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Tuesday, December 13, 2011

ये तेरा बिल ये मेरा बिल~ ~ ~ ~ ~ ~ ये बिल बहुत हसीन है


नुक्कड़ में चाय पीते पीते आसिफ़ भाई गीत गुनगुना उठे - " हमारी हसरतो का बिल, ये बिल बहुत हसीन है। " हमने टोका,   आसिफ़ भाई,  क्या भाभी के लिये लिपस्टिक पाउडर खरीद लाये हो,  जो उसका बिल  आपको हसीन लग रहा है। क्या बात है, बुढ़ापे में उलानबाटी खा रहे होआसिफ़ भाई भुनभुनाये, कहने लगे- "बीबी से बचने के लिये आदमी नुक्कड़ आता है, और आप हैं कि यहां भी याद दिला रहे हो उनकी "। हमने गलती मानते हुये पूछा- "  फ़िर ये कौन सा बिल है गाने में, जरा हमें भी बताईये।"


आसिफ़ भाई, फ़िर रूमानी अंदाज में आ गये- "मियां,  हम लोकपाल बिल की बात कर रहे थे।  एक बार यह आ जाये, फ़िर भारत में हर ओर ईमानदारी होगी,  कहीं रिश्वत न ली जायेगी।" हमने बीच में टोका- " आसिफ़ भाई हवा में मत उड़ो,  सारी पार्टियो को उस बिल में कमिया नजर आ रही है। और आप को  हरा ही हरा  नजर आ रहा है। इतने में दीपक भाजपाई कूद पड़े- "वाह दवे जी, आपने मेरे दिल की बात कह दी,  आसिफ़ भाई को हरा ही हरा नजर आता है।" हमने कहा- "हे स्वयंभू भगवा ठेकेदार,  यहां बात सावन के अंधे वाले हरेपन की हो रही है। और आ गये आप अपना एजेंडा लेकर। हां आसिफ़ भाई,  आप बतायें बिल का माजरा।"
आसिफ़ भाई मुस्कुरा उठे, गुनगुना उठे- "किसी को देखना हो अगर,  तो मांग ले मेरी नजर तेरी नजर"।  भाई नजर नजर का खेल है। हम लोगो को बिल हसीन नजर आ रहा है,  कि यह हमारे सपनो का भारत बनायेगा और ये पैसा खाउ कपटी नेता।  इन को सपने में भी ऐसा,  साफ़ सुथरा भारत नजर नही आ सकता।  इसीलिये इनको बिल मे खामिया नजर आ रही है।  और ये लोग तो आने जाने वाले हैं,  महान शक्तिशाली सिविल सर्विसेस के अधिकारियो को तो जिंदगी भर खाना है। ये क्यो अपने पैरो पर फ़रसा कुल्हाड़ी चलायेंगे । ऐसा ऐसा पैतरा बतायेंगे की नेता चाहे तो भी कर नही सकेंगे ।

प्रधानमंत्री को लाना और न लाना तो कोई मुख्य मुद्दा है ही नही,  जो ये लोग उछाल रहे हैं। मत लाओ भले प्रधानमंत्री को पर बाकी मुद्दे ज्यादा गंभीर है । लोकपाल का चुनाव निष्पक्ष तरीके से होना चाहिय॥  वह स्वतंत्र होना चाहिये । उसके पास दबावो से मुक्त स्वतंत्र जांच एजेंसी होनी चाहिये। ये मीडिया और सरकार तो इस पर चर्चा ही नही कर रही । लोकपाल कार्य करे कैग की तरह और मामले की सुनवाई करे सुप्रीम कोर्ट के तर्ज पर।  इन शर्तो के बिना लोकपाल नही धोखपाल बिल बनेग। और ये सरकार बनायेगी धोखपाल ही लोकपाल तभी बनेगा जब  जन सैलाब उमड़ पड़ेगा

 तभी सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने बीच मे टांग अड़ाई, कहने लगे- "हम तो नेक इरादो से आगे बढ़ रहे है। पर  दीपक भाजपाई को तो देखिये, अपने पत्ते ही नही खोल र्हे।"  दीपक भाजपाई मुस्कुरा कर बोले- "हमने तो आपसे शो मांग लिया है, आपको ही अपने पत्ते पहले दिखाने पड़ेंगे।" हमने कहा- "भाईयो, खेल लो जुआं जितना खेलना हो। पत्ते छुपाओ चाहे दिखाओ,  जो बोलना है बोलते रहो। हम तो संसद में कौन सा बिल आ रहा है उसका इंतजार कर रहे हैं । अगर वो बिल हमारी हसरतो का बिल न हुआ, फ़िर बात की जायेगी। यह गलत फ़हमी मत पालना कि धर्म के नाम पर,  पार्टी के नाम पर अब ये देश बटने वाला है । लोग  देख रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि कब अन्ना की आंधी उठेगी।"

" देश हित में आप भी सावधान रहें,  लोकतंत्र के सड़ चुके इस पेड़ की नयी जड़े, बरगद के समान जमीन तलाश ले और इस लोकतंत्र मे नव जीवन का संचार करे इसी मे देश का हित है। कहीं यह पेड़ उखड़ गया तो हमारा देश  कई दशको के लिये अराजकता और अंधकार में डूब जायेगा।" 

Wednesday, August 17, 2011

कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक मे दवे जी

साहब,  कांग्रेस को भीषण संकट के इस काल में किसी ने सुझाव दिया कि दवे जी नाम के एक फ़ोकट चंद लेखक हैं। जो आज कल सत्ता सुंदरी के नाम से चिठठीयां लिख लिख नेताओं, बाबाओं को सलाह दे रहे हैं। क्यों न उनसे इस संकट पर सलाह ली जाये। बुलावा मिलने पर हम तत्काल पहुंच गये, हमसे अन्ना नामक संकट से निपटने पर विचार मांगे गये, यह भी पूछा गया कि दवे जी इस अन्ना को मिल रहा जन समर्थन कैसे खत्म किया जाये।


हमने कहा - "इस अन्ना को कोई समर्थन तो मिल ही नहीं रहा है"। सुनते ही कपिल सिब्बल जी उछल पड़े बोले -"मै न कहता था, ये तो टीवी मे देख देख कर लोग तमाशा देखने पहुंच रहे हैं"। फ़िर कपिल जी आदतन कुटलिता से मुस्कुराये बोले - "इसको बाबा जैसे पकड़ कर दिल्ली से बाहर करो सब ठीक हो जायेगा"। हमने माथा पकड़ लिया कहा -" वकील साहब हर बात में ज्यादा होशियारी झाड़ना महंगा पड़ता है"। "और ये जो बार बार दांत निपोरते हो इसे बंद करो,  पूरा देश आपके उपर भड़का हुआ है"। "हम कह यह रहे थे कि ये अन्ना का समर्थन नही आपकी पार्टी को असमर्थन है, जो सड़कों पर उमड़ पड़ा है"। आपके प्रवक्ताओं की अकड़, बदजुबानी, बेशर्मी से देश स्तब्ध है, इतने घोटालों के बाद जो शर्मं और अफ़सोस आपके चेहरे पर नजर आनी चाहिये वो नदारद है।  कड़े कदम उठा दागी मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को जेल भेजते, पार्टी में आमूळ चूल हेर फ़ेर करते,  तो यह नौबत नहीं आती।


मनमोहन जी बोले- "हमे भाषण नही सुनना,  उपाय हो तो बताईये"।  हमने कहा- " अन्ना को गिरफ़्तार करने का निर्णय किसने लिया था,  पहले आप यह बताईये"। वोरा जी बोले- "ये निर्णय शासन का है, पार्टी का इससे संबंध नहीं है"।  हमने चिदंबरम की ओर देखा तो वो कहने लगे-  "कानून व्यवस्था का काम पुलिस प्रशासन का है,  इससे सरकार का मतलब नही"। हमने कहा-  "दाई से पेट छुपाओगे कांग्रेसियों, तो सरकार का दो साल मे ही गर्भपात हो जायेगा,  ये फ़ालतू की सफ़ाईगिरी बंद करो"। फ़िर हम राहुल जी की ओर मुड़े पूछा- " बाबा क्या कांग्रेस इतनी चोर हो गई है कि ये वकील ही भर्ती करते हो"। " जमीन से जुड़े नेताओं को रखते तो ये नौबत ही नही आता,  पहले ही बात समझ जाते कि जनता बेहद क्रोध मे हैं"।  "खैर आप लोगो को अन्ना को गिरफ़्तार करना भारी पड़ चुका है अब रास्ता केवल एक ही है"।


"सबसे पहला कदम यह उठाओ कि मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंग जैसे महापुरूषों को अज्ञातवास में भेज दो"।  "दूसरा कदम,  जितने बेईमान हो उतनी ही ईमानदारी से इस बिल को पास कराने मे भिड़ जाओ"।  तभी एक महाशय बीच में कूदे कहा - "ओ शिवाजी बिल पास ही करना है तो फ़िर तुम्हारी सलाह क्यों मांगते"। हमने  कहा - " कांग्रेसियों दूसरो की पूरी बात सुनना ही तुमको आता तो आज ये नौबत नहीं आती,  अपना मुंह बंद कर पूरी बात सुनो"। "हां,  तो मै यह कह रहा था,  कि रामलीला मैदान मे अन्ना की लीला शुरू होने के अगले दिन,  बाबा को दो तीन युवा नेताओं,  जैसे जिंदल, पायलट आदि के साथ अन्ना के पास रवाना कर दो"।  " ध्यान यह रखना कि स्वयं किरण बेदी और केजरीवाल अगवानी करें वरना पब्लिक फ़ोड़ाई की भी संभावना है"।  "जाते ही अन्ना के कैमरों के सामने चरण स्पर्श कर आधे घंटे मंच के सामने चुपचाप विराजमान हो जायें और फ़िर बिना कुछ बोले वापस आ जायें"।  फ़िर अन्ना की कमेटी को बुला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में एक समिती बना लेना,  बिना होशियारी किये सर्वसम्म्ती के नाम होना चाहिये"।

"आपकी तरफ़ से उसमे केवल प्रणब दादा रहें,  और विपक्ष का कोई न रहे"।  "उस समिती से जितनी मांगे मनवाई जा सकें मनवा कर,  दो दिन के अंदर बिल का प्रारूप बिना होशियारी किये संसद में पेश कर देना"।  "इस बीच मीडिया के सामने कोई कुछ न कहे"।  "इसके बाद गेंद विपक्ष के उपर डाल,  शांती से जुगाली करते बैठना।  "कुछ कहना तो बिल के समर्थन में अन्यथा समिती की इज्जत के नाम पर चोंच बंद ही रहे"। इस बीच आपके युवा सांसद सरकार के पिछली हरकतों पर गुस्सा जाहिर कर सकते हैं,  और सोनिया की बीमारी के कारण राहुल बाबा के न होने की दुहाई दे सकते हैं"।


"बस फ़िर आप जितने चोर हो विपक्षी भी उतने चोर हैं, अपनी होशियारी घुसाये बिना बने बिल पर तमाम अड़ंगे लगायेंगे"।  "उनको अन्ना टीम के साथ निगोशियेसन मे लगने देना"। वहां मायावती, लालू,  मुलायम जैसे तमाम विद्वान बैठे ही हैं। जनता का जो आक्रोश आप पर है उनकी ओर मुंड़ जायेगा"। और इसी बीच कोई न कोई रास्ता निकल आयेगा।  इतनी सलाह दे अपने राम बैठक छोड़ निकल आये।


अब कांग्रेसियों नें हमारी सलाह कितनी मानी यह तो वक्त ही बतायेगा। पर अपना पुराना अनुभव है कि कॊई किसी की सलाह  मानता नहीं है। और नेताओं में तो यह बीमारी और गंभीर होती है। खैर साहब ऐसा लगता है कि इन कांग्रेसियों को निकट भविष्य मे अपनी फ़्री सलाह की फ़िर जरूरत पड़ेगी,  आपके कुछ सुझाव हों तो अवश्य बता दीजियेगा मै कांग्रेसियों तक पहुंचा दूंगा।

Monday, August 15, 2011

मनमोहन को सत्ता सुंदरी का पत्र

श्री मन्नू


प्यारे इसलिये नहीं कहा कि अब मुझे आपसे प्यार नहीं रहा।  पिछले सभी पतियों की तरह आपकी भी फ़ोटो मेरे भूतपूर्व पतियों के साथ टंगने वाली है। इन पतियों की दो श्रेणियां हैं, ए ग्रेड पतियों में नेहरू जी शास्त्री जी से लेकर राजीव जी अटल जी जैसे पति हैं, जिन्हे आज भी मै शिद्दत से याद करती हूं।  इनमे कमियां थी पर ये कमीने नही थे। दूसरी श्रेणी मे चंद ऐसे नाम हैं जिन्हे मैं अपनी जुबान पर लाना भी नही चाहती। अब आप भी इन दोनो मे से किसी न किसी श्रेणी में जायेंगे ही।


इतने दिनो के दांपत्य जीवन मे मुझे अस्मिता का ऐसा संकट पहले कभी नही आया था। जिस संविधान को साक्षी मान कर आपने मेरे साथ फ़ेरे लिये थे।  और जो कसमें खायीं थी, क्या आप सभी को भूल गये हैं।  क्या आपने यह नहीं कहा था कि मैं विधी द्वारा बनाये गये संविधान का पालन करूंगा,  और जनता के मौलिक अधिकारों की रक्षा करूंगा?  या आपने युधिष्ठिर की तरह छल कर,  अपनी पार्टी के संविधान का नाम लिया था। क्या शोभा देता है,  किसी वकील को बैठा कर संविधान की मनचाही व्याख्या करवाई जाये। आप मेरे पितामह गांधी के आदर्शो पर रोक लगाना चाहते हैं,  लोकतंत्र को छिन्न भिन्न कर देना चाहते हैं।

आपने ये न सोंचे कि मुझसे विवाह को लालायित, पाईप लाईन में लगे लालकिशन के बहकावे मे आकर यह कह रही हूं। मुझे उनकी भी सब चालें पता है,  नीयत साफ़ होती तो मर्दो की तरह सामने आकर कहते कि मुझे लोकपाल की यह शर्ते मंजूर हैं, और ये नामंजूर। पर वे दूर से आग सेंक,   इंतजार कर रहे हैं कि कब मेरे बच्चे आपको भूतपूर्व कर दें और वे आकर मजे करें।


मै दोष आप को दे रही हूं,  कि आप मेरे वर्तमान पति हैं। और आपके पति रहते तमाम वो चीजें हुयीं हैं,  जिनके कारण आज बिना स्वयंवर में भाग लिये अन्ना आप को ललकार रहे हैं। आप राजसभा और उसकी सभी संस्थाओं की मर्यादा को तार तार होते देखते रहे।  आपके नजायज संबंधियो ने मेरे राजप्रसाद को बेतरह लूटा,  और नियमो का उलंघन ही नही अपमान भी किया। आप के राज परिवार नें आज वो नौबत ला दी है,  कि बिना राजकुल मे शामिल हुये कोई मेरे स्वयंवर मे शामिल नही हो सकता। और स्वयंवर जीतने के लिये ये तमाम राजकुल,  मेरे ही राजप्रसाद से लूटी धनराशी का उपयोग करते हैं। और हदें यहां तक पार हो गयी हैं,  कि कुल मर्यादा को भूल बदतमीज और अपराधिक षडयंत्रों मे शामिल लोग राज सत्ता के प्रवक्ता बन आम जनता को ललकार रहे हैं।

और आप यह भी न सोचे कि आप के नकार देने से आपके संबंधी आपके संबंधी  कहलाये नहीं जायेंगे। देर सवेर ही सही एन डी तिवारी जैसे डीएनए टेस्ट करवाना ही होगा। अदालतें अब जान चुकी हैं कि उनकी साख पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। आप यह भी न सोचना कि इन अपराधों के इतिहास में आपके साथ मुख्य गुनहगारो के नाम भी होंगे। इतिहास सदैव राजाओं के नाम दर्ज करता है उसके मंत्रियों को कोई याद नही रखता।


आप को अभी भी मौका है,  अपनी गलतियों को सुधार सहीं कदम उठाने का।  लोकतंत्र और संविधान की गरिमा को वापस स्थापित करने का। जिस क्षण आप कड़े नियमो की घोषणा कर देंगे आपके विरोधी और आप को सामने रख माल उड़ाने वाले दोनो छटपटा जायेंगे,  लेकिन असहमति व्यक्त नही कर पायेंगे।  इन सात सालों मे आपके पास गौरवपूर्ण उपलब्धियां भी हैं ही,  सामने आईये और सही निर्णय लीजिये। वरना जिस राजवंश की खातिर आप ने इतनी बदनामी उठाई है, वह तो सदैव बना ही रहेगा।  नौबत आयेगी तो आपको भी खलमाड़ी के बाजू खड़ा करने मे वक्त नही लगायेगा। और आपकी जो फ़ोटॊ टगेंगी उसमे इतने दाग लग जायेंगे,  कि आपका चेहरा भी नजर नही आयेगा।

आपकी शुभचिंतक

सत्ता सुंदरी

Tuesday, August 9, 2011

देखो अन्ना इस बिल से भ्रष्टाचार बदनाम तो न होगा

साहब आज की बैठक नुक्कड़ में न थी। शहर से दूर एक ढाबे में भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने दावत रखी थी। दावत इस कर के थी कि कोई भी समझदार कांग्रेसी आड़े वक्त मे लेखक और पत्रकार इन दो प्राणियो को अवश्य खिलाता पिलाता है।  आजकल भाजपायी भी इसी रास्ते में हैं,  पर ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हे इस मामले आरक्षण की आवश्यकता है। खैर हुआ कुछ ऐसा कि माहौल बनने के बाद बात भ्रष्टाचार पर न मुड़ जाये। इसलिये शर्मा जी ने शेरो शायरी की इच्छा जाहिर की। अपने राम शुरू हो गये

कांग्रेसियों की कांग्रेसियत से।
 
भ्रष्टाचार बदनाम तो न होगा

लोकपाल लाओ पर इतना बतला दो।

 कहीं हमें आराम तो नही होगा॥

भ्रष्टाचार का नाम सुनते ही शर्मा जी ने मुंह बनाया।  कहने लगे- " एलिया साहब से चुरा कर मरोड़ कर सुना रहे हो।"  हमने कही- "भाई आम खाओ, पेड़ क्यों गिनते हो।  हमने सुनाई,  अभी हमारी हुई। अब आप जो बियर पी रहे हो,  पूछा है किसने बनाई।  कैसे अनाज को सड़ा कर, उसमे कीड़े लगाकर खमीर उठाया जाता है। बदबूदार माहौल में दुर्गंध के बीच उसे कैसे पैक किया जाता है।  शर्मा जी पीते पीते ठसक गये,  आगे न पी गयी। अपने मियां पीना जारी था।  उन्होने आरोप लगाया- " जब इतनी गंदी चीज है। तो तो आप कैसे पी रहे हो।"  हम मुस्कुराये,  कहा- शर्माजी आप आम जनता की तरह अनजान हो।  आपको पता ही नही कि आप पी क्या रहे हो।  हम सरकार की तरह कैलकुलेटेड रिस्क ले रहे हैं।  हमे पता है,  इसमे गंदगी है,  गरीब का पसीना, आह, पीड़ा मिली हुयी है। पर हमने सरकार की तरह हिसाब लगाया हुआ है। नशा ज्यादा मजा देता है और गंदगी या भ्रष्टाचार है ही नही। कह कर साफ़ नकारा जा सकता है।"

शर्मा जी भड़क गये, बोले- "हर बात मे सरकार को काहे बीच मे लाते हो। हम तो इस ठंडी और खूबसूरत दिखने वाली बियर का मजा लेंगे ही।" हमने - मियां आखिर विज्ञापन में आपके बबलू बाबा दीदी प्रधान मम्मी की तरह के चिकने लोग ही दिखते हैं की नही।  खलमाड़ी टाईप थोड़े होर्डिंग मे आते हैं। यह सोचने साम न चलेगा। बियर के अंदर गंदगी है इसमे कोई शक नही।" शर्मा जी भड़क गये,  बोले-  दवे जी, हमारी पार्टी में हमारी बियर पीकर, हमारी पार्टी को ही भुला बुरा कह रहे हो।" हमने कहा-  "आपसे ही सीखा है भाई। जिस देश ने आपको सिर माथे पर लगाया,  आपकी हर गलती माफ़ की  उससे बेईमानी। फ़िर उसके बाद सीनाजोरी।  हम जैसे देश वासी भी तो यही सीखेंगे न। आप लोगो की तरह खा पी के डकार रहे है अहसान काहे गिनाते हो।

शर्मा जी खड़े हो गये,  कहने लगे-  "हमारी पार्टी के नेताओ ने शहादत दी है इस देश के लिये। महात्मा गांधी से लेकर राजीव गांधी तक। संघ वाले तो आजादी के आम्दोलन मे थे ही नही। इन विरोधियों ने  किया क्या है देश की आजादी के लिये।"  हमने जवाब दिया-  "भाई मेरे महात्मा गांधी कांग्रेस छोड़ चुके थे। और कितने चुनाव जीतोगे शहादत के नाम पर।  हद हो गयी, एक आम शहीद के परिवार को कितने लाख रूपये मिलते हैं। उतने लाख करोड़ तो आरोप है कि स्विस बैंक में जमा हैं राजपरिवार के। अनुकम्पा नियुक्ती का समय खत्म हो गया भाई,  अब बख्श दो हमें।"

मामला बिगड़ते और  अगली बियर की आशा धूमिल पड़ती देख। आसिफ़ भाई ने  बात घुमाई।  पूछा-  "दवे जी "भ्रष्टाचार से आराम तो नही होगा"  ऐसा क्यों कहा आपने।" हमने कहा- "भाई बात समझो,  भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा तो हम लोगों का जीना ही मुश्किल हो जायेगा। नक्शा पास करवाने से लेकर हर काम में गरीबो की तरह चक्कर लगाने होंगे। अब आम हिंदूस्तानी के लिये यह कितना मुश्किल है।  हर काम मे शार्टकट नस-नस में समाया हुआ है। लोकपाल के डर से कोई सरकारी कर्मचारी दो नंबर का काम ही नही करेगा। तो हम लोग तो जीते जी मारे जायेंगे।"

गुप्ता जी मुफ़्त में मिली तीन बियर डकार चुके थे। भारी  जोश में थे।  बुलंद आवाज मे बोले-  "एक दो तीन चार अन्ना जी की जय जय कार।" फ़िर कहा-  "लोकपाल मस्ट कम आर वुई वुड सफ़र लाईक अनी थिंग।" हम गुप्ता जी के मुंह से धाराप्रवाह अंग्रेजी निकलते देख सावधान हो गये। तीन बियर के बाद उनका अंग्रेजी पेलना शुरू हुआ। मतलब उनको वापस होम ग्राउंड पहुंचाये बिना, उनसे मुक्ति पाना अंसंभव था। सो उनकी उतारने के लिहाज से हमने उन्हे टोका- "सोच लो गुप्ता जी। फ़िर हमको सारे काम नियम से करने होंगे।" उनको बात मंजूर थी, बोले- यस, टाईम हैस कम टु बिकम हानेस्ट।"  हमने घोषणा की - भाईयों, घर लौटते समय गुप्ता जी पैदल जायेंगे। दस किलोमीटर पैदल चलने की बात सुन। गुप्ता जी तुरंत होश में आ गये। भड़ककर हिंदी में बोले- "मैं पैदल क्यों जाउं, जिसको बियर लग गई हो वो जाये।" हमने कहा- मिस्टर गुप्ता ड्रंक ड्राईविंग इस अनलाफ़ुल। गुप्ता जी ने हिंदी का दामन न छोड़ा, चीत्कार कर बोले - भाई , अभी लोकपाल बिल आया कहां है,  एक बार आ जाये। फ़िर नेताओं की तरह हम भी सुधर जायेंगे


मित्रो यह तो लोकपाल पर  हल्की फ़ुल्की दिल्लगी थी।  पर इससे निकली गंभीर बात यही है कि हमें यदि भ्रष्टाचार को भारत से दूर भगाना है तो शुरूवात खुद से ही करनी होगी। जमीनी स्तर से  भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ने से ही भ्रष्टाचार खत्म होगा। और बाकी पच्चीस जुलाई  से महायुद्ध तो छिड़ने वाला ही है। आप सभी से अनुरोध है कि आगे बढ़, अन्ना हजारे और उनकी टीम का साथ दे। वरना कतील शिफ़ाई का यह शेर सदैव हमारा मुंह चिढ़ाता रहेगा-                                              
                  हमने तो कतील सा मुनासिफ़ नही देखा ।
                  जो जुल्म तो सहता है पर बगावत नही करता ॥

जात और धर्म से,  अपनी पसंद के राजनैतिक दलो से उपर उठ भ्रष्टाचार के विरोध में और कड़े कानूनो की मांग को लेकर विशाल आंदोलन किये बिना यह देश राहत नही पा सकता।

                                         

Thursday, August 4, 2011

प्यारी मम्मी की बीमारी हमें पता है

भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी नुक्कड़ मे जिम टाईप शरीर हिला रहे थे। हम पूछ बैठे क्यों भाई अन्ना के आंदोलन को कुचलने की तैयारी है क्या।  शर्मा जी ने पूछा - कौन अन्ना भाई,  हमने कहा सोलह अगस्त आने दो कलमाड़ी टाईप  याददाश्त वापस आ जायेगी।  शर्मा जी ने सिर हिलाया - मियां तुम भी कहां लगे हो,  इतना सेना पुलिस को तनख्वाह काहे दिया जाता है।  उनका सरदर्द है वो संभालेंगे सुप्रीम कोर्ट मे बात जायेगा तो जवाब भी वही लोग देंगे। हम लोग काहे सर दुखायें बाकी संसद तो चल ही रही है,  विपक्षी भी अपने ही टाईप के लोग हैं जो पूछते हैं जवाब दे दिया जाता है।

हमने पूछा फ़िर तैयारी कहां की है आपकी, तो जवाब मिला भाई कभी भी अमेरिका जाना पड़ सकता है। अपनी प्यारी मम्मी बीमार हैं, वहां भर्ती हैं। हम आश्चर्य मे पड़ गये,  कहा - हमे तो पता ही नही था कब बीमार हुयीं और बीमारी क्या है। शर्माजी ने कहा- वह नही बता सकते। हमने पूछा ये कौन सी बात हुयी भाई बीमारी का नाम बताओगे तो लोग सलाह देंगे,  एक से एक थिंकटैंक हैं देश मे। अपना बाबा भी खाली है आजकल,  पतंजली मे ही भरती करवा देंगे। ईडी से लेकर सीबीआई तक सारों ने दफ़्तर भी खोल रखे हैं।  वहां काम काज मे कोई दिक्कते नही आयेगा। और लगे हाथ बाबा से दोस्ती भी हो जायेगी। शर्मा जी बोले-  नही भाई, अमेरिका ही सही हैं वहां अच्छा इलाज होता है। हमने पूछ लिया-  साठ साल के सुशासन के बाद भी भारत मे अच्छे डाक्टर नही बना पाये क्या?  या अस्पतालों की हालत ऐसी नहीं की मम्मी का इलाज हो सके।  बाहर तो बड़े एड देते हो सीएनएन को बीबीसी को कि भारत मे मेडिकल टूरिज्म है,  सस्ता और बेहतरीन इलाज होता है। शर्मा जी ने तर्क दिया - नयी तकनीक आयी है अमेरिका मे, अभी अभी अविष्कार हुआ है। हम ने कुतर्क जड़ दिया-  भाई तकनीक भारत मे आयात कर लो मम्मी के बहाने लगे हांथ गरीबो का भला हो जायेगा मम्मी ।

शर्मा जी ने कहा भाई जल्दबाजी में इलाज करवाना पड़ गया,  वैसे आपका आईडीया अच्छा है आगे हम अपनाएंगे। हमने कहा बीमारी का नाम तो बता दो भाई। शर्मा जी भुनभुनाये-  नही बता सकते देश मे अराजकता फ़ैलने का खतरा  है।  आसाराम बापू को गिरफ़्तार करने जैसे हालात हो जायेंगे।  हमने कहा हमको  पता है उस भयंकर बीमारी का नाम अन्ना हजारेस लोकपालाईटिस है।  आंदोलन कहीं भड़क गया,  कुचलने की नौबत आ गयी।  तो आपकी मम्मी तो रहेंगी नही वो तो बेहोश होंगी उस समय।  जब होश आयेगा तो उन्हे बड़ा अफ़सोस होगा,  हो सकता है गुस्से मे आकर दो चार मंत्रियों को बाहर भी निकाल दें।  बाबा और दीदी भी बाहर ही रहेंगे उस समय बड़ा जबर्दस्त समय है बीमार पड़ने के लिये।

शर्मा जी भड़क गये-   आपको शर्म नही आती ऐसी बातें करते हुये।  हमने कहा-  शर्मा जी,  शर्मा शर्मा के हम अब बेशरम हो गये हैं। किस किस चीज पर शर्माएं घोटालो पर , गरीबी पर,  संसद पर लहराते नोटो पर,  तिहाड़ मे बल खाते नेताओं पर या तुम्हारे नेताओ की चोरी के बाद सीनाजोरी पर।  यह सोच मेरी नही है भाई यह सोच बनाई गयी है,  आप लोगों के द्वारा आप अन्ना के आंदोलन को असफ़ल करने के लिये किस हद तक जा सकते हो सोच पाना भी मुश्किल है। और एक बात और सुन लो जो आवाजें आपको आज सुनाई पड़ रही हैं।  वो अन्ना के  समर्थन की नही हैं आपके असमर्थन की हैं।  देश  पिछली बेईमानियों का हिसाब नही मांग रहा है, आगे से न हो पायें इसके लिये आपके हाथ जोड़ रहा है। आप लोग  एकदम कड़े कानून के साथ खड़े हो जाओ कोई झांकेगा भी नही अन्ना के आंदोलन पर।  सरकार की असफ़लता देश को अराजकता की ओर धकेल रही है।

हम आगे कुछ कहते कि शर्मा जी ने रोका,  संविधान दिखाया और कहा-  देखो इसमे साफ़ साफ़ लिखा है हमें सिर्फ़ संसद मे कही बात सुनना है।  और केवल सांसदो के सवाल का जवाब देना है। आप खड़े चिल्लाते रहो तब तक हम अपनी प्यारी मम्मी के स्वास्थ लाभ की पूजा पूरी कर आते हैं।





इतना कह शर्मा जी निकल लिये और हम खड़े खड़े सोचते रह गये कि प्यारी मम्मी अपने साथ लोकतंत्र को भी अमेरिका ले जातीं तो दोनो की सर्जरी एक साथ हो जाती, बिल तो आखिर जनता को ही भरना है


Sunday, July 31, 2011

सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी का स्लट वाक


भाई सोहन शर्मा नुक्कड़ पर ठहाके लगा रहे थे कारण पूछने पर बोले-  "देखो तो दीपक भाजपाई के संघेरे भाईयों को, स्लट वाक याने बेशर्मी मोर्चा का विरोध कर रहे हैं। अरे भाई, कोई कैसे भी कपड़े पहने इनको क्या आपत्ति है।  कम कपड़े पहनने का यह मतलब थोड़े ही है कि लड़की आप को बुला रही है, कि आओ बलात्कार करो । हमने सर हिलाया- बड़े उच्च विचार हैं आपके, वैसे शर्मा जी सोना-चांदी, पैसा कहां रखते हो। शर्मा जी बोले - लाकर में या  अलमारी के सेफ़ में और आदमी कहां रखेगा ?  हमने कहा घर के बाहर शोकेस बनवा दो आते-जाते लोग आपकी संपत्ति की, गहनों की तारीफ़ करेंगे, मुहल्ले में आपकी इज्जत बढ़ेगी, मान बढ़ेगा

शर्मा जी बोले- दिमाग खराब हो गया है क्या, जिस चोर की निगाह पड़ी वही लूट लेगा, कौन शोकेस की चौकीदारी करता फ़िरेगा दिन भर। हमने कहा यही बात महिलाओं पर लागू नहीं होती क्या ? जिन कपड़ों से बलात्कारियों की नजर मे चढ़ो , उसको पहनने का फ़ायदा क्या, खास कर उन लड़कियों को जो परिवार से दूर रहती हों या असुरक्षित जगहों पर जाती हों । चोर और बलात्कारी तो आसान और बढ़िया शिकार खोजते हैं , क्या वे स्ल्ट वाक को देख अपनी हरकते बंद कर देंगे। सुंदर लड़कियों को कम कपड़ों में देख आप जैसा अच्छा इंसान तो मन मसोस कर रह जाता है कि लड़की के घर वाले पीटेंगे, पुलिस वाले पीटेंगे और सबसे बड़ी बात बीबी पीटेगी ।

शर्मा जी ने सर हिलाया पीट तो बीबियां वैसे भी लेती हैं भाई पर छोड़ के चले जायेगी उसका क्या। शर्माइन को भले मुझमें लाख बुराईयां और अपने में लाख अच्छाईयां नजर आये, शादी के इतने सालों बाद, मन भी नहीं लगता उनके बिना । हमने शर्मा जी को टोका - ओ भाई होश में आओ, कहां श्रीमती के प्यार में खो गये अभी घर पहुंचते ही भाभी चार काम बतायेंगी तो तुम्हारा प्यार का नशा हिरण हो जायेगा। अभी बात बेशर्मी मोर्चा की करना है , क्या विचार बनाया आपने। शर्मा जी ने स्टैंड बदला - मैं सहमत हूं कि बेशर्मी मोर्चा का विरोध होना चाहिये ।

अब शर्मा जी से हमने कहा तुरंत दिल्ली जाओ , अपनी सोणी मम्मी, राउल बाबा और उनके चालीस चोरों का जो रोजाना स्लट वाक हो रहा है उसे बंद कराओ। शर्मा जी भड़क गये-  कहां की बात कहां पहुंचा दी, क्या हमारी पार्टी के लोग कम कपड़े पहनते हैं। हमने कहा-  भ्रष्टाचार का नंगा नाच हो रहा है लाखों करोड़ रूपये लूटे जा रहे हैं, उसके बाद आलम यह है कि व्यवस्था में सुधार करने आंदोलन करो तो आधी रात में आंदोलनकारियों पर हमला कर उनका दमन कर देते हो। भाई मेरे बेशर्मी केवल कपड़ों में नहीं होती हरकतों में भी होती है, आप लोगों को शर्म नहीं आती क्या

शर्मा जी रोज भ्रष्टाचार पर गालियां खाते थोड़े बेशर्म हो चुके थे कहने लगे-  कल सुना नहीं श्रद्धेय मन्नू जी क्या कह रहे थे, विपक्ष के बहुत से 'शर्मिंदगी भरे राज' हैं। भाई जब सभी लोग बेशर्मी मोर्चा निकाल रहे हों , कम कपड़े पहने हों , तब काहे की शर्म । हमाम में सभी नंगे हों तो एक को नंगा कहना मूर्खता है या नहीं । बेशर्मी मोर्चा ही सही तुम लोग दुखाते रहो अपना पेट । क्यों सुने जनता की आवाज, क्या लिखा है संविधान मे निर्णय और कानून संसद बनायेगी और इस पर चर्चा वहीं होगी । जब चुनाव आयेगा तब तुम लोग वोट देना, दोगे किसको हममे से किसी एक को ही न जो आयेगा वो बेशर्मी मोर्चा निकालेगा चिल्लाते रहो । धरना देते रहो जब लगेगा मामला हाथ से बाहर जा रहा है, तो गांधी का देश है तुम अहिंसा अपनाना हम हिंसा अपनायेंगे । आजादी मे क्या हुआ ! सत्ता का हस्तांतरण हमे अंग्रेजो ने अपना काम सौपा । वही तो कर रहे हैं जैसे उन्होने लूटा अब हम लूट रहे हैं

हम भड़के शर्मा जी गलतफ़हमी है आपको, कि लोकतंत्र की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त नही हो सकती ।  दुख की बात तो यह है कि जब दुर्घटना होगी तो भी भुगतना जनता को ही पड़ेगा । भ्रष्टाचार का शौक फ़रमाना बंद करो और मजबूत लोकपाल बिल लेकर आओ । वरना एलिया साहब की ये पंक्तिया कहनी पड़ेंगी "कि शौक मे कुछ न गया , शौके जिंदगी गयी "।

शर्मा जी ठहाके लगाने लगे बोले अरे ओ क्रांतीकारी जुटा कुछ जानकारी वरना अकेले जूते खायेगा । बेटा मीडिया हमारी पुलिस हमारी और तुम लोग भारत के आम आदमी। अभी अल्लाह ओ अकबर और हर हर महादेव के नारे लगवा दूंगा तो आपस मे लड़ते नजर आओगे । लोकपाल जोकपाल सब किनारे लग जायेगा। इतना कह शर्मा जी पलटे और "कि भईया, आल इज वेल" का गाना गाते हुये संसद की ओर रवाना हो गये।

और अपने राम रह गये नुक्कड़ में सर खुजाते शर्मा जी के इस तर्क का हमारे पास कोई जवाब न था।

Saturday, July 30, 2011

अन्ना हजारे को सत्ता सुंदरी का प्रेम पत्र

मेरे प्यारे अन्ना

मुझे पता है कि इस  पत्र का शीर्षक देख कई लोग इसे इश्क का चटखारा लेने पढ़ेंगे । आज के संक्रमण काल मे भी इन पापियों को इश्क मुहब्बत ही सूझ रहा है , पिता तुल्य इंसान से एक स्त्री के प्रेम को ये लोग क्या समझेंगे । जैसे जैसे सोलह अगस्त की तारीख नजदीक आती जा रही है, हमारे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही हैं । हम रोज भगवान से अल्लाह से जीसस से यह प्रार्थना करते हैं , कि वह आपके आंदोलन को सफ़ल बनाये । ऐसी ही प्रार्थना हमने   बाबा के लिये भी की थी । उनको पत्र लिख समझाया भी था पर वो नही माने । जाकर चिपक गये भाजपा से । साफ़ मना किया था हमने कि भाजपा अकेली नही आयेगी उसके साथ भ्रष्ट नेता और उनके दाग भी आयेंगे । भाजपा के आने से अल्पसंख्यक आंदोलन से अलग हो जायेंगे । पर वो मानना छोड़ आंखे मटका मटका कर कहने लगे हमको चूहे खाने वाली बिल्ली चाहिये । मिल गई बिल्ली , उड़ गयी गिल्ली अब हो रही है खिल्ली । ब्वायफ़्रेंड सीबीआई के हत्थे चढ़ा वो अलग


खैर आप इन सब फ़ंदो मे नही फ़सेंगे ऐसी मेरी आशा है । प्यारे अन्ना हम सब सत्ता सुंदरिया बेहद दुखी हैं हमारे पिता लोकतंत्र ने जिस भी नेता अफ़सर को हमारा हाथ दिया नही ,  कि वो ही हमे नोचने खसोटने मे मशगूल हो जाता है । हमारे स्वास्थ की हमारे एक अरब बच्चो की उन्हे कोई परवाह न रहती है । अब तो हद ही पार हो गयी है , जब से हमारे पिता ने हमें इस कपटी खांग्रेस के हाथो सौपा है । तब से ये और सोनी सास ने सारी हदे पार कर दी हैं । हमारे मायके को लूट लूट कर दूसरी सुंदरियों के बच्चो के नाम विदेश भेज रहे हैं दामाद भी पीछे नही है उसका भी स्विस बैंक मे एकाउंट है। हम करें तो करें क्या भारत मे तो किसी आम महिला को उसका पति उंची आवाज मे बात भी कर ले , तो वह महिला थाने पहुंच जाती है । पर हमारे लिये ऐसा कॊई कानून नही , आप जल्द से जल्द हर शहर मे लोकपाल थाना खुलवा दीजिये , दहेज विरॊधी कानून जैसा सख्त कानून बनवा दीजिये तो हमे सता रहे लूट रहे सारे पति तिहाड़ मे नजर आयेंगे । और जो नये पति मिलेंगे वो आज कल के पतियो की तरह दब्बू रहेंगे । थोड़ा दायें बायें हुये नही की सीधा लोकपाल थाना के दरोगा डंडा पड़ा नही



प्यारे अन्ना कुछ चेतावनियां आपको भी दे रहीं हूं । ये मीडियासुर बड़ा अजीब सा राक्षस है पता नही किस पल पाला बदल लेता है । इसकी शक्तियां अथाह हैं , इसके सैकड़ो सैनिक पल पल आपके और आपके साथियों के आस पास मंडराते रहेंगे । अपना मनचाहा जवाब पाने के लिये तरह तरह के फ़ंदे बिछायेंगे । और मनचाही बाईट मिल गयी तो आपकी छवि को तोड़ने मरोड़ने मे कोई कसर न छोड़ेंगे । इनसे बहुत ही सतर्क और सावधान रहना । हर्ष की बात यह है कि इंटरनेट नाम का नया अवतार दिन रात आपकी विजय के लिये काम कर रहा है । पर फ़िर भी मीडियासुर को पास रख भी उनसे कुछ दूरी बनाने मे ही लाभ होगा ।


इस कपटी खांग्रेस से सावधान करने की तो बात ही बेमानी है , यह तो पूरा दम ही लगा देगी । सावधान उन नेताओं से रहने की जरूरत है जो विपक्ष मे बैठे हैं । जिनके हाथ और मुह दोनो ही काले हैं क्योंकि वे और ये खांग्रेस हम प्याले और हम निवाले हैं । ये आपके आंदोलन की लहर मे सवार हो सत्ता सीन होने मे कोई असर न छोड़ेंगे । इनमे से जो भी बिल को पूर्ण समर्थन न दे वह भी खांग्रेस सा ही दुश्मन है,  यह जान लेना , मीठी बातों के फ़ेर मे न आना । मुह मे इनके राम तो है ही बगल मे छुरी भी हो सकती है ।

और आखिरी सावधानी अपने उन समर्थको  से रखना , जो अल्लाह ओ अकबर और हर हर महादेव का नारा लगा देश मे जहर घोलना चाहते हैं । ऐसे किसी समर्थक से दूरी बनाये मे ही  भलाई है । और आपके उन समर्थको को भी मै चेतावनी दे देना चाहती हूं जो बेडरूम मे बैठ आपको सफ़ल होते  देखना चाहते हैं । आजादी के आंदोलन की तरह , जब इस आंदोलन के स्वयंसेवको को जब पेशंन और उनके बच्चो को नौकरी मे आरक्षण दूंगी तब रोते गाते मेरे पास न आये । लोकपाल बन जाने से पिछले आंदोलन की तरह इस बार फ़र्जी लोगो को प्रमाण पत्र नही मिलेगा  ।




आपकी पुत्री

सत्ता सुंदरी


पुनःश्च

प्यारे अन्ना और किसी भी बात पर समझौता कर लेना पर लोकपाल के चुनाव मे कोई समझौता नही करना वरना दरोगा ही रिश्वत खोर हो गया फ़िर हम अबलाओं को कौन बचायेगा ।

Sunday, July 24, 2011

जिन्हे नाज था हिंद पर वो कहां है

आसिफ़ भाई नुक्कड़ के एक कोने मे गुमसुम उदास से बैठे थे सामने से एक के बाद एक सुंदरियां गुजरती जा रही थी पर नजरें जमीन की जमीन पर ।  कारण पूछा तो डबडबाई आंखो से देख पूछने लगे जिन्हे नाज है हिंद पर वो कहां है..... भाई किसकी नजर लग गयी हमारे मुल्क को । हमने सिर खुजाया फ़िर पूछा मियां नाज है वो लोग कहां है या नाज करने लायक हिंद कहां है । सवाल तो एक ही है और जवाब बेहद पेचीदा मिया तुम भी खामखां शोकसभा लेकर बैठ गये भाई । यहां खाओ खुजाओ बत्ती बुझाओ का देश है । मन खराब हो तो नेता है हीं गाली देने को  प्रसन्न हो तो अधिकारी  है ही  पैसा पहुंचाओ काम करवाओ । लेकिन आसिफ़ भाई पर हमारी दिलबहलाउ बातों का असर न पड़ा रहे उदास के उदास तभी शर्मा कांग्रेसी और दीपक भाजपायी एक ही गाड़ी मे शोले के जय वीरू टाईप गाना गाते आ रहे थे ।

ये दुश्मनी हम नही भूलेंगे ।
भूळेंगे सब मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे ॥

तेरी जीत मेरी हार ।
मेरी जीत तेरी हार  ॥

साथ मिलकर खायेंगे ।
हिंदू मुस्लिम चिल्लायेंगे  ॥

सामने हो तकरार ।
बना रहे अपना प्यार ................

गाड़ी आकर रुकी दोनो को  आसिफ़ भाई का दुख बताया गया । सुनते ही दोनो छिटक कर दूर  हो गये पर दावा एक सा किया हमे नाज है हिंद पर। हमने कहा भाई तुम लोग तो खा रहे हो मौज उड़ा रहे हो तुमको तो इस हिंद पर नाज होगा ही वो हिंद कहां है जिस पर आम आदमी नाज कर सके । इस पर  दीपक भाजपाई को गुजरात एमपी  याद आया वहीं शर्मा कांग्रेसी को हरियाणा आंध्रा । हमने पूछा दोनो का हिंद कहां है। दीपक भाजपाई  बोले भाई ये सुनो कि कहां नही है यूपी मे नही है शर्मा जी ने भी हामी भरी । हमने कहा  जहा हिंद है वही तुम दोनो को हिंद नजर नही आ रहा है । दोनो के दोनो पिल पड़े आपको यूपी मे हिंद नजर आ रहा है आंख के अंधे नाम नयनसुख ।

हमने कहा हां भाई   दलित की बेटी आज यूपी की मुख्यमंत्री है भारत के संविधान की इससे बड़ी क्या उपल्ब्धी होगी।  दोनो ने प्रतिकार किया  हमारे यहां दलित नेता नही है क्या । हमने कहा भाई दलितो नेताओं का फ़ोटो दिखा दिखा कर तुम लोग राज करते आये हो  खाली फ़ोकट होशियारी मत दिखाओ । दोनो भड़क गये आपको यूपी का भ्रष्टाचार नजर नही आ रहा । हमने कहा बिल्कुल आ रहा है आप ही की विरासत है निभा रही है  जनता तो चाहती यही है कि नेता खायें मतभेद बस इसमे हैं कि कौन न खाये मुसलमान कहते हैं भाजपा न खाये , हिंदू कहते हैं कि कांग्रेस न खाये , हम कहते है कि खाना ही है तो दलित की बेटी क्यो न खाये  ।

शर्मा जी ने कहा बलात्कार के बारे मे क्या कहना है । दवे जी हमने कहा भाई करोड़ो की आबादी मे पांच सात बलात्कार की घटना हो जाये तो ये कोई बहुत भयावह स्थिती नही है । तुम लोग आज देश के साथ जो कर रहे हो वो बलात्कार से क्या कुछ कम है  । रक्षा सौदे   शहीदो की विधवाओ बच्चो के नाम तक मे पैसा खा रहे हो आरोप लगाओ तो एक दूसरे का नाम लगाते हो  ।   तुम पर उंगलिया उठने लगी तो मायावती के उपर नीतिश कुमार के उपर  भ्रष्टाचार की खबरे तमाम चैनलो मे आने लगी । और होगा क्यों नही भ्रष्टाचार जब नियम कायदे इतने ढीले हैं जिसको मर्जी जमीन दे दो जिसको मर्जी ठेका । खरीदी तो बाये हाथ का खेल है  देश का बच्चा बच्चा जानता है कि तुम खा रहे हो । समस्या यह है कि तुम दोनो का विकल्प नही है देश के पास ।
ऐसे मे देश करे क्या कानून कड़े करना ही होंगे लोकपाल बिल पास कराना ही होगा । शर्मा कांग्रेसी भड़क गये बोले  बेटा अन्ना पन्ना भूल जाओ हमारा एहसान मानो जैसा बिल पास हों रहा है  उस पर खैरियत मनाओ । वरना भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भिनभिनाते मच्छरो को भगाने के लिये हमे नुक्कड़ पर संप्रदायिकता का कीटनाशक छिड़कना ही होगा । ऐसा कह शर्मा जी ने अपनी बाईक स्टार्ट की दीपक भाजपाई को बैठाया और फ़िर दोनो  गाते हुये निकल पड़े ।


इतना सुनते ही आसिफ़ भाई का दिल फ़िर बैठ गया  हमने कहा भाई निराश होने की जरूरत नही है सामने अन्ना का आंदोलन है एक बार अनशन शुरू होने दो फ़िर इन सभी को नानी याद आ जायेगी अभी केवल कलमाड़ी को भूलने की बीमारी हुयी है जनता के जूते पड़ेंगे तो ये सभी इसी बिमारी का शिकार होने वाले हैं भूळ जायेंगे अकड़ बेईमानी कपट और भ्रष्टाचार और आसिफ़ भाई अपने शर्मा जी अपनी नयी पड़ोसन को भी भूलने को मजबूर हो जायेंगे भले उनको याद रहे पर अदालत मे अपने घोटाले  कारगुजारी भूलने का नाटक करने वाले शर्मा जी हमारे सामने कैसे याददाश्त  रख पायेंगे  ।


इतना सुनते ही आसिफ़ भाई तो प्रसन्न हो गये मित्रो पर अभी हम लोगो के सामने एक आंदोलन खड़ा है । यही एक मौका है जब हम इस भ्रष्ट व्यवस्था मे सुधार कर सकते हैं । बाबा रामदेव का आंदोलन तो  इन नेताओं की चाल का शिकार हो चुका है । अन्ना अभी तक इनकी तमाम चालो से बचे हुये हैं ऐसे मे हमे संप्रदायिकता के कीटनाशक से दूर रहकर इस आंदोलन को मजबूत करना ही होगा




Friday, July 22, 2011

डंडे की तमन्ना है कि अन्ना मुझे मिल जाये

नुक्कड़ पर भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी फ़िल्म थ्री ईडियट की तर्ज पर अपने दो मित्रो के साथ पोंद मटकाते हुये अश्लील नृत्य करते हुये आल इज वेल गाना गा रहे थे । पोंद शब्द की जगह  कूल्हे जैसे थोड़े सम्मानीय शब्द का भी इस्तेमाल हो सकता था पर शर्मा जी के हावभाव ऐसे कुटिल थे  कि क्या कहूं । इस नृत्य  मे उनके साथियो का नाम लिखना भी उचित न होगा आज कल बिना मान वाले भी मानहानी का दावा कर देते हैं । पर अपनी सुविधा से आप उन मित्रो की जगह मन्नू उर्फ़ SMS, कुटिल उर्फ़ सब्बल, दिग्गी उर्फ़ हटेला,  या इन सबकी प्यारी सोणी मम्मी का नाम रख सकते हैं । खैर साहब यह देख हमसे रहा न गया हमने तत्काल प्रतिवाद किया भाई आल इज नाट वेल चहुं ओर भ्रष्टाचार है। कल तिहाड़ का जेलर भी हमसे मिलने आया था कह रहा था कि दवे जी तिहाड़ के बाकी कैदियों को मे इन नेताओ से कैसे बचाउं कही हवा लग गयी तो देश चलाने के जैसे जेल चलाना मुश्किल हो जायेगा । मेरे पास मम्मी टाईप बली का बकरा बनाने के लिये गूंगा जेलर बनाने की सुविधा भी नही है

शर्मा जी ठठा कर हसें कहने लगे दवे जी क्यों मनगढ़ंत आरोप लगाते हो है कोई सबूत और होगा भी तो पहले वो जेलर ही अंदर जायेगा झूठ कहता है देख लेंगे निपटा देंगे उसको । हमने कही चलो भाई जेलर कि न मानो पर अन्ना की तो सुनोगे ताल ठोक कर कह रहे हैं कि देश भ्रष्टाचार के कारण रसातल मे जा रहा है । लोकपाल बिल लाये बिना मामला ठीक होगा नही और सरकार जो है जोकपाल बिल लाना चाहती है । इतना सुनते ही शर्मा जी के दिल से लय फ़ूट पड़ी  " डंडे की तमन्ना है कि अन्ना मुझे मिल जाये " शर्मा जी मुस्कुराते हुये कहने लगे आ तो जाये ये अन्ना जंतर मंतर सारा नेतागिरी भुला दिया जायेगा फ़िर  बोले तुम्हारा ये अन्ना सुप्रीमकोर्ट क्यों गया है इसको डंडे से डर क्यों लगता है भाई गांधी जी तो कभी नही डरे असली गांधीवादी होता तो कभी न डरता ।

हमने कहा भाई चालू राम चलपुर्जे सारी होशियारी का ठेका तुमको ही नही मिला हुआ अन्ना महाराष्ट्र के कई होशियार नेताओ को पहले ही निपटा चुके हैं । वो जानते हैं कि तुम लोग साम दाम दंड भेद सब लगाओगे उनको अनशन से रोकने के लिये इसी लिये सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं कि तुम लोग बाबा रामदेव के जैसे उनके आंदोलन को कुचल न पाओ । और शर्मा जी ये जो तुम्हारी मक्कारी है सब लोग देख रहे हैं जनता मूर्ख नही है सब जान रही है । संभल जाओ नही तो देश मे मिस्र जैसे हालात बन जायेंगे तो बेटा नानी याद आ जायेगा अभी भी समय है मक्कारी छोड़ समझदारी से काम लो हवा के रूख को पहचानो और अन्ना का कहना मानो इसी मे सार है । शर्मा जी सुधरने वालो मे से कहां थे कहने लगे किस अन्ना की बात करते हो इसका एनजीओ भ्रष्टाचार मे लिप्त है इसके वकील भ्रष्ट हैं । ये लोग सिविल सोसाईटी कहलाने का हक ही नही रखते भाई सिविल मतलब मिलजुल कर रहने वाला । मिलते जुलते कहां है ये लोग मिलजुल कर रहते तो अनशनियाने का नौबत आता क्या

तभी आसिफ़ भाई पीछे से डंडा निकाल लाये कहने लगे दवे जी बातचीत का समय गया अब इन लो्गो को पीट पीट कर बताते हैं कि आल इज नाट वेल तभी लाईन मे आयेंगे हमने बड़ी मुश्किल से रोका समझाया भाई करोड़ो रूपया घूस खिलाने के बाद एक बड़ा नेता तैयार होता है काहे आप राष्ट्रीय संपत्ती का नुकसान करने पर तुले हो गांधी का देश है भाई  सारी सेना पुलिस इन्ही के नियंत्रण मे है रक्तपात के अलावा कुछ न होगा ।

खैर साहब शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी आज भी नुक्कड़ पर अपने मित्रो के साथ मक्कारी भरे अंदाज मे आल इज वेल गा रहे हैं और और आसिफ़ भाई जैसे लोग गुस्से मे दांत पीस रहे हैं । अब विचार आपको करना है कि अन्ना के आंदोलन का समर्थन करना है कि नही और समर्थन करना है तो घर बैठ कर करना है कि धरना स्थल पर पहुंच कर

Friday, July 8, 2011

मनमोहन भाग भाग .बोस डी.के.बोस डी.के.बोस

नुक्कड़ से एक बच्चा  SMS बोस डी.के.  बोस डी.के. बोस डी.के. गाता हुआ चला जा रहा था ।  नुक्कड़ में हंगामा मच गया, लोग लोट पोट होने लगे। भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी  अचकचा गये, बोले-" ये SMS कौन है।"  एक ने कमेंटिया दिया- "शर्मा जी पीएसपीओ के जैसे  SMS भी नही जानते।" इतना सुनते ही हंगामा और बढ़ गया । दुखी हो शर्मा जी हमसे  बोले- "दवे जी प्रधानमम्मी की कसम है, "SMS" का मतलब बताओ। हमने कहा- "बात ऐसी है भाई शर्मा जी। मन्नू मोहन सिंग को नौजवानो की मोबाईली भाषा में "SMS" कहा जाता है। बात समझते ही शर्मा जी आपे के बाहर हो गये, बोले- "हमारे आदरणीय मन्नू का ये अपमान नही सहेगा हिंदुस्तान। अभी पीटता हूं उस बच्चे को, सारी अकल ठिकाने आ जायेगी।"

 हमने समझाया - " भाई पीटना है, तो खुद को पीटो। आज देश के बच्चे बच्चे के मुंह में यह गाना समा रहा है। आपका  सेंसर बोर्ड पैसे खाकर अश्लील गाने हो या दृश्य पास कर देता हैं।" जब बच्चे मित्रो, पड़ोसियों और गुरुओं के नाम के साथ यह गाना जोड़ गुनगुनाया रहे हैं। तो कैग के कहे अनुसार भ्रष्टाचारी मन्नू के साथ क्यों नही जोड़ा जा सकता।" शर्मा जी  भड़क गये। बोले-  "शर्म नही आती इनको, इतने ईमानदार आदमी को भ्रष्ट बोलते है।" हमने कहा -"भाई शर्मा जी, ये बताओ मन्नू तो अर्थशास्त्री है। कोई ऐरा गैरा होता, आपकी प्यारी प्रधानमम्मी भी होती। तो हम मान लेते चलो भाई, नही समझ आया होगा दूसरे खेल कर गये । यह तो विराट अनुभव वाला आदमी है। फ़िर ऐसा कैसे हो सकता है कि इसको खेल समझ में नही आया होगा। वो भी छोटा मोटा नहीं लाखों करोड़ का।  2G लाइसेंस रद्द हुआ कि नही बाकी मामला भी  पाईपलाईन में है ही।  लोग  भ्रष्टाचार करते रहे और ये टुकूर टुकूर देखता रहा ।"

 मियां शर्मा जी ये  गरमा गरम शायरी सुनो

वाह रे तेरी कातिल इमादारी  ।
पड़ गयी पूरे देश को भारी ॥

कैसा अर्थशास्त्री चुने थे भाई ।
न रोक सका काली कमाई ॥

अभी तक तो दूसरो ने मुंह किया था काला ।
आ गया अब कोयला घोटाला ॥

जिसमे कोई और नही था संत्री ।
उस विभाग का मन्नू ही था मंत्री ॥


इतना सुनते ही शर्मा जी मरी सी आवाज में बोले- "आप लोग समझते नही हो। यह सब तो आम आदमी को लाभ पहुंचाने के लिये सस्ती कीमत पर कोयला बाटा गया है।" हमने कहा - "टोपी मत पहनाओ  शर्मा जी समझ लो,  SMS उर्फ़ सरदार मनमोहन सिंग और तुम सभी का MMS बनने वाला है पार्टी छोड़ कट लो इसी मे भलाई है ।"

इतना सुनते ही साहब शर्मा जी को अचानक घर का काम याद आ गया और  हम सोचते रह गये कि भाई इस मन्नू  को घर का काम कब याद आयेगा ।

Wednesday, July 6, 2011

कुटिल सब्बल बाबू बिल नही है ये हमारा दिल है देखो देखो----- टूटे ना

नुक्कड़ पर आते ही भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने घोषणा कर दी मानसून सत्र मे बिल पेश हो  जायेगा । हमने कही भाई कांग्रेसी वो जमाना गया कि एक बहन को दिखा दूसरी से शादी कर देते थे आज कल लड़का लड़की एक दूसरे से मिलते जुलते है देखते समझते है तब शादी होती है । लड़की याने लोकपाल बिल दिखाओ फ़िर हम मानेंगे । शर्मा जी कुछ कहते की इससे पहले दीपक भाजपाई कूद पड़े कहने लगे हम भी तो यही कह रहे है ये दिखाते कहां है । हमने उनको फ़टकार लगाई हे देश की आखिरी उम्मीद पहले नारा लगाओ "सौगंध राम की खाते हैं बिल वही लायेंगे " और ये नारा लगाने से पहले सोच लेना फ़िर हम क्या खायेंगे नरेन्द्र मोदी जैसे जीवन कैसे बितायेंगे

इतने मे शर्मा जी ने घोषणा कर दी अन्ना का लोकपाल देश के लिये खतरा है । पूरा नुक्कड़ चौक गया किसी ने पूछा वो कैसे भाई क्या उसमे आतंकवादियो को छोड़ने का प्रावधान है या देश की सेना को भंग करने की बात है । शर्मा जी ने कहा भाई यही सब बताने आज मै कुटिल बाबू को साथ लाया हूं । तभी आसिफ़ भाई बोल उठे सही जा रहे हो शर्मा जी चोरो को अच्छा वकील करना ही चाहिये इनके जैसा ।

कुटिल बाबू बोल पड़े भाईयो अन्ना का लोकपाल  न्यायाधीशो को दायरे मे लाता है ऐसे मे जिसके खिलाफ़ फ़ैसला होगा वही लोकपाल के पास पहुंच जायेगा । जज फ़ैसला करने मे हिचकिचायेंगे लोकपाल के वकील से  डरेंगे । मैने कहा कुटिल बाबू  भ्रष्टाचार की जांच मे तो कोई दिक्कत इमानदार को है ही नही आज की तारीख मे अदालतो का जो हश्र है उसे  आप भी जानते हो।  नरसिम्हा राव से लेकर कितनो को आपने पैसे के दम से बचाया है कि नही । बात फ़ैसले की तो वैसे भी नही है निचली अदालत के फ़ैसले के विरूद्ध तो हर रोज उपरी अदालत मे अपील होती है और लोकपाल मे सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को बदलने की शक्ति का प्रावधान तो है ही नही ।

कुटिल बाबू ने फ़िर बात मोड़ी कहने लगे केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अन्ना इसके दायरे मे लाना चाहते हैं। वे तो लोक सेवा आयोग के अधीन  है  इसके लिये संविधान मे संशोधन करना होगा । फ़िर अधिकारी सरकार के आदेशो को मानने मे लोकपाल का हवाला दे कर मानने से इन्कार कर देंगे । और आपस मे एक दूसरे की शिकायत करेंगे । मैने कहा भाई यह बताओ क्या ये अधिकारी किसी के दायरे मे हैं आज तक जांच भी एक दूसरे की करते हैं । अगर तंत्र सही काम करता होता तो ये लोकपाल की नौबत ही क्यों आती और अधिकारी लोकपाल के दायरे मे रहे या लोकसेवा आयोग के आपके पेट मे क्यो दर्द हो रहा है ।  दर्द तो तभी हो जब आप अधिकारियो से गलत काम कराना चाहो और वह लोक पाल के डर से न करे । आपकी पार्टी तो इमानदारी की मूर्ती है आपको क्या दिक्कत ।

अब आप प्रधानमंत्री को लाने से मना करोगे आपके अनुसार सच्चर जी ने कहा कि जब हमारे इतिहास मे प्रधानमंत्री से लेकर जज तक सभी चोर निकल चुके है तो क्या गारंटी है कि लोकपाल भी ऐसा नही निकलेगा । कुटिल जी ने तुरंत सर हिलाया सही कहा ऐसा स्वतंत्र और नापाक इरादो वाला लोकपाल पूरे तंत्र को अस्थिर कर सकता है । तभी आसिफ़ भाई ने अपनी राय रखी बोले कुटिल बाबू जब उपर से नीचे तक नापाक इरादे वाले नेता से लेकर चपरासी तक अपना काम करते हुये तंत्र को अस्थिर नही कर सके तो महज जांच का डर दिखा लोकपाल क्या कर लेगा । लोकपाल रहेगा तो प्रधान मंत्री भी उल्टे काम करने से पहले सौ बार सोचेगा । कुटिल बाबू ऐसा सिस्टम सोचो जिसमे ऐसा आदमी लोकपाल बन ही न पाये और गलती से बन भी जाये तो सरकार से लेकर आम आदमी तक जो चाहे लोकपाल की शिकायत सुप्रीं कोर्ट से कर सके । पर आप तो लोकपाल को जनता के प्रति जवाबदेह रखना ही नही चाहते हो 

कुटिल बाबू तैश मे आ गये तो अब आप लोग चाहेंगे कि सांसदो का व्यहवार भी दायरे मे आ जाये माने जनता की आवाज  भी लोकपाल के दायरे मे हो । मै हसते हुये बोला अरे कुटिल बाबू सांसद अपने क्षेत्र की समस्या पर बात करेगा देश की समस्या पर बात करेगा राज्य की समस्या पर बात करेगा तो कौन लोकपाल उसको चबा सकता है । आरोप तो तभी लग सकते है ना जब वो पैसा खाकर वोट दे पैसा खाकर सवाल उठाये और लोकपाल को जांच करना भी हो तो जब आपने पैसा खाया ही नही तो आपको डर कैसा ।

कुटिल बाबू बोले उसके लिये तो एथिक्स कमेटी है ही संसद की सर्व शक्तीमान फ़िर लोकपाल क्यों क्यों वो अपना बजट खुद निर्धारित करे क्यो सीबीआई सीवीसी उसके अंडर रहे क्यो वो भ्रष्टाचारियो से पांच गुना दंड वसूली कर सके दवे जी जब हम है जनता के चुने हुये तो लोकपाल क्यॊं । मैने कहा भाई यही तो बड़ा सवाल है और इसी मे कमाल है तुम लोगो को बापू और बाबा साहब ने इतना अच्छा संविधान लोकतंत्र सौंपा था तुमने उसका मजाक बना दिया संसद को अजायबघर बना दिया न्यायालय को मजाक हद ये है कि सुप्रीमकोर्ट के पूव चीफ़जस्टिस पर खुलेआम आरोप है और वह बगले झांक रहा है ।आई ए स अफ़सर अपने मे से सबसे भ्रष्ट आदमी का यूपी मे खुलेआम चुनाव करवा चुके हैं । नेताओ के तो कहने क्या लाख दो लाख करोड़ का घोटाला सुन जनता चौंकती नही है ।

और लोकपाल को कौन सा शासन सौपने की बात हो रही है बात तो उसे भ्रष्टाचार की जांच का जिम्मा सौपने की हो रही है । भैय्ये अब रास्ता बचा क्या है इसके अलावा कि तुमसे और तुम्हारे लोकतांत्रिक सिस्टम से हट किसी नये आदमी या संस्था को लगाम कसने की जिम्मेदारी दी जाये । जब वो भी बेईमान सिद्ध होगा तो फ़िर नया जुगाड़ फ़िट किया जायेगा आखिर भारत ऐसे ही जुगाड़ो से चलता है कि नही ।

Thursday, June 30, 2011

मन्नू बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है

भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी गुनगुनाते हुये आ रहे थे मम्मी जी भी सुंदर सुंदर बाबा भी सुंदर सुंदर है । हमसे रहा नही गया  पूछ बैठे के भाई शर्मा जी संकंट काल मे चेहरे पर खुशी क्या अन्ना मान गया आपकी बात । शर्मा जी का मुंह कसैला हो गया बोले यार दवे जी किसी की खुशी आपसे देखी नही जाती ।भाई अपना मन्नू बोलने लगा है अब अपनी सारी सफ़ाई वही खुद देगा॥ कांग्रेस पार्टी खामखा बदनाम हो रही थी सरकार गठबंधन की और नाम हमारा खराब वैसे भी मन्नू से बड़ा ईमानदार तो कोई है ही नही ।

मैने बीच मे बात काटी  ये बोलना भी कोई बोलना है मन्नू पांच चमचे बुलाये जो पूरे समय बंद कमरे मे दुम हिला रहे थे । क्या कहते है मै कमजोर नही हूं मुझे सोनिया मम्मी का पूरा विश्वास प्राप्त है रै  भाई अपनो से ही कहना था तो  जनता के विश्वास के बारे मे भी झूठ कह देता कि वह भी पूरा प्राप्त है । और  शर्मा जी ये मन्नू के विग्यापन पाउ चमचे क्या कहते है बाहर आकर मन्नू की बाडी लैगुएज अच्छी थी कान्फ़िडेंट दिख रहे थे । अरे भाई अगर मन्नू महिला होता तो क्या कहते मन्नू की बाडी की बात करते ही पिटने की नौबत आ जाती

शर्मा जी ने बात पलटी कहने लगे विपक्ष सहयोग नही कर रहा मन्नू का हमने कहा क्या शर्मा जी कुछ भी आरोप लगाते हो भ्रष्टाचार कर तो रहे हैं बेचारे अपने अपने राज्यो मे । राजा दो लाख करोड़ खा गया मन्नू टुकूर टूकूर ताकते रह गये फ़िर भी कोई नही कह पा रहा कि मन्नू भी या तो शामिल था या नाकारा है । और कैसा सहयोग चाहिये अब आपकी सरकार मे विपक्ष तो पैसा नही खा सकता न । शर्मा जी ने तत्काल विरोध दर्ज किया कहने लगे गठबंधन धर्म की मजबूरी भी होती है मैने पूछा इसका मतलब  बड़े अर्थशास्त्री है समझबूझ कर खाने का अवसर दिया था क्या । शर्मा मे फ़िर प्रतिवाद किया बोले भाई अगर मन्नू अपने मंत्रियो  पर भरोसा न करे तो सरकार चले कैसे मैने तत्काल शर्मा जी को सामने और मन्नू को मन ही मन प्रणाम किया और कहा कि मतलब आप लोग स्वीकार करते हो कि मंत्रियो ने मन्नू के और मन्नू भाई ने हमारे भरोसे को तोड़ विश्च्वास घात किया है
शर्मा अब लोकपाल की बात कहने लगे कि मन्नू को उसके दायरे मे आने मे कोई दिक्कत नही हमने कहा दिक्कत क्या होगी थामस टाईप अपना कॊई चमचा बैठा लेंगे देश भी खुश मन्नू भी खुश । शर्मा जी ने सफ़ाई दी बोले मन्नू को भी मजबूत लोकपाल चाहिये हमने कहा भाई कि क्या लोकपाल को कुश्ती लड़नी है कि दारा सिंग चाहिये । कड़े सिस्टम को तो मन्नू चाहे भी तो तुम लोग बनने नही दोगे बाकी बात बेमानी है । और ये मन्नू तो निरा गधा है प्रधान बन गया पेंशन मिलनी ही है क्यो नही भाग निकलता बीमारी का बहाना बना कर इसको कौन सा अपना राजवंश चलाना है ।

शर्मा जी फ़िर भड़क गये कहने लगे मतलब आप जो हो देश के पांच महानतम विद्वान संपादको से ज्यादा होशियार हो जब उन लोगो को मन्नू पर फ़िर से भरोसा हो गया है तो आप को क्यो नही हो रहा । मै मुस्कुराया बोला शर्मा जी अपन भी क्या उन संपादको से कम है भाई हमको भी खिला पिला दो हम भी खुश हो जायेंगे । आज देश मे दुखी तो वही है जो बेचारा खा पी नही पा रहा और वे भी इसलिये आज अपना दुख प्रकट कर रहे है भाई कि उनको आज दो वक्त की रोटी के लाले हो गये हैं । और तुम्हारा अर्थशास्त्री मन्नू भी इसलिये बेबस है कि जो नोट उसने मंदी से बचने के लिये छपवाये थे वे सब खाने पीने वाले लोगो के पास पहुंच गये हैं । उन नोटो से बढ़ी महंगाई के कारण आम आदमी गरीब हो गया है । अब उन अतिरिक्त नोटो को मन्नू वापस लेता है तो खाने पीने वालो की जेब थोड़ी हल्की हो जायेगी पर आम आदमी की जेब पूरी खाली हो जायेगी इसिलिये मन्नू हैरान है और तुम्हारी पार्टी परेशान है ।

शर्मा जी अचकचाये ये क्या बोल गये दवे जी अपनी तो समझ मे कुछ नही आया आप तो ये बताओ कि हमको करना क्या चाहिये मै फ़िर मुस्कुराया तुमको  कुछ नही करना है भाई अब जनता करेगी बस तुम इंतजार करो की कब करती है।

Wednesday, June 22, 2011

जन धोखपाल बिल और कुटिल सिब्बल

नुक्कड़ पर बड़े दिनो से फ़जीहत झेल रहे भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी आज अपने बचाव के लिये कुटिल सिब्बल को ले पहुंचे थे आज शर्मा जी को जन धोखपाल बिल पर दो टूक जवाब देना था । पहुंचते ही कुटिल जी ने घोषणा कर दी हमारी नीयत साफ़ है और हम सभ्य समाज की ओर से पेश किये गये बिल के अधिकांश बिंदुओ से सहमत है । खाली छोटे मोटे कुछ बिंदू है जिस पर सहमति नही है । बाकी पार्टियों से चर्चा की जायेगी और बिल पास हो जायेगा ।

मैने पूछ लिया किस बात मे असहमति कुटिल जी जवाब मिला  एक तो धोखपाल कौन चुनेगा इस पर है इस पर भी इन लोग सर्च कमेटी बनाना चाहते हैं । मैने पूछा कुटिल जी क्या चोरो को अपने जज खुद चुनने की छूट होना चाहिये  जो आप लोगों को धोखपाल चुनने का अधिकार दें कुटिल जी भड़क गये किसने कहा हम चोर हैं । मैने जवाब दिया आप को तो कोई चोर साबित कैसे करे कैसे आप के कामो की जांच भी आप खुद करते हो इसीलिये तो ये जनधोखपाल का जरूरत पड़ गया

कुटिल जी ने मुद्दा बदला बोले ये लोग प्रधानमंत्री को दायरे मे रखना चाहते हैं । तभी जनता से आवाज आयी वो बेचारा तो खुद ही तैयार हैं पहले ही मम्मी से लेकर मामा लोगो के दायरे मे है नजर के सामने से राजा दो लाख करोड़ ले गया सारी ईमानदारी धरी की धरी रह गयी नाम खराब हुआ वो अलग जनधोखपाल होता तो उसका डर दिखा कम से कम रोक तो पाते । कुटिल जी तब तक नया विचार रख चुके थे बोले संसद के अंदर सांसद लोगो का व्यहवार दायरे के बाहर है । जवाब मिला ऐसा व्यहवार जिसमे कुर्सिया फ़ेकी जाती हों वोट बेशर्मी से खरीदे बेचे जाते हो नोट लहराये जाते हो जहां अध्यक्ष अपनी पार्टी का भोपू बना हो भाई यह तो नैतिकता के दायरे मे भी नही आता इस बारे मे कुछ लिखा है क्या आप के संविधान मे ?

कुटिल सिब्बल जी तुरंत भड़क गये आप हमारे महा विद्वान पूर्वजो के बनाये संविधान पर सवाल उठा रहे हो  । आप हो कौन तथाकथित सभ्य समाज कौन समर्थन करता है आपका मुठ्ठी भर लोग । फ़िर कुटिल जी ने कुटिलता भरी श्रद्धा से सिर नवाते हुये चेतावनी दी परम पूज्यनीय बाबा भीमराव अंबेडकर के संविधान पर सवाल उठाओगे तो सारा दलित समाज आंदोलित हो उठेगा उन बेचारो को तो इस तमाम लफ़ड़े के बारे मे पता ही नही है वे आप का जीना मुश्किल कर देंगे ।

इतने मे माहौल को शांत करते हुये बाजू बैठे शर्मा जी बोल पड़े प्यारे भाईयो हम आपके साथ मिल कड़े से कड़ा कानून बनायेंगे हमारी कुछ मजबूरियां भी है लोकतंत्र मे संसद ही सर्वोच्च है आप लोग तो फ़्रेम मे हो ही नही यहां सब कुछ संसद करती है । जनता मे से आसिफ़ भाई गुर्राये तुम लोगो ने लोकतंत्र को पैरो की जूती बना लिया है संसद को चोर बाजार अगर तुम ही सही होते तो  अन्ना किसको चाहिये थे फ़ालतू बात मत करो धोखपाल नही लोकपाल चाहिये । तभी कुटिल जी ने तर्क दिया भाई ये अन्ना का लोकपाल कितना महंगा है जीडीपी का एक प्रतिशत खर्चा हो जायेगा हर साल । हम केवल उंचे लेवल के अधिकारियों को ही इसके अंदर रख सकते है सभी को नही । तभी ललित शर्मा मूछो पर ताव देते बोल पड़े हां नीचे के अधिकारी कम पैसे मे ही बिक जायेंगे आम के आम गुठली के दाम और आप लोग जीडीपी का चालीस फ़ीसदी पैसा खा जाते हो उसका क्या ये लोकपाल तो समझो फ़्री मे पड़ेगा भाईयों

तभी पीछे से दीपक भाजपाई ने नारा लगाया हर हर महादेव हिंदू भाईयों इनको भगाना ही होगा  कॊई कुछ कहता कि मै उनको खींच सामने ले आया पूछा मुसलमान लोग क्यों नही भगायें । तुम लोग इस संक्रमण काल मे तमाशा मचा रहे हो वोटबैंक की राजनीति खेल रहे हो । जरा ये तो बताओ लोकपाल बिल के बारे मे क्या विचार है दीपक भाजपाई जोर से बोले हम जनलोक पाल के साथ हैं फ़िर धीरे से मन ही मन भुनभुनाये पर ये अन्ना हम को साथ ले कहा रहा है । मैने कहा अच्छा है भाई कि नही ले रहा ऐसे नारे लगाओगे तो एक दिन आयेगा हिंदू भी जान जायेंगे कि तुम लोग धर्म के नाम पर खाली वोट मांगते हो काम पूरे तुम्हारे भी कांग्रेस से कम नही सब जगह बराबर भ्रष्टाचार है । अब देश मे जागरूकता आ रही है लोगो को मोदी जैसा इमानदार और विकासवादी नेता चाहिये सुधऔर मंदिर का नारा लगाना है तो लगाओ सौगंध राम की खाते हैं मंदिर लोकपाल का बनायेंगे सुधर जाओ दीपक बाबू देश की तुम आज आखिरी उम्मीद हो निकलो इस धर्मवादी राजनीती से विकल्प बनो कांग्रेस का मोदी पर लगा दंगो का दाग हटाओ और देश को बचाओ ।

और कुटिल बाबू अब कॊई सफ़ाई मत दो जाओ और खाओ खूब कमाओ भरो पाप का घड़ा हां फ़िर बस ये न पूछना जूता क्यों पड़ा क्यों लोग सड़को पर दौड़ा कर पीट रहे हैं । और अब भी लेश मात्र अकल है तो अपनी मम्मी को ऐसा नेता बनाओ जिस के द्वारा बनाये कानून से देश मे भ्रष्टाचार समाप्त हो गया फ़िर देखना कैसे लोग उनको अम्बेडकर और गांधी  से भी ज्यादा पूजेंगे ।

और प्यारे जाते जाते यह भी याद रखना कि कही इतिहास मे मीर जाफ़र और जयचंद के साथ तुम्हारा नाम भी जुड़ न जाये ।



लोकपाल बिल पर खांग्रेस की प्रसव पीड़ा

नुक्कड़ पर खांग्रेस छटपटा रही थी उसके चेहरे मे दर्द और हाव भाव मे दबंगई साफ़ देखी जा सकती थी । उनके मुह से अपनो के लिये ठग जोकर धूर्त ढोंगी आदि शब्द धाराप्रवाह बह रह थे । हालांकि कसाब और ओसामा बिन लादेन  जैसे भूतो को वे जी आदरणीय कह पुकारती जा रही थी । उसकी इस अजीब सी हरकत से नुक्कड़ के लोग बहुत नाराज हो रहे थे । गुप्ता जी ने पू्छ लिया  भाई इसकी पीड़ा क्या है चेहरे मे दर्द होठो मे गाली और परायो को अपनाने की खामख्याली  है दवे जी मामला समझाओ बात क्या है यह बताओ ।

मैने कहा भाई ये अनचाहे गर्भ से पीड़ित हैं गर्भपात  करवा नही पा रही हैं । इसलिये खुद को गर्भवती करने वाले लोगो को गरिया रही हैं । और अपने आप गर्भपात हो जाये और उसके बाद उनकी सुंदरता मे कमी न आये इस लिये भूत पिशाचो की स्तुती कर रही हैं । आसिफ़ भाई ने सर खुजाया मिया ये क्या बड़बड़ा दिया गर्भवती किसने किया क्यों किया क्या उनकी सहमती न थी चक्कर क्या है साफ़ साफ़ कहो ।

मैने कहा भाई गर्भवती किया सिविल सोसाईटी वाले लोगो ने जबकि खांग्रेस जी का कहना था कि गर्भवती करने का अधिकार केवल संसद को है । और निश्चित ही लोकपाल बिल नामक बच्चे के पिता के नाम के कालम मे संसद का नाम ही लिखा जायेगा । अब संसद और उसके तमाम रिश्तेदार तैयार बैठे हैं कि डीएनए टेस्ट करा कर बच्चे को अस्वीकार कर दे । और येन केन प्रकारेण खांग्रेस उसे स्वीकार करा भी दे तो बच्चा तो अपने बाप पर ही जायेगा जग के सामने अपनी मां और नकली  बाप की नाक कटवायेगा । और अब तकलीफ़ यह है कि जग जान चुका है की खांग्रेस जी को सात महिने का गर्भ है । अब वो बच्चे को पैदा कर गुमनामी के अनाथालय भी नही छोड़ सकती । आप बात की बात समझो खांग्रेस जी कुलटा साबित होने के आसन्न संकंट से गुजर रही हैं । आसिफ़ भाई अभी भी उलझन मे थे बोले संसद के रहते ये सिविल सोसाईटी वालो की हिम्मत कैसे हुयी गर्भाधान कराने की यह तो अपराध है । मैने कहा मियां महाभारत से लेकर माडर्न सांईस मे प्रावधान है जब पति गर्भ धारण करने मे असफ़ल रहे या इच्छुक न हो तो गर्भ दान किया जाता है । और संसद मियां को तो पचास साल का मौका था इनसे कुछ हुआ ही नही या इन्होने ने किया ही नही । और ये खांग्रेस ने भी कुछ होना जाना नही है सोच कर फ़्लर्ट कर लिया था ।  ऐसे फ़्लर्ट तो ये नक्सलवादियो से लेकर एलटीटीई भिंडरावाले कितनो के साथ कर चुकी थी जब ऐसे आशिक गले पड़ते थे तो डंडे से मार भगा देती थी । पर सिविल सोसाईटी वाले भारी पड़ गये इश्क किया नही और गर्भवती कर दिया सो अलग । एक बाबा भी ऐसे ही गले पड़ने वाला था वो तो अच्छा हुआ कि गलत रथ मे बैठ कर आया था । रथ रुका ही नही वापस उसके गांव असली प्रेमिका  के पास छोड़ आया

आसिफ़ भाई अब मामला समझने लगे थे बोले यार इस बेचारी खांग्रेस की जान छूटेगी कैसे ये बता दो और ओसामा टाईप भूतो की सेवा से क्या होगा यह भी । मैने कहा भाई इसका समाधान प्रसव के समय बच्चे को बदलने से होगा । जिससे बदला जायेगा नाम उसका लोकपाल बिल ही होगा पर बड़ा ही आज्ञाकारी बच्चा होगा और सदैव अपने मां बाप की बात मानेगा । इस पर जानकार लोग बहुत हल्ला गुल्ला मचायेंगे असली बच्चे का बाप तो तूफ़ान खड़ा कर देगा ऐसे मे खांग्रेस को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ेगा । ऐसे मे ओसामा टाईप के भूतो को प्यार करने वाली जनता खांग्रेस के  समर्थन मे आ खड़ी होगी और वैसे भी देश की साठ प्रतिशत जनता तो इस मामले को जानती ही न होगी बेचारे दिन भर कमर तोड़ मेहनत के बाद समय मिलेगा तो ईंडिया टीवी पर मौत का तमाशा देखेंगे की अंग्रेजी चैनलो पर बड़े लोगो की बक बक सुनेंगे । चेपटी साड़ी तो वैसे भी खांग्रेस ही देती है उनको  ऐसे मे कांग्रेस का सोचना है कि जोड़ तोड़ कर वह इस मामले से छुटकारा पा लेगी और एक बार फ़िर प्रसव पूर्व नवयौवना के रूप मे चमकने लगेगी ।