एक दिन सुबह सुबह श्रीमती ने फ़रमाईश रख दी- " बाबा रामू आये हुये हैं, आपको हमें प्रवचन में ले चलना होगा। हमने कहा भी कि भाई आज कल बाबा रामू में पहले जैसे योग नही सिखाते है फ़ोकट राजनैतिक प्रवचन झेलना होगा" श्रीमति कहां मानती हमे ले जाकर ही दम लिया।
खैर बाबा का प्रवचन शुरू हुआ, बोले - "हम प्रमाणिकता के साथ आपकी बीमारियों को दूर भगा देंगे और विदेशों से कालाधन वापस ले आयेंगे।" उसके बाद बाबा ने कपाल भाती सिखाना शुरू किया, बोले- " जोर से सांस खींचो।" हमने सांस अंदर ली, फ़िर बाबा बोल उठे- "कालाधन छोड़ो।" हमने कहा- " बाबा हम तो आपके कहे में केवल सांस अंदर किये हैं, अब कालाधन कैसे छोड़ें।" बाबा बोले - " बेटा आप को सांस ही छोड़ना है कालाधन वाला बात तो हम कांग्रेसियों के लिये कह रहे थे।"
बाबा फ़िर शुरू हुये - " देश का तीन सौ तीस लाख करोड़ कालाधन विदेशो में जमा है। हम कानून बनवा कर इसे राष्ट्रीय संपंत्ती घोषित कर देश में वापस लायेंगे। इस पैसे को हम बैंक में जमा करवा देंगे, इससे हर साल तैतीस लाख करोड़ की आमदनी होगी। इससे हम गांव गांव को स्वर्ग बना देंगे, इस पैसे से हिंदुस्तान की हर सड़क पर दस मिमी मोटी सोने की परत चढ़ाई जा सकती है। गांव गांव में खादी बुनी जायेगी, पंदरह करोड़ लोगो को इससे रोजगार मिलेगा। पूरा विश्व भारत का बनाया कपड़ा ही पहनेगा। गाय के गोबर से हम मीथेन गैस बनाकर इससे बिजली बनायेंगे फ़िर भारत को तेल आयात करने की जरूरत नही होगी।"
इतना सुनते सुनते हम सपनो में खो गये। बाबा देश के राष्ट्रपति और हम उनके प्रमुख सचिव बन गये। हमसे मिलने के लिये लोगो का ताता लग गया। हर कोई शिकायत बताने और मांगे लेकर हमारे पास आ रहा था। एक प्रतिनिधी मंडल आया, बोला - " साहब हमारे दलित गांव का गोबर, पड़ोस के गांव के दबंग छीन कर सोसाईटी में बेच देते हैं।" हमने तुरंत आदेश जारी किया- "गायो के मालिको का हिसाब रखा जाये और नाथूराम गोड़से गोबर खरीद गारंटी मिशन के अंतर्गत चेक से सीधे मालिक के खाते में भुगतान हो।"
तभी विभिन्न देशों का के राजदूत मिलने आये, पाकिस्तान वाला बोला- "सर आपने हमसे कपास खरीदना क्यों बंद कर दिया है।" हमने कहा- " पहले आतंकवाद बिल्कुल बंद होना चाहिये, दाउद के जैसे तमाम आरोपी भारत को सौंपिये, उसके बाद आपसे कपास खरीदा जायेगा।" अगला दल यूरोप का था, आते ही गिड़गिड़ाने लगे- "माई माप, सारे यूरोप का पैसा तो आप वापस ले गये हो। हमारे यहां हाहाकार मचा हुआ है, हमें कर्ज दीजिये वरना हम तबाह हो जायेंगे।" हमने कहा- "अपना सोना गिरवी रखना होगा, उसके अलावा ब्रिटेन के म्यूजियम में भारत की जितनी ऐतिहासिक वस्तुयें हो, वो सब लौटानी होगी। आखिरी शर्त लंदन के मुख्य मार्केट की सड़क हमारी होगी। उसमें बोर्ड लगा होगा- " ब्रिटिश एन्ड डाग्स नाट अलाउड।"
इसके बाद अमेरिका के वैज्ञानिकों का दल था, वे आते ही चढ़ बैठे- "आप विश्व हित की टेक्नोलाजी को छुपा रहे हो। आप वसुदैव कुटूंबकम की हिंदू संस्कृती भूल गये हो।" हमने पूछा- " भाई मामला क्या है।" वे और भड़क गये- " आपके यहां गायें खुल्ला घूमती है, उनके पीछे गोबर इकठ्ठा करने के लिये भागना पड़ता है। फ़िर भी आप उस गोबर से मीथेन गैस बना, इंधन के मामले में आत्म निर्भर हो गये। और हम है कि दस हजार गायें एक एक फ़ार्म में पालते है, सबका गोबर आटॊमेटिक एकत्र हो जाता है। फ़िर भी हम उसका उपयोग करने में असमर्थ हैं।" हमने कहा- " हम आपको गोबर की तकनीक विशेष शर्तो पर उपलब्ध करा सकते हैं। इस तकनीक में काम आने वाला गौ मूत्र, शुद्ध भारतीय होगा। यह गोमूत्र आपको सौ रूपये प्रति लीटर पर खरीदना होगा।" शर्ते सुन कर अमेरिकी जमीन में लोट गये बोले -" माई बाप पहले एक रूपये की कीमत पचास डालर हो गयी है, हम ये बोझ और न सह पायेंगे।" हमने इंकार में सर हिला दिया
अमरीकन बोले- " हम बाबा रामू से सीधे बात करेंगे।" हमने कहा -" सौ देशो की खुफ़िया पुलिस बाबा रामू को खोज रही है कि उनके हाथ लग जायें तो उनके देश का भला हो जाये। इसलिये वे गुप्त स्थान पर रहते हैं, आप नही मिल सकते।" जाते जाते अमेरिकन भुनभुना रहे थे -" जितने आलतू फ़ालतू बाबा थे, उनको हरे रामा हरे कृष्णा करने अमेरिका भेजते रहे और महान बाबा रामू से मिलने तक नही देते हैं।"
प्रसन्न होकर गड़करी साहब निकले ही थे कि तभी तेल उत्पादक देशों (ओपेक) का दल आया। आते ही गिड़गिड़ाने लगे -" साहब कोई ऐसे आर्डर कैंसल करता है क्या भला। आपने तो हमे कहीं का नही छोड़ा। " हमने कहा- भाई करे क्या अब कुछ काम ही नही रहा तेल का, अब तो खाली परंपरा निभाने के लिये राष्ट्रपति पंदरह अगस्त को पेट्रोल कार में बैठ कर समारोह में जाते हैं।" बाकी देशों ने तो मन मसोस लिया, लेकिन अरब वाले पैरों में गिर गये- "माई बाप हमारे छोटे छोटे बच्चों पर तरस खाओ, साल मे कम से कम पांच टैंकर ले लो।" हमे याद आया, जब तेल बिकता था तो कैसे अकड़ते थे साले, हमने तुरंत लात जड़ी - "चलो भागो यहां से।"
तभी हमारा स्वप्न भंग हो गया। देखा तो हमारे सामने बैठा श्रद्धालू मुंह के बल जमीन पर पड़ा था। हमारी लात अरब राजदूत को नही, उसे पड़ी थी। लोग भड़क गये, हमें घेर लिया। तभी बाबा रामू ने बीच बचाव करते हुये पूछा- " क्या बेटा लात क्यों मारी।" हमने सफ़ाई दी- " बाबा आपकी बाते सुनकर हमे कांग्रेस पर इतना गुस्सा आया कि हम क्रोध में होश खो बैठे और गलती से लात चल गयी।"
माफ़ी मांग हम प्रवचन से उठ तो आये। लेकिन कहे क्या, आज तक मन कालेधन की वापसी की राह देख रहा है। रोज भगवान से दुआ करते हैं कि बाबा को इतनी शक्ती दे कि बाबा कालाधन वापस ले आयें। गोबर से मीथेन गैस बना परमाणू संयंत्रो से, कोयल की राख से मुक्ती दिलवाये। पूरा विश्व भारत का माल खरीदे पर भारत किसी देश का माल न ले।
खैर बाबा का प्रवचन शुरू हुआ, बोले - "हम प्रमाणिकता के साथ आपकी बीमारियों को दूर भगा देंगे और विदेशों से कालाधन वापस ले आयेंगे।" उसके बाद बाबा ने कपाल भाती सिखाना शुरू किया, बोले- " जोर से सांस खींचो।" हमने सांस अंदर ली, फ़िर बाबा बोल उठे- "कालाधन छोड़ो।" हमने कहा- " बाबा हम तो आपके कहे में केवल सांस अंदर किये हैं, अब कालाधन कैसे छोड़ें।" बाबा बोले - " बेटा आप को सांस ही छोड़ना है कालाधन वाला बात तो हम कांग्रेसियों के लिये कह रहे थे।"
बाबा फ़िर शुरू हुये - " देश का तीन सौ तीस लाख करोड़ कालाधन विदेशो में जमा है। हम कानून बनवा कर इसे राष्ट्रीय संपंत्ती घोषित कर देश में वापस लायेंगे। इस पैसे को हम बैंक में जमा करवा देंगे, इससे हर साल तैतीस लाख करोड़ की आमदनी होगी। इससे हम गांव गांव को स्वर्ग बना देंगे, इस पैसे से हिंदुस्तान की हर सड़क पर दस मिमी मोटी सोने की परत चढ़ाई जा सकती है। गांव गांव में खादी बुनी जायेगी, पंदरह करोड़ लोगो को इससे रोजगार मिलेगा। पूरा विश्व भारत का बनाया कपड़ा ही पहनेगा। गाय के गोबर से हम मीथेन गैस बनाकर इससे बिजली बनायेंगे फ़िर भारत को तेल आयात करने की जरूरत नही होगी।"
इतना सुनते सुनते हम सपनो में खो गये। बाबा देश के राष्ट्रपति और हम उनके प्रमुख सचिव बन गये। हमसे मिलने के लिये लोगो का ताता लग गया। हर कोई शिकायत बताने और मांगे लेकर हमारे पास आ रहा था। एक प्रतिनिधी मंडल आया, बोला - " साहब हमारे दलित गांव का गोबर, पड़ोस के गांव के दबंग छीन कर सोसाईटी में बेच देते हैं।" हमने तुरंत आदेश जारी किया- "गायो के मालिको का हिसाब रखा जाये और नाथूराम गोड़से गोबर खरीद गारंटी मिशन के अंतर्गत चेक से सीधे मालिक के खाते में भुगतान हो।"
तभी विभिन्न देशों का के राजदूत मिलने आये, पाकिस्तान वाला बोला- "सर आपने हमसे कपास खरीदना क्यों बंद कर दिया है।" हमने कहा- " पहले आतंकवाद बिल्कुल बंद होना चाहिये, दाउद के जैसे तमाम आरोपी भारत को सौंपिये, उसके बाद आपसे कपास खरीदा जायेगा।" अगला दल यूरोप का था, आते ही गिड़गिड़ाने लगे- "माई माप, सारे यूरोप का पैसा तो आप वापस ले गये हो। हमारे यहां हाहाकार मचा हुआ है, हमें कर्ज दीजिये वरना हम तबाह हो जायेंगे।" हमने कहा- "अपना सोना गिरवी रखना होगा, उसके अलावा ब्रिटेन के म्यूजियम में भारत की जितनी ऐतिहासिक वस्तुयें हो, वो सब लौटानी होगी। आखिरी शर्त लंदन के मुख्य मार्केट की सड़क हमारी होगी। उसमें बोर्ड लगा होगा- " ब्रिटिश एन्ड डाग्स नाट अलाउड।"
इसके बाद अमेरिका के वैज्ञानिकों का दल था, वे आते ही चढ़ बैठे- "आप विश्व हित की टेक्नोलाजी को छुपा रहे हो। आप वसुदैव कुटूंबकम की हिंदू संस्कृती भूल गये हो।" हमने पूछा- " भाई मामला क्या है।" वे और भड़क गये- " आपके यहां गायें खुल्ला घूमती है, उनके पीछे गोबर इकठ्ठा करने के लिये भागना पड़ता है। फ़िर भी आप उस गोबर से मीथेन गैस बना, इंधन के मामले में आत्म निर्भर हो गये। और हम है कि दस हजार गायें एक एक फ़ार्म में पालते है, सबका गोबर आटॊमेटिक एकत्र हो जाता है। फ़िर भी हम उसका उपयोग करने में असमर्थ हैं।" हमने कहा- " हम आपको गोबर की तकनीक विशेष शर्तो पर उपलब्ध करा सकते हैं। इस तकनीक में काम आने वाला गौ मूत्र, शुद्ध भारतीय होगा। यह गोमूत्र आपको सौ रूपये प्रति लीटर पर खरीदना होगा।" शर्ते सुन कर अमेरिकी जमीन में लोट गये बोले -" माई बाप पहले एक रूपये की कीमत पचास डालर हो गयी है, हम ये बोझ और न सह पायेंगे।" हमने इंकार में सर हिला दिया
अमरीकन बोले- " हम बाबा रामू से सीधे बात करेंगे।" हमने कहा -" सौ देशो की खुफ़िया पुलिस बाबा रामू को खोज रही है कि उनके हाथ लग जायें तो उनके देश का भला हो जाये। इसलिये वे गुप्त स्थान पर रहते हैं, आप नही मिल सकते।" जाते जाते अमेरिकन भुनभुना रहे थे -" जितने आलतू फ़ालतू बाबा थे, उनको हरे रामा हरे कृष्णा करने अमेरिका भेजते रहे और महान बाबा रामू से मिलने तक नही देते हैं।"
तभी भाजपा के गुड़गुड़ी साहब आ गये, बोले, "दवे जी चुनाव सर पर आ गया है, देश में कोई समस्या ही नहीं बची है, जनता से कहें क्या?" हमने कहा - "कल ही वित्त मंत्री कह रहे थे कि सारे विकास कार्य हो चुके हैं। जो बचे हैं, उनके लिये पैसा आबंटित हो चुका है। अब हर साल ब्याज के तैंतीस लाख करोड़ खर्च कहां करें? आप विश्व के सत्तर गरीब देशों की इस पैसे से मदद कीजिये। फिर यूएन में उनकी सहायता से प्रस्ताव पारित करा लिया जायेगा कि चीन और पाकिस्तान भारत को जमीन वापस करें। बिना लड़े जमीन वापस आ गई तो समझिये अगला चुनाव जीतना तय है।" ।"
प्रसन्न होकर गड़करी साहब निकले ही थे कि तभी तेल उत्पादक देशों (ओपेक) का दल आया। आते ही गिड़गिड़ाने लगे -" साहब कोई ऐसे आर्डर कैंसल करता है क्या भला। आपने तो हमे कहीं का नही छोड़ा। " हमने कहा- भाई करे क्या अब कुछ काम ही नही रहा तेल का, अब तो खाली परंपरा निभाने के लिये राष्ट्रपति पंदरह अगस्त को पेट्रोल कार में बैठ कर समारोह में जाते हैं।" बाकी देशों ने तो मन मसोस लिया, लेकिन अरब वाले पैरों में गिर गये- "माई बाप हमारे छोटे छोटे बच्चों पर तरस खाओ, साल मे कम से कम पांच टैंकर ले लो।" हमे याद आया, जब तेल बिकता था तो कैसे अकड़ते थे साले, हमने तुरंत लात जड़ी - "चलो भागो यहां से।"
तभी हमारा स्वप्न भंग हो गया। देखा तो हमारे सामने बैठा श्रद्धालू मुंह के बल जमीन पर पड़ा था। हमारी लात अरब राजदूत को नही, उसे पड़ी थी। लोग भड़क गये, हमें घेर लिया। तभी बाबा रामू ने बीच बचाव करते हुये पूछा- " क्या बेटा लात क्यों मारी।" हमने सफ़ाई दी- " बाबा आपकी बाते सुनकर हमे कांग्रेस पर इतना गुस्सा आया कि हम क्रोध में होश खो बैठे और गलती से लात चल गयी।"
माफ़ी मांग हम प्रवचन से उठ तो आये। लेकिन कहे क्या, आज तक मन कालेधन की वापसी की राह देख रहा है। रोज भगवान से दुआ करते हैं कि बाबा को इतनी शक्ती दे कि बाबा कालाधन वापस ले आयें। गोबर से मीथेन गैस बना परमाणू संयंत्रो से, कोयल की राख से मुक्ती दिलवाये। पूरा विश्व भारत का माल खरीदे पर भारत किसी देश का माल न ले।
हा हा हा हा
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
“बंधु अरुण ने ख्वाब में, कसकर मारी लात
सकल विश्व पर हो गया, लकवे का सम्पात”
सादर...
आपका सपना जल्दी ही साकार हो ,यही प्रभु से प्रार्थना है
ReplyDeleteशुभ कामनाएँ
ReplyDeleteसुंदर व्यंग
अरे हमे तो अभी से ही अरबपति होने का आभास हो रहा है. शानदार व्यंग्य.
ReplyDeleteबहुत सटीक...मारक...आनन्द आ गया!!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बालदिवस की शुभकामनाएँ!
bahut sundar.to aakhirkaar kale dhan ke sapne ne aapko bhi chapet me le hi liya
ReplyDeleteसटीक!
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन बात कही आपने जय हो!
ReplyDeleteबहुत खूब बहुत खूब भइ ये रामू बाबा का प्रवचन सचमुच मजेदार रहा!
ReplyDeleteदवे जी ,
ReplyDeleteआपका व्यंग्य पढ़ा, उसके बाद कॉमेंट्स भी पढ़े ! एक बात तो स्पष्ट दिखाई दी कि केवल तारीफ़ वाले कॉमेंट्स ही प्रकाशित किए गये हैं अन्यथा बाबा रामदेव के इतने भी बुरे दिन अभी नहीं आए हैं की आप ऐसा अनर्गल लेख लिखें और कोई आपका विरोध कॉमेंट्स के मध्यम से ना करे ! कृपया अपना यह दुराग्रह छोड़ कर देश हित में सोचने का प्रयास करें!
Jitendra