तुमसे कोई जीत न सकेगा ।

अनजान आवाज के आखिरी शब्द सुन फ़कीर खड़ा हो गया और बोला या परवरदिगार क्या ये आप ही बोल रहें हैं मुझे एक बार आपको देखना है । अनजान आवाज  ने कहा ऐ इंसान न तू मुझे देख सकता है न मै तुझे दिख सकता हूं तू मुझे देख मत न ही मेरा कोई नाम रख और नाम रखना भी है तो आपस मे नामो को लेकर मत लड़ । केवल जो मै कहता हूं वो सुन और मान  मैने तुझे  गीता और कुरान जैसी अनमोल नेमते दीं है उसे पढ़ और उस पर अमल कर केवल अमल करने से ही जन्नत मिल सकती है और हां खुद ही अमल करना दूसरो को अमल करवाने मे लगेगा तो फ़िर मुल्क पाकिस्तान की तरह अल्लाह को प्यारा हो जायेगा ।

Tuesday, March 29, 2011

शिव पार्वती और भारत पाक मैच का नतीजा



माता ने प्रभु से पूछा क्यों जी कल कौन जीतेगा प्रभु मुस्कुराये और कहा दोनो टीमो के खिलाड़ी सट्टेबाज क्रिकेट संघ के पदाधिकारी और विज्ञापन देने वाली कंपनिया आदि और हां टिकट ब्लैक करने वाले भी जीतेंगे |हां एक और प्क्ष है जो जीतेगा वो है धर्मांध लोग इनको बिना एक रुपया लगाये गर्मागरम मसाला मिल गया है आज ही जियो न्यूज पाकिस्तान के स्टार एंकर हामिद मीर प्राईम टाईम मे  कैपिटल टाक मे भारतीय विश्लेषक को बता रहे थे कि दर्जनो वेब साईट्स पर भारतीयो ने दावा किया है कि यदि पाकिस्तान यह मैच जीत लेता है तो भारत मे रहने वाले 15  करोड़ मुसलमानो का जीना हम हराम कर देंगे । अब आप ही बतायें भारत का मुसलमान इसको पढ़ कर हंसेगा लेकिन पाकिस्तान मे नये आतंकवादी बनाने का रास्ता और आसान हो जायेगा न । इसलिये हे प्रिये हारना दोनो देशो के नागरिको को ही है । चाहे इंडिया टीवी हो या जियो न्यूज इनका काम टी आर पी बढ़ाना है देश गया भाड़ मे ।



वो दिन गये जब कौरव और पांडव आपस मे सौ और पांच थे और बाहर वालो के लिये 105 । माता बोलीं मै आपसे पूछ रही हूं कि टीम कौन सी जीतेगी और आप पता नही क्या क्या बड़बड़ा रहे हैं ।  प्रभु बोले प्रिये वो तो मैच होने के बाद ही माळूम पड़ेगा वैसे तो श्याम सुंदर ही जीतने वाले हैं गीता नही पढ़ी क्या " बैटिंग करने वाला भी मै ही हूं और बालिंग करने वाला भी मैं ही विकेट कीपर भी मैं ही हूं और फ़ील्डर भी मैं ही " फ़िर प्रभु ने हसते हुये कहा शायद फ़ेकी जाने वाली बाल भी वही हैं ।



वैसे जीतेगा का कौन इसका निर्णय तो लक्ष्मी जी पर ही है किसने किसको कितना पहुंचाया है मैच का निर्णय तो कलयुग मे उसी पर निर्भर करता है देखा नही कल रहमान मलिक क्या कह रहा था । माता द्रुढता से बोली नही हमारे खिलाड़ी देशद्रोही नही हो सकते । प्रभु ने कहा क्या देश भक्ती का ठेका सैनिको और क्रिकेट खिलाड़ियो ने ही ले रखा है । पुलिस के सिपाही से लेकर एस पी तक और सरपंच से लेकर प्रधानमंत्री तक जो रोज भ्रष्टाचार कर नैतिकता का मैच हार जाते हैं उसका क्या । सांसद पैसे लेकर देश बेच सकते हैं तो खिलाड़ी पैसे लेकर मैच क्यो नही बेच सकता । पास बैठा नंदी बोल उठा हा प्रभु लालू यादव ने तो हम लोगो का चारा तक बेच खाया था । यह सब सुनकर माता उदास हो उठी बोली आपने तो सारा मूड ही खराब कर दिया ।

प्रभु बोले अरे अरे आप तो उदास हो गयी देखिये एक शिव भक्त ने हमारे लिये वी आई पी स्टैंड की टिकटे भेजी हैं । वैसे थोड़ा जल्दी जाना पड़ेगा क्या है कि ये सब वी आई पी लोगो के चक्कर मे सुरक्षा इंतजाम तगड़े कर दिये हैं  इसलिये मैदान मे जाना मोर्चे पर जाने से कम न होगा । माता ने कहा ऐसे मैच मे जाने से क्या फ़ायदा मुझे नही जाना है आप नंदी को लेकर चले जाना । प्रभु ने मुस्कुराते हुये कहा आप आम भारतीयो की देवी हो उनके जैसे जीना सीखो मैच के पहले क्या खेल हो गया है उसकी चिंता किये बिना मैदान मे हो रहे खेल को देखो और आनंदित रहो । वैसे यह मैच भारत ही जीतने वाला है इतना कह प्रभु ने घड़ी देखी और कहा जल्दी चलो इंडिया टीवी देखना है उसमे मेरा 700 साल पुराना रहस्य बताने वाला है इतना सुनते ही उत्सुक माता मैच को भूल कर प्रभु के साथ चल पड़ीं ।

Thursday, March 24, 2011

शिव पार्वती और सांसदो की खरीद फ़रोख्त का सच








लंच टाईम मे दो गिलास छाछ  पीकर चैन की नींद सो रहे प्रभु शंकर को गरजने बरसने की आवाज आयी बाहर आकर प्रभु ने देखा सारे शिव गण पैकिंग मे लगे हैं और माता उनको सामान ठीक से रखने के लिये चिल्ला रही है । अचरज मे पड़े प्रभु ने माता से पूछा क्या बात है प्रिये आप सामान क्यों पैक करवा रहीं है । खबरदार जो मुझे आज के बाद प्रिये कहा माता भड़कीं अब मुझे टीवी पर मालूम पड़ेगा कि आप के मां बाप कौन हैं आप कहां पैदा हुये थे  और ये मुआ नंदी आपसे पहली बार कहां मिला था । मेरे पिता हिमालय ठीक ही कहते थे अब मैं कभी लौट के न आउंगी ।


पहले तो प्रभु हड़बड़ाये फ़िर माजरा समझ मे आने पर बोले बेड़ा गर्क हो ये इंडिया टीवी वालो का । फ़िर गुस्से मे आकर माता से बोले क्या ये अनाप शनाप चैनल देखते रहती हो इनका काम तो यही है भोले भाले लोगो को बेवकूफ़ बना कर टी आर पी बढ़ाना और कम से कम अपनी योग माया से चेक तो किया होता लगी सामान पैक करने । क्या आप जानती नही हो कि मेरा जन्म अनन्त परमेश्वर की माया से हुआ है ।अपनी गलती पर खिसियाकर माता बोली अरे वो तो मै कल संसद मे हुआ क्या ये देखने के लिये गयी थी तो शिव गण इंडिया टीवी देख रहे थे कि मै भी बैठ गयी ।

आप बताईये मै कौन से चैनल मे देखूं लोक सभा चैनल मे तो दोनो ओर के एक से एक वक्ता बोलते हैं कि समझ मे ही नही आता कौन सच्चा कौन झूठा जिसकी बात सुनो वही सही लगता है और लड़ते झगड़ते इतना है कि आधी बात तो समझ मे ही नही आती । प्रभु अब सोच मे पड़ गये बोले ऐसा तो कोई चैनल ही नही है जो सही बात बताये जिसको जहां से पैसा मिलता है उसी की भाषा बोलता है प्रिये इसी को तो येलो जर्नलिस्म बोलते हैं वैसे आज कल सभी चैनल सरकार से ही पैसा लेते हैं और उसी का पक्ष लेते हैं ।

माता ने बोला क्या एनडीटीवी भी ऐसा ही है । प्रभु मुस्कुराये कल शाम की न्यूज नही देखी क्या स्टिंग आपरेशन की खबर इस तरह घुमा फ़िरा कर बता रहे थे कि मानो बीजेपी ही चोर है और कांग्रेस उसके जाल मे फ़स गयी थी । माता ने कहा अरे फ़िर जनता कहां जाये ऐसा क्यो हैं प्रभु । ऐसा इसीलिये है प्रिये कि आज भारत की मीडिया हिन्दी भाषी लोगो को मूर्ख समझती है इसलिये हिंदी टीवी और अखबार सिवाय हत्या बलात्कार आदि के कुछ भी नही पेश करते देखा नही आज पत्रिका अखबार ने केवल एक छोटे से कालम मे कल की संसद की घटना छापी है । मीडिया का मानना है कि केवल अंग्रेजी जानने वाले लोगो को ही सच्ची खबर देनी चाहिये । ऐसे लोग वोट भी नही देते इसलिये मीडिया से सरकार भी नाराज नही होती ।


अच्छा आप ही बताईये प्राणनाथ क्या सच है । सच ये है प्रिये कि सांसद बिके थे लेकिन कांग्रेस ने नही खरीदे थे ये काम समाजवादी पार्टी के अमरसिंग ने किया था । अब समाजवादी पार्टी को क्या फ़ायदा था कि वो पहले अमर सिंग की बेईज्जती को भूल कर न्यूक्लियर डील का समर्थन करने पहुच गयी यही नही सांसद खरीदने मे भी लग गयी ये गहन शोध का विषय है । अब ये बीजेपी वाले लोग सही बात कहते नहीं हैं और समझते भी नही है मनमोहन सच तो कह रहे हैं कांग्रेस खरीदने मे शामिल नही है वह तो पहले ही न्यूक्लियर डील मे अमेरिका के हाथ  बिक चुकी थी । अब बिका हुआ कोई किसी को क्या खरीदेगा भला । जो कुछ किया भी है वह अमेरिका के इशारे पर किया है । विकीलीक क्या बता रहा है दूतावास का आदमी चेक करने गया था काम सही तरीके से हो रहा है कि नही । पर आडवानी अमेरिका के खिलाफ़ एक शब्द नही बोले डील परमाणू के खिलाफ़ नही बोले अब ये लोग भी तो ........

Tuesday, March 22, 2011

निरमा बाबा की चौथी आंख


एक दिन सुबह सुबह, पत्नी ने मेरे हाथो से झाड़ू लेकर गर्मागरम चाय की प्याली रख दी । आसन्न खतरे को भांप कर मैं सर्तक हो गया। श्रीमती ने कहा- " सुनिये, आज कल मेरा समय खराब चल रहा है। क्यों न किसी अच्छे बाबा की शरण में चलें| मै मन ही मन भुनभुनाया, झाड़ू पोछा मैं कर रहा हूं। और समय इनका खराब चल रहा है । श्रीमती ने निरमा बाबा की जानकारी दी। बड़े पहुंचे हुये बाबा हैं। टीवी चैनलो में छाये रहते हैं। मैने बहुत समझाया, कि बाबा लोगो का चक्कर बेकार है भाई। केवल टोपी देते हैं। अरे उनमे ऐसी शक्तियां होती तो खुद का भला पहले करते। काहे गरीबो से पैसे लेने की दरकार होती। ये टीवी वाले भी, इनको नैतिकता से कोई लेना देना थोड़े है। जिससे पैसा मिला उसको दिखा दिया । लेकिन समझाना व्यर्थ था, पूरे तीन हजार रूपये बाबा के बैंक खाते में जमा करके बाबा से उनके एक शिविर मे मिलने का नंबर लगा।



वहा पहुंचे तो देखा, सैकड़ो की भीड़ थी। संपर्क स्थल पर एक दादा टाईप भक्त ने मनी रिसीट की जांच की और ससम्मान लाईन में लगा दिया। नियत स्थान पर पहुचते ही मैने नजर घुमाई। चारो ओर भक्ती का सागर हिलोरे मार रहा था। वही कुछ मेरे टाईप के असंतुष्ट भी थे जो कि बीबीयों द्वारा बलपूर्वक लाये गये थे। बाबा का कार्यक्रम शुरू हुआ, सबसे पहले लाटरी लगी वाले अंदाज में कुछ भक्तो ने बाबा का गुणगा्न शुरू किया। किसी की लड़की की शादी बाबा के आशीर्वाद से हुई थी। किसी का व्यापार रतन टाटा की तरह चमक गया था। लाईने ऐसी बोल रहे थे कि मानो स्वयं कादर खान ने लिखी हो। मैने मन ही मन अनुमान लगाया, ये लोग कम से कम 3000 प्रतिदिन लेते होंगे । उधर पत्नी ने विजयी निगाहो से मुझे देखा। मानो सही बाबा तक पहुंचाने के लिये मुझे उनका उपकार मानते हुये रात को आधा घंटा अतिरिक्त अपना हाथ पैर दबाने का निर्देश दे रही हो।

 खैर नये भक्तो का नंबर आया। एक ने अपनी समस्या बताई। उसके लड़के का मन पढ़ाई में नही लगता था। बाबा ने पूछा गाय को रोटी देते हो। जवाब मिला- " हां बाबा " ,  "पराठा खिलाते हो" - "हां बाबा"। मैंने मन ही मन सोचा अब फ़से बाबाजी। लेकिन बाबा भी महा ज्ञानी थे। उनने पूछा ज्वार, गेहूं और बाजरे की मिश्रित रोटी खिलाते हो । अब इसका जवाब तो ब्रह्मा जी को भी न से ही देना पड़ता। बेचारा भक्त क्या कहता। बाबा ने विजयी मुस्कान से कहा- "किरपा कैसे होगी रोज 3 रोटी खिलाया करो" और फ़िर हाथ उठा कर आशिर्वाद दिया । भक्त भी खुशी खुशी  दंडवत हो गया। ऐसे ही बाबा किसी को आलू की चाट खाने या खिलाने बोल रहे थे| तो किसी को नरियल बांटने| १०० फ़ुट दूर से ही उनकी शक्तीशाली किरपा भक्तो पर हो जा रही थी ।


अब हमारा नंबर आया। भोली श्रीमती ने श्रद्धा पूर्वक सिर नवाया। पीछे मैं भी अनिच्छा से खड़ा हो गया। बाबा ने पूछा- "क्या दिक्कत है बेटा।" श्रीमती ने जवाब दिया- "मेरे पति लेखक भी हैं। पर जहां भी अपनी रचनाएं भेजते हैं, मेल आ जाती है कि क्षमा कीजियेगा अभी हमारे यहां भुगतान की सुविधा नही है। वैसे आप लिखते शानदार हैं। आप ही बताओ बाबा, पैसा ही नही मिलेगा तो बेचारा लेखक जियेगा कैसे। बाबा ने ध्यान से मेरी ओर देखा और अपनी चौथी आंख का प्रयोग कर मेरे चेहरे पर उभरी अश्रद्धा को भी पढ़ लिया। लग रहा था कि उन्होने मुझे अपना पर्मानेंट चेला बनाने का प्रण कर लिया था। शायद उनको अपना प्रवचन लिखवाने के लिये किसी लेखक की दरकार रही होगी ।


बाबा ने पूछा- "क्यों मदिरा पीते हो।" पीछे से श्रीमती ने गर्व से कहा- "पीते थे बाबा जी, पर मैने शादी के बाद छुड़वा दी है। बाबा ने पूछा- "आखिरी बार कब पी थी।" मैने श्रीमती की ओर देख भय से सूखे होठो पर जीभ फ़ेरी। बाबा बोले -"डरो मत, सही सही बोलो।" पत्नी भी जलती आखों से घूर रही थी। मानो कह रही हो कि पीने में शर्म नही आयी अब बताने मे लजा रहे हैं। मैने धीरे से कहा- "दो हफ़्ते पहले।" बाबा बोले- "कहां पी थी।" मैने जवाब दिया- "हिन्दी की दुर्दशा सम्मेलन में गया था वहां। बाबा ने पूछा- "भुगतान किसने किया था।" अब गर्व करने की बारी मेरी थी- "जी एक अमीर हिंदी प्रेमी ने।" बाबा ने पूछा- "अपने पैसे से आखिरी बार कब पी थी।" मैने सहमते हुये बताया- "पेड न्यूज के विरोध में हुये सम्मेलन में 1 महिने पहले।" बाबा मुसकुरा कर बोले- "बेटा, तू तो भोलेनाथ का भक्त है। नही पियेगा तो किरपा कैसे होगी। रोज तीन पैग पिया करो। जब तक मुफ़्त मिले तो ठीक है। पर ध्यान रहे पीना रोज है।"


मैं ठगा सा खड़ा रह गया, वाह ऐसे किरपालू बाबा और मैं मूर्ख आज तक इनसे दूर था। मै तत्क्षण बाबा के चरणॊ में दंडवत हो गया। अभी मुझ पर और कुपा होनी बाकी थी बाबा ने कहा- "बेटा एक बात ध्यान रहे। घर में झाड़ू पोछा कुछ भी किया। तो तेरा भाग्य तुझसे रूठ जायेगा।" मै आकंठ चीत्कार उठा "निरमा बाबा की" पुरा शिविर गूंज उठा सारे पुरूष भक्त बोल उठे "जय"। मै कसम खा कर कह सकता हूं कि उसमे एक भी महिला की आवाज न थी। बाबा की भक्ती में डूब कर मैने तुरंत अगले शिविर के लिये नगद रसीद कटाई (अभी बर्तन धोने और खाना बनाने से मुक्ती मिलना बाकी जो था)और सपत्नीक घर की ओर लौट चला ।

घर लौट कर मैनेएक हफ़्ते तक स्वर्ग की अनुभूती की। ऐसा लग रहा था मानो नीचभंग राजयोग स्वयं मेरी कुंडली में उतर आया हो। यहां तक की अड़ोसी पड़ोसी भी मुझसे जलने लगे थे कि एक दिन मैने अपने पैरो मे कुल्हाड़ी मार ली। हुआ कुछ ऐसा कि रात की ठीक से उतरी भी न थी। और नींद भी मेरी खुली न थी कि श्रीमती ने मुझसे पूछा - क्यों जी क्या ये बाबा लोग सच्चे होते हैं।" मेरे मुह से निकल गया- "अरे सब पाखंडी है साले  भोले भाले लोगो को ठगते हैं।" बस क्या था साहब मेरे उपर एक बाल्टी पानी पड़ा और बिस्तर से खींच हाथो में झाड़ू थमा दिया गया। वो दिन है और आज का दिन मैं अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाता हूं।"

Thursday, March 17, 2011

शिव पार्वती और विकीलीक पर संसद मे हंगामा

                                            skyismycanvas.com   से साभार








लोकसभा चैनल पर हंगामा देख मां पार्वती ने सो रहे शिवजी को उठाया - सुनिये देखिये भारत मे क्या हो रहा है प्रभु भन्नाते हुये बोले अरे मेरी मां तुम क्यों दुखी हो रही हो । माता बोली खाली फ़ोकट मे भोग लगता रहे इनको जनता के दुखदर्द से कोई लेना देना नही है  | अच्छा भागवान रुको देखता हूं शांत हो जाओ कहकर प्रभ ने माजरा समझा फ़िर बोले अरे कुछ नही परमाणु बिल पास करने के समय जो लफ़ड़ा हुआ था न वही चल रहा हैं ।


 माता बोली अरे इतने साल बाद फ़िर हंगामा क्यूं । वो क्या है प्रिये कि विकीलीक्स ने राज फ़ाश किया है कि सांसद लोगो को खरीदा गया था । ये विकीलीक्स क्या है जी । भगवान भोलेनाथ  मन ही मन बोले हे भगवान किस लफ़ड़े मे फ़सां दिया मुझको कि अचानक उनको  ध्यान आया अरे भगवान तो मै ही हूं फ़िर उन्होने माता को समझाया - अमेरिका के अपने राजदूतो से होने वाले पत्रव्यहवार विकीलीक्स संस्था के पास पहुच गये हैं वो उन पत्रो को धीरे धीरे लीक कर रहा है । माता बोली अगर अमेरिका खंडन न करे तो इसका मतलब तो ये हुआ कि सही मे पैसे बाटे गये थे ।



आप इन कांग्रेसियो को तुरंत दंड दीजिये इनकी सरकार को बर्खास्त कीजिये प्रभू बोले ये नही हो सकता पहली बात उस पत्रव्यहवार को डिप्लोमेटिक इम्यूनिटी प्राप्त है । ये क्या होता है भगवन माता ने पूछा इसका मतलब है कि यदी कोई राजदूत भारत मे कोई जुर्म करता है तो उस पर मुकदमा नही चल सकता । माता ने कहा पर इस राजदूत ने तो कोई जुर्म नही किया केवल जुर्म की खबर दी है । प्रभू भड़क गये बहुत परेशान करती हो तुम हर चीज के पीछे पड़ जाती हो अब तुमको क्या मै अंतराष्ट्रीय राजनीती समझाउ दूसरा कारण सुनो

दूसरा कारण यह है कि ये घटना 14 लोक सभा की है अभी 15 लोकसभा चल रही है पुरानी बात इस लोकसभा मे नही की जा सकती । माता के मुंह से निकला वाह चोर तो चोर रहता है चाहे तीन साल बाद हो या दस साल बाद हसन अली ने पैसे क्या आज स्विस बैंक भेजे हैं जो उसको जेल भेज दिया है वो भी तो १० साल पुरानी घटना है । फ़िर बीच मे बोली जाओ अब मै तुमकॊ कारण नही बताउंगा प्रभु ने कहा । माता ने कहा प्राणो से प्यारे महादेव बात सुनो राईट टु इनफ़ारमेशन पतियो पर भी लागू होता है धोखे मे मत रहना हां । खिसियाए प्रभु ने कहा तीसरा और अंतिम कारण है कि ये जानकारी अदालत मे सबूत के तौर पर नही पेश की जा सकती ।

अब माता पूर्ण रूप से कुपित हो चुकी थी बोली अभी नारायण से कह कर आपका भगवान वाला स्टेटस खतम करवाती हूं गजब भगवान हो कुछ नही कर सकते खाली कारण गिनवा लॊ । शांत हो जाओ प्रिये क्रोध न करो देखो बिना कर्म किये मै कुछ कर भी तो नही सकता । जिस अदालत मे केस भेजूंगा वहा बात तो यही उठेगी फ़िर होगा क्या और ये विपक्ष भी एड़ी अलगा अलगा के भाषण देने के अलावा कुछ करता भी तो नही आडवानी इस्तीफ़ा भी मांग रहे हैं तो मारल ग्रांउड पे अब भारत की राजनीती मे मारल है कहां जो कोई इस्तीफ़ा दे ।


माता का क्रोध अब तक शांत न हुआ देख महादेव बोले एक काम मै कर सकता हूं । उस घटना के दौरान हुये सारे फ़ोन काल की सी डी मै तुहे दे देता हूं जाओ विपक्ष को दे आओ शायद काम बन जाये । माता के जाते ही नंदी बोला प्रभु आपने ये क्या कर दिया इसमे तो आपके कई भक्त लपेटे मे आ जायेंगे अमर सिंग तो अंदर ही समझो । प्रभु ने कहा अरे बेटा मैने भी कच्ची गोलिया नही खेली हैं  कल ही सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आया है फ़ोन टेपिंग को पुख्ता सबूत नही माना जा सकता । इतना कह कर प्रभु चैन की नींद सोने चले गये ।


Wednesday, March 16, 2011

होली है - पापा मै सोनिया गांधी से शादी करने जा रहा हूं

                                                                     bijuchandran.blogspot.com                




सुबह यूरिया वाली चाय पीते वक्त मेरे 16 साल के बेटे ने मेरे पैर छूते हुये कहा पापा मै सोनिया गांधी जी से शादी करने जा रहा हूं  ।  तेरा दिमाग खराब है सोनिया जी तेरे से शादी क्यो करेगी भला मेरे मुह से निकला । बेटा बोला वाह जब फ़्रांस का बूढ़ा प्रधानमंत्री जवान लड़की के साथ शादी  कर सकता है तो मै  भी उनसे शादी करने का प्रयास कर सकता हूं । मैने कहा अरे मूर्ख ये भारत है और सोनिया जी श्रद्धेय हैं खुद मेरी भी मां समान फ़्रांस नही बाहर ऐसा बोलेगा तो  कांग्रेसी और पुलिस वाले मार मार के तेरा भुर्ता बना देंगे और जिंदगी भर के जेल मे डाल देंगे । बेटा बोला राठौर और तलवार के हमलावर के जैसा मेंटल सर्टीफ़िकेट बनवा लिया है मैने और रही बात पिटाई की तो रिस्क तो हर बड़े काम मे होता है ।


मै अपने गुस्से को काबू करते हुये प्यार से बोला बेटा तू पढ लिख के बड़ा हो जायेगा तो मैं तेरी शादी एक सुंदर लड़की से करवा दूंगा । बेटा हसते हुये बोला किसको टोपी दे रहो हो पापा कौन सुंदर लड़की आरक्षण की श्रेणी मे आने वाले लड़को को छोड़ मुझ ब्राह्मण के लड़के से शादी करेगी । उनके पास गाड़ी होगी बंगला होगा नौकरी होगी और मेरे पास एक फ़टीचर बाप और दुखियारी मां के अलावा कुछ नही । मै फ़िर भड़क कर बोला अबे क्या उंची जात के लड़को की शादी नही होती सरकारी नही तो क्या प्राईवेट नौकरियों की कोई कमी नही है ।



कौन सी दुनिया मे जी रहे हो पापा उन नौकरियो को पाने के लिये मंहगे कालेजो मे दाखिला लेना पड़ता है उसके लिये लगता है पैसा जो आपके जैसे इमानदार आदमी के बस की बात नही है । मेडिकल के लिये 50 लाख एमबीए करने के लिये 15 लाख ये सब उन लोगो के लिये है  जो अपने हाथो टैटू लगवाते हैं मेरा बाप चोर है भ्रष्ट है पॆड न्यूज छापता है  । मैने कहा तेरा दिमाग खराब है कौन ऐसा टैटू लगाता  है बता तो मुझे । जवाब मिला कैसे लेखक हो आप मुहावरा भी नही समझते ये बताओ 40000 तंख्वाह पाने वाले अधिकारी का लड़का 10 लाख की गाड़ी मे घूमता है इसका मतलब क्या है दिखा रहा है न लोगो को कि मेरा बाप भ्रष्ट है  | 25 लाख फ़ीस भरके बच्चे का दाखिला करवाने वाले संपादक के बारे मे आप क्या बोलेंगे यही न कि वो पेड न्यूज छापता है । बाजू मे खड़ी पत्नी भड़क कर  बोली मै न  कहती  थी आपसे की शर्माजी के जैसे आफ़िसो मे घूम घूम के अधिकारियो से पैसे वसूला करो अरे भ्रष्टाचार की खबर छाप ही दोगे तो अधिकारी पैसे देगा ही क्यों  अब देखो मेरी बात न मानने का नतीजा ।


मैने बेटे से कहा तू चिंता मत कर मै तेरे लिये कोई व्यापार खुलवा दूं बेटा हसते हुये बोला पैसा आयेगा कहां से और चालू कर भी लिया तो भी सारे बड़े काम खदाने आदि नेताओं और उनके चमचो के लिये आरक्षित है उनसे बच गया तो अधिकारी पुत्रो का नंबर लग जाता है ये इंडिया है पापा बिना सेटिंग के कुछ नही होता बस किराना परचून की दुकान खोल सकते हैं वो भी ये मेगास्टोर वाले बंद करवाने ही वाले हैं । टायर टुयूब लेस पंचर दुकान बंद , नयी गाड़ियां ऐसी की मेकेनिक की दुकान बंद , अस्पताल ऐसे की दवाई दुकाने बंद ये मल्टीनेशनल कंपनिया भारत मे केवल नौकर रहने देगी मालिक कोई न होगा पापा मुझे रोको मत बस जाने दो ।


मै आखिरी बार गिड़गिड़ाया बेटा सोनिया गांधी जी से शादी करने की बात मूर्खता है रे और तू तो उनके पोते के बराबर है  और वे तुझसे मिलेंगी तो आशिर्वाद ही देंगी बेटा और मान लो तू  उनसे  केवल  मान लो तेरी बात पे सपने मे वे मान भी लें तो फ़िर तू तो आदमी अच्छा न होगा । बेटा बोला पापा मै अपने लिये ये नही कर रहा  हूं अपने देश भारत के लिये कर रहा हूं  ।  सोनिया जी से शादी कर मै  मनमोहन सिंग जी की अमेरिका आधारित पालिसी को धक्का मार के देश से बाहर फ़ेक आउंगा । और इस देश मे गरीबो का आरक्षण होगा जात और पात का नही क्या हिंदु क्या मुसलमान । नीतियां समानता पर आधारित होंगी न की अमीरो पर और हर नेता को हर अधिकारी को हर 6 महिने मे नारको टेस्ट कराना होगा भ्रष्टाचार का दंड फ़ांसी होगी । यह कहकर बेटा दरवाजे के बाहर निकल गया और मैं दशरथ जी की तरह हे राम कहकर बेहोश हो गया ।


होश आया तो मै अपने 4 साल के बेटे के साथ बिस्तर से नीचे पड़ा था बैकग्राउंड मे श्रीमतीजी की आवाज गूंज रही थी हे भगवान दिन मे तो चैन से जीने नही देते नींद मे भी बड़बड़ाते हैं इनसे शादी कर के मेरी जिंदगी झटक गयी है । मैने तुरंत अपने बेटे को चिपकाकर कसम खायी कि मैं कम से कम ऐसा आदमी बनूंगा कि ये टैटू लगा सके मेरा बाप मक्कार है

Monday, March 14, 2011

मनमोहन सोनिया और महंगाई पर इस्तीफ़ा



                                                       cartoonature.blogspot.com  से साभार                   
"All the talks discussion and events in this article are fictitious . It is an attempt to alert the leadership of India that their act is causing grave concerns among the citizens of the country "  
भेष बदल कर नगर भ्रमण करते मनमोहन सिंग को एक घर से मालकिन और नौकरानी का संवाद सुनाई पड़ा । मालकिन अच्छा काम न कर पाने के लिये नौकरानी को डांट रही थी तभी नौकरानी भड़क कर बोली ए बाई मै मनमोहन सिंग नही हुं जो इतना सुनने के बाद भी नौकरी न छोड़ूं पकड़ो अपनी झाड़ू मै चली । इतना सुनते ही सन्न मनमोहन घर की ओर लौट चले ।

 मनमोहन ने  सहायक को इस्तीफ़ा तैयार करने को कहा इस पर पत्नी बोली क्या जी हर रोज नया इस्तीफ़ा लिखवाते हो इस पर सहायक ने धीरे से कहा हर रोज इस्तीफ़े का विषय अलग होता है मांजी कभी म्रष्टाचार कामनवेल्थ खेल , 2 जी घोटाला ,किसानो की आत्महत्या ,महंगाई, नक्सलवाद,  अब प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा भी अप टु डेट होना चाहिये कि नही  और फ़िर जिस दिन साहब की जेब मे अहमद पटेल को इस्तीफ़ा नजर नही आया उस दिन तो काम तमाम ही समझो  । सहायक के जाते ही पत्नी ने मनमोहन को दही शक्कर खिलाकर विदा करते वक्त पूछा क्या बात है आज आप बड़े दुखी नजर आ रहे हो मनमोहन बोले कुछ नही सामान पैक कर लेना वापस चलेंगे हम तुम  । हतप्रभ पत्नि ने पूछा कहा तो मनमोहन बोले वर्ल्ड बैंक की नौकरी मे वाशिंगटन और कहां । पत्नी अचकचाई और बोली अभी भी तो आप उन्ही का काम कर रहें हैं सुनिये एक काम का दो जगह से तनख्वाह आपको कही और नही मिलेगी इस्तीफ़ा मत दीजीये । मनमोहन बिना कुछ बोले 10 जनपथ रवाना हो गये ।

10 जनपथ पहुंचते ही  उन्होने सीधे  सोनिया को इस्तीफ़ा पकड़ाया और बोले मै पद छोड़ रहा हूं अचंभित सोनिया ने कहा अरे ऐसा मत कीजिये। नही मम्मी जी अब मै इस पद पर रहना नही चाहता मेरा इरादा अटल है । सोनिया बैठने का इशारा किया और बोली आपके लिये तिहाड़ मे राजा के बाजू मे अच्छी कोठरी तैयार करवा देती हूं ।  मनमोहन के चेहरे मे हवाईयां उड़ने लगी बोले इतने सालो की सेवा का ये फ़ल मम्मी जी । बेकार बात मत कीजिये मनमोहन जी इस धंधे मे जो आता है वो बाहर नही जा सकता ये बात आप अच्छी तरह जानते थे । सरकार और पार्टी पर लग रहे ये तमाम आरोप आप की लापरवाही का नतीजा हैं । आप ने सब बिगाड़ा है आप ही ठीक करो ।

इस पर मनमोहन बोले मम्मी जी म्रष्टाचार तो मेरा किया नही है आपके मंत्री कर रहे हैं इस पर सोनिया भड़क कर बोली रास्ता तो आपके अधिकारी ही दिखा रहे हैं क्यो नही बेईमान मंत्रियो के पास इमानदार अफ़सर लगाते आपसे तो बोलना ही बेकार है सी वी सी भी दागी को नियुक्त कर दिया । मनमोहन बोले मम्मी जी ये सब पीगू इफ़ेक्ट का नतीजा है जिसमे एक को देखकर दूसरा बिगड़ जाता है अब कोई अधिकारी इमानदार हो तो लगाउं  । और गरीबी चारो तरफ़ हाहाकार मचा हुआ है उसका क्या । मम्मी जी वो विसश सर्कल आफ़ पावर्टी के कारण है उसमे गरीब आदमी खाना कम मिलने के कारण कमजोर होता जाता है और उसकी कमाई उत्तरोत्तर कम होती - सोनिया ने कहा  बस बस ये सब मुझे मत बताओ क्या मुझे अर्थशास्त्र के ओलंपिक मे जाना है । ये बताओ किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं ।

मम्मी जी वो क्या है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम कई बार धोखा  दे देता है और आजकल जो हमने हाइब्रीड बीज दिये हैं न वो भी कभी कभी फ़ेल हो जाते हैं और सरकारी खाद तो सरकारी ठेकेदार ही सप्लाई करते हैं न । इसलिये आजकल खेती एक जुआं बन गयी है अब जुयें मे तो कोई रोज रोज जीत नही सकता न मम्मी जी क्या करे किसान कभी कभी हार भी जाता है बेचारा  । सोनिया बोली चलो इसको भी छोड़ो ये बताओ महंगाई कैसे कम होगी ।

मनमोहन बोले  वो योजनाओं के पैसे आम आदमी तक पहुच नही पा रहे रास्ते मे नेता अधिकारी और ठेकेदार मिल कर गायब कर देते हैं  और इससे उन लोगो के पास अकूत दौलत इकठ्ठा हो जाती है और वे अनाप शनाप भाव मे चीजें लेने लगते हैं जिससे महंगाई आ जाती है । हां नरेगा और सस्ते चावल से आम आदमी का पेट भर तो रहा है  पर ये आम आदमी बोलेगा कि सब्जी दूध शिक्षा इलाज ये सब मिले तो फ़िर वो आम आदमी रह कहां जायेगा मम्मी जी  और ये लोग शराब भी बहुत पीते हैं । सोनिया बोली उसमे कौन सी बड़ी बात है आदमी तो सदियो से शराब पीता आया है । मनमोहन बोले अब फ़र्क ये आया है मम्मीजी कि पहले इन लोग जंगलो से महुआ आदि बीन कर मुफ़्त मे शराब बना लेते थे उससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता था । अब हमने वो सब पेड़ कटवा दिये हैं और इनको ठेके से देशी शराब लेनी पड़ रही है उससे इनका पैसा तो बरबाद होता ही है और बीमारी भी आती है ।

 एक रास्ता है महंगाई कम करने का आप कहें तो जो हजारो करोड़ॊ रूपये हमने मंदी से बचने के लिये छपवाये थे उनको मार्केट से हटा लें सोनिया चौंक कर बोली उससे क्या फ़ायदा होगा । उससे ये होगा मम्मी जी कि मार्केट मे मुद्रा की कमी हो जायेगी जिससे मांग घट जायेगी और सब चीजे सस्ती हो जायेगी । तभी पीछे से प्रणब दा आकर बोले ये  आपको झूठ बात बताता है मैडम मोशाय पैसा वापस लेने से तो अमीर के ज्यादा पैसा थोड़ा कमती हो जायेगा पर गरीब आदमी का भूखा मरने का नौबत आ जायेगा । सोनिया झल्ला कर बोली तो करें क्या प्रनब दा बोले करने कुछ नही सकता है मैडम इसको बोलो अपने बास लोग से बोल के इंडिया मे खूब पैसा लगवायेगा तभी हम अपना ज्यादा पैसा वापस करने सकता है और नई तो  इसको और अपना पार्टी का दुई चार मंत्री लोगो को तिहार मे भर्ती करने से ही इज्जत बचेगा नही तो मिस्र का माफ़िक यहां भी जनता का जलजला हो जायेगा । सोनिया ने कहा मेरे तो सर मे दर्द होने लगा कल बात करेंगे इस बारे मे । मनमोहन जी ने फ़ौरन मम्मी जी के पैर छुये  इस्तीफ़ा उठाया और प्रनब दादा को कोसते हुये घर निकल गये ।

Saturday, March 12, 2011

भगवान शिव और आदिवासियो का चढ़ावा


                                                 skyismycanvas.com   से साभार

धरती से शिव पूजन अटेंड कर कैलाश लौटे भगवान भोलेनाथ को मुस्कुराते और थोड़ा लड़खड़ाते देख मां पार्वती के मन में शक उत्पन्न हुआ। उन्होने प्रभु से कारण पूछा, परंतु वे बात को अनसुना कर सीधे शयन कक्ष चले गये और २ मिनट मे ही उनके खर्राटों की आवाज आने लगी । भगवान के समीप जाने पर माता को महिला इत्र की खुशबू आयी। उन्होने  सोचा, आज क्या हुआ है इसका पता लगाना ही होगा

 माता ने एक बड़े से थाल में नाना तरह के व्यंजन रखे और साथ ही 100 ग्राम सूखी घांस भी रख ली। नंदी के पास पहुच कर माता  सूखी घास उसके सामने रख वापस मुड़ी ही थी। कि नंदी चीत्कार कर उठा- "मै मुखबिरी करने को तैयार हूं माते।" मुस्कुराते हुये माता ने कहा- "फ़टाफ़ट  आज का घटनाक्रम पूरा बताओ।"  नंदी बोला- "आज प्रभु बड़े खदानपति के यहां गये थे। आर्गेनिक भोजन सामग्री से बने वहां नाना प्रकार के व्यंजन , मदिरा थी। सुंदर सुंदर महिलाओ ने प्रभु का श्रंगार किया। वे ऐसा भजन गा रही थी कि पूछिये मत।" "वो तो मै था जो प्रभु का पतित्व बचाकर उनको ले आया माते।" : -  नंदी ने गर्व से कहा

अगले दिन सुबह जब प्रभु तैयार होकर धरती भ्रमण पर निकल रहे थे। तो माता ने टोका- " क्या बात है. आजकल आप केवल अमीरो के यहां जाते हैं। बाकी भक्तो ने क्या पाप किये हैं। पिछले कई सालों से आप किसी आदिवासी भक्त के बुलावे मे नही गये। क्या आप अब  मेदभाव करने लगे हैं।" प्रभु ने नंदी की झुकी हुई गरदन देख सारा माजरा समझ लिया। मुस्कुराकर माता से- "बोले क्या बिना कामदेव की मदद से आप मुझे बहला पायी थी। जो इस मक्कार की बातों में आ रही हो। मेरे लिये स्त्री क्या, पुरूष क्या। मै तो जहां लोग प्रेम से बुलाते हैं, वहीं चला जाता हूं।" माता फ़िर भी अड़ी रहीं- "मै कुछ नही जानती। पहले की बात और थी।  कलयुग में पतियो का कोई भरोसा नही है चाहे वे स्वयं आप ही क्यों न हो।  जब तक मैं न कहूं आपको आदिवासियो के यहां ही जाना होगा।  क्या आपको आदिवासी स्वादिष्ट भोग नही लगाते।"

प्रभु ने आदिवासियो का चढ़ावा याद कर ठंडी सांस ली। वे बोले- " उनका चढ़ावा तो मुझे सबसे प्रिय है । बेल, बेर, आम, जामुन, शह्तूत, गंगाइमली , धतूरा आदि नाना प्रकार के जंगली फ़ल। तरह तरह के कंदमूल, पलाश आदि फ़ूल।, जंगली जड़ीबूटिया खाने वाली गायो का शुद्ध पीला दूध। महुआ सल्फ़ी आदी जड़ीबूटी मिश्रित मदिरा। चिरौंजी, दो वर्षो बाद खेत से निकाली हुई कुटकी का अनाज। आहा! इनके लिये तो मै स्वयं नारायण की दावत भी ठुकरा सकता हूं ।:

प्रसन्न चित माता ने कहा- "फ़िर आज से आप उनकी ही पूजा में जायेंगे बस बात खत्म।" प्रभु ने बुझे मन से कहा- "प्रिये अब आदिवासी है कहां, जो मै उनके यहां जाउं।" माता ने तुरंत सूची पेश की- "देखिये, करोड़ो नाम हैं जिसके यहां मर्जी हो जाईये।" प्रभु ने कहा- "प्रिये, अब ये केवल सरनेम के आदिवासी हैं। ये सब अब मिलो मे , खदानो मे और भवन निर्माण के कार्यो में रत गरीब मजदूर हैं। इनके यहां जाउगा तो ३ रू. किलो वाला सरकारी चावल, जहरीली शराब और किसी विवाह समारोह से उठाये हुये बासी फ़ूल ही मिलेंगे। दूध चढ़ायेंगे तो यूरिया मिला। सब्जी होगी तो जहर मिली। देवताओ के हिस्से का विष पीने के बाद अब मुझमे और विष पीने की ताकत नही।"

अचंभित माता बोलीं- " ऐसा कैसे हो गया। अब ये सब अपना पुराना चढ़ावा क्यों नही ला सकते। जब मै आदिवासियो के यहा आपके साथ जाती थी तब तो वे बड़े खुशहाल लोग थे  शाम को वे कैसे भव्य नाचगाना करते थे। उनमे से किसी ने आपसे भोजन  नही मांगा था और वे कभी भूखे भी नही सोते थे।" प्रभु ने जवाब दिया- "उनको भोजन देने वाला जंगल अब नही रहा प्रिये। पूंजीवाद ने फ़ल और फ़ूलदार पेड़ो को  सफ़ाचट कर उनके बदले अपने मतलब के इमारती पेड़ जैसे सागौन, धावड़ा, साल, नीलगिरी आदि लगा दिये हैं। ये इमारती जंगल आदिवासियो और वन्यप्राणियो के लिये बांझ है । इनमे भोजन का एक दाना भी नही । नतीजतन ये आदिवासी मजदूर हो गये। अब आप ही बतायें जो खुद का पेट नही भर सकते। उन पर मै अपना बोझ कैसे डालूं ।"


माता क्रोध मे आ गयीं- आप भी कैसे भगवान हैं। जिन लोगो ने आपके भक्त आदिवासियो का ये हाल किया। आप उनकी पूजा स्वीकार कैसे कर सकते हैं। प्रभु उदास भाव से बोले- "आप ही बताये भगवान को पूजा और भोग तो चाहिये कि नही।न बिना भक्तो के भगवान है कहां।" फ़िर प्रभु ने मुस्कुरा कर कहा- "मै तो हूं ही भोलेनाथ। क्या रावण क्या राम। मै तो हर किसी को वरदान दे देता हूं। कहिये आप इसी भोलेपन पर रीझ कर ही तो मुझसे विवाह करने आयी थी कि नही। रही बात पूंजीपतियो की, इनके पाप का घड़ा भरने दो ऐसा जनसैलाब उठेगा कि इनको नानी याद आ जायेगी।"

"हां आप सरकारी अधिकारियों और नेताओं को समझा कर इन इमारती वनो को मूल प्राकृतिक वनों मे बदलवा सकें तो आदिवासियो का जीवन फ़िर से खुशहाल हो जायेगा। और मै इनकी पूजा  छोड़ कभी पूंजीवादियो के यहां नही जाउंगा।" माता जैसे जाने को तत्पर हुई तो प्रभु ने बोले - सुनिये, बाघ को लेकर मत जाईयेगा। कही संसारचंद शिकार न कर ले। एक काम कीजिये, इस नंदी को ले जाईये। वैसे भी ये चुगलखोर अब मेरे किसी काम का नही।" प्रभु फ़िर धीरे से फ़ुसफ़ुसा कर नंदी से बोले- "जा बेटा सरकारी दफ़्तरो के चक्कर काट काट कर तेरे खुर न घिस गये तो मेरा नाम भी महादेव नही।"

Thursday, March 10, 2011

माता पार्वती का वाहन संकट - बाघ संरक्षण पर एक व्यंग



                               




वनविभाग के कुख्यात अधिकारी पन्नाश्री बाबला जी के दफ़्तर के सामने  शेहला मह्सूद , दिया बेनर्जी आदि की अगुवाई मे एक जनसभा चल रही थी मंच से वक्ता पानी पी पी कर वनविभाग और मुख्यमंत्री कॊ कोस रहे थे । वहा से गुजरते हुये भगवान जटाशंकर ने खतरे को भापते हुये नंदी को कलटी काटने का इशारा किया । लेकिन देर हो चुकी थी माता पार्वती की नजर पड़ गयी । उन्होने भगवान शिव से पूछा प्रभू माजरा क्या है इन लोगो ने मेरे वाहन बाघ की तस्वीरे अपने हाथो मे ली हुईं है और देखो एन डी टी वी की कैमरा टीम भी है जरूर मेरे वाहन पर कॊई संकट आया है ।

अब महादेव ने क्रोध के हथियार से मामले को दबाने पर विचार किया लेकिन आदतन नंदी महिला थाने के सामने पहुंच चुका था भाई सेवक भले भगवान का था पर दो टाईम का चारा तो माता से ही मिलना था । हार कर भगवान ने माता से कहा केवल १४११ बाघ ही बचे हैं । माता का चेहरा क्रोध से लाल हो उठा बोली ऐसे मे तो मेरे प्रति अवतार एक एक बाघ भी उपलब्ध नही होगा आप नाम बतायें दोषी का अभी मै उसका संहार कर देती हूं । भगवान ने उन्हे शांत करते हुये कहा दोषी तो मनुष्य जाती है पर गलती मेरी है । माता ने अचंभे से पूछा कैसे प्रभु ने कहा अपने जीसस अवतार मे मैने बुद्धि का पेड़ नही हटाया था और आदम ने मेरे मना करने पर भी उसका फ़ल खा लिया था । उसी कारण मनुष्यो ने प्रक्रुति के विनाश के नये नये तरीके खोज लिये नतीजतन बाघो की संख्या मे भारी गिरावट आ गयी है। माता ने कहा गलती आपकी है तो सुधार भी आप करो मैं कुछ नही जानती मुझे कम से कम १०००० बाघ चाहिये बस । प्रभु ने कहा मजाक है क्या मुह से निकला और हो गया अरे भाई जंगल ही नही तो बाघो का भोजन कहां से आयेगा ।

माता ने दिव्य द्रुष्टी डालॊ और तुरंत भोलेनाथ पर फ़ट पड़ीं - " विश्व महिला दिवस पर भी आप झूठ बोलने से बाज नही आये भारत मे  6 ,78,000 वर्ग किलोमीटर का जंगल है और आप कहते हो जंगल नही है "। प्रभु सकपकाये और उन्होने भी दिव्यद्रुष्टी का प्रयोग किया  फ़िर मुस्कुराते हुये बोले अरे भाई तुम भी हड़बड़ी मे गड़बड़ी करती हो ध्यान से देखो जिसे तुम जंगल कहती हो दरअसल वो तो सागौन साल नीलगिरी आदी इमारती लकड़ी के प्लांटेशन हैं इन इमारती लकड़ी के पेड़ो के पत्ते , फ़ल और फ़ूल खाध थोड़ी होते हैं कि उन्हे हिरण आदि खाये और तो और इनके नीचे घांस और छोटी झाड़िया भी नही उग पाती हैं हां लैंटाना जैसी बेकार खरपतवार उग जाती है । माता भी कहां पीछे हटती उन्होने कहा अब आप कहोगे की कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भी प्लांटेशन है प्रभु ने तुरंत हामी भरी अब विजयी मुस्कान से माता ने कहा अगर कान्हा  भी प्लांटेशन का जंगल है तो वहां सौ बाघ कैसे जीवित हैं मेरे तथाकथित महान प्रभु । प्रभू भी अनुत्तरित थे उन्होने आखिरी लाईफ़लाईन का प्रयोग करते हुये फ़िर से जादुई नजर डाली फ़िर संतोष पूर्वक बोले प्रिये वहां से आदिवासियों को हटा दिया गया है और उनके गांव घास के मैदान बन चुके हैं इन्ही मैदानो मे वो हिरण बसते हैं जिनको खाकर वे बाघ जिंदा हैं ।

अब माता बिफ़र गयीं रांउड रांउड बात मत कीजिये प्रभु बाघ जंगल आदिवासी दंद फ़ंद ये सब मुझे नही मालूम मुझे १०००० बाघ चाहिये बस । प्रभु क्रुपाशंकर ने प्रेमपूर्वक कहा प्रिये तुमसे शादी करने के बाद कॊई राउंड नही है पर अकर्म से कॊई भी काम करना भी मेरे बस मे नही । कही भी बाघ होने का मतलब हैं कि वहां शाकाहारी वन्यप्राणी हो और उनके लिये स्वस्थ पर्यावरण तंत्र का होना जरूरी है जो इन वन्यप्राणियो को भोजन दे सके । हां मै तुमको राह सुझा  सकता हूं ध्यान से सुनो बाघो की संख्या १०००० पहुचाने के तीन रास्ते हैं पहला रास्ता ५००० आदिवासी गांवो मे रहने वाले एक करोड़ लोगो को विस्थापित करना ताकी उनके खेत घास के मैदान बना कर हिरणो को भोजन उपल्ब्ध कराया जा सके , दूसरा भारत के समस्त  वनो कॊ फ़ल और फ़ूल दार पेड़ो से युक्त मूल प्राक्रुतिक वनो मे तब्दील करना तीसरा --- तभी माता ने टोका वाह क्या इससे भी मुश्किल और श्रमसाध्य तरीका खोज रहे हो । प्रभु मुस्कुराये और कहा लो भागवान मै आसान राह बता देता हूं इन ५००० गांवो मे रहने वाले किसानो से घास की खेती करवाई जा सकती है और धीरे धीरे प्राक्रुतिक वनो के पुर्नस्थापन के कार्य मे लगाया जा सकता है ।

माता ने पूछा और घास की खेती करने वह घास बिकेगा कहां प्रभु ने जवाब दिया वह घास वन्यप्राणियो और गांव के पशुओ के लिये होगी और  घास की खेती मे लागत और श्रम कुछ नही है और प्रति एकड़ धान की खेती मे होने वाला १०००० का फ़ायदा तो सरकारी सबसीडी से ही आता है उसी सबसीडी को नकद भुगतान किया जा सकता है। और रही बात दीगर खर्चो की वह तो जिन इमारती पेड़ो को काट कर हटाया जायेगा उनको बेच कर  ही पूरा हो जायेगा । इस विधी का प्रयोग करने से आदिवासियो को हटाना भी नही पड़ेगा और एक बार प्राक्रुतिक वन स्थापित हो गये तो वनवासियो का जीवन उनसे और पर्यटन से खुशहाल हो ही जायेगा ।

प्रभु ने माता से कहा कि उपाय मैने बता दिया है अब तुम नेताओ और वनाधिकारियो को समझाकर यह कार्य संपन्न कराओ । माता के जाते ही प्रभु ने चैन की सांस ली और नंदी से कहा चल भाई अब कम से कम १०० साल तक माता सरकारी दफ़्तरों के चक्कर लगाती रहेंगी तब तक  कैलाश चल कर कुवांरी जिंदगी का आनंद लिया जाय ।