Monday, September 19, 2011

सखी मन्नू बहुत ही कमात है महंगाई डायन खाये जात है

मित्रो आपके खासमखास याने दवे जी नाम के फ़ोकटचंद सलाहकार को दस धनपथ से बुलावा आया स्वयं सोनिया जी का।  जाकर बैठे ही थे कि सोनिया जी गुनगुनाते हुये कमरे में पहुंची कि "सखी मन्नू बहुत ही कमात है, महंगाई डायन खाये जात है"।  वे हमें देख कहने लगीं-  " दवे जी महंगाई सुरसा के मुंह की तरह बढ़्ती ही चली जा रही है, घर खर्च पूरा नही बैठता आप कोई रास्ता दिखायें"। हमारा मुंह खुला का खुला रह गया,  कहा- "मम्मी जी आप और पैसे की कमी, चारों ओर इतना भ्रष्टाचार कर रहे हैं आपकी पार्टी वाले और मम्मी को कड़की, हद हो गयी जनता से बेईमानी तो छोड़ो आपसे भी बेईमानी करने लगे"।

मम्मी जी भड़क गयीं,  बोलीं - "आपको रास्ता दिखाने बुलाया है, होशियारी दिखाने नहीं।  दुखी हम देश की आम जनता के लिये हैं कि हमारा मन्नू इतना विकास करवा रहा है और फ़िर भी जनता महंगाई से त्रस्त है, इससे कैसे निपटा जाये यह बताओ"। हमने कहा -"  आपकी पार्टी में  दो प्रकार के लोग तो हैं,  कमाने के लिये अर्थशास्त्री और बचाने के लिये वकील,   हम आपको क्या सलाह दें।  वैसे आपके मन्नू को कहिये कि पेट्रोल डीजल का भाव कम करवा दे कुछ तो राहत मिलेगी"।


मम्मी जी बोलीं- "हमने कहा था मन्नू से,  पर उनका कहना था कि दाम अंतराष्ट्रीय मूल्यों पर ही निर्भर करते हैं"। हमने कहा- "मम्मी जी यह सब टोपी बाजी की बाते हैं, जनता त्राहिमाम कर रही है, आपको पता नही है, लोग बोल रहें है कि दिल्ली में बम विस्फ़ोट से आपकी धमाकेदार देश वापसी हुयी है और आपकी पार्टी ने मुंह दिखाई में आपको पेट्रोल की मूल्य वृद्धी दी है"। मम्मी जी दुखी हो गयीं,  बोलीं- "हम करें क्या, ये लोग तो बहाना मार देते हैं, अब हम सलाह लें तो किससे"। हमने कहा - "बात सही है मम्मी जी, अब लड़का ही कालेज फ़ेल नालायक निकल जाये तो कोई क्या करे"।  मम्मी जी भड़क गयीं- "क्या मतलब है आपके कहने का"। हमने बात संभाली- "क्या है मम्मी जी ये सब मंत्री तो आपके पुत्रवत ही हैं न इतना पढ़ कर आये हैं, लेकिन देखिये फ़ेल हो गये  मंहंगाई नही रोक पा रहे"।


सोनिया जी बोलीं- "अब करना क्या होगा"।  हमने कहा- "मम्मी जी आपका जो मन्नू है न,  उसको कालेज में किसी ने पढ़ा दिया कि मंदी उर्फ़ रिसेशन बुरी चीज है। इसलिये उसे आने देना ही नही चाहिये, यह बात गांठ बांध कर मन्नू ने रख ली है और यही मुसीबत की जड़ है"। वे बोलीं- "पगला गये हैं क्या दवे जी, रिसेशन से तो देश में हालात बिगड़ जायेंगे"। हमने कहा- "आपके मन्नू ने कृत्रिम तेजी लायी है तो उससे निपटा मंदी के हथियार से ही जा सकता है। मुख्य बात यह कि पिछली बार जब मंदी आयी तो आपके मन्नू नें उससे बचने के लिये नोट छाप कर बाजार मे ढकेल दिये। उससे महंगाई बढ़ गयी"। बात मम्मी जी के भेजे मे न घुसते देख हमने उदाहरण दिया- "देखिये मुख्यमंत्री के  पद के तीन दावेदार है,  सबके पास दस दस करोड़ रूपया है तो आपको  मुख्यमंत्री पद के पद की क्या कीमत मिलेगी"। मम्मी जी बोलीं- "दस करोड़ रूपये और कितनी"।  हमने कहा -"और तीनो के पास बीस करोड़ रूपया हो तो"। मम्मी जी खुश हो कर बोलीं- "बीस करोड़ रूपये"।  हमने कहा- "देखिये मुख्यमंत्री के पद के लिये महंगाई बढ़ गयी की नही। ऐसे ही देश में आपके मन्नू ने नोट छाप कर पैसा डबल कर दिया है, सो कीमतें डबल हो गयी है।

मम्मी जी बोलीं- "अब कैसे कम होंगी" हमने कहा- "आपका मन्नू बैंक की ब्याज दरें बढ़ा रहा है, पेट्रोल और अन्य चीजों के भाव बढ़ा रहा है कि इससे अतिरिक्त पैसा मार्केट से बाहर हो जाये। पर इससे फ़ायदा हो नहीं रहा कुछ उल्टे आम आदमी के सामान खरीदने की क्षमता कम हो रही है। मम्मी बोलीं - "यस, फ़िर मांग घटने से भाव गिर जायेंगे"। हमने सिर ठोका- " मांग विलासिता की चीजो की घटेगी, जरूरत की चीजों की नही।

बात मम्मी जी के भेजे में घुस गई, बोलीं- "इसका उपाय क्या है दवे जी"। हमने कहा- "हायर इनकम ग्रुप पर तगड़ा टैक्स लगाना। छठवे वेतनमान में बढ़ी अनाप शनाप तंख्वाहों कॊ कम करना और प्राईवेट सेक्टर में सैलरी के कंपोनेंट को तय कर अनाप शनाप तनख्वाहों में कमी लाना। उंचे भ्रष्टाचार वाले क्षेत्रों में सरकारी खर्च को न्यूनतम स्तर पर ले आना। फ़ूड सेक्टर को आर्गेनाईज कर बिचौलियों को खत्म करना। उंचे सरकारी पदो पर बैठे अधिकारियों और पूंजीपतियों के कृषी जमीन के स्वामित्व पर प्रतिबंध लगाना। इससे करोड़ो एकड़ बेकार पड़ी कृषी भूमी में उत्पादन होगा, जमीन की बढ़ती अनाप शनाप कीमतों पर नियत्रण आयेगा। और आखिरी कदम भारत के तैतीस प्रतिशत क्षेत्र मे फ़ैली वनभूमी से साल सागौन नीलगिरी जैसे पेड़ों को हटा उनमे फ़ल और फ़ूलदार पेड़ों का रोपण करना। इससे आदिवासी और वन्यप्राणियों को भोजन मिलने के साथ साथ शेष लोगो को भी सस्ती कीमतों पर भोजन मिलेगा"।


इतना सब सलाह दे, हम तो साहब वापस आ गये पर हमें आशा नही कि प्यारी मम्मी और उनके चालीस चोर हमारी सलाह में अमल लायेंगे। हां बाबा रामदेव इन सलाहों को अपने एजेंडे मे ले लें तो भी कम से कम उनका अभियान तो चमक ही जायेगा।

Comments
11 Comments

11 comments:

  1. काहँ से लाते हैं आप रोज-रोज व्यंग्य लिखने के लिए मसालेदार मैटर!
    बहुत धारदार व्यंग्य है यह तो!
    --
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो
    चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  2. देखो ओ दवे जी ये काम न करो
    मन्नू को इतना बदनाम न करो.
    मन्नू ने चुप रह सब दुःख झेले ,
    मन्नू के नाम सब खाए खूब खेले !
    महंगाई के चक्के को जाम न करो ,
    देखो ओ दवे जी ये काम न करो !

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  3. आखेट मानव का सदा,करता रहा है राक्षस |

    माँस से ही पेट भरता आ रहा है राक्षस ||


    उस गाँव का तब एक बन्दा जान देता था वहाँ--
    आज झुंडों में निवाला खा रहा है राक्षस

    हाथ करते हैं खड़े, यमुना में इच्छा शक्ति धो--
    सुरसा सरीखा मुँह दुगुना, बा रहा है राक्षस |


    मौत ही सस्ती हुई, हर जीन्स महँगा बिक रहा -
    हर एक बन्दे को इधर अब भा रहा है राक्षस |

    ताज की हलचल से आया था कलेजा मुँह तलक-
    अब जेल में भी मस्त गाने गा रहा है राक्षस |

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  4. मन्नू की महतारी को आपने अच्छी सलाह दी है. उन्हें मान लेना चाहिए.

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  5. मम्मी जी को बोलो जल्दी ही कुछ करें नहीं तो जनता को करना पढ़ेगा ... कमाल का व्यंग बाण है आपका .. मज़ा आ गया दवे जी ...

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  6. आपके सारे व्यंग लेख आज पढ़ गया .ऐसे व्यंग बहुत कम देखने को मिलते है .केवल अख़बार से इतना गहन ज्ञान नहीं मिल सकता .बहुत बहुत बधाई ,

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  7. मन्नू जी अपने चालीस चोरों के साथ खजाने वाली गुफा में भी गए , पर अफ़सोस वहां से महंगाई कम करने वाली जादू की छड़ी नहीं मिली. सूत्रों की माने तो जादू की छड़ी अन्नाबाबा के पास है.

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  8. बहुत झन्नाटेदार व्यंग्य लेख ...
    बड़े सहज लहजे में पूरा का पूरा पोस्टमार्टम कर डाला ....कूड़ा शासन-प्रशासन तंत्र का ..

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  9. आपकी कल्पनाशीलता चकित करती है...
    झन्नाटेदार व्यंग्य अरुणेश भाई...
    सादर बधाई..

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