साहब नुक्कड़ पर बबलू आंधी जी की आसाराम बापू द्वारा की गयी खिंचाई पर हंसी ठठ्ठा चल रहा था कि भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी पहुंच गये बोले - " ये आसाराम बापू यह न समझे कि हमको जवाब देना नही आता "। हमने तुंरंत जेब से कागज निकाला और शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी का जवाब पढ़ना शुरू कर दिया - " यह आसाराम बापू किस मुह से बबलू आंधी के बारे में बात कर रहा है यह तो खुद सर से पैर तक भ्रष्टाचार मे लिप्त है, पाखंडी है ठग है और उनके पीछे संघ का हाथ ह।" शर्मा जी बोले - ये असाराम को आप बापू क्यों बोलते हैं क्या आप को मालूम नही बापू कहलाने का अधिकार सिर्फ़ महात्मा गांधी को है।" हमने कहा - और गांधी जी का सरनेम सहित सारा कापीराईट आपके पास है। चाहे जो घोटाला कर दो खदान बेच खाओ, लाईंसेंस की बंदरबाट कर दो, महात्मा गांधी की जय बोलते ही आपके सारे पाप धुल जाते हैं। और आप चाहते हो कि हम लोग गांधी जी के तीन बंदरो की तरह बुरा न सुने बुरा न कहें और बुरा न देखे।
शर्मा जी ने बात घुमाई - " आज हमें जगजीत सिंग जी के जाने का बड़ा अफ़सोस है, ईश्वर उनकी आत्मा को शांती प्रदान करे।" हमने कहा- " भाईयो जगजीत सिंग जी की याद मे कुछ गजलें पेश कर रहा हूं सुनिये -" बात निकलेगी बबलू तो दूर तलक जायेगी ~~~लोग पूछॆंगे कि स्विस बैंक मे काला धन क्यूं है~~~ ये भी पूछेंगे कि तुम अब तक कुवारे क्यूं हो।" शर्मा जी भड़क गये बोले- "दवे जी, अब आगे आदरणीय़ बबलू जी के बारे में एक शब्द न बोलिये।" हमने कहा " चलिये बबलू जी पर नही कहते उनकी दीदी बबली जी पर ही गजल पेश कर रहे हैं " बबली को देख कर देखता रह गया~~~~ क्या कहूं~~~क्या कहूं~~~ कहने को क्या रह गया"।" शर्मा जी और भड़क गये - " किसी विवाहित महिला के बारे मे ऐसी बात करते आपको शर्म नही आती है।" हमने कहा शर्मा जी हमारी बात नही समझ रहे आप इसे सुनिये आप सब समझ जायेंगे।एक दूसरी गजल पेश कर रहा हूं- " आते आते~~हमारा नंबर रह गया~~~ और बबली को बंटी पडेरा ले गया" और शर्मा जी आज कल 2G वाले सारे मोबाईल में बंटी और बबली वाला रिंगटोन बज रहा है।
शर्मा जी बोले हमारी प्यारी मम्मी को पता चल गया दवे जी तो आपकी खैर नही।" हमने कहा - "शर्मा जी उस पर भी गजल है, " आपकी मम्मी के कदमो पे सर होगा~~~~और सीबीआई सर पे खड़ी होगी"।" शर्मा जी ने प्रतिवाद किया - " दवे जी, सीबीआई तो आदरणीय मन्नू जी की सरकार के पास है, हमारी मम्मी जी के पास थोड़े न है।" हमने कहा- "भाई शर्माजी आप मन्नू की बात तो करो ही मत, वो तो सत्ता सुंदरी के नशे मे ऐसे चूर है कि बस यही गुनगुनाते रहते हैं - " ठुकराओ अब के प्यार करो~~~~मै नशे मे हूं " और नशा इतना गहरा है कि देश भर में फ़जीहत हो रही है पर उनको समझ में नही आ रहा है।"
शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी बोले - " क्यों मुफ़्त मे अपना खून जला रहे हो, कर तो कुछ नही सकते। चुनाव भी आयेगा तो चुनोगे तो नेताओ में से ही किसी को। और वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी चोर चोर मौसेरे भाई, इसलिये मै कहता हूं इंडिया टीवी में चमत्कार देखा करो और खुश रहो, और फ़िर भी नही मानना तो कोसते रहो हमारी बला से।" हमने कहा- "शर्मा जी जगजीत सिंग की एक गजल और सुन लो सारा मामला समझ मे आ जायेगा - " आह को चाहिये एक उम्र असर होने तक" , फ़िर शर्मा जी अपने साथियों के साथ बैठ कर तिहाड़ में गाना - "ये दौलत भी ले लो ~~ये शोहरत भी ले लो~~~ भले छीन लो हमारा माल पानी।"
इतना सुन साहब शर्मा जी तो चले गये, हम खड़े हो सोचते रहे "भगवान के घर देर है पर अंधेर नही" यह मुहावरा सही साबित होगा या नही।
और गांधी जी का सरनेम सहित सारा कापीराईट आपके पास है
ReplyDeleteसार्थक चुटकी...
आपने अपने ही अंदाज में जगजीत सिंह जी को याद करते हुये कटाक्ष रच दिया है अरुणेश भाई..... शानदार...
सादर...
हा हा हा , बेहतरीन , गजलो के माध्यम से सफाई ,
ReplyDeleteबहुत खूब ||
ReplyDeleteबधाई ||
http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/10/blog-post_13.html
इस समय तो लगता है हमारे देश में देर भी है और अंधेर भी ...
ReplyDeletevaah :) :) :)
ReplyDeletewaah!!!
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