Wednesday, July 18, 2012

बेटियों को पटने दो गांव वालो

देखिये साहब इस तरक्की शुदा इंडिया के उपर ये पिछड़ी सोच के गांव वाले किसी कलंक से कम नही। आदर्श इंडिया की राह में हिंदुस्तान रोड़े अटका रहा है। अचानक  इंडिया कैसा हो यह नजारा मेरी आंखो के सामने तैर गया। चार पड़ॊसी आपस मे बात कर रहे थे।

शर्मा जी दमकते चेहरे से बोले- " भाई आज मै चिंता मुक्त हो गया।  लड़की को एक लड़के ने आई लव यू कह दिया।  बेचारा पुरानी सोच वाले खानदान का था,  तीन महिने से आगे पीछे हो रहा था।  वो तो मैने  कहा, डरो मत बेटा कह दो, तब कही जा कर उसने कहा।

पीटर साहब बोले- "आज कल आई लव यू कहने वाले लड़के आसानी से मिलते कहा हैं।

खान साहब बोले - " मेरी बेटी को तो हमारी ही जात का लड़के का आई लव यू पसंद आ गया था। वो तो मैने तड़ फ़ड़ दूसरी बिरादरी वाले लड़के को खोज खाज,  दहेज दे आईलवयू कहलवाया। वरना शहर में नाक कट जाती कि देखो ये खान साहब कितना पिछड़ा है अपनी बिरादरी में निकाह करवा दिया।

सतनाम सिंग बोले  - मै तो परेशान हो गया हूं भाई,  बड़ी  बेटी को जो आई लव यू कहे वो उसे पसंद नही आता।  भले अपनी जात का आई लव यू कहे, पर मामला निपटे तो सही।  अरेंज मैरिज करनी पड़ गयी तो मेरी छोटी लड़की को आई लव यू कौन कहेगा। 


ऐसा स्वर्णिम सपना देख आंखे खोली ही थी कि सामने टीवी पर प्राईम टाईम नजर आया। सब पानी पी पी कर कोस रहे थे - "सरकार सो रही है नेताओ को डूब मरना चाहिये।" एक बेचारा खाप पंचायत वाला गिड़ गिड़ा रहा था- "हमारा रिवाज है, एक गोत्र में शादी करने की इजाजत नही है। तभी एक मोटी ताजी महिला नेता ने टोका- " पांच सौ साल पहले रह रहे हो क्या साहब, मेरा बस चले तो इन घटिया लोगो को एक दिन मे ठीक कर दूं।" फ़िर सारे के सारे एक साथ बोलने लगे। शोर गुल से घबरा हमने टीवी ही बंद कर दिया।



ये जो काल्पनिक सीन मैने बताया वह आज का सच है।  ये पढ़ लिख खा पी कर मोटाये,  मानवाधिकार वाले ऐसी आदर्श परिस्थिती की बाते करते है कि जाने माने लड़का, लड़की गैजुयेट है। लड़का खा कमा रहा है लड़की को रानी बना कर रखेगा। अरे भाई गांव मे झांक कर तो देखो, शहर की गरीब बस्तियों में ही झांक कर देखो। लड़का लड़की कितने पढ़े लिखे होते हैं। विवाह के बाद कैसी कैसी समस्याएं आती है। खुद इनके घरो का आंकड़ा पूछिये, कितनो के बच्चो ने प्रेम विवाह किया है।

 ये खाप वाले भी कोई अलगू चौधरी, जुम्मन शेख की औलाद नही है। इनका हुक्म और फ़जीहत  गरीबो को ही झेलनी पड़ती है। प्रेमी जोड़े बर्बरता का शिकार होते है। आनर किलिंग के नाम पर सैकड़ो हत्याये होती ही हैं। गांव की औरतो को अकेले बाजार न जाने देने की घोषणा करने वाले को जेल होना ही चाहिये। पर सामाजिक परंपराओ का सम्मान भी होना चाहिये, हर समाज सैकड़ो सालो मे विकसित हुआ है उनकी मान्यताये विकसित हुई है। जातीवाद को ही देख लीजिये हिंदुओ से शुरू हुआ, मुसलमान तो भी जातीवाद बरकरार है। यह धर्म की नही समाज की देन है।

मुद्दे पर संतुलित चर्चा होनी चाहिये, परंपराओ का सम्मान करते हुये चर्चा होनी चाहिये। कोई समाज अपने नियमो का उल्लघंन करने वाले को समाज से बाहर कर दे तो किसी के सवाल उठाने का प्रश्न नही। क्या लड़का लड़की को प्यार के पहले नही पता था कि समाज इसे स्वीकार नही करता। गांव से, संपत्ती से बेदखल करने का विरोध होना चाहिये, सुरक्षा, कानूनी सहायता मिलनी चाहिये । चर्चा ऐस     हो जिस पर चर्चा हो रही हो वह उससे कुछ सीखे, समझे सोच विकसित करें। टीवी पर गला फ़ाड़ कोसने उस पर उल्टा ही असर होगा।

खैर साहब इन मोमबत्ती ब्रिगेड वालो का धंधा कभी मंदा नही होगा, हिंदुस्तान इंडिया भी बन जाये, खाप पंचायत वाले कन्या बचाओ की तरह प्रेम विवाह बचाओ का नारा भी लगाने लगे। तो ये समलैंगिकता का नया बवाला खड़ा होने ही वाला है। फ़िर इनका दाल रोटी चल निकलेगा।
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  1. खेद के साथ लिखना पड़ता है कि आपने अपने स्तर की नहीं लिखी ।

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