करांची की मस्जिद की सीढ़ियों पर बैठा एक अंधा फ़कीर फ़ूट फ़ूट कर रो रहा था " या खुदाया पाकिस्तान की मुसीबत से मारी आवाम को एक सुख भी न मिल सका क्रिकेट का मैच भी हम हार गये अल्लाह का प्यारा मेरा पाकिस्तान अल्लाह को प्यारा हो गया " कि तभी एक पुरजोर आवाज उसके कानो मे गूंजी " ए नेक इंसान तू रो क्यो रहा है । रोऊं नही तो क्या करूं आप ही बतायें बम विस्फ़ोट महंगाई कत्लों गुरबत कर्जे मे डूबे मेरे वतन को एक खुशी भी न मिल सकी एक अल्लाह को मानने वाले करोड़ो मुसलमानो की एक दुआ भी खुदा ने कबूल न की ।
वो आवाज फ़िर गूजी " अरे एक अल्लाह को तो मानते हो पर बात उसकी एक भी नही मानते और दुआएं तो हिंदुस्तान के मुसलमानो ने भी अपने वतन के लिये भी की थी और वे तो तुमसे भी ज्यादा हैं "। फ़कीर भुनभुनाया नही ए अनजान आदमी वे हमारे जैसे कट्टर मुसलमान नही है हम अपने धर्म को ज्यादा अच्छी तरह मानते हैं और चलो इस मैच को छोड़ भी दें तो खुदा हमारे इस प्यारे वतन को इतनी मुसीबतो से क्यों नही बचा रहा और उस हिंदुस्तान मे जहां बुतो की पूजा होती है देखो तो कितनी बरकत है ।
उस आवाज ने कहा जहां तक बरकत की बात है हिंदुस्तान के हुक्मरान भी उसी रास्ते मे जा रहें हैं जिस पर पाकिस्तानी काफ़ी पहले चल पड़े थे वे भी वतन को लूटने मे लगे हुये हैं उससे भी आगे अब वे अमेरिका परस्त हो गये हैं और अमेरिका की चीन से लड़ाई मे अमेरिका की तरफ़ से लड़ने की तैयारी कर रहें है हिंदोस्तान का भी वही हाल होगा जो अमेरिका की रूस से लड़ाई मे साथ देने पर पाकिस्तान का हुआ था और आज भी हो रहा है । याद रख जब मुल्क के नेता अपना इमान छोड़ देते हैं तो अवाम भी इमान से किनारा कर लेती हैं और फ़िर जब मुसीबत मुल्क को घेरती है तो मुल्क तबाहो बरबाद हो जाता है ।
और रही बात धर्म को निभाने की तो याद रख हर धर्म का जन्म वतन वक्त और हालात के हिसाब से होता है जब पैगंबर साहब का जन्म हुआ था उस समय समाज अलग अलग भगवानो की पूजा करने के कारण आपस मे लड़ मर रहा था और ये पश्चिमी लुटेरे हमारे मुल्क को जो अरब से हिंद तक फ़ैला हुआ था लूट खसोट रहे थे तब पैगंबर साहब ने सिखाया अल्लाह एक ही है जिसे तुम अलग अलग नामो से पूजते हो और फ़िर नामो के लेकर आपस मे लड़ते हो और पैगंबर ने पैगाम दिया आज से बुत पूजा बंद करो और उसे एक ही नाम से पुकारो और एक हो जाओ ताकि इन पश्चिमी लड़ाको का सामना किया जा सके और खुदा के उस नेक बंदे ने कि कही लोग उसकी ही पूजा न करने लगे अपना या खुदा का चित्र बनाने पर भी रोक लगा दी और पैगाम दिया कि जाओ पूरे मुल्क के लोगो को अपने नेक चरित्र और नेक कामो से समझाओ कि वे एक ही खुदा को माने ।
पर तुम लोगो ने क्या किया शिया सुन्नी अहमदी पता नही क्या क्या फ़िरको मे खुद को बाट लिया और आपस मे ही लड़ने मरने लगे अपनी नेक चलनी से नही बल्की हथियारो के दम पर लोगो मुसलमान बनाना चाहा और फ़िर उन्ही पश्चिमी ताकतो के पिठ्ठू बन गये जिनका सामना करने के लिये तुम्हे पैगंबर ने एक किया था और दुश्मन उनको नही अपने हमवतनो को ही मानने लगे । याद रखो मैने अरब से लेकर हिंद की धरती मे ही वो तमाम नेमते दी हैं जो किसी कौम को खुशहाल बना सकती है जब तक आपस मे लड़ोगे और अमेरिका परस्ती करोगे तब तक तुम इसी तरह बरबाद होते रहोगे । हिंदु और मुसलमान एक ही पिता की औलाद हैं उनका खून भी एक ही है आपस मे भाईचारे से रहोगे तो दुनिया मे तुमसे कोई जीत न सकेगा ।
अनजान आवाज के आखिरी शब्द सुन फ़कीर खड़ा हो गया और बोला या परवरदिगार क्या ये आप ही बोल रहें हैं मुझे एक बार आपको देखना है । अनजान आवाज ने कहा ऐ इंसान न तू मुझे देख सकता है न मै तुझे दिख सकता हूं तू मुझे देख मत न ही मेरा कोई नाम रख और नाम रखना भी है तो आपस मे नामो को लेकर मत लड़ । केवल जो मै कहता हूं वो सुन और मान मैने तुझे गीता और कुरान जैसी अनमोल नेमते दीं है उसे पढ़ और उस पर अमल कर केवल अमल करने से ही जन्नत मिल सकती है और हां खुद ही अमल करना दूसरो को अमल करवाने मे लगेगा तो फ़िर मुल्क पाकिस्तान की तरह अल्लाह को प्यारा हो जायेगा ।
लगा कर घात
ReplyDeleteकरे आघात
बोल पाकिस्तान
क्या तेरी औकात
नजरिया कुछ अलग हट कर.
ReplyDeleteअच्छा लेखन,
ReplyDeleteयूँ ही लिखते रहें। आभार
ये कुछ ज्यादा ही सीरियस था... आपके अब तक के पढ़े लेखों की तुलना में... इसमें अध्यात्म और धर्म का अच्छा सम्मिश्रण है...
ReplyDeleteइस लिंक और लेख के लिए दोहरा आभार...
वाह मान गएँ हुजूर सर्वश्रेष्ठ पोस्ट
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