Showing posts with label संसद. Show all posts
Showing posts with label संसद. Show all posts

Sunday, September 4, 2011

विशेषाधिकार हनन के तहत संसद में दवे जी की पेशी

साहब नुक्कड़ मे तेजी से खबर फ़ैली कि दवे जी को संसद ने विशेषाधिकार हनन के आरोप मे नोटिस भेजी है। , हम भी सकते में थे।  लोगो ने पूछा कैसे लपेटे मे आ गये दवे जी,  हमने बताया- " अफ़जल गुरू को कोसा था एक लेख मे कि क्यों काम पूरा नही किया, संसद पर हमले के वक्त, उसी कारण नोटिस आया है"। सलाह मिली माफ़ी मांग लीजिये,  हमने कहा- "पगला गये हो मुफ़्त में पब्लिसिटी मिलेगी,  जेल जायेंगे तो क्या कहते हैं अन्ना,  दो टाईम का नाश्ता दो टाईम का खाना फ़्री। और कितने दिनो के लिये भेज सकते हैं हद से हद पंदरह दिन, हम जाने तैयार हैं पर लेख वापस न लेंगे"।

 हमने जवाब भेजा कि  पेश होने मे कोई दिक्कत नहीं,  पर दिल्ली पहुंचने का भाड़ा नही है।  इस पर एक पुलिस वाले सज्जन ने बाईज्जत हमें ट्रेन मे बैठा दिल्ली पहुंचाया। संसद भवन पहुंचने पर हमारा दिल धक धक करने लगा अपने नुक्कड़ मे तो दवे जी  भी शेर रहते हैं पर संसद में अकेले हमारी हिम्मत जवाब देने लगी।  पुलिस वाले ने टांट कसी- " क्यों बे आ गया लाईन में,  हवा निकल गयी, अब जा संसद के अंदर फ़जीहत कराने और बाहर बैठे हैं हम, तुझे जेल ले जाने,  बड़ा देशभक्त भगत सिंग बनता था"। भगत सिंग जी को याद कर हमारे शरीर मे 440 वोल्ट का करेंट दौड़ने लगा,  सीना जोश से भर गया।  जब भगत सिंग देश के लिये फ़ांसी पर झूल सकते हैं,  तो हम कम से कम संसद का सामना तो कर ही सकते हैं। हमने नारा लगाया वंदे मातरम, भारत माता की जय इंकलाब जिंदाबाद और अंदर बढ़ चले।

अंदर पेश हुये हमको एक कटघरे मे खड़ा कर दिया, पहले नेताओं ने अपने भाषण दिये किसी ने बाबा साहब के संविधान का हवाला दिया तो किसी ने संसद की महत्ता पर जोर दिया। कोई गौरवशाली इतिहास बतला रहा था तो कॊई वहां बैठे अल्पसंख्यक, दलित,आदिवासी, और पिछड़े वर्ग के सांसदो को दिखला रहा था। एक दो ने हमारी जवानी पर तरस जताया और माफ़ी मांग कलंक से बचने की सलाह दी, अंजाम भी बताये गये।

 मीरा कुमार जी ने हमे सफ़ाई देने का आदेश दिया हमने कहा - "शरद यादव जी को नमस्कार और आप मे से जो भी ईमानदार नेता हैं उन सब को नमस्कार और प्यारी सोनिया मम्मी को विशेष प्रणाम" । हमारा इतना कहना था कि कांग्रेसियों ने हंगामा खड़ा कर दिया। हमने सभापति से कहा- "देखिये मैडम शोएब मलिक को जीजा मानने से इंकार करने वाले कांग्रेसी, सोनिया जी को मम्मी मानने से भी इंकार कर रहे हैं"। हमारा इतना कहना था कि हंगामा दुगुना हो गया। सभापति जी ने कहा- "शांत हो जाईये, बैठ जाईये, हो गया, हो गया, शांत हो जाईये, नथिंग विल गो आन रिकार्ड"। हल्ला कुछ कम हुआ तो हमने कहा-" मैडम आपकी आवाज मे ऐसा जादू है कि हमनें तो टेप कर लिया है, हमारी बीबी हमको बेलन से मारने आती हैं तो उनको सुना देते हैं, तुरंत शांत हो जाती हैं। बच्चे लड़ते हैं तो उन्हे सुना देता हूं तुरंत शांत हो जाते हैं, यहां तक कि हमारा कुत्ता टामी जो ईंडिया की क्रिकेट टीम की तरह एलसेशियन है,  उसे भी सुना देता हूं तुरंत चुप हो जाता है। और ये सांसद लोग हैं कि इनको कोई फ़र्क ही नही पड़ता है।


सांसद फ़िर भड़क गये लालू जी बोले "मईडम ये संसद मे असंसदीय भाषा का प्रयोग कर रहा है"। हमने जवाब दिया- "मैडम हम तो सांसद नही असांसद हैं, तो हम तो असंसदीय भाषा ही जानते हैं। अब किसी को बुरा लगा हो तो रिकार्ड से निकाल दीजिये"। सभापति जी ने कहा-  "आप सफ़ाई में जो कहना हो वो कहें, यहां वहां की बात न करें"।

हमने कहा -" माननीय सभापति जी और आदरणीय ईमानदार सांसदों,  निश्चित ही अफ़जल गुरू वाले लेख मे मुझसे त्रुटी हो गयी थी।  उसमें यह लिखना मैं भूल गया था कि अफ़जल गुरू केवल बेईमान मंत्री और सांसदों को मारे और इमानदार लोगो को प्रणाम कर उन्हे सुरक्षित जाने दें"। फ़िर संसद मे हल्ला मच गया, लालू जी ने कहा- "तू किसको बेईमान बोलता है रे, बाबा साहब के संविधान पर चलने वाली संसद पर हमला करवाने का बात लिखता है"। हमने कहा-  "बेईमान वो हैं जो घूस खा कर वोट देते हैं, अधिकारियों, दलालो से चंदा लेते हैं। और ऐसे बेईमानों के शरीर में कीड़े पड़ें , ईश्वर उनको तबाह कर दे। जिस गरीबी और हताशा मे आज भारत का पिछड़ा और गरीब तबका जी रहा है, ऐसे ही हालत में इन बेईमानों के वंशज पांच हजार साल तक जियें। वे पढ़ें तो सरकारी स्कूल में,  बेड़ा गर्क हो इनके खानदानों का, कॊई नाम लेवा न बचे। इमानदार लोगों को करोड़ों भारतीयों की दिल से दुआ लगे, उनको मोक्ष मिले, उनका परिवार उत्तरोत्तर तरक्की करे।

फ़िर हंगामा मच गया सांसदो ने कहा- सभापति महोदया,  यह बाबा साहब द्वारा बनाई गयी संसद को बाटने की कोशिश कर रहा है। हमने कहा-  "नही मैडम ये संसद बाबा साहब की बनाई नही है, अगर होती तो बताईये कितने दलितों को 2G घोटाले मे फ़ायदा मिला, कामन वेल्थ गेम्स मे फ़ायदा और ठेका पाने वाले कितने लोग दलित या पिछड़े थे। यह बताईये कि पिछले दस सालों मे इस देश मे कितने ठेके या खरीदी का आर्डर दलितो,पिछड़ों को मिला है। देश देख रहा है, जवाब देना होगा,  बाबा साहब के पीछे छुपते हो, संविधान के पीछे छुपते हो,  तो बताओ कहां लिखा है कि आरोपी खुद जांच करने वाली सीबीआई के विभाग का मंत्री बना रहेगा।  कहां लिखा है कि पीएसी की बैठक का निर्णय बहुमत के आधार पर होगा। यह भी बताओ कि कहां लिखा है कि घोटालों में नाम आने के बावजूद प्रधानमंत्री पद को नही त्यागेगा। यह भी बताना होगा कि  अपने ही देश के हित के आंदोलन कर रहे लोगों को, आधी रात को उठा कर पीट कर रोड में फ़ेंक देने का अधिकार सरकार को बाबा साहब ने किस धारा, कानून में दिया था। और अल्पसंख्यकों की बात करते हो तो यह भी बताना होगा  कि आजादी के चौसठ साल बाद उनकी हालत, शिक्षा मे क्या सुधार हुआ है, सरकारी नौकरी मे उनका प्रतिशत क्या है।


इतना कहना था साहब कि हंगामा मच गया,  सांसद मुझे मारने दौड़े,  सभापति ने कार्यवाही स्थगित कर दी। मार्शल मुझे बचाते हुये बाहर ले गये और बाईज्जत पुलिस वाला मुझे वापस  घर ले आया। उसके बाद कोई नोटिस मुझे मिला नही है , और मिलने की आशा भी नही दिखती। उस दिन की लोकसभा की कार्यवाही भी रिकार्ड से हटा दी गयी है। अब आप लोग ऐसा हुआ था, ऐसा मान ही जाओ कोई जरूरी भी नही,  पर अगर ऐसा हो तो कैसा रहेगा मुझे जरूर बताईयेगा।





Friday, August 12, 2011

ए भाई कोई अफ़जल गुरू को बचा लो भाई

जैसे ही अफ़जल गुरू की फ़ांसी की बात पहुंची,  नुक्कड़ मे खुशी की लहर छा गयी। सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने गर्व से सीना फ़ुलाया,  कहने लगे - "कांग्रेस के घर देर है अंधेर नही"।  दीपक भाजपायी बाजू मे खड़े थे, ठठाकर हंसने लगे। बोले - "वाह रे गिरगिट,  अगर हमने नाक मे दम न किया होता तो तुम लोग सौ साल तक उसे दामाद बना कर रखते, वह तो हमारी पार्टी है कि आज अफ़जल गुरू को फ़ांसी चढ़ने की नौबत आयी है" । "जल्द ही हम लोग कसाब को भी इसी तरह लटकायेंगे"।

शर्मा जी भी कम न थे, आस्तीन चढ़ा कर बोले -  "फ़िर क्यों दामादो को हवाई जहाज से काबुल छोड़ने गये थे"। "इतने शिवाजी बनते हो तो क्यों जिन्ना की मजार पर तारीफ़ के पुल बांध आये"। दीपक भाजपायी ने आरोपो की बौछार कर दी - "दामादो को छोड़ने के फ़ैसले मे आप शामिल थे",  "और ओसामा को जी कहते हो, जिन्ना को देश बाटने किसने दिया, श्रीलंका से तिब्बत तक इंडोनेशिया से अफ़गानिस्तान तक फ़ैले हमारे महान हिंदू राष्ट्र के टुकड़े टुकड़े करवा दिये"। बहस तेज हो गयी पर हमारी आशा के विरूद्ध आपस में जूतम पैजार नहीं हुयी। होती भी क्यों ये लड़ाई हाथी का दांत जो थी,  दिखाने के लिये लड़ रहे थे, खाने वाला दांत तो दोनो के लिये ही काम करता है।

खैर भीड़ अब इस हिजड़ा लड़ाई से उब चुकी थी,  आसिफ़ भाई का स्टेटमेंट जानने के लिये हर कोई उत्सुक था। अखबार वाले मीडिया वाले सारे वहीं थे।  ये लोग जो पत्रकार कहे जाते थे,  आज कल पत्रनवीस हो गये हैं। पत्रनवीस माने वह आदमी जो दूसरो की भावना को अपने हिसाब से बयां करे। मुख्य बात यह थी कि यदि आसिफ़ भाई फ़ांसी का विरोध कर देते,  तो दिन भर की धमधमाती हेडलाईन का जुगाड़ हो जाता और ये पत्रनवीस बाकी दिन की छुट्टी ले सकते थे।

आसिफ़ भाई बोले- "अपने ही शहर मे हजारो मुसलमान गरीबी रेखा के नीचे हैं, उनकी बात नहीं होगी। हमारे नेता पूरी दुनिया के मुसलमानो के ठेकेदार हैं, सर्बिया से लेकर अफ़गानिस्तान, कश्मीर, चीन पता नही कहां कहां ठेका इन्हें मिला हुआ है। और जो अरब मुल्क हैं वो इन लोगो के आंदोलन को भीख देकर अपने धर्म से छुट्टी पा लेते हैं और अमेरिका जा ऐश करते हैं। कौन समझाये इन मूर्खों को कि हम हिंदुस्तानी हैं तो हिंदुस्तान की तरक्की अखंडता मे हमारी भलाई है। जो हिंदुस्तान का दुश्मन है वह हिंदुस्तानी मुस्लमानो का दुश्मन है

इतना सुन सारे पत्रकार निराश हो गये, आखिर देशभक्ति की बातें ब्रेकिंग न्यूज कहां बन सकती थीं। तभी हमने दीदार के दिलीप कुमार की तरह गाड़ियां रोक रोक चिल्लाना शुरू कर दिया "ए भाई कोई अफ़जल गुरू को बचा लो भाई"। ताबड़ तोड़ सारे कैमरे और पत्रकार हमे घेर खड़े हो गये। लाईव न्यूज में हमारा चेहरा चमचमाने लगा। सवाल दागा गया- "आप क्यों बचाना चाह रहे हो"। हमने कहा -"हम हर देशभक्त को बचाते हैं"। पत्रकार  बैकफ़ुट मे आ गया, उसने  पूछा- " वह तो आतंकवादी है, आपको देशभक्त कैसे नजर आ रहा है"।  हमने कहा -" आतंकवादी तो मासूम  आम आदमी को मारते हैं। यह तो नेताओं को मारने गया था। उन नेताओं को जिनकी लूट खसोट से देश त्रस्त है"। पत्रकारों की बांछे खिल गयी,  एक ने पूछा- " संसद तो देश का दिल है सम्मान है उस पर हमले को आप किस तरह जायज ठहरा सकते हो"।

हमने जवाब दिया-" ये अब संसद रही नही असंसद हो चुकी है। संसद यह तब थी जब इसमे नेहरूजी, अटल जी लालबहादुर शास्त्री, मौलाना जैसे सांसद बैठते थे"। अब यहां पैसा खा वोट देने वाले; सवाल पूछने वाले, जाति धर्म के नाम पर अवाम को बांट वोट पाने वाले बैठते हैं। पहले नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा देने वाले मंत्री थे। अब मंत्री ऐसे हैं जो दो लाख करोड़ का घोटाला कर सीनाजोरी से एक नंबर मे रिश्वत खाते हैं,  ऐसे भी हैं जो पहले चोर अपराघियों के वकील थे और अब ऐसे घॊटाले करने वाले लोगों का बचाव करने के लिये प्रवक्ता और मंत्री बनाएं गये हैं। अब तो नौबत यह है कि खुले आम सत्ताधारी दल कोर्ट और कैग जैसी स्वायत्त संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। पैसा खिला आप जैसे पत्रकारो से उनके बारे में मनगढ़ंत घुमा फ़िरा कर कार्यक्रम जनता को दिखा रहे हैं।  कानून मंत्री सुप्रीम कोर्ट के जजों पर टिप्पणी कर रहे हैं। ऐसी असंसद पर हमला राष्ट्र द्रोह नही देश प्रेम है"।

सवाल तो साहब सैकड़ो पूछे गये, लेकिन अपन रामदेव बाबा टाईप ज्यादा बयान दे,  फ़जीहत कराने के मूड में नही थे। सब कुछ ठीक चल रहा था कि अघट घटित हो गया। हुआ कुछ ऐसा कि सब्जी का इंतजार कर रही श्रीमती को जब चैनल मे हमारा चमचमाता चेहरा नजर आया तो बेलन लिये धड़धड़ाते हुये नुक्कड़ पहुंच गयीं और सरेराह धुलाई करते हुये घर  ले गयीं। सारी बेईज्जती खराब हो गयी, मुख्य मुद्दा रह गया सो अलग। टीवी चैनलो हम छाये जरूर थे।  बाबा रामदेव की सेना टाईप पिट भी रहे थे,  पर जनता से कोई सहानुभूती न मिली, लोग पेट पकड़ कर हंस रहे थे, सो अलग। खैर जनाब इस घटना पर कुछ ब्रेकिंग न्य़ूज के टाईटल बता रहा हूं हमारे महान चैनलों के


जी न्यूस -  अफ़जल गुरू की फ़ांसी का विरोध करने पर पत्नी ने सरे राह पीटा  

 न्यूस24  -  देशद्रोही की सरे राह पत्नी द्वारा पिटाई

ईंडिया टीवी-  क्यों पिटा पति-- किसने पीटा उसको- कैसे पीटा गया- अफ़जल गुरू से उसका क्या रिश्ता था
(माफ़ कीजियेगा बैकग्राउंड म्यूजिक की सुविधा नही है)  


 चलिये हमारी असली बात तो जनता तक पहुंची नही आप तक पहुंची है। अपना विचार बताईयेगा कि आदरणीय अफ़जल गुरू को फ़ांसी दी जाये या उसे एक मौका और देना चाहिये हमले का।

Friday, July 15, 2011

निकम्मा कामचोर अफ़जल गुरू हाय हाय

नुक्कड़ पर रोज की तरह दीपक भाजपाई और सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी एक दूसरे की टांग खीचने मे लगे थे । दीपक बाबू सिस्टम और नीति मे चूक और गलती बता रहे थे वहीं शर्मा जी का कहना था कि भाई इतने दिन धमाके न हुये इसकी खुशी मनाना छोड़ तुम लोग हम लोगो पर चिल्ला रहे हो । हमारा नाम तो गिनीज बुक मे आना चाहिये चुस्त दुरूस्त व्यवस्था के लिये । नुक्कड़ की असहाय आम जनता दुख और शोक मे डूबी हुई थी क्रोध भी था  कोई मोमबत्ती जला रहा रहा था कोई आस्तीने चढ़ा रहा था |


 इस माहौल मे हमारा जुलूस सामने से निकला नारे लग रहे थे निकम्मा कामचोर अफ़जल गुरू हाय हाय । इसे देख दीपक भाजपाई खुशी से उछल पड़े बोले दवे जी कसाब का नाम भी लेते तो मामला और जम जाता । हमने कहा भाई ये हमारा जुलूस है अलग एजेंडे का आपका इसमे रोल नही है । शर्मा कांग्रेसी ने मुंह बनाया क्यो बनते हो भाई मीडिया हो या भाजपा कुछ कहने को न हो तो कसाब और अफ़जल गुरू का नाम ले लेते हैं ।   हमने कही भाई तुम दोनो बात समझ ही नही रहे हो नारे पर ध्यान दो हम शिकायत कर रहें हैं अफ़जल गुरू से और उसे कोस रहे हैं उसकी नाकामी परऔर शर्मा कांग्रेसी  आपसे तो अब उम्मीद ही नही है । वो तो आदत पड़ गयी है तो आप  को कोस लेते हैं

सी बात पर सुनिये जान एलिया साहब की शायरी

 अब फ़कत आदतो की वर्जिश है ।

 रूह शामिल नही शिकायत में ॥

ये कुछ आसान तो नही है लेकिन ।

 हम रूठते अब भी है मुरव्वत में  ॥


भाई हम तो उस दिन को कोस रहे हैं जब अफ़जल गुरू का संसद पर हमला कामयाब न हो पाया । इतना सुनते ही  शर्मा कांग्रेसी और दीपक भाजपाई दोनो कुंभ के मेले के बिछड़े भाईयों की तरह साथ खड़े हो गये बोले मतलब क्या है आपके कहने का । हमने कही भाई ये नामाकूल अफ़जल गुरू इसकी ऐसी की तैसी अगर कामयाब हो जाता तो इसके बाप का क्या जाता । शर्मा जी भड़क गये बोल क्या रहे हो आप होश भी है कि सुबह से लगा ली है  । हमने कहा भाई बिना लगाये हिंदुस्तान मे कौन रह सकता है या रिश्वत की लगा लो या नफ़रत की और साहब लगाने की बात तो आप छोड़ ही दो । आदमी लगायेगा ही नही तो आपकी हरकतो को नजर अंदाज करने कि स्थिती मे कैसे पहुंचेगा । गुरू शराब सस्ती कर दो पूरा हिंदुस्तान बाबा और अन्ना को भूल जायेगा  ।

शर्मा कांग्रेसी ने बात मुद्दे की ओर मोड़ी इसे छोड़ो ये अफ़जल गुरू हाय हाय का मतलब क्या । हमने कहा भाई राष्ट्रीय हीरो बन सकता था कामचोर थोड़ी और मेहनत कर लेता तो देश से कचरा ही साफ़ हो जाता पहुंच तो गया ही था संसद तक । शर्मा जी भड़क गये बोले आतंकवादी का साथ देते हो तारीफ़ करते हो हमने कहा किसको आतंकवादी बोल रहे हो भाई । आतंकवादी तो भोले भाले मासूम लोगो को मारते हैं  आप जैसे नेताओं को नहीं अफ़जल गुरू तो देश का कचरा और बोझ साफ़ करने  संसद गया था । वही संसद जिसमे देश का सबसे सस्ता भोजन मिलता है । वही संसद जहां पैसे के जोर पर बिल पास कराये जाते हैं । वही संसद जिसके नेता आजकल तिहाड़ मे पाये जाते हैं । वही संसद जहां आम आदमी बिकता है इमान बिकता है और सही दाम मिले तो देश हित भी बिक सकता है

सोहन शर्मा अब बैक फ़ुट मे पहुंच चुके थे भाई दवे जी बात को समझो आतंकवाद 99 % रोका जा सकता है । 1% की चूक तो हो ही जाती है पाकिस्तान मे तो देखो डेली बम फ़ूटिया रहा है  । हमने इतना तो कंट्रोल किया ही है कि नही इतनी नाराजगी सही नही है । हमने कहा वो तो भाई पाकिस्तानियो को इस देश मे गद्दार नही मिल रहे इस लिये हमले नही हो पा रहे हैं इसमे तुम्हारी क्या होशियारी है

पुलिस को तो तुमने पैरो की जूती बना रखा है सत्तारूढ़ दल का कोई भी टूटपुंजिया नेता जाकर थानेदार को सिपाही को धमका लेता है पुलिस वालो की पोस्टिंग अपना आदमी के आधार पर की जाती है । आधे से ज्यादा समय वीआईपी ड्यूटी मे निकल जाता है । उनके लिये सामान खरीदने मे रिश्वत खा लेते हो हालत यह कि पुलिस कमिश्नर करकरे जो बुलेट प्रूफ़ जैकेट पहने हुये थे वह भी घटिया थी आम पुलिस वाले की तो बात ही रहने दो ।

और शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी और दीपक भाजपाई आज का जुलूस तो  केवल सांकेतिक है । जनता के रोष को आप तक पहुंचाने के लिये सावधान हो जाओ अपनी हरकतो से बाज आओ विकास और इमानदारी की राजनीति को अपनाओ लोकपाल जैसे कड़े कानूनो को लागू करो ताकि 120 करोड़ लोगो का यह मुल्क खुशहाल हो  सके ।  जनता भड़क गयी तो करोड़ो अफ़जल गुरू खड़े हो जायेंगे फ़िर तुम्हारा लोकतंत्र और इस देश का क्या अंजाम होगा यह भी सोच लेना ।

Wednesday, June 22, 2011

लोकपाल बिल पर खांग्रेस की प्रसव पीड़ा

नुक्कड़ पर खांग्रेस छटपटा रही थी उसके चेहरे मे दर्द और हाव भाव मे दबंगई साफ़ देखी जा सकती थी । उनके मुह से अपनो के लिये ठग जोकर धूर्त ढोंगी आदि शब्द धाराप्रवाह बह रह थे । हालांकि कसाब और ओसामा बिन लादेन  जैसे भूतो को वे जी आदरणीय कह पुकारती जा रही थी । उसकी इस अजीब सी हरकत से नुक्कड़ के लोग बहुत नाराज हो रहे थे । गुप्ता जी ने पू्छ लिया  भाई इसकी पीड़ा क्या है चेहरे मे दर्द होठो मे गाली और परायो को अपनाने की खामख्याली  है दवे जी मामला समझाओ बात क्या है यह बताओ ।

मैने कहा भाई ये अनचाहे गर्भ से पीड़ित हैं गर्भपात  करवा नही पा रही हैं । इसलिये खुद को गर्भवती करने वाले लोगो को गरिया रही हैं । और अपने आप गर्भपात हो जाये और उसके बाद उनकी सुंदरता मे कमी न आये इस लिये भूत पिशाचो की स्तुती कर रही हैं । आसिफ़ भाई ने सर खुजाया मिया ये क्या बड़बड़ा दिया गर्भवती किसने किया क्यों किया क्या उनकी सहमती न थी चक्कर क्या है साफ़ साफ़ कहो ।

मैने कहा भाई गर्भवती किया सिविल सोसाईटी वाले लोगो ने जबकि खांग्रेस जी का कहना था कि गर्भवती करने का अधिकार केवल संसद को है । और निश्चित ही लोकपाल बिल नामक बच्चे के पिता के नाम के कालम मे संसद का नाम ही लिखा जायेगा । अब संसद और उसके तमाम रिश्तेदार तैयार बैठे हैं कि डीएनए टेस्ट करा कर बच्चे को अस्वीकार कर दे । और येन केन प्रकारेण खांग्रेस उसे स्वीकार करा भी दे तो बच्चा तो अपने बाप पर ही जायेगा जग के सामने अपनी मां और नकली  बाप की नाक कटवायेगा । और अब तकलीफ़ यह है कि जग जान चुका है की खांग्रेस जी को सात महिने का गर्भ है । अब वो बच्चे को पैदा कर गुमनामी के अनाथालय भी नही छोड़ सकती । आप बात की बात समझो खांग्रेस जी कुलटा साबित होने के आसन्न संकंट से गुजर रही हैं । आसिफ़ भाई अभी भी उलझन मे थे बोले संसद के रहते ये सिविल सोसाईटी वालो की हिम्मत कैसे हुयी गर्भाधान कराने की यह तो अपराध है । मैने कहा मियां महाभारत से लेकर माडर्न सांईस मे प्रावधान है जब पति गर्भ धारण करने मे असफ़ल रहे या इच्छुक न हो तो गर्भ दान किया जाता है । और संसद मियां को तो पचास साल का मौका था इनसे कुछ हुआ ही नही या इन्होने ने किया ही नही । और ये खांग्रेस ने भी कुछ होना जाना नही है सोच कर फ़्लर्ट कर लिया था ।  ऐसे फ़्लर्ट तो ये नक्सलवादियो से लेकर एलटीटीई भिंडरावाले कितनो के साथ कर चुकी थी जब ऐसे आशिक गले पड़ते थे तो डंडे से मार भगा देती थी । पर सिविल सोसाईटी वाले भारी पड़ गये इश्क किया नही और गर्भवती कर दिया सो अलग । एक बाबा भी ऐसे ही गले पड़ने वाला था वो तो अच्छा हुआ कि गलत रथ मे बैठ कर आया था । रथ रुका ही नही वापस उसके गांव असली प्रेमिका  के पास छोड़ आया

आसिफ़ भाई अब मामला समझने लगे थे बोले यार इस बेचारी खांग्रेस की जान छूटेगी कैसे ये बता दो और ओसामा टाईप भूतो की सेवा से क्या होगा यह भी । मैने कहा भाई इसका समाधान प्रसव के समय बच्चे को बदलने से होगा । जिससे बदला जायेगा नाम उसका लोकपाल बिल ही होगा पर बड़ा ही आज्ञाकारी बच्चा होगा और सदैव अपने मां बाप की बात मानेगा । इस पर जानकार लोग बहुत हल्ला गुल्ला मचायेंगे असली बच्चे का बाप तो तूफ़ान खड़ा कर देगा ऐसे मे खांग्रेस को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ेगा । ऐसे मे ओसामा टाईप के भूतो को प्यार करने वाली जनता खांग्रेस के  समर्थन मे आ खड़ी होगी और वैसे भी देश की साठ प्रतिशत जनता तो इस मामले को जानती ही न होगी बेचारे दिन भर कमर तोड़ मेहनत के बाद समय मिलेगा तो ईंडिया टीवी पर मौत का तमाशा देखेंगे की अंग्रेजी चैनलो पर बड़े लोगो की बक बक सुनेंगे । चेपटी साड़ी तो वैसे भी खांग्रेस ही देती है उनको  ऐसे मे कांग्रेस का सोचना है कि जोड़ तोड़ कर वह इस मामले से छुटकारा पा लेगी और एक बार फ़िर प्रसव पूर्व नवयौवना के रूप मे चमकने लगेगी ।