Sunday, February 24, 2013

निर्मल बाबा वाटरप्रूफ़


अति आदरणीय निर्मल बाबा को न्यूस और मनोरंजन चैनलो पर फ़िर लोगो की पीड़ा का शमन करते देख मुझे भगवान भोले नाथ पर बड़ी दया आई। वैसे भोले बाबा ही इसके लिये जिम्मेदार भगवान होंगे ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है।  वेद और पुराण गवाह है कि भगवान भोलेनाथ का अपने सरल स्वभाव के कारण अपात्र लोगो पर भी दया कर उन्हे वरदान देने का पुराना ट्रैक रिकार्ड है। एक बार किसी असुर को दुश्मन के सर पर हाथ रखते ही उसे भस्म कर देने का वरदान दे दिया था। उस पापी असुर ने जटाशंकर पर ही वरदान अजमाने का ठान लिया। वो तो भला हो नारायण विष्णु का, जिन्होने मोहिनी रूप धारण कर असुर का हाथ उसके ही सर पर रखवा दिया तब जाकर  शंकर भगवान चैन का सांस लिये थे। सो निर्मल बाबा को भी वही वरदान दिये होंगे और निर्मल बाबा  भोलेनाथ को उनके भक्तो  के घर से निकालने की कसम खा लिये है। पिछला बार बवाल मचने के पहले हम महादेव घाट के शिव मंदिर मे सात सौ ईक्कीस पिंडिया गिने थे। इस बार पता नही कितने और घरो से महादेव निकाला हो जायेगा।

वैसे निर्मल बाबा को देश के आदर्श बाबा के खिताब से नवाजा जाना चाहिये। काहे कि ऐसा वाटर प्रूफ़ देश भक्त टैक्स उ बाबा इस देश में कोई नही। इस देश के बाबा लोग तो भगवान के नाम पर लिप सर्विस का पैसा लेते है। भुगतान को दान का नाम देते है। और बिना कोई टैक्स पटाये देश का प्रधानमंत्री कौन हो इस मामले पर कुंभ से फ़तवा जारी कर देते हैं। याने चोरी त चोरी और फ़ुल सीना जोरी। अपने निर्मल बाबा न तो बाबा रामू की तरह काला धन पीलाधन आंदोलन करते है न आशा बापू राम की तरह पत्रकारो को पिटवाते, भक्तो को लात मारते है। किसी भी तरह की राजनीती से खुद को कोसो दूर रखते है। दायें बायें की बात भी नही करते दारू मत पियो, बुर्का पहनो, लड़कियो राक बैंड मत चलाओ टाईप  अंदरूनी मामलो में दखलंदाजी भी नही करते। दलित आदिवासी, स्वर्ण, ईसाई, मुसलिम  का भेदभाव भी नही। और न ही किसी भी भगवा, हरा रंग का लबादा ओढ़ अपने श्रद्धेय होने का अहसास दिलाते है।

अब तो उन्होने एक नया आदर्श स्थापित किया है। उनका मानना है कि वे भक्तो को सर्विस दे रहे हैं। तो वे हर भक्त से सर्विस टैक्स भी जमा करवा रहे हैं। अब सोचिये कि जब अकेले निर्मल बाबा इस सरकार को एक करोड़ रूपया इनकम टैक्स और बारह लाख रूपया सर्विस टैक्स की आमदनी महज तीन महिने में करवा सकते है। तो कुंभ के मेले में प्रधानमंत्री चुनने एकत्र हुये सारे बाबा कितने का रेवेन्यू जनरेट कर सकते है। इसमे तमाम रामायण गीता सुनाने वाले बापूओ को जोड़ दिया जाये तो मामला खरबों में पहुंच जायेगा।  अगर तिरुपती से लेकर वैष्णव देवी और साई बाबा से लेकर सत्य सांई बाबा मंदिर को एड कर दिया जाये त मामला शंख, नील
तक पहुंचने की संभावना है। इन पैसों से देश मे नाथूराम गोड़से स्वर्ण भारत योजना लागू की जा सकती है। अजमेर की दरगाह से लेकर हाजी अली तक, मदरसो से लेकर मस्जिदों को जोड़ने पर तमाम पसमंदा दबे कुचले मुसलमानो की तबीयत हरी की जा सकती है। दीनी मदरसो में तालीम देने वाले तमाम मौलवियों के घर लेटेस्ट टेक्नोलाजी का एसी फ़िट किया जा सकता है। अगर इस्लाम में एसी हराम हो तो भी कश्मीर वाले मुफ़्ती से फ़तवा लेकर किसी और टेक्नालाजी की सुविधा फ़रहाम की जा सकती है। कुछ बुखारियो को बुखार और पशमीना बाबा को पसीना जरूर छूट सकता है पर ये लोग ही त खुद को धर्म रक्षक, देश रक्षक बताते है। फ़िर देश को पैसा देने में हर्ज क्या। और पूरा दान थोड़े न कोई मांग रहा है, केवल इनकम टैक्स, सर्विस टैक्स काट लिया जायेगा। आखिर जब ये लोग भगवान और अल्लाह की सेवा में लगे ही हुये है। त सेवा कर देने मे क्या हर्ज हो सकता है भला। (चर्चो से मिल सकने वाले धन को जोड़ नही पाया हूं। काहे कि इतना बड़ा कैलकुलेशन करने वाला कैलकुलेटर नही था। इसे मेरी क्षद्म धर्मनिरपेक्षता हरगिज न समझा जाये।)

और इन राजनैतिक दलो को भी तो थोड़ा सोचना चाहिये। ये न्यूस वाले निर्मल बाबा को इतना बदनाम कर रहे है ये लोग कुछ दखल देते नहीं। अरे सोचिये तो जिस आदमी के कहने से करोड़ो लोग टीवी के सामने काला पर्स खोल कर बैठ जाते है तो क्या फ़लां छाप पर मुहर लगाने से लाभ होगा कहने से एकतरफ़ा वोटिंग नही हो सकती। और टैक्स पटाने के लिये जब अमिताभ बच्चन सचिन तेंदुलर का विज्ञापन दिखा सकते हो तो निर्मल बाबा तो देश हित मे मुफ़्त मे भी काम करने तैय्यार हो जायेंगे।  इन स्वयंभू चौथे स्तंभ के लोगो से भी पूछना चाहता हूं। आखिर क्या बिगाड़ा था निर्मल बाबा ने एड दे रहा था। अब प्रिंट मीडिया वालो को नही मिला त भाई मांग लेते जो बाबा एक साथ आठ न्यूस चैनलो मे अपने समागम दिखा सकता है उ क्या सौ पचास अखबारो को एड नही दे देता। और जरा सोचो कि निरमल बाबा कही प्रेस कांफ़्रेस कर आरोप लगा दिया कि खुद नीम-हकीम- खतरा- ए- जान का रोज विज्ञापन छापते हो, लिंगवर्धक यंत्र का प्रचार कर लोगो को बरगलाते हो  और हमारे को बदनाम करते हो तो क्या जवाब दोगे भाई। याने "निर्मल बाबा बैरी संपादक प्यारा बताओ पत्रकारिता अपराध हमारा" टाईप का सवाल दागा जा सकता है।


खैर साहब इन बाबाओ मुल्लाओ नेताओ सरकार और पत्रकारो से तो हमे हमारी सलाह माने जाने की कोई उम्मीद नही। पर हम आपको एक नेक सलाह मुफ़्त मे दे रहे है। किसी ऐरे गैरे बाबा के पास जाने से निर्मल बाबा के पास जाना सबसे अच्छा। काहे कि ज्योतिष के पास जाओगे त कालसर्प से लेकर भंयकर मंगल, शनी अमंगल बता देगा। दुनिया तमाम के रत्न -पूजा-यज्ञ करवा देगा। हजारो का चंदन लगेगा और समय खोटी हो वो अलग। इससे अपने निर्मल बाबा कितने बेस्ट है, एंट्री फ़ीस जरूर थोड़ी महंगी है पर उसके बाद बहुत ही सस्ता उपाय बता देते है। गोलगप्पा से लेकर सवा किलो पेड़ा तक झट पट किया नही कि रूकी हुई किरपा फ़ुल स्पीड से आपके पास आना शुरू।  अभी पैसे नही तो बस टीवी से ही पर्स खोल किरपा ले लो पर्स भरने के बाद डाईरेक्ट किरपा लेने एपाइंटमंट। याद रखो भाईयो सस्ता रोये बार बार महंगा रोये एक बार।

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