Monday, February 13, 2012

दवेजी का वैलेन्टाईन डे


                                  
प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट पवन जी    से साभार



सुबह जब हम निकलने के लिये तैयार होने पहुंचे, तो देखा नया पैंट नयी शर्ट हमारा इंतजार कर रही थी। दिमाग चकराया कि नये कपड़े खराब हो जायेंगे की दुहाई दे प्रतिदिन पुराना कपड़ा पहनाने वालीं हमारी श्रीमती, आज इतनी दरिया दिली का मुजाहिर क्यो कर रही हैं। फ़िर अचानक दिमाग में झटका लगा, कि कही सालगिरह, जन्मदिन तो नही भूल रहे श्रीमती का या किसी ससुराली का। गणित के पहाड़ो की तरह हमने सारे श्रीमति को शुभ लगने वाले दिनो का पहाड़ा पढ़ दिया, लेकिन मिया 14 फ़रवरी उसमे नही थी। हमने मदद के लिये अपने बेटे को धीरे से आवाज लगाई, पूछा कि भाई आज का दिन क्या ऐसा खास है कि आपकी मम्मी ने हमारे लिये नये कपड़े रखे है। अब पहाड़ा पढ़ने की बारी हमारे सुपुत्र की थी। पहाड़ा पढ़ते पढ़ते वह चाकलेट डॆ, किस डे, हग डे मे आकर रुक गया,और बोला -"पापा युवाओ के लिये तो आज वैलेंनटाईन डे है। लेकिन आपके लिये हद से हद जल भुन डे हो सकता है, उससे अलावा कुछ नही।" हमने मूंछो पर हाथ फ़ेर कहा- "बेटा वो क्या कहते हैं अंग्रेजी में, प्यार की कोई उम्र नही होती।" बेटा ठहाका लगा कर बोला - "पापा प्यार करने की कोई उम्र भले न हो, प्यार पाने की तो होती है कि नही। अब क्या बुढ़ापे मे उलानबाटी खाईयेगा।"

हमने तुरंत डांट डपट कर नालायक को भगाया ही था कि श्रीमती आ गयी। हम उन पर तुरंत बरस पड़े - "अच्छा तो आप चाहती हैं कि आज वैलेंनटाईन डे पर हम किसी लड़की के साथ पार्क मे जायें और वहा बजरंग दल वाले हमे पीटॆ। इसीलिये आपने हमारे लिये ये नये कपड़े निकाल रखे हैं।" श्रीमती पहले तो हड़बड़ाईं और माजरा समझ हम पर ही टूट पड़ी - "जाईये,  कौन लड़की आपके साथ पार्क जायेगी, पहले की बात और थी कि हमे डर लगा रहता था। अब अपनी शकल देखी है आपने आईने में,  वो तो साथ मे मंदिर ले जाना है आपको। आपके साथ चलने में शर्म न आये इसलिये हम ये नया कपड़ा पहना रही है, जल्दी तैयार हो जाईये।" हमने कहा- "मंदिर किस खुशी में जाना है भागवान।" श्रीमती का जवाब आया - "बाबा रामदेव कह रहे थे कि इस मुये वैलेनटाईन डे जैसी चीजो संस्कृती का नाश कर रही है। सो इस दिन मंदिर जाकर पूजा अर्चना करने से मन और संस्कार शुद्ध होंगे, बच्चो पर कलयुग की छाया नही पड़ेगी।"

हमने सोचा, चलो यह बात तो सही है। मंदिर हो आयेंगे तो संस्क्रूती को भले शुद्ध न कर पाये मन तो शुद्ध हो ही जायेगा। सो हम तैय्यार होने में भिड़ गये, तभी श्रीमती ने पूछा - "क्यों जी ये बजरंग दल वाले प्रेमी प्रेमिकाओ को क्यों पीटते है।" हमने कहा - "बेगम इस बारे मे स्व. श्रीलाल शुक्ल ने कही थी कि इन बजरंगियो को लगता है कि प्रेमी प्रेमिका के गले लगते ही हिंदु धर्म रसातल में चला जाता है। और मां बाप द्वारा शादीबद्ध किये लड़के और लड़की के बिस्तर मे घुसते ही हिंदु धर्म की पताका चारो दिशाओ में लहराने लगती है।" श्रीमती कुछ कहती, उसके पहले ही हमने उनसे कहा- "सुनो छोड़ो ये मंदिर वंदिर का चक्कर, चलो हम भी किसी पार्क में घूम आये। पुराने दिनो की याद ताजा हो जायेगी।" इतना सुनते ही श्रीमति ने गड़बड़ कर दी, बच्चो को आवाज लगाई- "आर्ची,लकी चलो तैयार हो। पापा घुमाने ले जा रहे है।"


हमने माथा ठोक लिया, इश्क तो गया तेल लेने। उल्टे अब बच्चो की फ़रमाईश पूरा करते करते हजार की पत्ती तो गयी ही समझो। खैर मन को समझाया कि चलो कोई नही, वहां सुंदर, सुंदर लड़किया होंगी। उन्हे देख कर ही दिल बहला लिया जायेगा। खैर साहब, बच्चो के दमकते चेहरे के सामने तो संसार की हर चीज कुर्बान होती है। सो हम बच्चो और श्रीमती के साथ निकल पड़े शहर के प्रसिद्ध बाग। वहा पहुंचते ही दिल बाग,बाग हो गया। अलग अलग स्टेज के प्रेमी प्रेमिका थे। एक से एक सुंदर भी और राम मिलाये जोड़ी भी। सकुचाते नये नवेले प्रेमी की झिझक और कई वैलेंन्टाईन देख चुके मठठर प्रेमी की ललक के बीच हमने एक जगह डेरा जमाय॥ और बच्चो के लिये पापकार्न लेकर लौटे ही थे कि अचानक बजरंग दल वालो ने छापा मार दिया। चारो ओर अफ़रा तफ़री मच गयी, हमारे जैसे लाईसेंसी प्रेमियो को छोड़ बाकी दाये बाये होने लगे। हमने मन में सोचा धत तेरी की आज दिने खराब है। प्रेमी प्रेमिकाओ की नोकझोंक देखना तो दूर अब बजरंग बली के नाम पर खली बन रहे सूरमाओ की हरकते देखना होगा। भाग न पाने वाले जोड़ो को हिंदु धर्म के वीर सैनिको ने एक जगह घेर लिया। हमसे श्रीमती ने कहा- "सुनिये कुछ कीजिये ना आप, बेचारी बच्चियो को तंग कर रहे है ये लोग। अब क्या आपस में बात करना भी गुनाह है।" हमने गुस्से से श्रीमति को घूरा,  37 के हम और 34 की वें और ये बीस साल की सुंदरिया इनको बच्चिया नजर आ रही है। कल इनमे से कॊई आंटी कह के तो देखे, तुरंत खुद ही आग बबूला हो जायेंगी। हम कुछ कहते इससे पहले हमारा चार साल का बेटा बोल उठा- "मेरे पापा सबसे पावर फ़ुल है, सब बदमाशो को भगा देंगे।" अब साहब मरता क्या न करता बच्चो के सामने इज्जत बचाओ अभियान के तहत उन तथाकथित सुंदर सुंदर बच्चियो को बचाने जाना पड़ा।


हमने देखा तो बजरंगियो का नेता पहचान का निकल गया शहर का पुराना देवदास था। उसको प्रेमिका के भाईयो से पिटने से हमने ही बचाया था। सो हमने राहत की सांस ली कि चलो इज्जत बची, ये हमारी बात टाल नही पायेगा। देखते ही उसने हमें नमस्कार किया बोला - " अच्छे टाईम पर आये है आप भाई साहब, देखिये कैसे खुल्लम खुल्ला इश्क लड़ा रहे है। संस्कार और इज्जत से कुछ लेना देना ही नही है। अभी सबक सिखायेंगे तो सारा इश्क हवा हो जायेगा। अब या तो राखी बांध भाई बहन बनेंगे या तुरंत शादी करना होगा वरना पिटाई तो होगी ही और मां बाप को खबर कर देंगे वो अलग।"

हमने नेता जी को अलग खींचा कहा -"अपने दिन भूल गये किस तरह छुप छुप कर मिलते थे, अब इन बेचारो को पीटने आ गये?" नेताजी सकपकाये, फ़िर सीना चौड़ा कर बोले-"भाई साहब, वो दिन और थे प्यार, प्यार हुआ करता था। अब तो सिर्फ़ और सिर्फ़ हवस है और कुछ नही। आप नही जानते आज कल के लड़के लड़कियो को एक एक की पांच पांच जगह सेटिंग रहती है। इसलिये हमने तय किया है प्यार करते हो तो शादी कर लो हम पंडित साथ लाये है वरना पिटना तय है।"

हमने समझ लिया इस रास्ते बात बनना मुश्किल है। तो नेता जी को कूछ और दूर ले जाकर समझाया -"पगला गये हो क्या। क्या तुम चाहते हो कि लव जिहाद देश मे चारो ओर फ़ैल जाये। तुम्हारी बात तो सिर्फ़ हिंदु लड़के ही मानेंगे न, वे बेचारे इश्क नही करेंगे। पर मुस्लिम लड़के थोड़े न मानेंगे वो तो करेंगे ही। याद नही संघ क्या कहता है लव जेहाद के तरीके से हिंदु लड़कियों को मुसलमान बनाने का घोर षडयंत्र चल रहा है। अब हिंदु लड़के दूर रहेंगे तो सोचो तो हिंदु लड़कियो के लव जिहाद में फ़ंसने का खतरा कितना बढ़ जायेगा कि नही?" नेता जी उलझन मे पड़ गये, लेकिन माने फ़िर भी नही बोले- "भाई साहब, हिंदु लड़कियो की पहरेदारी में भले हम दुगुने लड़के लगा दें। पर आप यह तो सोचो अपनी जात के बाहर के लड़के से शादी करने से हमारा समाज किस तरह टूट रहा है।" हमने फ़िर नया दांव खेला- "इस जात पात ने तो कांग्रेस को इतने सालो राज करवाया है और भाजपा हार जाती है। देखो यूपी में यादव होगा तो मुलायम को वोट दे देगा, जाटव होगा तो बसपा को। हिंदुओ के सारे वोट बट जाते है और एकजुट मुस्लिम वोट के सहारे कांग्रेस जीत जाती है। तो भाई इन लोगो प्रेम करके जात पात के बंधन को तोड़ने द॥ फ़िर कॊई जात नही रहेगी सिर्फ़ हिंदु होंगे और कांग्रेस का देश मे एक सांसद न होगा।"

नेता जी के भेजे मे बात घुसी बोले - "बास, ये बात तो हमने सोची ही नही थी। आपने तो हमारी आंखें खुलवा दी। पर अब घेर लिया है, पत्रकार भी है। कुछ तो सजा देनी ही होगी की नही।" हम कुछ राह बताते उसके पहले ही पुलिस का छापा पड़ गय॥ सारे बजरंगी तो भाग लिये पकड़ा गये हम। टीआई भी महिला थी, उसने हमारी बड़ी इज्जत अफ़जाई की। डंडे भी पड़ते, वो तो भला हो प्रेमी प्रेमिकाओ का जिन्होने कहा कि अंकल तो गुंडो को रोक रहे थे। हमारी मैरिज सर्टीफ़िकेट के रूप मे श्रीमती और बच्चे भी पहुंच गये, सो हमे छोड़ दिया गया। हमारा गुस्सा सातवे आसमान पर था,  श्रीमति पर भड़क गये- "खामखा आपने हमें इस जंजाल में फ़साया, मैडम ने चार बात सुना दी और प्रेमी प्रेमिकाओ ने अंकल कह दिया। खबरदार आज के बाद दूसरो के लफ़ड़े में हमें भेजा तो।" अब साहब जो गलती मान ले वो श्रीमती कैसे हो सकती है। उल्टा हम पर ही चढ़ बैठी-"हमने तो कहा ही था कि बाबा रामदेव की मानो और मंदिर चलो आपको ही बुढ़ापे में इश्क सूझ रहा था, आ गये बाग घूमने।"

खैर साहब यह तो हमारा वैलेंनटाईन डे गुजरा। पर आपको भी कही बजरंगी मिले तो उन्हे लव जिहाद और कांग्रेस से आगाह जरूर कीजियेगा। और अनुरोध कीजियेगा कि प्रेमी प्रेमिकाओ को इश्क लड़ाने दें।

Comments
6 Comments

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  1. सुन्दर रचना,मज़ा आ गया।

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  2. हा हा हा हा , ई तो बेलन टाइन दे हो गया :)

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  3. यहां पहुंचकर हमने भी आज डे मना लिया, नेक्‍स्‍ट डे ही सही.

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  4. हा हा हा हा शानदार ..................

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