सुबह सुबह यूरिया वाली चाय पीने हम नुक्कड़ पहुंचे ही थे कि दिल्ली मे बम धमाके की खबर सचित्र चलने लगीं। पल पल की खबरे आ रही थी, लाशे दिखाने की होड़ लगी हुयी थी। खबर सुनते ही मन खराब हो गया कितने मासूम परिवार अब जीवन भर इसका दंश झेलेंगे। तभी पकड़ो, मारो की आवाजें आने लगी, देखा तो शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी को लोगो ने घेर लिया है। हमने बीच बचाव किया कहा - "भाई शर्मा जी को जवाब तो देने दो"। शर्मा जी ने गम जदा आवाज मे कहा- "हम मासूम लोगो के मारे जाने से बेहद आहत हैं, और घायलों को शुभकामनाएं देते हैं कि वे जल्दी स्वस्थ हो जायें, दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जायेगी। तभी दीपक भाजपाई कूद पड़े- " कांग्रेसी जी यह बताईये कि धमाका हुआ कैसे पुलिस ने आतंकवादियों को रोका क्यों नही"।
शर्मा जी ने स्टेटमेंट दिया - "हमारे पास कोई खुफ़िया सूचना नही थी"। हमने कहा- "तो मना कर देते आतंकवादियों को कि बिना सूचना दिये बम धमाके मत किया करो, फ़ाउल होता है। संदेश जारी करो कि हे आतंकवादियों खेलभावना का सम्मान करते हुये बम बम खेलो, हर बार सूचना देकर धमाके करने वाले आतंकवादी को हर साल सोनिया गांधी खेल भावना पुरुस्कार से सम्मानित किया करो" । शर्मा जी ने आहत भाव से देखा। हमने कहा चलो यह बताओ किसने किया यह बम धमाका, उसकी मंशा क्या थी। शर्मा जी ने सीना फ़ुला कर कहा- "ये आतंकवादी हमारे देश को कमजोर करना चाहते हैं पर हमारा देश कमजोर नही होगा"। हमने कहा-" ये आतंकवादी कितने बम धमाके करेंगे तो देश कमजोर होगा। शर्मा जी बोले-" आपकी बात हमको समझ मे नही आई"। हमने समझाया- "भाई ये आतंकवादी बम धमाके कर के देश को कमजोर करना चाहते हैं और आप होने नही देना चाहते। दोनो के इस बम बम के खेल में नतीजा कैसे निकलेगा, जनता को कैसे मालूम पड़ेगा कि हमारी सरकार जीत रही है कि आतंकवादी। वरना हर बार आतंकवादी खुश होते हैं कि हमने मारा, हम जीते और आप सीना फ़ुलाते हो कि हम नही हारे देश कमजोर नही हुआ"।
शर्मा जी ने फ़िर आहत भाव से हमारी ओर देखा हमने कहा- "चलो यह बताओ कि इसके पीछे किसका हाथ है"। इतने में दीपक भाजपाई कूद पड़े बास मुस्लिम आतंकवादियों का हाथ है"। हमने कहा- "दीपक बाबू भगवा आतंकवाद सुनने से तो बड़ा मिर्ची लगता है और खुद मुस्लिम आतंकवाद कहने मे कोई दिक्कत नही होती, क्या जहां बम धमाके हुये हैं, वहां केवल हिंदु आते हैं, क्या धमाका करने वाले पास मुस्लिम न मारे जायेंगे इसकी कोई गारंटी थी। फ़िर कैसे कहते हो कौन से धर्म का आतंकवाद था। शर्मा जी खुश हो गये - "वाह दवे जी क्या पते की बात कही आपने"। हमने उनको भी फ़टकार लगाई- " तुम कौन से दूध के धुले हो, बाटला हाउस एनकाउंटर को फ़र्जी किसके नेता बता रहे थे, ओसामा बिन लादेन को कसाब को जी किसका नेता कहता है"। शर्मा जी ने विरोध दर्ज कराया- "वो उस नेता का निजी विचार है"। हमने कहा- "क्यों उस नेता के बेटे को प्रधानमंत्री बनाओगे चुनाव जीतोगे तो, या कारू का खजाना मिल जायेगा उसको, कर तो सब प्यारी मम्मी और बाबा के लिये ही है ना"।
फ़िर हमने पूछा- "कहीं इस बम धमाके मे तुम दोनों की मिलीभगत तो नहीं"। इतना सुन दोनो भड़क गये कि हम दोनो एक साथ हो ही नही सकते। हमने तुरंत उनकी याददाश्त ठीक की - "ओबलापुरम माईनिंग घोटाले में सरकार ने स्टील प्लांट लगाने की शर्त पर दस हजार एकड़ जमीन महज 2० करोड़ रूपये मे जनार्दन रेड्डी(भाजपा) और वाय एस राजशेखर रेड्डी(कांग्रेस) को दी। सिर्फ़ इस जमीन को गिरवी रखने से इनको बैंक से 350 करोड़ रूपये का बैंक लोन मिल गया जिसमे से बीस करोड़ इन्होने जिससे उधार लिये थे उसे वापस कर दिया याने अब सब कुछ मुफ़्त का । आगे इस जमीन के आस पास की एक लाख एकड़ जमीन को कब्जा लिया गया और बिना स्टील पलांट लगाये बिना रायल्टी पटाये, एक लाख करोड़ का आईरन ओर विदेशों को बेच दिया । और आप दोनो ने मिलकर इस घोटाले को न लोक सभा और न राज्य सभा में उठने दिया। अब सुप्रीम कोर्ट का डंडा घूमा तो सबके नेता अंदर जा रहे हैं। जप्त डायरी में दोनो दलो को कितना कितना पैसा मिला सब दर्ज है। जब आप दोनो साथ मे खा कमा सकते हो, तो देश का ध्यान घोटालों से भटकाने के लिये क्या नही कर सकते आखिर दोनो सर से पैर तक दलदल मे डूबे हो।
इतना सुन साहब ये दोनो तो एक मत हो नुक्कड़ सभा का बहिष्कार कर चले गये। रह गये हम सोचते कि बेचारे पुलिस वाले सरकार की चमचागिरी में दूसरे नेताओं का फ़ोन टेप करो, दुश्मनो की कमजोरी खोजो, बाबा की मार्कशीट खोजो, नेताओं की प्रेमिका पर नजर रखो। इस दबाव मे कोई काम करे कैसे, ट्रांसफ़र पोस्टिंग आपला मानुस के आधार पर, हथियार औजार घूस खा खरीदे गये घटिया स्तर के। सो धमाके तो हो्ने ही हैं। और क्या पता यही नेता करवा रहे हों, कि बाबा अन्ना को दिल्ली मे अनशन करने से, बम धमाकों का डर दिखा रोका जा सके।
शर्मा जी ने स्टेटमेंट दिया - "हमारे पास कोई खुफ़िया सूचना नही थी"। हमने कहा- "तो मना कर देते आतंकवादियों को कि बिना सूचना दिये बम धमाके मत किया करो, फ़ाउल होता है। संदेश जारी करो कि हे आतंकवादियों खेलभावना का सम्मान करते हुये बम बम खेलो, हर बार सूचना देकर धमाके करने वाले आतंकवादी को हर साल सोनिया गांधी खेल भावना पुरुस्कार से सम्मानित किया करो" । शर्मा जी ने आहत भाव से देखा। हमने कहा चलो यह बताओ किसने किया यह बम धमाका, उसकी मंशा क्या थी। शर्मा जी ने सीना फ़ुला कर कहा- "ये आतंकवादी हमारे देश को कमजोर करना चाहते हैं पर हमारा देश कमजोर नही होगा"। हमने कहा-" ये आतंकवादी कितने बम धमाके करेंगे तो देश कमजोर होगा। शर्मा जी बोले-" आपकी बात हमको समझ मे नही आई"। हमने समझाया- "भाई ये आतंकवादी बम धमाके कर के देश को कमजोर करना चाहते हैं और आप होने नही देना चाहते। दोनो के इस बम बम के खेल में नतीजा कैसे निकलेगा, जनता को कैसे मालूम पड़ेगा कि हमारी सरकार जीत रही है कि आतंकवादी। वरना हर बार आतंकवादी खुश होते हैं कि हमने मारा, हम जीते और आप सीना फ़ुलाते हो कि हम नही हारे देश कमजोर नही हुआ"।
शर्मा जी ने फ़िर आहत भाव से हमारी ओर देखा हमने कहा- "चलो यह बताओ कि इसके पीछे किसका हाथ है"। इतने में दीपक भाजपाई कूद पड़े बास मुस्लिम आतंकवादियों का हाथ है"। हमने कहा- "दीपक बाबू भगवा आतंकवाद सुनने से तो बड़ा मिर्ची लगता है और खुद मुस्लिम आतंकवाद कहने मे कोई दिक्कत नही होती, क्या जहां बम धमाके हुये हैं, वहां केवल हिंदु आते हैं, क्या धमाका करने वाले पास मुस्लिम न मारे जायेंगे इसकी कोई गारंटी थी। फ़िर कैसे कहते हो कौन से धर्म का आतंकवाद था। शर्मा जी खुश हो गये - "वाह दवे जी क्या पते की बात कही आपने"। हमने उनको भी फ़टकार लगाई- " तुम कौन से दूध के धुले हो, बाटला हाउस एनकाउंटर को फ़र्जी किसके नेता बता रहे थे, ओसामा बिन लादेन को कसाब को जी किसका नेता कहता है"। शर्मा जी ने विरोध दर्ज कराया- "वो उस नेता का निजी विचार है"। हमने कहा- "क्यों उस नेता के बेटे को प्रधानमंत्री बनाओगे चुनाव जीतोगे तो, या कारू का खजाना मिल जायेगा उसको, कर तो सब प्यारी मम्मी और बाबा के लिये ही है ना"।
फ़िर हमने पूछा- "कहीं इस बम धमाके मे तुम दोनों की मिलीभगत तो नहीं"। इतना सुन दोनो भड़क गये कि हम दोनो एक साथ हो ही नही सकते। हमने तुरंत उनकी याददाश्त ठीक की - "ओबलापुरम माईनिंग घोटाले में सरकार ने स्टील प्लांट लगाने की शर्त पर दस हजार एकड़ जमीन महज 2० करोड़ रूपये मे जनार्दन रेड्डी(भाजपा) और वाय एस राजशेखर रेड्डी(कांग्रेस) को दी। सिर्फ़ इस जमीन को गिरवी रखने से इनको बैंक से 350 करोड़ रूपये का बैंक लोन मिल गया जिसमे से बीस करोड़ इन्होने जिससे उधार लिये थे उसे वापस कर दिया याने अब सब कुछ मुफ़्त का । आगे इस जमीन के आस पास की एक लाख एकड़ जमीन को कब्जा लिया गया और बिना स्टील पलांट लगाये बिना रायल्टी पटाये, एक लाख करोड़ का आईरन ओर विदेशों को बेच दिया । और आप दोनो ने मिलकर इस घोटाले को न लोक सभा और न राज्य सभा में उठने दिया। अब सुप्रीम कोर्ट का डंडा घूमा तो सबके नेता अंदर जा रहे हैं। जप्त डायरी में दोनो दलो को कितना कितना पैसा मिला सब दर्ज है। जब आप दोनो साथ मे खा कमा सकते हो, तो देश का ध्यान घोटालों से भटकाने के लिये क्या नही कर सकते आखिर दोनो सर से पैर तक दलदल मे डूबे हो।
इतना सुन साहब ये दोनो तो एक मत हो नुक्कड़ सभा का बहिष्कार कर चले गये। रह गये हम सोचते कि बेचारे पुलिस वाले सरकार की चमचागिरी में दूसरे नेताओं का फ़ोन टेप करो, दुश्मनो की कमजोरी खोजो, बाबा की मार्कशीट खोजो, नेताओं की प्रेमिका पर नजर रखो। इस दबाव मे कोई काम करे कैसे, ट्रांसफ़र पोस्टिंग आपला मानुस के आधार पर, हथियार औजार घूस खा खरीदे गये घटिया स्तर के। सो धमाके तो हो्ने ही हैं। और क्या पता यही नेता करवा रहे हों, कि बाबा अन्ना को दिल्ली मे अनशन करने से, बम धमाकों का डर दिखा रोका जा सके।
वाह!
ReplyDeleteभाई अरुणेश जी!
व्यंग्य की इतनी त्वरित सेवा!
बहुत करारा प्रहार किया है आपने!
चहुँ-ओर हाय-हाय, हाथ-पैर खोय-खाय
ReplyDeleteखून में लटपटाय, मरा या बेहोश है |
नहीं काहू से डरत, बम-विस्फोट करत,
बेकसूर ही मरत, करे जय-घोष है |
टका-टका बिकाय के, ब्रेन-वाश कराय के,
आका बरगलाय के, रहा उसे पोस है |
पब्लिक पूरी पस्त है, सत्ता अस्त-व्यस्त है
सरपरस्त मस्त है, मौत का आगोश है ||
(2)
शक्ल सूरत एक सी, हाथ पैर एक जैसे
नाक कान आँख मुंह, एक से दिखात हैं |
भीड़ - भाड़ हाट चौक, घर द्वार रेस्टोरेंट
आस पास सोये पड़े, बड़े इफरात हैं |
कठपुतली बन के , विभीषण से तनके
यहाँ वहाँ चाहे जहाँ , थैला पहुँचात हैं |
दस - बीस मारकर, भीड़ बीच घुस जात,
आतंकी स्लीपर सेल, यही तो कहात हैं ||
फिर दिया अवसर आतंकियों ने हम भारतीयों को संवेदनाएं प्रकट करने/कराने का...
ReplyDeleteएक और आतंकी हमले को दिया अंजाम...
वाह! अरुणेश जी!
व्यंग्य की बहुत करारा प्रहार !!!!!
दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर धमाका...
अब बयान बाजी शुरू होगी-
प्रधानमंत्री ...... हम आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देंगे ...
दिग्गी ...... इस में आर एस एस का हाथ हो सकता है
चिदम्बरम ..... ऐसे छोटे मोटे धमाके होते रहते है..
राहुल बाबा ..... हर धमाके को रोका नही जा सकता...
आपको पता है कि दिल्ली पुलिस कहाँ थी?
अन्ना, बाबा रामदेव, केजरीवाल को नीचा दिखाने में ????
एक और घटना एक और हमला क्या फर्क पड़ता है फिर वही रटे रटाये बयान शर्म आती है हमें इन पर .
ReplyDeleteAchchha Dhobi pachhad mara hai.......
ReplyDeleteबीच-बीच में हमारी गुप्तचर एजेंसियां तुक्का मारती रहती है की फलां फलां जगह पर कोई आतंकवादी घटना हो सकती है . जब आतंकी घटना होती है तो इनको कभी कुछ पता ही नहीं होता है .
ReplyDeleteअब बाबा और अन्ना को कोई रोक नहीं सकता!
ReplyDeleteसिर्फ पचास सेकेंड में राहुल गन्दी की हवा निकल गयी अस्पताल विजिट करने गए थे हाय हाय सुनके वहां से हवा हो गए !शर्म की बात है की देश भर में बोम ब्लास्ट में सरकार इलाज और मुआवजा देने में जो खर्चा कराती है उससे १० गुना ज्यादा इन गन्दी परिवार की सुरक्षा में खर्च कराती है ! पैसा गरीब जनता का है उनकी सुरक्षा का इंतजाम ही नहीं न अम्बुलेंस और न बर्न वार्ड! ये विषधर कांग्रेश के जहर का इलाज सिर्फ अब अन्ना और बाबा के पास ही है ! जनता उनके साथ पूरी खड़ी है!
अब बिगुल बजने की देर है
"सिंघासन खाली करो कि देखो जनता आती है "
बहुत करारा व्यंग्य किया है आपने!
ReplyDeleteशर्मा जी ने स्टेटमेंट दिया - "हमारे पास कोई खुफ़िया सूचना नही थी"। हमने कहा- "तो मना कर देते आतंकवादियों को कि बिना सूचना दिये बम धमाके मत किया करो, फ़ाउल होता है। संदेश जारी करो कि हे आतंकवादियों खेलभावना का सम्मान करते हुये बम बम खेलो, हर बार सूचना देकर धमाके करने वाले आतंकवादी को हर साल सोनिया गांधी खेल भावना पुरुस्कार से सम्मानित किया करो"............ हा हा हा हा
ReplyDeletetahe dil se salaam apko apke jajbe ko...
ReplyDeleteअब जरा यह भी तो पता चले कि किस बम धमाके में कितने कितने लोग किस किस बिरादरी के मारे गये तभी तो निरपेक्षता और समरसता आयेगी..
ReplyDeleteमित्रों
ReplyDeleteसभी अपना अपना कर्तव्य बहुत ईमानदारी से निभा रहे हैं,
कुछ जो छूट गये मो यह है -
लेखक - लेख, सम्पाद्क - सम्पादकीय, व्यंगकार - व्यंग, टिप्प्णीकार - टिप्पणी लिख कर, पाठक पढ कर...... आदि आदि.....
लेकिन यह कोई यह क्यों नहीं सोचता कि इसके अतिरिक्त भी हमारी भी कुछ भूमिका क्यों नहीं हो सकती है इस प्रकार की घटना को रोकने में
क्या ? कब ? कैसे ? ......................... सोचें !