साहब हम नुक्कड़ छोड़ कहीं आते जाते नही| पर मुसीबत है कि कोई न कोई बहाने से हमारे पास चली ही आती है। एन ऐसे एक बुरे दिन, हम चैन से गुजरती हुई सुंदरियो को निहारते खड़े ही थे। कि मिसेज रूनझुन जो कि शहर महिला मुक्ती मोर्चा की अध्यक्षा हैं, की नजर हम पर पड़ गयी। नजर तो हमारी भी उन पर पड़ गयी थी। लेकिन साहब सुंदरियो को देखते ही हमारा दिमाग काम करना बंद कर देता है। नही तो हम पहले ही कट लिये रहते। खैर साहब मिसेज रूनझुन काफ़ी दिनो से हम पर खफ़ा थी। कोई उनका कान भर दिया था कि दवे जी महिलाओ को अत्याचारी बताने वाला लेख लिखते हैं। सो हम पर चढ़ दौड़ी, बोलीं - "क्यों दवे जी आपको शर्म नही आती। 21 सदी में रहते हैं और महिलाओं के बारे में उल्टा सीधा लिखते हैं।" हमने कहा -"किस ने कहा आपसे, जरूर हमारे दुश्मनो की चाल है। हम तो महिलाओ की बड़ी इज्जत करते है। अब घर के कामो में पत्नी का हाथ बटाते हैं, यही लिखते हैं। बस यही गुनाह है हमारा।"
मिसेज रूनझुन उलझन में पड़ गयी। पर उनकी खबर पक्की थी सो वे टस से मस नही हुईं। कहने लगी- " नही हमें पक्की खबर है। आप लोगो को सलाह देते हो कि पत्नी की इज्जत मत करो और खुद भी महिलाओ की इज्जत नही करते।"
हमने कहा - "हम लोगो से कहते हैं कि पत्नी की जितनी इज्जत करनी चाहिये उतनी इज्जत कीजिये।" मिसेज रूनझुन तमतमा उठीं- " जितनी इज्जत करनी चाहिये से क्या मतलब है आपका ?" हमने कहा - " अब मैडम आदमी औरत की जियादे ही इज्जत करने लगेगा तो दुनिया में बच्चे पैदा होना बंद नही हो जायेंगे। आप ही सोचिये कि कहीं इज्जत करना ज्यादा हो गया और पति ने पत्नी को देवी मां बना लिया। फ़िर कैसा हाहाकार मच जायेगा दुनिया में।" मिसेज रूनझुन सकपका गयी बोली अच्छा इसे छॊड़िये ये बताईये दहेज प्रथा के बारे में आपका क्या विचार है। हमने कहा -"मैडम, अब ये बारे मे विचार वो लोग करते है जिनका शादी नही हुआ है। हम तो शादी शुदा हो हुआकर कबाड़ में पड़े हैं। लेकिन हमारी युवाओ को यही सलाह रहती है कि बेटा भूले से दहेज नही लेना। वरना जिंदगी भर सुनना पड़ेगा कि फ़ला चीज मेरे पापा ने दी थी, आपसे तो खरीदी ही नही जाती।"
मिसज रूनझुन ने अगला सवाल दागा - "दवे जी एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर के बारे में आप क्या सोचते है यह बताईये।" हमने अमिताभ बच्चन की तरह कमर झटक कर कहा - "जिस को भी प्यार आये जब चाहे चली आये प्रेमनगर दवे जी की खोली नंबर 420।" मिसेज रूनझुन भड़क गयी - "क्या बकवास कर रहे हो आप दवे जी।" हम भी भड़क गये -"और आप क्या कर रही है। कभी सोचा है आपने कि जिन महिलाओ के पति ऐसे संबंध बनाते है उन बेचारियो पर क्या गुजरती है। इस तरह की महिला विरोधी मुद्दो पर चर्चा हमें नही करनी। विवाह एक पवित्र बंधन है उस के अलावा कोई संबंध चर्चा के योग्य भी नही।" अब मिसेज रुनझुन ने हमे बड़े सम्मान की नजरो से देखा। वाह कैसा उम्दा किस्म का पति है। काश दुनिया के सभी पति ऐसे ही होते। फ़िर उन्होने कहा- "वाह दवे मान गये, बड़े अच्छे विचार हैं आपके। अच्छा ये बताईये कि बलात्कार के विषय में आप क्या सोचते हैं। हमने कहा- "मिसेज रूनझुन, सत्य यही है कि बलात्कार टल न सके तो उसका मजा लेना चाहिये।" मिसेज रूनझुन क्रोध से लाल हो गयी, हमको पीटती उसके पहले हमने सफ़ाई पेश कर दी - " दरअसल बात यह है कि नेता देश की जनता के साथ जो आर्थिक बलात्कार कर रहे हैं वो तो टाला नही जा सकता। जिसको चुनो वही भ्रष्टाचार में भिड़ जाता है। ऐसे में विकल्प ही क्या बचता है। सो हमारा विचार है कि जनता को इस आर्थिक बलात्कार का मजा लेना चाहिये। कि वाह राजा साहब क्या स्टीक स्कैम किया था आपने 2G में। या कलमाड़ी की हौसला अफ़जाई करनी चाहिये। कि वाह कामनवेल्थ की वेल्थ किस खूबसूरती से लूटी, लाजवाब खेला किया मजा आ गया। अधिकरियो से कहना चाहिये कि कि जरा प्रेम से लूटो भाई पैसा जाने का दर्द हो। लेकिन मीठा मीठा, हमे हर्ट बस मत करना ।
मिसेज रूनझुन भड़क गयी हम महिलाओ के उपर हो रहे अत्याचारो की बात कर रहे है। और आप कहां पहुंच गये। हमने समझाया - "आप कहां टिकी हो मैडम, जिस देश के आदमी ही व्यवस्था के गुलाम है। उनके हक ही नेताओ और अधिकारियों के चंगुल मे फ़ड़फ़ड़ा रहे हो। उस देश की औरतो की आजादी की बात करना ही बेमानी है। और आप हैं कि दिन भर व्यर्थ परेशान रहती है।" फ़िर हमने बात घुमाई - वैसे मिसेज रूनझुन मानना पडेगा आपके पतिदेव को। हम इतनी सुंदर महिला के पति होते तो एक मिनट भी अकेला न छोड़ते अपनी श्रीमति को। मिसेज रूनझुन अभी तक महिला मुक्ती में ही अटकी हुई थी। गुस्से से बोली- "आप का मतलब है कि आदमी को अपनी बीबी को चौबीस घंटे कैद में रखना चाहिये।" हमने माथा ठोक कहा -"हम कहते क्या है और आप समझती क्या है। हमारा मतलब था कि जिसकी बीबी आपकी तरह खूबसूरत हो। वो अपनी श्रीमती से एक पल की जुदाई भी कैसे बर्दाश्त कर सकता है भला।"
मिसेज रूनझुन शर्मा गयी - " आप तो हमे खामखा चने के झाड़ में चढ़ा रहे है। आदमी को कामधंधे पर जाना होता है कि नही। वो सब छोड़िये दवे जी, यह बताईये कि हम महिला मुक्ती आंदोलन को कैसे आगे बढ़ायें।"
हमने सलाह दी - "बात ऐसी है मैडम, कि ये सब मुद्दे कीजिये साईड। इन सब से फ़ोकट बातचीत के अलावा कुछ होना जाना नही है। आज कल हाट मुद्दो का जमाना है। हेडलाईन देखिये और उस हिसाब से बिगुल बजाईये। जैसे उ जोहल हमीद का मामला हाट है, तो पिल जाईये बयान दीजिये। कि सिद्धार्त माल्या माफ़ी मांगे वरना उसके खिलाफ़ आंदोलन होगा। कुछ हेडलाईन न दिखे, तो ममता शर्मा टाईप "सेक्सी कहना गलत नही" बयान दे दीजिये। बवाल मच जायेगा और आप खुद ही हेड लाईन बन जायेंगी। नही तो कन्या भ्रूण हत्या या खाप पंचायत के पीछे लग लीजिये। टीवी शो में गला फ़ाड़िये। फ़िर देखिये कैसे आप महान बन जायेंगी फ़टाफ़ट।
प्रसन्न होमिसेज रूनझुन ने अगली समस्या बताई- "हमारे साथ महिलाये नही जुड़ती है। उसका उपाय बताईये कि कैसे उन्हे साथ लिया जाये। हमने कहा -" आप भी न समझती नही हैं। देखिये आप पहले ही कितनी हसीन हैं। उपर से मेकअप कर लेती हैं। ऐसे में कौन महिला बदसूरत नजर आने आपके साथ नजर आना चाहेगी। सो थोड़ा टोन डाउन कीजिये, बिना मेकअप के रहिये उससे साथी महिलाएं भी खुश। हमारा दर्द भी कुछ कम होगा, कि हाय हमें श्रीमती आपकी तरह खूबसूरत क्यों न मिली।
मिसेज रूनझुन शर्मा कर बोलीं - आप भी न दवे भईया बड़े मजाकिया है। चलिये अब मै चलती हूं। आईयेगा भाभी जी को लेकर कभी हमारे घर। हमारे हसबैंड को बड़ा अच्छा लगेगा आपसे मिल कर। इतना सुना साहब कि हमारा दिल टूट गया। उपर से बगल में खड़े आसिफ़ भाई ने और टांट कस दिया कि -"दवे जी अल्लाह ने औरतो को आदमी पहचानने की गजब नेमत दी हुई है। लंपटो को वे तड़ से भाई बना लेती है। "
@दवे जी अल्लाह ने औरतो को आदमी पहचानने की गजब नेमत दी हुई है। लंपटो को वे तड़ से भाई बना लेती है.......
ReplyDeleteसमझ गए बेट्टा :)))
बड़ी टक्कर की टक्कर रही दवे जी:)
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