Sunday, April 3, 2011

शिव पार्वती और गणेश जी का वनमार्ग से भ्रमण


कैलाश पर विश्राम कर रहे भगवान शिव और पार्वती जी से गणेश जी ने भारत भ्रमण की अनुमती मांगी प्रभू ने अनुमती प्रदान करते हुये कहा कि जाओ पुत्र पर  केवल सड़क मार्ग से ही जाना शार्टकट के चक्कर मे वनमार्ग से न चले जाना । माता पार्वती ने आश्चर्य से पूछा वनमार्ग से जाने मे क्या समस्या है प्रभु ।

प्रभु ने कहा वन मार्ग उबड़ खाबड़ होते हैं इसीलिये... माता ने बात काटते हुये कहा वाह वनविभाग तो वनमार्गो के रखरखाव मे तो हर साल अरबो रूपये खर्च करता है । प्रभु ने समझाया भाई जंगल मे मोर नाचा किसने देखा हर साल तो बारिश मे सड़के खराब होनी ही हैं इसीलिये अधिकारी सड़क के आजू बाजू से थोड़ी बहुत मिट्टी गिट्टी डालकर खाना पूर्ती कर लेते हैं और जून महिने मे ही विभाग से भुगतान करवाते हैं । जब तक कोई शिकायत करे बारिश तो आ ही जानी है । माता ने पूछा परंतु प्रभु राष्ट्रीय उद्धानो और अभ्यारण्यो मे तो खनन पर रोक है फ़िर ये सड़क के बाजू से कैसे गिट्टी निकाल लेते हैं । प्रभु मुस्कुराये अरे भाई ये सब रोक तो बाहरी लोगो के लिये है नियम कायदे अधिकारियो पर थोड़े ही लागू होते हैं नियम तोड़ने का अधिकार प्राप्त होने के कारण ही तो इन्हे अधिकारी कहा जाता है । माता ने पूछा और बाहरी लोगो के लिये क्या दंड है प्रभु । बाहरी लोग अगर साहब लोगो को बिना बताये ऐसा करेंगे तो वाहन जप्त हो जाता है और बता कर करेंगे तो कमाई का 50 % ही अर्थदंड लगेगा प्रभु ने समझाया। भारत मे अधिकारियो को बता कर जुर्म करने वाले लोगो को विशेष छूट दी जाती है

माता ने कहा ये तो गलत है भ्रष्टाचार है प्रभु ने कहा ये बेचारे वनाधिकारी शहर से दूर जंगलो मे ड्यूटी करते हैं बिना बिजली के रहते हैं कितनी मेहनत करते हैं । इस पर माता बोल उठीं नही आप गलत बोल रहें हैं मै जानती हूं कि ये अधिकारी तो अधिकांशतः शहर मे ही रहते हैं । प्रभु मुस्कुराये और बोले अरे भाई पत्नियो को भी तो समय  देना ही पड़ता है (मन ही मन प्रभु ने सोचा समय न दो तो कितनी मुसीबते आती हैं मुझसे भला कौन ज्यादा जानता होगा)   उनकी फ़रमाईशें भी तो पूरी करनी पड़ती हैं  अब शिकार करवा के पैसा कमायेंगे तो दुनिया भर के लोग पीछे पड़ जाते हैं इसीलिये ये बेचारे बिना पेड़ कटवाये बिना शिकार करवाये थोड़ा बहुत कमा लेते हैं तो इसमे गलत क्या है । वैसे भी गिट्टी मुरुम निकलवाने से गड्ढा बन जाता है जिसमे बारिश मे पानी जमा हो जाता है और जो गर्मी मे वन्यप्राणियो को पानी मिलता है कितने पुण्य का कार्य है यह तो । ये सब छोड़ो बेटा गणेश तुम वन मार्ग से न जाना ।

गणेश जी ने कहा पापा मेरा चूहा तो होवर क्राफ़्ट की तरह जमीन से दो फ़ुट उपर चलता है खराब रोड से इसको कोई परेशानी नही होती । तभी माता बोल उठी इन्होने कोई बात कह दी है तो अब उसका समर्थन करने के लिये दस बहाने खोज निकालेंगे बताईये बताईये  प्राणनाथ । प्रभु मुस्कुरा उठे और कहा बेटा दूर भ्रमण मे जा रहा है तो पिता कुछ सलाह तो देगा ही कि नही और आप हैं कि मै जो बोलता हूं उसके पीछे पड़ जाती हैं फ़िर गंभीर स्वर मे बोले असली कारण यह है बेटा कि जंगल मे तुम्हे खाने के लिये कुछ नही मिलेगा । गणेश जी ने कहा मै तो दो सदी पहले ही गया था और मैने तो रास्ते भर जंगल से ही रसीले फ़ल और मधु का भोग लगाया था । प्रभु ने कहा दो सदी पहले और आज मे बहुत अंतर आ गया है । अब वो भोजन देने वाले  जंगल काट दिये गयें है और उनके बदले मनुष्य ने सोफ़ा अलमारी और चौखट देने वाले जंगल लगा दिये हैं । अब इन जंगलो मे चिड़ियो वन्यप्राणियो और आदिवासियो के लिये ही भोजन नही है तो तुम्हे खाने को क्या मिलेगा । अचंभित गणेश जी ने कहा अरे मै जिस मुड़िया आदिवासी से मिलने जा रहा था वह मुझे कहां मिलेगा प्रभु ने कहा बेटा आस पास के किसी कारखाने या खदान मे पता कर लेना वही मजदूरी करता होगा

माता और कुछ कहती उसके पहले ही प्रभु बोल उठे और मुख्य बात यह है बेटा कि बस्तर जहां तुम जा रहे हो वहां बारूदी सुरंगे बिछी हुई हैं इलाका बेहद खतरनाक है तुमको कोई परेशानी हो गयी तो तुम्हारी मां मेरा जीना मुश्किल कर देगी याद नही पिछली बार की कैसे रणचंडी बन गयी थीं  और मुझे जल्दीबाजी मे हाथी का सर ट्रांसप्लांट करना पड़ गया था
इतना सुनते ही गणेश जी माता पिता को मीठी तकरार मे उलझा छोड़ मुस्कुराते हुये सड़क मार्ग से भ्रमण को निकल गये ।

Comments
5 Comments

5 comments:

  1. लिखा तो बहुत शानदार है पर लिखने के लिए समय की दरकार है।

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  2. Bahut he Sundar likha hai aapne.............

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  3. बहुत खूब लिखा है...सही लिखा है......

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  4. वाहवा वाहवा - जंगल पोल खोलू आभियान जारी रहे।

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