Tuesday, March 20, 2012

यमराज और स्वर्ग प्राप्ति के नये नियम

यमराज  अपने सिंहासन पर उंघ रहे थे कि  चित्रगुप्त ने आकर उन्हे डिस्टर्ब कर दिया। यमराज बोले-  "चित्रगुप्त,  हमारी रानी की तरह तुम्हे भी क्या हमारा सुख देखना पसंद नही।" चित्रगुप्त ने सफ़ाई दी - "महाराज, आपात कालीन पत्र आया हैं स्वर्ग से ।" यमराज ने पत्र सुनाने का इशारा किया। सो चित्रगुप्त ने  स्वर्गाधिपति इंद्र का पत्र पढ़ना शुरू किया- " मेरे प्यारे मित्र यमराज, आपके रहते हुये स्वर्ग के साथ ऐसा अन्याय क्यों हो रहा है। आज कल कोई भी मनुष्य स्वर्ग नही भेजा जाता। अप्सरायें त्राही त्राही कर रही है। मै अकेला कितनी अप्सराओं का नृत्य देख, झूठ मूठा का वाह वाह करता रहूं। दूध धी की नदियो मे बाढ़ आ गयी है। स्वादिष्ट फ़लो के पेड़ ओवर लोड होकर गिरने की हालत में आ गये हैं। जल्द ही आपने कुछ नही किया तो स्वर्ग तबाह हो जायेगा।" यमराज  चित्रगुप्त को घूर कर बोले -"एक सदी की झपकी क्या ले ली, ये क्या हाल बना दिया।"

इस अवव्यवस्था पर चित्रगुत ने जल्दी से सफ़ाई दी - महाराज मेरी गलती नही है। भारत मे बेईमानी का बोलबाला हो गया है। धर्म का पतन हो गया है। नेता अधिकारी भ्रष्टाचार मे लिप्त है तो जनता झूठ बोलने टैक्स चुराने में। ऐसे मे हर किसी को नर्क मे ही डालना पड़ रहा है। यमराज ने चिंतित भाव से सर हिलाया बोले -" बात तो ठीक है, कलयुग में धर्म का स्तर नीचे ही गिरता जाता है। पर उपाय क्या करे, कोई राह भी तो नही सूझती।" चित्रगुप्त ने राह सुझाई-"महाराज स्वर्ग भेजने के नियमो मे ढीळ देनी होगी। ढील देने का ही युग है महाराज,  भारत के सुप्रीम कोर्ट ने  2G घोटाले में बड़ी मछलियो के फ़सते ही तुरंत नियमो में ढीळ दे। जमानत को सबका अधिकार बना दिया है। चाहे हत्यारा हो या लूटॆरा सबके लिये ढील दे गयी है। इसलिये हे न्यायप्रिय आप भी यही राह चुनिये।" यमराज ने उदाहरण सहित मामले बताने का आदेश दिया।

 "महाराज, भारत में कमीशन मिला तो भला, नई मिले तो भी काम चला वाले अधिकारी, कर्मचारी को सर्वश्रेष्ठ अधिकारी कहा जाता है।  चारो ओर उनकी भूरी भूरी प्रशंसा होती है। क्यो न ऐसे अच्छे अधिकारियो को स्वर्ग के लिये प्रमोट कर दिया जाये।"  यमराज ने अनिच्छा से सर हिलाया, बोले " क्या जमाना आ गया है,  घूस लेने वालो को स्वर्ग भेजना पड़ रहा है। चित्र गुप्त ने पाइंट आउट किया -"महाराज कम घूस लेने वालो।" यमराज ने पूछा -"इसमे कितना आदमी प्रमोट हो जायेग।" चित्र गुप्त धीरे से बोले- "महाराज चार पांच हजार आदमी हो ही जायेगा।"

यमराज  बोले- " दो करोड़ कपेसिटी का स्वर्ग है, पांच हजार में क्या होगा?"  चित्रगुप्त ने अगला प्रस्ताव रखा- "महाराज एक दूसरे श्रेणी के अधिकारी है जो कमीशन तो हर हाल मे लेते है। पर कमीशन के अलावा कोई घपला नही करते और काम पूरी गुणवत्ता से लेते हैं।" यमराज गुस्से से बोले- " ये क्यो नही कहते कि भ्रष्टाचारियो को स्वर्ग मिले बाकी क्या बचा है।"  चित्रगुप्त ने सफ़ाई दी - "महाराज इनके बेचारो के  सर पर खर्चा भी तो लगा रहता है। उपर के अधिकारी, नेता, पत्रकार सबको पैसा देना पड़ता है।" यमराज बोले-  इनको आधा टाईम स्वर्ग बाकी नर्क की लिस्ट में डाल दो।

चित्रगुप्त ने अगली श्रेणी प्रस्तुत की- "महाराज नेताओ में ईमानदार की श्रेणी में..........।" यमराज ने टोका - " नेताओ का मामला टेस्ट केस के साथ प्रस्तुत करो उस पर हम जो निर्णय देंगे उससे गाईड लाईन बना लेना। चित्रगुप्त बोले - "महाराज सबसे पहले मन्नू मोहन सिंग जी है एकदम ईमानदार।" यमराज ने सवाल दागा - " फ़िर डाईरेक्ट स्वर्ग क्यों नही गया ? " चित्रगुप्त बोले -" बेचारे का दोष बस इतना है कि दूसरो को बेईमानी करते देखता रहा। आज कल भारत मे नेताओ ने एक नये धर्म की स्थापना की है गठबंधन धर्म। इस धर्म के तहत समर्थन देने वाली पार्टियो को भ्रष्टाचार करने देने को अपराध नही कहा जाता।" यमराज भुनभुनायें- "वाह रे कलयुग, क्या क्या दिन देखना बाकी है। चित्रगुप्त अगर यही एक दोष हो तो इसको भी प्रमोट कर दो। चित्रगुप्त धीरे से बोले- "महाराज खाये तो इसके पार्टी वाले भी है बड़ा बड़ा घोटाला है। लेकिन ये कुछ नही खाया। खाली कार्यवाही नही कर पाया बस।" यमराज ने कहा- "आपको शर्म नही आती ऐसे ऐसे लोगो की अनुशंसा करते हो।" चित्रगुप्त मन मसोस कर बोला - "महाराज नेताओ मे सर्वश्रेष्ठ नस्ल यही बची है। न खुद खाये न दूसरो को खाने दे। ऐसे नेता पृथ्वी से विलुप्त हो चुके है महाराज।" यमराज बोले - "इनको पहले नर्क में लाना सौ कोड़े मारना फ़िर स्वर्ग भेजना।"

दूसरी श्रेणी नेताओ मे कम खाने वालो और काम इमानदारी से करने वालो की थी ऐसे लोगो को भी आधे टाईंम स्वर्ग और आधे टाईंम नर्क वाली श्रेणी मे डाल दिया गया। अगला नंबर नेता पुत्रो और दामादो का था। चित्र गुप्त ने दामादो के टेस्ट केस में प्रधानमम्मी के दामाद का मामला पेश किया बोले - हुजूर इसने क्या किया है यह तो सिद्ध नही। भारत मे नेताओ के दामादो की जांच नही होती। खाली संघ और सुब्रमणियम इस पर अरबो के भ्रष्टाचार का आरोप लगाते है।  यमराज गंभीरता से मनन कर बोले- "यह तो धरती पर ही स्वर्ग का अनुभव कर चुका है। इसको स्वर्ग भेज भी दोगे, तो बोलेगा मजा नही आ रहा। और कही वहा भी देवराज इंद्र की पुत्री को पटा लिया तो लेना के देना पड़ जायेंगा सो अलग।  इसको तो  नर्क में ही डालो।"

अगला नंबर राहुल बाबा उर्फ़ अमूल बेबी का था।  चित्रगुप्त ने नर्क की अनुशंसा की - महाराज इसके उपर तो गंभीरतम आरोप हैं। ये संघ वाले इस पर इसाई होने का आरोप लगाते हैं। माईनो, राउल नाम बताते हैं। यमराज बोले -" इसाई होना कोई पाप नही, आरोप कैंसल।"  चित्रगुप्त बोले - "  संघ यह भी आरोप लगता है कि ये न्यूयार्क के एयरपोर्ट मे ड्रग्स माफ़िया की पुत्री और लाखो डालर के साथ पकड़ाया था।" यमराज बोले -" जब खुद का सरकार था तो क्यो नही पकड़े, केस ओपन क्यो नही करा लिये। ये संघी लोग तो फ़ोकट हाय हाय करते रहते हैं, उनका सारा आरोप कैंसल।" चित्रगुप्त दिल से संघी था, बड़ा आहत हुआ। उसने आखिरी दांव खेला-  "महाराज, आखिरी आरोप तो सिद्ध हो चुका है। इसने यूपी चुनाव में नाक कटवा कर लाखो कांग्रेसियो का दिल तोड़ा है।  इसको उन सबकी आह लगी है जो इसके बाप और दादी की तरह इसका फ़ोटू चपका के चुनाव जीतना चाह रहे थे। उन सब कांग्रेसियो का भविष्य इसके कारण अंधकार मय हो गया वो अलग। इसको तो नर्क के अलावा कही नही डाला जा सकता है। यमराज नेहरू गांधी जमाने से कांग्रेस से लगाव रखते थे। और कुछ अमूल बेबी के मासूम चेहरे पर भी उनको दया आ गयी। उन्होने फ़ैसला दिया - "इसको नर्क के बाल सुधार ग्रह में भेज दो। "

यमराज को रहमदिल मोड में देख, चित्रगुप्त ने लालकिशन का मामला आगे रख दिया - "महाराज ये नेता जी भी आरोपो से घिरे जरूर है। पर इनके साथ बड़ा अन्याय भी हुआ है।" इन पर आरोप है कि इनके नेतृत्व में इनकी पार्टी भाजपा से खाजपा में बदल गयी। शनी भगवान की भी शिकायत आयी थी कि इसने ऐसी लुटिया डुबोई है कि वे चाह कर भी कांग्रेस को हारने का दंड नही दे पा रहे हैं। यमराज बोले - हूंऽऽऽ , और अन्याय क्या हुआ है ?   चित्रगुप्त बोले-  महाराज ये प्रधानमंत्री बनने के लिये एतना साल से पाईपलाईन में लगा था। और चारसौ फ़ुट के बोरवेल में धंसा गया है महाराज। इसको जमीन मे ही बहुत सजा मिल गया है। जिस किसी को अच्छा भाषण देते देखता है आत्मग्लानी से भर जाता है। यमराज गुस्से से बोले - "अरे भाई भाषण देने से प्रधान मंत्री बनते तो लालू यादव नही बन जाता। इसको समझ नही आता कि जनता ने अटल जी को भाषण के साथ साथ उनके अच्छे कामो के लिये वोट दिया था।" चित्रगुप्त ने जोर लगाया - "हे दया के सागर,  हे धर्मराज दया कीजिये बहुत सजा पा लिया है पहले ही।"  यमराज पिघल गये, भुनभुनाते हुये बोले - अब नकारा आदमी पर दया किस तरह की जाये खैर। एक काम करो दो चार साल नर्क में चक्की पिसवा कर गांधी परिवार में पैदा करवा देना। बन ही जायेगा बेचारा एक न एक दिन।"

चित्र गुप्त ने कार्यवाही आगे बढ़ाई बोले "महाराज ऐसे तो बहुत समय लग जायेगा और आदमी भी ज्यादा प्रमोट नही हो पायेंगे। कुछ स्थायी नियम बना दीजिये।" यमराज ने नियम बताये - "एक काम करो जो गांधीवादी है उसे गांधी के पास भेज देना और जो गोड़से वादी है उसको गोड़से के पास भेज देना ........" चित्रगुप्त ने बीच मे टोक दिया "महाराज सीधा स्वर्ग, नर्क लिख कर ही नियम बना देते हैं।"  यमराज मुस्कुराते हुये बोले - क्या कहते हो चित्रगुप्त सीधा लिख दिया तो अदालतो की तरह लोगो का विश्वास हम दोनो से भी उठ जायेगा। सोचो अगर गोड़सेवादियो को मालूम चले कि उनका बापू नर्क मे है। तो हाहाकार मचा देंगे कि यमराज इसाई हो गया,  चित्रगुप्त का दादा मुसलमान था। और गांधीवादियो को चल जाये तो मोमबत्त्ती कैंडल जला जला कर जीना हराम कर देंगे।  सो दोनो मे से कौन नर्क मे है कौन स्वर्ग मे है यह नही बतायेंगे। जो चेला मरेगा खुदे जान जायेगा कि सही आदमी का चेला था या गलत।

चित्रगुप्त ने प्रसन्नता से यमराज की ओर देखा ऐसे थोड़े न धर्मराज है, विरोधी पद से नही हटा पाते। उन्होने नम्रता से कहा - "हे मालिको में श्रेष्ठ आपकी बुद्धीमत्ता का तो मै सदा से कायल हूं और आज तो घायल ही हो गया।" मुस्कुराते हुये धर्मराज ने कहा - "चित्र गुप्त आज के लिये इतना काम बहुत है। सारा काम एक ही दिन मे कर लेंगे तो अगले दिन से आरोप लगने लगेगा कि यमराज और चित्रगुप्त मुफ़्त की तंख्वाह ले रहे है। सो काबिल सरकारी अधिकारी की तरह हमे भी वर्क लोड बरकरार रखना चाहिये।           

चित्रगुप्त बोले - बस महाराज एक ही मामला निपटा दे ये भी लालकिशन जैसे दुखियारे का केस है। दवे जी नाम का एक बेचारा लेखक है जिंदगी भर प्रियंका प्रियंका भजता रहा बेचारा। और ले उड़ा दामाद बाबू दुलरू इस बेचारे ने बहुत गम सहा है इसको भी स्वर्ग में प्रमोट कर देते तो कुछ भला हो जाता बेचारे का। यमराज मुस्कुराते हुये बोले - चित्रगुप्त इसको सौ बार स्वर्ग दे दोगे तो भी इसकी आत्मा अतृप्त ही रहेगी। एक काम करो इसको नर्क में ही भेजना पर वहा इसे प्रियंका के साथ एक ही कड़ाही में तलवाना रोज। और फ़िर दिन भर दामाद बाबू को यातना इसी से दिलवाना खुश हो जायेगा बेचारा।


इतना सुने कि हमने तुरंत "यमराज की जय हो " का नारा लगा दिया। नारा लगाते ही धड़ाम से गिरे,  आंख खुली तो हम बिस्तर के नीचे पड़े थे। और पीछे बैकग्राउंड में श्रीमती की कड़कती आवाज गूंज रही थी- "हे भगवान कैसे आदमी के पल्ले बांध दिया है देखिये जीते जी यमराज की जय का नारा लगा रहे है।"



Sunday, March 4, 2012

कालू गरीब को "गे" से खतरा

साहब,  यूरिया वाली चाय का लुफ़्त उठाते नुक्कड़ में हम खड़े थे कि कालू गरीब फ़िर  पहुंच गया। हम तक पहुंचते ही सीधे उसने सवाल ठोका-  "दवे जी ये "गे" क्या होता है।"  हमने क्रोध भरी निगाह उस पर डाल कहा - " अरे ओ होशियार, अब तेरा वोट पड़ गया है। अब तू शोषित वर्ग से हो या सर्वहारा वर्ग से। चाहे तू अल्पसंख्यको मे क्यो न गिना जाता हो हो हम तुझे न बतायेंगे। बड़ा आया सवाल पूछने वाला।"

कालू गरीब घिघियाते हुये बोला -"दादा,  अब तो चुनाव खत्म हो गया है। अब ऐसे फ़ालतू बातो का मोल क्या है। कहा सुना माफ़ कर दो दादा,  हमारा दिमाग फ़ड़क रहा है मतलब बता दो।" हमने पूछा- "क्यों आसमान टूट रहा है! आग लग रही है! "गे" का मतलब नही जानेगा तो भूखा मर जायेगा। अबे यह जीने-खाने और सुप्रीम कोर्ट के नये आदेश के अनुसार सोने के जैसे मौलिक अधिकारो के उपर की चीज है रे भाई कालू। अब तक सुप्रीम कोर्टवा फ़ैसला नही कर पाया है। सरकार बार बार जवाब बदल रही है।"

कालू बोला - " फ़िर भी बताईये,  हमे जानना है कि कही हमारा वोट गलत तो नही तो नही पड़ गया।" हमारा दिमाग ठनका  "गे" और वोट का क्या लेना देना रे भाई। सो हमने पूछा-  "क्यो रे बुड़बक,  क्या किसी ने तुझसे यह कह कर वोट मांगा था कि वह तुझे गे बनने की आजादी देगा और तू उसको वोट डाल आया ।"

 कालू बोला नही माई बाप पर आज  खाकी चड्डा लोग पहने नारा लगा रहे थे-

कांग्रेसी बबुआ ने देखा है एक सपना
सवैधानिक दर्जा लिए हो गे सेक्स अपना ....


हम सोचे या राहुलवा का और "गे" का क्या संबंध! और ये गे क्या है रे भाई।  सो आपसे पूछने चले आये। हमने कहा- "भाग यहा से कांग्रेस को वोट देने वाले मूर्ख।"  कालू भड़क गया बोला - "इतने सदियो, आपके बाप दादा हमारे बाप दादा का शोषण किये थे कि नही। आज "गे" का मतलब बता कर काला मुंह साफ़ करने का मौका आया तो भगा रहे हो। सीधा जवाब नही दे सकते।" हम अपने पुरखो के किये अपराधो तले गड़ गये। अब गया में तर्पण करो, कौन जानता है कि हिंदु कौंवा खाया, इसाई कौंवा खाया कि मुसलमान कौंवा ले भागा। यहां तो  पुरखो की डाईरेक्ट मुक्ती जुगाड़ था। सो हमने कहा - "गे का मतलब होता है समलैंगिक समझा कि नही।" कालू बोला- "दादा,  हम तो मध्यान भोजन खाये लिये सरकारी स्कूल जात रहे। इतना कठिन शब्द का अर्थ क्या जाने।" हमने मन ही मन सोचा इसको टरकाया जाये सो कालू से बोले - "देख मिया कालू ,  समलैंगिकता का मतलब होता है,  दो लोगो का बिना शादी के साथ रहना।  अब ये तो जिनका पेट भरा हुआ है,  उनका टाईम पास झगड़ा है रे भाई। तू जा अपनी रोजी रोटी कमा, अब रैली में ले जाने चेपटी, पैसा देने  कोई नही आयेगा ।"

तभी पीछे से  बजरंग दल के नेता दीपक बाबू की कड़कती हुयी आवाज आई- "क्यों दवे जी भोले भाले लोगो को बेवकूफ़ बनाते हो शर्म नही आती।" हमने कहा- "दीपक बाबू,  गंदी फ़ुंदी बातो का मतलब समझाने का शौक चर्राया है। समाज में गंदगी फ़ैलाना चाहते हो।  वैसे तो बड़ा हिंदु धर्म और संस्कृती के रक्षक बने फ़िरते हो।

दीपक बाबू ने सीना फ़ुलाकर बोले - " रक्षक हैं,  तभी सनातन धर्म और संस्कृती पर छाये आसन्न संकट को पहचान रहे हैं। समलैंगिकता हमारी संस्कृती पर कुठाराघात है। यह कांग्रेस जो हिंदुत्व पर हमला करने का कोई मौका नही छोड़ती। सुप्रीम कोर्ट में गे का विरोध करने की बजाय, हमें कोई आपत्ती नही है का जवाब इसिलिये दाखिल किया है। राहुल गांधी खुद इस मामले मे रूची क्यो ले रहे है यह हम बता तो नही सकते, पर आप खुद समझ जाओ।" हमने कहा- "यार,  इस कालू गरीब को काम धंधा करने दो काहे ये सब लफ़ड़े की बात इसके दिमाग में डालते हो।" दीपक बजरंगी फ़िर कड़क कर बोले -"बताना जरूरी है दवे जी, कालू गरीब तक बाते नही पहुंचती है इसिलिये न ये कांग्रेस हर बार चुनाव जीत जाती है।" इतना कहा, दीपक बाबू ने कालू गरीब से कहा - "सुन कालू, गे का मतलब होता है, लडके की लड़के से शादी और लड़की की लड़की से शादी। अगर कांग्रेस सरकार ने ऐसी शादियो के लिये कानूनी स्वीकृति दे दी तो तेरा लड़का बहू नही बाबू लेकर आयेगा।"


कालू सकपकाया- "हाय मै मर जाउंगा माई बाप, मेरा वंश कैसे आगे चलेगा। नाती पोते कैसे होंगे।" हमने कालू को समझाया -"अरे कालू नाहक चिंता में मत पड़। एक लाख में एक आदमी इस चक्कर मे पड़ता है भाई। आम आदमी थोड़े ये सब दंद फ़ंद मे पड़ता है।" दीपक बाबू भड़क गये -"अजीब हिंदु हो, सनातन परंपरा के खिलाफ़ कानून पास हो रहा है। धर्म खतरे में है और कुतर्क दे रहे हो।" अब भड़कने की बारी हमारी थी हमने कहा- " सनातन, सनातन की रट लगाये जा रहे हो खजुराहो के प्राचीन मंदिर मे नही है नक्काशी गे सेक्स के बारे मे। बड़े आये धर्म की आड़ लेने।  कोई सटक ही रहा है कि हमको यह करना है तो करने दो। जब से दुनिया बनी है। सब कुछ होता ही आया है, आगे भी होगा।"

फ़िर हम कालू की ओर मुड़े -"क्या मर जायेगा बे, भूल गया तू क्या है "पिछड़ा",  अबे जब विकास तुझ तक नही पहुंच सका। सरकार की योजनाये तुझ तक नही पहुंच सकी। तो गे कहा से पहुंच पायेगा पगला। खामखा डर रहा है,  कमा खा ये सब शौक नवाबी है समझा। शरीर मे पूरा कपड़ा नही पेट दाना नही कोई गे तुम लोग दूर से भी देखेगा तो सरपट भाग लेगा।  जा काम धंधा कर, ये अगड़े लोगो के पास सरकारी नोट आता है तो खुद खा लेते है और गे आ गया तो बचा कालू,  तू भी ले चिल्ला रहे हैं।" अब बात कालू के भेजे में घुसने लगी बोला- "दादा ये दीपक बाबू पिछड़ा विरोधी है क्या।" हम कहा- "नही भाई, ऐसा बात नही है। इनका झंझट दूसरा है,  वैलेंटाईन डे में ये लोग हर साल प्रेमी प्रेमिकाओ को पीट भगाने जाते है। अब गे कानून पास हो जायेगा तो पार्क में प्रेमी- प्रेमिकाओं के साथ साथ प्रेमी- प्रेमी भी बैठेंगे। फ़िर मुकाबला बराबरी का हो जायेगा, पिटने की भी नौबत आ सकती है।"


तसल्ली बख्श होकर कालू अपने काम धाम में निकल गया। दीपक बाबू बोले -"क्यों दवे जी, हम कांग्रेस का वोट काट रहे थे और आपका पेट दुख रहा था। दिग्गी बनने का तैयारी नजर आता है।" हमने दीपक बाबू को पुचाकारा- "क्या यार दीपक भाऊ, भावनाओ में बह जाते हो,  फ़ायदा आप ही का करा रहे हैं। देखिये, राहुल शादी नही कर रहा और गे कानून भी पास हो रहा है। अब राहुल बाबा शादी कर लिये रहते,  तो नही यूपी चुनाव में दो और राजकुमार घूमते वोट मांगने, बीबी वोट मागंती। आप तो जानते ही हो हिंदुस्तानियो को। जरा खूबसूरत बच्चो को खूबसूरत मम्मी  के साथ पापा के लिये वोट मांगते देख नही लेते कि फ़िसल जाते है। और भारत का आबादी भी कितना बढ़ रहा है बन जाने तो जिसको गे बनना है जनसंख्या भी कम होगा कि नही।"

खैर साहब दीपक बाबू तो निकल लिये इस नई विचारधारा पर मनन के लिये। पर हम खुद चिंता में पड़ गये। ये "गे" वाला कानून पास हो गया तो पार्क, मेला, सिनेमा जाना ही दूभर हो जायेगा।  जहां देखो वहां, लड़का- लड़का लड़की- लड़की पप्पी, झप्पी खेलते नजर आयेंगे।"