एक दिन सुबह सुबह, पत्नी ने मेरे हाथो से झाड़ू लेकर गर्मागरम चाय की प्याली रख दी । आसन्न खतरे को भांप कर मैं सर्तक हो गया। श्रीमती ने कहा- " सुनिये, आज कल मेरा समय खराब चल रहा है। क्यों न किसी अच्छे बाबा की शरण में चलें| मै मन ही मन भुनभुनाया, झाड़ू पोछा मैं कर रहा हूं। और समय इनका खराब चल रहा है । श्रीमती ने निरमा बाबा की जानकारी दी। बड़े पहुंचे हुये बाबा हैं। टीवी चैनलो में छाये रहते हैं। मैने बहुत समझाया, कि बाबा लोगो का चक्कर बेकार है भाई। केवल टोपी देते हैं। अरे उनमे ऐसी शक्तियां होती तो खुद का भला पहले करते। काहे गरीबो से पैसे लेने की दरकार होती। ये टीवी वाले भी, इनको नैतिकता से कोई लेना देना थोड़े है। जिससे पैसा मिला उसको दिखा दिया । लेकिन समझाना व्यर्थ था, पूरे तीन हजार रूपये बाबा के बैंक खाते में जमा करके बाबा से उनके एक शिविर मे मिलने का नंबर लगा।
वहा पहुंचे तो देखा, सैकड़ो की भीड़ थी। संपर्क स्थल पर एक दादा टाईप भक्त ने मनी रिसीट की जांच की और ससम्मान लाईन में लगा दिया। नियत स्थान पर पहुचते ही मैने नजर घुमाई। चारो ओर भक्ती का सागर हिलोरे मार रहा था। वही कुछ मेरे टाईप के असंतुष्ट भी थे जो कि बीबीयों द्वारा बलपूर्वक लाये गये थे। बाबा का कार्यक्रम शुरू हुआ, सबसे पहले लाटरी लगी वाले अंदाज में कुछ भक्तो ने बाबा का गुणगा्न शुरू किया। किसी की लड़की की शादी बाबा के आशीर्वाद से हुई थी। किसी का व्यापार रतन टाटा की तरह चमक गया था। लाईने ऐसी बोल रहे थे कि मानो स्वयं कादर खान ने लिखी हो। मैने मन ही मन अनुमान लगाया, ये लोग कम से कम 3000 प्रतिदिन लेते होंगे । उधर पत्नी ने विजयी निगाहो से मुझे देखा। मानो सही बाबा तक पहुंचाने के लिये मुझे उनका उपकार मानते हुये रात को आधा घंटा अतिरिक्त अपना हाथ पैर दबाने का निर्देश दे रही हो।
खैर नये भक्तो का नंबर आया। एक ने अपनी समस्या बताई। उसके लड़के का मन पढ़ाई में नही लगता था। बाबा ने पूछा गाय को रोटी देते हो। जवाब मिला- " हां बाबा " , "पराठा खिलाते हो" - "हां बाबा"। मैंने मन ही मन सोचा अब फ़से बाबाजी। लेकिन बाबा भी महा ज्ञानी थे। उनने पूछा ज्वार, गेहूं और बाजरे की मिश्रित रोटी खिलाते हो । अब इसका जवाब तो ब्रह्मा जी को भी न से ही देना पड़ता। बेचारा भक्त क्या कहता। बाबा ने विजयी मुस्कान से कहा- "किरपा कैसे होगी रोज 3 रोटी खिलाया करो" और फ़िर हाथ उठा कर आशिर्वाद दिया । भक्त भी खुशी खुशी दंडवत हो गया। ऐसे ही बाबा किसी को आलू की चाट खाने या खिलाने बोल रहे थे| तो किसी को नरियल बांटने| १०० फ़ुट दूर से ही उनकी शक्तीशाली किरपा भक्तो पर हो जा रही थी ।
अब हमारा नंबर आया। भोली श्रीमती ने श्रद्धा पूर्वक सिर नवाया। पीछे मैं भी अनिच्छा से खड़ा हो गया। बाबा ने पूछा- "क्या दिक्कत है बेटा।" श्रीमती ने जवाब दिया- "मेरे पति लेखक भी हैं। पर जहां भी अपनी रचनाएं भेजते हैं, मेल आ जाती है कि क्षमा कीजियेगा अभी हमारे यहां भुगतान की सुविधा नही है। वैसे आप लिखते शानदार हैं। आप ही बताओ बाबा, पैसा ही नही मिलेगा तो बेचारा लेखक जियेगा कैसे। बाबा ने ध्यान से मेरी ओर देखा और अपनी चौथी आंख का प्रयोग कर मेरे चेहरे पर उभरी अश्रद्धा को भी पढ़ लिया। लग रहा था कि उन्होने मुझे अपना पर्मानेंट चेला बनाने का प्रण कर लिया था। शायद उनको अपना प्रवचन लिखवाने के लिये किसी लेखक की दरकार रही होगी ।
बाबा ने पूछा- "क्यों मदिरा पीते हो।" पीछे से श्रीमती ने गर्व से कहा- "पीते थे बाबा जी, पर मैने शादी के बाद छुड़वा दी है। बाबा ने पूछा- "आखिरी बार कब पी थी।" मैने श्रीमती की ओर देख भय से सूखे होठो पर जीभ फ़ेरी। बाबा बोले -"डरो मत, सही सही बोलो।" पत्नी भी जलती आखों से घूर रही थी। मानो कह रही हो कि पीने में शर्म नही आयी अब बताने मे लजा रहे हैं। मैने धीरे से कहा- "दो हफ़्ते पहले।" बाबा बोले- "कहां पी थी।" मैने जवाब दिया- "हिन्दी की दुर्दशा सम्मेलन में गया था वहां। बाबा ने पूछा- "भुगतान किसने किया था।" अब गर्व करने की बारी मेरी थी- "जी एक अमीर हिंदी प्रेमी ने।" बाबा ने पूछा- "अपने पैसे से आखिरी बार कब पी थी।" मैने सहमते हुये बताया- "पेड न्यूज के विरोध में हुये सम्मेलन में 1 महिने पहले।" बाबा मुसकुरा कर बोले- "बेटा, तू तो भोलेनाथ का भक्त है। नही पियेगा तो किरपा कैसे होगी। रोज तीन पैग पिया करो। जब तक मुफ़्त मिले तो ठीक है। पर ध्यान रहे पीना रोज है।"
मैं ठगा सा खड़ा रह गया, वाह ऐसे किरपालू बाबा और मैं मूर्ख आज तक इनसे दूर था। मै तत्क्षण बाबा के चरणॊ में दंडवत हो गया। अभी मुझ पर और कुपा होनी बाकी थी बाबा ने कहा- "बेटा एक बात ध्यान रहे। घर में झाड़ू पोछा कुछ भी किया। तो तेरा भाग्य तुझसे रूठ जायेगा।" मै आकंठ चीत्कार उठा "निरमा बाबा की" पुरा शिविर गूंज उठा सारे पुरूष भक्त बोल उठे "जय"। मै कसम खा कर कह सकता हूं कि उसमे एक भी महिला की आवाज न थी। बाबा की भक्ती में डूब कर मैने तुरंत अगले शिविर के लिये नगद रसीद कटाई (अभी बर्तन धोने और खाना बनाने से मुक्ती मिलना बाकी जो था)और सपत्नीक घर की ओर लौट चला ।
घर लौट कर मैनेएक हफ़्ते तक स्वर्ग की अनुभूती की। ऐसा लग रहा था मानो नीचभंग राजयोग स्वयं मेरी कुंडली में उतर आया हो। यहां तक की अड़ोसी पड़ोसी भी मुझसे जलने लगे थे कि एक दिन मैने अपने पैरो मे कुल्हाड़ी मार ली। हुआ कुछ ऐसा कि रात की ठीक से उतरी भी न थी। और नींद भी मेरी खुली न थी कि श्रीमती ने मुझसे पूछा - क्यों जी क्या ये बाबा लोग सच्चे होते हैं।" मेरे मुह से निकल गया- "अरे सब पाखंडी है साले भोले भाले लोगो को ठगते हैं।" बस क्या था साहब मेरे उपर एक बाल्टी पानी पड़ा और बिस्तर से खींच हाथो में झाड़ू थमा दिया गया। वो दिन है और आज का दिन मैं अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाता हूं।"
हा हा हा हा आखिर बाबा का चमत्कार देख ही लिया।
ReplyDeletegood.
ReplyDeleteha ha ha
ReplyDeleteBaba ne kaha tha roz peena.... Muft ki... aapne baat nahi maani... ye to hona hi tha :)
wah re nirma baba:P
ReplyDeleteहमारा देश तो ऐसी संत प्रतिभाओं की खान है.. एक पहुंचे हुए संत के दर्शन कराने का आभार :)
ReplyDeleteवाह... वाह... और क्या कहूं .... वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह
ReplyDeleteबाद वाले कॉपी पेस्ट हैं...
यह कहानी है मगर सत्य प्रतीत होती है .........काश इस सत्य को सभी पहचान लें ,इसके लबादे कई हो सकते हैं ,
ReplyDeleteतुम्हारी जगह में होता तो किसी बाबा की बजाय बाबी के पास जाता.हाय रे क्या गजब करती हें ये बबियाँ भी
ReplyDeleteप्रदीप नील www.neelsahib.blogspot.com
बाबा नाम केवलम.
ReplyDeleteवाह... वाह... और क्या कहूं .... वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह
ReplyDeleteबाद वाले कॉपी पेस्ट हैं... (और पहले वाले भी)
वाह.... बहुत उम्दा चित्रण किया है.... मदिरा सेवन का परिणाम भुगतना बहुत प्रशसंनीय है।
ReplyDeleteरे दुष्ट| कैसा अष्टाव्क्रा है जो हिन्दू धर्म पर ही आघात कर रहा है? क्या कांग्रेस से पैसा खा कर आ रहा है?
ReplyDeleteसेकुलर लोग तो मदारी के बन्दर की तरह है इशारा हुआ तो नाचने लगे और मदारी चला गया तो पीठ पीछे मुह चिढाने लगे| ये लोग न आप के ना बाप के|
जैसे माल-मलाई तोला मिलत रिहिस भईया, तें हं एक कनि अउर धीर राखे रतेस ना. तहूँ ह बुड़ गे हस अउ हमन घलोक देखतन अबके कौन बाबा मिलही.
ReplyDeletePRATYEK JAGAH PAR STHITI EK SI NAHIN HOTI...HAN HINDUON ME APNE DHARAM K PRATI ANDH VISHVAASH ADHIK HAI......SACHA SANT DHOONDNA KATHIN HAI....JAISE SHER ADHIK NAHIN HOTE JANGAL ME BHERIYE ADHIK MIL JAAYENGEY ...
ReplyDeletekamaal ka vyang, shabdon ka behtrin taal-mel...
ReplyDeleteabhaar vyakt krta hun.
roman lipika upyog kr raha hun kshama chahunga.
काश आप ये दुबारा न बोले होते: "अरे सब पाखंडी है साले भोले भाले लोगो को ठगते हैं बस "
ReplyDeleteaccha h saccha h
ReplyDeleteaapki lekhni ne antarman ko udwelit kar diya.
ReplyDeleteसर पिछले हफ्ते की TRP इसी निरमा बाबा के प्रोग्राम की सबसे ज्यादा थी एक छेत्रिय चैनल की
ReplyDeleteजैसे जैसे मानव जीवन कठिन होता जाएगा वैसे वैसे इन ढोंगी बाबाओं का शिकंजा कसता जाएगा, इसे रोकना संभव नहीं ।
ReplyDeleteढोंगी निर्मल बाबा से ऐसे निपटे-
ReplyDeleteसौरभ - "बाबा, मुझे रास्ता दिखाएँ मेरी शादी नहीं हो रही, बहुत चिंतित हूँ!"
निर्मल - बेटा आप करते क्या हो??
सौरभ - आप बताये शादी के लिए कौन सा काम उचित रहेगा??
... निर्मल - तुम मिठाई की दूकान खोल लो!
सौरभ - बाबा वोह खोली हुई है, मेरे पिता की वोह दूकान है!
निर्मल - शनिवार के दिन दूकान 9 बजे तक खोला करो!
सौरभ - शनी मंदिर के पास ही मेरी दूकान है जिस वजह से मैं देर रात तक दूकान खोला रहता हूँ!
निर्मल - काले रंग के कुत्ते को मिठाई खिलाया करो!
सौरभ - मेरे घर में काले रंग का ही कुत्ता है जिसे मैं सुबह शाम मिठाई ही मिठाई खिलाता हूँ!
निर्मल - सोमवार को शिव मंदिर जाया करो!
सौरभ - मैं केवल सोमवार नहीं, हर दिन शिव मंदिर जाता हूँ!
निर्मल - भाई-बहन कितने है???
सौरभ - बाबा, आपके हिसाब से शादी के लिए कितने भाई बहन होने चाहिए!
निर्मल - दो भाई और एक बहन!
सौरभ - बाबा मेरे सच में दो भाई और एक बहन है!
निर्मल - दान किया करो!
सौरभ - बाबा मैंने अनाथ-आश्रम खोल रखा है और उचित दान करता रहता हूँ!
निर्मल - बद्रीनाथ कितनी बात गए हो?
सौरभ - बाबा, आपके हिसाब के शादी के लिए कितनी बार बद्रीनाथ जाना चाहिए???
निर्मल - कम से कम २ बार!
सौरभ - मैं भी दो बार ही गया हूँ!
निर्मल - अच्छा, नीले रंग की शर्ट जाएदा पहना करो!
सौरभ - बाबा, पिछले चार साल से मैं नीले रंग की शर्ट पहन रहा हूँ कल ही धोले के लिए उतारी थी आज सूखते ही दुबारा पहन लूँगा, और कोई उपाए??
निर्मल - माँ-बाप की सेवा करते हूँ!
सौरभ - माँ बाप की इतनी सेवा की कि दोनों सीधे स्वर्ग चले गए!! बाबा एक सवाल पुछु??
निर्मल - हाँ, जरुर???
सौरभ - बाबा, जरा ध्यान से देखिएगा कि मेरे माथे में C लिखा हुया है???
निर्मल - नहीं!
सौरभ - तोह बाबा, हो सकता है कि या तोह आपके पास समय जाएदा है जो बैठ के लगे चुटिया बनाने या तोह इन बैठे हुए सभी लोगो के पास पैसा जाएदा है जो 3 - 3 हजार का टिकेट लेके चुटिया बनने यहाँ आ गए??
वैसे एक बात और कह देता हूँ बाबा!
निर्मल - हाँ क्या??
सौरभ - मैं पहले से शादी शुदा हूँ और दो बच्चो का बाप भी! वोह तोह यहाँ से गुजर रहा था तोह सोचा थोडा टाइम पास आपसे करता चालू!
बढ़िया ;)
ReplyDelete
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