Monday, October 24, 2011

ट्रेन टू पाकिस्तान

दोस्तों

मैने एक नया ब्लाग बनाया है,  जिसमे पाकिस्तान में घट रही घटनाओं पर सतत जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास रहेगा। इस ब्लाग  में मेरी कोशिश रहेगी कि आप  सभी को पाकिस्तान मे चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दूं। मेरे शुरूवाती लेख ही देश के प्रमुख अखबारों मे शाया हुये हैं। इसका मतलब तो साफ़ ही है कि ब्लाग जगत भी  समाचार जगत पर अब गहरा प्रभाव डाल रहा है।

पाकिस्तान- अपने बनाये जाल में फ़ंसा देश  



यह लेख पाकिस्तान की उलझन और भविष्य पर आधारित है


आपका ही

अरूणेश सी दवे



 

 

 




 

Friday, October 21, 2011

मुस्लिम युवा आत्मह्त्या नही करते ~~~~हिंदू युवा ही क्यों करते है

मियां बात ऐसी है कि आज अनवर जमाल साहब की पोस्ट "क्यों मर रहे हैं उच्च शिक्षित हिंदू युवा।"  पढ़ते ही दिमाग झनझना गया। संघ का तो कोई आदमी जवाब क्या देता, वो तो बेचारे "हम अन्ना के समर्थन में हूं" में व्यस्त हैं। और कांग्रेस अन्ना वादियों को चोर साबित करने में। अब अनवर जमाल साहब ने लेख लिखा और उनके जैसे महानतम सर्वधर्मी विद्वान के लेख पर अगर प्रतिक्रिया न आये तो समझिये कि यह उनका अपमान है। खैर अपमान करने वाले हम सभी का मुफ़्त में अपमान कर ही देते हैं।  वो तो भला हो  कि टिप्पणी में कुछ फ़ंदा लगाया है,  वरना लेखकों की इज्जत उतारना आसान सा काम है। किसी ने लिखने में दिन लगाया और किसी ने इज्जत उतारने में सिर्फ़ "अमां इस गवांर को लेखक किसने बनाया"  लिख दिया और लेखक गया तेल लेने।

खैर हम साहब हिंदू है सो पहली चिंता तो यह हुयी कि हिंदू युवा क्यों मर रहे हैं। दूसरे हमारे बच्चे पढ़ लिख कर उच्च शिक्षित बनें ऐसी हम रोज भगवान से  दुआयें करते हैं। सो हमने लेख खोला.  उसमे लिखा तो कुछ न था, खाली एक उच्च शिक्षित हिंदू युवा के आत्म हत्या की खबर थी। हमारा दिल धड़का कि मियां जब कुछ कहा ही नही,  दिग्विजय सिंग टाईप खाली फ़ोकट लोगो का ध्यान खींचने के लिये हेडिंग लगा दी तो हम जवाब दें क्या। हमारा हाल लगभग अन्ना की तरह हो गया और जमाल साहब हेडिंग लगा कर दिग्विजय सिंग की तरह मजा ले रहे थे। खैर हमने दिमाग लगाया कि हिंदू उच्च शिक्षित युवा ही आत्म हत्या करते हैं और मुस्लिम उच्च शिक्षित युवा नही करते । इसका जवाब या तो कुरान मे मिलेगा या वेदों में,  वेद्कुरान ब्लागस्पाट में तो खैर नही मिल सकता कि मियां जमाल साहब ही चलाते हैं और उन्हे मालूम होता तो वे यह सवाल उठाते ही क्यों।


सो हमने एक इसाई को खोजा कि भाई ये आदमी  मामले को सुलझायेगा। सो पीटर से हमने पूछा- कि साहब फ़र्क क्या है।"  वे बोले- "भाई हिंदू खुद मरता है और मुसलमान सबको ले मरता है।" हमने कहा- " भाई बात विस्तार से कहो।"  वे बोले- " मुसलमान को जब दुनिया से निराशा होती है तो चला जाता है मौलवी के पास। मौलवी न केवल उसे जन्नत नशीं होने का सर्टीफ़िकेट देता है बल्की,  उसके खानदान वालों को पैसे भी देता है बशर्ते कि ऐसा आत्मह्त्या करने वाला इस्लाम के लिये मारने जा रहा हूं का वीडियो खिंचवा ले और आत्म घाती हमला कर दे।"

अब साहब अमेरिका का पाकिस्तान से संबंध टूट चुका है और बेगम हिलेरी कल पाकिस्तान भी आ रही है कि आतंकवाद को रोको वरना अमेरिका पाकिस्तान पर हमला कर देगा । सो हमने सोचा कि इसाईयों की बात सुनना आज सही नही,  बेचारे पाकिस्तान और मुस्लिम भाईयों को पहले जेहाद का लारी लप्पा दिया और अब मामला उल्टा पड़ा तो पाकिस्तान पर हमले की बात कह रहे हैं।


अब हमने सोचा कि किसी धर्म निरपेक्ष आदमी से पूछा जाये,  सो हमने कमल वामपंथी से पूछा,  वे हंसने लगे,  बोले-  "भाई मुस्लिम उच्च शिक्षा को प्राप्त करेंगे तब न आत्म हत्या करेंगे । अभी तो बेचारे कांग्रेस के मारे,  साठ साल बाद भी अधिकाशंतः अनपढ़ है। अंगूठा छापी मे वोट देते है, कांग्रेस इसी का तो खा रही है,  भाजपा भी इसीलिये तो हिंदूओं का बजा रही है। भाई भारत मे वोट विकास के नाम पर नही,  धर्म और जातीवाद के नाम पर पड़ता है। वरना देश में भाजपा, कांग्रेस नही ऐसी पार्टी होती जो भारत वादी होती।


हमने कहा- " कमल जी,  बाकी तो हम समझ गये पर यह नही समझे कि अनवर जमाल साहब ऐसा क्यों लिखते हैं। "कमल जी हंसने लगे बोले - " भाई उसको अल्लाह ने ठेका देकर भेजा है कि तूने सौ लोगो को मुसलमान बना लिया तो तुझे मैं जन्नत अता फ़रमाउंगा।" हमने कहा- "कमल जी अगर हम सौ लोगो को हिंदू बना दें तो क्या हमको स्वर्ग मिल जायेगा।" वे हंसने लगे, बोले - मियां, आप पहले हिंदू बन जाओ और अनवर जमाल मुसलमान  फ़िर हमारे पास आना,  अल्लाह और भगवान तुम दोनो को जन्नत अता फ़रमा देंगे। यही तो लिखा है वेद और कुरान में कि धर्म के अनुसार आचरण करो, अच्छे इंसान बनो, दूसरों की पीड़ा और दर्द को समझो और किसी को तकलीफ़ न पहुंचाओ तो तुम्हे स्वर्ग या जन्नत की प्राप्ती होगी।"

Tuesday, October 18, 2011

हाय रे हाय मीडिया बिक गया







                                              पवन जी के पवन टून से साभार

सुबह सुबह नुक्कड़ पर दीपक हिंदूवादी  दुखी नजर आये,  हमने कारण पूछा तो फ़ट पड़े - " ये भारत का मीडिया बिकाउ है साला।"  हमने कहा- "अरे भाई,  अखबार बिकेंगे नही लोग खरीद कर पढ़ेंगे नही तो चलेंगे कैसे।"  दीपक जी ने हमारी बुद्धी पर तरस खाते हुये समझाया -" अरे भाई वैसे बिकाउ नही कहा हमने,  हमारा कहने का मतलब है कि संपादक लेखक लोग पैसे लेकर झूठी खबरे छापते हैं,  खबरे दबा भी देते हैं"। हमने कहा - " भाई जरा बात को उदाहरण सहित समझाया करो पिछली बार ही हम उलझ गये थे।"  दीपक भाई ने उदाहरण दिया -  अब प्रशांत भूषण का मामला ही देख लो,  सब लोग उसकी पिटाई करने वालों के खिलाफ़ उल्टा सीधा छाप रहे हैं।  जबकी भगत सिंग सेना के लोगो ने देश भक्ती का काम किया था। कश्मीर को अलग करने की बात करने वालों को पीटना चाहिये था कि नही।"


हमने कहा-  "बयान का विरोध तो सभी कर रहे हैं।  पर ये मारपीट वाला तरीका असंवैधानिक है। अब आपके आडवानी जी को ही ले लो,  हमारे मोदी जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के बजाय खुद ही बुढ़ापे में उलानबाटी खा रहे हैं।  हमको बिल्कुल पसंद नही आ रहा,  तो क्या हम पीटे उनको जाकर।"  दीपक भाई बोले-  "देशभक्ती का  मामला अलग होता है।"  हमने कहा भूषण तो कश्मीरियों को अपने साथ मिलाने की बात भी कह रहा था ये तो पाकिस्तान जाकर जिन्ना जैसे देशद्रोही की तारीफ़ कर के आ गये थे।  उसके बाद जाकर आतंकवादियो को काबुल भी पहुंचा आये थ। और आप कहते हो ये मामला अलग है।"

दीपक जी बोले - " यार दवे जी,  बात को कहा से कहा पहुंचा देते हो।  हम यह कह रहे थे कि भारतीय मीडिया हिंदू विरोधी है। हममे कहा- "यार सारे चैनलो में तो सुबह शाम पंडित, ज्योतिषियों के कार्यक्रम आते हैं। इंडिया टीवी तो भगवानो का घर और राक्षसों के महल ही खोजता रहता है।"  दीपक बाबू ने मुंह बनाया - भाई ये सब तो ये लोग टीआरपी के लिये करते हैं पर हिंदूओ पर हो रहे अत्याचार और उनके हितो के नुकसान के बारे मे कुछ नही बताते।" हमने कहा - " रामदेव बाबा की पिटाई एक हफ़्ते तक  दिखाई जाते रही। उनका मंच से कूदना सलवार सूट पहन कर भागना और उसके बाद जान से मारने की कोशिश वाला इंटरव्यू कितने दिनो तक चलता रहा  और तो और आपकी पूज्यनीय साध्वी के मंच पर नजर आने के बाद मीडिया ने ऐसा सब हो सकता है इसकी भविष्यवाणी भी कर दी थी।

दीपक जी बोले- "हमारे बाबा पर हुये दमन की बात तो दिखाई,  पर उसके विरोध में देश भर मे हुये आंदोलन को नही दिखाया।   कांग्रेस का एजेंट अन्ना  जेल में बंद क्या हुआ,  सुबह से लेकर शाम तक उसी को दिखाते रहे।  और तो और हिसार में अन्ना के तीन आदमी सिर्फ़ तीन दिन पहले गये थे तो उनकी जीत बता दिया और हमारे बाबा रामदेव के हजारो कार्यकर्ता दो महिनो से कांग्रेस को हराने की अपील कर रहे थे उसके बारे मे कुछ नही बताया।

हमने कहा- "तब तो आपकी भाजपा भी बिक गयी है।  भाजपा नही बिकी होती तो बुलाती बाबा रामदेव को प्रचार में और वहां अपने प्रत्याषी के साथ सभा करती। और ये बार बार मीडिया को कोसना बंद करो जब देखो तब हाय मीडिया हाय मीडिया चिल्लाते हो और कंप्यूटर मे अफ़वाहे फ़ैलाते हो कि नेहरू का दादा मुसलमान था, गांधी का बाप मुसलमान था राहुल गांधी अमेरिका मे नशे के व्यापारी के साथ पकड़ाया था, यहां हिंदू मारे जा रहे हैं,  वहां मंदिर टूट रहे हैं। दीपक जी गला फ़ाड़ कर चिल्लाये " यह सब एक दम सच बात है दवेजी आप कांग्रेसी हो इसलिये इसे अफ़वाहे बता रहे हो।"

हमने कहा- "सच है तो क्यो नही भाजपा प्रेस कांफ़्रेस कर आरोप लगाती। गांधी का बाप मुसलमान था, गांधी ने भारत के टुकड़े करवा दिये तो क्यों राजघाट जाते है भाजपा नेता श्रद्धांजली देने।  और जहां हिंदू मर रहे हैं मंदिर टूट रहे हैं तो क्यो नही वहा जाकर धरने पर बैठ जाते। सबसे बड़ी बात जब मालूम है कि मीडिया बिकाउ है। तो खरीदते क्यों नही, हाय हाय करते पचास साल गुजर गया क्यों अकल नही आती। दीपक बाबू बोले - "दवे जी, हम लोग भ्रष्ट नही है"। हमने कहा- "यार यह बात सुनकर हमको हंसी भी आती है और रोना भी। हंसी इसलिये कि ऐसी साफ़गोई से झूठ बोलने वाला जोकर, भारतीय राजनीती मे ही मिल सकता है और रोना इसलिये कि जिस चाल चेहरा और चरित्र की उम्मीद थी उसका बेड़ा गर्क कर दिया है भाजपाइयों ने।"

दीपक बाबू ने बात घुमाई- "दवे जी हम लोग धर्म युद्ध लड़ रहे हैं, हमे बिकाउ मीडिया का साथ नही चाहिये। " हमने कहा - "इतना हिंदू वादी बने फ़िरते हो,  गीता पढ़े होते तो जान जाते धर्म युद्ध में सब जायज है। और धर्म युद्ध, इमानदारी सब लारी लप्पा है आप लोगो को सिर्फ़ माल अंदर करने की हो रही है ये बेचारे कांग्रेसी कितने इमानदार टाइप के बेईमान  हैं,  खाते भी है तो आधा मीडिया तक पहुंचा देते हैं। और आप लोगो की सरकार आये तो माल पानी अंदर करके इंडिया शाईनिंग चिल्लाने लगते हो। फ़िर हार जाते हो तो हाय मीडिया हाय मीडिया चिलाते हो।"

दीपक बाबू बोले - "दवे जी, आपकी बात में दम तो है हम पार्टी में प्रस्ताव रखेंगे "  हमने कहा क्या खाक रखोगे पहले अपने अखबारो की हालत पर विचार रखवाना।  पांचजन्य को पांच आदमी नही पढ़ते  स्वदेश आज कल कौन से देश में छपता है यह जरूर पता करके आना। और सुनो आज के बाद हमारे सामने हाय मीडिया हाय मीडिया मत चिल्लाना।"


अब साहब दीपक बाबू तो नुक्कड़ से निकल लिये और हम सिर खुजाते रह गये कि इस बिकाउ मीडिया को अपने भाजपायी भाउ कब खरीदेंगे या जीवन भर हाय मीडिया हाय मीडिया ही भजते रहेंगे। अब उम्मीदे तो इन्ही से है,  भारत की प्रधान मम्मी और उनकी पार्टी को झेलना अब हमारे बूते की बात नही।

Thursday, October 13, 2011

बबली को देखकर देखता रह गया


साहब नुक्कड़ पर  बबलू आंधी जी की आसाराम बापू द्वारा की गयी खिंचाई पर हंसी ठठ्ठा चल रहा था कि भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी पहुंच गये बोले - " ये आसाराम बापू यह न समझे कि हमको जवाब देना नही आता "। हमने तुंरंत जेब से कागज निकाला और शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी का जवाब पढ़ना शुरू कर दिया - " यह आसाराम बापू किस मुह से बबलू आंधी के बारे में बात कर रहा है यह तो खुद सर से पैर तक भ्रष्टाचार मे लिप्त है, पाखंडी है ठग है और उनके पीछे संघ का हाथ ह।" शर्मा जी बोले - ये असाराम को आप बापू क्यों बोलते हैं क्या आप को मालूम नही बापू कहलाने का अधिकार सिर्फ़ महात्मा गांधी को है।"  हमने कहा - और गांधी जी का सरनेम सहित सारा कापीराईट आपके पास है। चाहे जो घोटाला कर दो खदान बेच खाओ, लाईंसेंस की बंदरबाट कर दो,  महात्मा गांधी की जय बोलते ही आपके सारे पाप धुल जाते हैं। और आप चाहते हो कि हम लोग गांधी जी के तीन बंदरो की तरह बुरा न सुने बुरा न कहें और बुरा न देखे।

शर्मा जी ने बात घुमाई - " आज हमें जगजीत सिंग जी के जाने का बड़ा अफ़सोस है,  ईश्वर उनकी आत्मा को शांती प्रदान करे।" हमने कहा- " भाईयो जगजीत सिंग जी की याद मे कुछ गजलें पेश कर रहा हूं सुनिये -" बात निकलेगी बबलू तो दूर तलक जायेगी ~~~लोग पूछॆंगे कि स्विस बैंक मे काला धन क्यूं है~~~ ये भी पूछेंगे कि तुम अब तक कुवारे क्यूं हो।"  शर्मा जी भड़क गये बोले- "दवे जी, अब आगे आदरणीय़ बबलू जी के बारे में एक शब्द न बोलिये।"  हमने कहा " चलिये बबलू जी पर नही कहते उनकी दीदी बबली जी पर ही गजल पेश कर रहे हैं " बबली को देख कर देखता रह गया~~~~ क्या कहूं~~~क्या कहूं~~~ कहने को क्या रह गया"।"  शर्मा जी और भड़क गये - " किसी विवाहित महिला के बारे मे ऐसी बात करते आपको शर्म नही आती है।" हमने कहा शर्मा जी हमारी बात नही समझ रहे आप इसे सुनिये आप सब समझ जायेंगे।एक दूसरी गजल पेश कर रहा हूं- " आते आते~~हमारा नंबर रह गया~~~ और बबली को बंटी पडेरा ले गया" और शर्मा जी  आज कल 2G  वाले सारे मोबाईल में बंटी और बबली वाला रिंगटोन बज रहा है।

शर्मा जी बोले हमारी प्यारी मम्मी को पता चल गया दवे जी तो आपकी खैर नही।"  हमने कहा - "शर्मा जी  उस पर भी गजल है, " आपकी मम्मी के कदमो पे सर होगा~~~~और सीबीआई सर पे खड़ी होगी"।" शर्मा जी  ने प्रतिवाद किया - " दवे जी,  सीबीआई तो आदरणीय मन्नू जी की सरकार के पास है, हमारी मम्मी जी के पास थोड़े न है।"  हमने कहा- "भाई शर्माजी आप मन्नू की बात तो करो ही मत,  वो तो सत्ता सुंदरी के नशे मे ऐसे चूर है कि बस यही गुनगुनाते रहते हैं - " ठुकराओ अब के प्यार करो~~~~मै नशे मे हूं " और नशा इतना गहरा है कि देश भर में फ़जीहत हो रही है पर उनको समझ में नही आ रहा है।"

 शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी बोले - " क्यों मुफ़्त मे अपना खून जला रहे हो,   कर तो कुछ नही सकते। चुनाव भी आयेगा तो चुनोगे तो नेताओ में से ही किसी को। और वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी चोर चोर मौसेरे भाई, इसलिये मै कहता हूं इंडिया टीवी में चमत्कार देखा करो और खुश रहो,  और फ़िर भी नही मानना तो कोसते रहो हमारी बला से।" हमने कहा- "शर्मा जी जगजीत सिंग की एक गजल और सुन लो सारा मामला समझ मे आ जायेगा - " आह को चाहिये एक उम्र असर होने तक" , फ़िर शर्मा जी अपने साथियों के साथ बैठ कर तिहाड़ में गाना - "ये दौलत भी ले लो ~~ये शोहरत भी ले लो~~~ भले छीन लो हमारा माल पानी।"

इतना सुन साहब शर्मा जी तो चले गये,  हम खड़े हो सोचते रहे "भगवान के घर देर है पर अंधेर नही" यह मुहावरा सही साबित होगा या नही।

Sunday, October 9, 2011

गांधी और गोड़से की वापसी


Date- 1 oct  2011  Place.  India gate New delhi

Time-  10 Am

दिल्ली के इंडिया गेट पर इंडिया टीवी का कैमरामैन अपने पत्रकारिता के नाम पर कलंक साथी के साथ "कैसे पिटा प्रेमी" नामक ड्रामे के मुख्यपात्र के इंतजार मे खड़ा हुआ था। मक्खी मारते कैमरामैन की नजर एक  अधनंगे आदमी पर पड़ी जो हूबहू गांधी की तरह नजर आ रहा था। कैमरामैन पुराना चावल था और कम तंख्वाह पर पल रहे कई नकारा पत्रकारों की नौकरी अपने दम पर सालों तक चलवा चुका था।  उसने अपने साथी से कहा - " चल इसका इंटरव्यू ही ले लेते हैं गाधी जयंती पर प्रोड्यूसर को आफ़िस बैठे तो कुछ मिलने वाला नही है और साबरमती जाने का खर्चा तो चैनल उठायेगा नही सो इससे बढ़िया काम चल सकता है।
पत्रकार ने उस आदमी से पूछा - "आप कौन हो भाई,  क्या कुछ समय इंटरव्यू दोगे, दो सौ रूपया दूंगा उसका"।

वह आदमी बोला - " मै मोहन दास करम चंद गांधी हूं बेटा पूछो क्या पूछना है"।

पत्रकार ने कैमरा मैन से धीरे से कहा -"यह तो पागल है यार फ़ोकट समय खराब करवायेगा, । कैमरामैन ने अपने कमबुद्धी साथी को क्रोध से देख बोला - " अबे मूर्ख यह हफ़्ता भर चलने वाली रिपोर्ट है, काम में ध्यान लगा"।

सटपटाया पत्रकार पुनः इस गांधी की ओर मुड़ा - " बाबा गांधी जी को मरे तो साठ साल हो गया है, आप कैसे गांधी हो सकते हो"।



गाधींजी बोले -" मै वापस आया हूं, बेटा अपने भारत को देखने कि मेरे सिद्धांतो पर चल भारत आज कहां पहुंचा है।"


कैमरामैन ने अपने साथी को अलग खींचा बोला - "यार दिखता तो हूबहू गांधी है तू एक काम कर, इससे गांधी जी के इतिहास के बारे मे सवाल पूछ। चेक कर इसे आता है कि नही और जो न आता हो इसे याद करवाना और सुन आता तो तुझे भी कुछ नही होग॥ आफ़िस फ़ोन कर गुगल से सब उगलवाना फ़िर इससे पूछना और जो न इसे आये याद करवाना।"


इतना कह कैमरा मैन ने संपादक को फ़ोन लगाया - " गुरू डबल धमाका मिला है, एक दम डिक्टो गांधी खोजा है मैने। आवाज भी मुन्ना भाई गांधीगिरी फ़िल्म जैसी है हूबहू"।~~~~~~~ "हां हां एक्दम वैसा ही दिखाता है 2 अक्टूबर को फ़ुल टीआरपी खींचेगा"। कैमरा मैन ने फ़ोन काटा ही था कि हड़बड़ाये पत्रकार ने उसे झटका - " बास इसको तो सब कुछ मालूम है मां बाप के नाम से लेकर कौन से अधिवेशन मे कौन अध्यक्ष था गोलमेज कांफ़्रेस मे कौन कौन था यह भी मालूम है साले को पूरा गांधी बनने की तैयारी करके आया है यह तो"

Time- 5 Pm     इंडिया टीवी  ---- Breaking news 

 मोहनदास करमचंद गांधी की वापसी~~~~~ क्यों आये हैं गांधी जी वापस~~~~~~ उनकी वापसी से कौन होगा खुश कौन खौफ़जदा होगा

एंकर - जी हां कल सुबह दो अक्टूबर गांधी जी की जयंती के अवसर पर देखना न भूलियेगा कल सुबह दस बजे मोहनदास करमचंद गांधी की वापसी
2nd october  Time- 10 Am


इंडिया टीवी पर  दस मिनट तक इस खबर को विभिन्न झन्नाटेदार आवाजो और आखें चुधियाती तस्वीरों के बाद एंकर ने बोलना शुरू किया पांच मिनट तक बोलने के बाद एंकर ने कही गयी सारी बाते पत्रकार से फ़िर कही और फ़िर उस पत्रकार ने तकरीबन वही बाते गांधी जी से पूछी। वापस आने के मकसद से लेकर उनके जीवन की तमाम घटनाओं के बारे मे बेफ़ाल्तू के सवाल किये गये आखिर मे पत्रकार ने पूछा- "अब आपका क्या इरादा है गांधी जी"

गांधीजी- " अभी तो मै राजघाट जा रहा हूं बेटा और वहां अपनी समाधी पर बैठ सोचूंगा कि अब मै क्या करूं"

Time- 2 Pm   Place- Rajghat

सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री और लालकृष्ण आडवानी के राजघाट मे पुष्पांजली अर्पण कर लौटने के बाद राजघाट पर वीरानी छाई हुयी थी खाली कुछ पक्के गांधीवादी और पर्यटक वहां आ जा रहे थे। नये गांधी राजघाट पर जा कर बैठ गये ।

इंडिया टीवी - ब्रेकिंग न्यूस ~~~ राजघाट पर लौटे गांधी~~~ देखिये लाईव तस्वीरें


हूबहू गांधी की तरह दिखने वाले शख्स के आने से राजघाट मेM थोड़ी रौनक लौट आयी लोग उन्हे घेर कर खड़े हो गये कि तभी रायपुर से आये वयोवृद्ध गांधीवादी भूतपूर्व सांसद केयूर भूषण को  नये गांधी ने आवाज लगाई - " अरे केयूर क्या हाल है बेटा, तू तो कहता था कि मै बूढ़ा नही होउंगा फ़िर कैसे बुढ़ा गया" । हैरान केयूर भूषण ने कहा -" आपको कैसे मालूम हुआ कि मै गांधी जी से ऐसा कहता था" । नये गांधी ने कहा -" तू बूढ़ा भी हो गया और तेरी आंखे भी कमजोर हो गयी हैं"। केयूर भूषण ने गांधी जी से कई सवाल किये और सबका सही उत्तर पा वे गांधी जी के पैरों में गिर गये।
केयूर भूषण ने घोषणा की- "हमारे बापू वापस आ चुके हैं"
राजघाट मे लोगो का ताता लगा,
टीवी चैनलो की हेडलाईन - "बापू की वापसी, स्वयं को गांधी कहने वाला आदमी राजघाट में पहुंचा, गांधीवादियों ने यह दावा किया है कि वाकई गांधी जी की वापसी हो चुकी है"

कांग्रेस प्रवक्ता का बयान - " हम अफ़वाहों पर बयान नही देते हैं"

भाजपा प्रवक्ता का बयान- " हम अफ़वाहों पर ध्यान नही देते हैं"


Date- 3 oct  2011  Place.  Rajghat    Time-  10 Am


राजघाट पर लाखों लोगो का जमावड़ा, टीवी चैनलो मेM लाईव प्रसारण, "वैष्णवजन तेने कहिये रे" भजन से राजघाट का माहौल गांधीमय हुआ

सरकार की लोगो से अफ़वाहो पर न विश्वास करने की अपील, नये गांधी को राजघाट से हटाने का पुलिस का प्रयास असफ़ल लोगो ने पुलिस को परिसर से बाहर खदेड़ा,

गांधी जी की अहिंसा न त्यागने की अपील, सरकार से कहां मै वापस किसी स्वार्थ से नही बल्की देशवासियों का दुखदर्द जानने आया हूं

दिग्विजय सिंग ने नये गांधी को धूर्त, ठग, पाखंडी करार दिया साथ टीवी चैनलो से संयम बरतने की अपील

अन्ना हजारे ने नये गांधी का स्वागत किया और अपने आंदोलन मे शामिल होने की अपील भी की

महात्मा गांधी हाय हाय का नारा लगाते लोगों का झुंड राजघाट के बाहर जमा काले झंडे लहराये

पुलिस ने इनको खदेड़ा पत्रकारो से बातचीत करने नही दिया आपाधापी में केवल "नाथूराम गोड़से जिंदाबाद" के नारे ही सुनाई दिये।

बाबा रामदेव ने जनता का ध्यान भटकाने की कांग्रेसियों की चाल और साजिश बताई कहा गांधी आये या आंधी हम कालाधन वापस ला कर रहेंगे

पत्रकारो ने बाबा रामदेव से गोड़से पर उनकी राय पूछी। बाबा ने कहा- " स्वर्गवासी लोगो पर बयान देना हम उचित नही समझते"

क्रमशः अगले खंड मे गांधी जी की धोषणाएं, नाथूरम गोड़से की भी वापसी, और कांग्रेस की उलझन

Thursday, October 6, 2011

हम सोचा हमउ भ्रष्टाचारी रावण मार आउं

दशहरे के दिन नुक्कड़ पर बैठे बैठे हमें देशभक्ती के कीड़े ने काटा,  तत्काल दिमाग में आईडिया फ़्लैश हुआ और हमने आसिफ़ भाई से कहा - "चलो गुरू रावण को मारा जाय"।  आसिफ़ भाई बोले - " मियां सटक गये हो क्या, नेताओं के रहते हमको भला कौन रावण का पुतला जलाने देगा।"  हमने कहा -" पुतला नही जलाना,  भ्रष्टाचार के रावण को खत्म करना है।"  आसिफ़ भाई ने सर खुजाया,  बोले - "मियां मेहनत बाबा टाइप करेंगे हम और अन्ना टाईप  क्रेडिट आप ले जाओगे।"  हमने कहा- "नही भाई,  हम दोनो प्रशांत भूषण,  केजरीवाल टाईप साथ रहेंगे।"  आसिफ़ भाई ने सहमती मे सर हिलाया- " विचार तो नेक है मियां, इस ससुरे भ्रष्टाचार की बहन सूर्पणखा उर्फ़ महंगाई ने हमारी नाक में दम कर रखा है। चिकन तो सवासौ से कम मिलता ही नही और भिंडी भी पचास रूपये किलो से कम नही।"

हम दोनो ने नुक्कड़ में अपनी सेना एकत्रित करी ही थी कि सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने कहा - "दवे जी, आसिफ़ भाई हम आपसे सहमत हैं। इस भ्रष्टाचार के रावण को खत्म करना ही होगा और इसके लिये हम प्रयासरत भी है आप हमारा साथ दें।"   हमने कहा- "यार शर्मा जी, इस रावण का चेहरा आपसे बड़ा मिलता जुलता है। खाली जब आप भाषण देते हो तभी राम नजर आते हो बाकि टाईम तो रावण सी दिनचर्या मे लगे रहते हो कि कौन सा लाइसेंस बाटूं, किस विमान कंपनी को दिवालियां करूं, कौन सी खदान खोद कर पर्यावरण को खुदा के पास भेजूं ,कहां की तेल गैस अंबानीयों को बेच खाउं। शर्मा जी साथ मत मांगो चंपत हो जाओ कि हमला तुम पर ही होने वाला है।"


बाजू खड़े दीपक भाजपाई ने ताली बजाई - " सही पहचाना आपने, ये सोहन कांग्रेसी ही भ्रष्टाचारी रावण है और तो और बेशर्मी इतनी है कि अपने लिये विदेशी महारानी खोज लाये है। हमे हर्ष है कि आपने भगवान राम याने कि हमारी सेना में शामिल हो इनको भस्म करने का बीड़ा उठाया है।" हमने कहा -" हे भाई रामानंद, बहुत दिन तुम लोग राम के नाम से आनंद उठा चुके हो अब रहम करो हम पर। और किस मुह से हमको अपनी सेना में शामिल करते हो। तुम लोग कौन सा कसर छोड़ रखे हो भाई,  तुम लोग ही भ्रष्टाचार के रावण से लड़ते होते तो क्या हमको ये दिन देखना होता। तुम लोग खाली आम खाओ,  भ्रष्टाचारी रावण से लड़ाई रूपी पेड़ लगाने का काम हम पर छोड़ दो।"


तभी नुक्कड़ पर शर्मा जी ने प्रेस कांफ़्रेंस कर घोषणा कर दी - " आसिफ़ भाई और दवे जी चाय के भुगतान मे घपला करते हैं। ये किस मुंह से भ्रष्टाचारी रावण से लड़ने की बात करते हैं ये तो खुद सर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। और दवेजी के दादा के पिताजी पलासी की लड़ाई में मैदान छोड़ कर भाग गये थे इसलिये दवेजी भी भाग जायेंगे।" शर्मा जी की घोषणा को अनसुनी कर हम लोग आगे बढ़े ही थे कि नुक्कड़ की शाही मस्जिद के इमाम आलू बुखारी जी ने घोषणा कर दी - " आसिफ़ भाई जिस रावण को मारने जा रहे हैं वह हिंदुओं का है। इस्लाम किसी रावण को मारने कि  इजाजत नही देता क्योंकी यह काम अल्लाह या पैगंबर ही कर सकते हैं। अतः हम भ्रष्टाचारी रावण को मारने के अभियान के खिलाफ़ फ़तवा जारी कर रहे हैं।"


आसिफ़ भाई ठिठक गये- "दवे जी ये तो फ़तवा जारी हो गया अब।" हमने कहा- "आसिफ़ भाई  क्या यह इमाम आपके चिकन को सस्ता करवा सकता है, बच्चे की फ़ीस कम करवा सकता है, जो इसको फ़तवा जारी का हक दिया जाय।" तभी अनवर जमाल नाम के महाविद्वान पहुंच गये बोले -" इमाम को जानकारी नही है,  राम जो हैं अवतार नही थे महापुरूष थे।अतः उनका साथ देने मे कोई बुराई नही"।  ऐसे पहुंचे हुये छुपे एजेंडे वाले  इतिहासकार को दरकिनार कर हम आगे बढ़े ही थे कि होसलेवाला नाम का मतवाला सामने आ खड़ा हुआ कहने लगा - " दवे जी आप जानते नही हो,  भ्रष्टाचार रूपी रावण सीता रूपी कालेधन को उठा कर नही ले गया था। बल्की कालाधन रूपी सीता अपनी मर्जी से साथ गयी थी,  आप मनुवादी राम का साथ देकर सही नही कर रहे हो"। आसिफ़ भाई ने कहा " अरे अंबेडकर के नाम पर कलंक, साईड हटो हम लोगो को काम पर जाने दो।"


तभी हमारा रास्ते में मंडल जी और बैठा जी आकर बैठ गये कहने लगे - " देखो भाईयो स्वर्ण वर्ग की यह करतूत,  ये लोग भ्रष्टाचार रूपी रावण को मारने जा रहे हैं,  क्योंकी आज यह रावण इनको तकलीफ़ दे रहा है। इससे पहले जब हमारे दलित भाईयों को यह तकलीफ़ दे रहा था तब ये स्वर्ण समाज आराम से घर मे बैठा हुआ था। लेकिन आज एक अछूत, दलित मंत्री राजा ने चार पैसे दलित समाज की भलाई के लिये ले लिये तो ये लोग उसको तिहाड़ में बंद कर दिये,  इनका साथ मत दो"।  हमने समझाया- "बैठा जी खड़े हो जाओ, ये रावण सब को तकलीफ़ दे रहा है क्या स्वर्ण क्या दलित,  क्या रिश्वत मांगने वाला जात पूछता है।" मंडल जी अपनी जगह अटल थे बोले - " आपने अपने साथ दलितो का प्रतिनिधी क्यों नही लिया और अपनी सेना मे दलितों को आरक्षण क्यों नही दिया, जब तक आप ऐसा नही करेंगे हम आपके खिलाफ़ हैं। हमने लाख समझाया- " भाई इस सेना में तो जो चाहे भर्ती हो सकता है। कोई संख्या या जाति बंधन थोड़े है,  और न इसमे कोई तंख्वाह है।"  पर मंडल जी नही माने और दलितो को इस सेना से दूर रहने का संदेश देने लगे।

खैर साहब उससे भी आगे बढ़े तो तरूण कुमार हिंदूवादी आकर खड़े हो गये बोले -" पहले आसिफ़ भाई और इनके साथियों को भारत माता की जय और वंदे मातरम  कहना होगा। फ़िर ही आपको हिंदुस्तान के हिंदु असुर रावण रूपी भ्रष्टाचार को मारने की इजाजत है।"  आसिफ़ भाई कुछ कहते उसके पहले हमने कहा - " आसिफ़ भाई भारत माता की जय नही बोलेंगे, भारत माता की विजय हो बोलेंगे।  इसी तरह वंदे मातरम की जगह बंदा ए मातरम कहेंगे"। तरूण कुमार जी हमे गुस्से से देखने लगे बोले " आप जैसे सिकुलर देशद्रोही हिंदुओं के कारण ही देश का यह हाल है"। हमने कहा- "ओ भाई स्वयंभू धर्मरक्षक,  धरे रह अपना सर्टीफ़िकेट अपने पास।जब हम मरेंगे तब यमराज से कह नर्क भिजवा देना हमको।" 


खैर साहब इतने धर्म और जात, दल, भाषा के नाम पर भड़काने वालों से अपनी सेना को बचा हम भ्रष्टाचारी रावण से लड़ने पहुंचे तो देखा हमारा स्वागत में सीबीआई, पुलिस,  इनकम टैक्स,से लेकर तमाम सरकारी एजेंसियां और उनके साथ खड़ा पत्रकारों का दल खड़ा था। जो हमारे मुंह से निकली एक गलत बात को कांट छांट कर घुमाफ़िरा कर प्रसारित करने को तैयार था और जिसका काम भ्रष्टाचारी रावण के बारे में नही सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे बारे में बात करना था।

इतना सब देख आसिफ़ भाई लड़खड़ा गये बोले - " मियां हमारे परदादा के परदादा काजी की बीबी को भगा कर ले गये थे। अगर बात खुल गयी तो हमारे खानदान की बड़ी बेईज्जती होगी।" हमने भी सहमती में सर हिलाया- " भाई बात हमारी भी ऐसी ही है, जवानी में हमने बहुत से प्रेमपत्र लिखे थे। सीबीआई ने खोद निकाला तो कईयों के पती और हमारी पत्नी हमें बहुत पीटेगी।"

तो साहब हम दोनो ने तो अपना अभियान स्थगित कर लिया है। आपसे भी अनुरोध है कि देश भक्ती का कीड़ा कभी आपको काटे तो बाथरूंम में बंद हो नेताओ को कोस लेना। भड़ास भी निकल जायेगी और आप खामखा परेशानियों मे भी नही पड़ोगे।

Tuesday, October 4, 2011

अमरीका, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान - एक त्रिकोणीय़ पहेली


यह तीन नाम आजकल अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छाये हुये हैं। भारत में इस विषय पर कुछ खास चर्चा नही हो रही और जाहिर है सरकार भी अन्ना और बाबाओं के हाथों अपनी फ़जीहत से बचने में इतनी व्यस्त है कि इस मामले को गंभीरता से संभालेगी इस बात में शक ही नजर आता है।  अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई साहब के हालिया  भारत  दौरे के मद्देनजर इस पूरे मामले को समझना इंतिहाई जरूरी और भारत के हितो के लिये महत्वपूर्ण भी है।

आज अमेरिका अफ़गानिस्तान से बाहर निकलने के दौर से गुजर रहा है और वह अफ़गानिस्तान से जीत कर निकलना चाहता है। जाते जाते अमेरिका यहां अपनी पिठ्ठू सरकार को  मजबूत कर जाना चाहता है। पाकिस्तान की यह कोशिश है कि अमेरिका के जाने के बाद अफ़गानिस्तान में उसकी पिठ्ठू सरकार बनें, जिससे उसकी रक्षा पंक्ति को गहराई भी मिल सके और वह तालिबान के लड़ाकों को  हिंदुस्तान के खिलाफ़  इस्तेमाल कर सके।  भारत का हित  कमोबेश अमेरिका के हित के साथ जुड़ा हुआ है।  भारत अफ़गानिस्तान में अपनी पसंद की सरकार बनवाना चाहता है,  ताकि पाकिस्तान उस मोर्चे पर उलझा रहे और भारत के खिलाफ़ तालिबान का इस्तेमाल न कर सके।

इसके अलावा भी बलूचिस्तान जैसे पाकिस्तान के हिस्सों ( जहां कश्मीर की तर्ज पर ही आजादी की जंग चल रही है और हालात कमोबेश कश्मीर से भी बदतर हैं ) के अलगाववादियों की भी भारत अफ़गानिस्तान के रास्ते से मदद कर सकता है। ब्लोच राष्ट्रवादियों को भारत  कश्मीर के विवाद को सुलझाने के लिये एक लीवरेज की तरह काम मे ला सकता है और उन्हे हथियार आदि देकर अपने यहां हुयी आतंकवादी वारदातों का बदला भी चुका सकता है।


इस पूरे मामले को समझने के लिये एक बेहद दिलचस्प पहलू यह भी है कि अमेरिका को अफ़गानिस्तान की जंग में पाकिस्तान ही खींच कर लाया था।  जब तक अमेरिका अफ़गानिस्तान में बना रहे तब तक ही पाकिस्तान को मिलने वाली अमेरिकी मदद की गारंटी भी बनी  रहती है। पाकिस्तान का एक पुराना और बुरा अनुभव यह रहा कि सोवियत रूस के खिलाफ़ जंग में अमेरिका ने पाकिस्तान का इस्तेमाल किया उसकी धरती को जेहादियों का स्वर्ग बना दिया। सोवियत रूस के हट जाने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को न केवल उसके हाल पर छोड़ दिया बल्कि परमाणू बम के नाम से तमाम प्रतिबंध भी लगा दिये। इससे न केवल पाकिस्तान आर्थिक रूप से तबाह हो गया, बल्कि उसकी फ़ौज के सारे हथियार भी लगभग नकारा हो गये। क्योंकि उनके पुर्जो की सप्लाई भी अमेरिका से ही आनी थी, जिस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।

ऐसे में 9/11  को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुये हमले के बाद जब अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन की तलाश शुरू की तो उसने पाकिस्तान से कहा कि मुल्ला उमर पर दबाव डाल करर ओसामा बिन लादेन को अमेरिका के हवाले करवा दे। आप को यह भी ध्यान होगा कि मुल्ला उमर की तालिबानी सरकार पूरी तरह से पाकिस्तान और अरब देशो की सहायता पर ही निर्भर थी और वह पाकिस्तान का कहा नही टाल सकती थी। पर इस वन टाईम डील में पाकिस्तान ने लंबी डील देखी और अमेरिका को फ़िर अफ़गानिस्तान मे फ़साने की ठानी। आईएसआई के मुखिया हामिद गुल अफ़गानिस्तान में मुल्ला उमर के पास अमेरिकियों का संदेश लेकर गये पर उनसे कहा- "कोई नई , ओसामा को बिल्कुल नही देना पहले सोवियत संघ को ठिकाने लगाया और अब इस अमेरिका को भी हम यही ठिकाने लगायेंगे"।

हुआ भी यही मुल्ला उमर ने मना कर दिया और अमेरिका ने पाकिस्तान को धमकी दी कि "आतंक के खिलाफ़ लड़ाई में या तो वह अमेरिका का साथ दे या परिणाम भुगतने को तैयार रहे।"  पाकिस्तान तो तैयार बैठा ही था नवाज शरीफ़ का तख्ता पलट चुके मुशर्रफ़ को अंतराष्ट्रीय मदद और मान्यता, फ़ौज को हथियार और देश को पैसा भी चाहिये ही था। और पाकिस्तान ने अमेरिका से "फ़्रैंड्स नाट मास्टर्स" का समझौता फ़िर कर लिया।फ़िर क्या था धड़ाधड़ पैसा और हथियार पाकिस्तान को मिलने लगे और अमेरिकी अफ़गानिस्तान भर मे ओसामा और मुल्ला उमर को खोजने लगे। पर ओसामा और मुल्ला उमर तो वहां थे ही नही। वे तो पाकिस्तान की गोदी मे बैठे हुये थे, वही पाकिस्तान जो "वार आन टेरर" में अमेरिका का सबसे पक्का दोस्त था। प्यादो को मारने पकड़ने का खेल चलता रहा और अमेरिका पाकिस्तान का बिल भरता रहा।

इसी समय पाकिस्तान ने पहली गलती की, अफ़गानिस्तान में लड़ रहे तालिबान के एक धड़े जो कि पाकिस्तान मे स्वात और बाजौर के इलाके से आपरेट कर रहे थे। रणनीतिक रूप से उन पर हमला करने में अक्षम होने के कारण अमेरिका ने स्वात और बाजौर में यह काम पाकिस्तानियों पर छोड़ दिया। तालिबान की यह इकाई मुल्ला उमर के नियंत्रण से बाहर भी थी। पहले यह तालिबान के धुर विरोधी अहमदशाह मसूद के समर्थन में लड़ चुकी थी। तालिबान के इस गुट पर हमला करना  पाकिस्तान को भारी पड़ गयी और तालिबान का यह हिस्सा आज तहरीक-ए-तालीबान बन कर पाकिस्तान पर कहर बरपा रहा है। पाकिस्तान के सैकिक प्रतिष्ठानों और हालिया करांची नौसेना के एयरबेस पर हुये हमलों मे तालिबान के इसी गुट का हाथ है।


शेष अगले लेख में


Monday, October 3, 2011

ये भाजपा मुझे आत्महत्या नही करने देती

रात को  हम नुक्कड़ में टहल रहे थे कि एक कोने से एक महिला के सिसकने की आवाज आई| औरतों का दर्द हमसे देखा ही नही जाता सो हम पहुंच गये और पूछा - " क्यों सुंदरी आप क्यों रो रही हैं।"  उसने सिसकते हुये कहा "ये कमबख्त हमें सुईसाईड नही करने दे रहे।" हमने कहा- "सुंदरी यह तो अच्छी बात है, किसी को भी सुसाईड करने से रोकना ही चाहिये और आप हो कौन"। जवाब मिला- " मै आत्मा हूं" । आत्मा सुनते ही हमारी रूह फ़ना हो गयी, हमने कहा - " पहले तो अम्मा सामने आओ,  हम कनफ़र्म करेंगे कि आप आत्मा हो"।

आत्मा ने कहा -" पहले तो बड़ा सुंदरी, सुंदरी कर रहा था, अब अम्मा पर उतर आया। सही है आत्मा के सामने बड़े बड़े लंपट सीधे हो जाते हैं"। इतना कह आत्मा सामने आई, उसे देख हमारे रोंगटे खड़े हो गये। तार तार हुये कपड़े क्षतविक्षत शरीर, गमजदा चेहरा।  हमने डरते हुये कहा- "आत्मा भला कही सुईसाईड कर सकती है।" आत्मा भड़क गई- "अरे मूर्ख शरीर सुईसाईड करेगा तब न आत्मा को मुक्ती मिलेगी।"  हमने धीरे से कहा - आपकी किसकी आत्मा हैं"। जवाब मिला- "कांग्रेस की।"  हमने पूछा- "आप आत्महत्या क्यों करना चाह रही हैं कांग्रेस माई।"  आत्मा ने कहा - "बेटा वो दिन गये जब हमें लोग कांग्रेस माई कहते थे, अब तो हमारा नाम कांग्रेस आई हो गया है।

हमने कहा -" पहले आप आराम से बैठिये और हमे पूरा किस्सा सुनाईये।"  आत्मा ने कहा - " क्या बताउं बेटा मेरे जन्म के बाद मुझे गांधी जी के आश्रम मे भर्ती कर दिया गयावहां सत्य अहिंसा दलित उद्धार और धार्मिक सदभाव का मैने पाठ पढ़ा। आजादी के बाद गांधी जी ने मुझे नेहरू जी को सौंप दिया तब लोग नेहरू की कुछ नाकामियों को कोसते भी थे पर मेरे बारे में भला बुरा कोई न कहता था। नेहरू के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने तो मेरा नाम और उंचा कर दिया था जय जवान जय किसान के नारे लगाते लोग मेरी जयजयकार करते थे। फ़िर  इंदिरा से लेकर राजीव और अब उसकी पत्नी दिनोदिन मेरी इज्जत गिरती गयी और आज का हाल तो देख ही रहे हो बेटा कांग्रेस का नाम अब कलंक  हो गया है।"

हमने समझाया - चिंता मत करो अम्मा आज भी पार्टी में ईमानदार लोग हैं । आत्मा बोली - "मुझ बुढ़िया को समझा रहे हो बेटा देखी नही ईमानदारों की हालत।"  हमने कहा -" कुछ नही अम्मा, वह तो मनमुटाव दूर किया उन्होने।"  आत्मा ने हमारी बात काटी -" थूक कर चाटना कहते हैं बेटा इसे"। इतना कह वह  फ़िर सिसकने लगी"।

हमने पूछा - " अम्मा आपका शरीर मरेगा कैसे यह तो बताओ" आत्मा बोली- "सुसाईड से, मुझे अनिच्छा मृत्यू का वर है। अर्थात जब तक मेरा शरीर आत्महत्या न करे तब तक मेरी मुक्ती संभव नही"। हमने कहा- "तब तो अम्मा कब तक इस तरह रोती रहोगी,  समय की कोई गारंटी तो नही है"|  आत्मा बोली - " अरे बेटा इतने सालों बाद इस मनमोहन की सरकार बनी। मैने तरह तरह की तपस्या कर इसे एटमी डील के लिये प्रेरित किया, कैश फ़ार वोट स्कैंडल भी करवा दिया। उसके बाद जब कुछ होता न दिखा तो मैने जप तप कर इस मनमोहन को दूसरी बार चुनाव जितवा दिया और तमाम घोटालो के भंडाफ़ोड़ भी करवा दिये कि इस शरीर से मुक्ति मिले।"

हमने दिमाग पर जोर डाला - हां अम्मा कल वो लालकॄष्ण आडवानी बता तो रहे थे कि कांग्रेस आत्महत्या की राह पर चल रही है। इतना सुनते ही आत्मा भड़क गयी- "नाम मत लो उस मुये और उसकी पार्टी का, मुंह में दात नही पेट में आंत नही और चले हैं प्रधानमंत्री बनने"। ये कांग्रेस तो कब का आत्महत्या कर लेती पर ये  भाजपा है न,  काम सारे कांग्रेस वाले, बेईमानी एक रूपये भी कम नही और गाना गायेंगे "चाल चेहरा चरित्र, सुशासन यात्रा।  और सोचेंगे घर बैठे कांग्रेस आत्महत्या कर ले। और जब देखेंगे जनता साथ नही दे रही तो बाबाओं के पीछे यतियों के पीछे छुप के सत्ता पाने की सोचेंगे। उससे बस नही चलेगा तो नफ़रत फ़ैलायेंगे, नेहरू का दादा मुसलमान था, बटवारे में हिंदुओं का ऐसे कत्ल हुआ, यहां दंगा हो रहा है, वहां कावड़ियें नही जा पा रहे, लव जिहाद चल रहा है। इनके अलवा अन्ना हजारे के जैसा कोई और आयेगा तो उसके पीछे पड़ जायेंगे कि कांग्रेस का एजेंट है। ये नही कि इमानदारी और विकास के बल पर जनता का विश्वास जीतें। इनका फ़ार्मूला तो मुंह में गांधी और बगल में गोड़से वाला है।

ले देकर एक इमानदार मोदी काम कर रहा है तो उसको आगे बढ़ाने के बदले पीछे से टांग खींच रहे है। ये भाजपाई लोग ही तो हैं बेटा जो कांग्रेस को आत्महत्या करने नही दे रहे हैं।" हमने कहा- "अम्मा अब ये मामला तो इतने लफ़ड़े वाला है कि हम क्या करें।  आत्मा ने सुझाव दिया- " बेटा एस एम एस कर लोगों को मेरी तकलीफ़ बताओ" हमने कहा- "अम्मा वह तो संभव नही, सरकार ने  सौ से अधिक एसएमएस पर रोक लगा दी है"। आत्मा ने कहा -" बेटा, फ़िर फ़ेसबुक, ब्लाग जैसी जगहों पर लेख लिख लोगो को जागरूक करो। हमने कहा- "अम्मा , वह भी संभव नही दिग्विजय सिंग केस कर देता है आजकल कि उसको मानसिक पीड़ा पहुंच रही है।" और लिख भी दो अम्मा तो देश की अस्सी प्रतिशत जनता के पास तो पेट भरने के अलावा बाकी किसी चीज के लिये समय नही फ़ायदा कुछ नही होगा।"


इतना सुनते ही अचानक आत्मा गायब हो गयी और हम बोझिल कदमों से घर की ओर बढ़ लिये। मित्रो हो सकता है कि यह आत्मा फ़िर मुझे कही नजर आ जाये। ऐसे मे अगर कांग्रेस कैसे आत्महत्या कर सकती है इस विषय पर आपके पास कोई विचार हो तो अवश्य बताईयेगा।