साहिबान मेहरबान कदरदान एक बात मैं दावे से कहना चाहता हूं कि भारत और पाकिस्तान जुड़वा भाई हैं। अब यह बात सरसरी तौर पर कुछ राष्ट्रभक्तो को बुरी लग सकती हैं। परंतु ऐसा मान लेने से बड़े वाले हिंदु राष्ट्र का नक्शा बाबा रामदेव की तरह प्रमाणिकता प्राप्त कर सकता है। खैर कोई अगर इस बात को न मानता हो तो उसके बताने के लिये हमारे पास दोनो देशों की अनेको चारित्रिक समानताएं हैं।
सबसे पहले जिस तरह अपने परिवार के लोगो की शहादत दे चुका गांधी परिवार हर चुनाव में उनके फ़ोटू लहरा जनता से अनुकंपा नियुक्ती प्राप्त कर लेता है। उसी तरह पाकिस्तान का भुट्टॊ परिवार भी पाकिस्तान की छाती पर मूंग दल रहा है। दोनो देशो की जुड़वा जनता बड़ी भावुक है, फ़िल्मो के दुखी सीन के बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ जनाजे का वीडियो या माला पहनी तस्वीरो को देखते ही भ्रष्टाचार, महंगाई, बेबसी का अपना गम भूल इनके गम के साथ गमगीन होकर वोट डाल देती है। चुनांचे कि दोनो देशो के प्रमुख विपक्षी दलों भाजपा और मुस्लिम लीग को हालिया दशकों में ऐसी कोई शहादत देने का सौभाग्य प्राप्त नही हुआ है। सो उनके समर्थक दोनो खानदानो की इज्जत की मिट्टी पलीद करने, उनके बारे मे झूठी कहानिया गढ़ने और उनको विदेशी ताकतो का जासूस करार देने को ही चुनावी जीत पाने का जरिया समझते हैं।
इधर के धर्म रक्षक हिंदु हिंदी हिंदुस्तान का नारा लगाते है उधर के उर्दू मुसलमान पाकिस्तान के। उधर के देश भक्तो ने हिंदुस्तानी भाषा को शुद्ध उर्दू बनाने के लिये दुनिया तमाम के शब्द गढ़े, हिंदु समझे जा सकने वाले तमाम शब्दो का उपयोग बंद कर दिया। इधर भी हिंदुस्तानी को शुद्ध हिंदी बनाने के लिये एक से एक शब्दो की खोज की गयी और उर्दू लग सकने वाले शब्दो को दरकिनार कर दिया गया। लेकिन दोनो तरफ़ के धर्म रक्षक नकारा निकले और आज भी दोनो देशो के आम नागरिक बिना किसी डिक्शनरी की सहायता के प्रेम से बात कर सकते हैं। मै तो कहता हूं कि दोनो देशो के अखबार और साहित्य लिपी बदल के एक दूसरे के यहां छपने लगें तो इन राष्ट्रवादियों की चौसठ साला मेहनत पर महज एक साल में पानी फ़िर सकता है।
एक जगह पाकिस्तान अपुन लोगो से भारी है वह यह कि उनका बाबा ए कौम जिन्ना पाकिस्तान बनाने के तुरंत बाद अल्लाह को प्यारा हो गया सो आज भी जिन्ना की हरकतों का अंजाम भुगतते हर पाकिस्तानी के लिये श्रद्धेय है। अपने नेहरू जी चीन युद्ध में देश को हरवाने के बाद निपटे कि उनका किया धरा कोई नही पूछता। मै सोचता हूं कि अगर वो भी गांधी जी की तरह बटवारे के तुरंत बाद "हे राम" कहते हुये सौभाग्यवता हो जाते तो उनकी भी भौत इज्जत रहती अपने देश में।
खैर समानताओं की आखिरी कड़ी में जिस तरह अपने बाबा रामदेव कालाधन, भ्रष्टाचार,, नाकाम सरकार चुनाव सुधार आदि आदि इत्यादी एक सौ एक मांगो को ले अपने चेले चपाटियों के साथ दिल्ली मे अनशनिया गये थे। ठीक उसी तरह पाकिस्तान के शुद्ध स्वदेशी बाबा मिन्हाजुल कुरान के सर्बरा जनाब मौलाना तहारूल कादरी साहब लगभग ऐसी ही मांगो के साथ इस्लामाबाद में आज लांग मार्च कर धरना देने वाले हैं। बाबा की तरह कादरी साहब भी सेकुलर बाबा होने का दावा कर रहे है। बाबा की तरह कादरी साहब का भी कोई ऐसा सालिड राजनैतिक बैकग्राउंड नही है। जिस तरह बाबा के पीछे हिंदु ठेकेदार संघ का समर्थन था उसी तरह कादरी साहब को मुस्लिम ठेकेदार संगठनो का पूरा समर्थन मिल रहा है। हालांकि जिस तरह बाबा को कुछ और बाबा ठग और फ़र्जी करार दे रहे थे ठीक उसी तरह कादरी साहब को भी कुछ मौलवी फ़र्जी बता रहे हैं। जिस तरह भारतीय मीडिया, बुद्धिजीवि वर्ग बाबा को घेर रहा था उसी तरह पाक मीडिया भी कादरी साहब की पोल पट्टी खोलने में भिड़ा हुआ है।
चूंकि दोनो के पीछे कार्य कर रही ताकतें चुनावी मैदान में सत्तारूढ़ गठबंधन को धाराशाही करने में नाकाम है तो वे चाहते है कि शांती पूर्ण लोकतांत्रिक प्रदर्शन का सहारा ले महंगाई घोटालो कुशासन से भड़की हुई जनता को घरो से बाहर निकाल ऐसा अराजकता भरा माहौल पैदा कर दिया जाये कि सरकार चारो खाने चित्त हो जाये। आखिर लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार को बिना चुनाव के निहायत लोकतांत्रिक तरीके से निपटाने का प्रयास हम दो बिरादर मुल्को के सिवा कहां किया जा सकता है भला। खैर अपने श्रद्धेय बाबा को तो जान बचाने के लिये सलवार पहन कर आधी रात भागना पड़ गया था उनके चेले चपाटियो को पुलिस ने पीट कर भगा दिया था। कादरी साहब का भी अगर मिलता जुलता अंजाम हुआ तो मै अपने इस लेख मे जबरदस्ती दो चार सौ लाईने जोड़ "भारत पाकिस्तान भाई भाई" नामक शोध ग्रंथ बना "इति सिद्धं" लिख, पीएच डी के लिये जमा कराने की सोच रहा हूं ।
लगता है बाबा रामदेव आपको ज्यादा ही प्यारे हैं इसलिए आप अपने हर आलेख में उनको तो घसीट ही लातें हैं !!
ReplyDeleteआपका ब्यंग दोनों देशो की राजनैतिक मनोद्सा को दर्शाता है, बधाई ऐसे सुन्दर ब्यंग के लिए ।
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