सोशल मीडिया में आग
उगलते घूम रहे लोगो की कमी नही है। ये लोग अलग अलग धर्मो से वास्ता रखते है
और अपने धर्म के पूर्वजो पर हुये अत्याचार का बदला चुकाने इनकी भुजाये फ़ड़क
रही होती है। लेकिन इनकी भुजाये चाहती है कि बाकियो की भी भुजाये फ़ड़के।
ताकी अकेले बदला चुकाने का में होने वाला जोखिम बाकियो के साथ आ जाने से कम
हो जाये। इसे एक तरह का इंश्योरेंस भी कहा जा सकता है। ऐसे लोग अमूमन
भावुक होते है जिन्हे किसी संगठन विशेष के प्रोपोगेंडा अभियान ने उत्तेजित
किया होता है। मेरे पिछले लेख में ऐसे ही एक सज्जन ने टिप्पणी की कि दवे जी
आपकी मां बहनो से किसी ने बलात्कार किया हो। और उस बात को काफ़ी समय गुजर
गया हो। तो क्या आप उसे भूल जायेंगे। एक दूसरे सज्जन ने टीपा कि जयचंद जैसे
गद्दार आज भी है। असभ्य शब्दो मे इसे कहा जाये तो दवे जी हिंदु धर्म के
गद्दार है लिखा गया था। तो चलिये आज इस मामले पर चर्चा कर ली ही जाये कि
बदला कैसे चुकायें।
इतिहास का बदला मुसलमानो से चुकाने का खयाल कोई बुरा खयाल नही है। हजारो सालो का इतिहास बहुत से लोगो को बहुत से लोगो से बदला करने के लिये प्ररित करने में सक्षम है। और अगर कोई चाहता है कि मुसलमानो से बदला चुकाया जाये। तो फ़िर वही बदला चुकाने के हकदार वे दलित भी है। जिन पर उंची जाती के हिंदुओ ने सदियो तक छुआछूत से लेकर क्या क्या जुल्म नही ढाये। मुंशी प्रेमचंद से लेकर अदम गोंडवी की अनुपम कृतियां आपको इस की झलके दिखा सकती हैं। या उनसे आप ये कहेंगे कि-" हे दलितो कहा सुना माफ़ करना ।"और मुसलमानो से कहेंगे कि- "रै मुसलमान हम कहा सुना माफ़ नही करेंगे।"
चलिये अब आगे भी चला जाये। दलित वाला मामला तो हिंदुओ का आपसी मामला है। और मुसलमान आपसी नही हैं। भला जिस "हिंदु का खून न खौले खून नही वो पानी है" वाला संगठन विशेष का नारा किस तरह भुलाया जा सकता है। अब देखना यह है कि जिन लोगो के उपर ये जुल्म हुये उनका क्या हुआ। आखिर उनका बदला ही न चुकाने के लिये खून खौल रहा है। उनका बना साहब ये कि उन्हे मुसलमान बना दिया गया तलवार की जोर पर। और जब आक्रमणकारी लौट जाते थे। तब उस समय के हमारे हिंदु ब्राह्मण जिनमे से किसी एक का वंशज मै भी हूं। उन्हे हिंदु धर्म में वापस लेने से मना कर देते थे। बने फ़ायदे के लिये कुछ जमींदार राजा व्यापारी भी। पर ऐसे लोगो को प्रतिशत बहुत कम है आखिर हजारो मे एक आदमी ही न अमीर हो सकता है। जिस कश्मीर के लिये संगठन विशेष का नारा है "दूध मांगोगे तो खीर देंगे, कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे।" उसी कश्मीर में जब जबरदस्ती मुसलमान बनाये गये लोगो ने धर्म वापसी करना चाहा। तो आदरणीय राजपुरोहित जी नदी मे कूड गये। आपके उपर आक्रमणकारी कौन थे अरबी, तुर्क, मंगोल और भारत के मुस्लमानो मे से कितने अपनी वंश रेखा उन से जोड़ सकते हैं। अब मेरे खून खौलाने वाले भाईयो क्या जिनके उपर हुये जुल्म का बदला भुंजाना है उन्ही को मारोगे। अरे भाई जरा हवाई जहाज का इंतजाम करो। चलते हैं तुर्की मंगोलिया अफ़गानिस्तान। वहा जाकर खून खौलायेंगे, आप लोग आत्मघाती हमलावर बन जाना। दवे जी आपका साथ देने के लिये लव जिहाद कर आयेंगे एकाध सुंदरी से बियाह कर लेंगे।
कई स्वयंभू राष्ट्रभक्त मांग रखते है कि मुसलमान यह माने कि उनके उनके पूर्वज हिंदु थे। अरे भाई क्यो मानेंगे? हमी लोग तो मना कर दिये थे कि अब तुम हिंदु नही रहे मुसलमान हो गये हो। इतनी सदियो से जो इंसान जिस धर्म मे रच बस गया है उसको अपना धर्म निभाने दो, हम अपना निभायें। हम गायें वंदे मातरम तो मुस्लिम गायें बंदा ए मातरम, झगड़ा खत्म। कभी तो मैं सोचता हूं कि कहीं ये संगठन विशेष वालो और मुसलमानो के संगठन विशेष वालो के पूर्वज एक ही तो नही थे। दोनो के लक्षण केतना मिलते जुलते है। दोनो विरोधी धर्म के खिलाफ़ दिन भर आग उगलते है। दुनो प्रोपोगेंडा के लिये एक से एक नायाब कहानिया गढ़ लाते है। वो पाकिस्तान में इस्लामिक राष्ट्र बनाने में भिड़े है। ये हिंदुस्तान में हिंदु राष्ट्र बनाने को कमर कसे हुये है। मजे की बात ये है ये दोनो एक दूसरे का हवाला दे, हमसे कहते कि लड़ने मरने तैयार हो जाओ। अरे भाई तुम लोग आपस में काहे नही लड़ मर जाते फ़ोकट हम लोगो का खून खौलाने में लगे रहते हो।
चलिये अब और आगे चले इस पर विचार करें। कि कैसे करोड़ो आदमियो के मुल्क में महज कुछ लाख हमलावर आकर इस तरह खून खराबा कर सकते थे। कर ऐसे सकते थे कि हम जात पात में, राज्यो में बटे हुये थे। आपस में लड़ मर रहे थे। हम में से कुछ आपसी झगड़े के कारण दुश्मनो का साथ देते थे। आज आजादी के आंदोलन मे एक सूत्र भारतीयता से बंध हम एक है, मजबूत है। यदि हम फ़िर आपस में धर्म के नाम पर भाषा के नाम पर जात के नाम पर लड़ने लगें। तो फ़िर हमारे मुल्क के हालात वैसे ही हो जायेंगे जिसमे दुश्मन हमारा सीना चीर सकता है।
अरे भाई हिंदु हो तो ईश्वर से डरो, मुसलमान हो तो खुदा का खौफ़ करो। क्यो आने वाली नस्लो के लिये जहर की बुनियाद रखते हो। अपने घर से मच्छर, चीटी, काकरोच तो हम खत्म नही कर सकते । कैसे हिंदु मुसलमानो को खत्म कर लेगा या मुसलमान हिंदुओ को खत्म कर लेगा। और जब रहना साथ ही तो भाई बनकर रहने मे भलाई है कि दुश्मन बन कर। अभी भी तर्क दिये जा सकते हैं कि हम तो शांती से रहते हैं। सामने वाला फ़लां करता है, ढिकां करता है। तो भाई कानून व्यवस्था है कि नही देश मे। जो गलत कर रहा है उसकी रिपोर्ट की जा सकती है कि नही। आतंकवाद को अंजाम उसी कौम को सबसे अधिक उठाना पड़ता है जो इसमे शामिल हो। भरोसा नही तो पाकिस्तान को देख लें हमारे यहां आतंकवद एक्सपोर्ट करने का कारखाना आज उसे ही तबाह कर रहा है कि नही। और हां यह भी याद रहे इन नेताओ के भी पूर्वज एक ही है चाहे वो मुसलिम नेता हो या हिंदु नेता। इतिहास उठा कर देख लीजियेगा तब भी ये ऐश ही कर रहे थे और आज भी कर रहे हैं।
इतिहास का बदला मुसलमानो से चुकाने का खयाल कोई बुरा खयाल नही है। हजारो सालो का इतिहास बहुत से लोगो को बहुत से लोगो से बदला करने के लिये प्ररित करने में सक्षम है। और अगर कोई चाहता है कि मुसलमानो से बदला चुकाया जाये। तो फ़िर वही बदला चुकाने के हकदार वे दलित भी है। जिन पर उंची जाती के हिंदुओ ने सदियो तक छुआछूत से लेकर क्या क्या जुल्म नही ढाये। मुंशी प्रेमचंद से लेकर अदम गोंडवी की अनुपम कृतियां आपको इस की झलके दिखा सकती हैं। या उनसे आप ये कहेंगे कि-" हे दलितो कहा सुना माफ़ करना ।"और मुसलमानो से कहेंगे कि- "रै मुसलमान हम कहा सुना माफ़ नही करेंगे।"
चलिये अब आगे भी चला जाये। दलित वाला मामला तो हिंदुओ का आपसी मामला है। और मुसलमान आपसी नही हैं। भला जिस "हिंदु का खून न खौले खून नही वो पानी है" वाला संगठन विशेष का नारा किस तरह भुलाया जा सकता है। अब देखना यह है कि जिन लोगो के उपर ये जुल्म हुये उनका क्या हुआ। आखिर उनका बदला ही न चुकाने के लिये खून खौल रहा है। उनका बना साहब ये कि उन्हे मुसलमान बना दिया गया तलवार की जोर पर। और जब आक्रमणकारी लौट जाते थे। तब उस समय के हमारे हिंदु ब्राह्मण जिनमे से किसी एक का वंशज मै भी हूं। उन्हे हिंदु धर्म में वापस लेने से मना कर देते थे। बने फ़ायदे के लिये कुछ जमींदार राजा व्यापारी भी। पर ऐसे लोगो को प्रतिशत बहुत कम है आखिर हजारो मे एक आदमी ही न अमीर हो सकता है। जिस कश्मीर के लिये संगठन विशेष का नारा है "दूध मांगोगे तो खीर देंगे, कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे।" उसी कश्मीर में जब जबरदस्ती मुसलमान बनाये गये लोगो ने धर्म वापसी करना चाहा। तो आदरणीय राजपुरोहित जी नदी मे कूड गये। आपके उपर आक्रमणकारी कौन थे अरबी, तुर्क, मंगोल और भारत के मुस्लमानो मे से कितने अपनी वंश रेखा उन से जोड़ सकते हैं। अब मेरे खून खौलाने वाले भाईयो क्या जिनके उपर हुये जुल्म का बदला भुंजाना है उन्ही को मारोगे। अरे भाई जरा हवाई जहाज का इंतजाम करो। चलते हैं तुर्की मंगोलिया अफ़गानिस्तान। वहा जाकर खून खौलायेंगे, आप लोग आत्मघाती हमलावर बन जाना। दवे जी आपका साथ देने के लिये लव जिहाद कर आयेंगे एकाध सुंदरी से बियाह कर लेंगे।
कई स्वयंभू राष्ट्रभक्त मांग रखते है कि मुसलमान यह माने कि उनके उनके पूर्वज हिंदु थे। अरे भाई क्यो मानेंगे? हमी लोग तो मना कर दिये थे कि अब तुम हिंदु नही रहे मुसलमान हो गये हो। इतनी सदियो से जो इंसान जिस धर्म मे रच बस गया है उसको अपना धर्म निभाने दो, हम अपना निभायें। हम गायें वंदे मातरम तो मुस्लिम गायें बंदा ए मातरम, झगड़ा खत्म। कभी तो मैं सोचता हूं कि कहीं ये संगठन विशेष वालो और मुसलमानो के संगठन विशेष वालो के पूर्वज एक ही तो नही थे। दोनो के लक्षण केतना मिलते जुलते है। दोनो विरोधी धर्म के खिलाफ़ दिन भर आग उगलते है। दुनो प्रोपोगेंडा के लिये एक से एक नायाब कहानिया गढ़ लाते है। वो पाकिस्तान में इस्लामिक राष्ट्र बनाने में भिड़े है। ये हिंदुस्तान में हिंदु राष्ट्र बनाने को कमर कसे हुये है। मजे की बात ये है ये दोनो एक दूसरे का हवाला दे, हमसे कहते कि लड़ने मरने तैयार हो जाओ। अरे भाई तुम लोग आपस में काहे नही लड़ मर जाते फ़ोकट हम लोगो का खून खौलाने में लगे रहते हो।
चलिये अब और आगे चले इस पर विचार करें। कि कैसे करोड़ो आदमियो के मुल्क में महज कुछ लाख हमलावर आकर इस तरह खून खराबा कर सकते थे। कर ऐसे सकते थे कि हम जात पात में, राज्यो में बटे हुये थे। आपस में लड़ मर रहे थे। हम में से कुछ आपसी झगड़े के कारण दुश्मनो का साथ देते थे। आज आजादी के आंदोलन मे एक सूत्र भारतीयता से बंध हम एक है, मजबूत है। यदि हम फ़िर आपस में धर्म के नाम पर भाषा के नाम पर जात के नाम पर लड़ने लगें। तो फ़िर हमारे मुल्क के हालात वैसे ही हो जायेंगे जिसमे दुश्मन हमारा सीना चीर सकता है।
अरे भाई हिंदु हो तो ईश्वर से डरो, मुसलमान हो तो खुदा का खौफ़ करो। क्यो आने वाली नस्लो के लिये जहर की बुनियाद रखते हो। अपने घर से मच्छर, चीटी, काकरोच तो हम खत्म नही कर सकते । कैसे हिंदु मुसलमानो को खत्म कर लेगा या मुसलमान हिंदुओ को खत्म कर लेगा। और जब रहना साथ ही तो भाई बनकर रहने मे भलाई है कि दुश्मन बन कर। अभी भी तर्क दिये जा सकते हैं कि हम तो शांती से रहते हैं। सामने वाला फ़लां करता है, ढिकां करता है। तो भाई कानून व्यवस्था है कि नही देश मे। जो गलत कर रहा है उसकी रिपोर्ट की जा सकती है कि नही। आतंकवाद को अंजाम उसी कौम को सबसे अधिक उठाना पड़ता है जो इसमे शामिल हो। भरोसा नही तो पाकिस्तान को देख लें हमारे यहां आतंकवद एक्सपोर्ट करने का कारखाना आज उसे ही तबाह कर रहा है कि नही। और हां यह भी याद रहे इन नेताओ के भी पूर्वज एक ही है चाहे वो मुसलिम नेता हो या हिंदु नेता। इतिहास उठा कर देख लीजियेगा तब भी ये ऐश ही कर रहे थे और आज भी कर रहे हैं।
कुछ मामूली असहमतियों के बावजूद इस सुलझे हुए आलेख की भावना सही और विचारणीय है। अराजकता फैलाने वाले और असंतोष भड़काने वाले हमारे समाज के शत्रु हैं और देश में प्रशासन और व्यवस्था की अनुपस्थिति का नाजायज़ लाभ उठा रहे हैं। लिखते रहिये, झिंझोड़ते रहिये, देश को इसकी ज़रूरत है।
ReplyDeleteपारम्परिक प्रतिशोध किसी भी मामले का हल नहीं है। किन्तु समस्या यह कि दोनो ओर से एकसाथ प्रतिशोध भावना कैसे समाप्त हो?
ReplyDeleteइन नेताओ के भी पूर्वज एक ही है चाहे वो मुसलिम नेता हो या हिंदु नेता। इतिहास उठा कर देख लीजियेगा तब भी ये ऐश ही कर रहे थे और आज भी कर रहे हैं।
ReplyDeleteexcellent post - wonderful | thanks
ReplyDeleteकहाँ कोई बना मतलब का जूनून मांगता है,
ReplyDeleteदिल तो बस कुछ कतरा सुकून मांगता है.....!!
सार:- तब भी ये ऐश ही कर रहे थे और आज भी कर रहे हैं और अभी भी।
ReplyDeleteआपस में प्रेम करो मेरे देशप्रेमियों
ReplyDeleteदवे जी, आपने सच लिखने की हिम्मत कैसे कर ली ?
ReplyDeleteकैसा मासूम सा सवाल पूछ रहे हैं आशीष जी, हिन्दुओं के खिलाफ कुछ भी लिखने में कैसी हिम्मत की जरूरत?
Deleteचलिए दवे जी, बधाई लीजिये शान्ति, सद्भाव के ब्रांड एम्बेसेडर की अधिकतर अर्हताएं पूरी करने की| आग उगलने वाले हैं तो शीतल जल की धार छोड़ने वाले भी कम नहीं हैं यहाँ|
ReplyDelete'खून नहीं वो पानी है' और 'कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे' जैसे नारे आपकी नजर में आये लेकिन 'लड़कर लिया था पाकिस्तान और हंसकर लेंगे हिन्दुस्तान' जैसे नारे आपने नहीं सुने\पढ़े होंगे| हिन्दुओं को और खासकर ब्राह्मणों को इस्लाम कबूलने की सलाह और ऐसा न करने पर उनकी गर्दन को इस्लाम की तलवार के लिए तैयार रहने वाला वीडिओ भी आपने नहीं ही देखा होगा| देखा भी होगा तो हर मर्ज की एक दवा गांधीजी के तीन बन्दर तो हैं ही, बुरा अंत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत बोलो| हाफिज सईद का महिमामंडन और उसके कृत्यों को जस्टिफाई करती पोस्ट भी आपने नहीं ही देखी होगी| आग उगलने वाले आपस में लड़ मरें तो हमें भी कोई दिक्कत नहीं है लेकिन मरते हमारे आपके परिवार के ही लोग हैं और उसके बाद शुरू होता है हम हिन्दुओं का शुतुर्मुर्गपना| कानून की अच्छी सीख दी आपने, कसाब, अजमल सब पर क़ानून ही तो काम कर रहा है, शायद वही रास्ता सुझा रहे हैं आप| आप का कोइ कुसूर नहीं हुजूर और न ही भड़काऊ बातें करने वाले दूसरे पक्ष का, कुसूर सारा है तो सिर्फ उन हिन्दुओं का जो सामने वाले को उसी भाषा में जवाब देने को मजबूर होते हैं जो उन्हें समझ आती है| दूसरा गलत है तो उसे हम लोग गलत नहीं कहेंगे क्योंकि इससे धर्मनिरपेक्षता खतरे में आ जाती है, और इधर से क्रिया की प्रतिक्रिया हो तो हम अपने सब वाकजाल पेश कर देंगे ये दिखाने के लिए की हमसे बड़ा शान्ति का मसीहा कोई नहीं|
संभव हो और नागवार न गुजरे तो वो लिंक दीजियेगा ज़रा जिनमें मुसलामानों से बदला चुकाने की बात कही गयी है|
पुनश्च बधाइयां, & keep it up.