Friday, December 9, 2011

इदं अल्लाहाये स्वाहा इदं खुदाए स्वाहा


जनाब कुछ हुआ ऐसा कि हमारे मित्र डाक्टर अनवर धमाल खान ने एक लेख लिखा  कि श्रीराम मुसलमानों के लिये भी श्रद्धेय हैं। हालांकि आगे यह भी लिखा था की श्रीराम देवता नहीं महापुरूष थे, पर एक महापुरूष होने के कारण श्रीराम का सम्मान, हर मुसलमान का फ़र्ज है।  इतना पढ़ते ही हमारा दिल बाग बाग हो गया,  कि चलो कम से कम एक कदम तो आगे बढ़ाया। आज महापुरूष माना है, कल हो सकता है देवता भी मानने लगें। गोया कि हिंदुस्तान में हिंदू मुस्लिम एकता का एक नया आगाज हो रहा है। चुनाचे हमने भी सोचा भाई कि अब हिंदुओ को भी आगे  कदम बढ़ाना चाहिये।

हमने भी एक हिंदू मुस्लिम एकता यज्ञ का आयोजन किया। लाउड स्पीकर लगा कर  मंत्र पढ़ना शुरू हुये- "ओम अल्लाहाये नमः,  ओम खुदाये नमः,  अल्लाह आव्ह्यामि स्थापयामी।"  इतना सुनते ही,  डा. अनवर धमाल दौड़ते भागते आये, जोर से चिल्लाये- "दवे जी, खबरदार एक शब्द भी आगे कहा तो।"  हम हड़बड़ा गये,  पूछा-  "क्या हुआ भाई, क्यों भड़क रहे हो।"  वे गरजते बरसते बोले - " आपको पता नही कि इस्लाम में मूर्ती पूजा निषेध है।" हमने कहा- "भाई किसकी मूर्ती,  कैसी मूर्ती,  हमने तो कॊई मूर्ती नही रखी।"  अनवर धमाल साहब कोई मूर्ती न पाकर, थोड़े नरम पड़े - " फ़िर किसकी स्थापना कर रहे थे।"  हमने कहा- "किसी की नही, हम तो खुदा को याद  कर रहे थे। हमें तो पता है,  अल्लाह की तस्वीर या मूर्ती होती ही नही। वे तो हमारे निराकार ब्रम्ह की तरह ही हैं।"

डा. अनवर धमाल बोले -" चलिये अल्लाह को हर आदमी अपने तरीके से पुकार सकता है, आप करते रहें हमें कोई आपत्ती नही है।" अनवर साहब थोड़ी दूर भी न पहुंचे होंगे कि उन्हे लाउड स्पीकर पर हमारी आवाज सुनाई पड़ी- "इदं अल्लाये स्वाहा, इदं खुदाये स्वाहा।" फ़िर दौड़ते भागते वापस आये - "अब ये क्या नौटंकी है, आप खुदा को स्वाहा करके जलाने की बात कह रहे हो, मिस्त्र से लेकर इंडोनेशिया तक पूरे विश्व में आग लग जायेगी।" हमने कहा भाई - "खुदा को प्रसाद चढ़ा रहे हैं, अब अब आप हिंदू धर्म से ज्यादा परिचित नही हो न,  इसलिये आपको पता नही है कि हिंदू  भगवान को जो आहुती चढ़ाते हैं वह अग्नी मे डाल देते है और स्वाहा का उच्चारण करते है।" अनवर धमाल फ़िर भी न माने, बोले- " अल्लाह को यज्ञ में आहुती नही दी जा सकती।"  हमने कहा भाई हमने इस्लाम के विद्वानो से पूछ लिया है,  कुरान में कही भी यह नही लिखा है कि अल्लाह को यज्ञ में आहुती नही दी जा सकती। अब आप पता कर लो यदि कुछ मिल जाये तो हमे दिखा देना हम ऐसा करना बंद कर देंगे।"


अब साहब इधर अनवर धमाल कुरान पर रिसर्च करने गये नही,  कि उधर से संघ के सायबर एजेंट अनिल गुप्ता दौड़ते भागते आ गये- "क्या दिमाग खराब हो गया है दवे जी जो अल्लाह के नाम आहूती डाल,  यज्ञ की वेदी को भ्रष्ट कर रहे हो।" हमने कहा -"भाई कभी कुछ कहते हो कभी कुछ। आप ही ने कहा था कि नही कि जो हिंदुस्तान मे रहता है वो हिंदू। अब मुसलमान हिंदु हुये तो उनके खुदा भी हमारे खुदा हुये की नही। और भाई पहले ही तैतीस करोड़ देवी देवता हैं एक दो और बढ़ जायेंगे  तो आपका क्या जायेगा।" अब गुप्ता जी सकपका गये,  हमारी बात का जवाब देते न बना। हमने और चने के झाड़ में चढ़ाया- "गुरू सोचो तो,  पहले ही हिंदू राष्ट्र का इतना बड़ा वाला नक्शा बनाये हो। अफ़गानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया तक,  उसमे अरब और आफ़्रीका भी जुड़ जायेगा। फ़िर सब जगह भाजपा का राज होगा, आपकी दोनो उंगलिया घी में और सर कढ़ाही मे।" गुता जी शांत होकर चले गये तो हमने राहत की सांस ली। कहीं शांत न होते तो जेब मे रखा रॆडीमेड देश द्रोही का सर्टीफ़िकेट तड़ से चपका देते।"

इसके बाद हमने अपना यज्ञ फ़िर शुरू किया - " इदं खुदाये स्वाहा इदं अल्लाहे स्वाहा, इदं रामाए स्वाहा इदं ब्रह्मांए स्वाहा।" इतने में अनवर धमाल फ़िर दौड़ते भागते आ गये,  कलप कर बोले -"दवे जी बंद कीजिये।" हमने कहा- "अब क्या हो गया भाई हद है, बात बात में भड़कते हो।"  डा. अनवर धमाल बोले - "दवे जी अल्लाह के अलावा किसी की भी इबादत करना कुफ़्र है।" हमने पूछा - "कहां लिखा है भाई।"  उनका जवाब था कुरान में,  हमारे पूछने पर कि कुरान को कौन मानता है,  वे बोले मुसलमान।" हमने कहा भाई- " कुरान  पवित्र ग्रंध है, हम बहुत इज्जत करते हैं। लेकिन हम तो हिंदु है हिंदु विधी से पूजा करते हैं। हमारा मानना है कि ईश्वर,  अल्लाह एक ही हैं। सो हम अलग अलग नाम से पूजा कर रहे हैं, और  जबरदस्ती आपका पेट दुख रहा है।"

लेकिन अनवर धमाल साहब नही मानें,  उन्होने कह सुन कर हमारे खिलाफ़ फ़तवा जारी करवा दिया, कि दवेजी ने कुफ़्र किया है। उनको मारने वाले को एक करोड़ का इनाम। हम  फ़तवा जारी करने वाले मौलवी के पास पहुंचे, पूरा केस बताया कि भाई हमारी गलती इतनी ही है कि हमने अपने भगवानों के साथ खुदा की भी पूजा कर ली और हमने खुदाकी कोई तस्वीर या मूर्ती भी नही बनाई थी।" मौलवी ने अपनी दाढ़ी खुजाई - "  केवल सही तरीके से इबादत करने पर ही खुदा जन्नत अता फ़रमाता है,  और इबादत सहीं करो भी तो भी केवल नेक काम करने वालो पर ही खुदा की नेमत होती है।"  हमने कहा -" मौलवी जी हमे भले खुदा जन्नत न दे,  पर आप तो हमारा उपर का टिकट मत कटाओ।" मौलवी ने कहा - " पर ऐसा किया क्यों, जरूरत क्या थी।" हमने,  डा. अनवर धमाल खान से लेकर श्रीराम को महापुरूष बताने तक और हिंदू मुस्लिम एकता के हमारे द्वारा किये गये प्रयास की सारी कहानी बताई। मौलवी ठठा कर हंसा - "" अरे भाई आप किसके चक्कर में आ गये, वह तो लेख लिख लिख कर खुदा को प्रसन्न करना चाहता है, सोचता है कि जितने लोग उसको पढ़ेंगे जन्नत उसके उतना और नजदीक आते जायेगी। खैर अभी  फ़तवा वापस ले रहा हूं आगे ध्यान रखियेगा और ऐसे लोगो के चक्कर में मत फ़ंसियेगा।"


तो साहब हम तो ले दे कर बच गये आप डा.  अनवर धमाल खान  के चक्कर में फ़ंस कर इदं अल्लाए स्वाहा,  इदं खुदाए स्वाहा मत करने लगना कहीं लेने के देने न पड़ जाये।
Comments
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  1. अच्छा हुआ जो आपने बता दिया. आगे से हम इस बात कि ख्याल रखेंगे.

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  2. "अनवर धमाल खान" को शीघ्र ही जन्नत नसीब हो जायेगी, बातिल फसीद के चक्कर कुफ़्र की दस्ते चालू हो गई है फिलहल मौका ऐ मुआना पर कोइ ठोस सबूत नहीं मिले है?
    आप अपना यज्ञ निरंतर जारी रखिये; जय श्री राम

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  3. बहुत ही बढ़िया व्यंगात्मक प्रस्तुति ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत हैhttp://aruneshdave.blogspot.com/2011/12/blog-post_09.html#comment-form

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  4. dave ji, aap ek hi taraju se sabo tol rahe hain jabki sabke tolne ke paimane alag hain..

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  5. यज्ञौ वै श्रेष्ठतम कर्म:।

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  6. बहुत ही रोचक व्यंग है दवे जी.आपने सटीक नजरिया रखा है ..
    वाह दावे जी क्या खूब घुमा के मारा है .....हिन्दू लोग अपने धर्म का मर्म यही मानते हैं कि एक ही सत्य का साक्षात्कार अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है | अतः वे हर किसी को विद्वान समझ बैठते हैं, उसके पीछे चलने लगते हैं और भ्रम में रहते हैं कि वे भलाई के मार्ग पर हैं | लिहाज़ा कुछ हिन्दू अजमेर शरीफ़ की दरगाह पर चादर चढ़ाने के लिए दौड़े जाते हैं – जो पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ़ -मुहम्मद गौरी का साथ देनेवाले गद्दार की मज़ार है | शिवाजी के हाथों मारे गये -कुख्यात लुटेरे और बलात्कारी अफ़ज़ल खान की कब्र पर भी हिन्दू माथा टेकते नज़र आएंगे | हिन्दुओं की हर किसी में अच्छाई ही देखने की मूलभूत प्रवृति जो उनको उपासना की हर एक पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित करती है – आज उसके विनाश का कारण बन गयी है!!!!!!!!

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  7. :)
    पछताये का होत जब चिड़िया चुग गयी खेत ...

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  8. तीसरे पैराग्राफ की आठवी लाइन में धमाल कर लीजिए . बहुत ही शानदार पोस्ट.

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  9. अनवर जमाल को तो जानता हूँ मगर ये अनवर धमाल कौन है...??
    रेखा जी की बात पर गौर फरमाइए..नहीं तो एक और फतवा जारी हो जायेगा..
    हिन्दू नव वर्ष की अग्रीम शुभकामनायें

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