Thursday, September 29, 2011

2G में फ़ंसे जीजाजी ---- सलाह दो दवेजी

सुबह सुबह नींद खुली ही थी कि भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी पहुंच गये। हमने कहा- "भाई क्या आफ़त आ गयी जो सुबह सुबह पहुंच गये"। शर्मा जी बोले - "दवे जी दस धनपथ से प्यारी मम्मी का फ़ोन आया था, एक गंभीर विषय पर आपसे सलाह लेने को कहा है।" मुफ़्त की सलाह देने का अपना बहुत पुराना शौक है। सो हमने प्रसन्न होकर उनसे समस्या के बारे में पूछा। शर्मा जी बोले - "जीजाजी का नाम आ रहा है 2G घोटाले में बताईये इस मामले से कैसे निपटा जाय"। हमने गंभीर चिंतन के बाद कहा - "हम को शक था ही कि आंधी परिवार का कोई ऐसा आदमी इसमे रूची ले रहा है कि मन्नू से लेकर चिंदीबम तक सब के सब दंडवत होकर फ़ाईल आगे बढ़ा रहे थे। खैर मामला तो गंभीर है प्यारे आपके जीजाजी को अपना नही तो कम से कम आपकी प्यारी दीदी के बारे में सोचना था।"

शर्मा जी ने सर झटकाया बोले -" ये दीदी भी न,  कहां गड़बड़ आदमी से शादी कर ली। मुफ़्त में नाम खराब हो रहा है, संकट खड़ा है सो अलग।"  हमने कहा- ""वह तो भाई आंधी परिवार की खानदानी बीमारी है,  सभी लोग गलत शादी ही करते हैं। देखो आपके प्यारी दीदी के पापाजी ने विदेशी से शादी कर ली। अब लोग सीआईए से लेकर क्या क्या आरोप नही लगाते हैं।  उसके बाद आपकी प्यारी दीदी की दादी जी ने कमाल ही कर दिया था। ले दे कर आंधी नाम इंपोर्ट करके काम चलाना पड़ा" । शर्मा जी ने कहा- "ठीक कहते हो भाई पापाजी के नानाजी ने बस सही शादी करी थी"। हमने कहा भाई उसमे भी गड़बड़ थी फ़र्क बस इतना है कि गलती नानी ने की थी। देखते नही नानाजी की लंपटाई के किस्से तो इतिहास मे दर्ज है विदेशी महिलाओं से प्यार करने की परंपरा भी नानाजी की ही देन है।"

शर्मा जी बोले- "तो भाई रास्ता क्या है, हल बताएं किस्से न सुनाएं"। हमने कहा भाई आंधी परिवार में जीजाओं से किनारा करने की खानदानी परंपरा रही है। वह भी अजमाया जा सकता है और जीजा की बात तो छोड़ो उसमे अभी समय है फ़िलहाल तो मामला चिंदीबम पर अटका है कि बिना किसी समस्या के चिंदीबम को कैसे किनारे किया जाये।  पर तिहाड़ जाते ही चिंदीबम चुप तो नही रहेगा जैसे राजा ने चिंदी बम का नाम लिया था वैसे चिंदीबम भी किसी न किसी का नाम तो लेगा।  विपक्ष भी अभी मन्नू से चिंदीबम को हटाने की मांग कर रहा है उसके बाद मन्नू पर आ जायेगा। जो दोष राजा का है वही चिंदीबम का भी है और वही मन्नू का। घोटाला हुआ है तो तीनो शामिल है आधिकारिक रूप से इनसे आगे बात आपके जीजाजी तक भी आती है पर आपके जीजाजी के फ़ंसने की हालत मे अनिल अंबानी से लेकर कई और बड़े शिवाजी फ़सेंगे,  अब इसकी कितनी संभावना है यह अभी मालूम नही है। "

शर्मा जी ने पूछा- " इन सब लफ़ड़ों के बीच दवे जी हमारी प्यारी दीदी के बारे मे आपका क्या खयाल है।"


हमने कहा  -   उनकी उम्मीद और इंतजार करते हैं।

                    आज भी हम उनसे खूब प्यार करते हैं॥

शर्मा जी भड़क गये बोले - " दवे जी होश मे रहो खबरदार, जो आपने हमारी प्यारी दीदी के बारे में कुछ सोचा तो।"


हम भी भड़क गये - " बड़ी घटिया सोच के आदमी हो यार शर्मा जी,  हम भारत की आम जनता के जैसे उन्हे पसंद करते हैं और पता नही आप क्या सोच बैठे। और पसंद क्यों न करें, आपकी प्यारी दीदी भी तो इंदिरा जी जैसी दिखती है, बाते करती है और शादी की गलती को छोड़ दो तो, समझदार भी नजर आती है। वो ही ऐसा आखिरी रामबाण है,  ऐसी कृष्ण है जो भाजपा के शापित महायोद्धा कर्ण उर्फ़ मोदी को युद्ध के मैदान में धाराशाही कर सकती है। और उनके पास दो राजकुमार भी हैं, खाली पडेरा हटा कर आंधी लगाने की जरूरत थी बस। अब भाजपा तो आपके प्यारे जीजाकी का पीछा पाताल तक नही छोड़ेगी, उनको निपटाये बिना आपकी प्यारी दीदी के सामने उसका उद्धार नही है।"

"और हमको खबरदार करते हो महामूर्ख,  खुद खबरदार रहते  तो आज ऐसे जीजाजी के कारण मुंह छिपाने की नौबत नही आती। सही समय में हमारे जैसा कोई योग्य वर तलाश अपनी प्यारी दीदी का ब्याह रचाते, तो आज सब मामला सही रहता।  उसको भी छोड़ो, आज पूरे देश को मालूम है घोटाला हुआ है और उसमे मन्नू और चिंदीबम शामिल हैं तो उनको गेट बाहर नही कर रहे हो। और हमसे सलाह लेने आये हो,  चलो भागो यहां से,  आ जाते हैं सुबह सुबह सलाह लेने।"


सटपटा के शर्मा जी निकल लिये और हम चैन की सांस ली कि, हमारा बरसो पुराना प्यार सार्वजनिक होने से बच गया। खैर साहब शर्मा जी की प्यारी दीदी का चेहरा और दहेज मे उनके साथ आने वाला जलावा ही कुछ ऐसा है कि इतने सालो बाद भी हम उनको न भूल पाये हैं।

Sunday, September 25, 2011

कालू गरीब हाजिर हो

खचाखच भरे न्यायालय में  कालू को पेश होने की पुकार लगते ही अदालत में कोलाहल मच गया। कटघरे में कालू के खड़े होने के बाद,  उसके खिलाफ़ आरोपों की सूची पढ़ी गयी। पहला आरोप था बत्तीस रूपये रोज से ज्यादा कमाने के बाद भी खुद को गरीब बताकर गरीबों को दी जाने वाली सरकारी सुविधाओं  का लाभ उठाना। दूसरा आरोप था,  श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली नेशनल एडवाईजरी काउंसल के निर्णय को गलत ठहराना।


कालू के वकील दीपक भाजपाई ने आरोपो को सिरे से खारिज करते हुये कहा -" माई लार्ड,  कालू की कमाई किसी तरह भी बत्तीस रूपये रोज से कम है। यह सरकार गरीबी नही, गरीबों को इस देश से हटाना चाहती है। इस लिये ऐसे मनगढ़ंत आरोप लगा रही है।  इस सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिये कि कालू को रोज काम नही मिलता है।"

सरकार की तरफ़ से स्वयं दवे जी याने की हम वकील थे। हमने खड़े होकर कहा- " माई लार्ड, यह कालू सिर्फ़ कालू नही है। ये ऐसे करोड़ो लोगों का नुमाईंदा है, जो अमीर होने के बावजूद गरीब बने रहते हैं। और ऐसे ही लोगो के कारण बेचारे असली गरीबों तक सरकारी मदद नही पहुंच रही है। सबूत मे दी गयी तस्वीरों मे यह कालू चाट खाते, चाय पीते और कुल्फ़ी खाते नजर  रहा है।"

दीपक भाजपाई ने विरोध किया बोले -" माई लार्ड कालू गरीब है तो क्या हुआ, महिने में एकाध दिन अच्छी दिहाड़ी मिलने पर अगर वह कुछ शौक पूरे कर ले,  तो क्या वह अमीर हो जायेगा।"

हमने कहा-" माई लार्ड,  मुझे पता था कि मेरे काबिल दोस्त यही कहेंगे। इस लिये अगला सबूत,  मनरेगा में कालू के अंगूठे का छाप लगी रसीदें पेश कर रहा हूं। कालू ने साल के सौ दिन 120 रूपये की रोजी पाकर काम किया है। अगर यह मान भी लिया जाये कि इसके अलावा कालू ने कोई काम नहीं किया तो भी तकरीबन बत्तीस रूपये रोज की सालाना कमाई की ही गयी है।"

तभी कालू चिल्लाया - " माई बाप,  मुझे सिर्फ़ बीस दिन का काम मिला है, और इसके अलावा बीस दिन की बिना काम,  आधी  हाजिरी दे,  सरपंच के बच्चे ने धोखे में रख अंगूठा लगवा लिया। अगर मुझे मालूम होता कि वह कमीना बाकी साठ दिन की हाजिरी अकेला डकार रहा है, तो मै कम से कम अपनी आधी हाजिरी तो ले लेता।"


दीपक भाजपाई तुरंत खड़े होकर बोले - "माई लार्ड,  सुना आपने,  अब तो यह साबित हो जाता है कि सरकारी वकील का दावा गलत है और कालू की कमाई बत्तीस रूपये रोज से कम है।"

हमने खड़े होकर कहा - " माई लार्ड, हम तो केंद्र सरकार के वकील हैं, राज्य में घोटाला हुआ है कि नही यह नही बता सकते।  अब राज्य में आरोपी के काबिल वकील दीपक भाजपाई की सरकार है। अगर वह स्वीकार कर रहे हैं कि उनके राज्य में मनरेगा में  घोटाला हो रहा है। तब यह माना जा सकता है कि बेचारे कालू को पूरा भुगतान नही मिला है।" 

सकपकाये दीपक भाजपाई खड़े होकर बोले - " नहीं माई लार्ड,  राज्य में मनरेगा का पूरा और सही भुगतान हो रहा है। और कालू को पूरी हाजिरी मिली ही होगी, अतः यह तो बात साबित ही नजर आती है कि कालू बत्तीस रूपये रोज से कमा रहा है।"

 यह बात सुनते ही कालू चप्पल उठा,  दीपक भाजपाई को मारने दौड़ा। हंगामा मच गया और पुलिस वाले कालू को पकड़ बाहर ले गये, पीछे दीपक भाजपाई भी गये। दस मिनट बाद जब वे सब लौटे तो ऐसा लगा कि दीपक भाजपाई ने कुछ लारी लप्पा दे, कालू को मना लिया है।

दीपक भाजपाई गला साफ़ कर बोले -" माई लार्ड यह मान भी लिया जाये कि कालू बत्तीस रूपये रोज कमाता है तो भी यह साबित नही होता कि वह गरीब नही है। बत्तीस रूपये में आज की महंगाई मे आता ही क्या है। दूध 35 रूपये, सब्जियां चालीस से अस्सी रूपया, फ़ल सौ रूपये किलो, मेवे चार सौ रूपया किलो।  ऐसे में बत्तीस रूपये में जीना संभव ही नही सरकारी वकील शायद आज से बीस साल पहले  की बात कर रहे है।"

हमने कहा-  "माई लार्ड,  भारत का आम आदमी,  आम तौर पर आम चीजें ही खाता है खास नही। बत्तीस रूपये में दो किलो गेंहूं  या दस अंडे आ सकते हैं और ऐसी तमाम चीजें आ सकती है जिमके सहारे आदमी आराम से जिंदा रह सकता है। माई लार्ड,  भारत में गरीब उसे कहते हैं जो भूख से मर जाये। और यह बात साफ़ है कि कालू जिंदा रहने लायक कमा ही रहा है। अतः अब ये किसी सरकारी मदद का हकदार नही है।"

दीपक भाजपाई बोले- "माई लार्ड, मेरे काबिल दोस्त से मैं जानना चाहूंगा कि यह बत्तीस रूपये की रकम इनके मुवक्किल  ने कैसे तय की इसका आधार क्या है। जिंदा ही रहना हो तो बाईस या बयालीस रूपये भी तय किया सकते थे पर नही, इन्होने एसी आफ़िस में बैठ मनगढ़ंत रकम तय कर दी है।"


हमने कहा - माई लार्ड बत्तीस का आंकड़ा मनगढ़ंत नही है इसके पीछे आर्थिक से लेकर ऐतिहासिक कारण मौजूद हैं। मेरे मुवक्किल ने तीन बातों का ध्यान रखा,  पहले मुंह में बत्तीस दांत होते हैं,  दूसरे आदमी इतना ज्यादा न खाये कि कमर की साईज बत्तीस  से अधिक हो जाये और तीसरा और अंतिम कारण मेरे मुवक्किल  नेशनल एडवाईजरी काउंसिल की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी विक्रमादित्य के सिंहासन ( जिसमे बत्तीस कठपुतलियां थी, और उसमे बैठा आदमी अद्भुत और सटीक न्याय करता था ) से बहुत प्रभावित हैं। अतः उन्होने भी अपने आसपास बत्तीस कठपुतली सलाहकारों को बैठा रखा है,  उनकी सलाह से ही यह रकम तय की गयी है।"


दीपक भाजपाई बोले - "माई लार्ड,  क्या मेरे काबिल दोस्त यह कहना चाह रहे हैं कि देश की सौ करोड़ जनता सिर्फ़ रूखा सूखा खाकर जिंदा रहे। उसे स्वादिष्ट चीजें खाने का कोई अधिकार नही है?  इससे साफ़ पता चलता है कि इनके मुवव्किल याने श्रीमती सोनिया गांधी का दल इस देश के आम आदमी को कीड़ा मकौड़ा समझता है। क्या यह मासूम कालू  फ़ल, सब्जी, दूध, मिठाई न खाये,क्या यह कभी मुर्गा मछली खा ले तो इसे गरीबो की श्रेणी रहने का हक नही। माई लार्ड मै आपसे दरख्वास्त करता हूं कि आप इनके मूर्खतापूर्ण तर्कों को खारिज करते हुये इस बेचारे कालू को गरीबो को मिलने वाली सुविधा पाने का और कालू गरीब कहलाने का हक पुनः प्रदान करें।


हमने खड़े होकर कहा- "माई लार्ड,  मेरे मुवव्किल को इस कालू से  पूरी सहानुभूती है। मेरे काबिल दोस्त,  दीपक भाजापाई कालू को और आपको भावनापूर्ण तर्क दे, बरगलाने का भरसक प्रयास कर चुके हैं। पर मै आपके सामने एक ऐसा तथ्य रखने जा रहा हूं जिससे इस बारे में कोई संशय नही रह जायेगा।"


"माई लार्ड,  यह है यूएन की रिपोर्ट, जिसमे कहा गया है कि हर साल भूख से मरने वाले दस आदमियों के मुकाबले ज्यादा खाने से सौ आदमी मारे जाते हैं। क्या मेरे काबिल दोस्त ने इस ओर सोचा है कि इस मासूम कालू को यदि दूध अंडा चिकन तेल धी चाकलेट खाने दिया गया तो इसके हार्ट मे कोलेस्ट्राल की मात्रा बहुत बढ़ जायेगी, कभी भी इसे हार्ट अटैक आ जायेगा। और माई लार्ड आजकल खेती मे रसायनों का अत्यधिक इस्तेमाल होने के कारण,  ज्यादा खाने से कैंसर होने की कितनी संभावना बढ़ जायेगी। और तो और माई लार्ड, अगर कालू ने यूरिया से बना दूध पी लिया तो इसकी किडनी फ़ेल होने का खतरा है। और माई लार्ड इनमे से कुछ भी इसे हो गया तो इसके मासूम बीबी बच्चे इसके इलाज के लिये दर दर ठोकरें खायेंगे और उसका पैसा कहां से लायेंगे।"

"इन सबसे भी उपर माई लार्ड,  इन सब बेकार चीजों को खाने से आदमी को मोटापा आ जाता है। फ़िर यह बेचारा कालू मोटापे के कारण सरकारी योजनाओं में काम नही कर पायेगा। और अगर ऐसा हो गया तो इसके परिवार का अंजाम क्या होगा।  इसलिये माई लार्ड मेरी आपसे गुजारिश है आप श्रीमती सोनिया गांधी के द्वारा अपनी कठपुतलियों की सलाह से लिये गये इस बेहतरीन निर्णय को तत्काल लागू करे।"


जज साहब ने अपना निर्णय सुनाया -  "तमाम दलीलों के मद्देनजर यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि कालू का अपने गरीब होने का दावा गलत है। अतः उसका नाम कालू गरीब से बदल कालू आम आदमी किया जाता है। और कालू के वकील दीपक भाजपाई को सख्त ताकीद की जाती है कि आज के बाद फ़िर किसी कालू जैसे मासूम को बरगला उसका और अदालत का कीमती समय जाया न करे।"


Thursday, September 22, 2011

सत्ता सुंदरी के डाकिये दवे जी और नेता गण

हम सत्ता सुंदरी को पत्र पहुंचा लौटे ही थे कि एक भाजपाई नेता हम से आकर लिपट गये। हमनें हड़बड़ा कर दूर धकेला, कहा- " ए भाई दूर हटो, हम उस टाईप के आदमी नही हैं।"  नेताजी शर्मांए, बोले -" दवे जी आप हमें गलत समझ रहे हैं। वह तो आप सत्ता सुंदरी से मिल कर लौटे हो न,  इसलिये हम आपसे लिपट गये कि उनकी कुछ सुगंध मिल जाये।"  हमने माथा ठोका- "अरे भाई, क्या किसी सुंदरी को पत्र लेकर आये डाकिये से लिपटते देखा है क्या, जो उनकी सुंगध पाने हमसे लिपट रहे हो,  खैर क्या काम है बताईये।"  नेता जी फ़िर हमारे समीप आ गये बोले


दवे जी कुछ तो हाल बताओ  सुंदरी की  कयामत बाहों का ।

वो जो सिमटते होंगे ना उनमें  मियां वो तो मर जाते होंगे ॥


हमने कहा -"मरते नही है नेता जी, पगला जाते हैं, फ़िर सत्ता सुंदरी ऐसा झटका देती है कि चारो खानें चित्त,  आप खामखां एलिया साहब की शायरी मत चटकाओ, मुद्दे पर आओ"।

नेता जी बोले- " आप सत्ता सुंदरी को किसका पत्र पहुंचा कर आये हैं, बताईये।"  हमने कहा-  "प्रेम पत्र पहुंचाने का काम बड़ा सीक्रेट होता है। किसी को कानो कान खबर न होनी चाहिये,  हां शादी के बाद डाकिया भले डींग हांक सकता है कि हम न होते तो ये रिश्ता परवान न चढ़ता।"  तभी एक कांग्रेसी नेता पहुंच गये, बोले- "और किसका पत्र होगा मोदी ही होगा वही भूख हड़ताल पर बैठा है उपवास की नौटंकी कर रहा है"।

हमने कहा - " क्यों भाई नौटंकियो का ठेका सिर्फ़ कांग्रेसियों को मिला हुआ है क्या कि विरोधियों के राज्य में पहुंच हाय तौबा मचाने लगे,  कोई उपवास में बैठा हो तो सामने तंबु डाल के अपना नौटंकी चालू कर दिया"।


फ़िर हमने कहा- "भाईयो हम आप लोगो जैसे हराम के पैसों में नही जीते हैं, काम करना पड़ता है सो काम बताना हो तो बताओ वरना हम चले"। दोनो नेताओं ने सता सुंदरी तक पहुंचाने अपनी अपनी चिठ्ठी हमारे हाथ में रख दी, हमने कहा- "ठीक है भाई, पहुंचा देंगे आप लोग जाईये।"  दोनो नेताओं नें टलने से इंकार कर दिया, बोले- "दवे जी, जब तक चपरासी का हाथ गरम न हो फ़ाईल उपर नही आती और अफ़सर की नजर नही जाती। ठीक वैसे ही अगर हम आपको खुश न करेंगे तो आप हमारी चिठ्ठी रास्ते में गुम कर देंगे।"

हमने कहा- "खुश कर दो भाई कहां दिक्कत है"।  वे बोले- "दवे जी, एक बार सत्ता सुंदरी हमारी हो जाये,  आपका खुद का पक्का मकान होगा, खेती होगी, बच्चे अच्छी स्कूलों में पढ़ेंगे,  पक्की सड़क होगी, सुरक्षा होगी, अच्छे अस्पताल होंग।"। हमने बीच टांग अड़ाई- "ओ भाईयों होश में आओ, क्या  रटे रटाये वादे पढ़ रहे हो और हमको भारत की आम जनता के जैसा समझ लिया है क्या।" कांग्रेसी नेता ने सुर बदले, बोले - "आप गुजरात के दंगो को भूल गये। तीन हजार लाशों का हिसाब आप को याद न रहा जो आप मोदी का पत्र पहुंचाते हो।"  हमने बड़ी पीड़ा से कहा कि

जो दामनो मे दाग ही ढूढेंगे आलम।

 फ़िर तो कभी कोई अपना  न मिलेगा ॥

हमनें कहा- "कांग्रेसी बाबू , चौसठ साल में कितने मरीजो, नवजात शिशुओं, महिलाओं नें बिना इलाज के दम तोड़ा होगा और कितने लोग भूख से, कर्जे में डूब मरे होंगे, आप तो पुरुलिया जैसे आतंकवादियों को हथियार देने मे भी गुरेज नही करते हो भिंडरावाले को भी आपने ही खड़ा किया था। सिख दंगो समेत देश मे हुये कितने दंगो का खून आपके सर है। हम तो यह सोचते हैं कि मोदी जी दोषी है या नही यह तो उपर वाला ही जानता होगा और दोषी हुये भी, तो क्या उसने अपनी गलती सुधारी या नही। दूसरी बार दंगे हुये या नही,  इमानदारी से विकास किया या नही और उस विकास का लाभ अल्पसंख्यकों और पिछड़ों को मिला या नही।"

हमने कहा- "खैर आप यह छोड़ो ये बताओ कि आप कैसे पत्र भेज रहे हो,  कांग्रेस में गांधी परिवार के अलावा कौन सत्ता सुंदरी के ख्वाब देख सकता है। नेता जी ने सीना फ़ुलाया बोले हम बाबा का ही पत्र लाये हैं।" हमने कहा- " इसके साथ 2G घोटाला, KG बेसिन घोटाला, कामनवेल्थ घोटाला आदी के सिफ़ारशी पत्र भी लगा दो, सत्ता सुंदरी पर बड़ा अच्छा प्रभाव पड़ेगा।"  फ़िर हम भाजपाई की ओर मुड़े पूछा -" आप मेरे ब्रदर की दुलहन पिक्चर देख आये हो क्या, जो मोदी भाई के होते हुये पत्र भेज रहे हो।" भाजपाई बोले गठबंधन की समस्या के कारण और हमारे यहां अनेक योग्य दावेदार हैं सत्ता सुंदरी के।

हमने कहा- " क्या योग्यता है आपके योग्य उम्मीदवारी की, कांग्रेसियों के समान भ्रष्टाचार, रिश्वत, बेईमानी, अरे भाई सत्ता सुंदरी को बेईमान वर ही चाहिये तो ये कांग्रेसी क्या बुरे हैं,  एक से बढ़ कर एक रिकार्ड बना रहे हैं। हां झूठे दुष्प्रचार के मामले मे आप जरूर आगे हैं कि मोतीलाल नेहरू का बाप मुसलमान था, स्विस बैंक मे फ़ला का इतना पैसा जमा है, हिंदु राष्ट्र का पतन ईरान से चालू हुआ, मुसलमान लव जिहाद फ़ैला रहे हैं, मुसलमानो ने ऐसा किया, वैसा किया। बंग्लादेश से सीमा विवाद के निपटारे में मनमोहन ने देश बेच दिया। और फ़ैला भी क्या सकते हो, इमानदारी तो है नही। एक बात कान खुल कर सुन लो हम मोदी के अलावा किसी के पत्र की सिफ़ारिश करने वाले नही हैं। 

इतना सुन दोनो भड़क गये, हमसे बोले- "डाकिया हो सीधे पत्र पहुंचा देना, होशियारी दिखाने की जरूरत नही है।" उनके जाने के बाद बाजू में खड़े कालू ने हमसे कहा- "अब क्या करोगे भैय्या"। हम बोले- "पत्र नाली में और क्या।" कालू ने सर खुजाया बोला- " आपको सत्ता सुंदरी का डाकिया किसने बनाया।" हमने कहा- " प्यारे आप और हम ही तो इन नेताओं और सत्ता सुंदरी के बीच माध्यम हैं  हम ही रिश्वत न लें और अपना काम इमानदारी से करें तो क्या मजाल है कोई बेईमान सत्ता सुंदरी पर डोरे डाल सके।"


खैर साहब यह तो रही हमारी बातचीत, आप भी ध्यान रखियेगा सत्ता सुंदरी तक कोई गलत आदमी न पहुंच पाये। जात,धर्म, नफ़रत, और लालच के आधार पर दिया गया वोट, हरदम देश को पतन की ओर ही ले जाता है।

Monday, September 19, 2011

सखी मन्नू बहुत ही कमात है महंगाई डायन खाये जात है

मित्रो आपके खासमखास याने दवे जी नाम के फ़ोकटचंद सलाहकार को दस धनपथ से बुलावा आया स्वयं सोनिया जी का।  जाकर बैठे ही थे कि सोनिया जी गुनगुनाते हुये कमरे में पहुंची कि "सखी मन्नू बहुत ही कमात है, महंगाई डायन खाये जात है"।  वे हमें देख कहने लगीं-  " दवे जी महंगाई सुरसा के मुंह की तरह बढ़्ती ही चली जा रही है, घर खर्च पूरा नही बैठता आप कोई रास्ता दिखायें"। हमारा मुंह खुला का खुला रह गया,  कहा- "मम्मी जी आप और पैसे की कमी, चारों ओर इतना भ्रष्टाचार कर रहे हैं आपकी पार्टी वाले और मम्मी को कड़की, हद हो गयी जनता से बेईमानी तो छोड़ो आपसे भी बेईमानी करने लगे"।

मम्मी जी भड़क गयीं,  बोलीं - "आपको रास्ता दिखाने बुलाया है, होशियारी दिखाने नहीं।  दुखी हम देश की आम जनता के लिये हैं कि हमारा मन्नू इतना विकास करवा रहा है और फ़िर भी जनता महंगाई से त्रस्त है, इससे कैसे निपटा जाये यह बताओ"। हमने कहा -"  आपकी पार्टी में  दो प्रकार के लोग तो हैं,  कमाने के लिये अर्थशास्त्री और बचाने के लिये वकील,   हम आपको क्या सलाह दें।  वैसे आपके मन्नू को कहिये कि पेट्रोल डीजल का भाव कम करवा दे कुछ तो राहत मिलेगी"।


मम्मी जी बोलीं- "हमने कहा था मन्नू से,  पर उनका कहना था कि दाम अंतराष्ट्रीय मूल्यों पर ही निर्भर करते हैं"। हमने कहा- "मम्मी जी यह सब टोपी बाजी की बाते हैं, जनता त्राहिमाम कर रही है, आपको पता नही है, लोग बोल रहें है कि दिल्ली में बम विस्फ़ोट से आपकी धमाकेदार देश वापसी हुयी है और आपकी पार्टी ने मुंह दिखाई में आपको पेट्रोल की मूल्य वृद्धी दी है"। मम्मी जी दुखी हो गयीं,  बोलीं- "हम करें क्या, ये लोग तो बहाना मार देते हैं, अब हम सलाह लें तो किससे"। हमने कहा - "बात सही है मम्मी जी, अब लड़का ही कालेज फ़ेल नालायक निकल जाये तो कोई क्या करे"।  मम्मी जी भड़क गयीं- "क्या मतलब है आपके कहने का"। हमने बात संभाली- "क्या है मम्मी जी ये सब मंत्री तो आपके पुत्रवत ही हैं न इतना पढ़ कर आये हैं, लेकिन देखिये फ़ेल हो गये  मंहंगाई नही रोक पा रहे"।


सोनिया जी बोलीं- "अब करना क्या होगा"।  हमने कहा- "मम्मी जी आपका जो मन्नू है न,  उसको कालेज में किसी ने पढ़ा दिया कि मंदी उर्फ़ रिसेशन बुरी चीज है। इसलिये उसे आने देना ही नही चाहिये, यह बात गांठ बांध कर मन्नू ने रख ली है और यही मुसीबत की जड़ है"। वे बोलीं- "पगला गये हैं क्या दवे जी, रिसेशन से तो देश में हालात बिगड़ जायेंगे"। हमने कहा- "आपके मन्नू ने कृत्रिम तेजी लायी है तो उससे निपटा मंदी के हथियार से ही जा सकता है। मुख्य बात यह कि पिछली बार जब मंदी आयी तो आपके मन्नू नें उससे बचने के लिये नोट छाप कर बाजार मे ढकेल दिये। उससे महंगाई बढ़ गयी"। बात मम्मी जी के भेजे मे न घुसते देख हमने उदाहरण दिया- "देखिये मुख्यमंत्री के  पद के तीन दावेदार है,  सबके पास दस दस करोड़ रूपया है तो आपको  मुख्यमंत्री पद के पद की क्या कीमत मिलेगी"। मम्मी जी बोलीं- "दस करोड़ रूपये और कितनी"।  हमने कहा -"और तीनो के पास बीस करोड़ रूपया हो तो"। मम्मी जी खुश हो कर बोलीं- "बीस करोड़ रूपये"।  हमने कहा- "देखिये मुख्यमंत्री के पद के लिये महंगाई बढ़ गयी की नही। ऐसे ही देश में आपके मन्नू ने नोट छाप कर पैसा डबल कर दिया है, सो कीमतें डबल हो गयी है।

मम्मी जी बोलीं- "अब कैसे कम होंगी" हमने कहा- "आपका मन्नू बैंक की ब्याज दरें बढ़ा रहा है, पेट्रोल और अन्य चीजों के भाव बढ़ा रहा है कि इससे अतिरिक्त पैसा मार्केट से बाहर हो जाये। पर इससे फ़ायदा हो नहीं रहा कुछ उल्टे आम आदमी के सामान खरीदने की क्षमता कम हो रही है। मम्मी बोलीं - "यस, फ़िर मांग घटने से भाव गिर जायेंगे"। हमने सिर ठोका- " मांग विलासिता की चीजो की घटेगी, जरूरत की चीजों की नही।

बात मम्मी जी के भेजे में घुस गई, बोलीं- "इसका उपाय क्या है दवे जी"। हमने कहा- "हायर इनकम ग्रुप पर तगड़ा टैक्स लगाना। छठवे वेतनमान में बढ़ी अनाप शनाप तंख्वाहों कॊ कम करना और प्राईवेट सेक्टर में सैलरी के कंपोनेंट को तय कर अनाप शनाप तनख्वाहों में कमी लाना। उंचे भ्रष्टाचार वाले क्षेत्रों में सरकारी खर्च को न्यूनतम स्तर पर ले आना। फ़ूड सेक्टर को आर्गेनाईज कर बिचौलियों को खत्म करना। उंचे सरकारी पदो पर बैठे अधिकारियों और पूंजीपतियों के कृषी जमीन के स्वामित्व पर प्रतिबंध लगाना। इससे करोड़ो एकड़ बेकार पड़ी कृषी भूमी में उत्पादन होगा, जमीन की बढ़ती अनाप शनाप कीमतों पर नियत्रण आयेगा। और आखिरी कदम भारत के तैतीस प्रतिशत क्षेत्र मे फ़ैली वनभूमी से साल सागौन नीलगिरी जैसे पेड़ों को हटा उनमे फ़ल और फ़ूलदार पेड़ों का रोपण करना। इससे आदिवासी और वन्यप्राणियों को भोजन मिलने के साथ साथ शेष लोगो को भी सस्ती कीमतों पर भोजन मिलेगा"।


इतना सब सलाह दे, हम तो साहब वापस आ गये पर हमें आशा नही कि प्यारी मम्मी और उनके चालीस चोर हमारी सलाह में अमल लायेंगे। हां बाबा रामदेव इन सलाहों को अपने एजेंडे मे ले लें तो भी कम से कम उनका अभियान तो चमक ही जायेगा।

Wednesday, September 14, 2011

लालकिशन आडवानी को सत्ता सुंदरी का प्रेमपत्र

नमस्कार

आपको प्यारे इसलिये न लिखा कि मेरे स्वयंवर में भाग लेने के लिये आपका इस तरह खड़े हो जाना मुझे बिल्कुल अच्छा नही लगा।  जरा सोच तो लेते कि आपके घर में मोदी जैसे जवान और योग्य वर होंते हुये इस उम्र में आप वानप्रस्थ आश्रम ग्रहण करना छोड़ युवाओं के साथ होड़ मे आ रहे हैं।  और खड़े होने के पहले  यह भी सोचते तो कि बाकी प्रतियोगी आपके बारे मे क्या क्या कहेंगे।  ललुआ तो एक ही बात कहता है कि आप पाईपलाईने में रहोगे और मनीष तिवारी कहेगा कि आडवानी जी किस मुह से सत्ता सुंदरी के स्वयंवर मे आये हैं वे तो खुद भ्रष्टाचार की अनेकों सुदरियों से संबंधो मे लिप्त हैं। दिग्विजय सिंग आपके द्वारा लिखा सोनिया गांधी को माफ़ीनामा लहरायेंगे तो कपिल सिब्बल कांधार प्रकरण की याद दिलायेंगे।

और किस किस चीज की बाते होंगी क्या बताउं जिन्ना की मजार से लेकर संसद पर हमले तक। पर आप तो हमारी चाह में इस कदर अंधे हो चुके हैं कि बुढ़ापे में फ़जीहत  करवाने पर तुले हैं। और कहां कहां जायेगें रथ से आपका कलेजा न कापेंगा,  गुजरात से निकलते ही मध्यप्रदेश में अपने अपने मंत्रियों की  करतूत देख पायेंगे और अफ़सरों द्वारा कत्ल करवाई गयी शेहला मसूद के घर जाने की हिम्मत तो आप शायद ही जुटा पायेंगे। हरियाणा मे भजनलाल से किया आपका गठजोड़  आपको मुंह चिढ़ायेगा और दिल्ली मे तो आप रहते ही हैं वहां आपको कौन मुंह लगायेगा।  जब आपके घर का घेराव हुआ था क्या तब आपको समझ में नही आया कि आपकी अब देश मे क्या राजनैतिक हैसियत है। उत्तर प्रदेश के निवासी तो आपसे पहले ही बेजार हैं हां बिहार मे जरूर नीतिश बाबू की जयजयकार है।

बंगाल और उड़ीसा न ही जाये तो अच्छा होगा खाली फ़ोकट डीजल और दिल जलेगा। छ्त्तीसगढ़ में आके आप जार जार आसूं बहाते आदिवासियो से क्या रूबरू हो पायेंगे या भ्रष्ट नेता अफ़सर से मिलकर ही थ्रू हो जायेंगे। वहां चारॊ ओर नजर जरूर घुमा लीजियेगा कुछ ही दिनो मे आपकी पार्टी की करतूतों का भयंकर काला चिठ्ठा वहीं से सामने आने वाला है।


आंध्रप्रदेश जाईयेगा तो ओबलापुरम माईनिंग कंपनी वाले आपके लिये हेलिकाप्टर भिजवायेंगे और सीधे रेड्डी बंधुओं के पास बेल्लारी ले जायेंगे। बाकी तो क्या कहूं समय मिले तो वहां लोकायुक्त की रिपोर्ट जरूर पढ़ लीजियेगा और वही से सीधे वापस की ओर बढ़ लीजियेगा आगे जाना बेकार है,  केरल में कुछ नही और तमिलनाडू मोदी जी के लिये बेकरार है। महाराष्ट्र  में अपनी तरह पाईप लाईन में बैठे अपने प्रदेश के नेताओं से जरूर मिल लीजियेगा और कोई रिलायंस के गैस घोटाले की बात पूछे तो तुरंत निकल लीजियेगा। मन ज्यादा ही घबरा जाये तो गुजरात पहुंचियेगा और वहां सुशासन और इमानदारी की हवा में जरूर सांस लीजियेगा।  फ़िर यह सोचियेगा कि मैने जो इतनी यात्रा की, उसके इंतजाम और भीड़ जुटाने के लिये खर्च किये गये पैसे आये कहां से हैं।  क्या भ्रष्टाचार  के पैसे से अभियान चला आप मुझे रिझा लेंगे आडवानी जी।

यह भी मैं भूली नहीं हूं कि अटल जी के बाद आपके ही नेतृत्व मे भाजपा का नैतिक पतन हुआ था और आगे आपका हाल बताउंगी तो सोनिया गांधी की तरह अब मुझसे भी आप माफ़ी मांगते नजर आयेंगे। अब मुझे ऐसा वर चाहिये जो कांग्रेसियों और उनके भ्रष्टाचार की हैवानियत सात समुंदर पार फ़ेंक आये और यह काम मोदी जी के अलावा और किसी से होने वाला नहीं हैं।

आपकी परायी

सत्ता सुंदरी


पुनःश्च  - आपकी मेरे प्रति ललक और छटपटाहट  को मद्दे नजर रखते हुये मैं जाते जाते आपको एक क्लू दे रहीं हूं। अगर फ़िर भी मेरे बिना आपसे रहना संभव न हो तो चुपचाप गाड़ी उठायें और भाजपा शासित राज्यों का गहन दौरा करें। बिना अपने चाटुकार मंत्रियों कार्यकर्ताओं को साथ लिये जनता से मिल, उनका हाल जाने और वहां हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आवाज उठायें और दोषी मंत्री अफ़सरों को बर्खास्त करवायें। तब मैं आपकी असीम चाह को एक बार मौका दे सकती हू। सावधान इसके बिना अगर आपने मेरे स्वयंवर में भाग लेने की कोशिश करी तो सिवाय फ़जीहत और जगहंसाई के कुछ हाथ न आयेगा

Monday, September 12, 2011

एयर इंडिया घोटाले पर फ़ुल्फ़ुल पटेल जी से चर्चा

नुक्क्ड़ पर हमने भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी को घेरा- " शर्मा जी ये एयर इंडिया घोटाला का क्या मामला है"। शर्मा जी बोले- "पटेल जी विमानन मंत्री थे, मेरे साथ हैं, वे बतायेंगे"। पटेल जी बोले -" भाजपा सरकार के समय ही एयर इंडिया की  हालत खस्ता थी, विमान बीस साल पुराने थे, कंपनी कर्ज में डूबी हुयी थी। देश की इज्जत का सवाल था, सो हमने फ़ैसला किया कि नये विमान खरीद कर इसे नयी जिंदगी दी जाये"। हमने कहा - "   कुछ जहाज ही बीस साल पुराने थे और कंपनी के उपर केवल 29 करोड़ का कर्ज था"। पटेल जी बोले - "जहाज खरीदने का फ़ैसला भाजपा सरकार का था"। हमने कहा - " उसने केवल 25 जहाज खरीदने का फ़ैसला किया था तो आपने 111 कैसे ले लिये"। पटेल जी बोले - " यह निर्णय हमारा नहीं एयर इंडिया  का था"। हमने कहा- "ये रहा आपका पत्र, जो आपने एयर इंडिया को लिखा था कि बढ़ी हुयी संख्या का प्रपोजल भेजे"।

पटेल जी ने बात घुमाई - "हवाई यात्रियों की संख्या में तेजी से उछाल आया था, बढ़ी हुयी संख्या में हवाई जहाजों की आवश्यकता थी"। हमने कहा- " फ़िर एक बात समझ में नही आयी कि जब आपने इतने ज्यादा विमानों का आर्डर दे ही दिया था तो फ़िर निजी कंपंनियो को आपने क्यों जहाज चलाने छूट दी, अब उनके विमान और  एयर इंडिया के बढ़े हुये विमान मिल कर तो विमान अतिरिक्त हो गये कि नही और एयर इंडिया के विमान अब आधी कैपेसिटी मे उड़ रहे हैं, उसको तगड़ा नुकसान हो रहा है। पटेल जी ने नया तर्क दिया -"अगर हम एयर इंडिया के सामने कांपीटीशन नही रखते तो वह तो मनमाना किराया वसूलता देश के आम आदमी को नुकसान होता, अब देखिये कीमते वाजिब है कि नही"।

हमने कहा- "पटेल जी, क्या देश भक्त आदमी हो आप, मान गये याने पहले विमान खरीदे कि यात्रियों को कम न पड़े और फ़िर जब विमान आ गये तो आपने निजी कंपनियों को भी बुला लिया कि भले एयर इंडिया के प्लेन घाटे मे उड़ें,  लेकिन आम आदमी को किराया मंहगा न पड़े।  अब यह भी बता दो कि जिन विदेशी मार्गों मे एयर इंडिया को मुनाफ़ा हो रहा था जैसे गल्फ़ आदि उसे आपने विदेशी कंपनियों के साथ समझौता कर उनके लिये क्यों खुलवा दिया। पटेल जी बोले - किराया कम करवाने के लिये, आम आदमी के फ़ायदे के लिये ही हम काम करते हैं और एयर इंडिया को भी तो वहां छूट मिली"।

हमने कहा - "भारत के 25 एयरपोर्ट की अनुमती  के बदले उनके एक या दो एयरपोर्ट की अनुमति मिली। वाह मान गये क्या सौदा किया 25 दिये दो लिये और फ़ायदा हुआ किसको विदेशी एयर लाईन भारत की निजी एयर लाईन और आपके अनुसार आम जनता का। अब तीन के फ़ायदे के लिये तो एक एयर इंडिया नुकसान अनदेखा किया ही जा सकता है। बेचारे एयर इंडिया वाले, आपको पत्र लिखते रह गये पर आप हैं कि आम आदमी का हित करते रहे। भले उससे निजी एयर लाइन और विदेशी एयर लाईन को फ़ायदा हो गया"।

हमने फ़िर कहा- "अब यह भी बता  दो कि इंडियन एयर लाइन और एयर इंडिया का विलय  क्यों करा दिया"। पटेल जी बोले- "भाई बचत के लिये, दो एम डी के बदले एक, दो आफ़िस के बदले एक आफ़िस इत्यादि। अब यह लोग फ़ायदा नहीं उठा पाये तो इसमे मंत्री क्या करे"। हमने कहा- " पटेल जी फ़िर भारत सरकार के इतने सारे सचिव, पीआईबी जैसे संस्थान तो बेवकूफ़ हैं कि  इतनी सरल बात उनको समझ नही आयी खामखां विरोध करते रहे और कैग भी मूर्ख है कि आप के इस निर्णय को घातक बता रहा है"। पटेल जी बोले- "अपनी अपनी सोच हम क्या कहें"।


हमने कहा- "हम बताते हैं सुनिये, आप पर लगाया कैग का आरोप अक्षरशः सही है। आपने मंत्री पद संभालने के केवल दो महिने के अंदर इतनी बड़ी संख्या मे विमानो के खरीदे जाने की योजना बना ली थी और यह खरीद जरूरत के आधार पर नही आपकी श्रद्धा से की गयी आपके दबाव मे एयर इंडिया ने इसे औचित्य पूर्ण ठहराने के लिए उलजुलूल तर्क और विश्लेषण तैयार किये। ये विश्लेषण इस हद तक बेवकूफ़ाना है कि एमबीए के प्रथम वर्ष का विद्यार्थी भी यदि इसे प्रोजेक्ट के रूप मे सबमिट करता तो फ़ेल हो जाता। सारे संस्थान इस  विश्लेषण को किसी जादुई शक्ती के दबाव मे पास करते रहे। यह जादुयी शक्ति इतनी ताकतवर थी कि केंद्र के पास यह प्रपोजल पहुंचते ही केवल सात दिनो मे ग्रुप आफ़ मिनिस्टर्स से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसे हरी झंडी दिखा दी और एयर इंडिया के पास महज 350 करोड़ रूपया होने के बावजूद 60000 करोड़ की खरीद का आर्डर देकरअग्रिम का भुगतान भी हो गया, बात साफ़ है आप लोगो ने हजारो करोड़ घूस खायी है"।


तनातनी बढ़ती देख शर्मा जी नें दखल दिया-  "दवे जी आप खामखां गरम हो रहे हो अभी तो रिपोर्ट आयी है संसद में पीएसी जांच करेगी"। हमने कहा- "फ़िर उसकी रिपोर्ट आपके खिलाफ़ आयेगी तो आप बैठक मे हंगामा कर दोगे, अध्यक्ष बदल दोगे"। शर्मा जी बोले- "कोर्ट कचहरी भी है, आप चिंता न करे"। हमने कहा- "कैसे आरोप सिद्ध होगा, G.O.M की अध्यक्षता श्री चिदंबरंम जी कर रहे थे, उन्होने हरी झंडी दिखाई है। अब जांच एजेंसियो के मालिक तो वही हैं, क्या खाक जांच होगी मामले की। उसके भी उपर चले जाओ, आरोप लगा भी दोगे तो  आरोपी अदालत में बयान दे  देगा कि मैने जो किया G.O.M और प्रधानमंत्री की अनुमती से किया तो आरोप क्या खाक साबित होंगे "।

शर्मा जी ने लाचारी से कंधे उचकाये- "अब आपको संसद और न्यायपालिका मे ही भरोसा नही रह गया तो क्या किया जाये"। हमने हाथ जोड़े कहा -" भाई जितना पैसा खाना है, सीधे खा लिया करो।  खामखा पांच रूपये कमीशन के चक्कर मे देश का सौ रूपया बरबाद करते हो।  अब साठ हजार विमान खरीद मे हद से हद कितना मिला होगा पांच हजार करोड़, इतने आपने सीधे ले लिये होते तो पचपन हजार करोड़ तो देश के बच जाते। निजी एयर लाईनो ने अनुमती के लिये कितनी घूंस दी होगी हजार करोड़ सीधे हजार करोड़ ले लेते तो आज एयर इंडिया मुनाफ़े मे चलती यही बात विदेशी एयर लाईन और निजी कंपनियों को दी छूट पर भी लागू होती है।

अब साहब शर्मा जी ने तो कह दिया है कि प्रस्ताव तो लाजवाब है, हम राजी हैं। सो मेरी आपसे यानी आम जनता से गुजारिश है कि सत्ता रूढ़ पार्टियों को हर काम में देश की ओर से कुछ प्रतिशत कमीशन दे दिया जाय तो हमारे भारत वर्ष का हर साल खरबों खरब रूपया बचेगा।










Friday, September 9, 2011

बाबा रामदेव की ट्रेनिंग

 नुक्कड़ में एक सज्जन पता पूछते पहुंचे, पूछा - "भाई वो मुफ़्त में सलाह देने वाले फ़ोकटचंद लेखक दवे जी कहां मिलेंगे"। हम तक वे पहुंचे तो मालूम पड़ा कि बाबा रामदेव नें हमें बुलाया है,  सो हम पहुंचे उनके पास आशीर्वाद देने के बाद बाबा ने अपनी व्यथा बताई-  "सरकार पत्रकारों के माध्यम से उटपटांग आरोप लगवा कर  छवि बिगाड़ने का प्रयास कर रही है"। हमने कहा- "बाबा जी मान लो आप नही दवे जी पतंजली के कर्ता धर्ता हैं, दीपक  चौरसिया जी हम पर आरोप लगाते जायें और हम जवाब देते जायेंगे,  आप उन जवाबो का रिहर्सल कर लेना और फ़िर आप की छवि सरकार नही बिगाड़ पायेगी।

बस क्या था  दीपक चौरसिया के हमसे  सवाल जवाब शुरू हुये।


दीपक चौरसिया - " दवेजी आप पर आरोप है कि आप ट्रस्ट और कंपनियों के माध्यम से जनता के धन का दुरूपयोग कर रहे हैं"।

 दवेजी - "भाई हमको जनता ने बिना किसी शर्त के दान दिया,  कि आप जो मर्जी चाहें,  इस धन का उपयोग करें और  हम योग के माध्यम से, दवाईयों के माध्यम से जन सेवा कर रहे हैं। अब यदि सरकार को लगता है कि दुरूपयोग हो रहा है, नियमो का उल्लंघन हो रहा है। तो जांच कराये हमको जेल भेज दे। हम इस सरकार के खिलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं।  नयी सरकार आयेगी, फ़िर इनकी जांच होगी।  बोलते हैं कि हमने एक करोड़ का घपला किया है तो दस साल की जेल दवे जी  को दे दो और इन लोगो ने सौ लाख करोड़ के घपले कियें है तो इनकी सजा कितनी होगी यह जनता तय करेगी"।


दीपक चौरसिया -  "दवेजी शीशे के घरों मे रहने वाले दूसरों पर पत्थर नही फ़ेकते, यह आप क्यों भूल गये थे"।


 दवेजी - "हां भाई रहते हैं जीवन सार्वजनिक है, लोगों से रोज मिलते हैं।  ये कांग्रेसी तो लोहे के घरो मे रहते हैं क्या करते हैं, जनता को मालूम ही नही पड़ता।  इनकी अध्यक्षा बीमार हुयीं कब गयी, कब आयीं क्या बीमारी हुयी थी किसको पता चला।  रटा रटाया बयान जारी कर दिया,  आम आदमी मिलना तो छोड़ पास भी नही जा सकता"।

दीपक चौरसिया - " दवेजी आप पर आरोप है कि आप विदेशों मे द्वीप खरीद रहे हैं"।

 दवेजी -" हां तो क्या गलत कर रहे हैं है इस देश मे और जमीन जोड़ रहे हैं।  और ये कांग्रेस पार्टी तो शुरू से आज तक देश की जमीन लुटाते आयी है कभी पाकिस्तान को दे दिया,  कभी चीन से हार गये और अब बंग्लादेश को दे रहे हैं, इनकी हिम्मत कैसे होती है दूसरों पर आरोप लगाने की"।

दीपक चौरसिया -" आप पर आरोप है कि आप अपने संबंधियों को ट्रस्ट और कंपनियों की जिम्मेदारी सौप रहे हो"।
 दवेजी - "अरे भाई जनता ने इतने प्रेम और आदर के साथ हमे देश सेवा के लिये दान दिया है,  तो किसी को तो काम मे लगाना होगा,  ऐसे आदमी को जिस पर हमारा विश्वास हो। क्या इन कांग्रेसियों को काम पर लगाउं जो देश को लूट लूट कर खा रहे हैं। इन जैसे लोगो को लगा दूंगा तो  ये ट्रस्ट दो साल में डूब जायेगा"।

दीपक चौरसिया - "पर आपके संबंधी इसमे घपले कर रहे हैं ऐसा आरोप है"।

 दवेजी - "अरे भाई घपले कर रहे हैं, तो हर ब्रांच में मैं सीबीआई को बैठने का कमरा दे देता हूं। जनता के धन की सुरक्षा मे मन हरदम चिंतित रहता है।  दीपक बाबू जनता देखती है कि आदमी कैसा है, तब दान देती है।  इन कांग्रेसियों से पूछो,  बाबा को इतने साल में बारह सौ करोड़ दान मे मिला,  बाबा ने ट्रस्ट  खड़ा कर दिया कांग्रेस के पास कितना पैसा आम आदमी से दान मे मिला हुआ है। व्यापारी और दलालों का चंदा हटा दो तो कांग्रेस कटोरा लेकर खड़ी हो जायेगी"।

दीपक चौरसिया -  "दवेजी आप कहते हो कि आप साधु हो,  आपके पास संपत्ती नही फ़िर आपने ट्रस्ट क्यों बनाये, कंपनिया क्यों बनाई ,आपके खर्चे तो इसी से पूरे होते हैं, आप जहां चाहे उपयोग कर सकते हो"

दवेजी - "अरे भाई जनता ने धन क्या जमीन मे गाड़ कर रखने को दिया है। उपयोग तो करना ही है, सवाल यह है कि सदुपयोग हो रहा है कि दुरूपयोग, यह जनता देख रही है।  इस सरकार की तरह नही कि इंडियन एयरलाईन मिली और उसे पांच साल बाद भिखारी बना कर छोड़ दिया ।

दीपक चौरसिया -  "आपके उपर आरोप है कि आप दवायें बेचते हो, मुनाफ़ा कमाते हो"।

 दवे जी  - "तो यह कांग्रेस बेच ले,  मुनाफ़ा कमा ले किसी ने रोका है क्या,  पर इनको तो घोटाला करके कमाना है,  पसीना बहा कर नही.  अरे भाई जनता की सेवा करना  आसान है क्या।  दीपक भाई सेवा पथ कठिन है,  त्याग मांगता है, बदनामी भी होती है।  डाबर कंपनी के मालिक से कोई नही पूछेगा कि पांच सौ प्रतिशत मुनाफ़ा क्यों कमा रहा है। क्यों क्योंकि वह मुनाफ़ा कमा कर घर ले जा कर आराम से जी रहा है। दवे जी  गरीबों की,  दलितों की पीड़ा देख कालाधन वापसी के संग्राम कर रहे हैं तो सबकी नींद हराम हो रही है"।


इंटरव्यू खत्म होते ही बाबा रामदेव ने हमको गले लगा लिया,  वाह दवे जी मान गये आपको।  हमने कहा- "बाबा जी एक आखिरी बात गांठ बांध लो, जो आप आर्थिक मामलों मे बयान देते हैं,  कि दो % ट्राजैंक्शन टैक्स लगाओ बाकी टैक्स बंद करो आदि, अब आगे से न करना, आप साधू हो अर्थशास्त्री थोड़े ही हो,  कोई भी लपेटे में लेगा तो आपसे जवाब देते नहीं बनेगा।

वैसे भी अर्थ शास्त्रियों का समय खराब चल रहा है देखते नही मनमोहन जी के मुंह से बोल नही फ़ूट रहा,  मंहंगाई सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है। इसलिये बाबा आप केवल कालेधन और भ्रष्टाचार की बात करो न कोई पत्रकार,  न सरकार आपके इस दावे को झुठला पायेगी, देश देख रहा कि कितनी बेईमानी हो रही है।

इतना सुन प्रसन्न बाबा ने हमसे कहा- "दवे जी आप जो चाहो मांग लो, हमने हाथ जोड़े बाबा आप ऐसी आयुर्वेदिक व्हिस्की तैयार करें कि  हर पत्नी सोने से पहले पति से पूछे, क्यों जी तीन पैग पिये की नही और उस व्हिस्की  के सौ लाभ गिनाये, न पीने पर होने वाली हजार हानियां गिना दे। बाबा ने हमें पक्का वचन दिया है देखना अब यह है कि बाबा अपनी ट्रेनिंग और वायदे पर खरे उतरते हैं कि नही। 

Wednesday, September 7, 2011

सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी और दिल्ली के बम धमाके

सुबह सुबह यूरिया वाली चाय पीने हम नुक्कड़ पहुंचे ही थे कि दिल्ली मे बम धमाके की खबर सचित्र चलने लगीं। पल पल की खबरे आ रही थी,  लाशे दिखाने की होड़ लगी हुयी थी।  खबर सुनते ही  मन खराब हो गया कितने मासूम परिवार अब जीवन भर इसका दंश झेलेंगे। तभी पकड़ो, मारो की आवाजें आने लगी, देखा तो शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी  को लोगो ने घेर लिया है। हमने बीच बचाव किया कहा - "भाई शर्मा जी को जवाब तो देने दो"। शर्मा जी ने गम जदा आवाज मे कहा- "हम मासूम लोगो के मारे जाने से बेहद आहत हैं, और घायलों को शुभकामनाएं देते हैं कि वे जल्दी स्वस्थ हो जायें, दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जायेगी।  तभी दीपक भाजपाई कूद पड़े- " कांग्रेसी जी यह बताईये कि धमाका हुआ कैसे पुलिस ने आतंकवादियों को रोका क्यों नही"।


शर्मा जी ने स्टेटमेंट दिया - "हमारे पास कोई खुफ़िया सूचना नही थी"। हमने कहा- "तो मना कर देते आतंकवादियों को कि बिना  सूचना दिये बम धमाके मत किया करो,  फ़ाउल होता है। संदेश जारी करो कि हे आतंकवादियों खेलभावना का सम्मान करते हुये बम बम खेलो, हर बार सूचना देकर धमाके करने वाले आतंकवादी को हर साल सोनिया गांधी खेल भावना पुरुस्कार से सम्मानित किया करो" । शर्मा जी ने आहत भाव से  देखा।  हमने कहा चलो यह बताओ किसने किया यह बम धमाका,  उसकी मंशा क्या थी। शर्मा जी ने सीना फ़ुला कर कहा- "ये आतंकवादी हमारे देश को कमजोर करना चाहते हैं पर हमारा देश कमजोर नही होगा"। हमने कहा-" ये आतंकवादी कितने बम धमाके करेंगे तो देश कमजोर होगा। शर्मा जी बोले-" आपकी बात हमको समझ मे नही आई"। हमने समझाया- "भाई ये आतंकवादी बम धमाके कर के देश को कमजोर करना चाहते हैं और आप होने नही देना चाहते। दोनो के इस बम बम के खेल में नतीजा कैसे निकलेगा, जनता को कैसे मालूम पड़ेगा कि हमारी सरकार जीत रही है कि आतंकवादी। वरना हर बार आतंकवादी खुश होते हैं कि हमने मारा, हम जीते और आप सीना फ़ुलाते हो कि हम नही हारे देश कमजोर नही हुआ"।

शर्मा जी ने फ़िर आहत भाव से हमारी ओर देखा हमने कहा- "चलो यह बताओ कि इसके पीछे किसका हाथ है"। इतने में दीपक भाजपाई कूद पड़े बास मुस्लिम आतंकवादियों का हाथ है"। हमने कहा-  "दीपक बाबू भगवा आतंकवाद सुनने से तो बड़ा मिर्ची लगता है और खुद मुस्लिम आतंकवाद कहने मे कोई दिक्कत नही होती, क्या जहां बम धमाके हुये हैं, वहां केवल हिंदु आते हैं, क्या धमाका करने वाले पास मुस्लिम न मारे जायेंगे इसकी कोई गारंटी थी। फ़िर कैसे कहते हो कौन से धर्म का आतंकवाद था। शर्मा जी खुश हो गये - "वाह दवे जी क्या पते की बात कही आपने"। हमने उनको भी फ़टकार लगाई- " तुम कौन से दूध के धुले हो, बाटला हाउस एनकाउंटर को फ़र्जी किसके नेता बता रहे थे, ओसामा बिन लादेन को कसाब को जी किसका नेता कहता है"। शर्मा जी ने विरोध दर्ज कराया- "वो उस नेता का निजी विचार है"। हमने कहा- "क्यों उस नेता के बेटे को प्रधानमंत्री बनाओगे चुनाव जीतोगे तो,  या कारू का खजाना मिल जायेगा उसको, कर तो सब प्यारी मम्मी और बाबा के लिये ही है ना"।


फ़िर हमने पूछा- "कहीं इस बम धमाके मे तुम दोनों की मिलीभगत तो नहीं"। इतना सुन दोनो भड़क गये कि हम दोनो एक साथ हो ही नही सकते। हमने तुरंत  उनकी याददाश्त ठीक की - "ओबलापुरम माईनिंग घोटाले में सरकार ने स्टील प्लांट लगाने की शर्त पर दस हजार एकड़ जमीन महज 2० करोड़ रूपये मे जनार्दन रेड्डी(भाजपा) और वाय एस राजशेखर रेड्डी(कांग्रेस) को दी। सिर्फ़ इस जमीन को गिरवी रखने से इनको बैंक से 350 करोड़ रूपये का बैंक लोन मिल गया जिसमे से बीस करोड़ इन्होने जिससे उधार लिये थे उसे वापस कर दिया याने अब सब कुछ मुफ़्त का । आगे इस जमीन के आस पास की एक लाख एकड़ जमीन को  कब्जा लिया गया और बिना स्टील पलांट लगाये बिना रायल्टी पटाये,  एक लाख करोड़ का आईरन ओर विदेशों को बेच दिया । और आप दोनो ने मिलकर  इस घोटाले को न लोक सभा और न राज्य सभा में उठने दिया। अब सुप्रीम कोर्ट का डंडा घूमा तो सबके नेता अंदर जा रहे हैं। जप्त डायरी में दोनो दलो को कितना कितना पैसा मिला सब दर्ज है। जब आप दोनो साथ मे खा कमा सकते हो, तो देश का ध्यान घोटालों से भटकाने के लिये क्या नही कर सकते आखिर दोनो सर से पैर तक दलदल मे डूबे हो।


इतना सुन साहब ये दोनो तो एक मत हो नुक्कड़ सभा का बहिष्कार कर चले गये। रह गये हम सोचते कि बेचारे पुलिस वाले सरकार की चमचागिरी में दूसरे नेताओं का फ़ोन टेप करो, दुश्मनो की कमजोरी खोजो, बाबा की मार्कशीट खोजो, नेताओं की प्रेमिका पर नजर रखो। इस दबाव  मे कोई काम करे कैसे, ट्रांसफ़र पोस्टिंग आपला मानुस के आधार पर, हथियार औजार घूस खा खरीदे गये घटिया स्तर के। सो धमाके तो हो्ने ही हैं। और क्या पता यही नेता करवा रहे हों,  कि बाबा अन्ना को दिल्ली मे अनशन करने से,  बम धमाकों का डर दिखा रोका जा सके।

Sunday, September 4, 2011

विशेषाधिकार हनन के तहत संसद में दवे जी की पेशी

साहब नुक्कड़ मे तेजी से खबर फ़ैली कि दवे जी को संसद ने विशेषाधिकार हनन के आरोप मे नोटिस भेजी है। , हम भी सकते में थे।  लोगो ने पूछा कैसे लपेटे मे आ गये दवे जी,  हमने बताया- " अफ़जल गुरू को कोसा था एक लेख मे कि क्यों काम पूरा नही किया, संसद पर हमले के वक्त, उसी कारण नोटिस आया है"। सलाह मिली माफ़ी मांग लीजिये,  हमने कहा- "पगला गये हो मुफ़्त में पब्लिसिटी मिलेगी,  जेल जायेंगे तो क्या कहते हैं अन्ना,  दो टाईम का नाश्ता दो टाईम का खाना फ़्री। और कितने दिनो के लिये भेज सकते हैं हद से हद पंदरह दिन, हम जाने तैयार हैं पर लेख वापस न लेंगे"।

 हमने जवाब भेजा कि  पेश होने मे कोई दिक्कत नहीं,  पर दिल्ली पहुंचने का भाड़ा नही है।  इस पर एक पुलिस वाले सज्जन ने बाईज्जत हमें ट्रेन मे बैठा दिल्ली पहुंचाया। संसद भवन पहुंचने पर हमारा दिल धक धक करने लगा अपने नुक्कड़ मे तो दवे जी  भी शेर रहते हैं पर संसद में अकेले हमारी हिम्मत जवाब देने लगी।  पुलिस वाले ने टांट कसी- " क्यों बे आ गया लाईन में,  हवा निकल गयी, अब जा संसद के अंदर फ़जीहत कराने और बाहर बैठे हैं हम, तुझे जेल ले जाने,  बड़ा देशभक्त भगत सिंग बनता था"। भगत सिंग जी को याद कर हमारे शरीर मे 440 वोल्ट का करेंट दौड़ने लगा,  सीना जोश से भर गया।  जब भगत सिंग देश के लिये फ़ांसी पर झूल सकते हैं,  तो हम कम से कम संसद का सामना तो कर ही सकते हैं। हमने नारा लगाया वंदे मातरम, भारत माता की जय इंकलाब जिंदाबाद और अंदर बढ़ चले।

अंदर पेश हुये हमको एक कटघरे मे खड़ा कर दिया, पहले नेताओं ने अपने भाषण दिये किसी ने बाबा साहब के संविधान का हवाला दिया तो किसी ने संसद की महत्ता पर जोर दिया। कोई गौरवशाली इतिहास बतला रहा था तो कॊई वहां बैठे अल्पसंख्यक, दलित,आदिवासी, और पिछड़े वर्ग के सांसदो को दिखला रहा था। एक दो ने हमारी जवानी पर तरस जताया और माफ़ी मांग कलंक से बचने की सलाह दी, अंजाम भी बताये गये।

 मीरा कुमार जी ने हमे सफ़ाई देने का आदेश दिया हमने कहा - "शरद यादव जी को नमस्कार और आप मे से जो भी ईमानदार नेता हैं उन सब को नमस्कार और प्यारी सोनिया मम्मी को विशेष प्रणाम" । हमारा इतना कहना था कि कांग्रेसियों ने हंगामा खड़ा कर दिया। हमने सभापति से कहा- "देखिये मैडम शोएब मलिक को जीजा मानने से इंकार करने वाले कांग्रेसी, सोनिया जी को मम्मी मानने से भी इंकार कर रहे हैं"। हमारा इतना कहना था कि हंगामा दुगुना हो गया। सभापति जी ने कहा- "शांत हो जाईये, बैठ जाईये, हो गया, हो गया, शांत हो जाईये, नथिंग विल गो आन रिकार्ड"। हल्ला कुछ कम हुआ तो हमने कहा-" मैडम आपकी आवाज मे ऐसा जादू है कि हमनें तो टेप कर लिया है, हमारी बीबी हमको बेलन से मारने आती हैं तो उनको सुना देते हैं, तुरंत शांत हो जाती हैं। बच्चे लड़ते हैं तो उन्हे सुना देता हूं तुरंत शांत हो जाते हैं, यहां तक कि हमारा कुत्ता टामी जो ईंडिया की क्रिकेट टीम की तरह एलसेशियन है,  उसे भी सुना देता हूं तुरंत चुप हो जाता है। और ये सांसद लोग हैं कि इनको कोई फ़र्क ही नही पड़ता है।


सांसद फ़िर भड़क गये लालू जी बोले "मईडम ये संसद मे असंसदीय भाषा का प्रयोग कर रहा है"। हमने जवाब दिया- "मैडम हम तो सांसद नही असांसद हैं, तो हम तो असंसदीय भाषा ही जानते हैं। अब किसी को बुरा लगा हो तो रिकार्ड से निकाल दीजिये"। सभापति जी ने कहा-  "आप सफ़ाई में जो कहना हो वो कहें, यहां वहां की बात न करें"।

हमने कहा -" माननीय सभापति जी और आदरणीय ईमानदार सांसदों,  निश्चित ही अफ़जल गुरू वाले लेख मे मुझसे त्रुटी हो गयी थी।  उसमें यह लिखना मैं भूल गया था कि अफ़जल गुरू केवल बेईमान मंत्री और सांसदों को मारे और इमानदार लोगो को प्रणाम कर उन्हे सुरक्षित जाने दें"। फ़िर संसद मे हल्ला मच गया, लालू जी ने कहा- "तू किसको बेईमान बोलता है रे, बाबा साहब के संविधान पर चलने वाली संसद पर हमला करवाने का बात लिखता है"। हमने कहा-  "बेईमान वो हैं जो घूस खा कर वोट देते हैं, अधिकारियों, दलालो से चंदा लेते हैं। और ऐसे बेईमानों के शरीर में कीड़े पड़ें , ईश्वर उनको तबाह कर दे। जिस गरीबी और हताशा मे आज भारत का पिछड़ा और गरीब तबका जी रहा है, ऐसे ही हालत में इन बेईमानों के वंशज पांच हजार साल तक जियें। वे पढ़ें तो सरकारी स्कूल में,  बेड़ा गर्क हो इनके खानदानों का, कॊई नाम लेवा न बचे। इमानदार लोगों को करोड़ों भारतीयों की दिल से दुआ लगे, उनको मोक्ष मिले, उनका परिवार उत्तरोत्तर तरक्की करे।

फ़िर हंगामा मच गया सांसदो ने कहा- सभापति महोदया,  यह बाबा साहब द्वारा बनाई गयी संसद को बाटने की कोशिश कर रहा है। हमने कहा-  "नही मैडम ये संसद बाबा साहब की बनाई नही है, अगर होती तो बताईये कितने दलितों को 2G घोटाले मे फ़ायदा मिला, कामन वेल्थ गेम्स मे फ़ायदा और ठेका पाने वाले कितने लोग दलित या पिछड़े थे। यह बताईये कि पिछले दस सालों मे इस देश मे कितने ठेके या खरीदी का आर्डर दलितो,पिछड़ों को मिला है। देश देख रहा है, जवाब देना होगा,  बाबा साहब के पीछे छुपते हो, संविधान के पीछे छुपते हो,  तो बताओ कहां लिखा है कि आरोपी खुद जांच करने वाली सीबीआई के विभाग का मंत्री बना रहेगा।  कहां लिखा है कि पीएसी की बैठक का निर्णय बहुमत के आधार पर होगा। यह भी बताओ कि कहां लिखा है कि घोटालों में नाम आने के बावजूद प्रधानमंत्री पद को नही त्यागेगा। यह भी बताना होगा कि  अपने ही देश के हित के आंदोलन कर रहे लोगों को, आधी रात को उठा कर पीट कर रोड में फ़ेंक देने का अधिकार सरकार को बाबा साहब ने किस धारा, कानून में दिया था। और अल्पसंख्यकों की बात करते हो तो यह भी बताना होगा  कि आजादी के चौसठ साल बाद उनकी हालत, शिक्षा मे क्या सुधार हुआ है, सरकारी नौकरी मे उनका प्रतिशत क्या है।


इतना कहना था साहब कि हंगामा मच गया,  सांसद मुझे मारने दौड़े,  सभापति ने कार्यवाही स्थगित कर दी। मार्शल मुझे बचाते हुये बाहर ले गये और बाईज्जत पुलिस वाला मुझे वापस  घर ले आया। उसके बाद कोई नोटिस मुझे मिला नही है , और मिलने की आशा भी नही दिखती। उस दिन की लोकसभा की कार्यवाही भी रिकार्ड से हटा दी गयी है। अब आप लोग ऐसा हुआ था, ऐसा मान ही जाओ कोई जरूरी भी नही,  पर अगर ऐसा हो तो कैसा रहेगा मुझे जरूर बताईयेगा।





Friday, September 2, 2011

रामू बाबा का अनशन - भाग दो

इससे पहले की घटनाओं के लिये - रामू बाबा का अनशन


 गतांक से आगे

24 सितंबर

अखबारों मे हेड लाईन(सरकारी न्यूज)

प्रधानमंत्री ने कहा- " हमारे पास कोई जादू की छड़ी नही है"

 हमने वकतव्य जारी किया - " सरकार निकम्मी है। जादू की छड़ी नही है तो क्या कानून का मोटा डंडा तो है ।  सरकार  कालाधन वापस लाना ही नहीं चाहती।"

बाबा के स्वास्थ पर निजी डाक्टरों की कड़ी नजर, श्रीश्री 408 कविशंकर ने बाबा से मुलाकात की,

कपिल सिब्बल ने प्रेस कांफ़्रेंस मे कहा -"बाबा रामू हवा में बात कर रहे हैं,  कालाधन वापस लाना इतना आसान था तो एनडीए अपने शासनकाल में क्यों नहीं वापस लाई,  भाजपा जब जब सत्ता से दूर जाती है उसको कालेधन की याद सताती है।" बाजू बैठे दिग्विजय सिंग ने कहा -" ये बाबा रामू भाजपा का एजेंट है, और कालाधन वापस लाने के नाम मे पाखंड कर रहा है"।

पत्रकारों का बाबा पर खुद जवाब देने का भारी दबाव, बाबा के मौन रहने पर हमारी प्रेस कांफ़्रेंस का बहिष्कार। सुब्रमणियम स्वामी और दीनबंधु गुप्ता ने काले धन के बारे चौकानें वाले खुलासे किया। स्वामी का दावा गांधी परिवार के पास चालीस हजार करोड़ का कालाधन है।

रामलीला मैदान पर भीड़ बढ़ी, शीशगंज गुरूद्वारा कमेटी ने आंदोलनकारियों के लिये लंगर शुरू किया, दिल्ली चैंबर आफ़ कामर्स ने समर्थन का ऐलान किया( पहले तैयार नही थे, हमने समझाया कालाधन वापस आयेगा तो आपकी बिक्री दुगुनी हो जायेगी ) 

25 सितंबर

अगली दिन अखबारों मे हेड लाईन(पेड न्यूज)

कांग्रेस और भाजपा दोनो का कालाधन विदेश मे जमां है - बाबा रामू

अखबार पढ़ते ही कुम्हलाये बाबा खलबला गये- "ये क्या कर दिया दवे जी अब तो भाजपा भी साथ नही देगी". हमने मौनव्रत की याद दिलायी ।

सुबह दस बजे

धमाका आरोप से हड़बड़ाये पत्रकार बिना बुलाये प्रेस कांफ़्रेस के लिये पहुंच गये। पत्रकारों ने पूछा-"किस आधार पर आपने यह आरोप लगाये हैं", हमारा जवाब -" दोनो एक ही थैली के चट्टेबट्टे हैं कंबल ओढ़ खीर खाते है और हमें बहलाने के लिये एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं, अगर भाजपा गंभीर होती तो अपने शासनकाल में  प्रयास करती, चलो उस समय नही किया कम से कम आज जब एक राष्ट्रीय संत आमरण अनशन पर बैठ गया है,  तो संसद में मामला उठाती सरकार से जवाब तलब करती"।

सुबह ग्यारह बजे

संसद की कार्यवाही ठप विपक्ष ने बाबा के समर्थन मे हंगामा कर दिया, बिना ठोस कदम उठाये संसद की कार्यवाही न चलने देंगे।

शाम को पांच बजे

 भाजपा  ने बाबा का समर्थन किया, लेफ़्ट भी बाबा के साथ, सरकार पर दबाव

रात ग्यारह बजे भईया जी महाराज पहुंचे पूछा क्या करने से बाबा अनशन तोड़ेंगे हमने जवाब दिया कालाधन वापस आने से, भईया जी निराश होकर लौटे

26 सितंबर

अखबारों मे हेड लाईन(सरकारी न्यूज)

"कालाधन एक महिने मे वापस नही आ सकता, बाबा यथार्थ को समझें" - कांग्रेस पार्टी


अमेरिका नें (कांग्रेस के दबाव मे आकर) भारत सरकार से अपील की,  बाबा रामू के आंदोलन पर नरमी बरती जाये। सरकार ने बाबा के बाहरी ताकतो के हांथो में खेलने का आरोप लगाया।

हमारा जवाब -   बाबा रामू कालाधन वापस लाने के लिये यमराज के हाथों  खेल रहें हैं।  ये सरकार उटपटांग आरोप लगाने के बदले भारत के करोड़ॊं गरीब जो एक समय खाकर जी रहे हैं उनकी भलाई के लिये कालाधन वापस लाने के बारे मे सोचे।

रामलीला मैदान में दसियों हजार लोग जुटे,  देश भर में बाबा के समर्थन में रैली निकाली  गयी, संसद की कार्यवाही दूसरे दिन भी ठप

सरकार ने समझौते के लिये दबाव बढ़ाया, दूसरी तरफ़ मनीष तिवारी, दिग्विजय सिंग का बाबा पर हमला जारी बाबा पर सिर से लेकर कमर तक भ्रष्ट होने का आरोप।

शाम को सरकार का बयान -" बाबा की मांग सही है पर इसे समयबद्ध तरीके से करना संभव नही,  कितना समय लगेगा यह स्विट्जरलैंड सरकार पर निर्भर करता है"।

27  सितंबर

बाबा रामू सुबह ही नियंत्रण से बाहर- "अब मै और भूखा नही रह सकता मुझे अनशन तोड़ना है"। लाख समझाने पर भी बाबा रामू मानने को तैयार नहीं, हमने हाथ पैर जोड़े बाबा शाम तक  समय काट लो,  हमने उपाय किया शाम तक बाबा के सामने टीवी लगा दिया और उसमे सत्ता सुंदरी का जलवा उठाते प्रधानमंत्री के वीडियो लगाये लाल किले से भाषण, परेड , गार्ड आफ़ आनर आदि मसाला जुगाड़ बाबा से शाम तक संयम रखने की अपीळ की। बाबा शाम सात बजे तक अनशन को तैयार उसके बाद एक मिनट भी नही

ताबड़ तोड़ हमने भाईजी महाराज और श्रीश्री 408  को बुलवाया,  शर्त रखी कि यदी सरकार,  तीन महिने के अंदर कालाधन वापस लाने की बात लिखित मे कबूल ले तो बाबा  अनशन तोड़ देंगे। सरकारी खेमे में  हलचल बढ़ गयी जासूसों ने खबर दी, बाबा अब और भूखे नही रह सकते। सरकार का शर्तें मानने से इन्कार।


हमें इसका अनुमान पहले से था।  डाक्टरों की घोषणा,  बाबा के यूरिन में कीटोन की मात्रा अत्यधिक बढ़ गयी है,  बाबा की जान को खतरा,  भाजपा  को खबर दी गई कि बाबा ने आखिरी बयान रिकार्ड किया है आपकी पार्टी कॊ भी  को अपनी मौत का जिम्मेदार  बताया है।  हमारी चेतावनी गौ हत्या तो काशी मे माफ़ हो जाती है, बाबा हत्या को जनता कभी माफ़ नही करेगी।

 भाजपा का बयान - अगर बाबा को कुछ होता है तो देश के हालात बेकाबू हो जायेंगे,  कांग्रेस इसकी जिम्मेदार होगी। सुषमा स्वराज, आडवानी, जेटली प्रधानमंत्री निवास पर पहुंचे, रामलीला मैदान मे अपार भीड़ जमा, हमारी घोषणा किसी भी प्रकार से अहिंसा न छोड़े , रघुपति राघव वाला भजन शुरू ।

शाम पांच बजे
सरकार का संदेश सरकार आश्वासन देने को तैयार पर लिखित में नही,  घोषणा का मसौदा आया उसमें केवल  प्रयास करने का जिक्र था। हमने मसौदा नामंजूर कर दिया,  हमारी मांग- "स्पष्ट होना चाहिये कि सरकार लायेगी या नही", जेटली और प्रणव मुखर्जी की बैठक । सरकार ने नया मसौदा भेजा तीन महिने के अंदर कालाधन वापस लाने का गंभीर प्रयास किया जायेगा।

इतना मसौदा ले हमने  पूछा बाबा किससे अनशन तुड़वायेंगे । बाबा ने जवाब न दिया, हमने बाते फ़िर दोहरायीं बाबा बोले कौन गधा अनशन तोड़ने की बात सोच रहा है। हम तो इस सत्ता सुंदरी के और भी दीवाने हो गये हैं अब जब तक यह न मिले हम अनशन नही तोड़ेंगे।

हमने फ़ोन कर जूस ले रवाना हो चुके  मंत्री को लौटाया, मंच पर पहुंच घोषणा की बाबा ने अपने योग की चमत्कारिक शक्ति से शरीर को पुनः स्वस्थ कर लिया है। भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारों के बीव हमने कहा बाबा कालाधन वापस आये बिना अनशन नही तोड़ेंगे। और यदि कोई भी बाबा को यहां से हटाने की कोशिश करे तो देशभर में सांसदो के घरों का घेराव कर दीजियेगा, फ़िलहाल सभी को राहुल बाबा के घर का घेराव करना चाहिये ।

मंच से नीचे उतरते ही कपिल सिब्बल साहब का फ़ोन आया- "फ़िर बाबा अपने वायदे से मुकर गये हैं,"  हमने उनको याद दिलाई कि अब बाबा के सलाहकार कालकॄष्ण नही दवे जी हैं और हमने कहीं साईन नही किया है  हां यदि रात के समय पिछली बार जैसे हमला करवा दें तो बड़ी कृपा होगी,  देशवासी आपके इस कदम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।


क्रमशः