Wednesday, June 8, 2011

नुक्कड़ चर्चा -- रामदेव बाबा के आंदोलन का पोस्टमार्टम

                     नुक्कड़ पर भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी दुखी थे और दीपक भाजपायी दुखी नजर आने का असफ़ल प्रयास कर रहे थे । सबसे बुरा हाल आसिफ़ भाई का था वे दुखी होंउ या खुशी मनाउं समझ ही नही पा रहे थे । मुझे देखते ही आसिफ़ भाई फ़ट पड़े यार दवे जी मेरी पीड़ा का अंत करें माजरा क्या है और बाबा के आंदोलन का औरर आखिर ये दमन हुआ क्यों यह भी जानकारी दो । मै धीरे से मुस्कुराया बोला भाई तुम लोग तो हिंदू मुसलमान कांग्रेसी भाजपायी बन कर सोचते हो और इन विषयों को भारतीय बन कर ही समझा जा सकता है

                                  तीनो ने सर हिलाया कहा हम भारतीय बन सुन रहे हैं आप बताओ । मैने कहा सबसे पहले तो ये बाबा के आंदोलन का प्रारूप गलत था लोकतंत्र मे अनशन सांकेतिक रूप से गंभीर तात्कालिक मुद्दे पर  लचीलेपन के साथ होना चाहिये जैसे अन्ना हजारे का आंदोलन था । अब  सरकार जनलोकपाल बिल मे वादाखिलाफ़ी करती है तो  चुनाव मे जनता सबक सिखायेगी । दूसरे ऐसे अनशन मे चुनिंदा मझें हुये कार्यकर्ता ही करते हैं । बाबा की तरह नही कि हजारो बुजुर्ग विकलांग और महिलाओं को बैठा दिया ऐसे मे अनहोनी की आशंका हरदम रहती है । सरकार को ब्लैकमेल नही करना चेतावनी देना है कि जनता की क्या तकलीफ़ है । तीसरी बात मुद्दे सीमित और गंभीर होने चाहिये ये नही कि कालाधन भी उसके बाद सुनाई पड़ा भू अधिग्रहण का मामला तो उसे भी जोड़ लिया अब इस बाबा को राष्ट्रीय किसान आय आयोग भी चाहिये शिक्षा मे भारतीय भाषाये भी चाहिये था और भी पता नही क्या क्या । मजाक है क्या पचास हजार अनुयायियों को बुलाया और सौ मांगे लेकर बैठ गये नाम हुआ तो अपना अनहोनी हुयी तो सरकार जिम्मेदार । आंदोलन का अंत गिरफ़्तारी से होता है कैसे अन्ना ने घोषणा की थी हम जेल जाने को तैयार हैं और ये बाबा तो महिलाओं का सुरक्षा घेरा बना गिरफ़्तार नही होना चाहते थे । इतना सुनते ही दीपक भाजपाई भड़क गये बोले दवे जी कितना माल मिला कांग्रेसियो से जो अनाप शनाप बक रहे हो ।

मैने कहा आगे तो सुनो भाई आपको अभी और तिलमिलाना बाकी है ये । क्या जनता को दिख नही रहा कि आंदोलन के शांतिपूर्ण खत्म होने पर सरकार का फ़ायदा था और दमन होने पर भाजपा का इसीलिये शुरू मे ही आनन फ़ानन मे  चार चार वरिष्ठ मंत्री एयरपोर्ट गये चर्चा की आंदोलन शुरू होते ही फ़िर होटल मे चर्चा हुयी और सहमती भी बन गयी । लेकिन बाबा पर लौटते ही संघ का दबाव पड़ा आंदोलन जल्दी समाप्त करने के विरूद्ध बाबा के श्रीमुख से नयी नयी मांगे निकलने लगी राष्ट्रीय किसान आय आयोग जमीन अधिग्रहण और भी बहुत सी । सहमती पत्र दे चुके बाबा की नयी मांगो और मंच पर बैठी साध्वी रितंभरा को देख सरकार का माथा ठनका । आंदोलन मे संघ के परोक्ष रूप से जुड़े होने की बात उसे पहले से पता थी पर उसका और उसके अनुषांगिक संगठनो का इस तरह खुल कर सामने आना बात अलग थी । खुफ़िया सूचनायें थी कि  अगले दिन सुबह से भारी भीड़ जुटने वाली है और यह भी की बाबा अब इस आंदोलन को टकराव की ओर ले जाने वाले हैं । बाबा पर दबाव बढ़ाया गया लेकिन बाबा को टकराव से ही लोकप्रियता मिलने की सीख मिली थी और अन्ना के आंदोलन का हश्र भी बाबा को बुरा नजर आ रहा था । इसपर सरकार ने सहमती पत्र जारी कर दिया और अपना पत्र बाबा के पास भेज दिया लेकिन बाबा ने उसे झूठा और साजिश करार दिया । अब सरकार के पास कोई चारा नही था दिन मे आंदोलन खत्म कराने पर क्या हंगामा होता यह सरकार जानती ही थी ।  इसलिये रात मे ही सरकार ने कार्यवाही के निर्देश जारी कर दिये । जितना नुकसान हो सकता था उससे कम ही हुआ । सरकार के लिये एक नपा तुला कदम था नुकसान भी बाबा अपने बयानो से आने वाले दिनो मे पूरा कर ही देने वाले थे

मेरे इतना कहते ही सोहन शर्मा नाचने लगे बोले मान गये दवे जी बेहद दिमागदार आदमी हो मैने कहा मिया किसी गलत फ़हमी मे न रहना दवे जी और पूरा देश अभी उस धर्म निरपेक्ष आदमी की तलाश मे हैं जो आपकी पार्टी को हमेशा के लिये स्विस बैंक मे जमा कर आये आप लोगो के पाप का घड़ा अब भर चुका है । तभी बाजू खड़े दीपक भाजपाई बोले दवे जी भी कांग्रेसी हैं खाली खाल आम आदमी की ओढ़ रखी है। मैने जवाब दिया दीपक जी निकम्मे और भ्रष्ट आप लोग भी कांग्रेस से कम नही और बल्कि एक कदम आगे बढ़ गये हो यतियों को सामने रख लड़ना चाहते हो । खुद के बुलावे पर जनता साथ नही दे रही तो रामदेव का आंदोलन दूषित करने पहुंच गये । अपने गिरेबान मे झांकने की जहमत क्यों नही करते जनता क्यो साथ नही दे रही इसका चिंतन क्यों नही करते नेता से कार्यकर्ता सब भ्रष्ट हो गये हैं । इसका उपाय आपसे किया न जायेगा न करने की इच्छा है खाली सहारा खोजते हो । याद रखो आज से तीन साल बाद आप ही देश मे विकल्प हो सावधान अगर आपने अपने को ठीक न किया तो इस देश का  लोकतंत्र से विश्वास उठ जायेगा । तुम्हारी पूरी पार्टी मे मोदी के अलावा और कोई ईमानदार और विकास पुरूष नही है  । पर तुम्हारे जनाधार विहीन नेता कभी उसको सामने नही लायेंगे खाली उसका फ़ोटो दिखा वोट कमायेंगे । सुधर जाओ दीपक बाबू अभी भी समय तुम्हारे साथ है । और खबरदार जो आज के बाद किसी गैर राजनैतिक आंदोलन को दूषित करने का प्रयास किया ।

मेरे इतना कहते ही आसिफ़ भाई मुझे खींच कर अलग ले गये बोले दवे जी सबको ही खरी खोटी सुना देते हो किसी एक का पक्ष तो लिया करो । मैने ठंडी सांस ली बोला भाई आज तो  हम लोग याने जनता विपक्ष हैं और सारी पार्टियां सत्ता पक्ष अब आप ही बताओ विपक्ष का काम सत्ताधारियों को खरी खोटी सुनाना है कि नही
Comments
7 Comments

7 comments:

  1. इस पोस्ट पर इशारों में ही मेरी ग़ज़ल को टिप्पणी समझें!
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    ज़रा सी बात पे इतना नहीं ख़फा होते
    हमेशा बात से मसले रफा-दफा होते

    इबादतों के बिना तो खुदा नहीं मिलता
    बिना रसूख के कोई सखा नहीं होते

    जो दूसरों के घरों पर उछालते पत्थर
    कभी भी उनके सलामत मकां नहीं होते

    फ़लक के साथ जमीं पर भी ध्यान देते तो
    वफा की राह में काँटे न बेवफा होते

    अगर न “रूप” दिखाते डरावना अपना
    तो दौरे-इश्क में दोनों ही बावफा होते

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  2. janta kab vipaskh me nahi rahi hai arunesh.aur yahi hal hota raha andolano ka to vipaksh me bhi nahi rah payegi.pata nahi kya hoga uska.

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  3. lagata ahi aap meediya se ho ya civil socity se ,

    aap ko laathiyan nahi dikhin baba giraftaree ke liye taiyaar the vo nahi dikha aaur karvayee sahi ho gayee han ye jo prashansha hai na ye har kisi ko mil jaati hai to ye mat socho ki tumharee ha rbaat sahee hai

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  4. भ्रष्टाचार की माया है, कभी समझ न आई
    कल के भाई दुश्मन हैं, कल के दुश्मन भाई

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  5. साहब जनता तो हमेशा पैरों की ही जूती बनी रही, खुद कष्ट में और पहनने वाले को सुकून देती रही..

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  6. जनता यदि ज्यादा कुछ नहीं कर सकती , तो खरी-खोटी तो सुना ही सकती है।

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