Thursday, June 30, 2011

मन्नू बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है

भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी गुनगुनाते हुये आ रहे थे मम्मी जी भी सुंदर सुंदर बाबा भी सुंदर सुंदर है । हमसे रहा नही गया  पूछ बैठे के भाई शर्मा जी संकंट काल मे चेहरे पर खुशी क्या अन्ना मान गया आपकी बात । शर्मा जी का मुंह कसैला हो गया बोले यार दवे जी किसी की खुशी आपसे देखी नही जाती ।भाई अपना मन्नू बोलने लगा है अब अपनी सारी सफ़ाई वही खुद देगा॥ कांग्रेस पार्टी खामखा बदनाम हो रही थी सरकार गठबंधन की और नाम हमारा खराब वैसे भी मन्नू से बड़ा ईमानदार तो कोई है ही नही ।

मैने बीच मे बात काटी  ये बोलना भी कोई बोलना है मन्नू पांच चमचे बुलाये जो पूरे समय बंद कमरे मे दुम हिला रहे थे । क्या कहते है मै कमजोर नही हूं मुझे सोनिया मम्मी का पूरा विश्वास प्राप्त है रै  भाई अपनो से ही कहना था तो  जनता के विश्वास के बारे मे भी झूठ कह देता कि वह भी पूरा प्राप्त है । और  शर्मा जी ये मन्नू के विग्यापन पाउ चमचे क्या कहते है बाहर आकर मन्नू की बाडी लैगुएज अच्छी थी कान्फ़िडेंट दिख रहे थे । अरे भाई अगर मन्नू महिला होता तो क्या कहते मन्नू की बाडी की बात करते ही पिटने की नौबत आ जाती

शर्मा जी ने बात पलटी कहने लगे विपक्ष सहयोग नही कर रहा मन्नू का हमने कहा क्या शर्मा जी कुछ भी आरोप लगाते हो भ्रष्टाचार कर तो रहे हैं बेचारे अपने अपने राज्यो मे । राजा दो लाख करोड़ खा गया मन्नू टुकूर टूकूर ताकते रह गये फ़िर भी कोई नही कह पा रहा कि मन्नू भी या तो शामिल था या नाकारा है । और कैसा सहयोग चाहिये अब आपकी सरकार मे विपक्ष तो पैसा नही खा सकता न । शर्मा जी ने तत्काल विरोध दर्ज किया कहने लगे गठबंधन धर्म की मजबूरी भी होती है मैने पूछा इसका मतलब  बड़े अर्थशास्त्री है समझबूझ कर खाने का अवसर दिया था क्या । शर्मा मे फ़िर प्रतिवाद किया बोले भाई अगर मन्नू अपने मंत्रियो  पर भरोसा न करे तो सरकार चले कैसे मैने तत्काल शर्मा जी को सामने और मन्नू को मन ही मन प्रणाम किया और कहा कि मतलब आप लोग स्वीकार करते हो कि मंत्रियो ने मन्नू के और मन्नू भाई ने हमारे भरोसे को तोड़ विश्च्वास घात किया है
शर्मा अब लोकपाल की बात कहने लगे कि मन्नू को उसके दायरे मे आने मे कोई दिक्कत नही हमने कहा दिक्कत क्या होगी थामस टाईप अपना कॊई चमचा बैठा लेंगे देश भी खुश मन्नू भी खुश । शर्मा जी ने सफ़ाई दी बोले मन्नू को भी मजबूत लोकपाल चाहिये हमने कहा भाई कि क्या लोकपाल को कुश्ती लड़नी है कि दारा सिंग चाहिये । कड़े सिस्टम को तो मन्नू चाहे भी तो तुम लोग बनने नही दोगे बाकी बात बेमानी है । और ये मन्नू तो निरा गधा है प्रधान बन गया पेंशन मिलनी ही है क्यो नही भाग निकलता बीमारी का बहाना बना कर इसको कौन सा अपना राजवंश चलाना है ।

शर्मा जी फ़िर भड़क गये कहने लगे मतलब आप जो हो देश के पांच महानतम विद्वान संपादको से ज्यादा होशियार हो जब उन लोगो को मन्नू पर फ़िर से भरोसा हो गया है तो आप को क्यो नही हो रहा । मै मुस्कुराया बोला शर्मा जी अपन भी क्या उन संपादको से कम है भाई हमको भी खिला पिला दो हम भी खुश हो जायेंगे । आज देश मे दुखी तो वही है जो बेचारा खा पी नही पा रहा और वे भी इसलिये आज अपना दुख प्रकट कर रहे है भाई कि उनको आज दो वक्त की रोटी के लाले हो गये हैं । और तुम्हारा अर्थशास्त्री मन्नू भी इसलिये बेबस है कि जो नोट उसने मंदी से बचने के लिये छपवाये थे वे सब खाने पीने वाले लोगो के पास पहुंच गये हैं । उन नोटो से बढ़ी महंगाई के कारण आम आदमी गरीब हो गया है । अब उन अतिरिक्त नोटो को मन्नू वापस लेता है तो खाने पीने वालो की जेब थोड़ी हल्की हो जायेगी पर आम आदमी की जेब पूरी खाली हो जायेगी इसिलिये मन्नू हैरान है और तुम्हारी पार्टी परेशान है ।

शर्मा जी अचकचाये ये क्या बोल गये दवे जी अपनी तो समझ मे कुछ नही आया आप तो ये बताओ कि हमको करना क्या चाहिये मै फ़िर मुस्कुराया तुमको  कुछ नही करना है भाई अब जनता करेगी बस तुम इंतजार करो की कब करती है।

Tuesday, June 28, 2011

असली कांग्रेसी तो कट्टर हिंदुत्व का नारा लगाने वाले लोग हैं

नुक्कड़ पर आम दिनो की अपेक्षा बहुत शांती थी अन्ना के आंदोलन मे समय था और फ़िलहाल बाबा रामदेव को नया आंदोलन खड़ा करने मे वक्त लगने वाला था । सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी फ़िलहाल संकट विहीन समय का आनंद ले रहे थे और दीपक भाजपाई सकंट शुरू करने का मुहुर्त देख रहे थे । आसिफ़ भाई ने पूछ लिया दवे जी अब आगे क्या होगा मै कुछ कहता कि सामने से बाबा रामदेव के स्वयंभू समर्थको का जुलूस आया नारे लग रहे थे "सोनिया मम्मी हाय हाय कांग्रेस आई हाय हाय"   "हिंदू संत का ये अपमान नही सहेगा हिंदुस्तान" "जो हिंदू हित की बात करेगा वही देश मे राज करेगा " इनका पेटेंट हर हर महादेव का नारा तो था ही बाकि भ्रष्टाचार को कम और सोनिया मम्मी को ज्यादा कोसा जा रहा था ।


इस जूलूस को देख बीच मे बैठे आसिफ़ भाई शर्मा जी के पास बैठ गये पूछा क्या शर्मा जी क्या कहना है इस जुलूस पर । शर्मा कांग्रेसी बोले भाई ये लोग आज से थोड़े ही है जब से देश आजाद हुआ तब से हैं इनसे हम को कोई फ़र्क नही पड़ता अभी दो महिना पहले हम तीन राज्यो मे चुनाव जीत कर आये हैं । दीपक भाजपाई भड़क गये अब वो दिन गये बेटा कांग्रेसी देखो ये जा रहे हैं हमारे समर्थक ऐसा मजा चखाएंगे नानी याद आ जायेगी तुम लोग अब दस साल के लिये सत्ता भूळ जाओ । मैने पूछा कहां है  भाजपाई तुम्हारे समर्थक मुझे तो नजर नही आ रहे कहीं । दीपक भाजपाई बोले रात को ज्यादा हो गयी थी क्या दवे जी जो सामने जा रहा जुलूस नही दिख रहा । मैने कहा भाई जुलूस तो पूरा दिख रहा है पर उसमे तुम्हारे समर्थक कहां है  । ये सब तो कांग्रेसी लोग है शर्मा जी जरा इनके जलपान की व्यवस्था करो भाई शर्मा जी अचकचाये बोले क्यो मजाक करते हो दवे जी ये सब तो दीपक भाजपाई  के समर्थक हैं  वही जाने ।

मैने कहा भाई समर्थक भले दीपक भाजपाई के हैं पर काम तो आपका ही कर रहे हैं देखो ये जहां जहां से जायेंगे उस उस गली के सारे अल्पसंख्यक आपके भ्रष्टाचार को भूल बाबा रामदेव पर हुये दमन को भूळ  कांग्रेस के पीछे लामबंद हो जायेंगे  । यही तो आपको चाहिये यही होने पर तो आप फ़िर सत्ता मे आते हो नही तो जिस जगह ये लोग कमजोर है जैसे यूपी मे वहां आपकी पार्टी का नाम लेवा नही है । भाई किसी भी चुनाव मे चार प्रतिश स्विंग से ही सरकार आर पार हो जाती है ये जुलूस वाले तो पूरा बीस प्रतिश स्विंग करा देते हैं । आज कांग्रेस का बड़े से बड़ा नेता अपने भाषण से एक वोट कांग्रेस के पक्ष मे नही दिलवा सकता ऐसे मे ये हर हर महादेव का नारा लगाते ये लोग करोड़ो वोट बिना परिश्रम का कांग्रेस को दिलवा रहे है शर्मा जी आपको आभार व्यक्त करना चाहिये

शर्मा जी कुछ कहते कि उनसे पहले दीपक जी भड़क गये बोले हिंदुस्तान मे रहकर हिंदुओ की बात करना गलत है क्या मैने पूछा भाई किस बात मे हिंदुओ का हित है जरा बताओ तो और देश मे हिंदुओ का क्या अहित हो रहा है । खुश हाल देश मे ही हिंदुओ का हित है भाई और इसी मे मुसलमानो का भी है । इसको छॊड़ो तो भी भ्रष्टाचार के मुद्दे मे ये हिंदुत्व कहां से आया रे भाई बाबा रामदेव का दमन नही हुआ है इस देश की जनता की भावनाओं का दमन हुआ है इसमे हिंदू भी है और मुसलमान भी साध्वी को लाकर क्यो तुम देश की जनता को बाटने मे लग गये । सिर्फ़ इसी लिये कि तुमको बाबा के दमन मे फ़ायदा दिख रहा था खुद तो भ्रष्ट हो इसलिये जनता का साथ नही मिल रहा तो येन केन प्रकारेण सत्ता चाहिये वो भी समय से पहले ।


 दीपक भाजपाई इस खांग्रेस से त्रस्त और खांग्रेस का मतलब खान ग्रेस से नही है भाई खाने वाली कांग्रेस से है इनसे मुक्ती पाने के लिये देश के सामने तुम्हारे अलावा है कौन ।  सब वोट तुमको ही पड़ेगा भाई यहां तक मेरा भी पर शर्त लगा लो  फ़िर भी तुम लोग हार जाओ क्योंकि ये जुलूस मे लग रहे नारे फ़िर मुद्दा घुमा के भ्रष्टाचार से दूर धर्म और जात पर ले जायेंगे ।  उसमे तो भाई तुम्हारा पक्ष कमजोर ही पड़ेगा बटने मे भारतीय वोटर अनगिनत टुकड़ो मे बट जाता है ऐसे मे इस कपटी कांग्रेस से पार पाना तुम्हरे बस मे नही यूपी मे ही तुम्हारा दम निकल जायेगा

दीपक भाजपाई कुछ करना ही चाहते हो तो मोदी को सामने ले आओ रीढ़विहीन नेताओ की चाल से मुक्ती दिलाओ और जन आंदोलन को दूषित न होने दो । बहुत हुआ अब इस कांग्रेस से मुक्ति चाहिये इमानदार और विकास पुरूष खोज रहा है यह देश इसे अब जातिवाद धर्मांधता से नही लेना देना । अब हमे मोदी जैसा ईमानदार भ्रष्टाचार मुक्त नेता चाहिये  ईमानदार और विकासशील सरकार होगी तो सभी का फ़ायदा है आज गुजरात के विकास का लाभ सभी को मिल रहा है नहरो मे बहता पानी जात पूछ कर सिचाई नही करता और धर्म पूछ कर प्यास नही बुझाता



इसलिये शर्मा जी अपनी सरकार के दिन गिनो और दीपक भाजपाई ज्यादा होशियार मत बनो स्याना कौंवा कहां चोंच मारता है सभी को पता है ।

Sunday, June 26, 2011

खवासा का आदमखोर बाघ

एक ऎसी वीरांगना की कहानी जिसने नरभक्षी को मरवाने के लिये अपना जीवन होम कर दिया

अमावस्या की अंधेरी रात मे अलाव की रोशनी जिन चेहरों को उजागर कर रही थी वे सभी शोक  भय असहायता से ग्रस्त थे । इन लोगो मे शामिल थे खवासा के बचे खुचे ग्रामीण ब्रिटिश सरकार के ३ अंग्रेज अफ़सर और ५०० रूपये इनाम की लालच मे आया नन्दू नाम का शिकार सहायक । इस असहायता का कारण था वह बाघ जो पिछले कई महिनो से इलाके मे कहर ढा रहा था । हालत यहां तक पहुच चुकी थी कि नामी शिकारी भी हथियार डाल चुके थे और सरकार द्वारा इसे मारने के लिये रखा गया इनाम बढ़ते बढ़ते ५०० रूपये तक पहुंच चुका था।

खवासा जो आज पेंच राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है उस समय एक छोटा सा गांव था और वहां तक पहुचने के लिये  बैलगाड़ी का सहारा लेना पड़ता था । खवासा और उसके आस पास के गांवो में उस समय पिछले दो वर्षो से एक आ कहर ढा रहा था उसने १५० से ज्यादा आदमियो का शिकार किया था लेकिनउस समय अंग्रेज शासन  मध्य भारत मे पूरी तरह स्थापित नही हुआ था अतः इस आदमखोर ने कुल कितने लोगों का शिकार किया था यह तथ्य स्थापित नही है ।       


यह बाघ एक लहीम शहीम नर था और पहले इसने कभी किसी पशु तक को नही उठाया था  ग्रामीण भी निडर होकर इसके सड़क किनारे बैठे रहने पर भी आराम से निकल जाते थे । लेकिन मई के महिने मे जब पानी के सभी सोते सूख गये तब जंगल के इकलौते तालाब मे मचान बनाकर नागपुर से आया एक अंग्रेज अफ़सर बैठा हुआ था । वह अफ़सर इस विशाल बाघ की खाल को लंदन मे अपनी प्रेमिका को भेंट करना चाहता था । पर उसे यह गुमान नही था कि यह भेंट एक नही बल्की सैकड़ों जानो की कुर्बानी लेने वाली है । उसका निशाना चूक गया और उसकी गोली बाघ के पिछले पैरो पर लगी और वह बाघ हमेशा के लिये अपंग हो गया । अफ़सर चूंकि गोली लगने के बारे मे निश्चित नही था अतः वह यह बात बिना किसी को बताये लौट गया ।

इस घटना के कुछ दिन पश्चात गावों मे पशुओ पर हमले होने लगे और ग्रामीणॊ ने अपने पशुओ की सुरक्षा कड़ी कर दी । इससे बाघ के लिये भोजन जुटाना कठिन होता जा रहा था इसी बीच मंगलू नाम का एक ग्रामीण साथी के साथ पगडंडी से गांव लौट रहा था उसने सड़क के किनारे बैठे बाघ को देखा और हमेशा की तरह आगे बढ़ा पर इस बार भूखे बाघ का इरादा कुछ और था मंगलू के आगे निकलते ही उसने पीछे से हमला किया और खामोशी से मंगलू को ले गया । साथी ने कुछ कदम बाद मुड़ कर देखा तो उसे बाघ की झलक दिखाई दी पर मंगलू नही दिखा उसने आवाजे लगाई जवाब न मिलने पर वह तेजी से गांव की ओर भाग चला । ग्रामीणो ने जब खोज बीन की तो उन्हे मंगलू का आधा खाया शव मिला । मंगलू  खवासा के आदमखोर का पहला शिकार था ।

इस घटना के बाद तो हत्याओं की झड़ी लग गयी लोगो ने समूह मे आना जाना शुरू कर दिया इससे कुछ दिन तो शांती रही पर फ़िर बाघ ने  समूह पर भी हमला करना शुरू कर दिया और एक घटना मे तो उसने अपने शिकार की खोज मे आये लोगो मे से ही एक को उठा लिया । इसके बाद बाघ ने जिसको भी उठाया उसके शव को खोजने भी कोई नही जाता था । इलाके के गांव रास्ते जंगल कोई जगह सुरक्षित नही रही । सरकार ने इनाम घोषित किया उसे मारने शिकारी आये जगह जगह गारे बांधे गये । पर उस पर गोली चलाने का अवसर एक ही शिकारी को मिल पाया ।

उमेद सिंग नाम का यह शिकारी पीपल के पेड़ पर अपने एक साथी के साथ बैठा हुआ था नीचे एक बहुत मिमयाने वाले बकरे को बांधा गया था । रात के तीसरे पहर जब आदमखोर की गंध बकरे को मिली तो वह भय से जोर जोर से मिमयाने लगा उमेद सिंग भी तैयार था । आधे घंटे तक जब आदमखोर नही आया तो उमेद सिंग थोड़ा असावधान हो गया कि अचानक बिजली की तेजी से आदमखोर बकरे पर लपका और एक झटके बकरे को लेकर गायब हो गया । उमेद सिंग ने गोली चलाई पर गोली आदमखोर के कान को भेदते हुये निकल गयी ।
पूरा घटनाक्रम अप्रत्याशित था और बकरे की रस्सी बकरे की ताकत के हिसाब से बांधी गयी थी बाघ की नही इसके अलावा उमेद सिंग बाघ के आराम से आने की उम्मीद मे था जैसा की आम गारे पर होता और उमेद सिंग पैसा बचाने के लिये भैंस या बैल के बदले बकरा लाया था ताकी वह बाघ के शिकार के बाद वह उस बकरे की दावत भी उड़ा सके


उमेद सिंग की भूल अब सैकड़ो लोगो पर भारी पड़ने वाली थी यह बकरा वो आखिरी गारा था जिसपर आदमखोर ने हमला किया था अब उसने गारे और बंदूक मे संबंध जोड़ लिया था और फ़िर कभी उसने गारे की तरफ़ रूख नही किया । उसने हत्या करने का एक नायाब तरीका ढूंढ लिया था वह  मनुष्यो की आवाज से आकर्षित होकर हमला करता था । लोग मरते गये इनाम बढ़ता गया कई शिकारी अनेको रातों तक गारे के उपर घात लगाकर बैठे पर सब के हाथ निराशा ही लगी । बड़े बड़े लाट साहब लाव लश्कर के साथ आते और गांव वालो की उम्मीद बढ़ जाती पर नतीजा सिफ़र का सिफ़र ।

एक दिन एक अंग्रेज अफ़सर अपने तीन भारतीय शिकार सहायकों के साथ बाघ की तलाश मे घूम रहा था । तभी उन्हे सांभर की चेतावनी की आवाज सुनाई पड़ी उत्साहित होकर सभी सावधानी से बिना आवाज उस तरफ़ बढ़ चले । लंगूर भी बाघ की उपस्थिती के चेतावनी देने लगे  माहौल मे तनाव छा गया कि अचानक चेतावनी की आवाजे आना बंद हो गयी अफ़सर ने मशवरे के लिये  उसके पीछे चल रहे सहायको मे से सबसे अनुभवी सहायक मोहन को धीरे से आवाज दी । कोई जवाब न मिलने पर वह पलटा उसने देखा की दो सहायक भी मोहन की तलाश मे दायें बायें देख रहे थे । अचानक उनकी नजर जमीन पर पड़ी मोहन की पगड़ी और टंगिये पर पड़ी एक सहायक चिल्लाया साहिब मोहन को आदमखोर ले गया दूसरा बोला साहिब ये आदमखोर शैतान है जो मोहन को हमारे बीच से उठा कर ले गया है । अफ़सर ने मोहन की तलाश करने की बात कही लेकिन सहायक किसी कीमत पर तैयार नही थे अफ़सर ने दोनो को ५० ५० रूपये का लालच भी दिया और तोप के सामने खड़े कर उड़ा देने की धमकी भी  । लेकिन सहायकॊं ने बोला साहिब भले जान से मार दे पर अगर आदमखोर हमे उठा कर ले गया तो हमारी आत्मा भी शैतान बन जायेगी और हमे कभी मुक्ती नही मिलेगी । इस अंधविश्वास के आगे बेबस अफ़सर वापस शिविर लौट गया ।

उस अफ़सर और सहायकों के वापस नागपुर अपनी रेजिमेंट तक  पहुचते पहुचते बाघ एक भयंकर दानव मे बदल चुका था और उसने मोहन को अफ़सर और सहायकों को सम्मोहित करके उनकी आंखो के सामने उठाया था । आप ही बताएं जिस मोहन ने अपने जीवन काल मे अपने टंगिये से ३ बाघो और अनगिनत भालुओं का सामना किया था और जो मदमस्त  नर हाथी से भी नही डरता था उसे क्या कोई आम बाघ रेजीमेंट के सबसे अनुभवी शिकारी गोरा साहिब के सामने ऐसे  उठा सकता था वो भी बिना आवाज के

इस घटना के बाद कोई शिकार सहायक किसी भी कीमत पर उस आदमखोर के शिकार मे शामिल होने के लिये तैयार नही होता था एक दो बार अफ़सरों ने बंदूक की नोक पर सहायकों को साथ लिया पर वे या तो रास्ता भूल कर गलत जगह पहुच जाते थे या रास्ते से गायब हो जाते थे । हार कर सरकार ने बाघ पर ५०० रू. का इनाम रख दिया । ऐसे मे नंदू नाम का एक बेहद अनुभवी शिकारी तीन अंग्रेज अफ़सरों से ५०० का इनाम पूरा उसे मिलेगा इस शर्त पर तैयार हो गया । इस ५०० रू. जिसकी कीमत आज के लाखों रू. के बराबर थी से वह भूमिहीन आदमी बड़ा किसान बन सकता था ।

वही नंदू उस अलाव के सामने तीन अंग्रेज अफ़सरों और बेबस गांववालों के साथ बैठा हुआ था । गांववाले जो न अब उस गांव मे रह सकते थे और न ही उसे छोड़कर जा सकते थे क्योंकि उनके सालभर का जीवन यापन वह फ़सल थी जो उनके खेतो मे लगी हुई थी जिसके कटने मे अभी वक्त था और उनके वहा से चले जाने पर जंगली जानवर फ़सल सफ़ाचट कर देते । नंदू और अफ़सरों की सारी कोशिशें नाकाम हो चुकी थी और उनके लौटने का वक्त भी आ गया था । अलाव के चारों ओर एक अजीब लगने वाली खामोशी पसरी हुई थी  किसी के पास बोलने के लिये शब्द नही थे अफ़सर भी इस गांव मे कुछ समय रहने के बाद गांववालो के दर्द से भली भाती वाकिफ़ थे और अंदर से उद्वेलित भी । तभी उस खामोशी कॊ चीरते हुए गांव के एक बुजुर्ग की आवाज गूंजी " एक ही रास्ता है साहिब इस बाघ को आदमी का गारा चाहिये तभी वह आयेगा और तभी उसकी मौत संभव है बिना बली दिये इस दानव का अंत संभव नही है "।

इन शब्दो को सुनने के बाद सन्नाटा और गहरा हो गया । इस चुप्पी को तॊड़ते हुये एक अवाज और गूंजी " मै बनूंगी गारा साहिब "  । यह आवाज थी शशी की एक २५-३० साल की खूबसूरत लेकिन अस्तव्यस्त औरत जिसका पति और बच्चा  आदमखोर का शिकार बन गये थे । सरपंच बोला " यह औरत पागल हो गयी है साहब इसकी बात पर ध्यान मत दो " । फ़िर वह शशी की ओर मुड़ा और बोला " क्या अनाप शनाप रही है भाग यहां से "। शशी ने कहा "मै बनूंगी साहब मुझे बदला लेना है मेरे परिवार को मार कर इस आदमखोर ने मुझे अनाथ कर दिया है मै गारा बन कर गाना गाते हुये इस आदमखोर को आपके कदमों मे खींच लाउंगी " । मैं तो मर जाउंगी पर मेरा नाम हमेशा के लिये अमर हो जायेगा ।  नंदू अजीब सी निगाहो से उसे घूर रहा था अफ़सर ने कहा " इस बात का सवाल ही नही उठता है किसी भी आदमी को गारा बनाना अक्षम्य अपराध है " । नंदू ने कहा " लोग तो वैसे भी रोज मर ही रहे है साहिब शशी के गारा बन जाने से  बाकियो की जान तो बचेगी "। इसपर अफ़सर ने कहा "अगर ऐसा है तो तू खुद गारा क्यों नही बन जाता इस बारे में अब आगे बात नही होगी "

अगले दिन दोपहर बाद नंदू ने अफ़सर से कहा साहिब आज गांव के खेत के पास आदमखोर दिखा है ३ दिनो से उसने शिकार नही किया है रात मे आज हमे उसको मारने का पूरा मौका होगा । अफ़सर ने कहा कि इतने दिनो तक हमने क्या प्रयत्न नही किये कितनी बार ऐसी खबरे आयी पर कल हमे निकलना है सफ़र लंबा है रात मे आराम कर लेते हैं । नंदू बोला नही साब आज की रात हम उस राक्षस को मारेंगे यह बात तय है । नंदू की जिद पर साहब राजी हो गया । शाम को जब वे नंदू के साथ मचान पर पहुचे तो अफ़सर ने कहा अरे यहां तो कोई गारा नही है नंदू ने कहा साहब आज गारा लाने के तरीके पर मैने बदलाव किया है आज मेरे भरोसेमंद ४ साथी अंधेरे मे बाते करते हुए गारा लायेंगे उनकी आवाज सुनकर बाघ आयेगा और उनको पेड़ो पर चढ़ाकर हम बाघ का इंतजार करेंगे इस बात को सुनकर अफ़सर भी खुश हो गया । वे सभी मचान पर चढ़कर गारे का इंतजार करने लगे अफ़सर को शराब की तीव्र बदबू आयी नंदू बेहद पिया हुआ था पर अफ़सर ने फ़िलहाल के लिये इस बात को नजरंदाज कर दिया । इंतजार करते हुये जब काफ़ी देर हो गयी तब अफ़सर ने नंदू को डंटकर पूछा "क्या तुम शराब के नशे मे आकर उटपटांग बाते कर रहे हो इस अंधेरे मे कौन मरने के लिये गारा लेकर आयेगा । नंदू ने कहा नही साहिब गारा जरूर आयेगा मै कसम खाकर कहता हूं । उस अफ़सर के मन मे पहला खयाल यही आया कि इस नशे मे धुत्त आदमी की बात पर भरोसा करना बेकार है पर वह अफ़सर भारत मे दो दशको से रह रहा था और उसके मन के एक हिस्से मे यहां के किस्से कहानियों ने घर कर लिया था और मोहन के साथ वह अनेको शिकार अभियानो मे जा चुका था । आखिर भारत एक ऐसी जगह ही है कि जो यहां आता है वह यहां के माहौल के अनुसार ढल जाता है । अफ़सर के मन मे शैतान से जीसस क्राईस्ट बचा पायेंगे की नही इस शक ने घर कर लिया था आखिर भारतीय देवी देवताओं को चढ़ाया गया चढ़ावा भी इस शैतान को रोकने मे असफ़ल रहा था और अफ़सर पिछले छह महिनो से किसी भी प्रार्थना मे चर्च भी नही गया था अतः उसने रुकने मे ही भलाई समझी
 
 
रात करीब दस बजे कही दूर से एक महिला के गाने की आवाज आयी उस आवाज को सुनकर अफ़सर पहले चौकन्ना हुआ रात के इस पहर कौन औरत खेतो मे गाना गा सकती है ।  आवाज नजदीक आते प्रतीत हो रही थी नंदू भी जाग गया और चौकन्ना हो गया उसमे आये इस परिवर्तन से अफ़सर हैरान था । तभी मचान के ठीक बाजू से एक कोटरी भौंका !!! नंदू एकदम सावधान हो गया उसने अफ़सर को फ़ुसफ़ुसाकर कहा  साहिब बाघ आया तैयार हो जाओ तभी चांद की रौशनी मे औरत स्पष्ट दिखाई देने लगी । वह गाते हुये नजदीक आने लगी कोटरी ने फ़िर आवाज दी । अफ़सर ने अब शशी को पहचान लिया वह चिल्लाया भागो आदमखोर है पर शशी पर इस चेतावनी का कोई असर नही हुआ वह मचान की ओर बढ़ती गई तभी एक चट्टान के पीछे से बाघ का विशाल सिर दिखाई पड़ा अफ़सर ने फ़िर शशी को चेतावनी दी लेकिन शशी निर्बाध गती से आगे बढती गई   कोई और बाघ रहता तो वह इतने शोरगुल मे वहां से भाग जाता लेकिन इस आदमखोर को तो मनुष्यों के बीच से शिकार उठाने की आदत थी मचान के ठीक सामने शशी ठिठक कर खड़ी हो गयी और उसकी नजरों के सामने से आदमखोर ने उस पर छलांग लगाई ठीक उसी समय अफ़सर ने गोली चलाई पर निशाना चूक गया और बाघ ने शशी का गला दबोच लिया । ऐसा नही है कि अफ़सर के ध्यान में कोई कमी थी या निशाना कमजोर था लेकिन उसका ध्यान शशी को सावधान करने मे ज्यादा था और बाघ को मारने मे कम नंदू दम साधे इंतजार कर रहा था और उसने दूसरे अफ़सर को करीब करीब दबोच रखा था जैसे बाघ शशि के उपर कूदा वैसे ही उसने अफ़सर कॊ छोड़ा और बोला साहिब मारो अफ़सर ने छूटते ही निशाना साधा बाघ भी आती आवाजो से भ्रमित था उस एक क्षण मे निशाना सटीक बैठा गोली सर पर लगी बाघ वही ढेर हो गया । नंदू पेड़ से यह सुनिश्चित करने के बाद कूदा कि बाघ मर चुका है वह बाघ के पास गया उसने उसे एक लात मारी और सरपट भाग निकला ।

अगले दिन सुबह पता नही किस संचार व्यवस्था से यह बात आस पास के बीसियों गांवो तक फ़ैल चुकी थी हजारो लोग बाघ को देखने और शशी के अंतिम संस्कार मे शामिल होने पहुच गये थे अफ़सरो ने भी पूरा खर्चा उठाया हालांकि वे ऐसा नही करते तो भी अंतिम संस्कार उतने ही सम्मान से होता पर उनके सिर मे जो बोझ था उसको उतारने का यही एक रास्ता था और रही बात नंदू की तो अफ़सर ने उसे देखते ही गोली मारने की कसम ले ली थी शशी की मौत के लिये वो पूरा पूरा जिम्मेदार था

इस घटना के तीन महिने बाद एक महिला अफ़सर के दरवाजे पहुंची और फ़ूट फ़ूट कर रोने लगी अफ़सर ने उससे कारण पूछा तो उसने कहा कि नंदू उसका पति है और वह गांव के जमीदार से ५०० रू कर्जा लेकर उसे गिरवी रखकर भाग गया है उसकी इज्जत तभी बच सकती है जब सरकार इनाम का ५०० रू दे दें । अफ़सर समझ चुका था कि नंदू ने ही अपनी पत्नी को भेजा है पर अफ़सर को आदमखोर को मारने के एवज मे प्रमोशन मिल चुका था और नियम से नंदू इनाम का हकदार भी था उसने इनाम भी दे दिया । पर ताउम्र वह अफ़सर अपराधबोध से उबर न पाया  उसके मकबरे जो की  इंग्लैड मे है मे लिखा हुआ है मै एक पाप का भागीदार था---
( I WAS A PARTY IN A WORST SIN POSSIBLE )


इस सत्य घटना मे नंदू के उपर क्रोध आना लाजिमी है पर उसने केवल एक महिला के बदला लेने की चाहत को अपने फ़ायदे के लिये इस्तेमाल किया और वह महिला भी इसका अंजाम जानती थी और नंदू बेहद गरीब था । लेकिन हमारे देश मे आज ऐसे कई लोग नेताओ उद्योगपति और अफ़सरों के रूप मे काम कर रहे है जो न गरीब है ना मजबूर लेकिन चंद रूपयो की लालच मे वे एक पूरी पीढ़ी के भविष्य से खिलवाड़ कर रहें है बेजुबान वन्य प्राणियो और बेबस आदिवासियों के रहवास क्षेत्र को धुएं और धूल के गुबार से बरबाद कर रहे हैं । देश के बहुमूल्य पारस्थितीतंत्र से खिलवाड़ करने वाले ऐसे बेरहम लालचियों के सामने तो नंदू एक देवता नजर आता है।

Wednesday, June 22, 2011

जन धोखपाल बिल और कुटिल सिब्बल

नुक्कड़ पर बड़े दिनो से फ़जीहत झेल रहे भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी आज अपने बचाव के लिये कुटिल सिब्बल को ले पहुंचे थे आज शर्मा जी को जन धोखपाल बिल पर दो टूक जवाब देना था । पहुंचते ही कुटिल जी ने घोषणा कर दी हमारी नीयत साफ़ है और हम सभ्य समाज की ओर से पेश किये गये बिल के अधिकांश बिंदुओ से सहमत है । खाली छोटे मोटे कुछ बिंदू है जिस पर सहमति नही है । बाकी पार्टियों से चर्चा की जायेगी और बिल पास हो जायेगा ।

मैने पूछ लिया किस बात मे असहमति कुटिल जी जवाब मिला  एक तो धोखपाल कौन चुनेगा इस पर है इस पर भी इन लोग सर्च कमेटी बनाना चाहते हैं । मैने पूछा कुटिल जी क्या चोरो को अपने जज खुद चुनने की छूट होना चाहिये  जो आप लोगों को धोखपाल चुनने का अधिकार दें कुटिल जी भड़क गये किसने कहा हम चोर हैं । मैने जवाब दिया आप को तो कोई चोर साबित कैसे करे कैसे आप के कामो की जांच भी आप खुद करते हो इसीलिये तो ये जनधोखपाल का जरूरत पड़ गया

कुटिल जी ने मुद्दा बदला बोले ये लोग प्रधानमंत्री को दायरे मे रखना चाहते हैं । तभी जनता से आवाज आयी वो बेचारा तो खुद ही तैयार हैं पहले ही मम्मी से लेकर मामा लोगो के दायरे मे है नजर के सामने से राजा दो लाख करोड़ ले गया सारी ईमानदारी धरी की धरी रह गयी नाम खराब हुआ वो अलग जनधोखपाल होता तो उसका डर दिखा कम से कम रोक तो पाते । कुटिल जी तब तक नया विचार रख चुके थे बोले संसद के अंदर सांसद लोगो का व्यहवार दायरे के बाहर है । जवाब मिला ऐसा व्यहवार जिसमे कुर्सिया फ़ेकी जाती हों वोट बेशर्मी से खरीदे बेचे जाते हो नोट लहराये जाते हो जहां अध्यक्ष अपनी पार्टी का भोपू बना हो भाई यह तो नैतिकता के दायरे मे भी नही आता इस बारे मे कुछ लिखा है क्या आप के संविधान मे ?

कुटिल सिब्बल जी तुरंत भड़क गये आप हमारे महा विद्वान पूर्वजो के बनाये संविधान पर सवाल उठा रहे हो  । आप हो कौन तथाकथित सभ्य समाज कौन समर्थन करता है आपका मुठ्ठी भर लोग । फ़िर कुटिल जी ने कुटिलता भरी श्रद्धा से सिर नवाते हुये चेतावनी दी परम पूज्यनीय बाबा भीमराव अंबेडकर के संविधान पर सवाल उठाओगे तो सारा दलित समाज आंदोलित हो उठेगा उन बेचारो को तो इस तमाम लफ़ड़े के बारे मे पता ही नही है वे आप का जीना मुश्किल कर देंगे ।

इतने मे माहौल को शांत करते हुये बाजू बैठे शर्मा जी बोल पड़े प्यारे भाईयो हम आपके साथ मिल कड़े से कड़ा कानून बनायेंगे हमारी कुछ मजबूरियां भी है लोकतंत्र मे संसद ही सर्वोच्च है आप लोग तो फ़्रेम मे हो ही नही यहां सब कुछ संसद करती है । जनता मे से आसिफ़ भाई गुर्राये तुम लोगो ने लोकतंत्र को पैरो की जूती बना लिया है संसद को चोर बाजार अगर तुम ही सही होते तो  अन्ना किसको चाहिये थे फ़ालतू बात मत करो धोखपाल नही लोकपाल चाहिये । तभी कुटिल जी ने तर्क दिया भाई ये अन्ना का लोकपाल कितना महंगा है जीडीपी का एक प्रतिशत खर्चा हो जायेगा हर साल । हम केवल उंचे लेवल के अधिकारियों को ही इसके अंदर रख सकते है सभी को नही । तभी ललित शर्मा मूछो पर ताव देते बोल पड़े हां नीचे के अधिकारी कम पैसे मे ही बिक जायेंगे आम के आम गुठली के दाम और आप लोग जीडीपी का चालीस फ़ीसदी पैसा खा जाते हो उसका क्या ये लोकपाल तो समझो फ़्री मे पड़ेगा भाईयों

तभी पीछे से दीपक भाजपाई ने नारा लगाया हर हर महादेव हिंदू भाईयों इनको भगाना ही होगा  कॊई कुछ कहता कि मै उनको खींच सामने ले आया पूछा मुसलमान लोग क्यों नही भगायें । तुम लोग इस संक्रमण काल मे तमाशा मचा रहे हो वोटबैंक की राजनीति खेल रहे हो । जरा ये तो बताओ लोकपाल बिल के बारे मे क्या विचार है दीपक भाजपाई जोर से बोले हम जनलोक पाल के साथ हैं फ़िर धीरे से मन ही मन भुनभुनाये पर ये अन्ना हम को साथ ले कहा रहा है । मैने कहा अच्छा है भाई कि नही ले रहा ऐसे नारे लगाओगे तो एक दिन आयेगा हिंदू भी जान जायेंगे कि तुम लोग धर्म के नाम पर खाली वोट मांगते हो काम पूरे तुम्हारे भी कांग्रेस से कम नही सब जगह बराबर भ्रष्टाचार है । अब देश मे जागरूकता आ रही है लोगो को मोदी जैसा इमानदार और विकासवादी नेता चाहिये सुधऔर मंदिर का नारा लगाना है तो लगाओ सौगंध राम की खाते हैं मंदिर लोकपाल का बनायेंगे सुधर जाओ दीपक बाबू देश की तुम आज आखिरी उम्मीद हो निकलो इस धर्मवादी राजनीती से विकल्प बनो कांग्रेस का मोदी पर लगा दंगो का दाग हटाओ और देश को बचाओ ।

और कुटिल बाबू अब कॊई सफ़ाई मत दो जाओ और खाओ खूब कमाओ भरो पाप का घड़ा हां फ़िर बस ये न पूछना जूता क्यों पड़ा क्यों लोग सड़को पर दौड़ा कर पीट रहे हैं । और अब भी लेश मात्र अकल है तो अपनी मम्मी को ऐसा नेता बनाओ जिस के द्वारा बनाये कानून से देश मे भ्रष्टाचार समाप्त हो गया फ़िर देखना कैसे लोग उनको अम्बेडकर और गांधी  से भी ज्यादा पूजेंगे ।

और प्यारे जाते जाते यह भी याद रखना कि कही इतिहास मे मीर जाफ़र और जयचंद के साथ तुम्हारा नाम भी जुड़ न जाये ।



लोकपाल बिल पर खांग्रेस की प्रसव पीड़ा

नुक्कड़ पर खांग्रेस छटपटा रही थी उसके चेहरे मे दर्द और हाव भाव मे दबंगई साफ़ देखी जा सकती थी । उनके मुह से अपनो के लिये ठग जोकर धूर्त ढोंगी आदि शब्द धाराप्रवाह बह रह थे । हालांकि कसाब और ओसामा बिन लादेन  जैसे भूतो को वे जी आदरणीय कह पुकारती जा रही थी । उसकी इस अजीब सी हरकत से नुक्कड़ के लोग बहुत नाराज हो रहे थे । गुप्ता जी ने पू्छ लिया  भाई इसकी पीड़ा क्या है चेहरे मे दर्द होठो मे गाली और परायो को अपनाने की खामख्याली  है दवे जी मामला समझाओ बात क्या है यह बताओ ।

मैने कहा भाई ये अनचाहे गर्भ से पीड़ित हैं गर्भपात  करवा नही पा रही हैं । इसलिये खुद को गर्भवती करने वाले लोगो को गरिया रही हैं । और अपने आप गर्भपात हो जाये और उसके बाद उनकी सुंदरता मे कमी न आये इस लिये भूत पिशाचो की स्तुती कर रही हैं । आसिफ़ भाई ने सर खुजाया मिया ये क्या बड़बड़ा दिया गर्भवती किसने किया क्यों किया क्या उनकी सहमती न थी चक्कर क्या है साफ़ साफ़ कहो ।

मैने कहा भाई गर्भवती किया सिविल सोसाईटी वाले लोगो ने जबकि खांग्रेस जी का कहना था कि गर्भवती करने का अधिकार केवल संसद को है । और निश्चित ही लोकपाल बिल नामक बच्चे के पिता के नाम के कालम मे संसद का नाम ही लिखा जायेगा । अब संसद और उसके तमाम रिश्तेदार तैयार बैठे हैं कि डीएनए टेस्ट करा कर बच्चे को अस्वीकार कर दे । और येन केन प्रकारेण खांग्रेस उसे स्वीकार करा भी दे तो बच्चा तो अपने बाप पर ही जायेगा जग के सामने अपनी मां और नकली  बाप की नाक कटवायेगा । और अब तकलीफ़ यह है कि जग जान चुका है की खांग्रेस जी को सात महिने का गर्भ है । अब वो बच्चे को पैदा कर गुमनामी के अनाथालय भी नही छोड़ सकती । आप बात की बात समझो खांग्रेस जी कुलटा साबित होने के आसन्न संकंट से गुजर रही हैं । आसिफ़ भाई अभी भी उलझन मे थे बोले संसद के रहते ये सिविल सोसाईटी वालो की हिम्मत कैसे हुयी गर्भाधान कराने की यह तो अपराध है । मैने कहा मियां महाभारत से लेकर माडर्न सांईस मे प्रावधान है जब पति गर्भ धारण करने मे असफ़ल रहे या इच्छुक न हो तो गर्भ दान किया जाता है । और संसद मियां को तो पचास साल का मौका था इनसे कुछ हुआ ही नही या इन्होने ने किया ही नही । और ये खांग्रेस ने भी कुछ होना जाना नही है सोच कर फ़्लर्ट कर लिया था ।  ऐसे फ़्लर्ट तो ये नक्सलवादियो से लेकर एलटीटीई भिंडरावाले कितनो के साथ कर चुकी थी जब ऐसे आशिक गले पड़ते थे तो डंडे से मार भगा देती थी । पर सिविल सोसाईटी वाले भारी पड़ गये इश्क किया नही और गर्भवती कर दिया सो अलग । एक बाबा भी ऐसे ही गले पड़ने वाला था वो तो अच्छा हुआ कि गलत रथ मे बैठ कर आया था । रथ रुका ही नही वापस उसके गांव असली प्रेमिका  के पास छोड़ आया

आसिफ़ भाई अब मामला समझने लगे थे बोले यार इस बेचारी खांग्रेस की जान छूटेगी कैसे ये बता दो और ओसामा टाईप भूतो की सेवा से क्या होगा यह भी । मैने कहा भाई इसका समाधान प्रसव के समय बच्चे को बदलने से होगा । जिससे बदला जायेगा नाम उसका लोकपाल बिल ही होगा पर बड़ा ही आज्ञाकारी बच्चा होगा और सदैव अपने मां बाप की बात मानेगा । इस पर जानकार लोग बहुत हल्ला गुल्ला मचायेंगे असली बच्चे का बाप तो तूफ़ान खड़ा कर देगा ऐसे मे खांग्रेस को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ेगा । ऐसे मे ओसामा टाईप के भूतो को प्यार करने वाली जनता खांग्रेस के  समर्थन मे आ खड़ी होगी और वैसे भी देश की साठ प्रतिशत जनता तो इस मामले को जानती ही न होगी बेचारे दिन भर कमर तोड़ मेहनत के बाद समय मिलेगा तो ईंडिया टीवी पर मौत का तमाशा देखेंगे की अंग्रेजी चैनलो पर बड़े लोगो की बक बक सुनेंगे । चेपटी साड़ी तो वैसे भी खांग्रेस ही देती है उनको  ऐसे मे कांग्रेस का सोचना है कि जोड़ तोड़ कर वह इस मामले से छुटकारा पा लेगी और एक बार फ़िर प्रसव पूर्व नवयौवना के रूप मे चमकने लगेगी ।

Monday, June 20, 2011

भाजपाइयों आम खाओ पेड़ क्यों काटते हो

नुक्कड़ पर दीपक भाजपायी बेचैनी से टहल रहे थे टहलते टहलते बड़बड़ा भी रहे थे । "अब किस बाबा को आगे करूं  कैसे अन्ना के पीछे लगूं  रामदेव बाबा कब तक वापस तगडे होंगे उनको कैसे तगड़ा करूं मै क्या करूं " । इतने मे किसी ने उनको समझाया भाई किसी से सलाह लेते क्यो नही बात दीपक भाजपायी को जम गयी सीधे मेरे और आसिफ़ भाई के पास पहुंच गये और व्यथा बताई कहने लगे राह बताओ भाई मै क्या करूं तीन साल काटना बड़ा मुश्किल हो रहा है । मैने मुस्कुराकर कहा इतनी जल्दी क्या है प्यारे जब जीना है बरसो दीपक जी भड़क गये बोले दवे जी हर वक्त मजाक अच्छा नही लगता अभी मामला गंभीर है  । मैने कहा भाई तुम लोगो की मुसीबत तुम लोग खुद हो । खुद ही खुद को ठीक कर सकते हो यहा वहां घूमने का कोई जरूरत नही है


देश की जनता वैसे ही कांग्रेस से त्रस्त है उसको सत्ता से निकाल बाहर करना चाहती है । बाबा रामदेव ही लाईन मे ले आते खामखा तुम लोग उन के साथ जुड़ गये साध्वी को बैठा दिया वो अलग । आम खाने का इंतजार करते काहे पेड़ ही काट दिया । दीपक भाजपायी फ़िर भड़क गये हद करते हो लोकतांत्रिक देश है हर किसी को हक है आंदोलन मे भाग लेने का हमने भाग लिया तो दोषी और बाकी सब ले लेते तो ठीक लालू और नायडू बाबू आते ते कोई कुछ न कहता साध्वी चली गयी तो गुनाह हो गया । दवे जी आप तो छदम धर्मनिरपेक्ष मीडिया और कांग्रेस टाईप बात करते हो ।

मैने मुस्कुराते हुये कहा भाई तुम लोग अकेले कहीं कहां जाते हो साथ तुम्हारे साथ मुसीबत भी आती है पहली मुसीबत अभी जनता की लड़ाई भ्रष्टाचार से है और तुम लोग भी बराबर से खा पी रहे हो ऐसे मे कांग्रेस बाबा को छोड़ तत्त्काल तुम्हारा चेहरा सामने ले आती है ।  अब जनता एक चोर के खिलाफ़ लड़ाई मे दूसरे चोर का साथ दे तो कैसे । इतने मे आसिफ़ भाई बोल पड़े दूसरी मुसीबत तुम्हारे पुछल्ले हैं जहा जाते हैं  धार्मिक नारे लगाने लगते हैं । वैसे मे मेरे जैसे अल्पसंख्यक वर्ग के लोग उस आंदोलन से दूर हो जाते है । भाई हिंदुओ की कोई समस्या है तो कोई मांग है तो संविधान के अंदर रह कर उसके लिये लड़ो  । देश का मुसलमान आज कांग्रेस से त्रस्त है इसने लालीपाप दिखा दिखा कर पचास साल से उनका शोषण लिया है । तुम एक कदम आगे तो बढ़ाओ कांग्रेस तो छोड़ उसका दफ़्तर भी इस देश मे नही दिखेगा ।



मैने कहा तीसरी और अंतिम सलाह यह है दीपक भाई कि अब अन्ना से दूर ही रहना कुछ करना ही हो तो गरीबो मे दान दक्षिणा बाट देना भगवान खुश होकर अन्ना को सफ़ल कर देंगे । प्यारे मोहन ये कांग्रेस खुद ही अपने कर्मो से मरी जाती है क्यो तुम बाबाओ को यतिओं को सामने रख इसको प्राण वायु देते हो । जब चुनाव होगा तो कांग्रेस से त्रस्त आम आदमी सत्ता का आम तुम्हे ही चूसने देगा और है कौन तुम्हारे अलावा । खाली अन्ना की जो मांगे है उनके पक्ष मे संसद मे वोट दे देना बस इससे आगे कूदने जाओगे प्यारे भाजपाई काम बिगड़ जायेगा आम का पेड़ कट जायेगा ।

इतना सुनते ही दीपक भाजपायी प्रसन्न हो चल पड़े इधर आसिफ़ भाई ने मुस्कुरा कर पूछा यार दवे जी  मोदी जी को नेता बनायेंगे तो पक्का सत्ता पायेंगे ये सलाह क्यों नही दी इनका काम जल्दी हो जाता । मैने भी मुस्कुराकर कहा मियां ये सलाह मानते ही कहां है किसी की । सलाह मानना ही होता तो संघ के उन कार्यकर्ताओ की मानकर ईमानदारी पूर्वक आचरण  करते जिन्होने भाजपा को शून्य से आकाश तक पहुंचाया था ।  खुद की शाईंनिंग हो गयी तो इंडिया शाईनिंग समझने लगे हालत यह है कि दो बार लगातार चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस के इतने भ्रष्ट और निरंकुश शासन के बाद भी ये लोग चुनाव जीत ही जायेंगे इस पर सहज भरोसा नही होता है ।

वैसे  आसिफ़ भाई  ये तो बताओ   मीडियासुर को कांग्रेस की कमीज दीपक भाजपाई की  कमीज से सफ़ेद कैसे नजर आती है । ये  इतना कमा रहे हैं जरा खर्चा करते मैनेज करते  क्यों  सारा माल खुदे हजम कर जाते हैं ।

Wednesday, June 15, 2011

निगमानंद भाजपा और शनी भगवान


नुक्कड़ पर भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने शोक सभा रखी थी बड़ी कठिनाई से अपना हर्ष छुपाते हुये उन्होने घोषणा की । हमे निगमानंद जी के देहावसान का बड़ा दुख है भगवान उनकी आत्मा को शांती दे । इतना कह उन्होने पैतरा बदला कहने लगे जब मै रामदेव बाबा को ढोंगी कह रहा था तब आप सब मुझे गालियां दे रहे थे । आज निगमानंद जी ने प्राण देकर दिखा दिया कि असली अनशनकारी कैसा होता है 28 दिन तक निगमानंद जी ने कुछ नही खाया था मै सरकार से दरख्वास्त करूंगा कि आगे से नये अनशन कारियों के लिये कम से कम 50% पासिंग मार्क रखो 14 दिन से पहले किसी अनशन कारी से बात मत करो । दीपक भाजपाई  दुखी नजर आ रहे थे शर्मा जी ने टांट कसा निगमानंद जी के मरने पर दुखी हो या बाबा रामदेव के बच जाने पर इतना सुनते ही दीपक भाजपाई आपे से बाहर हो गये बोले आप लोगो को हर चीज पर राजनीती नजर आती है शोक सभा मे भी व्यंग्य कस रहे हो ।

शर्मा जी भी पीछे नही थे बोले आप लोगो को तो राजनीती नजर ही नही आती बाबाओं के के पीछे छुप लड़ने के पहले देखते तो अपने घर के बाबा कैसे हैं मर तो नही रहे । पांच दिन मे रामदेव कोमा मे चले जायेगा की घोषणा करने वाले निशंक को 28 दिन से भूखे निगमानंद के कोमा पर जाने की शंका नही हुई  । अरे भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ने के पहले खुद का गिरेबान तो झांकते मोदी छोड़ कौन इमानदार है चोर चोर मौसेरे भाई फ़िर काहे की लड़ाई । वो भी छोड़ो दुनिया भर के साधु संतो की पार्टी होने का दावा करते हो तो क्यों नही रामदेव बाबा की कुंडली किसी साधु को दिखाई  मालूम तो पड़ जाता रामदेव बाबा के दिन बुरे आने वाले हैं दूसरा बाबा खोज लेते । हमको देखो हमने पहले ही बाबा की कुंडली दिखवा ली थी जितने दिन समय सही था उनको प्रणाम किया जिस दिन साढ़े साती शुरू हुयी नही कि डंडा घुमा दिया । अरे भाई शनी भगवान थोड़े खुद दंड देने आते हैं हम जैसे लोगो के द्वारा ही दिलवाते हैं अब हम लोगो ने भगवान का काम किया तो आप लोग नाराज हो रहे हो ।


दीपक भाजपाई से रहा नही गया बोले रे कांग्रेसी शनी भगवान तुम लोगो को दंड देने वाले हैं वो भी हमारे हाथो अब ज्यादा समय नही है | इतना सुन शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी दार्शनिक बन गये भाई आपकी बात तो सही है दुनिया मे आये हैं कर्म किया है तो दंड तो सहना पड़ेगा पर शनी भगवान भी मजबूर है करे क्यां किसके हाथो दंड दिलवायें आपको सत्ता देने की सोचते हैं तो आप लोग जय श्री राम हर हर महादेव चिल्ला देते हो सारे अल्पसंख्यक मजबूरी मे हमारे साथ आ जाते है हैं और रही बात हिंदुओ की उसमे भी तुम्हारे जैसे कट्टर लोग अल्पसंख्यक ही हैं समझदार जानते हैं कि कट्टर सोच वाले सत्ता मे आयें तो देश मे वैमनस्य बढ़ेगी वे भी मजबूरी मे हमे ही वोट देते हैं और हम लोग फ़िर बहुसंख्यक हो जाते हैं कुछ कमी पड़ भी जाये तो दलित ओबीसी आदिवासी ये सब कार्ड तो हैं ही और क्षेत्रीय पार्टिंया भी साम दाम दंड भेद से हमारे ही पाले मे आती हैं । भाई जब तक हमारी ही तरह की विचारधार वाली दूसरी कोई ईमानदार पार्टी देश मे न आये शनी भगवान भी हमारा कुछ नही बिगाड़ सकते । और जिस देश मे पार्टी बनाने के लिये ही काला धन लगे वहा कौन ईमानदार पार्टी बना सकता है मतलब साफ़ है हम लोग अजेय हैं । इतना कह शर्मा जी नुक्कड़ पर दंभ भरा नंगा नाच नाचने लगे


मेरे बाजू आकर दीपक भाजपाई भुनभुनाये ये निगमानंद जी का मामला भी अभी उठना था जरूर कांग्रेसियो की इसमे चाल है मैने कहा दीपक बाबू पहले अपने हाल चाल क्यो नही देखते अरे भाई कट्टर हिंदूवाद ही अपनाना है तो नाम भारतीय हिंदुवादी पार्टी रखो यदी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव लड़ना है तो मोदी जी को सामने लाओ और सारे बेईमानो को पार्टी से बाहर करो बीच का बंदर खेलना है यतियों को सामने रख लड़ना है तो मंदिरो मे लगाये जाने वाले नारे  जन सभाओं मे  लगाते  ही रह जाओगे समझे की नही ।

खैर साहब दीपक भाजपायी समझे कि नही समझे हम सभी समझ चुके हैं कि शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी का दंभ भरा नाच हमे आगे बहुत दिनो तक देखना है और भारत मे भ्रष्टाचार मुक्त सवेरा  होगा इसकी उम्मीद कम ही नजर आती है

Sunday, June 12, 2011

अब्राहम लिंकन अपने जूते साफ़ करते थे और मनमोहन ?

नुक्कड़ पर माहौल संजीदा था कई दिनो से फ़जीहत झेल रहे भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने आज बातचीत का पूरा सिरा हाथो मे थामा हुआ था और कहानी सुना रहे थे अब्राहम लिंकन की --- " एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपती लिंकन अपने जूते साफ़ कर रहे थे कि एक मेहमान ने आश्चर्य से पूछ लिया अरे आप अपने जूते साफ़ करते हैं लिंकन मुस्कुराकर बोले हां फ़िर मेहमान से पूछ लिया आप किसके जूते साफ़ करते हैं " । इतना सुनते ही नुक्कड़ मे जमा  सभी खुश हो गये । शर्मा जी ने गर्व से मेरी ओर देखा मानो कह रहे हों दवे जी आज आप मामला बिगाड़ न पाओगे । मैने  मुस्कुराकर कहा शर्मा जी बात तो ठीक कहते हो आप पर ये बताओ मनमोहन किसका जूता साफ़ करते हैं अपना कि मम्मी का । मेरा इतना कहना न था कि शर्मा जी भड़क गये बोले दवे जी पद की गरिमा होती है मीडीया तक सम्मान करती है मनमोहन के दफ़्तर से जो प्रश्न आते हैं वही पूछे जाते है और आपकी ये हिम्मत नुक्कड़ मे ऐसी बात शर्म नही आई आपको । मैने कहा भाई शर्मा जी गरिमा जी को मैने अपने मोहल्ले मे आखिरी बार दस साल पहले देखा था और अगर वे मुझे एक बार भी देख लेती तो कसम से तुमको मामा कहते दो बच्चे अभी मेरी गोद मे होते । पर आजकल राजनीती मे गरिमा दिखाई नही पड़ती है नेता मंत्री कभी चरणो लोट जाते हैं कभी डंडा हिलाते हैं ।

और अब तो हद ही हो गयी आंखे दिखा रहे हैं आंदोलन को असंवैधानिक बता रहे हैं । शर्मा जी मामा वाली बात से तिलमिलाये हुये थे गरिमा उनके बचपन के अघोषित प्यार का नाम था । अघोषित मामले मे लड़ते कैसे बात बाबा की सेना की ओर मोड़ दी बोले सेना बनाना देश द्रोह नही है क्या बाबा की हिम्मत कैसे हुयी सेना बनाने की बात करने की । मैने पूछा भाई शर्मा जी इस देश मे सत्याग्रह क्या बिना सेना बनाये हो सकता है अब सत्याग्रह करना हो तो पहले चारो तरफ़ सैनिक लगाओ सुरक्षा तंत्र बनाओ कि ये न हो की बूढ़ो बच्चो महिलाओ को आपकी पुलिस आधी रात को पीटने लगे । बाबा बिचारा करे क्या गैर बीजेपी राज्यो मे घुसने पर रोक है और बीजेपी शासित राज्यो मे भूखा मरे अनशन करे तो आप पल्ला झाड़ लेते हो कि भगवान राम जाने या बीजेपी । और तो और हद ही हो गयी बोलते हो बाबा ठग है अरे भाई ठग है तो गिरफ़्तार करो । सत्ताधारी दल हो सीबीआई द्वार पर बंधी रहती है शर्मा जी बाज आ जाओ कुतर्क न करो वरना जनता पीटेगी । बेचारे शर्मा जी छॊटॆ नेता न लाल बत्ती न एसपीजी कमांडॊ सहम गये और बात को उन्होने मजबूरियों की ओर घुमाया । भाई हमारे पास जादू की छड़ी थोड़े ही है कि घुमाये और कालाधन वापस आ गया " हमसे कोई पैसा वापस नही ले सकता " की गांरंटी वाले बैंको मे जमा है । समय तो लगेगा यह थोड़ी की बाबा भूखे बैठे हैं तो सात दिन मे वापस ले के आना ही होगा । वो तो अच्छा ही हुआ कि हमने बाबा को हटा दिया इतना योगी बना फ़िरता है आठ दिन मे टैं बोलने वाला था। अन्ना हजारे का तो बिना योगा किये 13  दिन भूखे प्यासे का रिकार्ड है ये तो शहद लिंबू चाट कर भी टिक न सका । मैने बीच मे टोका शर्मा जी दूसरे की लाईन छोटी करने से आपकी बड़ी न होगी मुद्दे को भटकाना आप लोगों की पुरानी चाल है । आज देश इस संक्रमण काल मे आपकी ओर देख रहा है लोग मूर्ख नही हैं आप गंभीरता से कदम उठाओगे लोगो को विश्वास मे लोगे तो सभी आपसे सहमत होंगे । यह ठीक है कि आप की क्रुपा से भारत की अस्सी प्रतिशत जनता गरीब है अनपढ़ है उसके पास पेट पालने के संघर्ष के अलावा किसी और संघर्ष के लिये न समय है न जानकारी है पर यह बहुत दिन चलने वाला नही है । जनता जागरूक हो रही है कोई कमप्यूटर से कोई टीवी अखबार से और अब इन बाबाओ के द्वारा । जिस दिन जनता जाग जायेगी ऐसी धुलाई होगी कि मर्यादा और गरिमा सब याद आ जायेगा ।

फ़िर गरिमा शब्द सुनते ही बाजू खड़े आसिफ़ भाई ठठा कर हस पड़े क्यो शर्मा जी के पुराने जख्मो को कुरेद रहा है भाई ।  याद नही बचपन के प्यार गरिमा की शादी के बाद शर्मा जी कैसे घूमते थे  प्यासा के गुरूदत्त की तरह । आसिफ़ भाई का इतना कहना था कि बस शर्मा जी ने डंडा हाथ मे लिया और आसिफ़ भाई और मुझे नुक्कड़ छॊड़ भागना पड़ गया ।

Friday, June 10, 2011

ए भाई कोई तो बाबा को जूस पिला दो भाई

भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी नुक्कड़ पर दीदार फ़िल्म मे दिलीप कुमार की तर्ज पर "ए भाई कोई तो बाबा को जूस पिला दो भाई " कहते घूम रहे थे उनकी हंसी रोके नही रुक रही थी । दूसरी ओर दीपक भाजपाई हाथ मे ग्लूकोस की बोटल लिये बाबा का अनशन जारी है का नारा लगा रहे थे । इस मंजर को देख भीड़ आश्चर्य चकित थी कि हो क्या रहा है । आसिफ़ भाई ने दुखी स्वर मे कहा देख रहे हो दवे जी देश की हालत अब ये दिन देखना बाकी था । इस बाबा को भी क्या पड़ी थी आज उनका कोई फ़ायदा उठा रहा है कोई मजा ले रहा हैं । आप बताईये मसले का हल क्या हो सकता है और भ्रष्टाचार का मामला सलटेगा कैसे ।
मैने कहा भाई जब देश की मीडिया ही एकमत नही है तो जनमत बनेगा कैसे आसिफ़ भाई हड़बड़ाये मीडिया का जनमत से क्या लेना देना । मैने कहा भाई इस देश मे लोगो की सोच मीडिया ही बनाती है जैसी सोच बनवाने का पैसा मिलता है मीडिया भी देश को उसी ओर मोड़ देती है टीवी पर अखबारो मे उसी के अनुसार लेख छपने चालू हो जाते हैं । हाल सिर्फ़ यही का नही है विश्व का भी यही हाल है जब तक कोई देश अमेरिका यूरोप का चेला बना रहेगा तब तक वह अंतराष्ट्रीय मीडिया को स्वर्ग नजर आयेगा मामला पलटते ही लीबिया बनने मे देर न होगी ।

आसिफ़ भाई भुनभुनाये यार दवे जी दो बात पूछी नही कि होशियारी झाड़ने लगते हो अभी बात भ्रष्टाचार की हो रही है और लगे सर दुखाने ये बताओ सोनिया मम्मी भ्रष्टाचार पर रोक क्यों नही लगाती क्या ऐसी भद पिटना उनको अच्छा लग रहा है । मैने कहा आसिफ़ भाई सोनिया मम्मी हो या आडवानी चाचा इनका ताउ भी भ्रष्टाचार पर रोक नही लगा सकता इनका खुद का दामन तो दागो से भरा हुआ है । पिछले तो छोड़ो अगले होने वाले भ्रष्टाचार पर भी रोक नही लगा सकते  ये सब इनके हाथ मे है ही नही । देश मे भ्रष्टाचार को न होने देना सिर्फ़ और सिर्फ़ सिविल सर्विसेस के अधिकारियों के हाथ मे है । पूरे देश को और लोकतंत्र को असफ़ल केवल उन लोगो ने ही बना रखा है उनकी ताकत और दौलत अकल्पनीय है । उनके खिलाफ़ मुह खोलने से पहले पत्रकार भी सौ बार सोचते हैं और आम जनता तो बेचारी खेला जानती ही नही फ़ोकट इन बेचारे नेताओं को गाली बकती है । बेचारे सांसद अपनी तंख्वाह थोड़ा बढ़ा लेते हैं तो हल्ला मच जाता है वहीं ये अफ़सर हर वेतन आयोग मे अपनी तंख्वाह दुगनी कर लेते हैं तो कोई नही पूछता । ये बात याद रखो राजा ने अगर दस हजार करोड़ खाये होंगे तो निश्चित सचिव से लेकर नीचे तक पुछल्ले अफ़सरो ने पचास हजार करोड़ दबाये होंगे इन बेचारे नेताओ को तो संगंठन को पैसा देना पड़ता है ।अफ़सरों का तो इनकमिंग फ़्री है आउट गोंईग का सवाले नही उठता

राजा तो आना जाना है पर ये अफ़सरासुर तो सदैव दांत गड़ाये वहीं बैठा रहेगा । बिना इनकी साईन के कोई काम हो ही नही सकता सचिव इमानदार हो तो कोई नेता बेईमानी कर ही नही सकता जिस अफ़सर के घर चले जाओगे उनको पापा मम्मी कहने वाले दलालो और निचले अधिकारियों की फ़ौज आपको मिल जायेगी । और जिस की नजर आप पर तेढ़ी हो गयी तो आसिफ़ भाई विनायक सेन बना दिये जाओगे आपके दोस्त ही धिक्कारेंगे आपको । आपको चाहने वाले बुरा भला कहेंगे तो भी रमन सिंग को उस अफ़सर को नही । जिस दिन देश मे भ्रष्टाचार खत्म करना है । आईएएस आईपीएस अफ़सरो पर जुर्म साबित होने पर मौत की सजा हो जाये और हर साल नार्को एनालिसिस हो फ़िर देखो भ्रष्टासुर भारत से कैसे गायब होता है नेताजी लोगो को पार्टी चलाना भारी पड़ेगा ।

आसिफ़ भाई ने सर खुजाया यार हवा मे कहां से कहां उड़ जाता है ये बता ये बाबा की जांच क्यो करवा रही है कांग्रेस खुद तो बेईमान हैं कि नही । मैने कहा आसिफ़ भाई बाबा को देश का नेता बनना है गांधी बनना है तो अग्नी परीक्षा देनी होगी की नही फ़िर धीरे से उन के कान मे फ़ुसफ़ुसाया मियां परसो जो मुहावरे रट रहे थे पढ़ दो नुक्कड़ मे धाक जम जायेगी इतना सुनते ही आसिफ़ भाई सीना फ़ुला चालू हो गये ceaser's wife should be above suspicion ------

Wednesday, June 8, 2011

नुक्कड़ चर्चा -- रामदेव बाबा के आंदोलन का पोस्टमार्टम

                     नुक्कड़ पर भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी दुखी थे और दीपक भाजपायी दुखी नजर आने का असफ़ल प्रयास कर रहे थे । सबसे बुरा हाल आसिफ़ भाई का था वे दुखी होंउ या खुशी मनाउं समझ ही नही पा रहे थे । मुझे देखते ही आसिफ़ भाई फ़ट पड़े यार दवे जी मेरी पीड़ा का अंत करें माजरा क्या है और बाबा के आंदोलन का औरर आखिर ये दमन हुआ क्यों यह भी जानकारी दो । मै धीरे से मुस्कुराया बोला भाई तुम लोग तो हिंदू मुसलमान कांग्रेसी भाजपायी बन कर सोचते हो और इन विषयों को भारतीय बन कर ही समझा जा सकता है

                                  तीनो ने सर हिलाया कहा हम भारतीय बन सुन रहे हैं आप बताओ । मैने कहा सबसे पहले तो ये बाबा के आंदोलन का प्रारूप गलत था लोकतंत्र मे अनशन सांकेतिक रूप से गंभीर तात्कालिक मुद्दे पर  लचीलेपन के साथ होना चाहिये जैसे अन्ना हजारे का आंदोलन था । अब  सरकार जनलोकपाल बिल मे वादाखिलाफ़ी करती है तो  चुनाव मे जनता सबक सिखायेगी । दूसरे ऐसे अनशन मे चुनिंदा मझें हुये कार्यकर्ता ही करते हैं । बाबा की तरह नही कि हजारो बुजुर्ग विकलांग और महिलाओं को बैठा दिया ऐसे मे अनहोनी की आशंका हरदम रहती है । सरकार को ब्लैकमेल नही करना चेतावनी देना है कि जनता की क्या तकलीफ़ है । तीसरी बात मुद्दे सीमित और गंभीर होने चाहिये ये नही कि कालाधन भी उसके बाद सुनाई पड़ा भू अधिग्रहण का मामला तो उसे भी जोड़ लिया अब इस बाबा को राष्ट्रीय किसान आय आयोग भी चाहिये शिक्षा मे भारतीय भाषाये भी चाहिये था और भी पता नही क्या क्या । मजाक है क्या पचास हजार अनुयायियों को बुलाया और सौ मांगे लेकर बैठ गये नाम हुआ तो अपना अनहोनी हुयी तो सरकार जिम्मेदार । आंदोलन का अंत गिरफ़्तारी से होता है कैसे अन्ना ने घोषणा की थी हम जेल जाने को तैयार हैं और ये बाबा तो महिलाओं का सुरक्षा घेरा बना गिरफ़्तार नही होना चाहते थे । इतना सुनते ही दीपक भाजपाई भड़क गये बोले दवे जी कितना माल मिला कांग्रेसियो से जो अनाप शनाप बक रहे हो ।

मैने कहा आगे तो सुनो भाई आपको अभी और तिलमिलाना बाकी है ये । क्या जनता को दिख नही रहा कि आंदोलन के शांतिपूर्ण खत्म होने पर सरकार का फ़ायदा था और दमन होने पर भाजपा का इसीलिये शुरू मे ही आनन फ़ानन मे  चार चार वरिष्ठ मंत्री एयरपोर्ट गये चर्चा की आंदोलन शुरू होते ही फ़िर होटल मे चर्चा हुयी और सहमती भी बन गयी । लेकिन बाबा पर लौटते ही संघ का दबाव पड़ा आंदोलन जल्दी समाप्त करने के विरूद्ध बाबा के श्रीमुख से नयी नयी मांगे निकलने लगी राष्ट्रीय किसान आय आयोग जमीन अधिग्रहण और भी बहुत सी । सहमती पत्र दे चुके बाबा की नयी मांगो और मंच पर बैठी साध्वी रितंभरा को देख सरकार का माथा ठनका । आंदोलन मे संघ के परोक्ष रूप से जुड़े होने की बात उसे पहले से पता थी पर उसका और उसके अनुषांगिक संगठनो का इस तरह खुल कर सामने आना बात अलग थी । खुफ़िया सूचनायें थी कि  अगले दिन सुबह से भारी भीड़ जुटने वाली है और यह भी की बाबा अब इस आंदोलन को टकराव की ओर ले जाने वाले हैं । बाबा पर दबाव बढ़ाया गया लेकिन बाबा को टकराव से ही लोकप्रियता मिलने की सीख मिली थी और अन्ना के आंदोलन का हश्र भी बाबा को बुरा नजर आ रहा था । इसपर सरकार ने सहमती पत्र जारी कर दिया और अपना पत्र बाबा के पास भेज दिया लेकिन बाबा ने उसे झूठा और साजिश करार दिया । अब सरकार के पास कोई चारा नही था दिन मे आंदोलन खत्म कराने पर क्या हंगामा होता यह सरकार जानती ही थी ।  इसलिये रात मे ही सरकार ने कार्यवाही के निर्देश जारी कर दिये । जितना नुकसान हो सकता था उससे कम ही हुआ । सरकार के लिये एक नपा तुला कदम था नुकसान भी बाबा अपने बयानो से आने वाले दिनो मे पूरा कर ही देने वाले थे

मेरे इतना कहते ही सोहन शर्मा नाचने लगे बोले मान गये दवे जी बेहद दिमागदार आदमी हो मैने कहा मिया किसी गलत फ़हमी मे न रहना दवे जी और पूरा देश अभी उस धर्म निरपेक्ष आदमी की तलाश मे हैं जो आपकी पार्टी को हमेशा के लिये स्विस बैंक मे जमा कर आये आप लोगो के पाप का घड़ा अब भर चुका है । तभी बाजू खड़े दीपक भाजपाई बोले दवे जी भी कांग्रेसी हैं खाली खाल आम आदमी की ओढ़ रखी है। मैने जवाब दिया दीपक जी निकम्मे और भ्रष्ट आप लोग भी कांग्रेस से कम नही और बल्कि एक कदम आगे बढ़ गये हो यतियों को सामने रख लड़ना चाहते हो । खुद के बुलावे पर जनता साथ नही दे रही तो रामदेव का आंदोलन दूषित करने पहुंच गये । अपने गिरेबान मे झांकने की जहमत क्यों नही करते जनता क्यो साथ नही दे रही इसका चिंतन क्यों नही करते नेता से कार्यकर्ता सब भ्रष्ट हो गये हैं । इसका उपाय आपसे किया न जायेगा न करने की इच्छा है खाली सहारा खोजते हो । याद रखो आज से तीन साल बाद आप ही देश मे विकल्प हो सावधान अगर आपने अपने को ठीक न किया तो इस देश का  लोकतंत्र से विश्वास उठ जायेगा । तुम्हारी पूरी पार्टी मे मोदी के अलावा और कोई ईमानदार और विकास पुरूष नही है  । पर तुम्हारे जनाधार विहीन नेता कभी उसको सामने नही लायेंगे खाली उसका फ़ोटो दिखा वोट कमायेंगे । सुधर जाओ दीपक बाबू अभी भी समय तुम्हारे साथ है । और खबरदार जो आज के बाद किसी गैर राजनैतिक आंदोलन को दूषित करने का प्रयास किया ।

मेरे इतना कहते ही आसिफ़ भाई मुझे खींच कर अलग ले गये बोले दवे जी सबको ही खरी खोटी सुना देते हो किसी एक का पक्ष तो लिया करो । मैने ठंडी सांस ली बोला भाई आज तो  हम लोग याने जनता विपक्ष हैं और सारी पार्टियां सत्ता पक्ष अब आप ही बताओ विपक्ष का काम सत्ताधारियों को खरी खोटी सुनाना है कि नही

Monday, June 6, 2011

भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी का सोनिया मम्मी को खत

आदरणीय मम्मी जी


पहले तो मेरी गुजारिश स्वीकार करें और लौटती डाक से अपनी चरणधूली भेजने की असीम क्रुपा करें । मम्मी जी आप भारत की है नही इस लिये आप को पता नही है कि यहां मां बच्चो का खयाल रखती हैं पर आप इटली की हैं तो हम बच्चो ने सदा आपका खयाल रखा कि क्या पता आप के मायके मे क्या प्रथा हो । दूसरी ओर आप हमारे देश की बहू भी हैं । और आज कल दहेज प्रताडना वाला केस भी दर्ज हो जाता है अब भारत मे केस हो तो जमानती पट्टा भी मिल ही जाता है पर यदि आप इंटरनेशनल कोर्ट मे केस दर्ज कर देंगी तो पट्टा कहा से आयेगा यही सोच कर भी  हम सभी ने आपका ध्यान रखा ।

पर मम्मी अब का मामला समझ के बाहर है नुक्कड़ चौपाल जाते डर लगता है कि कौन जूता मार दे  । ये बाबा लोग तो जाने सांसत किये हुये हैं पूछते हैं हमारे भाई पर आधी रात को डंडा क्यो । बीजेपी तो खैर विरोधी है लड़ाई पुराना है उनसे कोई दिक्कत नही पर आम आदमी से कैसे बात करें । मम्मी जी आप तो करोड़ चौरासी की मां हैं आपको पब्लिक फ़ोड़ाई के बारे मे क्या मालूम पर नित यह खतरा झेलते अब तबीयत नासाज रहने लगी है ।


प्यारी मम्मी आप के ये मुंशी मैनेजर कुछ भी बोल देते हैं कुछ भी कर देते हैं जवाब तो  हमसे मांगते है लोग । कल ही सुषमा स्वराज ये देश है वीर जवानो का वाले गाने पर राज घाट पर नाच रही थीं । तो इन लोगो ने नचनिया से लेकर क्या नही कह दिया यह भी कहा कि घटना क्रम पर जश्न मना रही थी । मम्मी भारत मे समानता है पारिवारिक माहौल मे इतनी सम्मानित महिला की खुशी जाहिर करने को ऐसे शब्द देना ? फ़िर तो आप को भी नाचते हुये भारत वर्ल्ड कप के दिन भाजपायी नचनिया कह देंगे झगड़ा हम को करना पड़ेगा मार हम को पड़ेगी । मम्मी जी आप तक बात पहुंचे नही रहा है क्या आप को पता नही लोग दुखी हैं पीडित हैं । पर गलती आप की नही है कोई आम आदमी दिखने से आपको कामन इंडियन पीपल बता कर मुंशी मैनेजर लोग पल्ला झाड़ लेते होंगे ये लोग ।

मम्मी जी आज देश का माहौल क्या हो गया है कांग्रेसी कहने से पहले सौ बार सोचना पड़ता है पहले तो यह कह्ते ही लोग प्यार करते थे महात्मा सी जय जय कार करते थे ।  आज मालूम पड़ते ही अपराधी सा  व्यहवार होता है जूतो से गालियो से सत्कार होता है । प्यारी मम्मी क्या कमी रह गयी थी आज तक तो यह जनता सभी कुकर्मो को सह गयी थी ।  माफ़ कीजियेगा पर आपके राज मे मीडीया पर वह अंकुश नही  जो आपकी सास के जमाने मे था । सबक लीजिये इंदिरा सा व्यहवार कीजिये कुछ भी हो पर टीवी मे नही आना चाहिये ।



ये कैसे हुआ कि लोक तंत्र मे बाबा लोग अन्ना लोग देश हित को आगे आ रहे हैं आपके मुंशी मैनेजर कहते हैं कि ब्लैक मेलिंग है बाबा फ़्रौड है अन्ना मुखौटा है । पर मम्मी जी अगर इन लोग ऐसे हैं और अपने मन मोहन संत है महात्मा हैं तो देश मे इतना भ्रष्टाचार कैसे हो गया । क्या आर एस एस और बीजेपी राजा के पीछे है और नही भी है तो भी दिग्गी मामू ऐसा बयान क्यो नही दे रहे उनको छोड़े तो बाबा और उसके ब्वायफ़्रेंड बालकिशन को ही क्यो नही लपेट लेते। मै गरीब आपको क्या सलाह दूं आप ही कोई रास्ता निकाल लीजिये मै  । तो अब तक  इस महान राजवंश का मुलाजिम था और खैर आगे भी रहूंगा दाल रोटी और नमक का गुलाम हूं । पर आप से एक ही गुजारिश है मम्मी जी कांग्रेस मे यदि कोई गुप्त पद हो जिस बारे मे जनता न जान सके तो वह देकर प्लीज मेरा ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष पद वापस ले लें  ।

आपका स्वय़ंसेवक

सोहन शर्मा

Saturday, June 4, 2011

बाबा राम देव को सत्ता सुंदरी का उलाहना पत्र

चिर कुंवारे बाबा

प्यारे इस लिये नही लिखा कि मै आपसे सख्त नाराज हूं मेरे पिछले प्रेम पत्र मिलने के बाद भी आप नही माने । आपने वह काम कर दिया जिसके खिलाफ़ हमने आपको सख्ती से चेतावनी दी थी । आप को पता नही है कल दिग्गी मामू आये थे और हमे चिढ़ा रहे थे देखो सुंदरी मै न कहता था खोदा बाबा निकली बीजेपी बात इस पर भी खत्म नही हुई लालू चाचा तो कह गये कि तुम्हारा बाबा पगला गया है योगा सिखाये खामखा तुम्हारे पीछे पड़ा है सब समर्थक भाग जायेगा । मैने आपको कई बार कहा कि अपने अभियान को धर्म और राजनीती से दूर रखो पर आप माने नही ले आये उस साध्वी रितंभरा को साथ जिससे हम बहुत चिढ़ते है । हमारे 120 करोड़ बच्चे हैं और हम सभी से प्यार करते हैं और आपस मे द्वेश होगा तो विनाश  राज्य का ही हो जायेगा । आपको मैने सारी बाते समझायी थीं श्राप का भी पाठ पढ़ाया था पर आप नही माने और आपके स्वागत मे चरणधूली फ़ांकती राज्यसभा आज आपके छीछालेदर को तत्पर है कल तक जो बाते शकुनी (दिग्गी) मामा कहता था आज माता गांधारी (इटली वाली) भी उसी लाईन पर चल पड़ी है

क्या आप नासमझ हो क्या जरूरत थी आपको बीजेपी और संघ को साथ लेने की क्या आपको पता नही था वे भी आकंठ भ्रष्टाचार मे डूबे हुये हैं । उनको साथ लेने के पहले क्या आपको पता नही था कि ऐसा करने से जो स्वामी की पदवी आपने धारण कर रखी थी का पद जाता रहेगा । उस साध्वी को मंच पर बैठाने से क्या आपके समर्थको मे एक भी व्रुद्धी हुयी नही बल्कि लाखो लोग आपसे रूष्ट हो गये । ये लोग जो नारा लगाते है "जो हिंदू हित की बात करेगा वही देश मे राज करेगा " इन लोगो को क्या मालूम है हिंदूओं का हित किसमे है । क्या हिंदू राष्ट्र बन जाने से सब सवाल खतम हो जायेंगे क्या फ़िर हिंदुओ के अंदर भी जातिवाद नही है । क्या मुस्लिम राष्ट्र बन कर पाकिस्तान स्वर्ग बन गया आज रोज मस्जिदो मे बम धमाके हो रहे हैं अर्थ व्यवस्था ध्वस्त है । राज्य का हित सर्व धर्म समभाव मे होता है क्या ये बात नही जानते थे जो इन लोगो को साथ लिया ।  यह बीजेपी जो चारो ओर भ्रष्टाचार मे लिप्त है अगर इतनी ही देश प्रेमी हिंदू प्रेमी है तो क्यो नही नरेन्द्र मोदी जैसे ईमानदार और विकास पुरूष को अपना नेता बनाती क्योंकि इन्हे पता है जिस दिन मोदी जैसा ईमानदार आदमी आ गया इनकी दाल रोटी बंद हो जायेगी ये तो बस मोदी क फ़ोटू दिखाती है और खुद खीर मलाई खाती है । यह बीजेपी आपके साथ इसिलिये होना चहती है कि खुद भ्रष्टाचार से ग्रस्त होने के कारण जब भी वह सरकार पर आरोप लगाती है सरकार आईना दिखा कर मुह बंद करा देती है ।


क्यों आपने बीमार , विकलांग महिला पुरूषो बजुर्गो और बच्चो वाली माताओ को अनशन मे शामिल होने दिया क्या आपको मालूम नही था कि आपात स्थिती आने पर इन पर क्या अनहोनी बीत सकती है। आपने पार्दर्शिता भी नही बरती सरकार से क्या बात चीत हो रही है और ये आपका ब्वायफ़्रेंड बालक्रुष्ण कौन है इसके पहले तो कभी इसका चेहरा सामने नही आया । क्यो उसने दस्तखत किये समझौता पत्र पर और कर ही लिये तो फ़िर तनातनी की स्थिती क्यों आने दी क्यो चर्चा से सौहाद्र पूर्ण वातावर्ण खत्म हो गया । इसके लिये सरकार जिम्मेदार थी तो आपने जनता को पूरी बात क्यो नही बताई पूरा मीडिया आपके साथ था ।


देखिये बाबा रामदेव ये आंदोलन आपका अकेले का नही है पूरे देश की जनता जो आकंठ भ्रष्टाचार और कांग्रेस की तानाशाही से त्रस्त है ने आपमे अपनी उम्मीद की किरण देखी है आज आपके आंदोलन पर हुये अत्याचार की घटना ने देश को झकझोर दिया है । इस देश की सोई हुयी १२० करोड़ जनता को उठने के लिये ऐसी ही किसी घटना का इंतजार था आज वह आपके साथ खड़ी है । अकेले चलो आगे बढ़ो पूरा देश उठ खड़ा होगा पर याद रखना फ़िर अंतिम चेतावनी दे रही हूं किसी भी राजनैतिक दल को साथ लिया तो आप खुद भी उनके दलदल मे समा जाओगे । और फ़िर सरकार से आप उसी व्यहवार की उम्मीद करना जैसा किसी साथी चोर भ्रष्ट राजनैतिक दल के साथ किया जाता है ।

आपकी हो सकने वाली

सत्ता सुंदरी

Friday, June 3, 2011

बाबा मेरे बाबा दिल मे समा जा




सुबह सवेरे नुक्कड़ पर भाई दीपक भाजपाई पूर्ण श्रद्धा से रामदेव बाबा की फ़ोटो के सामने गाना गा रहे थे "बाबा मेरे बाबा दिल मे समा जा " वाला चारो ओर भीड़ लग गयी  लोग काना फ़ूसी करने लगे । इतने मे भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी पधारे और डाईरेक्ट कमेंट कर दिया भाई दीपक ये तुम्हारे बाबा के पास पैसा कहां से आता है इतना शाही सत्याग्रह तो इतिहास मे कभी नही हुआ कूलर एसी पंखे ढाई लाख फ़ीट का पंडाल दीपक जी बाबा को इस सत्याग्रह मे काले धन का इस्तेमाल करने पर जवाब तो देना ही होगा ।

इतना सुनते ही दीपक जी भड़क गये तूतूमैमै होने लगी मै आराम से बैठा चाय पी ही रहा था कि मेरे अंदर का सोया हुआ भारतीय जाग उठा । बोला बंद करो ये बकवास पैसा कहा से आया पूछते हो सोहन बाबू  बाबा रामदेव इतने सालो से देश भर मे घूम घूम कर  लोगो को योगा सिखा रहे थे दवायें बेच रहे थे । आपकी नजर न पड़ी हर साल रिटर्न भरता रहा  संपत्ती एक हजार करोड़ पहुंच गयी तो आपका पेट दुखने लगा। पूछते हो पैसा कहां से आया कहते हो योगा और दवाई बेच कर लोगो को लूटता है तुममे दम था तो खुद भी योगा सिखाते दवाई बेचते देश को वैसे ही लूट रहे हो दवाई बेच के लूटते । पर नही तुमको तो मुफ़्तखोरी की आदत पड़ी है टेलीकाम का घोटाला पकड़ा गया तो कहते हो राजा खा गया । तुम्हारे जैसे लंपटो की नाक के नीचे बिना नजर आये कोई खा सकता था भला अपना हिस्सा लिया ही होगा । और उससे नही लिया होगा तो इसलिये कि द्रमुक से बीस गुना मंत्रालय तुम्हारे पास थे राजा दो लाख करोड़ खाया तो तुमने निश्चित चालीस लाख करोड़ खाये होंगे नही खाने का सवाल ही नही उठता । और बाबा तो टीवी पर सबके सामने चंदा ले रहे थे कल तुम लोग कब दिखे हो सबके सामने चंदा लेते बाबा योग शिविर के टिकट बेचते हैं तो उनका ट्रस्ट चलता है । तुम लोग क्या बेचते हो देश को वंशजो की धरोहर खनिज संपदाओ को  कैसे चलती है तुम्हारी पार्टी । कैसे होते हैं सम्मेलन पूरे का पूरा पंडाल ही एसी होता है तुम्हारे यहां ।

इतना सुनते ही दीपक भाजपाई खुशी से उछल पड़े बोले वाह दवे जी क्या बात कही मान गये मै फ़िर भड़का दूर हटॊ भाजपाई बाबा का आंदोलन फ़ेल होगा तो तुम लोगो के कारण बाबा के आंदोलन मे हिंदू राष्ट्रवाद घुसा रहे हो अपने दुमछ्ल्लो को आंदोलनकारियो मे बैठा रहे हो । याद रखो ये आंदोलन खुद बाबा का भी नही है यह आंदोलन तुम दोनो के कुकर्मो से पीड़ित जनता के क्रोध का है । जिस क्षण इसे धर्म जात जैसे वर्गो मे बाट दोगे यह आंदोलन फ़ेल हो जायेगा । और तुम किस मुह से इस आंदोलन का समर्थन करोगे तुम्हारी पार्टी भ्रष्टाचार नही कर रही तुम्हारा कौन सा नेता अरबपती नही बना । क्यों बाबा आडवानी को सोनिया गांधी से माफ़ी मांगनी पड़ी स्विस बैंक के मुद्दे पर क्योंकि तुम लोगो के खुद के दामन पाक साफ़ नही है ।  आप दोनो एक ही लेवल के भ्रष्टाचारी हो दोनो ही को बीच चौराहे पर खड़ा कर पीटना चाहिये मेरा इतना कहना था कि नुक्कड़ की भीड़ दोनो को मारने पर उतारू हो गयी ।

अब मेरे अंदर का भारतीय सो गया और मै जागा बड़ी मुश्किल से दोनो को भीड़ बचाया दीपक के लिये दलील दी भाई के अटल जी वाली मर चुकी भाजपा से प्यार करते हैं जिंदा भाजपा (कांग्रेसवादी) से नही । सोहन जी के लिये तर्क दिया ये भी गांधी वाली कांग्रेस से लगाव रखते है कांग्रेस आई (इनकमवादी) से नही । भीड़ तो शांत हो गयी पर उसके छटते ही दोनो मुझ पर भड़क गये आपस मे राय की बोले ये लेखक तो खतरनाक होते जा रहा है और इसके काटे का कोई इंजेक्शन भी नही बना सीधे राम नाम सत्य हो जायेगा हम लोगो का। चलो इसको वैसे ही पीटते है जैसे सच्चाई लिखने वाले पत्रकारो को मारा जाता है । वो तो खुदा का लाख लाख शुक्र था (अब मुसलमान को तो अल्लाह ने ही भेजा होगा न) कि आसिफ़ भाई आ गये बड़ी मुश्किल से मेरी गारंटी ले मुझे छुड़ाया अलग ले जाकर बोले यार दवे जी हिंदू ही काहे नही बने रहते खामखा भारतीय बन जाते हो ।

Wednesday, June 1, 2011

आधे इधर आधे उधर बाकी बाबा रामदेव के साथ

 नुक्कड़ से रैली बाबा रामदेव की जय का नारा लगाते निकल रही थी । भाई सोहन शर्मा ने डूबी हुई आवाज से कहा ये बाबा भी न फ़ालतू मे बवाल कर रहे हैं ।  बाजू  खड़े दीपक भाजपाई ने प्रतिवाद किया ए कांग्रेसी मेरे बाबा के बारे मे कुछ न कहना वरना ठीक न होगा । शर्मा जी हसें बोले मिया ये बाबा है किसका इसकी ही तो खबर नही है  तुम फ़ोकट मे मत लड़ो । वैसे भी दीपक जी आज बाबा ने दिन भर हमारे नेताओ से चर्चा की है हमारी पार्टी ने खर्चा भी किया ही होगा अब यह बाबा हमारा होने वाला है जल्दी ही । दीपक ने कहा चुनाव तक तो बाबा ताल ठोकते रहेंगे इतना बात तय है और सोहन बाबू तुम अपने बुरे दिन की तैयारी करो मामला गंभीर है ।

सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी का दंभ हसने लगा भाई तुम लोग तो फ़्रेम मे हो ही नही रेड्डी बंधुओं से लेकर हर कुछ दाल मे काला ही है । तुम्हारा हर कार्यकर्ता हम जैसा कांग्रेसी बन चुका है और तुम्हारी पार्टी का भी नाम बी जे पी (कांग्रेसवादी) कर लो तुम मे इतना दम ही होता तो क्या ये बाबा लोग मेन स्ट्रीम मे आते लोकतंत्र को कलंकित करने वाले इस दिवस पर बिना सरपंच तक का चुनाव लड़े लोग हमे याने की सरकार को चुनौती दे रहे हैं शर्म की बात है । दीपक भाजपाई भड़क गये बोले तुम लोगो ने देश को भ्रमित किया है मुस्लिमो का दुरूपयोग करते हो लानत है तुम पर ।  शर्मा जी हसने लगे और जो आप हिंदुओं का दुरूपयोग करते हो उसका क्या भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हिंदू राष्ट्रवाद कहां से आ गया । हिंदू समाज का आंदोलन है तो  मुसलमान वो कहां जायेंगे और हिंदुओ मे भी तो जातिया हैं आधे हमारी शरण मे आयेंगे । शर्मा जी ने ताल ठॊकी भाई दीपक हम ही विजेता होंगे दीपक भी हार कहां मानते बोले हर हर महादेव ।

मै बीच मे था बोला महा मूर्खो तुम लोग ही जीतोगे चाहे परिणाम देश को डुबाने वाला क्यो न हो हमारे साथ तुम दोनो का श्राप जुड़ा हुआ है । इस देश की खुश्किस्मती धर्म निरपेक्षता और धर्म बाहुल्यता मे है । और कौन सा पाकिस्तान मुसलिम राष्ट्र बन कर खुश हो गया आज तो वहां रोज मस्जिदो मे बम फ़ूट रहे हैं ।  पर यह बात समझता कौन है । और सुनो  तुम्हारी चाल सफ़ल हो जायेगी बाबा भी फ़ेल हो जायेगा यह बात तय है ।

बाबा के फ़ेल होने की बात सुन रैली मे शामिल लोग मेरे खिलाफ़ हो गया बोले दवे जी इस मामले मे आपने ठीक न बोला आप तो पिटने की तैयारी कर रहे हो ।  मैने कहा ये बाबा बोलता क्या है एक करोड़ आदमी सत्याग्रह करेंगे दोस्तो इस सोते हुये देश मे एक लाख आदमी भी एकत्र हो जायें तो बड़ी बात है लोग एक होते तो आज ये नौबत आती ये हरामखोर नेता अफ़सर लूट रहे हैं । हिसाब तो कोई है ही नही एक लाख दो लाख करोड़ के नीचे बात बेकार है । भाई ये रामदेव  बाबा फ़ालतू देश के लोगो को पढ़ा रहा है इस देश के लोगो मे मर्दानगी होती तो जाते घर छोड़ एक हफ़्ते के लिये दिल्ली नेताओ को नानी याद आती ताबड़ तोड़ नेता औकात मे आते । पर जब बाबा रामदेव  4  जून को दिल्ली पहुचेंगे   तो कम्प्यूटर पर चिल्ला रहे लोग भागेंगे आधे इधर आधे उधर बचे बाबा के साथ होंगे । देश वासियो अगर मर्द हो तो जाओ भले बाबा रामदेव आपको सही न लगे हों पर इस आंदोलन का  उद्देश्य बुरा नही है । बात आज देश की है बाबा को भले आप पसंद न करें पर अपने देश को तो करते हो । लोग जब तक साथ उठ नही खड़े होंगे तब ये देश इसी तरह लुटता रहेगा ।

मेरी बात सुनकर जोश से भर चुकी रैली आगे बढ़ गयी पर वहां खड़े शर्मा जी और दीपक मुझे खूनी निगाहो से घूर रहे थे बोले दवे जी आप लोगो को हमारे खिलाफ़ भड़काते हो । मैने प्यार से उन्हे समझाया भाई ये भारत की जनता है खून ठंडा होने मे कितना समय लगता है दस मिनट मे सब भूल जायेंगे  आप लोग तो कुंडली मे राजयोग लिखा कर लाये हो आपके के सामने किसी बाबा का कोई  योग कहां चलेगा । बस रोज भगवान से प्रार्थना किया किया करो ये लोग हर दम हिंदू मुसलमान इसाई बने रहे जब तक ये भारतीय न हो जाये तब तक आपको कोई खतरा नही है