इतिहास में आज तक ऐसा मुकदमा भारत में नही हुआ था। आरोप यह था कि कालू गरीब और इसके जैसे करोड़ो गरीब खुले में शौच करते है, इस से बीमारिया फ़ैलती है, महिलाओ की इज्जत पर खतरा रहता है। अतः यह अदालत आदेश पारित कर खेतो में हगने पर प्रतिबंध लगाया जाये और पकड़े जाने पर जुर्माने की रकम तय हो। कालू गरीब के वकील बाबा रामदेव बोले - "माई लार्ड,
यह सरकार सदियो से स्वदेशी तरीके से मल त्याग करते आदमी के मौलिक अधिकारो का हनन कर विदेशी तरीको
से मल त्याग करने पर मजबूर कर रही है।यह भ्रष्ट सरकार मुफ़्त शौचालय योजना में भ्रष्टाचार कर धन कमायेगी। वही दूसरी ओर इन गरीबो पर जुर्माना लगा पैसा कमायेगी। सरकार इसके बजाये अगर देश का
लूटा हुआ चार सौ लाख करोड़ रूपये वापस लाने में ध्यान दे। फ़िर यह कालू और इसके जैसे एक सौ इक्कीस करॊड़ भारतीय मन चाहा टायलेट
बनवा उसमे जाये या खेतो में जाये उनकी मर्जी।"
सरकारी वकील दवे जी याने की हम थे, हमने कहा - माई लार्ड बाबा रामदेव मूल मुद्दे को भटका कर कही और ले जा रहे है। मुख्य बात तो महिलाओ की इज्जत की है। खुले मे शौच जाना उनकी सुरक्षा के लिये ठीक नही।
बाबा रामदेव बोले - "माई लार्ड, महिलाओ पर जितने अपराध गावो में होते है। उससे कई गुना शहरो मे होते है। जबकी वहां तो लोग अपने घरो में ही मल त्याग करते हैं।"
हमने कहा- " माई लार्ड, इस बात को तो बाबा ने सफ़ाई से घुमा दिया, पर क्या वे स्वीकार नही करेंगे कि मल मूत्र से खुले स्थान पर त्याग करने से बीमारिया फ़ैलती है। बाबा रामदेव बोले -" सरकार जो शौचालय बना कर देती है। उसका सामान तो सीधे घर के
बाहर की नाली मे गिरता है। क्या मनुष्य उससे बीमार नही होगा।
माई लार्ड धरती में मलत्यागासन लगा कर त्यागने से अतड़िया पूरी तरह साफ़ हो
जाती है। शौच से पहले चलने और बाद में फ़िर घर
लौटते वक्त चलने से बीमारिया मनुष्य से दूर रहती है। और यह भ्रष्ट सरकार
आदमी की प्राकृतिक दिनचर्या को बिगाड़ कर उसे बीमार बनाना चाहती है। ताकि
विदेशी मुनाफ़ाखोर दवाई कंपनिया अपनी दवाईया बेच अरबो रूपये मुनाफ़ा कमा ले।"
हमने कहा- "माई लार्ड, बचाव के काबिल वकील इस बात को सफ़ाई से भूल गये कि खुले में शौच जाने वाला जलाशय मे ही साफ़ सफ़ाई करता है जिससे पानी प्रदूषित होता है। " बाबा रामदेव उठ खड़े हुये - "माई लार्ड,लगता है काबिल वकील साहब अमूल बेबी
उर्फ़ राहुल बाबा की तरह कभी गांव नही गये और उन्होने डब्बा लेकर दिशा
मैदान जाता हुआ आदमी नही देखा। इनकी सरकार इतनी विद्वान है
कि कहती है तालाबो में पशु मत नहलाओ पानी गंदा होता है। फ़िर इनका मछली
पालन अधिकारी आकर समझाता है कि प्रति एकड़ तालाब मे पशु गोबर पचास किलो
मिलाओ तो मछली की पैदावार डेढ़ गुना बढ़ जाती है। याने डीजल जला ट्रक्टर में
ला पशु गोबर मिलाने से मछली बढ़ेगी और पशु यदि जल में सीधा कर दे तो पानी
गंदा हो जायेगा।"
फ़िर बाबा रामदेव ने विजयी मुस्कान बिखेरी और सीना चौड़ा कर बोले - "माई लार्ड ये इंसानी मल जो है वो पीला सोना है सोना। माई लार्ड ये पेड़ पौधे जो भी देते है, वो हमारा भोजन है। और हम जो भी त्यागते है वो पेड़ पौधो का भोजन है। मूत्र से उनको नाईट्रोजन मिलता है, मल तो सीधा खाद है ही। इंसान घर में मल त्यागे, फ़िर इस सरकार के आगे रसायनिक उर्वरक के लिये गिड़गिड़ाये। और विदेशी कंपनिया नेता अफ़सर ठेकेदार उसमे मुनाफ़ा कमाये। वाह रे भ्रष्ट सरकार, स्वदेशी छोड़ अपना घर बेच विदेशी माल के लिये लालायित रहती है।
जज ने जलती हुयी आखो से घूरा कर बोले - "सरकारी वकील साहब कोर्ट का समय खराब न करें। मै केस खारिज करता हूं। बेकार की बहस की तो अदालत की अवमानना का मामला बना दूंगा।"
हमने गंभीरता से खड़े होकर कहा - " माई लार्ड आपको फ़ैसला सुनाने से पहले भारतीय संविधान की मूल भावना याने समानता का अधिकार को ध्यान में रखना होगा। माई लार्ड ये जो कालू गरीब है। यह केवल पिछड़े दलितो और आदिवासियो मुसलमानो में पाया जाता है। हम मानते है कि इंसानी मल पीला सोना है। इस पीले सोने का लाभ समाज के सभी वर्गो को बराबरी से मिलना चाहिये। इसलिये पीले सोने को डाईरेक्ट खेतो में गिराने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है।
होता यह है माई लार्ड कि गाव से लगे सभी खेत स्वर्णो और अगड़ी जातियो के होते है। दलितो,पिछड़ो,मुसलमानो के खेत दूर दूर स्थित हैं। और माई लार्ड गांव वाले सुबह जल्दी काम पर जाने के चक्कर मे गाव से लगे खेतो में ही निपट लेते है। इस तरह गरीब, दलित, पिछड़ो, अल्पसंख्यको को इसका लाभ नही मिल पा रहा है। इसलिये अब इस पीले सोने को गांव के एक बड़े सेप्टिक टैंक मे जमा कर। उसमे से पचास प्रतिशत आरक्षित पीला सोना गरीब दलित पिछड़ो अल्पसंख्यको के खेतो में डलवाया जायेगा। इस लिये आपसे अनुरोध है कि बाबा रामदेव की जनहित याचिका को खारिज कर कालू गरीब के खुले मे पीला सोना टपकाने पर प्रतिबंध लगा दीजिये। "
न्यायाधीश ने फ़ैसला दिया -" यह अदालत सारी दलीलो और बयानो को मद्देनजर रखते हुये इस नतीजे पर पहुंची है कि सरकार की योजना और निर्णय संविधान सम्मत है। लेकिन यह अदालत यह भी फ़ैसला सुनाती है कि कालू गरीब चूकी अब पीला सोना टपकाने के दौरान हो रहे श्रम से वंचित हो जायेगा। इसलिये वह बाबा रामदेव से इसकी भरपायी के लिये अनुलोम विलोम और कपाल भांती सीख प्रतिदिन घर पर करे। और सरकार को यह सख्त ताकीद करती है यह पीला सोना किसी भी कीमत पर देश के बाहर न भेजा जाये।"