साहब, कांग्रेस को भीषण संकट के इस काल में किसी ने सुझाव दिया कि दवे जी नाम के एक फ़ोकट चंद लेखक हैं। जो आज कल सत्ता सुंदरी के नाम से चिठठीयां लिख लिख नेताओं, बाबाओं को सलाह दे रहे हैं। क्यों न उनसे इस संकट पर सलाह ली जाये। बुलावा मिलने पर हम तत्काल पहुंच गये, हमसे अन्ना नामक संकट से निपटने पर विचार मांगे गये, यह भी पूछा गया कि दवे जी इस अन्ना को मिल रहा जन समर्थन कैसे खत्म किया जाये।
हमने कहा - "इस अन्ना को कोई समर्थन तो मिल ही नहीं रहा है"। सुनते ही कपिल सिब्बल जी उछल पड़े बोले -"मै न कहता था, ये तो टीवी मे देख देख कर लोग तमाशा देखने पहुंच रहे हैं"। फ़िर कपिल जी आदतन कुटलिता से मुस्कुराये बोले - "इसको बाबा जैसे पकड़ कर दिल्ली से बाहर करो सब ठीक हो जायेगा"। हमने माथा पकड़ लिया कहा -" वकील साहब हर बात में ज्यादा होशियारी झाड़ना महंगा पड़ता है"। "और ये जो बार बार दांत निपोरते हो इसे बंद करो, पूरा देश आपके उपर भड़का हुआ है"। "हम कह यह रहे थे कि ये अन्ना का समर्थन नही आपकी पार्टी को असमर्थन है, जो सड़कों पर उमड़ पड़ा है"। आपके प्रवक्ताओं की अकड़, बदजुबानी, बेशर्मी से देश स्तब्ध है, इतने घोटालों के बाद जो शर्मं और अफ़सोस आपके चेहरे पर नजर आनी चाहिये वो नदारद है। कड़े कदम उठा दागी मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को जेल भेजते, पार्टी में आमूळ चूल हेर फ़ेर करते, तो यह नौबत नहीं आती।
मनमोहन जी बोले- "हमे भाषण नही सुनना, उपाय हो तो बताईये"। हमने कहा- " अन्ना को गिरफ़्तार करने का निर्णय किसने लिया था, पहले आप यह बताईये"। वोरा जी बोले- "ये निर्णय शासन का है, पार्टी का इससे संबंध नहीं है"। हमने चिदंबरम की ओर देखा तो वो कहने लगे- "कानून व्यवस्था का काम पुलिस प्रशासन का है, इससे सरकार का मतलब नही"। हमने कहा- "दाई से पेट छुपाओगे कांग्रेसियों, तो सरकार का दो साल मे ही गर्भपात हो जायेगा, ये फ़ालतू की सफ़ाईगिरी बंद करो"। फ़िर हम राहुल जी की ओर मुड़े पूछा- " बाबा क्या कांग्रेस इतनी चोर हो गई है कि ये वकील ही भर्ती करते हो"। " जमीन से जुड़े नेताओं को रखते तो ये नौबत ही नही आता, पहले ही बात समझ जाते कि जनता बेहद क्रोध मे हैं"। "खैर आप लोगो को अन्ना को गिरफ़्तार करना भारी पड़ चुका है अब रास्ता केवल एक ही है"।
"सबसे पहला कदम यह उठाओ कि मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंग जैसे महापुरूषों को अज्ञातवास में भेज दो"। "दूसरा कदम, जितने बेईमान हो उतनी ही ईमानदारी से इस बिल को पास कराने मे भिड़ जाओ"। तभी एक महाशय बीच में कूदे कहा - "ओ शिवाजी बिल पास ही करना है तो फ़िर तुम्हारी सलाह क्यों मांगते"। हमने कहा - " कांग्रेसियों दूसरो की पूरी बात सुनना ही तुमको आता तो आज ये नौबत नहीं आती, अपना मुंह बंद कर पूरी बात सुनो"। "हां, तो मै यह कह रहा था, कि रामलीला मैदान मे अन्ना की लीला शुरू होने के अगले दिन, बाबा को दो तीन युवा नेताओं, जैसे जिंदल, पायलट आदि के साथ अन्ना के पास रवाना कर दो"। " ध्यान यह रखना कि स्वयं किरण बेदी और केजरीवाल अगवानी करें वरना पब्लिक फ़ोड़ाई की भी संभावना है"। "जाते ही अन्ना के कैमरों के सामने चरण स्पर्श कर आधे घंटे मंच के सामने चुपचाप विराजमान हो जायें और फ़िर बिना कुछ बोले वापस आ जायें"। फ़िर अन्ना की कमेटी को बुला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में एक समिती बना लेना, बिना होशियारी किये सर्वसम्म्ती के नाम होना चाहिये"।
"आपकी तरफ़ से उसमे केवल प्रणब दादा रहें, और विपक्ष का कोई न रहे"। "उस समिती से जितनी मांगे मनवाई जा सकें मनवा कर, दो दिन के अंदर बिल का प्रारूप बिना होशियारी किये संसद में पेश कर देना"। "इस बीच मीडिया के सामने कोई कुछ न कहे"। "इसके बाद गेंद विपक्ष के उपर डाल, शांती से जुगाली करते बैठना। "कुछ कहना तो बिल के समर्थन में अन्यथा समिती की इज्जत के नाम पर चोंच बंद ही रहे"। इस बीच आपके युवा सांसद सरकार के पिछली हरकतों पर गुस्सा जाहिर कर सकते हैं, और सोनिया की बीमारी के कारण राहुल बाबा के न होने की दुहाई दे सकते हैं"।
"बस फ़िर आप जितने चोर हो विपक्षी भी उतने चोर हैं, अपनी होशियारी घुसाये बिना बने बिल पर तमाम अड़ंगे लगायेंगे"। "उनको अन्ना टीम के साथ निगोशियेसन मे लगने देना"। वहां मायावती, लालू, मुलायम जैसे तमाम विद्वान बैठे ही हैं। जनता का जो आक्रोश आप पर है उनकी ओर मुंड़ जायेगा"। और इसी बीच कोई न कोई रास्ता निकल आयेगा। इतनी सलाह दे अपने राम बैठक छोड़ निकल आये।
अब कांग्रेसियों नें हमारी सलाह कितनी मानी यह तो वक्त ही बतायेगा। पर अपना पुराना अनुभव है कि कॊई किसी की सलाह मानता नहीं है। और नेताओं में तो यह बीमारी और गंभीर होती है। खैर साहब ऐसा लगता है कि इन कांग्रेसियों को निकट भविष्य मे अपनी फ़्री सलाह की फ़िर जरूरत पड़ेगी, आपके कुछ सुझाव हों तो अवश्य बता दीजियेगा मै कांग्रेसियों तक पहुंचा दूंगा।
हमने कहा - "इस अन्ना को कोई समर्थन तो मिल ही नहीं रहा है"। सुनते ही कपिल सिब्बल जी उछल पड़े बोले -"मै न कहता था, ये तो टीवी मे देख देख कर लोग तमाशा देखने पहुंच रहे हैं"। फ़िर कपिल जी आदतन कुटलिता से मुस्कुराये बोले - "इसको बाबा जैसे पकड़ कर दिल्ली से बाहर करो सब ठीक हो जायेगा"। हमने माथा पकड़ लिया कहा -" वकील साहब हर बात में ज्यादा होशियारी झाड़ना महंगा पड़ता है"। "और ये जो बार बार दांत निपोरते हो इसे बंद करो, पूरा देश आपके उपर भड़का हुआ है"। "हम कह यह रहे थे कि ये अन्ना का समर्थन नही आपकी पार्टी को असमर्थन है, जो सड़कों पर उमड़ पड़ा है"। आपके प्रवक्ताओं की अकड़, बदजुबानी, बेशर्मी से देश स्तब्ध है, इतने घोटालों के बाद जो शर्मं और अफ़सोस आपके चेहरे पर नजर आनी चाहिये वो नदारद है। कड़े कदम उठा दागी मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को जेल भेजते, पार्टी में आमूळ चूल हेर फ़ेर करते, तो यह नौबत नहीं आती।
मनमोहन जी बोले- "हमे भाषण नही सुनना, उपाय हो तो बताईये"। हमने कहा- " अन्ना को गिरफ़्तार करने का निर्णय किसने लिया था, पहले आप यह बताईये"। वोरा जी बोले- "ये निर्णय शासन का है, पार्टी का इससे संबंध नहीं है"। हमने चिदंबरम की ओर देखा तो वो कहने लगे- "कानून व्यवस्था का काम पुलिस प्रशासन का है, इससे सरकार का मतलब नही"। हमने कहा- "दाई से पेट छुपाओगे कांग्रेसियों, तो सरकार का दो साल मे ही गर्भपात हो जायेगा, ये फ़ालतू की सफ़ाईगिरी बंद करो"। फ़िर हम राहुल जी की ओर मुड़े पूछा- " बाबा क्या कांग्रेस इतनी चोर हो गई है कि ये वकील ही भर्ती करते हो"। " जमीन से जुड़े नेताओं को रखते तो ये नौबत ही नही आता, पहले ही बात समझ जाते कि जनता बेहद क्रोध मे हैं"। "खैर आप लोगो को अन्ना को गिरफ़्तार करना भारी पड़ चुका है अब रास्ता केवल एक ही है"।
"सबसे पहला कदम यह उठाओ कि मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंग जैसे महापुरूषों को अज्ञातवास में भेज दो"। "दूसरा कदम, जितने बेईमान हो उतनी ही ईमानदारी से इस बिल को पास कराने मे भिड़ जाओ"। तभी एक महाशय बीच में कूदे कहा - "ओ शिवाजी बिल पास ही करना है तो फ़िर तुम्हारी सलाह क्यों मांगते"। हमने कहा - " कांग्रेसियों दूसरो की पूरी बात सुनना ही तुमको आता तो आज ये नौबत नहीं आती, अपना मुंह बंद कर पूरी बात सुनो"। "हां, तो मै यह कह रहा था, कि रामलीला मैदान मे अन्ना की लीला शुरू होने के अगले दिन, बाबा को दो तीन युवा नेताओं, जैसे जिंदल, पायलट आदि के साथ अन्ना के पास रवाना कर दो"। " ध्यान यह रखना कि स्वयं किरण बेदी और केजरीवाल अगवानी करें वरना पब्लिक फ़ोड़ाई की भी संभावना है"। "जाते ही अन्ना के कैमरों के सामने चरण स्पर्श कर आधे घंटे मंच के सामने चुपचाप विराजमान हो जायें और फ़िर बिना कुछ बोले वापस आ जायें"। फ़िर अन्ना की कमेटी को बुला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में एक समिती बना लेना, बिना होशियारी किये सर्वसम्म्ती के नाम होना चाहिये"।
"आपकी तरफ़ से उसमे केवल प्रणब दादा रहें, और विपक्ष का कोई न रहे"। "उस समिती से जितनी मांगे मनवाई जा सकें मनवा कर, दो दिन के अंदर बिल का प्रारूप बिना होशियारी किये संसद में पेश कर देना"। "इस बीच मीडिया के सामने कोई कुछ न कहे"। "इसके बाद गेंद विपक्ष के उपर डाल, शांती से जुगाली करते बैठना। "कुछ कहना तो बिल के समर्थन में अन्यथा समिती की इज्जत के नाम पर चोंच बंद ही रहे"। इस बीच आपके युवा सांसद सरकार के पिछली हरकतों पर गुस्सा जाहिर कर सकते हैं, और सोनिया की बीमारी के कारण राहुल बाबा के न होने की दुहाई दे सकते हैं"।
"बस फ़िर आप जितने चोर हो विपक्षी भी उतने चोर हैं, अपनी होशियारी घुसाये बिना बने बिल पर तमाम अड़ंगे लगायेंगे"। "उनको अन्ना टीम के साथ निगोशियेसन मे लगने देना"। वहां मायावती, लालू, मुलायम जैसे तमाम विद्वान बैठे ही हैं। जनता का जो आक्रोश आप पर है उनकी ओर मुंड़ जायेगा"। और इसी बीच कोई न कोई रास्ता निकल आयेगा। इतनी सलाह दे अपने राम बैठक छोड़ निकल आये।
अब कांग्रेसियों नें हमारी सलाह कितनी मानी यह तो वक्त ही बतायेगा। पर अपना पुराना अनुभव है कि कॊई किसी की सलाह मानता नहीं है। और नेताओं में तो यह बीमारी और गंभीर होती है। खैर साहब ऐसा लगता है कि इन कांग्रेसियों को निकट भविष्य मे अपनी फ़्री सलाह की फ़िर जरूरत पड़ेगी, आपके कुछ सुझाव हों तो अवश्य बता दीजियेगा मै कांग्रेसियों तक पहुंचा दूंगा।
bahut badiya maza aa gaya.
ReplyDeleteवाह दवे जी ... आपका सुझाव लाजवाब है ... मज़ा आ गया पढ़ के .. इन कांग्रेसियों को बचाना अब मुश्किल है ....
ReplyDeleteमज़ा आ गया पढ़कर. बहुत सही सलाह दिया है आपने, अब पार्टी कोई भी हो चरित्र तो सभी का एक हीं है न. आपकी बात मान लेते तो लगे हाथ कई फायदे. जनता भी खुश लोकपाल विधयेक के लिए और पार्टी भी भ्रष्टाचारियों को शह देने के आरोप से मुक्त और अन्ना का आन्दोलन भी ख़त्म. अब बदलना तो कुछ है नहीं. क्या पता लोकपाल हीं भ्रष्ट निकल जाए तो? उसपर कौन अंकुश लगाएगा? रोचक लेखन के लिए बधाई अरुणेश जी.
ReplyDeleteअब भी समय है सुधरने का लेकिन लग रहा है बिगडी औलाद सुधरेगी नहीं।
ReplyDeleteबहुत लाज़वाब...सार्थक प्रस्तुति..
ReplyDeleteवाह वाह बहुत बढ़िया....
ReplyDeleteकांग्रेस यहाँ भी चुक गयी...
आपको पहले ही कोर ग्रुप में ले लेते तो ये नौबत नहीं आती....
हा हा हा... आरम्भ में सटाक सटाक की आवाज आयी है पता नहीं कुटिल बाबू की चमड़ी उधडी की नहीं...
बधाई खांटी लेखन के लिए...
सरकार अमल करेगी तो जरुर बच जाएगी . इसमें इनको रिहर्सल करने की भी जरुरत पड़ेगी . रिहर्सल के समय आप भी रहिये वरना ये फिर गलती करेंगे . मेरी इच्छा थी की राहुल बाबा अपने कान पकड़कर अन्ना के पैर छुए तो मज़ा आ जाये.
ReplyDeleteबहुत लाज़वाब...सार्थक प्रस्तुति..
ReplyDeletedamdaar post ..maja aa gaya padhke ...hi hi hi
ReplyDeleteyahan bhi aaye sir
" अकल के मोटे ..दिमाग के लोटे : पप्पू धमाल (व्यंग)
http://eksacchai.blogspot.com/2011/08/blog-post_18.html
Very nice sir. good one.
ReplyDeleteभइया आप की पहुंच तो बहुत लम्बी हो गई है मेरे जैसों को तो आपसे संभल कर रहना पड़ेगा।
ReplyDeleteवैसे एक सलाह दे देना सिर्फ सोनिया को कि इमरजेंसी लगवा दो इस देश के युवाओं ने अभी इमरजेंसी का दीदार नहीं किया है। उनकी कामना भी पूरी हो जाएगी और सोनिया को बीमारी से जल्द उबरने की ढेरों कामनाएं भी मिल जाएंगी।