इतने मे शर्मा जी ने घोषणा कर दी अन्ना का लोकपाल देश के लिये खतरा है । पूरा नुक्कड़ चौक गया किसी ने पूछा वो कैसे भाई क्या उसमे आतंकवादियो को छोड़ने का प्रावधान है या देश की सेना को भंग करने की बात है । शर्मा जी ने कहा भाई यही सब बताने आज मै कुटिल बाबू को साथ लाया हूं । तभी आसिफ़ भाई बोल उठे सही जा रहे हो शर्मा जी चोरो को अच्छा वकील करना ही चाहिये इनके जैसा ।
कुटिल बाबू बोल पड़े भाईयो अन्ना का लोकपाल न्यायाधीशो को दायरे मे लाता है ऐसे मे जिसके खिलाफ़ फ़ैसला होगा वही लोकपाल के पास पहुंच जायेगा । जज फ़ैसला करने मे हिचकिचायेंगे लोकपाल के वकील से डरेंगे । मैने कहा कुटिल बाबू भ्रष्टाचार की जांच मे तो कोई दिक्कत इमानदार को है ही नही आज की तारीख मे अदालतो का जो हश्र है उसे आप भी जानते हो। नरसिम्हा राव से लेकर कितनो को आपने पैसे के दम से बचाया है कि नही । बात फ़ैसले की तो वैसे भी नही है निचली अदालत के फ़ैसले के विरूद्ध तो हर रोज उपरी अदालत मे अपील होती है और लोकपाल मे सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को बदलने की शक्ति का प्रावधान तो है ही नही ।
कुटिल बाबू ने फ़िर बात मोड़ी कहने लगे केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अन्ना इसके दायरे मे लाना चाहते हैं। वे तो लोक सेवा आयोग के अधीन है इसके लिये संविधान मे संशोधन करना होगा । फ़िर अधिकारी सरकार के आदेशो को मानने मे लोकपाल का हवाला दे कर मानने से इन्कार कर देंगे । और आपस मे एक दूसरे की शिकायत करेंगे । मैने कहा भाई यह बताओ क्या ये अधिकारी किसी के दायरे मे हैं आज तक जांच भी एक दूसरे की करते हैं । अगर तंत्र सही काम करता होता तो ये लोकपाल की नौबत ही क्यों आती और अधिकारी लोकपाल के दायरे मे रहे या लोकसेवा आयोग के आपके पेट मे क्यो दर्द हो रहा है । दर्द तो तभी हो जब आप अधिकारियो से गलत काम कराना चाहो और वह लोक पाल के डर से न करे । आपकी पार्टी तो इमानदारी की मूर्ती है आपको क्या दिक्कत ।
अब आप प्रधानमंत्री को लाने से मना करोगे आपके अनुसार सच्चर जी ने कहा कि जब हमारे इतिहास मे प्रधानमंत्री से लेकर जज तक सभी चोर निकल चुके है तो क्या गारंटी है कि लोकपाल भी ऐसा नही निकलेगा । कुटिल जी ने तुरंत सर हिलाया सही कहा ऐसा स्वतंत्र और नापाक इरादो वाला लोकपाल पूरे तंत्र को अस्थिर कर सकता है । तभी आसिफ़ भाई ने अपनी राय रखी बोले कुटिल बाबू जब उपर से नीचे तक नापाक इरादे वाले नेता से लेकर चपरासी तक अपना काम करते हुये तंत्र को अस्थिर नही कर सके तो महज जांच का डर दिखा लोकपाल क्या कर लेगा । लोकपाल रहेगा तो प्रधान मंत्री भी उल्टे काम करने से पहले सौ बार सोचेगा । कुटिल बाबू ऐसा सिस्टम सोचो जिसमे ऐसा आदमी लोकपाल बन ही न पाये और गलती से बन भी जाये तो सरकार से लेकर आम आदमी तक जो चाहे लोकपाल की शिकायत सुप्रीं कोर्ट से कर सके । पर आप तो लोकपाल को जनता के प्रति जवाबदेह रखना ही नही चाहते हो
कुटिल बाबू तैश मे आ गये तो अब आप लोग चाहेंगे कि सांसदो का व्यहवार भी दायरे मे आ जाये माने जनता की आवाज भी लोकपाल के दायरे मे हो । मै हसते हुये बोला अरे कुटिल बाबू सांसद अपने क्षेत्र की समस्या पर बात करेगा देश की समस्या पर बात करेगा राज्य की समस्या पर बात करेगा तो कौन लोकपाल उसको चबा सकता है । आरोप तो तभी लग सकते है ना जब वो पैसा खाकर वोट दे पैसा खाकर सवाल उठाये और लोकपाल को जांच करना भी हो तो जब आपने पैसा खाया ही नही तो आपको डर कैसा ।
कुटिल बाबू बोले उसके लिये तो एथिक्स कमेटी है ही संसद की सर्व शक्तीमान फ़िर लोकपाल क्यों क्यों वो अपना बजट खुद निर्धारित करे क्यो सीबीआई सीवीसी उसके अंडर रहे क्यो वो भ्रष्टाचारियो से पांच गुना दंड वसूली कर सके दवे जी जब हम है जनता के चुने हुये तो लोकपाल क्यॊं । मैने कहा भाई यही तो बड़ा सवाल है और इसी मे कमाल है तुम लोगो को बापू और बाबा साहब ने इतना अच्छा संविधान लोकतंत्र सौंपा था तुमने उसका मजाक बना दिया संसद को अजायबघर बना दिया न्यायालय को मजाक हद ये है कि सुप्रीमकोर्ट के पूव चीफ़जस्टिस पर खुलेआम आरोप है और वह बगले झांक रहा है ।आई ए स अफ़सर अपने मे से सबसे भ्रष्ट आदमी का यूपी मे खुलेआम चुनाव करवा चुके हैं । नेताओ के तो कहने क्या लाख दो लाख करोड़ का घोटाला सुन जनता चौंकती नही है ।
और लोकपाल को कौन सा शासन सौपने की बात हो रही है बात तो उसे भ्रष्टाचार की जांच का जिम्मा सौपने की हो रही है । भैय्ये अब रास्ता बचा क्या है इसके अलावा कि तुमसे और तुम्हारे लोकतांत्रिक सिस्टम से हट किसी नये आदमी या संस्था को लगाम कसने की जिम्मेदारी दी जाये । जब वो भी बेईमान सिद्ध होगा तो फ़िर नया जुगाड़ फ़िट किया जायेगा आखिर भारत ऐसे ही जुगाड़ो से चलता है कि नही ।
श्रेष्ठ व्यंग्य बहुत अच्छा लेख पढ़ने को मिला धन्यवाद
ReplyDeleteलोकपाल को कौन सा शासन सौपने की बात हो रही है बात तो उसे भ्रष्टाचार की जांच का जिम्मा सौपने की हो रही है ।
ReplyDelete--
बहुत बढ़िया!
शरीर हट्टा-कट्टा,
दिल हैं उल्लू का पट्ठा।
ahut sundar vyang. It must reach to maximum number of readers.
ReplyDeleteअच्छा व्यंग्य।
ReplyDeleteबहुत ही बेहतर अंदाज में लिखा है आपने।
कुटिल बाबू जब उपर से नीचे तक नापाक इरादे वाले नेता से लेकर चपरासी तक अपना काम करते हुये तंत्र को अस्थिर नही कर सके तो महज जांच का डर दिखा लोकपाल क्या कर लेगा
ReplyDeleteतो बना क्यों नहीं देते सोहन खंग्रेसी जैसा अन्ना चाहते हैं??
हनकदार व्यंग्य लेख...
ReplyDeleteशानदार तरीके से प्रस्तुत किया है. बधाई.
ReplyDeletehttp://mydunali.blogspot.com/2011/07/blog-post_10.html
बहुत ही बेहतर अच्छा व्यंग्य।
ReplyDeleteपहली बार पढ़ रहा हूँ आपको और भविष्य में भी पढना चाहूँगा सो आपका फालोवर बन रहा हूँ ! शुभकामनायें
ReplyDeletehttp://sanjaybhaskar.blogspot.com