मेरे प्यारे अन्ना
मुझे पता है कि इस पत्र का शीर्षक देख कई लोग इसे इश्क का चटखारा लेने पढ़ेंगे । आज के संक्रमण काल मे भी इन पापियों को इश्क मुहब्बत ही सूझ रहा है , पिता तुल्य इंसान से एक स्त्री के प्रेम को ये लोग क्या समझेंगे । जैसे जैसे सोलह अगस्त की तारीख नजदीक आती जा रही है, हमारे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही हैं । हम रोज भगवान से अल्लाह से जीसस से यह प्रार्थना करते हैं , कि वह आपके आंदोलन को सफ़ल बनाये । ऐसी ही प्रार्थना हमने बाबा के लिये भी की थी । उनको पत्र लिख समझाया भी था पर वो नही माने । जाकर चिपक गये भाजपा से । साफ़ मना किया था हमने कि भाजपा अकेली नही आयेगी उसके साथ भ्रष्ट नेता और उनके दाग भी आयेंगे । भाजपा के आने से अल्पसंख्यक आंदोलन से अलग हो जायेंगे । पर वो मानना छोड़ आंखे मटका मटका कर कहने लगे हमको चूहे खाने वाली बिल्ली चाहिये । मिल गई बिल्ली , उड़ गयी गिल्ली अब हो रही है खिल्ली । ब्वायफ़्रेंड सीबीआई के हत्थे चढ़ा वो अलग ।
खैर आप इन सब फ़ंदो मे नही फ़सेंगे ऐसी मेरी आशा है । प्यारे अन्ना हम सब सत्ता सुंदरिया बेहद दुखी हैं हमारे पिता लोकतंत्र ने जिस भी नेता अफ़सर को हमारा हाथ दिया नही , कि वो ही हमे नोचने खसोटने मे मशगूल हो जाता है । हमारे स्वास्थ की हमारे एक अरब बच्चो की उन्हे कोई परवाह न रहती है । अब तो हद ही पार हो गयी है , जब से हमारे पिता ने हमें इस कपटी खांग्रेस के हाथो सौपा है । तब से ये और सोनी सास ने सारी हदे पार कर दी हैं । हमारे मायके को लूट लूट कर दूसरी सुंदरियों के बच्चो के नाम विदेश भेज रहे हैं दामाद भी पीछे नही है उसका भी स्विस बैंक मे एकाउंट है। हम करें तो करें क्या भारत मे तो किसी आम महिला को उसका पति उंची आवाज मे बात भी कर ले , तो वह महिला थाने पहुंच जाती है । पर हमारे लिये ऐसा कॊई कानून नही , आप जल्द से जल्द हर शहर मे लोकपाल थाना खुलवा दीजिये , दहेज विरॊधी कानून जैसा सख्त कानून बनवा दीजिये तो हमे सता रहे लूट रहे सारे पति तिहाड़ मे नजर आयेंगे । और जो नये पति मिलेंगे वो आज कल के पतियो की तरह दब्बू रहेंगे । थोड़ा दायें बायें हुये नही की सीधा लोकपाल थाना के दरोगा डंडा पड़ा नही ।
प्यारे अन्ना कुछ चेतावनियां आपको भी दे रहीं हूं । ये मीडियासुर बड़ा अजीब सा राक्षस है पता नही किस पल पाला बदल लेता है । इसकी शक्तियां अथाह हैं , इसके सैकड़ो सैनिक पल पल आपके और आपके साथियों के आस पास मंडराते रहेंगे । अपना मनचाहा जवाब पाने के लिये तरह तरह के फ़ंदे बिछायेंगे । और मनचाही बाईट मिल गयी तो आपकी छवि को तोड़ने मरोड़ने मे कोई कसर न छोड़ेंगे । इनसे बहुत ही सतर्क और सावधान रहना । हर्ष की बात यह है कि इंटरनेट नाम का नया अवतार दिन रात आपकी विजय के लिये काम कर रहा है । पर फ़िर भी मीडियासुर को पास रख भी उनसे कुछ दूरी बनाने मे ही लाभ होगा ।
इस कपटी खांग्रेस से सावधान करने की तो बात ही बेमानी है , यह तो पूरा दम ही लगा देगी । सावधान उन नेताओं से रहने की जरूरत है जो विपक्ष मे बैठे हैं । जिनके हाथ और मुह दोनो ही काले हैं क्योंकि वे और ये खांग्रेस हम प्याले और हम निवाले हैं । ये आपके आंदोलन की लहर मे सवार हो सत्ता सीन होने मे कोई असर न छोड़ेंगे । इनमे से जो भी बिल को पूर्ण समर्थन न दे वह भी खांग्रेस सा ही दुश्मन है, यह जान लेना , मीठी बातों के फ़ेर मे न आना । मुह मे इनके राम तो है ही बगल मे छुरी भी हो सकती है ।
और आखिरी सावधानी अपने उन समर्थको से रखना , जो अल्लाह ओ अकबर और हर हर महादेव का नारा लगा देश मे जहर घोलना चाहते हैं । ऐसे किसी समर्थक से दूरी बनाये मे ही भलाई है । और आपके उन समर्थको को भी मै चेतावनी दे देना चाहती हूं जो बेडरूम मे बैठ आपको सफ़ल होते देखना चाहते हैं । आजादी के आंदोलन की तरह , जब इस आंदोलन के स्वयंसेवको को जब पेशंन और उनके बच्चो को नौकरी मे आरक्षण दूंगी तब रोते गाते मेरे पास न आये । लोकपाल बन जाने से पिछले आंदोलन की तरह इस बार फ़र्जी लोगो को प्रमाण पत्र नही मिलेगा ।
आपकी पुत्री
सत्ता सुंदरी
पुनःश्च
प्यारे अन्ना और किसी भी बात पर समझौता कर लेना पर लोकपाल के चुनाव मे कोई समझौता नही करना वरना दरोगा ही रिश्वत खोर हो गया फ़िर हम अबलाओं को कौन बचायेगा ।
मुझे पता है कि इस पत्र का शीर्षक देख कई लोग इसे इश्क का चटखारा लेने पढ़ेंगे । आज के संक्रमण काल मे भी इन पापियों को इश्क मुहब्बत ही सूझ रहा है , पिता तुल्य इंसान से एक स्त्री के प्रेम को ये लोग क्या समझेंगे । जैसे जैसे सोलह अगस्त की तारीख नजदीक आती जा रही है, हमारे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही हैं । हम रोज भगवान से अल्लाह से जीसस से यह प्रार्थना करते हैं , कि वह आपके आंदोलन को सफ़ल बनाये । ऐसी ही प्रार्थना हमने बाबा के लिये भी की थी । उनको पत्र लिख समझाया भी था पर वो नही माने । जाकर चिपक गये भाजपा से । साफ़ मना किया था हमने कि भाजपा अकेली नही आयेगी उसके साथ भ्रष्ट नेता और उनके दाग भी आयेंगे । भाजपा के आने से अल्पसंख्यक आंदोलन से अलग हो जायेंगे । पर वो मानना छोड़ आंखे मटका मटका कर कहने लगे हमको चूहे खाने वाली बिल्ली चाहिये । मिल गई बिल्ली , उड़ गयी गिल्ली अब हो रही है खिल्ली । ब्वायफ़्रेंड सीबीआई के हत्थे चढ़ा वो अलग ।
खैर आप इन सब फ़ंदो मे नही फ़सेंगे ऐसी मेरी आशा है । प्यारे अन्ना हम सब सत्ता सुंदरिया बेहद दुखी हैं हमारे पिता लोकतंत्र ने जिस भी नेता अफ़सर को हमारा हाथ दिया नही , कि वो ही हमे नोचने खसोटने मे मशगूल हो जाता है । हमारे स्वास्थ की हमारे एक अरब बच्चो की उन्हे कोई परवाह न रहती है । अब तो हद ही पार हो गयी है , जब से हमारे पिता ने हमें इस कपटी खांग्रेस के हाथो सौपा है । तब से ये और सोनी सास ने सारी हदे पार कर दी हैं । हमारे मायके को लूट लूट कर दूसरी सुंदरियों के बच्चो के नाम विदेश भेज रहे हैं दामाद भी पीछे नही है उसका भी स्विस बैंक मे एकाउंट है। हम करें तो करें क्या भारत मे तो किसी आम महिला को उसका पति उंची आवाज मे बात भी कर ले , तो वह महिला थाने पहुंच जाती है । पर हमारे लिये ऐसा कॊई कानून नही , आप जल्द से जल्द हर शहर मे लोकपाल थाना खुलवा दीजिये , दहेज विरॊधी कानून जैसा सख्त कानून बनवा दीजिये तो हमे सता रहे लूट रहे सारे पति तिहाड़ मे नजर आयेंगे । और जो नये पति मिलेंगे वो आज कल के पतियो की तरह दब्बू रहेंगे । थोड़ा दायें बायें हुये नही की सीधा लोकपाल थाना के दरोगा डंडा पड़ा नही ।
प्यारे अन्ना कुछ चेतावनियां आपको भी दे रहीं हूं । ये मीडियासुर बड़ा अजीब सा राक्षस है पता नही किस पल पाला बदल लेता है । इसकी शक्तियां अथाह हैं , इसके सैकड़ो सैनिक पल पल आपके और आपके साथियों के आस पास मंडराते रहेंगे । अपना मनचाहा जवाब पाने के लिये तरह तरह के फ़ंदे बिछायेंगे । और मनचाही बाईट मिल गयी तो आपकी छवि को तोड़ने मरोड़ने मे कोई कसर न छोड़ेंगे । इनसे बहुत ही सतर्क और सावधान रहना । हर्ष की बात यह है कि इंटरनेट नाम का नया अवतार दिन रात आपकी विजय के लिये काम कर रहा है । पर फ़िर भी मीडियासुर को पास रख भी उनसे कुछ दूरी बनाने मे ही लाभ होगा ।
इस कपटी खांग्रेस से सावधान करने की तो बात ही बेमानी है , यह तो पूरा दम ही लगा देगी । सावधान उन नेताओं से रहने की जरूरत है जो विपक्ष मे बैठे हैं । जिनके हाथ और मुह दोनो ही काले हैं क्योंकि वे और ये खांग्रेस हम प्याले और हम निवाले हैं । ये आपके आंदोलन की लहर मे सवार हो सत्ता सीन होने मे कोई असर न छोड़ेंगे । इनमे से जो भी बिल को पूर्ण समर्थन न दे वह भी खांग्रेस सा ही दुश्मन है, यह जान लेना , मीठी बातों के फ़ेर मे न आना । मुह मे इनके राम तो है ही बगल मे छुरी भी हो सकती है ।
और आखिरी सावधानी अपने उन समर्थको से रखना , जो अल्लाह ओ अकबर और हर हर महादेव का नारा लगा देश मे जहर घोलना चाहते हैं । ऐसे किसी समर्थक से दूरी बनाये मे ही भलाई है । और आपके उन समर्थको को भी मै चेतावनी दे देना चाहती हूं जो बेडरूम मे बैठ आपको सफ़ल होते देखना चाहते हैं । आजादी के आंदोलन की तरह , जब इस आंदोलन के स्वयंसेवको को जब पेशंन और उनके बच्चो को नौकरी मे आरक्षण दूंगी तब रोते गाते मेरे पास न आये । लोकपाल बन जाने से पिछले आंदोलन की तरह इस बार फ़र्जी लोगो को प्रमाण पत्र नही मिलेगा ।
आपकी पुत्री
सत्ता सुंदरी
पुनःश्च
प्यारे अन्ना और किसी भी बात पर समझौता कर लेना पर लोकपाल के चुनाव मे कोई समझौता नही करना वरना दरोगा ही रिश्वत खोर हो गया फ़िर हम अबलाओं को कौन बचायेगा ।
दहेज विरॊधी कानून जैसा सख्त कानून बनवा दीजिये
ReplyDeleteताकि कुछ तो भला हो सके इस नाचीज देश का।
लोकपाल बन जाने से पिछले आंदोलन की तरह इस बार फ़र्जी लोगो को प्रमाण पत्र नही मिलेगा ।इतनी बडी बात,इतनी आसानी से कह दी,मज़ा आ गया,
ReplyDeleteप्यारे अन्ना हम सब सत्ता सुंदरिया बेहद दुखी हैं हमारे पिता लोकतंत्र ने जिस भी नेता अफ़सर को हमारा हाथ दिया नही , कि वो ही हमे नोचने खसोटने मे मशगूल..../ ये मीडियासुर बड़ा अजीब सा राक्षस है पता नही किस पल पाला बदल लेता है । इसकी शक्तियां अथाह हैं....
ReplyDeleteअरुणेश भाई, गजब का प्रवाह होता है आपके शब्द संयोजन में, सहजता से तीखी बातें कह जाते हैं... सुन्दर...
बस, एक बात आज के लेखन में खटक रही है कि शीर्षक में "प्रेम पत्र" और नीचे आपकी पुत्री...??? पुत्री का पिता का प्रेमपत्र...??
सादर...
वाह क्या बात है...तीखा कटाक्ष किया है.
ReplyDeleteMeri baat ko khas kar mahelae bura nahe mane ge per ye sachhai hai hum admiyu ki jitne jalalat hae vo sab in mahelao ke vajeh se hae aur yaha to hae hee uper vale ke yahe bhe hae
ReplyDeleteBadiya teekha vyang..
ReplyDeleteRaam Jane kya ho aage..aage....
ये मीडियासुर बड़ा अजीब सा राक्षस है पता नही किस पल पाला बदल लेता है ।
ReplyDeleteसावधान उन नेताओं से रहने की जरूरत है जो विपक्ष मे बैठे हैं । जिनके हाथ और मुह दोनो ही काले हैं क्योंकि वे और ये खांग्रेस हम प्याले और हम निवाले हैं ।
खुन के आंसू रोते रोते लिखी गई इस रचना के बाद अब कहने को कुछ भी शेष नहीं है।
करारा व्यंग्य!
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पोस्ट!
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पूरे 36 घंटे बाद नेट पर आया हूँ!
धीरे-धीरे सबके यहाँ पहुँचने की कोशिश कर रहा हूँ!
धारदार व्यंग्य..शानदार प्रस्तुति
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