मम्मी और दिग्गी मांमू भाग दो - दिग्गी मांमू और राहुल बाबा का गीता संवाद
अब चुनाव युद्ध का समय आ चुका था राज्य मे महज तिहाई हिस्सा मांगने के बावजूद मुलायम कुरूव्रुद्ध और और गांधार कुमारी महामाया ने इंकार कर दिया था । दूत भेजने बुलाने का समय जा चुका था रणभेरी बज चुकी थी । प्रचार रथ मे खड़े होकर सारथी रामू काका से बाबा ने कहा मेरा रथ हमारी और विरोधियों की सेनाओ के बीच खड़ा करे । मै हमारी सेनाओं से युद्ध के अभिलाषी सभी वीरो को देखना चाहता हूं । रथ के बीच मे आते ही राहुल बाबा ने विपक्षी दलो के ध्वजो से सजी उनकी सेनाओ और सेनापतियों को देखा महारथियों को भी देखा और आम सैनिको को भी देखा जो दल भक्ती के कारण युद्ध मे आ जुटे थे । मरने मारने को उतारू इन सभी को देख बाबा का मन विषाद से भर गया ।
और बोले रामू काका ईडिया जैसे टेन कन्ट्रीस का राज्य भी मिल जाये तो भी मेरे एनसेस्टर्स के वर्क लैंड मे मै अपनो पर ही वार नही कर सकता कुरूव्रुद्ध मुलायम और और गांधार कुमारी महामाया दोनो ही पूज्यनीय हैं क्या आपको याद नही डील परमाणू से लेकर 2 G तक हर मौके पर इनका स्नेह हमें मिलता रहा है कुरूव्रुद्ध ने तो डील परमाणू मे हमारी रक्षा के लिये अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और गांधार कुमारी ने हमारे अलावा क्या किसी और को भट्टा परसौल जाने दिया था। और पितामह लाल किशन को तो देखो कब से राज्याभिषेक के लिये पाईपलाईन मे लगे हैं क्या हो जायेगा जो एक बार ये ही बन जायें । मै प्रचार नही करूगा ऐसा कह बाबा रथ मे ही नीचे बैठ गये ।
रामू काका तुरंत राम किशन बन गये और ओज पूर्ण स्वर मे बोले - जनता को टॊपी पहनाने वाले उच्च राजकुल मे जन्म लेकर भी यह कुविचार आपके मन मे आया कैसे । हे इंदिरेश अपनी गौरव पूर्ण कुलगाथा को याद कीजिये कैसे आपकी महान दादी ने आपातकाल लगाने तक मे हिचक न की थी कैसे उनके पिता ने इसी राजगद्दी के लिये देश का बटवारा भी मंजूर कर लिया था । कैसे आपके परम प्रतापी चाचा ने अपनी प्रचंडता से आर्यावर्त को हिला कर रख दिया था समस्त फ़िल्मी अप्सरायें भी उनके तेज से डर उनके सामने न्रत्य किया करती थीं । आपकी माता को ही लीजिये सात समुद्र पार के राज्य की होने पर भी उन्होने कितनी कुशलता से यहां की राजनीती सीख आपके उत्तराधिकार की रक्षा की है । हे इटिलेश आप अपने कुल को कलंकित न कीजिये पकड़िये माईक और प्रचार युद्ध शुरू कीजिये । अपना अक्षय भाषण तुणीर उठाइये और प्रहार कीजिये ।
बाबा इतना सुन कर भी तत्पर न हुये बोले रामू काका क्या मेरे आरोप अस्त्र से कुरूव्रुद्ध और गांधार कुमारी आहत न होगी मोहन दादा को कमजोर कह चुके लालकिशन दादा को मै उनसे उम्र मे आधा यदि कमजोर कह दूंगा तो क्या वे व्यथित न होंगे । क्या इससे मर्यादा भी भंग न होगी । रामू काका मुस्कुराये बोले हे राजीव नंदन ये सब क्षत्रीय राजनेता हैं इन पर आरोप अस्त्र का कोई असर नही होता और आश्वासन बाण के सम्मोहन मे ये आते नहीं हैं युद्ध हार जाने पर भी इनका और आपका अंदरूनी प्रेम कम न होगा । और युद्ध समाप्ती के बाद इन सब से आपका पुनः प्रेम स्थापित हो जायेगा और यदि किसी का मन दुख भी जाये तो आप लालकिशन दादा की तरह माफ़ीनामा जारी कर देना ।
क्रमशः
पिछला घटना क्रम जानने के लिये -
अब चुनाव युद्ध का समय आ चुका था राज्य मे महज तिहाई हिस्सा मांगने के बावजूद मुलायम कुरूव्रुद्ध और और गांधार कुमारी महामाया ने इंकार कर दिया था । दूत भेजने बुलाने का समय जा चुका था रणभेरी बज चुकी थी । प्रचार रथ मे खड़े होकर सारथी रामू काका से बाबा ने कहा मेरा रथ हमारी और विरोधियों की सेनाओ के बीच खड़ा करे । मै हमारी सेनाओं से युद्ध के अभिलाषी सभी वीरो को देखना चाहता हूं । रथ के बीच मे आते ही राहुल बाबा ने विपक्षी दलो के ध्वजो से सजी उनकी सेनाओ और सेनापतियों को देखा महारथियों को भी देखा और आम सैनिको को भी देखा जो दल भक्ती के कारण युद्ध मे आ जुटे थे । मरने मारने को उतारू इन सभी को देख बाबा का मन विषाद से भर गया ।
और बोले रामू काका ईडिया जैसे टेन कन्ट्रीस का राज्य भी मिल जाये तो भी मेरे एनसेस्टर्स के वर्क लैंड मे मै अपनो पर ही वार नही कर सकता कुरूव्रुद्ध मुलायम और और गांधार कुमारी महामाया दोनो ही पूज्यनीय हैं क्या आपको याद नही डील परमाणू से लेकर 2 G तक हर मौके पर इनका स्नेह हमें मिलता रहा है कुरूव्रुद्ध ने तो डील परमाणू मे हमारी रक्षा के लिये अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और गांधार कुमारी ने हमारे अलावा क्या किसी और को भट्टा परसौल जाने दिया था। और पितामह लाल किशन को तो देखो कब से राज्याभिषेक के लिये पाईपलाईन मे लगे हैं क्या हो जायेगा जो एक बार ये ही बन जायें । मै प्रचार नही करूगा ऐसा कह बाबा रथ मे ही नीचे बैठ गये ।
रामू काका तुरंत राम किशन बन गये और ओज पूर्ण स्वर मे बोले - जनता को टॊपी पहनाने वाले उच्च राजकुल मे जन्म लेकर भी यह कुविचार आपके मन मे आया कैसे । हे इंदिरेश अपनी गौरव पूर्ण कुलगाथा को याद कीजिये कैसे आपकी महान दादी ने आपातकाल लगाने तक मे हिचक न की थी कैसे उनके पिता ने इसी राजगद्दी के लिये देश का बटवारा भी मंजूर कर लिया था । कैसे आपके परम प्रतापी चाचा ने अपनी प्रचंडता से आर्यावर्त को हिला कर रख दिया था समस्त फ़िल्मी अप्सरायें भी उनके तेज से डर उनके सामने न्रत्य किया करती थीं । आपकी माता को ही लीजिये सात समुद्र पार के राज्य की होने पर भी उन्होने कितनी कुशलता से यहां की राजनीती सीख आपके उत्तराधिकार की रक्षा की है । हे इटिलेश आप अपने कुल को कलंकित न कीजिये पकड़िये माईक और प्रचार युद्ध शुरू कीजिये । अपना अक्षय भाषण तुणीर उठाइये और प्रहार कीजिये ।
बाबा इतना सुन कर भी तत्पर न हुये बोले रामू काका क्या मेरे आरोप अस्त्र से कुरूव्रुद्ध और गांधार कुमारी आहत न होगी मोहन दादा को कमजोर कह चुके लालकिशन दादा को मै उनसे उम्र मे आधा यदि कमजोर कह दूंगा तो क्या वे व्यथित न होंगे । क्या इससे मर्यादा भी भंग न होगी । रामू काका मुस्कुराये बोले हे राजीव नंदन ये सब क्षत्रीय राजनेता हैं इन पर आरोप अस्त्र का कोई असर नही होता और आश्वासन बाण के सम्मोहन मे ये आते नहीं हैं युद्ध हार जाने पर भी इनका और आपका अंदरूनी प्रेम कम न होगा । और युद्ध समाप्ती के बाद इन सब से आपका पुनः प्रेम स्थापित हो जायेगा और यदि किसी का मन दुख भी जाये तो आप लालकिशन दादा की तरह माफ़ीनामा जारी कर देना ।
क्रमशः
पिछला घटना क्रम जानने के लिये -
achcha lapeta hai,parmanu deal se lekar 2g taaq aur terminology to gazab ki hai,
ReplyDeleteहर बार की तरह इस बार भी अच्छा व्यंग्य. राजनीति की हकीकत बयां करने में आपने कोई कसर नहीं छोड़ी.
ReplyDeleteये लोग युद्ध के बाद फिर से एक हो जाते हैं.
मारा पापड़ वाले को, सहला रहे होंगे बेचारे........
ReplyDeleteरामू काका मुस्कुराये बोले हे राजीव नंदन ये सब क्षत्रीय राजनेता हैं इन पर आरोप अस्त्र का कोई असर नही होता और आश्वासन बाण के सम्मोहन मे ये आते नहीं हैं युद्ध हार जाने पर भी इनका और आपका अंदरूनी प्रेम कम न होगा ।
ReplyDeleteNice post.
बहुत बढ़िया... अच्छा संवाद चल रहा है..
ReplyDeleteबढ़िया सम्वाद हैं!
ReplyDeleteआपकी विशिष्ट शैली में रची व्यंग रचनाएँ आपकी अलग ही पहचान बनाती हैं । उत्तम प्रस्तुति...
ReplyDeleteha..haaa...haa ..mast aalekh sir ..ek dum jhakaash har sabd me vyang ke ssath sacchai ..ka gajab sanyojan ..maja aagaya sir "
ReplyDeleteभई, आपने तो सारा चिठ्ठा ही खोल दिया... काश हमारी जनता समझ पाती... प्रशंसनीय लेख...
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