Wednesday, March 20, 2013

संविधान बिछाओ - सेक्स करो


भारत के नेताओं,  धर्म रक्षको, बुद्धीजीवियों से पूछा जाये - "क्यों जी बलात्कार पर आपकी क्या राय है।" तो सारे ऐसी घोर निंदा करेंगे कि  सारे बलात्कारी राम सिंग टाईप आत्महत्या कर लें। पर जैसे ही पूछा जाये कि- "क्यों जी बलात्कार कैसे रूकेगा।" वैसे सारे के सारे  अलग अलग सुर मे राह अलापने लगते है। 

कुछ के जवाब देखिये -

हिंदु संस्कृती रक्षक -  " बलात्कार इंडिया में होते है भारत में नही। गाय पालने से चरित्र निर्माण होगा और चरित्र निर्माण से ही बलात्कार रूक सकता है। " ( बयान के चंद ही दिनो के भीतर सूदर अंचल निपट भारत छत्तीसगढ़ के एक गांव मे गुरू जी आठ वर्ष की क्षात्राओं से बलात्कार करते पकड़ाया। गुरू जी के घर मे तीन गाय और एक बैल दशकों से बंधा हुआ था। नीम पर केरला यूं कि वहां सरकार भी हिंदु धर्म रक्षको की है। )


इस्लाम धर्म रक्षक -"  औरतो को बलात्कार से बचने के लिये बुरके मे रहना चाहिये। एक इस्लामिक मुल्क के मौलवी ने छह महिने की बच्चियो को भी बुर्का पहनाने का फ़तवा जारी किया।"

(चंद महिने पहले ही पाकिस्तान मे एक शख्स कब्र से निकाल महिलाओ के शव से बलात्कार के आरोप में पकड़ा गया। याने कब मे कफ़न ताबूत मे बंद महिला सुरक्षित नही है लेकिन उसे बुर्का भी पहना दिया जाता तो शायद बलात्कार नही होता।)  


खैर कड़ी से कड़ी सजा और उससे भी कड़े कानून पर सारे एक मत हैं। बल्कि मै तो सोचता हूं कि भारत का संविधान ही  थानेदार, वकील, कोर्ट बाबू और न्यायाधीशों के न्याय मंडल की जिंदगी चलाने के लिये बनाया गया है। कोई बवाल मचा नही  कि इन लोगो के तरकश मे एक और तीर पहुंचा दो। कर्तव्य की इतिश्री, जनता खुश, न्याय मंडल प्रसन्न। पीड़ित पक्ष या निरपराध व्यक्ती पिसता रहे, अपराधी थमाये पैसा और चैन की जिंदगी बसर करे। अब एक से एक कानून बन रहे है। मसलन घूरने पर सजा, पीछा करने पर सजा,  सोलह साल की उम्र मे सेक्स करना अपराध। याने जो लड़का लड़की शारीरिक आकर्षण से मोहित होकर समाज को, लाज शर्म को, बदनामी के डर को ताक पर रख के सेक्स करने का राजी हो गये है क्या वे संविधान को नीचे बिछा कर सेक्स नही करेंगे? हर विज्ञापन मे औरत के शरीर के बल पर माल बेचना अपराध नही है?  उस विज्ञापन से सेक्स की तरफ़ आकर्षित होकर सेक्स करना अपराध है। या साथ मे मनमोहन का बच्चो के नाम संदेश भी प्रसारित करना चाहिये-

मनमोहन सिंग  (प्रधान मंत्री आफ़िस से भारत का झंडा बाजू मे उनके जैसा मुरझाया हुआ) - "बच्चो अठारह के पहले सेक्स से दूर रहना हर जिम्मेदार भारतीय बच्चे का फ़र्ज है। आप को इस समय अपनी सारी ताकत सेक्स के बजाये पढ़ाई, खेल- कूद में लगाना चाहिये। ठीक है।


अब घूरना कानन को देखिये, कौन तय करेगा कि घूर रहा था कि नही? या कोई लड़की कह दे कि दवे जी घूर रहे थे तो दवे जी को टांग दोगे। अदालतो मे पहले ही करोड़ो केस धूल खा रहे है दस बीस लाख और बढ़ जायेंगे। मै तो सोचता हूं कि सामने वाली मिसेज रूनझुन मुझ पर घूरने का केस दर्ज करवा दे तब क्या होगा?

न्यायाधीश - " क्यों जी आपने  मिसेज रूनझुन को घूरा है कि नही।"

दवे जी - " घूरा नही है माई बाप,  देखा है।"

न्यायाधीश - "साफ़ साफ़ कहो जी क्या लंबे समय तक देखा है।"

दवे जी - " जी माई बाप मै उन पर मोहित हो गया था।"

न्यायाधीश - " मतलब अपराध स्वीकार करते हो।"

दवे जी - " मै मजबूर हो गया था माई बाप। रसीले लाल होंठ, झील सी नीली आंखे, लहराते केश, गोरे मुखड़े पर तिल। कसम से माई बाप एक दम द्वादशी का देवी रूप लग रही थी। मै देखते देखते मंत्र पढ़ रहा था - "या देवी सर्व भूतेशू सुंदरी रूपेण संस्थितः"  वाला।

न्यायाधीश - " यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि अपराधी निर्दोष है घूर जरूर रहा था लेकिन पवित्र भावना से। अतः केस खारिज किया जाता है।"


दूसरा केस स्टडी देखिये- कमला ने  कमल उपर पीछा करने का आरोप लगाया

न्यायाधीश - " क्यों जी आपने  कमला का पीछा किया है कि नही।" "

कमल     -  "पीछा तो किया है माई बाप।"

न्यायाधीश - " मतलब अपराध स्वीकार करते हो।"

कमल    - "माई बाप आप भी तो कभी जवान रहे होगे आपका भी तो दिल किसी के उपर आया होगा। आप ने भी तो लाईन मारी होगी।  आप ही कहो कि बिना लाईन मारे पीछा किये कोई लड़की हां बोलती है क्या। मुहब्बत की खातिर सच बोलिये माई बाप वरना इश्क  का खुदा आपको कभी माफ़ नही करेगा।"

न्यायाधीश -  " बेटा कह तो सही रहे हो पर हमारे जमाने मे यह अपराध नही था। तब की बात और थी अब महिलायें आजाद हो गयी है पीछा करने से बुरा मनाती है। सरकार ने कानून बना दिया है मेरे हाथ बंधे हुये हैं। "


कमल   -    " हुजूर अगर मै अपराधी हूं तो यह कमला भी अपराधी है। क्यों ये मैचिंग बिदी जींस टाप पर्स पहन कर घूमती थी। क्या इतनी हसीन लगने पर कोई इससे   इश्क न कर बैठेगा भला।  माई बाप अगर मै ’पीछा’ कानून का अपराधी हूं तो यह दफ़ा 120 b  की अपराधी है इसने साजिश रच, हसीन बन मुझे अपने पीछे पड़ने को  मजबूर किया।"  

कमला -     " यह झूठ है माई बाप मै मैचिंग मैचिंग अपने अंदर कांफ़ीडेंस जनरेट करने के लिये पहनती हूं नाकि खूबसूरत लगने के लिये।" 

न्यायाधीश - " कमल बेटा मै न्याय के हाथो मजबूर हूं अतः  तुम्हे   इंडियन पीछा कानून के तहत दो साल कैदे ए बामुशक्कत की सजा सुना रहा हूं। साथ ही मै दिल के हाथो  भी मजबूर हूं सो तुम्हारी जमानत मै खुद लेता हूं"।


यह तो था काल्पनिक विचार पर वास्तविकता में होना क्या चाहिये ? अमेरिका आदि में किसी लड़की को किसी लड़के के व्यहवार से परेशानी हो तो वह अदालत मे जाकर उस लड़के के खिलाफ़ पतिबंधात्मक आदेश पारित करवा सकती है। इस अदालती आदेश से प्रतिबंधित लड़का यदि फ़िर ऐसी हरकत करे तो पुलिस में सूचना देकर उसे रंगे हाथो पकड़वाया जा सकता है या ऐसे भी उस लड़के को अदालत में पेश होना होता है। यह वह सरल तरीका है जिससे किसी निर्दोष को फ़साना भी असंभव है साथ ही लड़्कियो को पूर्ण सुरक्षा भी मिल जाती है। लेकिन हमारे देश मे सरल कमाई हीन तरीको की जरूरत किसे है? जैसे वैवाहिक विवाद मे मध्यस्थता कराने की व्यवस्था की गयी है ऐसे ही महिला छेड़ छाड़ के केस मे भी ऐसी मध्यस्थता से दोनो के परिवारो को आमने सामने बैठा मामले कि सुलझाया जा सकता है। इसने वो कानूनी आधार भी बन जाता है जिसके उल्लंघन के बाद लड़के को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिये। इसके अलावा अधिकांश गंभीर मामलो में आरोपी मानसिक रोग से ग्रस्त रहता है। उसे तत्काल मनोचिकित्सा की आवश्यकता होती है। इस पक्ष को छोड़ दिया जायेगा तो अपराधी एक के बाद एक महिलाओ की जीना हराम किये ही रहेगा। लेकिन अपने यहां पीछा कानून और घूरना कानून जैसे सर्व शक्तिमान अस्त्रो के होते हुये इन सब बेकार की बातो के लिये समय आखिर है किसके पास।


खैर साहब सुंदरियो को देखना हर मर्द का जन्म सिद्ध अधिकार है। मै इस अधिकार के लिये तमाम उम्र लड़ता  ही रहूंगा। पीछा करने की तो मेरी उम्र रही नही, शादी शुदा आदमी को वैसे पीछा करने की जरूरत भी नही पड़ती। बीबी के पल्लू मे ही सारा संसार होता है।  आंख बस बंद करने की देरी है, श्रीमती मन चाही हीरोईन में कन्वर्ट हो जाती है। 

Thursday, February 28, 2013

हा राम - हे राम सेतु


परिवार के बड़े बुजुर्गो से मैं बड़ा नाराज हूं साहब।  बचपन में "राम रक्षा स्त्रोत" जाप करना सिखाये  "राम फ़ायदा स्त्रोत" सिखाये होते तो आज मै कहां का कहां पहुंच गया होता। वैसे मुझे अपनी भी अकल लगानी चाहिये थी। जब प्रभु  के छू मात्र देने से पत्थर तक जी उठता है। उनकी शरण मे जाने से सारे पाप धुल जाते है तो उनके नाम से भाजपा की तरह मै भी तर गया होता। बाबरी मस्जिद आंदोलन से मिला रामनामी प्रसाद बेचारो को रह रह कर याद आता है तो उनकी कोई गलती भी नही। मै तो सोचता हूं कि पिछली बार जब सत्ता पाये थे तो संसद का नाम राम संसद काहे नही कर दिये। हारते ही नारा लगा देते "सौगंध राम की खाते है राम संसद कब्जायेंगे"। भारत की भोली भाली जनता तुरंत नतमस्तक हो राम मंदिर टाईप चंदा भी देती और वोट देने में तो खैर पैसा भी नही लगता।

अब इनको मौका लगा है राम सेतु का। क्या हुआ जो अटल जी की सरकार ने  राम सेतु से नहर बना समुद्री मार्ग खोलने का फ़ैसला किया था। अरे भाई गलती हर किसी से होती है, अब अटल जी से गलती हुई तो इसका मतलब थोड़े कि नराधम कांग्रेस उसका बहाना बना कर श्रद्धेय रामसेतु को तोड़ दे। राम सेतु परियोजना का नाम आते ही हर संघी आज कल भावविह्वल हो  मृत्यु शय्या पर पड़े दशरथ की तरह  "हा राम" चीत्कार उठता है।   ऐसा लगता है कि जाने माने राम सेतु टूट गया तो ये  उपर जाकर भगवान राम को क्या मुंह दिखायेंगे।  भगवान अपना सेतु न बचा पाने के अपराध से कुपित होकर इनको सीधा खौलते तेल के कड़ाहे मे फ़ेंकवा देंगे। आप ही सोचिये कि बाबरी मस्जिद गिराने के संचित पुण्य से स्वर्गाधिकारी हो चुका हर संघी स्वर्ग  में विजय माल्या टाईप सुरा सुंदरी में तर होने का टिकट पा चुका था अचानक अपने नर्क मे धकेले जाने की संभावना से कितना हकबकाया हुआ होगा। कल तरूण विजय का राज्य सभा में भाषण सुनते समय मुझे लगा रहा था कि अब धार धार रोये कि तब।

अच्छा मै तो कोई वैज्ञानिक नही हूं शुद्ध राम भक्त हूं। जिसको शंका हो वह आकर मुझसे धारोधार रामरक्षा स्त्रोत रामचरित मानस का पाठ सुन सकता है। अब उम्र के इस पड़ाव पर मै कम्युनिस्ट भी नही हो सकता। जहां कोई कष्ट हुआ नही कि मुंह से आप ही आप "हे राम निकल: जाता है। और राम भक्त होने के नाते मै इन को शास्त्रार्थ पर भी आमंत्रित कर चुका हूं कि भाई रामसेतु ये है ही नही। पहली बात तो नल नील ने राम लिख कर चट्टान पेड़ आदि को समुद्र मे तैराया  था। सो रामसेतु पानी में तैरने वाला सेतु था जमीन से जुड़ा हुआ नहीं।  यह भौगोलिक संरचना राम सेतु हो ही नही सकती। दूसरे लंका विजय के बाद विभिषण ने प्रभु से विनती की - "प्रभु श्री राम यह सेतु मेरे राज्य पर सतत खतरा बना रहेगा, आपके नाम के प्रभाव के कारण इसे नष्ट भी नही किया जा सकता। केवल आप ही इसे नष्ट कर सकते है।" इस पर प्रभु श्री राम ने इस सेतु को नष्ट कर दिया था। स्वयं बाल्मिकी रामायण मे यह स्पष्ट दिया हुआ है। लेकिन  संघियो और उनके बाबू जी मोहन बैटरी को तो दिल्ली फ़तह करना है वे तो गधे को भी बाप बना सकते है। एक सज्जन हमसे बोले  कि भले ये वो राम सेतु नही पर राम उसी रास्ते से लंका गये थे सो वह हमारे लिये पूजनीय है। हमने कहा फ़ेर अयोध्या से लेकर लंका तक पूरा रास्ता पूजनीय हुआ कि नहीं। काहे रेलवे लाईन, रोड, नहर बनने दिये, भाजपा शासित राज्यों मे बना रहे हो?  वे सज्जन खसक लिये।


दिल्ली फ़तह करना भी कॊई बुरी बात नही हम भी चाहते है कि इस बार कांग्रेस से छुटकारा मिले। पूरे देश के मध्यमवर्ग में नरेन्द्र मोदी की लहर है, आज तक कभी किसी भाजपा के नेता के लिये ऐसा जन समर्थन भी नहीं था।  ऐसा भी नही है कि दूसरे राजनैतिक दल इस तरह की चालबाजिया नहीं करते। लेकिन जब मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा है, श्रीलंका के दक्षिणी छोर पर चीन का बंदरगाह आ रहा है हमारा पूरा समुद्री यातायात उसके नियंत्रण मे आ जायेगा। ऐसे में राम सेतु से नहर निकाल पूरा समुद्री यातायात अपनी सीमा से होकर ले जाना कितने रणनीतिक, आर्थिक फ़ायदे की चीज है यह तो सोचना चाहिये। चलो उसके बाद भी किसी को लगे नही राम सेतु नही टूटना चाहिये तो भी कोई बुरी बात नहीं। सुप्रीम कोर्ट मे केस लगा दिया गया है अपना वकील लगाओ दलीलें तथ्य सामने रखो, जो फ़ैसला आयेगा वह सबको मान्य। लेकिन नहीं अब देश भर मे प्रोपोगेंडा मे लग गये है खुद की सरकार आ गई तो फ़िर कैसे बना पायेंगे?  कोई वैक्ल्पिक मार्ग भी बताते है भाई लोग जिसमे  हजारो करोड़ अतिरिक्त खर्च आयेगा।पहले ही देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है याने फ़िर इनकी चुनावी तिकड़म का नुकसान देश झेले। खैर अभी भी बीच का रास्ता निकाला जा सकता है। ये कांग्रेसी लोग का भी गलती है।  हर चीज का नाम महात्मा गांधी  के नाम से कर देते है। अरे भाई ठीक है महात्मा गांधी देश के बापू  है हम भी बापू मानते है। पर बाज लोग दूसरो को बापू मानते है उनकी भावनाओ का भी तो खयाल रखो भाई। सबको अपना अपना बापू मानने का संवैधानिक अधिकार  है। इतना सब नाम अपने मन का रख लिया अब एक नाम उनके मन का भी हो जाये। आप प्रस्तावित तो करो कि राम सेतु से होकर निकलने वाली समुद्री नहर का नाम गोड़से नहर होगा फ़िर देखिये कैसे  आम सहमति बन जाती है। उनका नाम हो जायेगा देश का काम हो जायेगा।