Monday, August 15, 2011

मनमोहन को सत्ता सुंदरी का पत्र

श्री मन्नू


प्यारे इसलिये नहीं कहा कि अब मुझे आपसे प्यार नहीं रहा।  पिछले सभी पतियों की तरह आपकी भी फ़ोटो मेरे भूतपूर्व पतियों के साथ टंगने वाली है। इन पतियों की दो श्रेणियां हैं, ए ग्रेड पतियों में नेहरू जी शास्त्री जी से लेकर राजीव जी अटल जी जैसे पति हैं, जिन्हे आज भी मै शिद्दत से याद करती हूं।  इनमे कमियां थी पर ये कमीने नही थे। दूसरी श्रेणी मे चंद ऐसे नाम हैं जिन्हे मैं अपनी जुबान पर लाना भी नही चाहती। अब आप भी इन दोनो मे से किसी न किसी श्रेणी में जायेंगे ही।


इतने दिनो के दांपत्य जीवन मे मुझे अस्मिता का ऐसा संकट पहले कभी नही आया था। जिस संविधान को साक्षी मान कर आपने मेरे साथ फ़ेरे लिये थे।  और जो कसमें खायीं थी, क्या आप सभी को भूल गये हैं।  क्या आपने यह नहीं कहा था कि मैं विधी द्वारा बनाये गये संविधान का पालन करूंगा,  और जनता के मौलिक अधिकारों की रक्षा करूंगा?  या आपने युधिष्ठिर की तरह छल कर,  अपनी पार्टी के संविधान का नाम लिया था। क्या शोभा देता है,  किसी वकील को बैठा कर संविधान की मनचाही व्याख्या करवाई जाये। आप मेरे पितामह गांधी के आदर्शो पर रोक लगाना चाहते हैं,  लोकतंत्र को छिन्न भिन्न कर देना चाहते हैं।

आपने ये न सोंचे कि मुझसे विवाह को लालायित, पाईप लाईन में लगे लालकिशन के बहकावे मे आकर यह कह रही हूं। मुझे उनकी भी सब चालें पता है,  नीयत साफ़ होती तो मर्दो की तरह सामने आकर कहते कि मुझे लोकपाल की यह शर्ते मंजूर हैं, और ये नामंजूर। पर वे दूर से आग सेंक,   इंतजार कर रहे हैं कि कब मेरे बच्चे आपको भूतपूर्व कर दें और वे आकर मजे करें।


मै दोष आप को दे रही हूं,  कि आप मेरे वर्तमान पति हैं। और आपके पति रहते तमाम वो चीजें हुयीं हैं,  जिनके कारण आज बिना स्वयंवर में भाग लिये अन्ना आप को ललकार रहे हैं। आप राजसभा और उसकी सभी संस्थाओं की मर्यादा को तार तार होते देखते रहे।  आपके नजायज संबंधियो ने मेरे राजप्रसाद को बेतरह लूटा,  और नियमो का उलंघन ही नही अपमान भी किया। आप के राज परिवार नें आज वो नौबत ला दी है,  कि बिना राजकुल मे शामिल हुये कोई मेरे स्वयंवर मे शामिल नही हो सकता। और स्वयंवर जीतने के लिये ये तमाम राजकुल,  मेरे ही राजप्रसाद से लूटी धनराशी का उपयोग करते हैं। और हदें यहां तक पार हो गयी हैं,  कि कुल मर्यादा को भूल बदतमीज और अपराधिक षडयंत्रों मे शामिल लोग राज सत्ता के प्रवक्ता बन आम जनता को ललकार रहे हैं।

और आप यह भी न सोचे कि आप के नकार देने से आपके संबंधी आपके संबंधी  कहलाये नहीं जायेंगे। देर सवेर ही सही एन डी तिवारी जैसे डीएनए टेस्ट करवाना ही होगा। अदालतें अब जान चुकी हैं कि उनकी साख पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। आप यह भी न सोचना कि इन अपराधों के इतिहास में आपके साथ मुख्य गुनहगारो के नाम भी होंगे। इतिहास सदैव राजाओं के नाम दर्ज करता है उसके मंत्रियों को कोई याद नही रखता।


आप को अभी भी मौका है,  अपनी गलतियों को सुधार सहीं कदम उठाने का।  लोकतंत्र और संविधान की गरिमा को वापस स्थापित करने का। जिस क्षण आप कड़े नियमो की घोषणा कर देंगे आपके विरोधी और आप को सामने रख माल उड़ाने वाले दोनो छटपटा जायेंगे,  लेकिन असहमति व्यक्त नही कर पायेंगे।  इन सात सालों मे आपके पास गौरवपूर्ण उपलब्धियां भी हैं ही,  सामने आईये और सही निर्णय लीजिये। वरना जिस राजवंश की खातिर आप ने इतनी बदनामी उठाई है, वह तो सदैव बना ही रहेगा।  नौबत आयेगी तो आपको भी खलमाड़ी के बाजू खड़ा करने मे वक्त नही लगायेगा। और आपकी जो फ़ोटॊ टगेंगी उसमे इतने दाग लग जायेंगे,  कि आपका चेहरा भी नजर नही आयेगा।

आपकी शुभचिंतक

सत्ता सुंदरी

Comments
7 Comments

7 comments:

  1. बहुत बढ़िया रहा यह पत्र!
    65वें स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  2. स्वतंत्र दिवस पर ढेरों शुभकामनाएँ तथा वीर शहीदों को सलाम!

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  3. आप को अभी भी मौका है, अपनी गलतियों को सुधार सहीं कदम उठाने का। लोकतंत्र और संविधान की गरिमा को वापस स्थापित करने का। जिस क्षण आप कड़े नियमो की घोषणा कर देंगे आपके विरोधी और आप को सामने रख माल उड़ाने वाले दोनो छटपटा जायेंगे, लेकिन असहमति व्यक्त नही कर पायेंगे। nek salah hai.

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  4. या आपने युधिष्ठिर की तरह छल कर, अपनी पार्टी के संविधान का नाम लिया था...
    बहुत चतुराई से संकेतों का इस्तेमाल किया है इस पोस्ट में अरुणेश भाई...
    सादर बधाई...

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  6. दाग तो अब इतने लग गए हैं की शकल नज़र नहीं आती, मन्नू बड़े छलिया निकले.

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