Friday, October 19, 2012
नेताओं का सेक्सी फ़ैशन
दूसरी शर्त है कि आपके देखा देखी सबका उस बात कर करने को ललचाना। तो भाई केजरीवाल ने शुरू किया है, अब सुनते है बहुत लोग के पर निकल आये है। वैसे बाबा के भी पर निकले थे, लेकिन उ बेचारे धर्मशास्त्र के उपर अर्थशास्त्र के चढ़ बैठने के कारण थोड़ा बैकफ़ुट में आ गये हैं। पर जो भी हो सुप्रिया सुले की बात सिद्ध तो हो ही जाती है कि आरोप लगाना फ़ैशन बन गया है। कपड़ों का फ़ैशन पेरिस से चालू होता है। फ़ैशन टीवी(FTV) खोल कर हमने कई बार इस फ़ैशन को समझने की कोशिश की। लेकिन हैंडसम मर्दो को हम जलन के मारे देख नहीं पाते, उनके कपड़े क्या देखें। सुंदरियो को देखने की कोशिश की थी। लेकिन साहब हिंदुस्तानी पत्नियों में फ़ैशन टीवी देखते पाये जाने वाले पति को पीटने का फ़ैशन है। सो एक बार के बुरे अनुभव के बाद हमने प्रयास कभी नही किया।
लेकिन नेताओं में जरूर फ़ैशन हो गया है कि आरोप लगाने वाले को खुद भ्रष्ट करार देना। यह सारे फ़ैशन कांग्रेस से शुरू होते है। भले उस समय कांग्रेस को बाकि नेता भला बुरा कहें हो। अपना नंबर आने पर इसी फ़ैशन को अपना लेते हैं। अब भाजपा को ही ले लीजिये, अंजली दमानिया को कहते है- "खुद सर से लेकर पैर तक जमीन घोटाला करती है और हमारे श्रद्धेय अध्य्यक्ष पर आरोप लगाती है"। सलमान खुर्शीद ने केजरीवाल को सड़क छाप कहा तो तुरंत फ़ैशन को अपना कर नितिन गड़करी ने चिल्लर करार दिया।
लेटेस्ट ट्रेंड तो केजरीवाल को पागल करार देने का है। और साहब इस आरोप से तो हम अक्षरशः सहमत हैं। आखिर कोई पागल ही अपना काम धाम छोड़ के जान खतरे में डाल के सारे भ्रष्टो का भंडाफ़ोड़ करने मे भिड़ जाये। स्वराज्य और शुचिता के नाम से उस देश में वोट मांगे, जहां लोग धर्म और जात पर वोट देते हैं। एक और लेटेस्ट ट्रेंड भी आ गया है। आज कल सारे राजनैतिक दल स्लट वाक कर रहे हैं। उनका माडर्न लड़कियों की तरह कहना है कि हम कम नैतिकता ओढ़े या चाहे नग्न बेशर्मी दिखाये उसका मतलब हमारी हां नही है। केजरीवाल हमारा चीर हरण ना करे न ही हमारी बेईज्जती खराब करे, बताये देते हैं हां।
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