Friday, November 25, 2011

चांटा लगाऽऽऽऽऽऽऽ~~~~~~~~ हाय रब्बा




एक केंद्रीय मंत्री,  आत्म मुग्ध से पत्रकारों को दुनिया भर के कठिन सवालो का जवाब देते चले जा रहे थे। उनके जवाब हालांकि बेहद सरल थे,  किसी को भी तड़ से समझ आ सकने वाले।  मसलन -"मै ज्योतिष नही हूं", "मामला कैबिनट मीटिंग मे तय होगा"। तभी अचानक एक तगड़े से सरदार, अपने मन्नू की तरह कमजोर नही, बल्की एक दम असरदार, ने दन्न से चांटा जड़ दिया। मंत्री जी पुराने चावल थे,  थोड़ा लखड़ाये जरूर लेकिन तुरंत संभल कर,  पूरे मामले को झटक कर आगे बढ़ गये।

मसला कैमरों में कैद हो चुका था। टीवी चैनलों पर एक ही तमाचा रूक रूक कर, खिंच खिंच कर तड़ातड़ पड़ता नजर आ रहा था। अब देखिये विभिन्न चैनलों मे नेताओ की प्रतिक्रियाएं और उसके बाद हमारे दिमाग में बजी घंटी।

पिटने वाले मंत्री जी - "हमे पता ही नही चला कि क्या हो गया, चेहरा घूम जाने के कारण केवल धक्का ही लगा"

हम - " हां भाई, हमको भी कहां पता चलता है। पांच रूपये किलो का टमाटर पचास रूपये हो जाता है, सौ रूपये फ़ुट की जमीन हजार रू हो जाती है। रही बात चांटे की,  वो तो सामने नजर आ ही रहा है,  कहां पड़ा,  कितनी जोर से पड़ा।"

वित्त मंत्री प्रणब दादा,  धिक्कारते हुये - "पता नही देश कहां जा रहा है।"

हम -"  बात तो सही है मंत्री जी, हमे भी नही पता कि देश कहां जा रहा है। पर इतना जरूर पता है,  ले जा आप ही लोग रहे हो।"

शरद यादव - " ये बात अच्छी नही है सांसद और नेता है तो देश चल रहा है। उनकी इज्जत होनी चाहिये,  हिंसा से नही अहिंसा से विरोध करना चाहिये "

हम - "वाह रे शरद बाबू, कलमाड़ी मामले मे तो संसद मे कह रहे थे कि देश की जनता उदासीन है जाग जायेगी तो पीटेगी होश ठिकाने ले आयेगी। अब जागरूक होकर पीट रही है तो पलटी मार रहे हो, खैर जो पलट न जाये वो नेता कैसा।"


राशिद अल्वी कांग्रेस प्रवक्ता - "यशवंत सिन्हा ने बयान दिया था कि लोग हिंसा पर उतारू हो सकते हैं। यह घटना उसी बयान का नतीजा है।"

हम - "अरे लालबुझक्कड़, इन भाजपाईयों के कहने पर ही जनता रोड में आती तो देश को बाबाओ की अन्नाओ की क्या जरूरत थी। ये लोग तो तुम्हारे ही चचेरे भाई है। बिना पौव्वा,चेपटी बाटॆ तो आडवानी की सभाओ में भी कौव्वे बोलते।"

यशवंत सिन्हा - यह हिंसा मेरे बयान से नही उपजी है, थप्पड़ मारने वाला मेरे बयान के पहले सुखराम को भी थप्पड़ मार चुका था।"

हम - "अरे बुड़बक यह न कहता कि हमने तो पहले ही चेता दिया था कि महंगाई  कम कर नही सकते तो कम से कम पिटने से बचने का इंतजाम कर लो।"

लालू यादव - यह अच्छा घटना नही न हुआ, डेम्होक्रेसी में गांधी बाबा के रास्ते पर चलना चाहिये, हिंसा नही होनी चाहिये।

हम - "हां लालू बाबू आपको सब से ज्यादा खतरा है, बाकी नेता तो अपना शहर छोड़ कही और छुप सकते है। हिंसा फ़ैली तो आपको देश का बच्चा बच्चा जानता है विदेशे भागने से जान बचेगा।"


खैर साहब यह तो इन लोगो की प्रतिक्रिया थी, लेकिन हमारी प्रतिक्रिया भी सही नही है। तमाचा मारना है तो हिंदुस्तानियो को पहला तमाचा खुद के मुंह पर मारना चाहिये। आखिर हम लोग ही न धर्म के नाम पर, जात के नाम पर, निजी फ़ायदे के हिसाब से या पैसा खाकर इन लोगो को सत्ता मे लाते हैं। कहावत भी है कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहा से होय। अभी चुनाव आयेगा तो कोई हिंदुओ को खतरा है का नारा लगाते एक को वोट देगा कोई मुसलमानो पर छाये कयामत के नाम पर दूसरे को वोट देगा। धर्म और जात से उपर उठ कर जब तक हम इमानदारी और विकास पर वोट नही देंगे तब तक यही भ्रष्टासुर राज करते रहेंगे।
Comments
10 Comments

10 comments:

  1. इस थप्पड़ की महिमा भी अपार है .....!

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  2. बहुत खूब ||
    सुन्दर रचनाओं में से एक ||

    आभार ||

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  3. चलो कोई बात नहीं।
    एक हा लगा और जान छूट गई।
    अगर कहीं चाकू लग जाता तो....!

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  4. सही कहा अरुणेश भाई, बोया पेड़ बबूल का तो....
    अब इस बबूल की डालियों द्वारा सारे देश की सड़कों में कांटे ही कांटे बिखेरे जा रहे हैं....
    पता नहीं क्यूँ लग रहा है कि यह पोस्ट तो एक ट्रेलर है... आपकी ओर से पूरी पिक्चर आनी अभी बाकी है इस “थप्पड़ महिमा” पर...
    सादर...

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  5. janta ke aakrosh ki charamsima ki suruaat hai.

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  6. आखिर बरदाश्त कि भी हद होती है. ये तो होना ही था.

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  7. बेहतरीन पोस्ट ! आपके दिमाग में बजी घंटी आज के हालात का सही आकलन कर रही है ! वाकई ऐसे नेताओं को सत्ता में लाने के दोषी भी हम ही लोग हैं तो फिर शिकायत कैसी और किससे ! जब तक जनता जागरूक नहीं होगी ऐसी घटनाएँ दोहराई जाती रहेंगी !

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  8. थप्पड़ की प्रशंसा निंदनीय है
    जो लोग आज शरद पवार के थप्पड़ मारने और उन्हें कृपाण दिखाने वाले सरदार हरविंदर सिंह की प्रशंसा कर रहे हैं,
    क्या वे लोग तब भी ऐसी ही प्रशंसा करेंगे जबकि उनकी पार्टी के लीडर के थप्पड़ मारा जाएगा ?
    हम शरद पवार को कभी पसंद नहीं करते लेकिन नेताओं के साथ पब्लिक मारपीट करे, इसकी तारीफ़ हम कभी भी नहीं कर सकते। इस तरह कोई सुधार नहीं होता बल्कि केवल अराजकता ही फैलती है। अराजक तत्वों की तारीफ़ करना भी अराजकता को फैलने में मदद करना ही है, जो कि सरासर ग़लत है।
    सज़ा देने का अधिकार कोर्ट को है।
    कोर्ट का अधिकार लोग अपने हाथ में ले लेंगे तो फिर अराजकता फैलेगी ही और हुआ भी यही शरद पवार के प्रशंसक ने शुक्रवार को हरविंदर सिंह को थप्पड़ मार दिया है।

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  9. Dr. Anwar Jamal Ji,

    aap kuch bhee khe, thappad to lgna hee chaiye in netao ko.Hrvinder ko jisne thappad mara vo prsenshek nhi chatukhor tha is neta ka...

    Bhagat Singh ne assembly main bm foda tha .Angrejo ne bhee ise nindniye btaya tha.Aap bhagat singh ko kya khoge...?aur aap log to lokmt main yakeen rakhte ho na. Krwa lo poore desh main voting kee ye thappad shi lga hain ya glet.

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  10. सभी के बयानों को पढ़ा ,मनोरंजन भी हुआ ,लेकिन आपका बयान लाजबाब और प्रशंसनीय था ...

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