नुक्क्ड़गंज के कांग्रेसमेन सर सोहन शर्मा अपनी कांस्टीटुएन्सी नुक्कड़गंज पधारे हुये थे। वे स्वयं क्वीन मदर हर एक्सीलेंसी सोनियाबेथ के द्वारा नामांकित किये गये प्रतिनिधी थे। उन्होने प्रजा का हाल जानने की इच्छा से सर सोहन शर्मा को भेजा था। नुक्कड़गंज पहुंचते ही उन्हें हमने घेर लिया महंगाई, भ्रष्टाचार, घोटालों की पूरी कथा सुनाई, यह भी कहा कि वायसराय लार्ड मन्नू बेटन सिंग अपना कर्तव्य निभाने में असफ़ल रहें हैं।
मन्नू बेटन सिंग के लिये लार्ड और वायसराय का संबोधन सुनते ही वे भड़क गये। कहने लगे दवे जी आजादी के बाद ऐसे शब्दो का प्रयोग करने पर आप को जेल की सजा हो सकती है। हमने हाथ जोड़ माफ़ी मांगी, पूछा क्या संबोधन का प्रयोग करें हुजूर। उन्होनें बताया कि आजादी के बाद लार्ड की जगह आदरणीय और वायसराय की जगह प्रधानमंत्री शब्द का प्रयोग करना तय किया गया है। हमने सहमते हुये पूछ लिया पर हुजूर आजादी तो हम को मिली नही आज तक।
वे फ़िर भड़क गये आपका दिमाग तो खराब नही हो गया! लार्ड माउंटबेटन की जगह आदरणीय मन्नूबेटन सिंग आ गये, क्वीन एलिजाबेथ की जगह क्वीन सोनियाबेथ आ गयीं। लूट का पैसा ब्रिटेन नही जा रहा, चुनाव होते हैं, संविधान बन गया। और कैसी आजादी चाहिये आप लोगों को। हमने धीरे से कहा चुनाव तो तथाकथित आजादी के पहले भी होते थे। संविधान भी था और आज का संविधान तो 99% उस संविधान से मिलता है| खाली मामूली हेरफ़ेर कर देने से संविधान नया थोड़े ही हो जाता है। घोटाले और लूट भी हो ही रही है, पैसा तो आज भी जा रहा है ब्रिटेन के बदले स्विटजरलैंड।
सर सोहन शर्मा फ़िर नाराज हो गये, अरे पूरी दुनिया मे अच्छे नियम तो एक जैसे ही होते हैं कि नहीं। अरे भाई जब सही नियम मुफ़्त मे मिल रहें हों, कोई क्यों खर्चा करे उन्ही नियमो को बनवाने के लिये। चुनावों मे कितना सुधार हो गया है। एक से एक राजवंश सामने रहते हैं स्व्यंवर मे, जिसको मर्जी माला पहना दो। ये थोड़े है कि कोई हाथ पकड़ रहा है। अब आप लोगो को यूरोपीय क्वीन ही अच्छी लगती हैं, तो क्या गलती क्वीन की है। अब तो उन्होने आधे भारतीय और दिखने मे पूरे यूरोपीय राजकुमार राजकुमारी भी दे दिये हैं। एहसान मानना छोड़ शिकायत करते हो शर्म नही आती। और लूट कहते हो अरे भाई पूरा साम्राज्य ही जिसका है, वो क्यों लूटेगा भला। आप अपने घर मे चोरी करते हो क्या, घर आपका पैसा आपका जितना मर्जी ले लो कौन रोकेगा आपको। रही बात विदेशो मे पैसा जमा करने की, तो सारे पैसे देश मे रखना ठीक नही। जाने कब देश भूकंप मे तबाह हो जाये, सारे पैसे पानी में डूब जाये सो कुछ पैसे विदेश में जमा रखते हैं, आड़े वक्त के लिये ।
हम फ़िर भुनभुनाये चलो क्वीन मदर जो चाहे खर्चा करें, उनके परिवार जन जितना चाहे ले लें पर बाकियों के भ्रष्टाचार पर तो रोक लगनी चाहिये न। सर सोहन शर्मा मुस्कुराये - बोले, आपने इतिहास नही पढ़ा क्या भाई । हर राजा रानी के पास सामंत मंत्री होते हैं, अब वे अपने खर्चों के लिये क्वीनमदर को परेशान करें, यह भी तो सही नहीं। इसलिये सभी को जागीरें दे दी गयीं हैं। किसी को कोयला किसी तेल किसी को परिवहन, वे जब खर्चे से ज्यादा पैसा लेकर गड़बड़ी करते हैं, नाम क्वीन मदर का खराब हो जाता है। ऐसे सामंतो को पकड़े जाने पर जेल भेज दिया जाता है। हर राजमहल मे एक दो मुहलगे सामंत भी होते हैं, जैसे अपनी शीलादीत जीं , चिद्दीबम जी, कुटिल जी । अब उनको ही जेल भेज दें, तो क्वीन मदर का दिल ही न लगे, इस लिये माफ़ कर देतीं हैं। वैसे भी उनकी रहमदिली से तो आप भी वाकिफ़ हो।
हम कुछ कहते उसके पहले सर सोहन शर्मा हमें बोले - यार क्यों अपना और लोगो का दिमाग खराब करते हो अखबार खोल ले विज्ञापन की व्यवस्था करवा दी जायेगी, खा पी मजे कर। नही मानना और कोसना ही है, तो भगवान को कोसा करो। राज करने का काम उन्होने ही राजवंशो और सामंतो को सौंपा है। अगर तुम्हारा भला करने की चाहते तो क्वीन मदर के यहां जन्म नही करवा देते ।
मन्नू बेटन सिंग के लिये लार्ड और वायसराय का संबोधन सुनते ही वे भड़क गये। कहने लगे दवे जी आजादी के बाद ऐसे शब्दो का प्रयोग करने पर आप को जेल की सजा हो सकती है। हमने हाथ जोड़ माफ़ी मांगी, पूछा क्या संबोधन का प्रयोग करें हुजूर। उन्होनें बताया कि आजादी के बाद लार्ड की जगह आदरणीय और वायसराय की जगह प्रधानमंत्री शब्द का प्रयोग करना तय किया गया है। हमने सहमते हुये पूछ लिया पर हुजूर आजादी तो हम को मिली नही आज तक।
वे फ़िर भड़क गये आपका दिमाग तो खराब नही हो गया! लार्ड माउंटबेटन की जगह आदरणीय मन्नूबेटन सिंग आ गये, क्वीन एलिजाबेथ की जगह क्वीन सोनियाबेथ आ गयीं। लूट का पैसा ब्रिटेन नही जा रहा, चुनाव होते हैं, संविधान बन गया। और कैसी आजादी चाहिये आप लोगों को। हमने धीरे से कहा चुनाव तो तथाकथित आजादी के पहले भी होते थे। संविधान भी था और आज का संविधान तो 99% उस संविधान से मिलता है| खाली मामूली हेरफ़ेर कर देने से संविधान नया थोड़े ही हो जाता है। घोटाले और लूट भी हो ही रही है, पैसा तो आज भी जा रहा है ब्रिटेन के बदले स्विटजरलैंड।
सर सोहन शर्मा फ़िर नाराज हो गये, अरे पूरी दुनिया मे अच्छे नियम तो एक जैसे ही होते हैं कि नहीं। अरे भाई जब सही नियम मुफ़्त मे मिल रहें हों, कोई क्यों खर्चा करे उन्ही नियमो को बनवाने के लिये। चुनावों मे कितना सुधार हो गया है। एक से एक राजवंश सामने रहते हैं स्व्यंवर मे, जिसको मर्जी माला पहना दो। ये थोड़े है कि कोई हाथ पकड़ रहा है। अब आप लोगो को यूरोपीय क्वीन ही अच्छी लगती हैं, तो क्या गलती क्वीन की है। अब तो उन्होने आधे भारतीय और दिखने मे पूरे यूरोपीय राजकुमार राजकुमारी भी दे दिये हैं। एहसान मानना छोड़ शिकायत करते हो शर्म नही आती। और लूट कहते हो अरे भाई पूरा साम्राज्य ही जिसका है, वो क्यों लूटेगा भला। आप अपने घर मे चोरी करते हो क्या, घर आपका पैसा आपका जितना मर्जी ले लो कौन रोकेगा आपको। रही बात विदेशो मे पैसा जमा करने की, तो सारे पैसे देश मे रखना ठीक नही। जाने कब देश भूकंप मे तबाह हो जाये, सारे पैसे पानी में डूब जाये सो कुछ पैसे विदेश में जमा रखते हैं, आड़े वक्त के लिये ।
हम फ़िर भुनभुनाये चलो क्वीन मदर जो चाहे खर्चा करें, उनके परिवार जन जितना चाहे ले लें पर बाकियों के भ्रष्टाचार पर तो रोक लगनी चाहिये न। सर सोहन शर्मा मुस्कुराये - बोले, आपने इतिहास नही पढ़ा क्या भाई । हर राजा रानी के पास सामंत मंत्री होते हैं, अब वे अपने खर्चों के लिये क्वीनमदर को परेशान करें, यह भी तो सही नहीं। इसलिये सभी को जागीरें दे दी गयीं हैं। किसी को कोयला किसी तेल किसी को परिवहन, वे जब खर्चे से ज्यादा पैसा लेकर गड़बड़ी करते हैं, नाम क्वीन मदर का खराब हो जाता है। ऐसे सामंतो को पकड़े जाने पर जेल भेज दिया जाता है। हर राजमहल मे एक दो मुहलगे सामंत भी होते हैं, जैसे अपनी शीलादीत जीं , चिद्दीबम जी, कुटिल जी । अब उनको ही जेल भेज दें, तो क्वीन मदर का दिल ही न लगे, इस लिये माफ़ कर देतीं हैं। वैसे भी उनकी रहमदिली से तो आप भी वाकिफ़ हो।
हम कुछ कहते उसके पहले सर सोहन शर्मा हमें बोले - यार क्यों अपना और लोगो का दिमाग खराब करते हो अखबार खोल ले विज्ञापन की व्यवस्था करवा दी जायेगी, खा पी मजे कर। नही मानना और कोसना ही है, तो भगवान को कोसा करो। राज करने का काम उन्होने ही राजवंशो और सामंतो को सौंपा है। अगर तुम्हारा भला करने की चाहते तो क्वीन मदर के यहां जन्म नही करवा देते ।
आज का संविधान तो 99% उस संविधान से मिलता है| खाली मामूली हेरफ़ेर कर देने से संविधान नया थोड़े ही हो जाता है। घोटाले और लूट भी हो ही रही है, पैसा तो आज भी जा रहा है ब्रिटेन के बदले स्विटजरलैंड.
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ...सत्य के बहुत करीब ...
उम्दा धुलाई, निरमा बाबा की जय हो।
ReplyDeleteबहुत अच्छी आलेख अरुनेश जी
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.com/और यहाँ भी -
ReplyDeletehttp://sb.samwaad.com/ शुक्रिया ,मैम का .
अरुणेश सी द्वे इतना सच बोलना ठीक नहीं कुछ तो लिहाज़ रखो बिजूकों का ,मम्मी जी और उस मंद बुद्धि बालक का .
पहले जागीरें बांटी जाती थीं, अब विभाग बाँट दिए जाते है... एकदम सच्ची बात.... ललित भईया ठीक कह रहे हैं.... जबरदस्त धुलाई है... जय हो निरमा बाबा की....
ReplyDeleteसब को मिलजुल कर खाना है ना इस देश को :( ..... एकदम सटीक....
ReplyDeleteआपने सोहन शर्मा किरदार लेकर जबरदस्त घेराव किया है है . वाकई देश में लगभग राजतन्त्र ही रहा है.कई नीतिया और कानून आज भी अंग्रेजों की ही देन है.
ReplyDeleteअब आपका ब्लोग यहाँ भी आ गया और सारे जहाँ मे छा गया। जानना है तो देखिये……http://redrose-vandana.blogspot.com पर और जानिये आपकी पहुँच कहाँ कहाँ तक हो गयी है।
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