हम नुक्कड़ मे खड़े गुनगुना रहे थे शीला---- शीला का बुढ़ापा। तभी हमारे अजीज मित्र सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने भूल सुधार का प्रयास किया। कहने लगे- दवे जी शीला का बुढ़ापा नही जवानी गाईये। हम मुस्कुराये कहा, भाई जवानी वाली शीला किसी काम न आनी, बुढ़ापे वाली शीला सबके काम आती है। शर्मा जी ने आरोप लगा दिया आप महिलाओं के बारे मे अपमान जनक शब्द कह रहे हैं। हमने कहा भाई कांग्रेस प्रवक्ता टाईप बे सिरपैर की बयानबाजी मत करो, हमारे कहने का मतलब समझो। देखो जवान आदमी हो या औरत हरदम निजी स्वार्थ देखता है। उम्रदराज होने के बाद मन मे दया करूणा आ जाती है। किसी ने कुछ मांगा नही कि झट से दे दिया। महिलाएं तो खासकर दरवाजे पर आवाज आई "कुछ खाने को दे दे माई" और तड़ से झोली भर दी ।
अब आप सोचो जवान शीला को ऐसी आवाज सुनाई देगी तो सोचेगी कि कोई सिरफ़िरा आशिक होगा एक झलक पाना चाहता होगा। उससे भी पहले भड़क जायेगी भरी जवानी मे माई बोल दिया। इतना सुन शर्मा जी सहमत हो गये बोले - बात मे दम तो है आपकी। बुढ़ापे मे ही आदमी दूसरों के काम आता है, जवानी मे केवल अपने बारे मे सोचता है। हमने कहा- शर्मा जी यह बात समझ लेते तो कभी बूढ़ो को मंत्री नही बनाते। खासकर बुजुर्ग महिलाओं को तो कभी मुख्यमंत्री नही बना चाहिये बड़ी रहमदिल होती हैं। अपनी शीला जी को ही ले लो कामनवेल्थ गेम्स के समय जो ठेकेदार अधिकारी दलाल आकर मांगा नही की तड़ से दे दिया। अब बेटे के दोस्त भी पुत्रवत होते हैं, उनको तो मना ही नही कर पायीं। पार्टी के सगे संबंधियो को भी दिल खोल उपहार दिये।
अब देखो कैग रिपोर्ट मे आ गयी सब बात सामने। अब बेचारी शीला जी पर आरोप है कि गरीब देश को अरबो रूपये का चूना लगा दिया। अब बुढ़ापे मे फ़जीहत और इस्तीफ़ा देना पड़ेगा वो अलग कहीं तिहाड़ जाना पड़ गया तो बेचारीं इस उमर मे कितना कष्ट पायेंगी। शर्मा जी भड़क गये आप भी एकाउंटेंट की बात मे आते हो। इन लोगो को रखा गया है कि किसी मद मे कम ज्यादा खर्च हो तो बात सामने लाये अब ये लोग होशियारी झाड़ रहे हैं। यहां नुकसान हो गया वहां ये हो गया। अरे भाई कभी नौकर मालिक को बताता है कि आप गलत कर रहे हो। अब रिपोर्ट आयी है देखेंगे, अधिकारी बाबू लोगों की गलती है सब दोषी को सजा दे देंगे। शीला जी ने कुछ थोड़े ही किया है। अभी रिपोर्ट पीएसी मे जायेगी वहा जांच की जायेगी।
हमने कहा भाई पीएसी की रिपोर्ट तो आप लोग पास ही नही होने देते हो। पिछली बार तो मनमाने नया अध्यक्ष ही चुन लिया था। इस पर रिपोर्ट आयेगी को तमाशा मचा कर उसे भी रोक दोगे। शर्मा जी ने सिर हिलाया कहने लगे भाई हम नही बहुमत रिपोर्ट रोकता है। अब जब बहुमत को रिपोर्ट पसंद नही आये तो क्या किया जा सकता है। हमने कहा ऐसे मे तो कोई आरोपी जब तक उसकी सरकार रहेगी फ़सेगा ही नहीं। शर्मा जी फ़िर संविधान की कापी लहराने लगे बोले - भाई हम लोग तो धर्मनिरपेक्ष नेता हैं, गीता कुरान बाईबिल को मानते नही। संविधान ही हमारा धार्मिक ग्रंथ है, इसमे जो लिखा है वही सच है बस। हमने कहा जिन्होने लिखा वो तो रहे नही वो आज होते तो पूरा ही बदल देते। शर्मा जी ने पूछा ऐसा आप किस आधार पर ऐसा दावा कर रहे हो । हमने कहा जिन नेताओं के लिये ये संविधान लिखा गया था जब वे ही नही रहे नैतिकता इमानदारी सदचरित्र ही नही रहा तो ये संविधान काम करे कैसे। शर्मा जी ने हाथ जोड़े - दवे जी मेरा बहुत खून पी चुके आप, ये समस्या जनता की है नेताओं की नही। अब आप लोग मिल बैठ कर सर खपाओ, अपने राम चले संसद वहां बैठ पांच रूपये मे खीर पूड़ी सूतेंगे तब अपना खून वापस आयेगा।
उनके जाने के बाद हमने आसिफ़ भाई से पूछा- मियां, ये लोग दागियों से इस्तीफ़ा दिलवा क्यों नही देते। हमारा कम से कम मन तो बहल जाये। आसिफ़ भाई मुस्कुरा कर बोले- भाई, इन लोगो को कहीं तो बस करना होगा। जितनो से इस्तीफ़ा दिलवायेंगे फ़िर नये नाम सामने आ जायेंगे, आखिर लाईन इनकी प्यारी मम्मी और बाबा तक लंबी है।
अब आप सोचो जवान शीला को ऐसी आवाज सुनाई देगी तो सोचेगी कि कोई सिरफ़िरा आशिक होगा एक झलक पाना चाहता होगा। उससे भी पहले भड़क जायेगी भरी जवानी मे माई बोल दिया। इतना सुन शर्मा जी सहमत हो गये बोले - बात मे दम तो है आपकी। बुढ़ापे मे ही आदमी दूसरों के काम आता है, जवानी मे केवल अपने बारे मे सोचता है। हमने कहा- शर्मा जी यह बात समझ लेते तो कभी बूढ़ो को मंत्री नही बनाते। खासकर बुजुर्ग महिलाओं को तो कभी मुख्यमंत्री नही बना चाहिये बड़ी रहमदिल होती हैं। अपनी शीला जी को ही ले लो कामनवेल्थ गेम्स के समय जो ठेकेदार अधिकारी दलाल आकर मांगा नही की तड़ से दे दिया। अब बेटे के दोस्त भी पुत्रवत होते हैं, उनको तो मना ही नही कर पायीं। पार्टी के सगे संबंधियो को भी दिल खोल उपहार दिये।
अब देखो कैग रिपोर्ट मे आ गयी सब बात सामने। अब बेचारी शीला जी पर आरोप है कि गरीब देश को अरबो रूपये का चूना लगा दिया। अब बुढ़ापे मे फ़जीहत और इस्तीफ़ा देना पड़ेगा वो अलग कहीं तिहाड़ जाना पड़ गया तो बेचारीं इस उमर मे कितना कष्ट पायेंगी। शर्मा जी भड़क गये आप भी एकाउंटेंट की बात मे आते हो। इन लोगो को रखा गया है कि किसी मद मे कम ज्यादा खर्च हो तो बात सामने लाये अब ये लोग होशियारी झाड़ रहे हैं। यहां नुकसान हो गया वहां ये हो गया। अरे भाई कभी नौकर मालिक को बताता है कि आप गलत कर रहे हो। अब रिपोर्ट आयी है देखेंगे, अधिकारी बाबू लोगों की गलती है सब दोषी को सजा दे देंगे। शीला जी ने कुछ थोड़े ही किया है। अभी रिपोर्ट पीएसी मे जायेगी वहा जांच की जायेगी।
हमने कहा भाई पीएसी की रिपोर्ट तो आप लोग पास ही नही होने देते हो। पिछली बार तो मनमाने नया अध्यक्ष ही चुन लिया था। इस पर रिपोर्ट आयेगी को तमाशा मचा कर उसे भी रोक दोगे। शर्मा जी ने सिर हिलाया कहने लगे भाई हम नही बहुमत रिपोर्ट रोकता है। अब जब बहुमत को रिपोर्ट पसंद नही आये तो क्या किया जा सकता है। हमने कहा ऐसे मे तो कोई आरोपी जब तक उसकी सरकार रहेगी फ़सेगा ही नहीं। शर्मा जी फ़िर संविधान की कापी लहराने लगे बोले - भाई हम लोग तो धर्मनिरपेक्ष नेता हैं, गीता कुरान बाईबिल को मानते नही। संविधान ही हमारा धार्मिक ग्रंथ है, इसमे जो लिखा है वही सच है बस। हमने कहा जिन्होने लिखा वो तो रहे नही वो आज होते तो पूरा ही बदल देते। शर्मा जी ने पूछा ऐसा आप किस आधार पर ऐसा दावा कर रहे हो । हमने कहा जिन नेताओं के लिये ये संविधान लिखा गया था जब वे ही नही रहे नैतिकता इमानदारी सदचरित्र ही नही रहा तो ये संविधान काम करे कैसे। शर्मा जी ने हाथ जोड़े - दवे जी मेरा बहुत खून पी चुके आप, ये समस्या जनता की है नेताओं की नही। अब आप लोग मिल बैठ कर सर खपाओ, अपने राम चले संसद वहां बैठ पांच रूपये मे खीर पूड़ी सूतेंगे तब अपना खून वापस आयेगा।
उनके जाने के बाद हमने आसिफ़ भाई से पूछा- मियां, ये लोग दागियों से इस्तीफ़ा दिलवा क्यों नही देते। हमारा कम से कम मन तो बहल जाये। आसिफ़ भाई मुस्कुरा कर बोले- भाई, इन लोगो को कहीं तो बस करना होगा। जितनो से इस्तीफ़ा दिलवायेंगे फ़िर नये नाम सामने आ जायेंगे, आखिर लाईन इनकी प्यारी मम्मी और बाबा तक लंबी है।
क्या बात अरुणेश भाई... बढ़िया चिंतन...
ReplyDeleteसादर...
वाह अरुणेश जी......गहन चिंतन की सहज और रोचक प्रस्तुति
ReplyDeleteअब आप की पोस्ट पर कहूँगा की खान्ग्रेसियों को आइना दिखाती पोस्ट..
ReplyDeleteआगे लिखा तो आप कमेन्ट उड़ा देंगे..
लाखों-करोड़ों का खेल था राष्ट्रमंडल.
ReplyDeleteसच पानी की बहती है जनता की कमाई ........ सटीक विवेचन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...वाह!
ReplyDeleteदिलचस्प व्यंग्य. मजा आ गया.
ReplyDeleteवाह ! आपकी मंजी हुई कलम से यह मजेदार व्यंग्य पढ़कर वाकई मजा आ गया . दिलचस्प लेखन के लिए बधाई .
ReplyDeleteएक बार फिर जबरदस्त पोस्ट. सही बात है लाइन तो मम्मी और बाबा तक ही जाती है .....खून बढ़ाने की दवाई भी पता चल गई.
ReplyDeletehaaa haaaa ...mast post ..maja aaya
ReplyDeleteyahan bhi aaiyega jaroor ek post intezar kar rahi hai
http://eksacchai.blogspot.com/2011/08/blog-post.html