Monday, October 3, 2011

ये भाजपा मुझे आत्महत्या नही करने देती

रात को  हम नुक्कड़ में टहल रहे थे कि एक कोने से एक महिला के सिसकने की आवाज आई| औरतों का दर्द हमसे देखा ही नही जाता सो हम पहुंच गये और पूछा - " क्यों सुंदरी आप क्यों रो रही हैं।"  उसने सिसकते हुये कहा "ये कमबख्त हमें सुईसाईड नही करने दे रहे।" हमने कहा- "सुंदरी यह तो अच्छी बात है, किसी को भी सुसाईड करने से रोकना ही चाहिये और आप हो कौन"। जवाब मिला- " मै आत्मा हूं" । आत्मा सुनते ही हमारी रूह फ़ना हो गयी, हमने कहा - " पहले तो अम्मा सामने आओ,  हम कनफ़र्म करेंगे कि आप आत्मा हो"।

आत्मा ने कहा -" पहले तो बड़ा सुंदरी, सुंदरी कर रहा था, अब अम्मा पर उतर आया। सही है आत्मा के सामने बड़े बड़े लंपट सीधे हो जाते हैं"। इतना कह आत्मा सामने आई, उसे देख हमारे रोंगटे खड़े हो गये। तार तार हुये कपड़े क्षतविक्षत शरीर, गमजदा चेहरा।  हमने डरते हुये कहा- "आत्मा भला कही सुईसाईड कर सकती है।" आत्मा भड़क गई- "अरे मूर्ख शरीर सुईसाईड करेगा तब न आत्मा को मुक्ती मिलेगी।"  हमने धीरे से कहा - आपकी किसकी आत्मा हैं"। जवाब मिला- "कांग्रेस की।"  हमने पूछा- "आप आत्महत्या क्यों करना चाह रही हैं कांग्रेस माई।"  आत्मा ने कहा - "बेटा वो दिन गये जब हमें लोग कांग्रेस माई कहते थे, अब तो हमारा नाम कांग्रेस आई हो गया है।

हमने कहा -" पहले आप आराम से बैठिये और हमे पूरा किस्सा सुनाईये।"  आत्मा ने कहा - " क्या बताउं बेटा मेरे जन्म के बाद मुझे गांधी जी के आश्रम मे भर्ती कर दिया गयावहां सत्य अहिंसा दलित उद्धार और धार्मिक सदभाव का मैने पाठ पढ़ा। आजादी के बाद गांधी जी ने मुझे नेहरू जी को सौंप दिया तब लोग नेहरू की कुछ नाकामियों को कोसते भी थे पर मेरे बारे में भला बुरा कोई न कहता था। नेहरू के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने तो मेरा नाम और उंचा कर दिया था जय जवान जय किसान के नारे लगाते लोग मेरी जयजयकार करते थे। फ़िर  इंदिरा से लेकर राजीव और अब उसकी पत्नी दिनोदिन मेरी इज्जत गिरती गयी और आज का हाल तो देख ही रहे हो बेटा कांग्रेस का नाम अब कलंक  हो गया है।"

हमने समझाया - चिंता मत करो अम्मा आज भी पार्टी में ईमानदार लोग हैं । आत्मा बोली - "मुझ बुढ़िया को समझा रहे हो बेटा देखी नही ईमानदारों की हालत।"  हमने कहा -" कुछ नही अम्मा, वह तो मनमुटाव दूर किया उन्होने।"  आत्मा ने हमारी बात काटी -" थूक कर चाटना कहते हैं बेटा इसे"। इतना कह वह  फ़िर सिसकने लगी"।

हमने पूछा - " अम्मा आपका शरीर मरेगा कैसे यह तो बताओ" आत्मा बोली- "सुसाईड से, मुझे अनिच्छा मृत्यू का वर है। अर्थात जब तक मेरा शरीर आत्महत्या न करे तब तक मेरी मुक्ती संभव नही"। हमने कहा- "तब तो अम्मा कब तक इस तरह रोती रहोगी,  समय की कोई गारंटी तो नही है"|  आत्मा बोली - " अरे बेटा इतने सालों बाद इस मनमोहन की सरकार बनी। मैने तरह तरह की तपस्या कर इसे एटमी डील के लिये प्रेरित किया, कैश फ़ार वोट स्कैंडल भी करवा दिया। उसके बाद जब कुछ होता न दिखा तो मैने जप तप कर इस मनमोहन को दूसरी बार चुनाव जितवा दिया और तमाम घोटालो के भंडाफ़ोड़ भी करवा दिये कि इस शरीर से मुक्ति मिले।"

हमने दिमाग पर जोर डाला - हां अम्मा कल वो लालकॄष्ण आडवानी बता तो रहे थे कि कांग्रेस आत्महत्या की राह पर चल रही है। इतना सुनते ही आत्मा भड़क गयी- "नाम मत लो उस मुये और उसकी पार्टी का, मुंह में दात नही पेट में आंत नही और चले हैं प्रधानमंत्री बनने"। ये कांग्रेस तो कब का आत्महत्या कर लेती पर ये  भाजपा है न,  काम सारे कांग्रेस वाले, बेईमानी एक रूपये भी कम नही और गाना गायेंगे "चाल चेहरा चरित्र, सुशासन यात्रा।  और सोचेंगे घर बैठे कांग्रेस आत्महत्या कर ले। और जब देखेंगे जनता साथ नही दे रही तो बाबाओं के पीछे यतियों के पीछे छुप के सत्ता पाने की सोचेंगे। उससे बस नही चलेगा तो नफ़रत फ़ैलायेंगे, नेहरू का दादा मुसलमान था, बटवारे में हिंदुओं का ऐसे कत्ल हुआ, यहां दंगा हो रहा है, वहां कावड़ियें नही जा पा रहे, लव जिहाद चल रहा है। इनके अलवा अन्ना हजारे के जैसा कोई और आयेगा तो उसके पीछे पड़ जायेंगे कि कांग्रेस का एजेंट है। ये नही कि इमानदारी और विकास के बल पर जनता का विश्वास जीतें। इनका फ़ार्मूला तो मुंह में गांधी और बगल में गोड़से वाला है।

ले देकर एक इमानदार मोदी काम कर रहा है तो उसको आगे बढ़ाने के बदले पीछे से टांग खींच रहे है। ये भाजपाई लोग ही तो हैं बेटा जो कांग्रेस को आत्महत्या करने नही दे रहे हैं।" हमने कहा- "अम्मा अब ये मामला तो इतने लफ़ड़े वाला है कि हम क्या करें।  आत्मा ने सुझाव दिया- " बेटा एस एम एस कर लोगों को मेरी तकलीफ़ बताओ" हमने कहा- "अम्मा वह तो संभव नही, सरकार ने  सौ से अधिक एसएमएस पर रोक लगा दी है"। आत्मा ने कहा -" बेटा, फ़िर फ़ेसबुक, ब्लाग जैसी जगहों पर लेख लिख लोगो को जागरूक करो। हमने कहा- "अम्मा , वह भी संभव नही दिग्विजय सिंग केस कर देता है आजकल कि उसको मानसिक पीड़ा पहुंच रही है।" और लिख भी दो अम्मा तो देश की अस्सी प्रतिशत जनता के पास तो पेट भरने के अलावा बाकी किसी चीज के लिये समय नही फ़ायदा कुछ नही होगा।"


इतना सुनते ही अचानक आत्मा गायब हो गयी और हम बोझिल कदमों से घर की ओर बढ़ लिये। मित्रो हो सकता है कि यह आत्मा फ़िर मुझे कही नजर आ जाये। ऐसे मे अगर कांग्रेस कैसे आत्महत्या कर सकती है इस विषय पर आपके पास कोई विचार हो तो अवश्य बताईयेगा।
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  1. आत्मा ने कहा -" बेटा, फ़िर फ़ेसबुक, ब्लाग जैसी जगहों पर लेख लिख लोगो को जागरूक करो। हमने कहा- "अम्मा , वह भी संभव नही दिग्विजय सिंग केस कर देता है आजकल कि उसको मानसिक पीड़ा पहुंच रही है।" और लिख भी दो अम्मा तो देश की अस्सी प्रतिशत जनता के पास तो पेट भरने के अलावा बाकी किसी चीज के लिये समय नही फ़ायदा कुछ नही होगा।"..................बहुत बढ़िया , अब आत्म हत्या करने कि जरूरत नहीं कोंग्रेस को , जनता अबकी खुद ह्त्या करेगी !

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  2. बहुत जबरदस्त कल्पना है... लाज़वाब...
    दिग्विजय सिंग द्वारा केस फाईल करने की बात सुनकर मेरे भी कान खड़े हो गए थे... आखिर एकाध पोस्ट तो डाला ही है मैंने भी...शुक्र है अभी ब्लॉग दिग्विजय सिंग और उस जैसों की नज़रों से बचे हुए हैं...
    सादर बधाई...

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  3. शानदार व्यंगात्म प्रस्तुति... समय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  4. वाह क्य बात है दवे जी!
    --
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  5. ज़ुबां से कहूं तो है तौहीन उनकी
    वो ख़ुद जानते हैं मैं क्या चाहता हूं
    -अफ़ज़ल मंगलौरी

    जब से छुआ है तुझको महकने लगा बदन
    फ़ुरक़त ने तेरी मुझको संदल बना दिया
    -अलीम वाजिद
    http://mushayera.blogspot.com/2011/10/blog-post_04.html

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  6. किसी व्यक्ति का बुढ़ापा उसके बाल्यावस्था और युवावस्था पर निर्भर करता है .कांग्रेस ने अपने बाल्यावस्था और युवावस्था के समय में इतना तप किया है कि इस समय उसके अंग-भंग हो रहे है फिर भी मृत्यु अभी दूर दूर तक नज़र नहीं आ रहा है.

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