दशहरे के दिन नुक्कड़ पर बैठे बैठे हमें देशभक्ती के कीड़े ने काटा, तत्काल दिमाग में आईडिया फ़्लैश हुआ और हमने आसिफ़ भाई से कहा - "चलो गुरू रावण को मारा जाय"। आसिफ़ भाई बोले - " मियां सटक गये हो क्या, नेताओं के रहते हमको भला कौन रावण का पुतला जलाने देगा।" हमने कहा -" पुतला नही जलाना, भ्रष्टाचार के रावण को खत्म करना है।" आसिफ़ भाई ने सर खुजाया, बोले - "मियां मेहनत बाबा टाइप करेंगे हम और अन्ना टाईप क्रेडिट आप ले जाओगे।" हमने कहा- "नही भाई, हम दोनो प्रशांत भूषण, केजरीवाल टाईप साथ रहेंगे।" आसिफ़ भाई ने सहमती मे सर हिलाया- " विचार तो नेक है मियां, इस ससुरे भ्रष्टाचार की बहन सूर्पणखा उर्फ़ महंगाई ने हमारी नाक में दम कर रखा है। चिकन तो सवासौ से कम मिलता ही नही और भिंडी भी पचास रूपये किलो से कम नही।"
हम दोनो ने नुक्कड़ में अपनी सेना एकत्रित करी ही थी कि सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने कहा - "दवे जी, आसिफ़ भाई हम आपसे सहमत हैं। इस भ्रष्टाचार के रावण को खत्म करना ही होगा और इसके लिये हम प्रयासरत भी है आप हमारा साथ दें।" हमने कहा- "यार शर्मा जी, इस रावण का चेहरा आपसे बड़ा मिलता जुलता है। खाली जब आप भाषण देते हो तभी राम नजर आते हो बाकि टाईम तो रावण सी दिनचर्या मे लगे रहते हो कि कौन सा लाइसेंस बाटूं, किस विमान कंपनी को दिवालियां करूं, कौन सी खदान खोद कर पर्यावरण को खुदा के पास भेजूं ,कहां की तेल गैस अंबानीयों को बेच खाउं। शर्मा जी साथ मत मांगो चंपत हो जाओ कि हमला तुम पर ही होने वाला है।"
बाजू खड़े दीपक भाजपाई ने ताली बजाई - " सही पहचाना आपने, ये सोहन कांग्रेसी ही भ्रष्टाचारी रावण है और तो और बेशर्मी इतनी है कि अपने लिये विदेशी महारानी खोज लाये है। हमे हर्ष है कि आपने भगवान राम याने कि हमारी सेना में शामिल हो इनको भस्म करने का बीड़ा उठाया है।" हमने कहा -" हे भाई रामानंद, बहुत दिन तुम लोग राम के नाम से आनंद उठा चुके हो अब रहम करो हम पर। और किस मुह से हमको अपनी सेना में शामिल करते हो। तुम लोग कौन सा कसर छोड़ रखे हो भाई, तुम लोग ही भ्रष्टाचार के रावण से लड़ते होते तो क्या हमको ये दिन देखना होता। तुम लोग खाली आम खाओ, भ्रष्टाचारी रावण से लड़ाई रूपी पेड़ लगाने का काम हम पर छोड़ दो।"
तभी नुक्कड़ पर शर्मा जी ने प्रेस कांफ़्रेंस कर घोषणा कर दी - " आसिफ़ भाई और दवे जी चाय के भुगतान मे घपला करते हैं। ये किस मुंह से भ्रष्टाचारी रावण से लड़ने की बात करते हैं ये तो खुद सर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। और दवेजी के दादा के पिताजी पलासी की लड़ाई में मैदान छोड़ कर भाग गये थे इसलिये दवेजी भी भाग जायेंगे।" शर्मा जी की घोषणा को अनसुनी कर हम लोग आगे बढ़े ही थे कि नुक्कड़ की शाही मस्जिद के इमाम आलू बुखारी जी ने घोषणा कर दी - " आसिफ़ भाई जिस रावण को मारने जा रहे हैं वह हिंदुओं का है। इस्लाम किसी रावण को मारने कि इजाजत नही देता क्योंकी यह काम अल्लाह या पैगंबर ही कर सकते हैं। अतः हम भ्रष्टाचारी रावण को मारने के अभियान के खिलाफ़ फ़तवा जारी कर रहे हैं।"
आसिफ़ भाई ठिठक गये- "दवे जी ये तो फ़तवा जारी हो गया अब।" हमने कहा- "आसिफ़ भाई क्या यह इमाम आपके चिकन को सस्ता करवा सकता है, बच्चे की फ़ीस कम करवा सकता है, जो इसको फ़तवा जारी का हक दिया जाय।" तभी अनवर जमाल नाम के महाविद्वान पहुंच गये बोले -" इमाम को जानकारी नही है, राम जो हैं अवतार नही थे महापुरूष थे।अतः उनका साथ देने मे कोई बुराई नही"। ऐसे पहुंचे हुये छुपे एजेंडे वाले इतिहासकार को दरकिनार कर हम आगे बढ़े ही थे कि होसलेवाला नाम का मतवाला सामने आ खड़ा हुआ कहने लगा - " दवे जी आप जानते नही हो, भ्रष्टाचार रूपी रावण सीता रूपी कालेधन को उठा कर नही ले गया था। बल्की कालाधन रूपी सीता अपनी मर्जी से साथ गयी थी, आप मनुवादी राम का साथ देकर सही नही कर रहे हो"। आसिफ़ भाई ने कहा " अरे अंबेडकर के नाम पर कलंक, साईड हटो हम लोगो को काम पर जाने दो।"
तभी हमारा रास्ते में मंडल जी और बैठा जी आकर बैठ गये कहने लगे - " देखो भाईयो स्वर्ण वर्ग की यह करतूत, ये लोग भ्रष्टाचार रूपी रावण को मारने जा रहे हैं, क्योंकी आज यह रावण इनको तकलीफ़ दे रहा है। इससे पहले जब हमारे दलित भाईयों को यह तकलीफ़ दे रहा था तब ये स्वर्ण समाज आराम से घर मे बैठा हुआ था। लेकिन आज एक अछूत, दलित मंत्री राजा ने चार पैसे दलित समाज की भलाई के लिये ले लिये तो ये लोग उसको तिहाड़ में बंद कर दिये, इनका साथ मत दो"। हमने समझाया- "बैठा जी खड़े हो जाओ, ये रावण सब को तकलीफ़ दे रहा है क्या स्वर्ण क्या दलित, क्या रिश्वत मांगने वाला जात पूछता है।" मंडल जी अपनी जगह अटल थे बोले - " आपने अपने साथ दलितो का प्रतिनिधी क्यों नही लिया और अपनी सेना मे दलितों को आरक्षण क्यों नही दिया, जब तक आप ऐसा नही करेंगे हम आपके खिलाफ़ हैं। हमने लाख समझाया- " भाई इस सेना में तो जो चाहे भर्ती हो सकता है। कोई संख्या या जाति बंधन थोड़े है, और न इसमे कोई तंख्वाह है।" पर मंडल जी नही माने और दलितो को इस सेना से दूर रहने का संदेश देने लगे।
खैर साहब उससे भी आगे बढ़े तो तरूण कुमार हिंदूवादी आकर खड़े हो गये बोले -" पहले आसिफ़ भाई और इनके साथियों को भारत माता की जय और वंदे मातरम कहना होगा। फ़िर ही आपको हिंदुस्तान के हिंदु असुर रावण रूपी भ्रष्टाचार को मारने की इजाजत है।" आसिफ़ भाई कुछ कहते उसके पहले हमने कहा - " आसिफ़ भाई भारत माता की जय नही बोलेंगे, भारत माता की विजय हो बोलेंगे। इसी तरह वंदे मातरम की जगह बंदा ए मातरम कहेंगे"। तरूण कुमार जी हमे गुस्से से देखने लगे बोले " आप जैसे सिकुलर देशद्रोही हिंदुओं के कारण ही देश का यह हाल है"। हमने कहा- "ओ भाई स्वयंभू धर्मरक्षक, धरे रह अपना सर्टीफ़िकेट अपने पास।जब हम मरेंगे तब यमराज से कह नर्क भिजवा देना हमको।"
खैर साहब इतने धर्म और जात, दल, भाषा के नाम पर भड़काने वालों से अपनी सेना को बचा हम भ्रष्टाचारी रावण से लड़ने पहुंचे तो देखा हमारा स्वागत में सीबीआई, पुलिस, इनकम टैक्स,से लेकर तमाम सरकारी एजेंसियां और उनके साथ खड़ा पत्रकारों का दल खड़ा था। जो हमारे मुंह से निकली एक गलत बात को कांट छांट कर घुमाफ़िरा कर प्रसारित करने को तैयार था और जिसका काम भ्रष्टाचारी रावण के बारे में नही सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे बारे में बात करना था।
इतना सब देख आसिफ़ भाई लड़खड़ा गये बोले - " मियां हमारे परदादा के परदादा काजी की बीबी को भगा कर ले गये थे। अगर बात खुल गयी तो हमारे खानदान की बड़ी बेईज्जती होगी।" हमने भी सहमती में सर हिलाया- " भाई बात हमारी भी ऐसी ही है, जवानी में हमने बहुत से प्रेमपत्र लिखे थे। सीबीआई ने खोद निकाला तो कईयों के पती और हमारी पत्नी हमें बहुत पीटेगी।"
तो साहब हम दोनो ने तो अपना अभियान स्थगित कर लिया है। आपसे भी अनुरोध है कि देश भक्ती का कीड़ा कभी आपको काटे तो बाथरूंम में बंद हो नेताओ को कोस लेना। भड़ास भी निकल जायेगी और आप खामखा परेशानियों मे भी नही पड़ोगे।