Sunday, April 15, 2012

दवे जी ये " राष्ट्रीय शर्म " क्या बला है


नुक्कड़ पर कालू गरीब ने हमसे पूछा- " दादा, ये " राष्ट्रीय शर्म " क्या बला है।  हमने बला टालने के लिहाज से कहा - " कालू ये  बड़े लोगो का मसला है। अगर तू अर्थ जान गया,  फ़िर पल पल शर्मिंदा होना पड़ेगा रे भाई।" कालू ने विजयी मुस्कान बिखेरी, बोला - "समझ गये,  ये राष्ट्रीय शर्म ऐसी कोई चीज है जो आप जैसे अगड़े, स्वर्ण मनुवादी लोग हम जैसे दलित पिछड़ो अल्पसंख्यको के उपर रोज कहर की तरह ढाते हो।" हमने माथा ठोका - " रै बुड़बक, तू अर्थ का अनर्थ मत कर " कालू बोला - "आप अर्थ बता कहा रहे हो जो हम अनर्थ करे। वो तो आप दायें बायें से कट रहे थे सो हमने अंदाजा लगाया।" हमने बात मुद्दे पर टिकाई, पूछा - "पहले तू ये बता कि "राष्ट्रीय शर्म" कहां सुन लिया तूने।" कालू गर्व से बोला-  "कोई सैम पित्रोदा "बढ़ई" कह रहा था कि सर में बोझा उठाना "राष्ट्रीय शर्म" की बात है। बढ़ई बोले तो पिछड़ा,  उसकी बात बहन जी की तरह ही खरी होगी।"


हमने कहा- " मियां कालू , बोझा उठाने में कैसी शर्म। आदमी बड़ा हुआ नही कि बीबी , बच्चो,  मां बाप का बोझ तो सर मे आ ही जाता है। बोझ नही उठायेगा, काम नही करेगा तो लोग बेशर्म नही कहेंगे।"  कालू ने सर हिलाया - " दादा बात शर्म की नही  राष्ट्रीय शर्म की हो रही है। आप तो उसका मतलब बताओ।" हमने कहा- "भाई मतलब तो साफ़ है कि जिस बात पर पूरा राष्ट्र शर्मिंदा हो जाये वो राष्ट्रीय शर्म। पर ऐसा होता नही।  संविधान में राष्ट्रीय शोक की घोषणा का प्रावधान है लेकिन राष्ट्रीय शर्म के बारे में चूंकि अंग्रेजो ने कभी सोचा नही था। इसलिये हमारे संविधान में कोई नकल किया हुआ प्रावधान मिलता नही। दूसरे कालू प्यारे,  देख पूरा देश एक बात पर शर्मिंदा हो नही सकता। अलग अलग आदमी को अलग अलग बात पर शर्म आती है। जैसे कम कपड़े पहनी हुई सुंदरी को देख दिलजलो को शर्म आ जाती है कि जमाना कहां से कहां जा रहा है। कितनी बेशर्मी आ गयी है। और कम कपड़े पहनी हुई सुंदरी को उन लोगो पर शर्म आती है कि छि जमाना कितना एडवांस हो गया है। फ़िर भी ये लोग कितनी पिछड़ी सोच के है।"

कालू बोला - आप हमको राजनैतिक उदाहरण बताओ तो समझे।" हमने कहा- " देख कालू,  वहां भी फ़ेरा है भाई। कांग्रेस तो टोटल बेशर्म हो चुकी है उसको कोई बात में शर्म आती ही नही। वो तो सीधा कहती है कि तुम किस मुह से शर्म की बात कर रहे हो तुम तो खुद सर से पांव तक शर्मिंदा हो। रही बात भाजपा की तो उसे  विधानसभा मे बैठ ब्लू फ़िल्म देखते अपने नेताओ पर शर्म नही आती। वो कहते है कि हमारे मासूम नेताओ को फ़साने वालो को शर्म क्यों नही आती। लेफ़्ट वाले तो अपना नाम कम्युनिस्ट पार्टी "शर्मिंदावादी" रख ले तो ही सार है हर बात में शर्माते हैं। पहले कारखाना मालिको को देख शर्माते थे कि हाय मजदूरो पर कितना जुल्म करते हैं और अब ममता को देख शर्माते हैं कि हाय कारखाने को भगा दिया। संघी लोग धर्मनिरपेक्ष हिंदुओ को देख शर्मा जाते हैं। हाय कैसे हिंदु है इनका खून नही खौलता। तो धर्मनिर्पेक्ष लोग संघियो को देख शर्मा जाते है कि हाय चौसठ साल से अपना खून खौला रहे है। न तो इनका खून कम होता है और न देश से मुसलमान।"


कालू ने बीच में दखल दिया -"दादा हमको तो सैम पित्रोदा "बढ़ई" जिस राष्ट्रीय शर्म की बात कर रहा खाली वही जानना है।" स्वर्ण और अगड़े लोग जिस बात पर शर्मिंदा होते हो उससे हमारा क्या लेना देना। हमने कहा- "अबे घोंचू तेरा बढ़ई गरीबो को शर्म आने की बात थोड़े कह रहा है। वो सर में बोझा उठाने में शर्मिंदा होंगे तो खायेंगे क्या। अबे अगड़ॊ को शर्म आयेगी कि बेचारे पिछड़े मशीन होने का बाद भी सर पर बोझा उठा रहे हैं, तब कोई बात बनेगी। कालू तुनक कर बोला - "फ़िर तो हो गया दादा, अगड़ो को कभी पिछड़ो पर दया आयी है जो शर्म करेंगे।"
हमने कहा "अरे बुड़बक चल दया कर भी ले तो होगा क्या ?  साठ करोड़ आदमी जो काम करते हैं उसको मशीनो से करवाने के लिये बिजली कौन देगा बहन जी का ताउ।  अगर बिजली मिल भी जाये। तो फ़िर इतने लोगो को काम कौन देगा इस बढ़ई का ससुर। अरे कालू ये सब बेकार का बात है। जिस दिन मजदूर से मशीन सस्ती पड़ेगी। अपने आप काम मशीन से होने लगेगा। बोले तो जब गरीबी खत्म होगी तब आदमी का श्रम महंगा होगा।"


कालू ने निराशा से सर झटका- "मतलब दादा इस देश को शर्मिंदा करना तेढ़ी खीर है। हमें बेशर्मी में जीना पड़ेगा।" हमने कालू को तसल्ली दी- "देख प्यारे ये राष्ट्रीय शर्म अगर फ़ोकट का चुम्मा हो। तो अभी तड़ से सारे शर्मा जायें। पर बेटा शर्म वो होती है जिसे दूर करने के जेब से नावा ढीला करना पड़े। कोई भूखा देख शर्म आये तो खाना खिलाना होता है।  कुपोषित अनाथ या अशिक्षित बच्चा नजर आये और उसके हाल पर शर्म आने लगे तो उसे गोद लेना होता है रे भाई। ये राष्ट्रीय शर्म शार्ट टर्म में शर्मिंदा भले कर दे। पर लांग टर्म से चली आ रही शर्म को बाउंसर की तरह "वेल लेफ़्ट" करने में अकलमंदी है भाई।"

कालू भड़क गया - "अंग्रेजी बोल कर हम पिछड़ो को शर्मिंदा करने की ये आप लोगो की पुरानी चाल अब चलने वाली नही है। " हम भी भड़क गये - "अबे तुझे शर्म नही आती खामखा अपना और दूसरो का समय खराब करता है। जवान आदमी है,  जा कही काम धंधा कर नही फ़िर आ जायेगा। अगड़ो शर्मा जाओ, देखो एक पिछड़ा भूखा है।"

खैर साहब कालू तो चला गया लेकिन असली राष्ट्रीय शर्म जिसकी घोषणा होनी चाहिये। वो यह है कि चौसठ साल बाद भी हम लोग जात पात धर्म के नाम से वोट डाल।  इन भ्रष्टाचारियो से अपनी छाती पर मूंग दलवा रहे हैं। बाकी राष्ट्रीय शर्म जो भी है सब इसी की पैदाईश हैं।




Monday, April 2, 2012

राहुल गांधी हाजिर हो

अदालत खचाखच भरी हुयी थी। कांग्रेसियों के राजकुमार राहुल गांधी उर्फ़ अमूल बेबी कटघरे में खड़े हुये थे। उन पर मुकदमा दर्ज करने वाले वकील बाबा रामदेव थे, वकीले सफ़ाई स्वयं हम याने दवे जी। कार्यवाही शुरू करने का आदेश पाते ही बाबा फ़ट पड़े - "माई लार्ड,  इस देश को लूट लूट कर गद्दारो ने सारा कालाधन बाहर छिपा दिया है। अगर आपने सही न्याय नही किया तो जो हाल गदाफ़ी का हुआ था। देश की जनता लूटने वालो का भी मार मार के वही हाल करेगी। हालांकि माई लार्ड मै अहिंसा का पुजारी हूं और जनता से अपील करता हूं कि हिंसा का रास्ता न अपनाये।"
हमने पूछा - "माई लार्ड मेरे काबिल दोस्त  राहुल गांधी का संबंध कालाधन से साबित करें।"
बाबा रामदेव ने शांती से जवाब दिया - "माई लार्ड हमने किसी का नाम नही लिया है।"

हमने जवाब दिया - माई लार्ड इस देश की जनता जिस दिन भड़क जायेगी उस दिन गोली, चूरण टिका के और फ़र्जी योगा सिखा के  जनता को गुमराह करने वाले ठगो को पीट पीट कर मारेगी। हालांकि माई लार्ड हम भी अहिंसा के पुजारी है और जनता से अपील करते हैं कि कानून हाथ में न ले।
बाबा रामदेव उछल कर खड़े हो गये बोले - माई लार्ड हम प्रमाणिकता के साथ इतने साल से लोगो को योग सिखा रहे हैं। हम जो है ब्लड प्रेशर, हार्ट प्राब्लम, कैंसर का इलाज कर लोगो को जीवन दे रहे हैं। और वकीले सफ़ाई हम पर  झूठा आरोप लगा रहे हैं।
हमने कहा-  "माई लार्ड चोर की दाढ़ी मे तिनका, हमने भी बाबा रामदेव का नाम कहां लिया।"

खिसिया कर बाबा रामदेव ने अदालत में एक पत्रिका लहराई बोले - माई लार्ड, ये देखिये जरमनी की एक पत्रिका है इसमे साफ़ दिया हुआ है कि भारत के एक पूर्व प्रधानमंत्री का अरबो डालर स्विस बैंक में जमा है। और वे इन राहुल गांधी के क्या लगते थे ये तो साफ़ ही है।
हमने अदालत में इंडिया टुडे से लेकर आउटलुक तक दस पत्रिकायें लहराईं -  "माई लार्ड इनमें साफ़ दिया हुआ है कि बाबा के ट्रस्ट में ठगी से लेकर सगे संबंधियो की भर्ती तक और दवाईयो में लद्दी से लेकर हड्डी तक की मिलावट है। इसलिये माई लार्ड आप से अनुरोध है कि इन पत्रिकाओ के आधार पर बाबा रामदेव और मेरे मुव्वकिल  बाबा राहुल  दोनो को कड़ी से कड़ी सजा सुनाई जाये।"


बाबा रामदेव सकपका गये, मरी हुई आवाज मे बोले - "माई लार्ड पत्रिकाओ के आरोप सही नही होते।"
हमने कहा-  "तो बाबा जी ऐसा आरोप लगाओ जो सही भी हो और आप साबित भी कर सको।"

बाबा रामदेव फ़िर भिड़ गये, बोले - "माई लार्ड,  आरोपी ने  आतंकवादियो को दामाद बना कर रखा हुआ है। अजमल कसाब ने मुंबई में सैकड़ो मासूमो की जान ली। उसको फ़ांसी पर लटकाना तो छोड़िये, वोट बैंक की राजनीती के लिये उसको मुर्ग मुस्सलम खिला रहे हैं। जिस जनता की सुरक्षा का जिम्मा इनके उपर है, उसको तो रामलीला मैदान में आधी रात को पीटते हैं। और देश द्रोही की सुरक्षा के उपर करोड़ो रूपये उसी जनता के लुटा रहे हैं।

जज ने हमे घूर कर देखा मानो कसाब को मुर्ग मुसल्लम राहुल गांधी नही हम ही खिला रहे हो।
हमने संभल कर जवाब दिया -"माई लार्ड हमारे देश मे  श्रद्धेय अंबेडकर जी का बनाया संविधान है जिसके तहत किसी को भी सजा देने के पहले न्यायिक प्रक्रिया पूरी करनी होती है कि किसी बेगुनाह को सजा न हो। अब इन्ही बाबा रामदेव को ले लीजिये। सरकार के खिलाफ़ इतना बड़ा आंदोलन चला रहे हैं। अगर संविधान और न्यायपालिका न हो तो क्या सरकार इन्हे उठा कर बंद नही कर देती अब तक। और माई लार्ड अगर ये बाबा लोग ही सजा सुनाने लगे तो फ़िर आपकी जरूरत ही क्या है। सरे जजो को नौकरी से निकाल देना चाहिये। "


नौकरी पर खतरा देखते ही जज साहब बाबा पर भड़क गये - " क्या अनाप शनाप दलील देते हो जी, कोई ढंग की बात हो तो कहो वरना मुकदमा खारिज। "
बाबा  सीना तान कर बोले - माई लार्ड,  पूछिये इनसे कि अफ़जल गुरू को तो सारी अपील सुनने के बाद उसे खारिज कर फ़ांसी की सजा हुयी है। माई लार्ड सुप्रीम कोर्ट ने उसे सजा ए मौत दी थी। उसको क्यों ये दस सालो से दामाद बना कर पाल रहे हैं।  माई लार्ड  आप ही फ़ैसला करें कि आतंकवादियो को दामाद की तरह पालने वालो को क्या सजा मिलनी चाहिये।
हमने जवाब दिया - माई लार्ड उसको फ़ांसी देने से शांत पड़े कश्मीर में हिंसा फ़ैल जायेगी। पूरी घाटी में रक्तपात होगा, हमारे जवानो को शहीद होना पड़ेगा। और माई लार्ड भले फ़ांसी नही हो रही जेल मे तो बंद है छोड़ तो नही रहे। सड़ने दीजिये जेल में काहे फ़ांसी देना।

बाबा रामदेव क्रोध मे भर कर बोले- माई लार्ड, भारत माता के सपूत जान न्योछावर करने को तैय्यार हैं। हम तो सेना बनाकर ही देश सेवा में लगाने वाले थे, हमे तो रोक दिया गया। फ़िर बाबा ने गेयर बदला, जज को ही मक्खन लगाने लगे, बोले-  "माई लार्ड, आप अपने को ही लीजिये। अगर आप डरते तो क्या प्रतिदिन खतरनाक अपराधियो को सजा दे पाते। माई लार्ड अब इस देश को आपकी तरह बहादुर हो हिंसा से डरे बिना सजा देना ही होगा। "

जज साहब, बाबा के मक्खन पर फ़िसल गये। सीना तान कर बोले-  "भारत की न्यायवय्वस्था किसी आतंकवादी से नही डरती  दवे जी।  मुजरिम राहुल बाबा ने केवल संविधान का मजाक उडाया है। बल्कि वोट बैंक की राजनीती के खातिर शिवाजी और लक्ष्मी बाई की वीरोचित परंपरा को भी तिलांजली दे दी है। अतः यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि.............।
हमने बीच में गुहार लगाई-  "माई लार्ड, आपको हमारी आखिरी दलील सुनना ही पड़ेगी। आखिर सवाल करोड़ो कांग्रेसियो के राजकुमार का है। जज ने हमे घूर कर कहा - " जो कहना है फ़टाफ़ट कहिये।" हमने कहा "माई लार्ड आखिरी दलील हम आफ़ द रेकार्ड देना चाहेंगे। यह बात देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी हुयी है।" बाबा के विरोध के बावजूद जज ने हमें चैंबर में बुला दलील रखने की इजाजत दे दी।

हमने कहा- "माई लार्ड इन आतंकवादियों को  जेहाद करने से जन्नत मिलेगी, अप्सराये मिलेगी के नाम से सब्जबाग दिखाये जाते है। उसी जन्नत को पाने के लिये ये आत्मघाती हमलावर बनते हैं। माई लार्ड क्या आप चाहते है कि सैकड़ो मासूमो को मारने वाले खुशी खुशी फ़ांसी का फ़ंदा गले में डाले।" जज ने अचकचा कर हमे घूरा, बोले - "आप कहना क्या चाहते हो।"

हमने कहा- "माई लार्ड, मेरे मुवक्किल देश भक्त राहुल गांधी ने फ़ैसला किया है कि इनको फ़ांसी न देकर बीमारी से, बुढापे से मरने दिया जाये। ताकी ये तिल तिल कर मरें कि जिस जन्नत के लिये इन दुष्टो ने जिहाद किया था वो उनको कभी न मिले।" जज के भेजे मे बात घुसने लगी थी, उन्होने क्रास कोश्चन किया - "अरे भाई ये दिन भर अल्लाह से दुआ कर शहीद न हो पाने को  सरकार का दोष बतायेंगे। और जन्नत नशीं करने की गुजारिश करेंगे।" हमने विजयी मुस्कान निपोरते हुये कहा -"माई लार्ड हमारे अमूल बेबी ने कच्ची गोलिया नहीं खेली हैं। ऐसा वीआईपी ट्रीटमेंट वाला इंतजाम कर रखे है कि ये साले आतंकवादी पूरा टाईम कुफ़्र में लगे रहे। एक से एक ठांय ठांय फ़ोटॊ चिपकवा दिये है उनके कमरे में। वीना मलिक से लेकर सन्नी लियोन तक का। क्या कहें माई लार्ड, कहने मे भी लजा रहे है।  दिन भर ऐसा ऐसा नीला पीला पिक्चर दिखाया जाता  हैं उनको कि बेचारे उपर की हूरो को भूल दिन भर गुनाहे अजीम में लगे रहते हैं। बेचारे दिन भर रहम की गुहार लगाते रहते हैं कि खुदा के वास्ते हमे दोजख के रास्ते पर मत ढकेलो। लेकिन हमारे राहुल बाबा नही पिघलते।  सच मानिये हजूर  बेचारों का जन्नत के लिये तड़पना तो हमसे देखा भी नही जाता है।"

इतना सुनते ही जज कुर्सी से उछल पड़े बोले - "वाह वाह मानना पड़ेगा राहुल बाबा की चाल एकदम गजब है। चलिये  राहुल बाबा को  बाईज्जत बरी किया जाये।" हमने कहा-  "क्या कहते हैं हुजूर ये बात इस कमरे के बाहर नही जाना चाहिये।  कही मुल्लाओं को मालूम पड़ गया तो जन्नत की राह में आने वाले हमारे राहुल बाबा के खिलाफ़ फ़तवा जारी कर देंगे। और  बाबा रामदेव को भी बताई नही जा सकती। कोई भरोसा नही कब क्या बयान दे सारी पोल खोल दे।"  जज साहब उलझन में पड़ गये बोले - "भाई, बिना कारण बताये  बाईज्जत बरी तो नही किया जा सकता न,  बड़ा सेंसेटिव मामला है ।" हमने कहा- " माई लार्ड, हमको बाईज्जत बरी करवाना ही नही है। हम तो चाहते ही है कि हमारे मुवक्किल को सजा हो।" जज हम पर भड़क गये बोले - "ऐसे महान देश भक्त को सजा पागल तो नही हो गये हो।" हमने कहा- "माई लार्ड अभी राहुल बाबा की कुंडली में शनी दसवे भाव मे बैठा है। जहा प्रचार करने जाते है पार्टी का लुटिया डूब जाता है।  अब तो नौबत यह है कि खुद जीतेगा कि नही इस पर भी शंका होने लगा है। सो इसी केस के बहाने हम चाहते है कि आप उन पर चुनाव लड़ने और चुनाव प्रचर करने पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दे। इज्जत का इज्जत रह जायेगा और देश का टाप सीक्रेट बाहर भी नही आयेगा।
खैर साहब जज साहब ने हमारी बात मानते हुये यही आदेश सुना दिया। जब हम अदालत से बाहर निकल रहे थे तो बाबा रामदेव की प्रेस कांफ़्रेस चल रही थी और उनकी आवाज हमारे कानो तक पहुंची। " आज की जीत हमारी पहली जीत है। हम जो है देश मे व्यवस्था परिवर्तन कर देंगे, काला धन ले आयेंगे 2%  ट्रांस्कैशन टैक्स लगा सारे टैक्स खतम कर देंगे। लुटेरे खानदान का हाल गदाफ़ी के जैसा होगा , गोबर से बिजली बना हम स्वदेशी भारत बनायेंगे ...........................।" इतना सुन हमने मन ही मन तय किया ये बाबा जिस दिन कानून के लफ़ड़े मे पड़ा नही कि हम इसको भी राहुल बाबा से कह आतंकवादी वाला वीआईपी ट्रीट मेंट नही दिलाये तो हमारा नाम भी दवे जी नही।"