Wednesday, June 22, 2011

जन धोखपाल बिल और कुटिल सिब्बल

नुक्कड़ पर बड़े दिनो से फ़जीहत झेल रहे भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी आज अपने बचाव के लिये कुटिल सिब्बल को ले पहुंचे थे आज शर्मा जी को जन धोखपाल बिल पर दो टूक जवाब देना था । पहुंचते ही कुटिल जी ने घोषणा कर दी हमारी नीयत साफ़ है और हम सभ्य समाज की ओर से पेश किये गये बिल के अधिकांश बिंदुओ से सहमत है । खाली छोटे मोटे कुछ बिंदू है जिस पर सहमति नही है । बाकी पार्टियों से चर्चा की जायेगी और बिल पास हो जायेगा ।

मैने पूछ लिया किस बात मे असहमति कुटिल जी जवाब मिला  एक तो धोखपाल कौन चुनेगा इस पर है इस पर भी इन लोग सर्च कमेटी बनाना चाहते हैं । मैने पूछा कुटिल जी क्या चोरो को अपने जज खुद चुनने की छूट होना चाहिये  जो आप लोगों को धोखपाल चुनने का अधिकार दें कुटिल जी भड़क गये किसने कहा हम चोर हैं । मैने जवाब दिया आप को तो कोई चोर साबित कैसे करे कैसे आप के कामो की जांच भी आप खुद करते हो इसीलिये तो ये जनधोखपाल का जरूरत पड़ गया

कुटिल जी ने मुद्दा बदला बोले ये लोग प्रधानमंत्री को दायरे मे रखना चाहते हैं । तभी जनता से आवाज आयी वो बेचारा तो खुद ही तैयार हैं पहले ही मम्मी से लेकर मामा लोगो के दायरे मे है नजर के सामने से राजा दो लाख करोड़ ले गया सारी ईमानदारी धरी की धरी रह गयी नाम खराब हुआ वो अलग जनधोखपाल होता तो उसका डर दिखा कम से कम रोक तो पाते । कुटिल जी तब तक नया विचार रख चुके थे बोले संसद के अंदर सांसद लोगो का व्यहवार दायरे के बाहर है । जवाब मिला ऐसा व्यहवार जिसमे कुर्सिया फ़ेकी जाती हों वोट बेशर्मी से खरीदे बेचे जाते हो नोट लहराये जाते हो जहां अध्यक्ष अपनी पार्टी का भोपू बना हो भाई यह तो नैतिकता के दायरे मे भी नही आता इस बारे मे कुछ लिखा है क्या आप के संविधान मे ?

कुटिल सिब्बल जी तुरंत भड़क गये आप हमारे महा विद्वान पूर्वजो के बनाये संविधान पर सवाल उठा रहे हो  । आप हो कौन तथाकथित सभ्य समाज कौन समर्थन करता है आपका मुठ्ठी भर लोग । फ़िर कुटिल जी ने कुटिलता भरी श्रद्धा से सिर नवाते हुये चेतावनी दी परम पूज्यनीय बाबा भीमराव अंबेडकर के संविधान पर सवाल उठाओगे तो सारा दलित समाज आंदोलित हो उठेगा उन बेचारो को तो इस तमाम लफ़ड़े के बारे मे पता ही नही है वे आप का जीना मुश्किल कर देंगे ।

इतने मे माहौल को शांत करते हुये बाजू बैठे शर्मा जी बोल पड़े प्यारे भाईयो हम आपके साथ मिल कड़े से कड़ा कानून बनायेंगे हमारी कुछ मजबूरियां भी है लोकतंत्र मे संसद ही सर्वोच्च है आप लोग तो फ़्रेम मे हो ही नही यहां सब कुछ संसद करती है । जनता मे से आसिफ़ भाई गुर्राये तुम लोगो ने लोकतंत्र को पैरो की जूती बना लिया है संसद को चोर बाजार अगर तुम ही सही होते तो  अन्ना किसको चाहिये थे फ़ालतू बात मत करो धोखपाल नही लोकपाल चाहिये । तभी कुटिल जी ने तर्क दिया भाई ये अन्ना का लोकपाल कितना महंगा है जीडीपी का एक प्रतिशत खर्चा हो जायेगा हर साल । हम केवल उंचे लेवल के अधिकारियों को ही इसके अंदर रख सकते है सभी को नही । तभी ललित शर्मा मूछो पर ताव देते बोल पड़े हां नीचे के अधिकारी कम पैसे मे ही बिक जायेंगे आम के आम गुठली के दाम और आप लोग जीडीपी का चालीस फ़ीसदी पैसा खा जाते हो उसका क्या ये लोकपाल तो समझो फ़्री मे पड़ेगा भाईयों

तभी पीछे से दीपक भाजपाई ने नारा लगाया हर हर महादेव हिंदू भाईयों इनको भगाना ही होगा  कॊई कुछ कहता कि मै उनको खींच सामने ले आया पूछा मुसलमान लोग क्यों नही भगायें । तुम लोग इस संक्रमण काल मे तमाशा मचा रहे हो वोटबैंक की राजनीति खेल रहे हो । जरा ये तो बताओ लोकपाल बिल के बारे मे क्या विचार है दीपक भाजपाई जोर से बोले हम जनलोक पाल के साथ हैं फ़िर धीरे से मन ही मन भुनभुनाये पर ये अन्ना हम को साथ ले कहा रहा है । मैने कहा अच्छा है भाई कि नही ले रहा ऐसे नारे लगाओगे तो एक दिन आयेगा हिंदू भी जान जायेंगे कि तुम लोग धर्म के नाम पर खाली वोट मांगते हो काम पूरे तुम्हारे भी कांग्रेस से कम नही सब जगह बराबर भ्रष्टाचार है । अब देश मे जागरूकता आ रही है लोगो को मोदी जैसा इमानदार और विकासवादी नेता चाहिये सुधऔर मंदिर का नारा लगाना है तो लगाओ सौगंध राम की खाते हैं मंदिर लोकपाल का बनायेंगे सुधर जाओ दीपक बाबू देश की तुम आज आखिरी उम्मीद हो निकलो इस धर्मवादी राजनीती से विकल्प बनो कांग्रेस का मोदी पर लगा दंगो का दाग हटाओ और देश को बचाओ ।

और कुटिल बाबू अब कॊई सफ़ाई मत दो जाओ और खाओ खूब कमाओ भरो पाप का घड़ा हां फ़िर बस ये न पूछना जूता क्यों पड़ा क्यों लोग सड़को पर दौड़ा कर पीट रहे हैं । और अब भी लेश मात्र अकल है तो अपनी मम्मी को ऐसा नेता बनाओ जिस के द्वारा बनाये कानून से देश मे भ्रष्टाचार समाप्त हो गया फ़िर देखना कैसे लोग उनको अम्बेडकर और गांधी  से भी ज्यादा पूजेंगे ।

और प्यारे जाते जाते यह भी याद रखना कि कही इतिहास मे मीर जाफ़र और जयचंद के साथ तुम्हारा नाम भी जुड़ न जाये ।



Comments
7 Comments

7 comments:

  1. @कुटिल बाबू अब कॊई सफ़ाई मत दो जाओ और खाओ खूब कमाओ भरो पाप का घड़ा हां फ़िर बस ये न पूछना जूता क्यों पड़ा?

    यही सार है मित्र।

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  2. जन धोख पाल बिल...
    कुटिल सिब्बल...
    क्या सटीक उपमा... अरुणेश भाई....
    अच्छी खबर ली है आपने....
    शानदार पोस्ट पर बधाई...
    सादर...

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  3. जवाब नहीं इस व्यंगय का!
    बहुत परिश्रम करते हैं आप व्ंयग्य लिखने में!

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  4. अच्छा व्यंग्य। यदि कुटिल का सिब्बल न होता तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता, कुटिल ही पर्याप्त था।

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  5. bahut sunder vyangya.

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  6. सब जानते हैं. कुटिल सरकार की कुटिल नीति कभी भी लोकपाल को सिरे नहीं चढ़ने देगी. लोगों के पास सरकार के एंटी वोटिंग करने के लिए भी तो विकल्‍प नहीं है. हो सकता है कि वे भाजपा को वोट करें, लेकिन भाजपा से भी अधिक उम्‍मीद नहीं लगाई जा सकती. जब तक कि नरेंद्र मोदी जैसा कोई पॉवरफुल नेता आगे नहीं लाया जाता.
    आप भी इस विषय पर कई बार लिख चुके हैं. भाजपा अगर जनता को एक अच्‍छा विकल्‍प दे तो जनता ही कुछ कर सकती है.
    अभी हम बदलाव के दौर में हैं और बदलाव कभी एक दम नहीं आता. बदलाव की प्रक्रिया धीमी होती है, फिर भी खुशी इस बात की है कि बदलाव शुरू हो चुका है.

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  7. shandar post par badhai, vakai me kutil sarkar ke kutil mantri lokpal bill ko lagoo hi nahi karana chahta hai. kyoki jaanch me sare kutil mantriyo ka hi kutil dhan niklega.

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