साहब हिंदुस्तान बड़ा गजब मुल्क है। जाती धर्म की विविधता के साथ यहां विचित्र लोगो की भी कोई कमी नही, भांती भांती के पाये जाते हैं। अब ताजा मामला देखिये एक कह रहा है- "फ़लां मेरा बाप है"। फ़लां कह रहा है कि- "नही, मै इसका बाप नही।" अब इन तथाकथित बाप बेटे के लफ़ड़े से देश की सत्ताधारी पार्टी का चेहरा काला हो रहा है। लोग बोलते हैं कि हाय इस महान देश की महान पार्टी के फ़लां नेता अईसा है। तो बाकी कैसे होंगे। फ़ेर ऐसे लोगो को और दुखी करने के लिये हर महिने कोई न कोई सीडी मार्केट में आ जाता है। चाल चरित्र और चेहरा वाला महान विपक्षी पार्टी भी खामोशी से इस लफ़ड़े के सलटने के इंतजार में है। आखिर सीडी का क्या है, किसी का भी बन सकता है। और चाल चेहरा चरित्र तो घोषणापत्र का मैटर है नेताओ का थोड़ी।
खैर साहब बात भटक गयी, ये तिवारी साहब अपना खून देना नहीं चाहते, पता नही क्यों ? जमाना तो जाने चुका है उनका पराक्रम। हैदराबाद के राज्यपाल रहते उ एक नही दो दो षोडसी कन्याओ के साथ रास लीला रचाते आन रेकार्ड सीडी में मौजूद हैं। सो इज्जत वाला मामला तो अब है नही। अब किसी को अपना बेटा मानने से इंकार का कारण हो क्या सकता है? अपनी छोटी से खोपड़ी में इतना लाईट जरूर जलता है कि बेटा निकला तो संपत्ती में हिस्सा बाटा मांग लेगा। पर इस बुढ़ापे में "राम" नाम के अलावा कौन संपत्ती काम आने वाला है। जा तो आखिर बेटा को रहा है न। और पूरा जिंदगी नोट सूते हैं, पूरा व्हाईट में तो होगा नही। अधिकांश मामला ब्लैक में ही होता है। उ तो अक्क्षुण रहेगा आफ़िशियल बच्चो के पास। एक संभावना यह भी बनती है कि आफ़िशियल बच्चे पांच गांव भी नही देंगे वाला दुर्योधनी स्टैंड लेकर बाप के सामने अड़ गये हों। खैर अब तिवारी जी का खून भारी संकट में है। कोर्टवा अड़ गया है, पुलिस भेज कर भी निकाले लेगा। वैसे आज कल पेनलेस इंजेक्शन आ गया है। खून देते टाईंम दिल में केतना भी दर्द हो, शरीर मे नही होगा। वैसे अब पुराना जमाना भी नही रहा, हर जगह मीडिया आ गया है। पहले क्या था, जब हेरोईन का सैंपल जादू से पाउडर बन जाता था। तो तिवारी जी के खून के बदले गिरगिट का खून बन जाता। वैसे भी नेताओ का खून इंसानो से कमे मिलता है। माफ़ कीजियेगा, ये बात हम बेईमान नेताओ के विषय में कह रहे थे। ईमानदार नेताओ का खून तो सीधा गांधी या गोड़से (जो जिस विचारधारा का हो ) से मैच खाता होगा।
अब आ जाईये इस बेटा के मामला में। वो भी गजब आईटम है। अरे भाई कांग्रेसी नेता है, भव्य इतिहास है ऐसे नेताओ का खिला पिला कर मामला सेटल कर लेने का। भाजपा टाईप थॊड़े के बंगारू टाईप फ़ंस गये। तो लगे हाय हाय करने कि हमारे खिलाफ़ साजिश हो गया। अरे भाई पईसा का लंबा आफ़र था। दस खोखे का मार्केट में खबर भी है। पर उ बेटवा है कि अड़ गया कि नहीं मै इसका बेटा बन कर ही रहूंगा। ले भाई, बेटा बन के मिलेगा क्या ? पईसा तो वैसे भी मिल रहा था। और वीर्य पुरूष का बेटा बनना आसान बात है क्या। हमारे यहां तो मुहावरा भी है। जैसा बाप वैसा बेटा। सभ्य समाज अपनी बेटियो को दस कोस दूर रखेगा। कि भाई वीर्य पुरूष का बेटा है। कही बाप की तरह खोंसू न हो। जो मिलेगा वही मन में सोचेगा। इतने साल बाद बाप मिला बेचारे को, वो भी कैसा लंपट। अरे भाई कांग्रेसी का बेटा होने का मतलब थोड़े है कि विरासत में मंत्री- उंत्री बन जाओगे। उसके लिये राहुल उर्फ़ पप्पू के टाईप चांदी का चमची मुंह में ले गांधिये परिवार में पैदा होने से काम होता है।
खैर साहब हिंदुस्तान है, यहां कुछ भी हो सकता। और ये नेता मंत्री भी न दूर- दर्शन देखना चाहिये। राष्ट्रीय चैनल है, अच्छा सलाह- उलाह देता है। कल ही आ रहा था- "जरा सी सावधानी, जिंदगी भर आसानी।" चलिये साहब जियादे बात करने का आदत तो हमको है नही। ये फ़ेस बुकिये हमको कोचक के खामखा उल्टा सीधा लिखवा देते हैं।कल को ये न हो कि दवे जी संसद का अपमान कर रहे हैं।
अपनी छोटी से खोपड़ी में इतना लाईट जरूर जलता है कि बेटा निकला तो संपत्ती में हिस्सा बाटा मांग लेगा। पर इस बुढ़ापे में "राम" नाम के अलावा कौन संपत्ती काम आने वाला है। जा तो आखिर बेटा को रहा है न।
ReplyDeleteBAS YAHI SABSE BADI TAKLEEF HAI TIWARI JI KO ,BUDAPE ME IJJAT KI LANKA NILKNE WALI HAI
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माईला क्या लिखा है ..ना..री ( एक्सपांसन में ना"रायणदत्ततिवा"री ) का खून .. सम्भालकल निकालिये जनाब .. अगर छिटक गया तो डाक्टरानी भी महतारी बन सकती है । जय हो ऐश करो :)
ReplyDeleteजोरदार खिंचाई...
ReplyDeleteवैसे एक रास्ता और हो सकता है वो ये कि “दावेदार” के खून की जांच कर ली जाये अगर आदमी का ग्रुप निकला तो बातई खतम... हाँ अगर नेता वाला ग्रुप निकला तो फिर...
जय हो तिवारी जी की...
ज्यादा नहीं कहूंगा, सिर्फ इतना कि तिवारी जी को सुरक्षा के मद्देनजर अंडा सेल में डाल देना चाहिए, कौन जाने बुढवू क्या कर बैठे
ReplyDeleteदिक्कत ये बन सकती है दवेजी कि नारी दत्त तिवारी जी सौरी नारायण दत्त तिवारी जी के पास ओफ़िशिअल वो सब नहीं है शायद, बीवी बच्चे वगैरह वगैरह| तो अड़चन ये आ सकती है कि वीर्यवान जी के साथ कि अभी खून दे दिया और इसके बाद और दावेदार उठ खड़े हुए तो कित्ता रक्तदान करना होगा? यूँ भी बुढापे में खून, वीर्य आदि बनने बंद हो जाते हैं, ऐसा सुना है, ज्यादा तो कोई डाक्टर ही सर्चलाईट फेंक सकता है|
ReplyDeleteफेस बुकियों को धन्यवाद पहुंचे कि आपको कोचक के लिखवा लेते हैं:)
बहुत सटीक प्रस्तुति...आभार
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