साहब नुक्कड़ पर, अकेले ही यूरिया वाली चाय पी रहा था कि भगवा झंडा लहराते कुछ लोग पहुंच गये। चाय वाले से पूछा- "वो कमीना व्यंग्यकार दवे कहां मिलेगा, जो अपने लेखो मे भगवान शिव को पात्र बनाता है । भाई सोहन शर्मा ने बात संभालने की कोशिश की- "भाई, लेखो में तो शिव जी का कही अपमान नही करता। खाली उनके माध्यम से व्यवस्था पर प्रहार करता है।" भगवा नेता भड़का- "वो मैं कुछ नही सुनूंगा। भगवान का नाम ही क्यों लिखता है। तुम तो ये बताओ, है कहां वो।" शर्मा जी ने बात टाली- "वो बाहर गया है, अगले हफ़्ते आयेगा।" नेता जी ने धमकी दी- "बता देना उस धर्म द्रोही को। हमें जहां मिलेगा वहीं मारेंगे। और तो और मर कर नर्क जायेगा, तो शिव जी उस को छोड़ेंगे नही।"
भगवा पार्टी के जाते ही, थर थर कांपता मैं घर पहुंचा। श्रीमती को सारी बात बताई। श्रीमती ने गंभीरता से विचार किया, बोलीं- "भगवा पार्टी से तो कोई डर नही। पर भगवान वाला मामला गंभीर है।" मैं सकपकाया- "वाह, भगवान तो मरने के बाद सजा देंगे। पर ये तो अभी पीटने खोज रहे हैं।" श्रीमती जी ने तर्क दिया- "आप अपनी जिम्मेदारियो तक से तो भाग जाते हो। तो ये क्या खाक तुम्हे पकड़ पायेंगे।" मैने कलप कर कहा- "इस आड़े वक्त में भी आप हमें जली कटी सुनाने से बाज नही आ रही।" श्रीमती ने विषय बदला- "वो छोड़िये, तत्काल शिव जी के पैर पकड़ अपना परलोक तो सुधारिये। तब तक मै भैया से कह कर भगवा पार्टी मामला निपटाती हूं।
छुपते छुपाते मै शिव मंदिर पहुंचा। पहुंचते ही प्रभु के पैर पकड़ लिये। गिड़गिड़ाने लगा- "प्रभु मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दीजिये। आधे घंटे तक रोने गाने पर भी जब प्रभु प्रकट न हुये। तो मैने पैतरा बदला- " हे महादेव, मैने तो केवल कुछ लेखो में आपके माध्यम से जनता को संदेश दिया है। इस पर आप मुझसे इतने खफ़ा हैं और जागो हिंदू वाले मुझे मारने खोज रहे हैं। जिन दिनकर जी ने संस्कृति के चार अध्याय नामक पुस्तक में। आपके बारे में विभिन्न श्लोको के द्वारा तमाम उदाहरण दिये हैं। उनको राष्ट्र कवि माना जाता है। कालिदास जी के ग्रंथ कुमार संभव में तो आपके वैवाहिक संबंधो का जीवंत चित्रण है। उनका तो ये जागो हिंदू वाले कालिदास समारोह मनाते हैं, महाकवि बुलाते हैं।" लेकिन प्रभु फ़िर भी प्रकट नही हुये। मैने रणनीती बदली और दोहे का सहारा लिया।
दिनकर अच्छा, कालीदास है प्यारा
फ़िर कहो प्रभु अपराध हमारा
इस दोहे को सुन भी प्रभु प्रकट न हुये। मैने फ़िर उनको याद दिलाई- हे देवाधिदेव महादेव, गीता तक में शरण मे आने पर सारी गलतिया माफ़ कर देने की बात कही गयी है ।
सर्व धर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं व्रजः
अहं त्वा सर्व पापेभ्यो मोक्षिष्यामी मा शुचः
लेकिन साहब इस पर भी काम न बना। तो मैने प्रभु को उनके अराध्य प्रभु श्री राम का हवाला दिया
प्रनतपाल रघुनायक करूना सिंधु खरारी ।
गएं शरण प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारी ॥
इतनी सारी दलीले, रेफ़रेंस से प्रभु को प्रकट होना पड़ा। बोले- " अरे भाई मैं कोई नाराज नही हूं। क्या तेरे जैसे तुच्छ आदमी के लिखने से मेरा अपमान हो जायेगा। याद रख देवता मान अपमान से परे होते हैं। मनुष्य खाली उनसे प्रेरणा लेकर उनकी निष्काम भक्ति कर। उनकी दी हुई शिक्षा को ग्रहण कर, जीवन म्रुत्यू के चक्र से बाहर निकल सकता है। धर्म धारण करने की वस्तु है। अर्थात धर्म को ग्रहण कर तदानुसार आचरण करना ही सत्य है । धर्म की व्याख्या हर एक व्यक्ति अपनी आस्था और समझ के अनुसार करता है ।"
फ़िर प्रभु ने सोचा- ’ये मै समझा किस गधे को रहा हूं। यदि आदमी समझदार ही होता तो समझाने की नौबत ही क्यों आती।’ प्रभु ने पूछा- "ये तुझे किसने कहा कि मै तुझसे नाराज हूं।" अब मैने भगवा नेता को नर्क भेजने का प्लान बनाया- " प्रभु जागो हिंदु सेना का नेता है। ये सेना बड़ा आतंक फ़ैलाती हैं। वेलेन्टाईन डे पर पार्को मे जाकर प्रेमी प्रेमिकाओ को मारते हैं।" तभी मेरे अंदर का हिंदू बीच में बोल उठा "वैसे कुछ अच्छे काम भी करते हैं ये लोग। धर्मांतरण कराने वाले पादरियो को पीटते हैं देवी देवताओ के चित्रो का दुरूपयोग भी रोकते हैं प्रभु ।"
प्रभु ने कहा- "क्या किसी को रोकने से धर्म की रक्षा होती है। धर्म की रक्षा धर्म की उन्नती से होती है। धर्म की उन्नती अच्छे आचरण से होती है, दानशीलता से होती है। धर्म शिक्षा के प्रचार प्रसार से होती है । क्या अमेरिका में किसी के कुरान जला देने से कुरान का महत्व कम हो गया। क्या उसमे दी हुई शिक्षा भी जल गयी? नही न। क्या मेरा चित्र कपड़ो में लगाने से मेरा अपमान हो जायेगा? नही हां। मेरे भक्तो की भावना आहत हो सकती है। पर इस पर शोर गुल मचाने से बाते और फ़ैलेगी आप चिढ़ते हो मालूम पड़ने से तो और भी लोग ऐसा करेंगे।" मैने कहा- "आपकी बात मै समझ गया प्रभु। पर वो भगवा नेता तो नही समझा न। मुझे जहां देखेगा वही पीटेगा। प्रभु ने कहा- "बेटा उसको याद दिला देना कि तू तो पिट जायेगा, पर तेरे पत्रकार भाई फ़िर उसको आसाराम बापू बना देंगे।"
प्रभु ने फ़िर कहा- "चलो मै आ ही गया हूं तो कोई वर मांगना हो तो मांग ले। मैं चीत्कार उठा- "मुझे मेरी पत्नी की गुलामी से मुक्ती दिला दें प्रभु। झाड़ू पोछा कर मैं थक गया हूं।" प्रभु मुस्कुराये और बोले- "बेटा तेरी पत्नी ने 101 सोमवार का व्रत कर, तेरे जैसा उत्तम पति पाया है। और तेरे पूर्व जन्मो के पाप तो तुझे भोगने ही हैं। ये वर तुझे दे सकता हूं कि इन कामो बोझ को तू सह सके। और अपनी श्रीमती की तमाम जली कटी तू हंसते हंसते सुन ले।" फ़िर तथास्तु कहते ही प्रभु अंतंरध्यान हो गये। और मै- "रुकिये प्रभु रूकिये" पुकारते पुकारते बेहोश हो गया। आखें खुली तो मै बिस्तर के नीचे पड़ा था और श्रीमती बड़बड़ा रही थी- "दिन में तो चैन से जीने नही देते। सपने में भी बड़बड़ा रहे हैं। कितनी बार कहा है ब्लाग लिखना बंद करो। पर ये है कि मानते नही।
भगवा पार्टी के जाते ही, थर थर कांपता मैं घर पहुंचा। श्रीमती को सारी बात बताई। श्रीमती ने गंभीरता से विचार किया, बोलीं- "भगवा पार्टी से तो कोई डर नही। पर भगवान वाला मामला गंभीर है।" मैं सकपकाया- "वाह, भगवान तो मरने के बाद सजा देंगे। पर ये तो अभी पीटने खोज रहे हैं।" श्रीमती जी ने तर्क दिया- "आप अपनी जिम्मेदारियो तक से तो भाग जाते हो। तो ये क्या खाक तुम्हे पकड़ पायेंगे।" मैने कलप कर कहा- "इस आड़े वक्त में भी आप हमें जली कटी सुनाने से बाज नही आ रही।" श्रीमती ने विषय बदला- "वो छोड़िये, तत्काल शिव जी के पैर पकड़ अपना परलोक तो सुधारिये। तब तक मै भैया से कह कर भगवा पार्टी मामला निपटाती हूं।
छुपते छुपाते मै शिव मंदिर पहुंचा। पहुंचते ही प्रभु के पैर पकड़ लिये। गिड़गिड़ाने लगा- "प्रभु मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दीजिये। आधे घंटे तक रोने गाने पर भी जब प्रभु प्रकट न हुये। तो मैने पैतरा बदला- " हे महादेव, मैने तो केवल कुछ लेखो में आपके माध्यम से जनता को संदेश दिया है। इस पर आप मुझसे इतने खफ़ा हैं और जागो हिंदू वाले मुझे मारने खोज रहे हैं। जिन दिनकर जी ने संस्कृति के चार अध्याय नामक पुस्तक में। आपके बारे में विभिन्न श्लोको के द्वारा तमाम उदाहरण दिये हैं। उनको राष्ट्र कवि माना जाता है। कालिदास जी के ग्रंथ कुमार संभव में तो आपके वैवाहिक संबंधो का जीवंत चित्रण है। उनका तो ये जागो हिंदू वाले कालिदास समारोह मनाते हैं, महाकवि बुलाते हैं।" लेकिन प्रभु फ़िर भी प्रकट नही हुये। मैने रणनीती बदली और दोहे का सहारा लिया।
दिनकर अच्छा, कालीदास है प्यारा
फ़िर कहो प्रभु अपराध हमारा
इस दोहे को सुन भी प्रभु प्रकट न हुये। मैने फ़िर उनको याद दिलाई- हे देवाधिदेव महादेव, गीता तक में शरण मे आने पर सारी गलतिया माफ़ कर देने की बात कही गयी है ।
सर्व धर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं व्रजः
अहं त्वा सर्व पापेभ्यो मोक्षिष्यामी मा शुचः
लेकिन साहब इस पर भी काम न बना। तो मैने प्रभु को उनके अराध्य प्रभु श्री राम का हवाला दिया
प्रनतपाल रघुनायक करूना सिंधु खरारी ।
गएं शरण प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारी ॥
इतनी सारी दलीले, रेफ़रेंस से प्रभु को प्रकट होना पड़ा। बोले- " अरे भाई मैं कोई नाराज नही हूं। क्या तेरे जैसे तुच्छ आदमी के लिखने से मेरा अपमान हो जायेगा। याद रख देवता मान अपमान से परे होते हैं। मनुष्य खाली उनसे प्रेरणा लेकर उनकी निष्काम भक्ति कर। उनकी दी हुई शिक्षा को ग्रहण कर, जीवन म्रुत्यू के चक्र से बाहर निकल सकता है। धर्म धारण करने की वस्तु है। अर्थात धर्म को ग्रहण कर तदानुसार आचरण करना ही सत्य है । धर्म की व्याख्या हर एक व्यक्ति अपनी आस्था और समझ के अनुसार करता है ।"
फ़िर प्रभु ने सोचा- ’ये मै समझा किस गधे को रहा हूं। यदि आदमी समझदार ही होता तो समझाने की नौबत ही क्यों आती।’ प्रभु ने पूछा- "ये तुझे किसने कहा कि मै तुझसे नाराज हूं।" अब मैने भगवा नेता को नर्क भेजने का प्लान बनाया- " प्रभु जागो हिंदु सेना का नेता है। ये सेना बड़ा आतंक फ़ैलाती हैं। वेलेन्टाईन डे पर पार्को मे जाकर प्रेमी प्रेमिकाओ को मारते हैं।" तभी मेरे अंदर का हिंदू बीच में बोल उठा "वैसे कुछ अच्छे काम भी करते हैं ये लोग। धर्मांतरण कराने वाले पादरियो को पीटते हैं देवी देवताओ के चित्रो का दुरूपयोग भी रोकते हैं प्रभु ।"
प्रभु ने कहा- "क्या किसी को रोकने से धर्म की रक्षा होती है। धर्म की रक्षा धर्म की उन्नती से होती है। धर्म की उन्नती अच्छे आचरण से होती है, दानशीलता से होती है। धर्म शिक्षा के प्रचार प्रसार से होती है । क्या अमेरिका में किसी के कुरान जला देने से कुरान का महत्व कम हो गया। क्या उसमे दी हुई शिक्षा भी जल गयी? नही न। क्या मेरा चित्र कपड़ो में लगाने से मेरा अपमान हो जायेगा? नही हां। मेरे भक्तो की भावना आहत हो सकती है। पर इस पर शोर गुल मचाने से बाते और फ़ैलेगी आप चिढ़ते हो मालूम पड़ने से तो और भी लोग ऐसा करेंगे।" मैने कहा- "आपकी बात मै समझ गया प्रभु। पर वो भगवा नेता तो नही समझा न। मुझे जहां देखेगा वही पीटेगा। प्रभु ने कहा- "बेटा उसको याद दिला देना कि तू तो पिट जायेगा, पर तेरे पत्रकार भाई फ़िर उसको आसाराम बापू बना देंगे।"
प्रभु ने फ़िर कहा- "चलो मै आ ही गया हूं तो कोई वर मांगना हो तो मांग ले। मैं चीत्कार उठा- "मुझे मेरी पत्नी की गुलामी से मुक्ती दिला दें प्रभु। झाड़ू पोछा कर मैं थक गया हूं।" प्रभु मुस्कुराये और बोले- "बेटा तेरी पत्नी ने 101 सोमवार का व्रत कर, तेरे जैसा उत्तम पति पाया है। और तेरे पूर्व जन्मो के पाप तो तुझे भोगने ही हैं। ये वर तुझे दे सकता हूं कि इन कामो बोझ को तू सह सके। और अपनी श्रीमती की तमाम जली कटी तू हंसते हंसते सुन ले।" फ़िर तथास्तु कहते ही प्रभु अंतंरध्यान हो गये। और मै- "रुकिये प्रभु रूकिये" पुकारते पुकारते बेहोश हो गया। आखें खुली तो मै बिस्तर के नीचे पड़ा था और श्रीमती बड़बड़ा रही थी- "दिन में तो चैन से जीने नही देते। सपने में भी बड़बड़ा रहे हैं। कितनी बार कहा है ब्लाग लिखना बंद करो। पर ये है कि मानते नही।
बहुत ही सटीक लिखा है आपने तो!
ReplyDeleteमगर धर्म के ठेकेदारों को तो अपनी दादागिरि से मतलब!
ha ha ha ha ha ha ha ha ..hsi band hi nhi ho rhi...ha ha ha..aaj din bhar me ek chij ye kaam ki hui..aapki rachna padhi maine
ReplyDeleteनो कमेन्ट!
ReplyDeleteउम्दा व्यंग्य है. ऐसे ही लिखते रहो, भगवान प्रसन्न होगे.
ReplyDeleteव्यंग्य लेखन दोधारी तलवार के समान है. इसमें जोखिम भी है. आपके हाथों यह तलवार भगवान ने सौंपी है . फिर जोखिम उठाने में डर कैसा ? हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeletehahahahahaahaha
ReplyDelete:-)....
ReplyDeleteजिन लोगों पर आपने निशाना साधा है, वे भी नहीं समझ पाए. हो सकता है कि समझ भी गए हों.
ReplyDeleteव्यंग्य के माध्यम से बहुत सुंदर संदेश दिया आपने. मेरी ओर से बधाई स्वीकार करें.
जय शिव शंभू, कभी हमें भी दर्शन देना!!! :)
ब्लागिंग में डूबे रहने की वजह से घरेलू और सामाजिक विवाद बढ़ रहे है.ईट ब्लागिंग ड्रिंक ब्लागिंग की वजह से एक नया रोग सामने आ रहा है जिसे वैज्ञानिको ने "ब्लोमेयोपिया" का नाम दिया है.
ReplyDeleteयहाँ जानवरों का क्या काम ?
Kamal Kumar Singh via face book -- sena ko julaab ka goli thama dijiye , yudhh chhektra me to sulabh comple ki vayvstha bhi nahi hai , sharmaa sharamma ke mar jayenge sab ..
ReplyDeleteAmit Kumar via facebook मुझे आपका व्यंग बहुत अच्छा लगता है
ReplyDeleteमेरी ये दुआ है
आप हमेशा ऐसे ही लिखते रहिये
Sudarshan Kumar via face book --- आप ज़ो ऐसे सामजिक मुद्दे पर comment करते है वो लाज़बाब होते है
ReplyDeleteकिसी व्यक्ति या समुदाय को ईसे अपने उपर नही लेना चाहिये
Ravi Singh via face book -- Dave ji.. I m a fan of your writing.. I keep checking all the new post by you in your blog.. though I m not following .. it.. unnecessary as I have bookmarked your blog.. keep posting on.. I m waiting for the 4th part of your sequal
ReplyDeleteअच्छी बातचीत है और उसमें व्यंग्य की धार भी बहुत खूब है!
ReplyDeleteबहुत अच्छा व्यंग्य लेख है| मैं इसे शेयर कर रहा हूँ |
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