इस माहौल मे हमारा जुलूस सामने से निकला नारे लग रहे थे निकम्मा कामचोर अफ़जल गुरू हाय हाय । इसे देख दीपक भाजपाई खुशी से उछल पड़े बोले दवे जी कसाब का नाम भी लेते तो मामला और जम जाता । हमने कहा भाई ये हमारा जुलूस है अलग एजेंडे का आपका इसमे रोल नही है । शर्मा कांग्रेसी ने मुंह बनाया क्यो बनते हो भाई मीडिया हो या भाजपा कुछ कहने को न हो तो कसाब और अफ़जल गुरू का नाम ले लेते हैं । हमने कही भाई तुम दोनो बात समझ ही नही रहे हो नारे पर ध्यान दो हम शिकायत कर रहें हैं अफ़जल गुरू से और उसे कोस रहे हैं उसकी नाकामी पर । और शर्मा कांग्रेसी आपसे तो अब उम्मीद ही नही है । वो तो आदत पड़ गयी है तो आप को कोस लेते हैं ।
इसी बात पर सुनिये जान एलिया साहब की शायरी
अब फ़कत आदतो की वर्जिश है ।
रूह शामिल नही शिकायत में ॥
ये कुछ आसान तो नही है लेकिन ।
हम रूठते अब भी है मुरव्वत में ॥
भाई हम तो उस दिन को कोस रहे हैं जब अफ़जल गुरू का संसद पर हमला कामयाब न हो पाया । इतना सुनते ही शर्मा कांग्रेसी और दीपक भाजपाई दोनो कुंभ के मेले के बिछड़े भाईयों की तरह साथ खड़े हो गये बोले मतलब क्या है आपके कहने का । हमने कही भाई ये नामाकूल अफ़जल गुरू इसकी ऐसी की तैसी अगर कामयाब हो जाता तो इसके बाप का क्या जाता । शर्मा जी भड़क गये बोल क्या रहे हो आप होश भी है कि सुबह से लगा ली है । हमने कहा भाई बिना लगाये हिंदुस्तान मे कौन रह सकता है या रिश्वत की लगा लो या नफ़रत की और साहब लगाने की बात तो आप छोड़ ही दो । आदमी लगायेगा ही नही तो आपकी हरकतो को नजर अंदाज करने कि स्थिती मे कैसे पहुंचेगा । गुरू शराब सस्ती कर दो पूरा हिंदुस्तान बाबा और अन्ना को भूल जायेगा ।
शर्मा कांग्रेसी ने बात मुद्दे की ओर मोड़ी इसे छोड़ो ये अफ़जल गुरू हाय हाय का मतलब क्या । हमने कहा भाई राष्ट्रीय हीरो बन सकता था कामचोर थोड़ी और मेहनत कर लेता तो देश से कचरा ही साफ़ हो जाता पहुंच तो गया ही था संसद तक । शर्मा जी भड़क गये बोले आतंकवादी का साथ देते हो तारीफ़ करते हो हमने कहा किसको आतंकवादी बोल रहे हो भाई । आतंकवादी तो भोले भाले मासूम लोगो को मारते हैं आप जैसे नेताओं को नहीं अफ़जल गुरू तो देश का कचरा और बोझ साफ़ करने संसद गया था । वही संसद जिसमे देश का सबसे सस्ता भोजन मिलता है । वही संसद जहां पैसे के जोर पर बिल पास कराये जाते हैं । वही संसद जिसके नेता आजकल तिहाड़ मे पाये जाते हैं । वही संसद जहां आम आदमी बिकता है इमान बिकता है और सही दाम मिले तो देश हित भी बिक सकता है ।
सोहन शर्मा अब बैक फ़ुट मे पहुंच चुके थे भाई दवे जी बात को समझो आतंकवाद 99 % रोका जा सकता है । 1% की चूक तो हो ही जाती है पाकिस्तान मे तो देखो डेली बम फ़ूटिया रहा है । हमने इतना तो कंट्रोल किया ही है कि नही इतनी नाराजगी सही नही है । हमने कहा वो तो भाई पाकिस्तानियो को इस देश मे गद्दार नही मिल रहे इस लिये हमले नही हो पा रहे हैं इसमे तुम्हारी क्या होशियारी है ।
पुलिस को तो तुमने पैरो की जूती बना रखा है सत्तारूढ़ दल का कोई भी टूटपुंजिया नेता जाकर थानेदार को सिपाही को धमका लेता है पुलिस वालो की पोस्टिंग अपना आदमी के आधार पर की जाती है । आधे से ज्यादा समय वीआईपी ड्यूटी मे निकल जाता है । उनके लिये सामान खरीदने मे रिश्वत खा लेते हो हालत यह कि पुलिस कमिश्नर करकरे जो बुलेट प्रूफ़ जैकेट पहने हुये थे वह भी घटिया थी आम पुलिस वाले की तो बात ही रहने दो ।
और शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी और दीपक भाजपाई आज का जुलूस तो केवल सांकेतिक है । जनता के रोष को आप तक पहुंचाने के लिये सावधान हो जाओ अपनी हरकतो से बाज आओ विकास और इमानदारी की राजनीति को अपनाओ । लोकपाल जैसे कड़े कानूनो को लागू करो ताकि 120 करोड़ लोगो का यह मुल्क खुशहाल हो सके । जनता भड़क गयी तो करोड़ो अफ़जल गुरू खड़े हो जायेंगे फ़िर तुम्हारा लोकतंत्र और इस देश का क्या अंजाम होगा यह भी सोच लेना ।
jantaa ke sabr ka bandh jis din footega us din uske gusse ka sailab sab ko baha le jayega, kya neta, kya loktantra, sab sab, kuchh nahi bachega fir.
ReplyDeleteजनता का मौन जिस दिन टूटेगा उस दिन शायद कयामत ही आ जाए............ देखें ऐसा कब होता है।
ReplyDeleteबहरहाल अच्छी प्रस्तुति।
शुभकामनाएं आपको..........
आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
ReplyDeleteलिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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सब सही सही सामने ला दिया आपने ....जनता का सब्र...!
ReplyDelete@जनता भड़क गयी तो करोड़ो अफ़जल गुरू खड़े हो जायेंगे फ़िर--
ReplyDeleteअफजल गुरु
सबके गुरु
बहुमत में तो वही रहेंगे न ||
नो सांप्रदायिक नारे ||
"आज भारत माता जन क्रान्ति की बात जोह रही है...."
ReplyDeleteशानदार लेखन के लिए आभार....
सादर..
बहुत कोफ़्त है. लोगों का सब्र कब टूटेगा? बहुत अति हो गयी है. अब कब तक? अफज़ल गुरु को छोड़ दिया जाना चाहिए. एक और मौका दे दो. शानदार प्रस्तुति.
ReplyDeleteसब्र का पैमाना अभी भरा नहीं है, जिस दि्न भर जाएगा, सैलाब ही आएगा और अपने साथ सब बहा ले जाएग।
ReplyDeleteशानदार,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जबरदस्त!! समय आ ही गया है...
ReplyDeleteइन कुत्तों को चाहे जितनी नसीहत दी जाए, ये नहीं सुधरने वाले. कहते हैं कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं होती, पर ये कुत्ते की पूंछ नहीं हैं, ये तो कुत्ते ही हैं.
ReplyDeleteआपका कटाक्ष अच्छा रहा. काश अफजल कामयाब हो जाता.
दवे साहब, मेरे कमेंट में "कटाक्ष" शब्द की जगह "प्रहार" समझा जाए.
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