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Tuesday, December 20, 2011

अरे अन्ना, बेचारे संघ का समर्थन ले लो भाई



नुक्कड़ पर दीपक भाजपाई  उर्फ़ संघ वादी खड़े हो कर चिल्ला रहे थे - " ऐ भाई संघ का समर्थन ले लो भाई ।" हमने पूछ लिया - "" जिसको समर्थन देना है, उसी से डाइरेक्ट जाकर क्यों नही कहते।" दीपक बाबू फ़ट पड़े - "वो ले ही नही रहा,  लेता तो क्या बात थी।"  हम अचरज में पड़ गये,  यहा तो सारे समर्थन के लिये मरे जाते है और जब ये मुफ़्त में देना चाह रहे हैं तो किसी को क्या दिक्कत। हमने कहा- "भाई जरा साफ़ साफ़ कहो, किसको समर्थन देना चाह रहे हो।" दीपक जी बोले - "समर्थन हम अन्ना हजारे को देना चाह रहे हैं, और वो ले क्यों नही रहा। "  हमने कहा- "मान लो ले नही रहा तो आप क्यों मरे जा रहे हो देने को।" दीपक जी बोले "संघ हमेशा देश हित के सारे आंदोलनो को अपना समर्थन देता है चाहे कोई मांगे या न मांगे।"


हमने कहा- "भाई यह कैसा समर्थन दे रहे हो,  दिग्विजय सिंग के साथ टाईमिंग मिला के बयान बाजी करते हो। आप कहते हो हम अन्ना के साथ है उधर से दिग्विजय कहता है संघ अन्ना के पीछे है। मुझे तो लगता है कि आप दोनो सेटिंग कर के मुसलमानो को अन्ना के आंदोलन से दूर करना चाहते हो।" दीपक बाबू ने सिर झटकाया - " हम मुसलमानो का नही जानते, पर अन्ना के बिना मांगे भी हम जबरदस्ती समर्थन दे कर रहेंगे।" हमने कहा - "ये कैसा समर्थन है दीपक बाबू, मुंह में राम बगल में छुरी, एक तरफ़ गले पड़ाउ समर्थन देने की बात करते हो। दूसरी ओर सायबर ब्रिगेड को लगा रखा है कि सुबह शाम अन्ना हजारे और उसकी टीम को कोसो, क्या चक्कर है रे भाई।"

दीपक संघी तुरंत नट गये - "कोसने वाले हमारे आदमी नही हैं।" हमने कहा- "पाकिस्तान भी कहता है कि आतंकवादी हमारे नही है। दरअसल बात यह है कि  बाबा रामू से भी आपका काम न हुआ तो आप अन्ना के आंदोलन के कंधे से भी फ़ायरिंग का जुगाड़ बैठा रहे थे। अन्ना से किनारे लगा दिया तो मुसलमानो को उनसे दूर करने के लिये समर्थन वाली बयान बाजी कर रहे हो और हिंदुओ को दूर करने के लिये नेट मे साईबर ब्रिगेड लगा दिये हो। आपका मतलब साफ़ है हम भी खेलेंगे नही तो खेल खराब करेंगे।"


दीपक संघी भड़क गये - "संघ का समर्थन नही चाहिये हम अछूत हैं।" हमने कहा - " प्रियंका गांधी ने हमे छोड़ राबर्ट वढेरा से शादी कर ली, मै अछूत हूं क्या। अरे भाई जिसे जो पसंद आये उसका साथ ले या ब्याह करे क्या जबरदस्ती किसी के गले पड़ जाओगे।" दीपक जी बोले - " मेहनत करी श्रद्धेय बाबा रामदेव ने देश को जगाया उन्होने और क्रेडिट ले जाये अन्ना। उसके बाद तुर्रा ये की अब साथ नही चाहिये।" हमने कहा - "मेहनत की बाबा रामदेव ने और पिटवा दिया आपने। आपको तो जनाक्रोश चाहिये था न।" दीपक संघी और भड़क गये - "पीटा कांग्रेस ने और दोष हम पर लगाते हो।" हमने कहा - "पीटा तो कांग्रेस ने ही लेकिन साध्वी को तो आपने भेजा था कि नही।" दीपक संघी संभल कर बोले - " आदरणीय बहन श्रद्धेय साध्वी और बाबा रामदेव से हमारा कोई नाता नही है संबंध केवल उतना है जितना अन्ना हजारे से है हम समर्थन करते है बस।"



हमने कहा - "भाई तुम लोग गांधी का स्वदेशी चुरा लिये, खादी चुरा लिये, हे राम तक चुरा लिये, चश्मा क्यों नही चुराये। चश्मा चुरा लेते तो साफ़ साफ़ नजर आता कि हिंदुओ का हित किसमे है। क्यों विरोधाभासी विचारधारा अपनाते हो। अन्ना हजारे को हिटलर कहते समय यह क्यों नही सोचते कि हिंदुस्तान के हिंदू आपको इज्जत से देखते हैं।  हिंदू हित का बना संगंठन है उसको क्यो दाये बाये ले जाते हो। वनवासी कल्याण, सरस्वती शिशु मंदिर से लेकर कितने अच्छे काम करते हो, फ़िर क्यों ऐसी चीजो मे शामिल होना कि मुंह चुराना पड़े। 


दीपक भाजपाई कम संघी भड़क उठे - " जब गधे के कानो में हवा भर जाती है तो वो इधर से उधर दौड़ने लगता है ....यही हाल भारत की मूर्ख जनता का हो चला है ..... इन निष्कृष्टों को हमेशा कुछ ऐसा चाहिए जिसमे कुछ करना न पड़े और इनकी देशभक्ति के ढोंग को दिखाने के लिए आयाम मिल जाये। गांधी ने भी यही सोचकर चरखा घुमाते हुये ,बकरी का दूध पीते हुये,विनम्रता के चार बोल सुना दिये थे ....... फिर वही मूर्ख अंधी, हिन्दू जनता चल पड़ी है मोमबत्ती लेकर क्रांतिकारी बनने ।  हिन्दुओ और हिन्दुत्व का सत्यानाश हो रहा है दिन ब दिन तब तुम क्यो नहीं निकलते ? फिर वही क्यो निकलोगे गांधी और अन्ना है न फिर से तैयार हो जाओ एक नए छोटे गांधी कि विचार धारा को अगले बीस से पच्चीस साल तक झेलने के लिए ..... बस देखना ये है ये लेटैस्ट गांधी , कितनी हानि कर के मरेगा ?"



हमने कहा- "रे भाई हिंदूओ के स्वयंभू ठेकेदार हम बता रहे कि आपको तकलीफ़ क्या है। आपकी शाखाओं मे कौंवे बोल रहे हैं। आपके बुलाये लोग एकत्रित नही हो रहे तो दूसरो के सर पर सवार होकर आपको अपना एजेंडा पूरा करना है। क्या मांग रहे है अन्ना हजारे देश हित के लिये कड़े कानून। क्या अहित हो जायेगा रे भाई इस कानून से हिंदूओ का। औरहिंदुओ का हित तो हिंदुस्तान की तरक्की में है की नही। यहां दूसरे धर्मो के लोग सुख शांती से रहे यही तो हमारा गौरव है सहिष्णुता ही हमारा तिलक है। और जो देश द्रोह का काम करे उसके लिये कानून है संविधान है। रिपोर्ट लिखाओ , पकड़ो कानून के हवाले करो।  हिंदूत्व का आंदोलन करना है, क्रांतीकारी बनना है तो बनो रे भाई कौन तुम्हारा खाकी चड्डा पकड़ के रोक रहा है। खड़ा करो अपना आंदोलन लोगो के सामने बात रखो उनको समझ मे आयेगा तो आपका समर्थन करेंगे। दूसरो के आंदोलन को खराब करने से कौन से शिवाजी बन जाओगे।"

दीपक संघी बोले -"हमे आप के जैसे क्षद्मनिरपेक्ष सिकुलर बिकाउ मिडिया के भांड, देश द्रोही लोगो की नसीहत नही चाहिये। हम अब इस देश में हिंदुत्व की लहर उठा कर रहेंगे और इस देश से आप जैसे लोगो को भगा कर रहेंगे।"
इतना कह दीपक बाबू पैर पटकते चल दिये और हम सिर खुजाते खड़े रह गये कि ये भाई लोग क्षद्म हिंदुत्व से ग्रसित हैं कि हमारे जैसे लोग हिंदूत्व की गलत व्याख्या कर रहे हैं। अब ये लोग गीता, वेद, शास्त्रो की व्याख्या पर बात करते ही नही करते। इनके मुद्दे  बटवारे के समय के हिंदुस्तान,  पाकिस्तान पर अटके हैं। गांधी मर गये, गोड़से मर गये। लेकिन ये भाई लोग है कि उस समय की सोच पर ही अटके है।

Tuesday, December 13, 2011

ये तेरा बिल ये मेरा बिल~ ~ ~ ~ ~ ~ ये बिल बहुत हसीन है


नुक्कड़ में चाय पीते पीते आसिफ़ भाई गीत गुनगुना उठे - " हमारी हसरतो का बिल, ये बिल बहुत हसीन है। " हमने टोका,   आसिफ़ भाई,  क्या भाभी के लिये लिपस्टिक पाउडर खरीद लाये हो,  जो उसका बिल  आपको हसीन लग रहा है। क्या बात है, बुढ़ापे में उलानबाटी खा रहे होआसिफ़ भाई भुनभुनाये, कहने लगे- "बीबी से बचने के लिये आदमी नुक्कड़ आता है, और आप हैं कि यहां भी याद दिला रहे हो उनकी "। हमने गलती मानते हुये पूछा- "  फ़िर ये कौन सा बिल है गाने में, जरा हमें भी बताईये।"


आसिफ़ भाई, फ़िर रूमानी अंदाज में आ गये- "मियां,  हम लोकपाल बिल की बात कर रहे थे।  एक बार यह आ जाये, फ़िर भारत में हर ओर ईमानदारी होगी,  कहीं रिश्वत न ली जायेगी।" हमने बीच में टोका- " आसिफ़ भाई हवा में मत उड़ो,  सारी पार्टियो को उस बिल में कमिया नजर आ रही है। और आप को  हरा ही हरा  नजर आ रहा है। इतने में दीपक भाजपाई कूद पड़े- "वाह दवे जी, आपने मेरे दिल की बात कह दी,  आसिफ़ भाई को हरा ही हरा नजर आता है।" हमने कहा- "हे स्वयंभू भगवा ठेकेदार,  यहां बात सावन के अंधे वाले हरेपन की हो रही है। और आ गये आप अपना एजेंडा लेकर। हां आसिफ़ भाई,  आप बतायें बिल का माजरा।"
आसिफ़ भाई मुस्कुरा उठे, गुनगुना उठे- "किसी को देखना हो अगर,  तो मांग ले मेरी नजर तेरी नजर"।  भाई नजर नजर का खेल है। हम लोगो को बिल हसीन नजर आ रहा है,  कि यह हमारे सपनो का भारत बनायेगा और ये पैसा खाउ कपटी नेता।  इन को सपने में भी ऐसा,  साफ़ सुथरा भारत नजर नही आ सकता।  इसीलिये इनको बिल मे खामिया नजर आ रही है।  और ये लोग तो आने जाने वाले हैं,  महान शक्तिशाली सिविल सर्विसेस के अधिकारियो को तो जिंदगी भर खाना है। ये क्यो अपने पैरो पर फ़रसा कुल्हाड़ी चलायेंगे । ऐसा ऐसा पैतरा बतायेंगे की नेता चाहे तो भी कर नही सकेंगे ।

प्रधानमंत्री को लाना और न लाना तो कोई मुख्य मुद्दा है ही नही,  जो ये लोग उछाल रहे हैं। मत लाओ भले प्रधानमंत्री को पर बाकी मुद्दे ज्यादा गंभीर है । लोकपाल का चुनाव निष्पक्ष तरीके से होना चाहिय॥  वह स्वतंत्र होना चाहिये । उसके पास दबावो से मुक्त स्वतंत्र जांच एजेंसी होनी चाहिये। ये मीडिया और सरकार तो इस पर चर्चा ही नही कर रही । लोकपाल कार्य करे कैग की तरह और मामले की सुनवाई करे सुप्रीम कोर्ट के तर्ज पर।  इन शर्तो के बिना लोकपाल नही धोखपाल बिल बनेग। और ये सरकार बनायेगी धोखपाल ही लोकपाल तभी बनेगा जब  जन सैलाब उमड़ पड़ेगा

 तभी सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने बीच मे टांग अड़ाई, कहने लगे- "हम तो नेक इरादो से आगे बढ़ रहे है। पर  दीपक भाजपाई को तो देखिये, अपने पत्ते ही नही खोल र्हे।"  दीपक भाजपाई मुस्कुरा कर बोले- "हमने तो आपसे शो मांग लिया है, आपको ही अपने पत्ते पहले दिखाने पड़ेंगे।" हमने कहा- "भाईयो, खेल लो जुआं जितना खेलना हो। पत्ते छुपाओ चाहे दिखाओ,  जो बोलना है बोलते रहो। हम तो संसद में कौन सा बिल आ रहा है उसका इंतजार कर रहे हैं । अगर वो बिल हमारी हसरतो का बिल न हुआ, फ़िर बात की जायेगी। यह गलत फ़हमी मत पालना कि धर्म के नाम पर,  पार्टी के नाम पर अब ये देश बटने वाला है । लोग  देख रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि कब अन्ना की आंधी उठेगी।"

" देश हित में आप भी सावधान रहें,  लोकतंत्र के सड़ चुके इस पेड़ की नयी जड़े, बरगद के समान जमीन तलाश ले और इस लोकतंत्र मे नव जीवन का संचार करे इसी मे देश का हित है। कहीं यह पेड़ उखड़ गया तो हमारा देश  कई दशको के लिये अराजकता और अंधकार में डूब जायेगा।" 

Sunday, August 28, 2011

सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी का प्यारी सोनिया मम्मी को खत

आदरणीय मम्मी जी

पहले तो मेरी गुजारिश स्वीकार करें,  लौटती डाक से अपनी चरणधूली भेजने की असीम क्रुपा करें।  आशा है, आपका स्वास्थ अच्छा होगा और आप कुशल से होंगी।  मम्मी जी ये बाबा समर्थक बोल रहे हैं कि,  आप अन्ना आंदोलन मे देश को उलझा कर अपना कालाधन ठिकाने लगा रहीं हैं।  सच्चाई जो भी हो पर मम्मी जी आप जल्द से जल्द लौट आयें इसी मे हम सब का हित है।  ये बाबा और उनके समर्थकों से तो कॊई खतरा नजर नही आता,  अन्ना वादी जाने सांसत किया हुआ है।  कोई घर घेर लेता है,  कोई ट्रेन से उतार देता है।  अपने नवीन जिंदल ने सबके हाथों मे हर रोज तिरंगा पकड़ने की छूट क्या दिलवा दी,  हम लोगों की आफ़त हो गयी है।  मालूम ही नही पड़ता,  कौन अपना है कौन पराया है।  वैसे सच कहूं तो मम्मी जी,  अपने आज कल कम ही बचे हैं।  जो कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, चिदंबरम जैसे अपने हैं भी,  उनसे तो  पराये ही अच्छे हैं।  कम से कम मंच से अहिंसा का नारा तो लगा रहे हैं।  वरना इनका बस चले तो कब का हम लोग अस्पताल में नजर आयें।

मम्मी जी आप भारत की है नहीं,  इस लिये आप को पता नही है,  कि यहां मां बच्चो का खयाल रखती हैं।  पर आप इटली की हैं तो हम बच्चो ने सदा आपका खयाल रखा, कि क्या पता आप के मायके में क्या प्रथा हो।  दूसरी ओर आप हमारे देश की बहू भी हैं।  और आज कल दहेज प्रताडना वाला केस भी दर्ज हो जाता है,  अब भारत में केस हो तो जमानती पट्टा भी मिल ही जाता है,  पर यदि आप इंटरनेशनल कोर्ट में केस दर्ज कर देंगी तो पट्टा कहा से आयेगा,  यही सोच कर  हम सभी नेम आपका ध्यान रखा ।

पर मम्मी अब का मामला समझ के बाहर है,  नुक्कड़, चौपाल जाते डर लगता है,  कि कौन जूता मार दे।  ये बाबा वादी लोग तो पहले से ही जाने सांसत किये हुये थे,  कि सोये लोगो पर आधी रात को डंडा क्यो।  अब अन्नावादी पूछ रहे हैं, कि भले हत्यारों और अपराधियों के साथ बंद कर देते,  कलमाड़ी और राजा जैसे लोगों के साथ हमारे अन्ना को बंद किया क्यों ? बीजेपी तो खैर विरोधी है,  लड़ाई पुराना है, और खाने के मामले मे उनसे याराना है।  उनसे कोई दिक्कत नहीं,  पर आम आदमी से कैसे बात करें।  मम्मी जी आप तो करोड़ चौरासी की मां हैं,  आपको पब्लिक पिटाई  के बारे में क्या मालूमं।  पर नित यह खतरा झेलते,  अब तबीयत नासाज रहने लगी है ।


प्यारी मम्मी,  आप के ये मुंशी मैनेजर कुछ भी बोल देते हैं,  कुछ भी कर देते हैं,  जवाब तो हमसे मांगते है लोग।  मम्मी जी कभी ये लोग अन्ना को भ्रष्ट बोल पड़े,  कभी भगोड़ा।  पर ये इन्होने नहीं सोचा कि सच क्या है, और इनको तो आदते पड़ गया है,  कि हम पर आरोप लगे तो विरोधी पर आरोप लगा दो।  पर ये अन्ना अपने लिये थोड़े कुछ मांग रहा था,  और मांग भी रहा था तो तहलका टाईप भंडाफ़ोड़ करते,  पर नही ये लोग हमारी फ़जीहत करने पर ही आमादा हैं। मम्मी जी,  आप तक बात पहुंचे नही रहा है क्या ?  क्या आप को पता नही लोग दुखी हैं पीडित हैं। पर गलती आप की नही है,  कोई आम आदमी दिखने से,  आपको कामन इंडियन पीपल बता कर,  मुंशी मैनेजर लोग पल्ला झाड़ लेते होंगे।

मम्मी जी आज देश का माहौल क्या हो गया है।  अपने को कांग्रेसी कहने से पहले सौ बार सोचना पड़ता है,  पहले तो यह कह्ते ही लोग प्यार करते थे,  महात्मा सी जय जय कार करते थे।  आज मालूम पड़ते ही अपराधी सा  व्यहवार होता है,  जूतो से,  गालियो से सत्कार होता है। प्यारी मम्मी क्या कमी रह गयी थी,  आज तक तो यह जनता सभी कुकर्मो को सह गयी थी।  माफ़ कीजियेगा पर आपके राज में मीडीया पर वह अंकुश नही, जो आपकी सास के जमाने में था । सबक लीजिये इंदिरा सा व्यहवार कीजिये,  कुछ भी हो पर टीवी/अखबार  मे नही आना चाहिये, बस।


प्यारी मम्मी,  ये कैसे हुआ कि लोक तंत्र में बाबा लोग अन्ना लोग देश हित को आगे आ रहे हैं।  आपके मुंशी मैनेजर कहते हैं कि ब्लैक मेलिंग है,  बाबा फ़्रौड है,  अन्ना चोर है।  पर मम्मी जी अगर ये लोग ऐसे हैं,  और अपने मन मोहन संत हैं, महात्मा हैं,  तो देश मे इतना भ्रष्टाचार कैसे हो गया। क्या आरएसएस और बीजेपी राजा के पीछे है, नही भी है तो भी कपिल सिब्बल,  मनीष तिवारी ऐसा बयान क्यों नहीं दे रहे। मै गरीब आपको क्या सलाह दूं,  आप ही कोई रास्ता निकाल लीजिये। मै तो अब तक  इस महान राजवंश का मुलाजिम था और आगे भी रहूंगा,  दाल रोटी और नमक का गुलाम हूं।  पर आप से एक ही गुजारिश है मम्मी जी,  कांग्रेस में यदि कोई गुप्त पद हो,  जिस बारे मे जनता न जान सके,  तो वह देकर प्लीज मेरा ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष पद वापस ले लें  ।

आपका अपना

सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी


पुनःश्च

प्यारी मम्मी,  ये अंबिका सोनी जो सूचना और प्रसारण मंत्री हैं।  वो अपना काम ठीक से नही कर रही हैं। आपातकाल के समय इसी मैडम ने ऐसा चकरा चलाया था कि सारे अखबार और पत्रकार लाईन मे आ गये थे।  मम्मी जी,  आज भी अगर ये जैसा प्रेम संजय गांधी से करती थीं, आपसे करें तो दो दिन मे मामला राईट हो जायेगा।

Wednesday, August 24, 2011

अन्ना गांधी का वध क्यों --- मनमोहन गोंड़से

नुक्कड़ पर यूरिया वाली चाय पीते समय हमने भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी से पूछा- " क्यों भाई शर्माजी आपके मनमोहन गोड़से इस अन्ना गांधी का वध क्यों करना चाहते हैं"। शर्मा जी भड़क गये-" यार दवे जी आप क्यों हर समय उसजुलूल बाते करते हो,  मनमोहन तो अन्ना की इज्जत करते हैं, और आप को क्या लेना देना, आप क्यों पूछ रहे हो"। हमने कहा भाई गोड़से भी इज्जत करता था,  उसने मारने के पहले गांधी जी के पैर भी छुये थे।  रही बात हमारी तो हम गोड़से जैसे इस बारे मे किताब लिखना चाहते हैं"। शर्मा जी भन्नायें- " कुछ हुआ ही नही है , और आप किताब लिखोगे"।  हमने कहा- "भाई ऐसा होने वाला है,  ऐसा नजर आ रहा है"।  "किताब लिखने वाले को घटना होने के पहले की परिस्थितियों और कारण के पर भी प्रकाश डालना होता है कि नही"।

शर्मा जी बोले-  "यार हमारा अन्ना से कोई बैर थोड़े ही है, हमें तो उनके अनशन के तरीके से और उनकी संसद को नींचा दिखाने की अवधारणा से बैर है"। हमने कहा - "गोड़से को भी गांधी जी से बैर थोड़े था,  उसको गांधी की विचार धारा और उनके अनशन के हथियार से ही बैर था"। "गांधी इसी अनशन से दंगे बंद करा देते थे, अपनी बात मनवा लेते थे"। "और गोड़से ने तो अपनी सोच में राष्ट्र भक्ति का ही काम किया था,  उसे लगा कि गांधी ने देश का बटवारा करवा दिया,  हिंदुओ का नुकसान किया तो उसने ये जघन्य कॄत्य कर डाला,  पर फ़िर भी अपने स्वार्थ में नही देश के स्वार्थ के लिये" ।" अगर गोड़से को कोई सही समझाने वाला मिलता तो वह अपनी देशभक्ती का सहीं प्रयोग करता,  पर आपका मन्नू , उसकी मम्मी और उस मम्मी के चालीस चोर तो देश भक्ति मे नही मम्मी भक्ति मे, निज स्वार्थ पूर्ती के लिये इस अन्ना गांधी को मारने वाले हैं"। "उनका अपराध तो अक्षम्य होगा"। " उस देशभक्त पर मूर्ख गोड़से को तो आज तक किसी ने माफ़ नही किया, आपके देशद्रोही और महा कुटिल मनमोहन गोड़से को तो युगों युगों तक मीर जाफ़र और जयचंदो की श्रेणी मे रखा जायेगा।
शर्मा जी ने तुरंत प्रतिवाद किया बोले, " हम तो परम पूज्यनींय, नित्य स्मरणीय बाबा साहब के सिद्धांतो और उनके बनाये संविधान का पालन कर रहे हैं"। मैने कहा- " उसी संविधान मे पीएसी के बारे मे व्यवस्था दी गयी थी,  क्या किया उसका आप लोगो ने,  मनमाने अध्यक्ष चुन लिया,  जोशी जी की रिपोर्ट खारिज कर दी,  वोटिंग करा दी क्या इसकी व्यवस्था थी,  आदरणीय़ बाबा साहब के संविधान मे"। शर्मा जी बोले, - " संविधान के अनुसार जिसका बहुमत हो उसी की बात मानी जाती है"। हमने कहा- " आज देश मे अन्ना का बहुमत है, जनलोकपाल बिल में क्यों नही मानते उनकी बात"।" क्यों शाहबानो प्रकरण मे संविधान बदल दिया था"।" क्या संविधान मे ये लिखा था,  कि आदिवासियों को उनके जंगलो से खदेड़ उसे सागौन और साल के जंगलो ने बदल दो,खदानो मे बदल दो। दलितों को खदेड़ उनकी जमीनो पर कब्जा कर कारखाने लगवा दो, बिल्डिंग तनवा दो"।

तभी दीपक भाजपायी बीच में कूद पड़े - "सहीं है दवे जी,  इस संविधान की तो कांग्रेस पार्टी मे धज्जियां उड़ा दी हैं"। हमने पूछा - "आप लोगो ने क्या किया,  और क्या कर रहे हो"।" पिछले गांधी को तो आप लोगो ने नकार दिया था,  आज तक उस भूल का खामियाजा भुगत रहे हो"।" अपनी अंटशंट किताबो से युवा समर्थकों का दिमाग तक खराब कर दिया है"। "आज मौका था भूल सुधार का,  पहले दिन से इस गांधी से बातचीत कर अपने अपने विचार सामने रखने का"  तो बाबाओं को,  यतियों को सामने कर दिया"।

"जनसैलाब तक उठता नहीं दिखा,  समझ में नही आया कि जनता सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी से नही,  वरन पूरे सड़े हुये सिस्टम से त्रस्त आ गयी है"।" इस आल पार्टी मीटिंग का उपयोग कांग्रेस कैसे करेगी पता है आपको ? जैसे आप बाबा रामदेव के पीछे छुप सत्ता पाने पाने की सोच रहे थे, वैसे अब कांग्रेस  संसद के पीछे , संविधान के पीछे छुप इस गांधी को नकारने की सोचेगी। "जब उसे लगेगा कि मामला हांथ से बाहर जा रहा है,  तब तपाक से कूद कर इस गांधी को भी गले से लगा लेगी जैसे पिछले गांधी को लगाया था और साठ साल मलाई चाटी थी

"दीपक बाबू गोंड़से पैदा मत कर गांधी को पहचानो,  हिंदू हिंदू चिल्लाते हो तो जान लो गांधी ही हिंदू समाज के सबसे बड़े संत थे"। "जिन्होने पहचान लिया था कि इसी जातिवाद के कारण हिंदू समाज सदियों से हारता आया है"। "उन्होनें हरिजन उद्धार की जो मुहिम शुरू की,  उसी के कारण आज देश मे दलित मुख्य धारा में हिंदू समाज से जुड़ रहें हैं"। "वरना जितने पिछड़े थे, सब अपना धर्म बदल लेते,  आधे मुसलमान बन जाते , आधे इसाई और आप अपना राम राम भजते रहते"।


"खैर साहब खामखां इन मूर्खों को समझाने मे मैं अपना वक्त जाया करता हूं।  सालो बाद आज तो ये सही काम कर रहे हैं,  जनता जाग रही है"। "और ये भड़काने के लिये आग मे धी डाल रहे हैं"। "अच्छा है इस मनमोहन को गोड़्से बन जाने दें",  कम से कम ये मुर्दा कौम जाग तो जायेगी"। भगवान ने बड़ी मिन्नतों के बाद ऐसे मूर्ख सत्ताधारी और विपक्षी दल भेजे हैं। हमको भी सालो से तलाश थी भारत के मिखाईल गोर्बाचोव की"।

Sunday, August 21, 2011

अन्ना के आंदोलन पर नुक्कड़ बहस

सुबह सुबह नुक्कड़ पर यूरिया वाली चाय पीते समय हमनें कहा - "भाईयों कल धोनी का फ़ोन आया था,  कह रहा था, हम तो पिट रहें हैं, लेकिन अन्ना को बाबा टाईप पिटने न देना"। भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी हंसने लगे, बोले -"क्या फ़ेंकते हो यार दवे जी"।  हमने कहा-"क्यों फ़ेकने का ठेका सिर्फ़ कांग्रेसियों को मिला हुआ है,  दूसरे नहीं फ़ेंक सकते"। "कभी बोलते हो बाबूराव हजारे उर्फ़ अन्ना सर से पांव तक भ्रष्टाचार मे लिप्त है, कभी  कहते हो सेना छॊड़ भाग गये थे"। बिल बनाने की इच्छा नही और दायें बायें की हांकते हो"।

तभी एक बाबा वादी ने दखल दिया कहने लगे - "दवे जी ये कांग्रेसी निपट बदमाश हैं,  अन्ना हजारे इनका एजेंट है"। हम जरा झटके मे आ गये यह दिव्य विचार एक दम नया था।  हमने पूछा- "बड़े भाई जरा कुछ विस्तार से समझाओ"। जवाब मिला - "इस बार अन्ना जी के मंच पर  गाँधी आ गए हैं, भारत माता का चित्र आउट हो गया है"। " अग्निवेश, मल्लिका साराभाई जैसे कांग्रेसी एजेंट अन्ना के साथ जुड़े, जिन्होंने रामदेव जी द्वारा पकी-पकाई खिचडी में गांधीवादी-सेकुलर ( कोंग्रेसी) मुलम्मा चढ़ा दिया"।  इसमे सेकुलर मीडिया नें भी बहुत महती भूमिका निभाई।

हमने पूछा - "क्यों भाई,  कहीं ये दर्द इसलिये तो नही कि आपकी पूज्यनीय साध्वी को मंच पर बुला भाजपायी साबित होने के बाद पिटे बाबा का जनसमर्थन नही मिला, और अन्ना को अपार समर्थन मिल रहा है"।" उस पर आपके भाजपायी बाबा को राजनीतिक होने के कारण मंच से दूर कर दिया गया है"। "अन्ना की वंदे मातरम की ललकार को आपको  सुनाई नही पड़ रही"। " दिक्कत आप को अन्ना से है,  या गांधी के फ़ोटो से "।

 "हमने कहा गांधी जी की फ़ोटॊ से दिक्कत है फ़िर क्यों नहीं आपके बाबा और भाजपा गोड़से की फ़ोटॊ लगाते क्यों राजघाट जाते हैं धरना देने, श्रद्धांजली देने"।  " क्यों हर आंदोलन मे कट्टर हिंदुत्व घुसाना चाहते हो। हमको नही है स्वीकार कट्टर हिंदुत्व की अवधारणा हम हिंदू मुस्लिम एकता के पक्षधर हैं "। " आप की विचारधारा हमसे अलग है, तो आप कट्टर हिंदुत्व का अलग आंदोलन शुरू करो जनता को साथ देना होगा तो देगी"। "ये क्या कि भ्रष्टाचार के विरोध के गुड़ मे लपेट कट्टर हिंदुत्व की मक्खी हमारे गले में उतारना चाहते हो" ।

बाबा वादी ने मुंह बिचकाया बोले -"दवे जी आप कांग्रेसी हो"। हमने तुरंत आस्तीन चढ़ाई, कहा एक बार कांग्रेसी कह दिया,  अगली बार यह गाली दी तो आप का मुंह तोड़ देंगे। तभी एक स्वयंभू दलित नेता ने दखल दिया, बोले - " दवे जी,  ये स्वर्ण समाज का आंदोलन है,  हमारा नहीं"। हमने कहा- " भाई भ्रष्टाचार से सबसे अधिक तकलीफ़ किसको है, अगड़ों को कि पिछड़ों को"। " किसी मध्यम वर्गीय आदमी को पाला ही कितना पड़ता है सरकार से साल मे एक दो बार लाईसेंस पासपोर्ट के लिये ज्यादा हुआ तो नगर निगम का टैक्स पटाने के लिये"। "वो पैसा देगा तो या समय बचाने के लिये या पैसा बचाने के लिये"। " पिछड़ा वर्ग उसे तो हर महिने का राशन, खाद, रोजगार गारंटी ,बच्चों के लिये कापी किताब चाहिये"। "अमीर के पास पुलिस से काम पड़ेगा तो एक फ़ोन लगायेगा काम हो जायेगा ठोला भी इज्जत से बात करेगा,  गरीब उसे तो डंडा पहले पड़ेगा बात बाद मे होगी" । "अमीर बीमार होगा तो निजी हस्पताल जायेगा और गरीब सरकारी हस्पताल जायेगा फ़िर इलाज के लिये दवाईयों के लिये रिश्वत" ।  "तुम लोग ठेकेदार बनते हो दलित वर्ग के,  उनके भले के लिये आंदोलन चल रहा है तो होशियारी दिखा रहे हो"।

एक विरोधीलाल जो आदतन जमाने के विरोध मे रहते हैं बोले, "पर ये अरविंद केजरीवाल का बिल ही क्यों, हमारी अपनी सोच है हमने अपना बिल बना रहे हैं"। हमने कहा तो अब तक सो रहे थे विरोधीलाल जी,  ये लोग जनता से दो साल तक सुझाव मांगते रहे क्यों नही गये"।" इनको छोड़ो चौसठ साल हो गये बिल नही बना तब आप लोग क्या कर रहे थे"। और कमी नजर आ रही है तो  प्रावधान दर प्रावधान चर्चा क्यों नही करते,  कि इस प्रावधान मे ये कमी है या ये दिक्कत है" । असली बात यह है कि  जिनका पेट दुख रहा है अन्ना की सफ़लता से बाबा को साथ न लेने से कांग्रेस की फ़जीहत से उनको करोड़ों कमिया नजर आ रही हैं।

सभी लोगो मंत्रणा की कि दवे जी के आगे बीन बजाना बेकार है, क्यों न चल कर किसी दूसरे को भड़काया जाये। तो साहब वे सब तो मुझे छॊड़ चले गये और मै सर खुजाता रह गया कि हे भगवान किस देश मे पैदा कर दिया मुझे। जहां के लोग देशहित की बातों में भी अपना अपना स्वार्थ खोजते हैं। कोई दलित बन सोचता है,  कोई कट्टर मुसलमान बन, कोई कट्टर हिंदू बन दिमाग लगाता है,  कोई पार्टीवादी बन।  भारतीय बनकर क्यों कॊई नही सोचता। खैर यह सोचते सोचते मैं सोच ही रहा हूं, आप भी सोचिये बात है ही सोचने वाली।

Wednesday, August 17, 2011

कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक मे दवे जी

साहब,  कांग्रेस को भीषण संकट के इस काल में किसी ने सुझाव दिया कि दवे जी नाम के एक फ़ोकट चंद लेखक हैं। जो आज कल सत्ता सुंदरी के नाम से चिठठीयां लिख लिख नेताओं, बाबाओं को सलाह दे रहे हैं। क्यों न उनसे इस संकट पर सलाह ली जाये। बुलावा मिलने पर हम तत्काल पहुंच गये, हमसे अन्ना नामक संकट से निपटने पर विचार मांगे गये, यह भी पूछा गया कि दवे जी इस अन्ना को मिल रहा जन समर्थन कैसे खत्म किया जाये।


हमने कहा - "इस अन्ना को कोई समर्थन तो मिल ही नहीं रहा है"। सुनते ही कपिल सिब्बल जी उछल पड़े बोले -"मै न कहता था, ये तो टीवी मे देख देख कर लोग तमाशा देखने पहुंच रहे हैं"। फ़िर कपिल जी आदतन कुटलिता से मुस्कुराये बोले - "इसको बाबा जैसे पकड़ कर दिल्ली से बाहर करो सब ठीक हो जायेगा"। हमने माथा पकड़ लिया कहा -" वकील साहब हर बात में ज्यादा होशियारी झाड़ना महंगा पड़ता है"। "और ये जो बार बार दांत निपोरते हो इसे बंद करो,  पूरा देश आपके उपर भड़का हुआ है"। "हम कह यह रहे थे कि ये अन्ना का समर्थन नही आपकी पार्टी को असमर्थन है, जो सड़कों पर उमड़ पड़ा है"। आपके प्रवक्ताओं की अकड़, बदजुबानी, बेशर्मी से देश स्तब्ध है, इतने घोटालों के बाद जो शर्मं और अफ़सोस आपके चेहरे पर नजर आनी चाहिये वो नदारद है।  कड़े कदम उठा दागी मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को जेल भेजते, पार्टी में आमूळ चूल हेर फ़ेर करते,  तो यह नौबत नहीं आती।


मनमोहन जी बोले- "हमे भाषण नही सुनना,  उपाय हो तो बताईये"।  हमने कहा- " अन्ना को गिरफ़्तार करने का निर्णय किसने लिया था,  पहले आप यह बताईये"। वोरा जी बोले- "ये निर्णय शासन का है, पार्टी का इससे संबंध नहीं है"।  हमने चिदंबरम की ओर देखा तो वो कहने लगे-  "कानून व्यवस्था का काम पुलिस प्रशासन का है,  इससे सरकार का मतलब नही"। हमने कहा-  "दाई से पेट छुपाओगे कांग्रेसियों, तो सरकार का दो साल मे ही गर्भपात हो जायेगा,  ये फ़ालतू की सफ़ाईगिरी बंद करो"। फ़िर हम राहुल जी की ओर मुड़े पूछा- " बाबा क्या कांग्रेस इतनी चोर हो गई है कि ये वकील ही भर्ती करते हो"। " जमीन से जुड़े नेताओं को रखते तो ये नौबत ही नही आता,  पहले ही बात समझ जाते कि जनता बेहद क्रोध मे हैं"।  "खैर आप लोगो को अन्ना को गिरफ़्तार करना भारी पड़ चुका है अब रास्ता केवल एक ही है"।


"सबसे पहला कदम यह उठाओ कि मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंग जैसे महापुरूषों को अज्ञातवास में भेज दो"।  "दूसरा कदम,  जितने बेईमान हो उतनी ही ईमानदारी से इस बिल को पास कराने मे भिड़ जाओ"।  तभी एक महाशय बीच में कूदे कहा - "ओ शिवाजी बिल पास ही करना है तो फ़िर तुम्हारी सलाह क्यों मांगते"। हमने  कहा - " कांग्रेसियों दूसरो की पूरी बात सुनना ही तुमको आता तो आज ये नौबत नहीं आती,  अपना मुंह बंद कर पूरी बात सुनो"। "हां,  तो मै यह कह रहा था,  कि रामलीला मैदान मे अन्ना की लीला शुरू होने के अगले दिन,  बाबा को दो तीन युवा नेताओं,  जैसे जिंदल, पायलट आदि के साथ अन्ना के पास रवाना कर दो"।  " ध्यान यह रखना कि स्वयं किरण बेदी और केजरीवाल अगवानी करें वरना पब्लिक फ़ोड़ाई की भी संभावना है"।  "जाते ही अन्ना के कैमरों के सामने चरण स्पर्श कर आधे घंटे मंच के सामने चुपचाप विराजमान हो जायें और फ़िर बिना कुछ बोले वापस आ जायें"।  फ़िर अन्ना की कमेटी को बुला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में एक समिती बना लेना,  बिना होशियारी किये सर्वसम्म्ती के नाम होना चाहिये"।

"आपकी तरफ़ से उसमे केवल प्रणब दादा रहें,  और विपक्ष का कोई न रहे"।  "उस समिती से जितनी मांगे मनवाई जा सकें मनवा कर,  दो दिन के अंदर बिल का प्रारूप बिना होशियारी किये संसद में पेश कर देना"।  "इस बीच मीडिया के सामने कोई कुछ न कहे"।  "इसके बाद गेंद विपक्ष के उपर डाल,  शांती से जुगाली करते बैठना।  "कुछ कहना तो बिल के समर्थन में अन्यथा समिती की इज्जत के नाम पर चोंच बंद ही रहे"। इस बीच आपके युवा सांसद सरकार के पिछली हरकतों पर गुस्सा जाहिर कर सकते हैं,  और सोनिया की बीमारी के कारण राहुल बाबा के न होने की दुहाई दे सकते हैं"।


"बस फ़िर आप जितने चोर हो विपक्षी भी उतने चोर हैं, अपनी होशियारी घुसाये बिना बने बिल पर तमाम अड़ंगे लगायेंगे"।  "उनको अन्ना टीम के साथ निगोशियेसन मे लगने देना"। वहां मायावती, लालू,  मुलायम जैसे तमाम विद्वान बैठे ही हैं। जनता का जो आक्रोश आप पर है उनकी ओर मुंड़ जायेगा"। और इसी बीच कोई न कोई रास्ता निकल आयेगा।  इतनी सलाह दे अपने राम बैठक छोड़ निकल आये।


अब कांग्रेसियों नें हमारी सलाह कितनी मानी यह तो वक्त ही बतायेगा। पर अपना पुराना अनुभव है कि कॊई किसी की सलाह  मानता नहीं है। और नेताओं में तो यह बीमारी और गंभीर होती है। खैर साहब ऐसा लगता है कि इन कांग्रेसियों को निकट भविष्य मे अपनी फ़्री सलाह की फ़िर जरूरत पड़ेगी,  आपके कुछ सुझाव हों तो अवश्य बता दीजियेगा मै कांग्रेसियों तक पहुंचा दूंगा।

Monday, August 15, 2011

मनमोहन को सत्ता सुंदरी का पत्र

श्री मन्नू


प्यारे इसलिये नहीं कहा कि अब मुझे आपसे प्यार नहीं रहा।  पिछले सभी पतियों की तरह आपकी भी फ़ोटो मेरे भूतपूर्व पतियों के साथ टंगने वाली है। इन पतियों की दो श्रेणियां हैं, ए ग्रेड पतियों में नेहरू जी शास्त्री जी से लेकर राजीव जी अटल जी जैसे पति हैं, जिन्हे आज भी मै शिद्दत से याद करती हूं।  इनमे कमियां थी पर ये कमीने नही थे। दूसरी श्रेणी मे चंद ऐसे नाम हैं जिन्हे मैं अपनी जुबान पर लाना भी नही चाहती। अब आप भी इन दोनो मे से किसी न किसी श्रेणी में जायेंगे ही।


इतने दिनो के दांपत्य जीवन मे मुझे अस्मिता का ऐसा संकट पहले कभी नही आया था। जिस संविधान को साक्षी मान कर आपने मेरे साथ फ़ेरे लिये थे।  और जो कसमें खायीं थी, क्या आप सभी को भूल गये हैं।  क्या आपने यह नहीं कहा था कि मैं विधी द्वारा बनाये गये संविधान का पालन करूंगा,  और जनता के मौलिक अधिकारों की रक्षा करूंगा?  या आपने युधिष्ठिर की तरह छल कर,  अपनी पार्टी के संविधान का नाम लिया था। क्या शोभा देता है,  किसी वकील को बैठा कर संविधान की मनचाही व्याख्या करवाई जाये। आप मेरे पितामह गांधी के आदर्शो पर रोक लगाना चाहते हैं,  लोकतंत्र को छिन्न भिन्न कर देना चाहते हैं।

आपने ये न सोंचे कि मुझसे विवाह को लालायित, पाईप लाईन में लगे लालकिशन के बहकावे मे आकर यह कह रही हूं। मुझे उनकी भी सब चालें पता है,  नीयत साफ़ होती तो मर्दो की तरह सामने आकर कहते कि मुझे लोकपाल की यह शर्ते मंजूर हैं, और ये नामंजूर। पर वे दूर से आग सेंक,   इंतजार कर रहे हैं कि कब मेरे बच्चे आपको भूतपूर्व कर दें और वे आकर मजे करें।


मै दोष आप को दे रही हूं,  कि आप मेरे वर्तमान पति हैं। और आपके पति रहते तमाम वो चीजें हुयीं हैं,  जिनके कारण आज बिना स्वयंवर में भाग लिये अन्ना आप को ललकार रहे हैं। आप राजसभा और उसकी सभी संस्थाओं की मर्यादा को तार तार होते देखते रहे।  आपके नजायज संबंधियो ने मेरे राजप्रसाद को बेतरह लूटा,  और नियमो का उलंघन ही नही अपमान भी किया। आप के राज परिवार नें आज वो नौबत ला दी है,  कि बिना राजकुल मे शामिल हुये कोई मेरे स्वयंवर मे शामिल नही हो सकता। और स्वयंवर जीतने के लिये ये तमाम राजकुल,  मेरे ही राजप्रसाद से लूटी धनराशी का उपयोग करते हैं। और हदें यहां तक पार हो गयी हैं,  कि कुल मर्यादा को भूल बदतमीज और अपराधिक षडयंत्रों मे शामिल लोग राज सत्ता के प्रवक्ता बन आम जनता को ललकार रहे हैं।

और आप यह भी न सोचे कि आप के नकार देने से आपके संबंधी आपके संबंधी  कहलाये नहीं जायेंगे। देर सवेर ही सही एन डी तिवारी जैसे डीएनए टेस्ट करवाना ही होगा। अदालतें अब जान चुकी हैं कि उनकी साख पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। आप यह भी न सोचना कि इन अपराधों के इतिहास में आपके साथ मुख्य गुनहगारो के नाम भी होंगे। इतिहास सदैव राजाओं के नाम दर्ज करता है उसके मंत्रियों को कोई याद नही रखता।


आप को अभी भी मौका है,  अपनी गलतियों को सुधार सहीं कदम उठाने का।  लोकतंत्र और संविधान की गरिमा को वापस स्थापित करने का। जिस क्षण आप कड़े नियमो की घोषणा कर देंगे आपके विरोधी और आप को सामने रख माल उड़ाने वाले दोनो छटपटा जायेंगे,  लेकिन असहमति व्यक्त नही कर पायेंगे।  इन सात सालों मे आपके पास गौरवपूर्ण उपलब्धियां भी हैं ही,  सामने आईये और सही निर्णय लीजिये। वरना जिस राजवंश की खातिर आप ने इतनी बदनामी उठाई है, वह तो सदैव बना ही रहेगा।  नौबत आयेगी तो आपको भी खलमाड़ी के बाजू खड़ा करने मे वक्त नही लगायेगा। और आपकी जो फ़ोटॊ टगेंगी उसमे इतने दाग लग जायेंगे,  कि आपका चेहरा भी नजर नही आयेगा।

आपकी शुभचिंतक

सत्ता सुंदरी

Tuesday, August 9, 2011

देखो अन्ना इस बिल से भ्रष्टाचार बदनाम तो न होगा

साहब आज की बैठक नुक्कड़ में न थी। शहर से दूर एक ढाबे में भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने दावत रखी थी। दावत इस कर के थी कि कोई भी समझदार कांग्रेसी आड़े वक्त मे लेखक और पत्रकार इन दो प्राणियो को अवश्य खिलाता पिलाता है।  आजकल भाजपायी भी इसी रास्ते में हैं,  पर ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हे इस मामले आरक्षण की आवश्यकता है। खैर हुआ कुछ ऐसा कि माहौल बनने के बाद बात भ्रष्टाचार पर न मुड़ जाये। इसलिये शर्मा जी ने शेरो शायरी की इच्छा जाहिर की। अपने राम शुरू हो गये

कांग्रेसियों की कांग्रेसियत से।
 
भ्रष्टाचार बदनाम तो न होगा

लोकपाल लाओ पर इतना बतला दो।

 कहीं हमें आराम तो नही होगा॥

भ्रष्टाचार का नाम सुनते ही शर्मा जी ने मुंह बनाया।  कहने लगे- " एलिया साहब से चुरा कर मरोड़ कर सुना रहे हो।"  हमने कही- "भाई आम खाओ, पेड़ क्यों गिनते हो।  हमने सुनाई,  अभी हमारी हुई। अब आप जो बियर पी रहे हो,  पूछा है किसने बनाई।  कैसे अनाज को सड़ा कर, उसमे कीड़े लगाकर खमीर उठाया जाता है। बदबूदार माहौल में दुर्गंध के बीच उसे कैसे पैक किया जाता है।  शर्मा जी पीते पीते ठसक गये,  आगे न पी गयी। अपने मियां पीना जारी था।  उन्होने आरोप लगाया- " जब इतनी गंदी चीज है। तो तो आप कैसे पी रहे हो।"  हम मुस्कुराये,  कहा- शर्माजी आप आम जनता की तरह अनजान हो।  आपको पता ही नही कि आप पी क्या रहे हो।  हम सरकार की तरह कैलकुलेटेड रिस्क ले रहे हैं।  हमे पता है,  इसमे गंदगी है,  गरीब का पसीना, आह, पीड़ा मिली हुयी है। पर हमने सरकार की तरह हिसाब लगाया हुआ है। नशा ज्यादा मजा देता है और गंदगी या भ्रष्टाचार है ही नही। कह कर साफ़ नकारा जा सकता है।"

शर्मा जी भड़क गये, बोले- "हर बात मे सरकार को काहे बीच मे लाते हो। हम तो इस ठंडी और खूबसूरत दिखने वाली बियर का मजा लेंगे ही।" हमने - मियां आखिर विज्ञापन में आपके बबलू बाबा दीदी प्रधान मम्मी की तरह के चिकने लोग ही दिखते हैं की नही।  खलमाड़ी टाईप थोड़े होर्डिंग मे आते हैं। यह सोचने साम न चलेगा। बियर के अंदर गंदगी है इसमे कोई शक नही।" शर्मा जी भड़क गये,  बोले-  दवे जी, हमारी पार्टी में हमारी बियर पीकर, हमारी पार्टी को ही भुला बुरा कह रहे हो।" हमने कहा-  "आपसे ही सीखा है भाई। जिस देश ने आपको सिर माथे पर लगाया,  आपकी हर गलती माफ़ की  उससे बेईमानी। फ़िर उसके बाद सीनाजोरी।  हम जैसे देश वासी भी तो यही सीखेंगे न। आप लोगो की तरह खा पी के डकार रहे है अहसान काहे गिनाते हो।

शर्मा जी खड़े हो गये,  कहने लगे-  "हमारी पार्टी के नेताओ ने शहादत दी है इस देश के लिये। महात्मा गांधी से लेकर राजीव गांधी तक। संघ वाले तो आजादी के आम्दोलन मे थे ही नही। इन विरोधियों ने  किया क्या है देश की आजादी के लिये।"  हमने जवाब दिया-  "भाई मेरे महात्मा गांधी कांग्रेस छोड़ चुके थे। और कितने चुनाव जीतोगे शहादत के नाम पर।  हद हो गयी, एक आम शहीद के परिवार को कितने लाख रूपये मिलते हैं। उतने लाख करोड़ तो आरोप है कि स्विस बैंक में जमा हैं राजपरिवार के। अनुकम्पा नियुक्ती का समय खत्म हो गया भाई,  अब बख्श दो हमें।"

मामला बिगड़ते और  अगली बियर की आशा धूमिल पड़ती देख। आसिफ़ भाई ने  बात घुमाई।  पूछा-  "दवे जी "भ्रष्टाचार से आराम तो नही होगा"  ऐसा क्यों कहा आपने।" हमने कहा- "भाई बात समझो,  भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा तो हम लोगों का जीना ही मुश्किल हो जायेगा। नक्शा पास करवाने से लेकर हर काम में गरीबो की तरह चक्कर लगाने होंगे। अब आम हिंदूस्तानी के लिये यह कितना मुश्किल है।  हर काम मे शार्टकट नस-नस में समाया हुआ है। लोकपाल के डर से कोई सरकारी कर्मचारी दो नंबर का काम ही नही करेगा। तो हम लोग तो जीते जी मारे जायेंगे।"

गुप्ता जी मुफ़्त में मिली तीन बियर डकार चुके थे। भारी  जोश में थे।  बुलंद आवाज मे बोले-  "एक दो तीन चार अन्ना जी की जय जय कार।" फ़िर कहा-  "लोकपाल मस्ट कम आर वुई वुड सफ़र लाईक अनी थिंग।" हम गुप्ता जी के मुंह से धाराप्रवाह अंग्रेजी निकलते देख सावधान हो गये। तीन बियर के बाद उनका अंग्रेजी पेलना शुरू हुआ। मतलब उनको वापस होम ग्राउंड पहुंचाये बिना, उनसे मुक्ति पाना अंसंभव था। सो उनकी उतारने के लिहाज से हमने उन्हे टोका- "सोच लो गुप्ता जी। फ़िर हमको सारे काम नियम से करने होंगे।" उनको बात मंजूर थी, बोले- यस, टाईम हैस कम टु बिकम हानेस्ट।"  हमने घोषणा की - भाईयों, घर लौटते समय गुप्ता जी पैदल जायेंगे। दस किलोमीटर पैदल चलने की बात सुन। गुप्ता जी तुरंत होश में आ गये। भड़ककर हिंदी में बोले- "मैं पैदल क्यों जाउं, जिसको बियर लग गई हो वो जाये।" हमने कहा- मिस्टर गुप्ता ड्रंक ड्राईविंग इस अनलाफ़ुल। गुप्ता जी ने हिंदी का दामन न छोड़ा, चीत्कार कर बोले - भाई , अभी लोकपाल बिल आया कहां है,  एक बार आ जाये। फ़िर नेताओं की तरह हम भी सुधर जायेंगे


मित्रो यह तो लोकपाल पर  हल्की फ़ुल्की दिल्लगी थी।  पर इससे निकली गंभीर बात यही है कि हमें यदि भ्रष्टाचार को भारत से दूर भगाना है तो शुरूवात खुद से ही करनी होगी। जमीनी स्तर से  भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ने से ही भ्रष्टाचार खत्म होगा। और बाकी पच्चीस जुलाई  से महायुद्ध तो छिड़ने वाला ही है। आप सभी से अनुरोध है कि आगे बढ़, अन्ना हजारे और उनकी टीम का साथ दे। वरना कतील शिफ़ाई का यह शेर सदैव हमारा मुंह चिढ़ाता रहेगा-                                              
                  हमने तो कतील सा मुनासिफ़ नही देखा ।
                  जो जुल्म तो सहता है पर बगावत नही करता ॥

जात और धर्म से,  अपनी पसंद के राजनैतिक दलो से उपर उठ भ्रष्टाचार के विरोध में और कड़े कानूनो की मांग को लेकर विशाल आंदोलन किये बिना यह देश राहत नही पा सकता।

                                         

Thursday, August 4, 2011

प्यारी मम्मी की बीमारी हमें पता है

भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी नुक्कड़ मे जिम टाईप शरीर हिला रहे थे। हम पूछ बैठे क्यों भाई अन्ना के आंदोलन को कुचलने की तैयारी है क्या।  शर्मा जी ने पूछा - कौन अन्ना भाई,  हमने कहा सोलह अगस्त आने दो कलमाड़ी टाईप  याददाश्त वापस आ जायेगी।  शर्मा जी ने सिर हिलाया - मियां तुम भी कहां लगे हो,  इतना सेना पुलिस को तनख्वाह काहे दिया जाता है।  उनका सरदर्द है वो संभालेंगे सुप्रीम कोर्ट मे बात जायेगा तो जवाब भी वही लोग देंगे। हम लोग काहे सर दुखायें बाकी संसद तो चल ही रही है,  विपक्षी भी अपने ही टाईप के लोग हैं जो पूछते हैं जवाब दे दिया जाता है।

हमने पूछा फ़िर तैयारी कहां की है आपकी, तो जवाब मिला भाई कभी भी अमेरिका जाना पड़ सकता है। अपनी प्यारी मम्मी बीमार हैं, वहां भर्ती हैं। हम आश्चर्य मे पड़ गये,  कहा - हमे तो पता ही नही था कब बीमार हुयीं और बीमारी क्या है। शर्माजी ने कहा- वह नही बता सकते। हमने पूछा ये कौन सी बात हुयी भाई बीमारी का नाम बताओगे तो लोग सलाह देंगे,  एक से एक थिंकटैंक हैं देश मे। अपना बाबा भी खाली है आजकल,  पतंजली मे ही भरती करवा देंगे। ईडी से लेकर सीबीआई तक सारों ने दफ़्तर भी खोल रखे हैं।  वहां काम काज मे कोई दिक्कते नही आयेगा। और लगे हाथ बाबा से दोस्ती भी हो जायेगी। शर्मा जी बोले-  नही भाई, अमेरिका ही सही हैं वहां अच्छा इलाज होता है। हमने पूछ लिया-  साठ साल के सुशासन के बाद भी भारत मे अच्छे डाक्टर नही बना पाये क्या?  या अस्पतालों की हालत ऐसी नहीं की मम्मी का इलाज हो सके।  बाहर तो बड़े एड देते हो सीएनएन को बीबीसी को कि भारत मे मेडिकल टूरिज्म है,  सस्ता और बेहतरीन इलाज होता है। शर्मा जी ने तर्क दिया - नयी तकनीक आयी है अमेरिका मे, अभी अभी अविष्कार हुआ है। हम ने कुतर्क जड़ दिया-  भाई तकनीक भारत मे आयात कर लो मम्मी के बहाने लगे हांथ गरीबो का भला हो जायेगा मम्मी ।

शर्मा जी ने कहा भाई जल्दबाजी में इलाज करवाना पड़ गया,  वैसे आपका आईडीया अच्छा है आगे हम अपनाएंगे। हमने कहा बीमारी का नाम तो बता दो भाई। शर्मा जी भुनभुनाये-  नही बता सकते देश मे अराजकता फ़ैलने का खतरा  है।  आसाराम बापू को गिरफ़्तार करने जैसे हालात हो जायेंगे।  हमने कहा हमको  पता है उस भयंकर बीमारी का नाम अन्ना हजारेस लोकपालाईटिस है।  आंदोलन कहीं भड़क गया,  कुचलने की नौबत आ गयी।  तो आपकी मम्मी तो रहेंगी नही वो तो बेहोश होंगी उस समय।  जब होश आयेगा तो उन्हे बड़ा अफ़सोस होगा,  हो सकता है गुस्से मे आकर दो चार मंत्रियों को बाहर भी निकाल दें।  बाबा और दीदी भी बाहर ही रहेंगे उस समय बड़ा जबर्दस्त समय है बीमार पड़ने के लिये।

शर्मा जी भड़क गये-   आपको शर्म नही आती ऐसी बातें करते हुये।  हमने कहा-  शर्मा जी,  शर्मा शर्मा के हम अब बेशरम हो गये हैं। किस किस चीज पर शर्माएं घोटालो पर , गरीबी पर,  संसद पर लहराते नोटो पर,  तिहाड़ मे बल खाते नेताओं पर या तुम्हारे नेताओ की चोरी के बाद सीनाजोरी पर।  यह सोच मेरी नही है भाई यह सोच बनाई गयी है,  आप लोगों के द्वारा आप अन्ना के आंदोलन को असफ़ल करने के लिये किस हद तक जा सकते हो सोच पाना भी मुश्किल है। और एक बात और सुन लो जो आवाजें आपको आज सुनाई पड़ रही हैं।  वो अन्ना के  समर्थन की नही हैं आपके असमर्थन की हैं।  देश  पिछली बेईमानियों का हिसाब नही मांग रहा है, आगे से न हो पायें इसके लिये आपके हाथ जोड़ रहा है। आप लोग  एकदम कड़े कानून के साथ खड़े हो जाओ कोई झांकेगा भी नही अन्ना के आंदोलन पर।  सरकार की असफ़लता देश को अराजकता की ओर धकेल रही है।

हम आगे कुछ कहते कि शर्मा जी ने रोका,  संविधान दिखाया और कहा-  देखो इसमे साफ़ साफ़ लिखा है हमें सिर्फ़ संसद मे कही बात सुनना है।  और केवल सांसदो के सवाल का जवाब देना है। आप खड़े चिल्लाते रहो तब तक हम अपनी प्यारी मम्मी के स्वास्थ लाभ की पूजा पूरी कर आते हैं।





इतना कह शर्मा जी निकल लिये और हम खड़े खड़े सोचते रह गये कि प्यारी मम्मी अपने साथ लोकतंत्र को भी अमेरिका ले जातीं तो दोनो की सर्जरी एक साथ हो जाती, बिल तो आखिर जनता को ही भरना है


Saturday, July 30, 2011

अन्ना हजारे को सत्ता सुंदरी का प्रेम पत्र

मेरे प्यारे अन्ना

मुझे पता है कि इस  पत्र का शीर्षक देख कई लोग इसे इश्क का चटखारा लेने पढ़ेंगे । आज के संक्रमण काल मे भी इन पापियों को इश्क मुहब्बत ही सूझ रहा है , पिता तुल्य इंसान से एक स्त्री के प्रेम को ये लोग क्या समझेंगे । जैसे जैसे सोलह अगस्त की तारीख नजदीक आती जा रही है, हमारे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही हैं । हम रोज भगवान से अल्लाह से जीसस से यह प्रार्थना करते हैं , कि वह आपके आंदोलन को सफ़ल बनाये । ऐसी ही प्रार्थना हमने   बाबा के लिये भी की थी । उनको पत्र लिख समझाया भी था पर वो नही माने । जाकर चिपक गये भाजपा से । साफ़ मना किया था हमने कि भाजपा अकेली नही आयेगी उसके साथ भ्रष्ट नेता और उनके दाग भी आयेंगे । भाजपा के आने से अल्पसंख्यक आंदोलन से अलग हो जायेंगे । पर वो मानना छोड़ आंखे मटका मटका कर कहने लगे हमको चूहे खाने वाली बिल्ली चाहिये । मिल गई बिल्ली , उड़ गयी गिल्ली अब हो रही है खिल्ली । ब्वायफ़्रेंड सीबीआई के हत्थे चढ़ा वो अलग


खैर आप इन सब फ़ंदो मे नही फ़सेंगे ऐसी मेरी आशा है । प्यारे अन्ना हम सब सत्ता सुंदरिया बेहद दुखी हैं हमारे पिता लोकतंत्र ने जिस भी नेता अफ़सर को हमारा हाथ दिया नही ,  कि वो ही हमे नोचने खसोटने मे मशगूल हो जाता है । हमारे स्वास्थ की हमारे एक अरब बच्चो की उन्हे कोई परवाह न रहती है । अब तो हद ही पार हो गयी है , जब से हमारे पिता ने हमें इस कपटी खांग्रेस के हाथो सौपा है । तब से ये और सोनी सास ने सारी हदे पार कर दी हैं । हमारे मायके को लूट लूट कर दूसरी सुंदरियों के बच्चो के नाम विदेश भेज रहे हैं दामाद भी पीछे नही है उसका भी स्विस बैंक मे एकाउंट है। हम करें तो करें क्या भारत मे तो किसी आम महिला को उसका पति उंची आवाज मे बात भी कर ले , तो वह महिला थाने पहुंच जाती है । पर हमारे लिये ऐसा कॊई कानून नही , आप जल्द से जल्द हर शहर मे लोकपाल थाना खुलवा दीजिये , दहेज विरॊधी कानून जैसा सख्त कानून बनवा दीजिये तो हमे सता रहे लूट रहे सारे पति तिहाड़ मे नजर आयेंगे । और जो नये पति मिलेंगे वो आज कल के पतियो की तरह दब्बू रहेंगे । थोड़ा दायें बायें हुये नही की सीधा लोकपाल थाना के दरोगा डंडा पड़ा नही



प्यारे अन्ना कुछ चेतावनियां आपको भी दे रहीं हूं । ये मीडियासुर बड़ा अजीब सा राक्षस है पता नही किस पल पाला बदल लेता है । इसकी शक्तियां अथाह हैं , इसके सैकड़ो सैनिक पल पल आपके और आपके साथियों के आस पास मंडराते रहेंगे । अपना मनचाहा जवाब पाने के लिये तरह तरह के फ़ंदे बिछायेंगे । और मनचाही बाईट मिल गयी तो आपकी छवि को तोड़ने मरोड़ने मे कोई कसर न छोड़ेंगे । इनसे बहुत ही सतर्क और सावधान रहना । हर्ष की बात यह है कि इंटरनेट नाम का नया अवतार दिन रात आपकी विजय के लिये काम कर रहा है । पर फ़िर भी मीडियासुर को पास रख भी उनसे कुछ दूरी बनाने मे ही लाभ होगा ।


इस कपटी खांग्रेस से सावधान करने की तो बात ही बेमानी है , यह तो पूरा दम ही लगा देगी । सावधान उन नेताओं से रहने की जरूरत है जो विपक्ष मे बैठे हैं । जिनके हाथ और मुह दोनो ही काले हैं क्योंकि वे और ये खांग्रेस हम प्याले और हम निवाले हैं । ये आपके आंदोलन की लहर मे सवार हो सत्ता सीन होने मे कोई असर न छोड़ेंगे । इनमे से जो भी बिल को पूर्ण समर्थन न दे वह भी खांग्रेस सा ही दुश्मन है,  यह जान लेना , मीठी बातों के फ़ेर मे न आना । मुह मे इनके राम तो है ही बगल मे छुरी भी हो सकती है ।

और आखिरी सावधानी अपने उन समर्थको  से रखना , जो अल्लाह ओ अकबर और हर हर महादेव का नारा लगा देश मे जहर घोलना चाहते हैं । ऐसे किसी समर्थक से दूरी बनाये मे ही  भलाई है । और आपके उन समर्थको को भी मै चेतावनी दे देना चाहती हूं जो बेडरूम मे बैठ आपको सफ़ल होते  देखना चाहते हैं । आजादी के आंदोलन की तरह , जब इस आंदोलन के स्वयंसेवको को जब पेशंन और उनके बच्चो को नौकरी मे आरक्षण दूंगी तब रोते गाते मेरे पास न आये । लोकपाल बन जाने से पिछले आंदोलन की तरह इस बार फ़र्जी लोगो को प्रमाण पत्र नही मिलेगा  ।




आपकी पुत्री

सत्ता सुंदरी


पुनःश्च

प्यारे अन्ना और किसी भी बात पर समझौता कर लेना पर लोकपाल के चुनाव मे कोई समझौता नही करना वरना दरोगा ही रिश्वत खोर हो गया फ़िर हम अबलाओं को कौन बचायेगा ।

Sunday, July 24, 2011

जिन्हे नाज था हिंद पर वो कहां है

आसिफ़ भाई नुक्कड़ के एक कोने मे गुमसुम उदास से बैठे थे सामने से एक के बाद एक सुंदरियां गुजरती जा रही थी पर नजरें जमीन की जमीन पर ।  कारण पूछा तो डबडबाई आंखो से देख पूछने लगे जिन्हे नाज है हिंद पर वो कहां है..... भाई किसकी नजर लग गयी हमारे मुल्क को । हमने सिर खुजाया फ़िर पूछा मियां नाज है वो लोग कहां है या नाज करने लायक हिंद कहां है । सवाल तो एक ही है और जवाब बेहद पेचीदा मिया तुम भी खामखां शोकसभा लेकर बैठ गये भाई । यहां खाओ खुजाओ बत्ती बुझाओ का देश है । मन खराब हो तो नेता है हीं गाली देने को  प्रसन्न हो तो अधिकारी  है ही  पैसा पहुंचाओ काम करवाओ । लेकिन आसिफ़ भाई पर हमारी दिलबहलाउ बातों का असर न पड़ा रहे उदास के उदास तभी शर्मा कांग्रेसी और दीपक भाजपायी एक ही गाड़ी मे शोले के जय वीरू टाईप गाना गाते आ रहे थे ।

ये दुश्मनी हम नही भूलेंगे ।
भूळेंगे सब मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे ॥

तेरी जीत मेरी हार ।
मेरी जीत तेरी हार  ॥

साथ मिलकर खायेंगे ।
हिंदू मुस्लिम चिल्लायेंगे  ॥

सामने हो तकरार ।
बना रहे अपना प्यार ................

गाड़ी आकर रुकी दोनो को  आसिफ़ भाई का दुख बताया गया । सुनते ही दोनो छिटक कर दूर  हो गये पर दावा एक सा किया हमे नाज है हिंद पर। हमने कहा भाई तुम लोग तो खा रहे हो मौज उड़ा रहे हो तुमको तो इस हिंद पर नाज होगा ही वो हिंद कहां है जिस पर आम आदमी नाज कर सके । इस पर  दीपक भाजपाई को गुजरात एमपी  याद आया वहीं शर्मा कांग्रेसी को हरियाणा आंध्रा । हमने पूछा दोनो का हिंद कहां है। दीपक भाजपाई  बोले भाई ये सुनो कि कहां नही है यूपी मे नही है शर्मा जी ने भी हामी भरी । हमने कहा  जहा हिंद है वही तुम दोनो को हिंद नजर नही आ रहा है । दोनो के दोनो पिल पड़े आपको यूपी मे हिंद नजर आ रहा है आंख के अंधे नाम नयनसुख ।

हमने कहा हां भाई   दलित की बेटी आज यूपी की मुख्यमंत्री है भारत के संविधान की इससे बड़ी क्या उपल्ब्धी होगी।  दोनो ने प्रतिकार किया  हमारे यहां दलित नेता नही है क्या । हमने कहा भाई दलितो नेताओं का फ़ोटो दिखा दिखा कर तुम लोग राज करते आये हो  खाली फ़ोकट होशियारी मत दिखाओ । दोनो भड़क गये आपको यूपी का भ्रष्टाचार नजर नही आ रहा । हमने कहा बिल्कुल आ रहा है आप ही की विरासत है निभा रही है  जनता तो चाहती यही है कि नेता खायें मतभेद बस इसमे हैं कि कौन न खाये मुसलमान कहते हैं भाजपा न खाये , हिंदू कहते हैं कि कांग्रेस न खाये , हम कहते है कि खाना ही है तो दलित की बेटी क्यो न खाये  ।

शर्मा जी ने कहा बलात्कार के बारे मे क्या कहना है । दवे जी हमने कहा भाई करोड़ो की आबादी मे पांच सात बलात्कार की घटना हो जाये तो ये कोई बहुत भयावह स्थिती नही है । तुम लोग आज देश के साथ जो कर रहे हो वो बलात्कार से क्या कुछ कम है  । रक्षा सौदे   शहीदो की विधवाओ बच्चो के नाम तक मे पैसा खा रहे हो आरोप लगाओ तो एक दूसरे का नाम लगाते हो  ।   तुम पर उंगलिया उठने लगी तो मायावती के उपर नीतिश कुमार के उपर  भ्रष्टाचार की खबरे तमाम चैनलो मे आने लगी । और होगा क्यों नही भ्रष्टाचार जब नियम कायदे इतने ढीले हैं जिसको मर्जी जमीन दे दो जिसको मर्जी ठेका । खरीदी तो बाये हाथ का खेल है  देश का बच्चा बच्चा जानता है कि तुम खा रहे हो । समस्या यह है कि तुम दोनो का विकल्प नही है देश के पास ।
ऐसे मे देश करे क्या कानून कड़े करना ही होंगे लोकपाल बिल पास कराना ही होगा । शर्मा कांग्रेसी भड़क गये बोले  बेटा अन्ना पन्ना भूल जाओ हमारा एहसान मानो जैसा बिल पास हों रहा है  उस पर खैरियत मनाओ । वरना भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भिनभिनाते मच्छरो को भगाने के लिये हमे नुक्कड़ पर संप्रदायिकता का कीटनाशक छिड़कना ही होगा । ऐसा कह शर्मा जी ने अपनी बाईक स्टार्ट की दीपक भाजपाई को बैठाया और फ़िर दोनो  गाते हुये निकल पड़े ।


इतना सुनते ही आसिफ़ भाई का दिल फ़िर बैठ गया  हमने कहा भाई निराश होने की जरूरत नही है सामने अन्ना का आंदोलन है एक बार अनशन शुरू होने दो फ़िर इन सभी को नानी याद आ जायेगी अभी केवल कलमाड़ी को भूलने की बीमारी हुयी है जनता के जूते पड़ेंगे तो ये सभी इसी बिमारी का शिकार होने वाले हैं भूळ जायेंगे अकड़ बेईमानी कपट और भ्रष्टाचार और आसिफ़ भाई अपने शर्मा जी अपनी नयी पड़ोसन को भी भूलने को मजबूर हो जायेंगे भले उनको याद रहे पर अदालत मे अपने घोटाले  कारगुजारी भूलने का नाटक करने वाले शर्मा जी हमारे सामने कैसे याददाश्त  रख पायेंगे  ।


इतना सुनते ही आसिफ़ भाई तो प्रसन्न हो गये मित्रो पर अभी हम लोगो के सामने एक आंदोलन खड़ा है । यही एक मौका है जब हम इस भ्रष्ट व्यवस्था मे सुधार कर सकते हैं । बाबा रामदेव का आंदोलन तो  इन नेताओं की चाल का शिकार हो चुका है । अन्ना अभी तक इनकी तमाम चालो से बचे हुये हैं ऐसे मे हमे संप्रदायिकता के कीटनाशक से दूर रहकर इस आंदोलन को मजबूत करना ही होगा




Friday, July 22, 2011

डंडे की तमन्ना है कि अन्ना मुझे मिल जाये

नुक्कड़ पर भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी फ़िल्म थ्री ईडियट की तर्ज पर अपने दो मित्रो के साथ पोंद मटकाते हुये अश्लील नृत्य करते हुये आल इज वेल गाना गा रहे थे । पोंद शब्द की जगह  कूल्हे जैसे थोड़े सम्मानीय शब्द का भी इस्तेमाल हो सकता था पर शर्मा जी के हावभाव ऐसे कुटिल थे  कि क्या कहूं । इस नृत्य  मे उनके साथियो का नाम लिखना भी उचित न होगा आज कल बिना मान वाले भी मानहानी का दावा कर देते हैं । पर अपनी सुविधा से आप उन मित्रो की जगह मन्नू उर्फ़ SMS, कुटिल उर्फ़ सब्बल, दिग्गी उर्फ़ हटेला,  या इन सबकी प्यारी सोणी मम्मी का नाम रख सकते हैं । खैर साहब यह देख हमसे रहा न गया हमने तत्काल प्रतिवाद किया भाई आल इज नाट वेल चहुं ओर भ्रष्टाचार है। कल तिहाड़ का जेलर भी हमसे मिलने आया था कह रहा था कि दवे जी तिहाड़ के बाकी कैदियों को मे इन नेताओ से कैसे बचाउं कही हवा लग गयी तो देश चलाने के जैसे जेल चलाना मुश्किल हो जायेगा । मेरे पास मम्मी टाईप बली का बकरा बनाने के लिये गूंगा जेलर बनाने की सुविधा भी नही है

शर्मा जी ठठा कर हसें कहने लगे दवे जी क्यों मनगढ़ंत आरोप लगाते हो है कोई सबूत और होगा भी तो पहले वो जेलर ही अंदर जायेगा झूठ कहता है देख लेंगे निपटा देंगे उसको । हमने कही चलो भाई जेलर कि न मानो पर अन्ना की तो सुनोगे ताल ठोक कर कह रहे हैं कि देश भ्रष्टाचार के कारण रसातल मे जा रहा है । लोकपाल बिल लाये बिना मामला ठीक होगा नही और सरकार जो है जोकपाल बिल लाना चाहती है । इतना सुनते ही शर्मा जी के दिल से लय फ़ूट पड़ी  " डंडे की तमन्ना है कि अन्ना मुझे मिल जाये " शर्मा जी मुस्कुराते हुये कहने लगे आ तो जाये ये अन्ना जंतर मंतर सारा नेतागिरी भुला दिया जायेगा फ़िर  बोले तुम्हारा ये अन्ना सुप्रीमकोर्ट क्यों गया है इसको डंडे से डर क्यों लगता है भाई गांधी जी तो कभी नही डरे असली गांधीवादी होता तो कभी न डरता ।

हमने कहा भाई चालू राम चलपुर्जे सारी होशियारी का ठेका तुमको ही नही मिला हुआ अन्ना महाराष्ट्र के कई होशियार नेताओ को पहले ही निपटा चुके हैं । वो जानते हैं कि तुम लोग साम दाम दंड भेद सब लगाओगे उनको अनशन से रोकने के लिये इसी लिये सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं कि तुम लोग बाबा रामदेव के जैसे उनके आंदोलन को कुचल न पाओ । और शर्मा जी ये जो तुम्हारी मक्कारी है सब लोग देख रहे हैं जनता मूर्ख नही है सब जान रही है । संभल जाओ नही तो देश मे मिस्र जैसे हालात बन जायेंगे तो बेटा नानी याद आ जायेगा अभी भी समय है मक्कारी छोड़ समझदारी से काम लो हवा के रूख को पहचानो और अन्ना का कहना मानो इसी मे सार है । शर्मा जी सुधरने वालो मे से कहां थे कहने लगे किस अन्ना की बात करते हो इसका एनजीओ भ्रष्टाचार मे लिप्त है इसके वकील भ्रष्ट हैं । ये लोग सिविल सोसाईटी कहलाने का हक ही नही रखते भाई सिविल मतलब मिलजुल कर रहने वाला । मिलते जुलते कहां है ये लोग मिलजुल कर रहते तो अनशनियाने का नौबत आता क्या

तभी आसिफ़ भाई पीछे से डंडा निकाल लाये कहने लगे दवे जी बातचीत का समय गया अब इन लो्गो को पीट पीट कर बताते हैं कि आल इज नाट वेल तभी लाईन मे आयेंगे हमने बड़ी मुश्किल से रोका समझाया भाई करोड़ो रूपया घूस खिलाने के बाद एक बड़ा नेता तैयार होता है काहे आप राष्ट्रीय संपत्ती का नुकसान करने पर तुले हो गांधी का देश है भाई  सारी सेना पुलिस इन्ही के नियंत्रण मे है रक्तपात के अलावा कुछ न होगा ।

खैर साहब शर्मा जी उर्फ़ कांग्रेसी आज भी नुक्कड़ पर अपने मित्रो के साथ मक्कारी भरे अंदाज मे आल इज वेल गा रहे हैं और और आसिफ़ भाई जैसे लोग गुस्से मे दांत पीस रहे हैं । अब विचार आपको करना है कि अन्ना के आंदोलन का समर्थन करना है कि नही और समर्थन करना है तो घर बैठ कर करना है कि धरना स्थल पर पहुंच कर

Friday, July 1, 2011

शिव पार्वती - क्या भ्रष्टाचार से हारेगा अन्ना ?


कैलाश पर विराजे शिव जी से माता ने पूछा क्यों प्राणनाथ ये अन्ना हजारे का क्या होगा । प्रभु ने कहा प्रिये प्रारब्ध को अपना काम करने दो आप क्यो  परेशान हो रही हो । माता बोलीं वाह बेचारा भारत भूमी के उद्धार के लिये अनशन कर रहा है और आप कहते हो मै परेशान न हॊउं सच है पुरुष पत्थर दिल होते हैं । अपनी गलती के कारण समस्त पुरूषो को बदनाम होता देख प्रभु बोले नही नही  ऐसी बात नही है पर ये अन्ना लोकतंत्र विरूद्ध कार्य भी तो कर रहा है देखा नही कल प्रणब मुखर्जी अनशन को लोकतंत्र के विरूद्ध हमला बता रहे थे कह रहे थे की कांग्रेस को जनता का समर्थन प्राप्त है दो महिना पहले ही तीन राज्यो मे चुनाव जीत कर आयी है । माता बोलीं लोकतंत्र विरूद्ध अरे वो तो भ्रष्टाचार के खिलाफ़ अनशन मे बैठा है समर्थन मे थोड़े ही बैठा है । और चंद विज्ञापन पाउ पत्रकारो को छोड़ दो तो देश मे आज आप जिस से भी पूछेंगे वो अन्ना के आंदोलन का समर्थन ही करेगा  सारी जनता अन्ना के साथ है । शिव जी मुस्कुराये अरे आप समझी नहीं देखिये  पडिंतो ने क्या कहा है " जेही विधी राखे राम तेही विधी रहिये सीता राम सीता राम कहिये "

अब कलयुग मे ये नेता अफ़सर लोग ही तो राम हैं जैसे रख रहें है रहो अब इनसे लड़ने जाओगे तो हारना तो निश्चित है बात को समझिये जनता अपने खून पसीने की कमाई से लड़ती है और ये जनता से लूटे गये पैसो । माता बोलीं क्या आप कुछ भी कहते हैं अरे इसी अहिंसा और उपवास के अस्त्र का प्रयोग करके तो महात्मा गांधी ने अंग्रेजो को भारत से बाहर खदेड़ा था । प्रभु ने कहा अरे वो लोग अलग देश के रंग के थे और वे ये जानते थे कि आज नही तो कल इसे छोड़ के जाना है । ये नेता अफ़सर तो इसी देश के इसी रंग के हैं और ये केवल अपने पैसे को विदेश भेजने की सोच सकते हैं देश छोड़ने का तो इनको सपना भी नही आता । ये सब अस्त्र इन पर लागू नही हो सकता ।


माता ने कहा क्या करोड़ो लोगो की भीड़ भी इन भ्रष्टाचारियो को सबक नही सिखा सकती प्रभू । हजारो सालो से राजाओ बादशाहो अंग्रेजो और अब नेताओ की गुलामी सहती जनता उदासीन हो चुकी है उदासीन न होती तो पीटती होश ठिकाने ले आती प्रभु ने कहा । और पीटना भी किसको अपने ही लोगो को वैसे भी भारत का आदमी दया सागर है । नेता हो या अफ़सर दोषी के पैरो मे लोटते ही स्वय़ं भगवान क्रुपानिधान बन जाता है उसपर रहम कर सोचता है वाह मैने कितना पुण्य कमा लिया जनता का भी यही हाल है नेता गिड़गिड़ाया नही कि बस ।

इतना सुनते ही माता भड़क उठीं ठहरिये मै अभी ही इन भ्रष्टाचारियो का संहार कर देती हूं । माता को रौद्र रूप मे देख प्रभु ने उन्हे शांत करते हुये कहा आप कानून व्यवस्था अपने हाथ मे न लें हे जगदबें आप ऐसा करेंगी तो आप के नाम से कपटी साधू लोग सत्ता हाथ मे ले लेंगें । अभी तक जो रामानंद बन राम के नाम से आनंद उठा रहे हैं वे दुर्गानंद बन कर आपका कोई विदेशियो द्वारा ध्वस्त मंदिर खोज उसके नाम पर आनंद उठाना चालू कर देंगे क्या आप ऐसा चाहती हैं । माता ने कहा कदापी नही पर मै इस दुष्ट भ्रष्टासुर को जीवित भी तो नही छोड़ सकती । और ये अन्ना तो मुझे पुत्र के समान प्रिय है इसकी रक्षा तो मै करूंगी ही ।


आप चिंता न करें प्रिये ये अन्ना भी पुराना चावल है इसने महाराष्ट्र मे कई नेताओं को ठीक किया है ये जानता है कब उंगली टेढ़ी करना है और कब सीधी इसे ये भी मालूम है कि बात एक बार मे ही नही बन जायेगी लड़ाई लंबी लड़नी होगी । बातचीत से कोई न कोई रास्ता निकल जायेगा आप चिंता न करें । माता का गुस्सा फ़िर भी कम न हुआ था आप ये बात सीधे सीधे नही कह सकते थे हर बात को गोल गोल घुमाना आपकी आदत बन गयी दिखती है । प्रभु ने मुस्कुरा कर कहा आप तो आजकल दिन भर महिला मुक्ती नारी शक्ती पता नही क्या क्या आंदोलनो मे इतना व्यस्त रहतीं है कि मुझसे बात करने का आपको समय ही नही मिलता इसी बहाने आपके दो मीठे बोल तो सुन लेता हूं मै । इतना सुनते ही माता का क्रोध शांत हो गया और मुस्कुराकर बोलीं क्या आप भी दो बच्चो के पिता होकर ऐसी बातें करते हैं इधर प्रभु ने  चैन की सांस ली ।

Thursday, June 30, 2011

मन्नू बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है

भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी गुनगुनाते हुये आ रहे थे मम्मी जी भी सुंदर सुंदर बाबा भी सुंदर सुंदर है । हमसे रहा नही गया  पूछ बैठे के भाई शर्मा जी संकंट काल मे चेहरे पर खुशी क्या अन्ना मान गया आपकी बात । शर्मा जी का मुंह कसैला हो गया बोले यार दवे जी किसी की खुशी आपसे देखी नही जाती ।भाई अपना मन्नू बोलने लगा है अब अपनी सारी सफ़ाई वही खुद देगा॥ कांग्रेस पार्टी खामखा बदनाम हो रही थी सरकार गठबंधन की और नाम हमारा खराब वैसे भी मन्नू से बड़ा ईमानदार तो कोई है ही नही ।

मैने बीच मे बात काटी  ये बोलना भी कोई बोलना है मन्नू पांच चमचे बुलाये जो पूरे समय बंद कमरे मे दुम हिला रहे थे । क्या कहते है मै कमजोर नही हूं मुझे सोनिया मम्मी का पूरा विश्वास प्राप्त है रै  भाई अपनो से ही कहना था तो  जनता के विश्वास के बारे मे भी झूठ कह देता कि वह भी पूरा प्राप्त है । और  शर्मा जी ये मन्नू के विग्यापन पाउ चमचे क्या कहते है बाहर आकर मन्नू की बाडी लैगुएज अच्छी थी कान्फ़िडेंट दिख रहे थे । अरे भाई अगर मन्नू महिला होता तो क्या कहते मन्नू की बाडी की बात करते ही पिटने की नौबत आ जाती

शर्मा जी ने बात पलटी कहने लगे विपक्ष सहयोग नही कर रहा मन्नू का हमने कहा क्या शर्मा जी कुछ भी आरोप लगाते हो भ्रष्टाचार कर तो रहे हैं बेचारे अपने अपने राज्यो मे । राजा दो लाख करोड़ खा गया मन्नू टुकूर टूकूर ताकते रह गये फ़िर भी कोई नही कह पा रहा कि मन्नू भी या तो शामिल था या नाकारा है । और कैसा सहयोग चाहिये अब आपकी सरकार मे विपक्ष तो पैसा नही खा सकता न । शर्मा जी ने तत्काल विरोध दर्ज किया कहने लगे गठबंधन धर्म की मजबूरी भी होती है मैने पूछा इसका मतलब  बड़े अर्थशास्त्री है समझबूझ कर खाने का अवसर दिया था क्या । शर्मा मे फ़िर प्रतिवाद किया बोले भाई अगर मन्नू अपने मंत्रियो  पर भरोसा न करे तो सरकार चले कैसे मैने तत्काल शर्मा जी को सामने और मन्नू को मन ही मन प्रणाम किया और कहा कि मतलब आप लोग स्वीकार करते हो कि मंत्रियो ने मन्नू के और मन्नू भाई ने हमारे भरोसे को तोड़ विश्च्वास घात किया है
शर्मा अब लोकपाल की बात कहने लगे कि मन्नू को उसके दायरे मे आने मे कोई दिक्कत नही हमने कहा दिक्कत क्या होगी थामस टाईप अपना कॊई चमचा बैठा लेंगे देश भी खुश मन्नू भी खुश । शर्मा जी ने सफ़ाई दी बोले मन्नू को भी मजबूत लोकपाल चाहिये हमने कहा भाई कि क्या लोकपाल को कुश्ती लड़नी है कि दारा सिंग चाहिये । कड़े सिस्टम को तो मन्नू चाहे भी तो तुम लोग बनने नही दोगे बाकी बात बेमानी है । और ये मन्नू तो निरा गधा है प्रधान बन गया पेंशन मिलनी ही है क्यो नही भाग निकलता बीमारी का बहाना बना कर इसको कौन सा अपना राजवंश चलाना है ।

शर्मा जी फ़िर भड़क गये कहने लगे मतलब आप जो हो देश के पांच महानतम विद्वान संपादको से ज्यादा होशियार हो जब उन लोगो को मन्नू पर फ़िर से भरोसा हो गया है तो आप को क्यो नही हो रहा । मै मुस्कुराया बोला शर्मा जी अपन भी क्या उन संपादको से कम है भाई हमको भी खिला पिला दो हम भी खुश हो जायेंगे । आज देश मे दुखी तो वही है जो बेचारा खा पी नही पा रहा और वे भी इसलिये आज अपना दुख प्रकट कर रहे है भाई कि उनको आज दो वक्त की रोटी के लाले हो गये हैं । और तुम्हारा अर्थशास्त्री मन्नू भी इसलिये बेबस है कि जो नोट उसने मंदी से बचने के लिये छपवाये थे वे सब खाने पीने वाले लोगो के पास पहुंच गये हैं । उन नोटो से बढ़ी महंगाई के कारण आम आदमी गरीब हो गया है । अब उन अतिरिक्त नोटो को मन्नू वापस लेता है तो खाने पीने वालो की जेब थोड़ी हल्की हो जायेगी पर आम आदमी की जेब पूरी खाली हो जायेगी इसिलिये मन्नू हैरान है और तुम्हारी पार्टी परेशान है ।

शर्मा जी अचकचाये ये क्या बोल गये दवे जी अपनी तो समझ मे कुछ नही आया आप तो ये बताओ कि हमको करना क्या चाहिये मै फ़िर मुस्कुराया तुमको  कुछ नही करना है भाई अब जनता करेगी बस तुम इंतजार करो की कब करती है।

Tuesday, June 28, 2011

असली कांग्रेसी तो कट्टर हिंदुत्व का नारा लगाने वाले लोग हैं

नुक्कड़ पर आम दिनो की अपेक्षा बहुत शांती थी अन्ना के आंदोलन मे समय था और फ़िलहाल बाबा रामदेव को नया आंदोलन खड़ा करने मे वक्त लगने वाला था । सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी फ़िलहाल संकट विहीन समय का आनंद ले रहे थे और दीपक भाजपाई सकंट शुरू करने का मुहुर्त देख रहे थे । आसिफ़ भाई ने पूछ लिया दवे जी अब आगे क्या होगा मै कुछ कहता कि सामने से बाबा रामदेव के स्वयंभू समर्थको का जुलूस आया नारे लग रहे थे "सोनिया मम्मी हाय हाय कांग्रेस आई हाय हाय"   "हिंदू संत का ये अपमान नही सहेगा हिंदुस्तान" "जो हिंदू हित की बात करेगा वही देश मे राज करेगा " इनका पेटेंट हर हर महादेव का नारा तो था ही बाकि भ्रष्टाचार को कम और सोनिया मम्मी को ज्यादा कोसा जा रहा था ।


इस जूलूस को देख बीच मे बैठे आसिफ़ भाई शर्मा जी के पास बैठ गये पूछा क्या शर्मा जी क्या कहना है इस जुलूस पर । शर्मा कांग्रेसी बोले भाई ये लोग आज से थोड़े ही है जब से देश आजाद हुआ तब से हैं इनसे हम को कोई फ़र्क नही पड़ता अभी दो महिना पहले हम तीन राज्यो मे चुनाव जीत कर आये हैं । दीपक भाजपाई भड़क गये अब वो दिन गये बेटा कांग्रेसी देखो ये जा रहे हैं हमारे समर्थक ऐसा मजा चखाएंगे नानी याद आ जायेगी तुम लोग अब दस साल के लिये सत्ता भूळ जाओ । मैने पूछा कहां है  भाजपाई तुम्हारे समर्थक मुझे तो नजर नही आ रहे कहीं । दीपक भाजपाई बोले रात को ज्यादा हो गयी थी क्या दवे जी जो सामने जा रहा जुलूस नही दिख रहा । मैने कहा भाई जुलूस तो पूरा दिख रहा है पर उसमे तुम्हारे समर्थक कहां है  । ये सब तो कांग्रेसी लोग है शर्मा जी जरा इनके जलपान की व्यवस्था करो भाई शर्मा जी अचकचाये बोले क्यो मजाक करते हो दवे जी ये सब तो दीपक भाजपाई  के समर्थक हैं  वही जाने ।

मैने कहा भाई समर्थक भले दीपक भाजपाई के हैं पर काम तो आपका ही कर रहे हैं देखो ये जहां जहां से जायेंगे उस उस गली के सारे अल्पसंख्यक आपके भ्रष्टाचार को भूल बाबा रामदेव पर हुये दमन को भूळ  कांग्रेस के पीछे लामबंद हो जायेंगे  । यही तो आपको चाहिये यही होने पर तो आप फ़िर सत्ता मे आते हो नही तो जिस जगह ये लोग कमजोर है जैसे यूपी मे वहां आपकी पार्टी का नाम लेवा नही है । भाई किसी भी चुनाव मे चार प्रतिश स्विंग से ही सरकार आर पार हो जाती है ये जुलूस वाले तो पूरा बीस प्रतिश स्विंग करा देते हैं । आज कांग्रेस का बड़े से बड़ा नेता अपने भाषण से एक वोट कांग्रेस के पक्ष मे नही दिलवा सकता ऐसे मे ये हर हर महादेव का नारा लगाते ये लोग करोड़ो वोट बिना परिश्रम का कांग्रेस को दिलवा रहे है शर्मा जी आपको आभार व्यक्त करना चाहिये

शर्मा जी कुछ कहते कि उनसे पहले दीपक जी भड़क गये बोले हिंदुस्तान मे रहकर हिंदुओ की बात करना गलत है क्या मैने पूछा भाई किस बात मे हिंदुओ का हित है जरा बताओ तो और देश मे हिंदुओ का क्या अहित हो रहा है । खुश हाल देश मे ही हिंदुओ का हित है भाई और इसी मे मुसलमानो का भी है । इसको छॊड़ो तो भी भ्रष्टाचार के मुद्दे मे ये हिंदुत्व कहां से आया रे भाई बाबा रामदेव का दमन नही हुआ है इस देश की जनता की भावनाओं का दमन हुआ है इसमे हिंदू भी है और मुसलमान भी साध्वी को लाकर क्यो तुम देश की जनता को बाटने मे लग गये । सिर्फ़ इसी लिये कि तुमको बाबा के दमन मे फ़ायदा दिख रहा था खुद तो भ्रष्ट हो इसलिये जनता का साथ नही मिल रहा तो येन केन प्रकारेण सत्ता चाहिये वो भी समय से पहले ।


 दीपक भाजपाई इस खांग्रेस से त्रस्त और खांग्रेस का मतलब खान ग्रेस से नही है भाई खाने वाली कांग्रेस से है इनसे मुक्ती पाने के लिये देश के सामने तुम्हारे अलावा है कौन ।  सब वोट तुमको ही पड़ेगा भाई यहां तक मेरा भी पर शर्त लगा लो  फ़िर भी तुम लोग हार जाओ क्योंकि ये जुलूस मे लग रहे नारे फ़िर मुद्दा घुमा के भ्रष्टाचार से दूर धर्म और जात पर ले जायेंगे ।  उसमे तो भाई तुम्हारा पक्ष कमजोर ही पड़ेगा बटने मे भारतीय वोटर अनगिनत टुकड़ो मे बट जाता है ऐसे मे इस कपटी कांग्रेस से पार पाना तुम्हरे बस मे नही यूपी मे ही तुम्हारा दम निकल जायेगा

दीपक भाजपाई कुछ करना ही चाहते हो तो मोदी को सामने ले आओ रीढ़विहीन नेताओ की चाल से मुक्ती दिलाओ और जन आंदोलन को दूषित न होने दो । बहुत हुआ अब इस कांग्रेस से मुक्ति चाहिये इमानदार और विकास पुरूष खोज रहा है यह देश इसे अब जातिवाद धर्मांधता से नही लेना देना । अब हमे मोदी जैसा ईमानदार भ्रष्टाचार मुक्त नेता चाहिये  ईमानदार और विकासशील सरकार होगी तो सभी का फ़ायदा है आज गुजरात के विकास का लाभ सभी को मिल रहा है नहरो मे बहता पानी जात पूछ कर सिचाई नही करता और धर्म पूछ कर प्यास नही बुझाता



इसलिये शर्मा जी अपनी सरकार के दिन गिनो और दीपक भाजपाई ज्यादा होशियार मत बनो स्याना कौंवा कहां चोंच मारता है सभी को पता है ।

Wednesday, June 22, 2011

जन धोखपाल बिल और कुटिल सिब्बल

नुक्कड़ पर बड़े दिनो से फ़जीहत झेल रहे भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी आज अपने बचाव के लिये कुटिल सिब्बल को ले पहुंचे थे आज शर्मा जी को जन धोखपाल बिल पर दो टूक जवाब देना था । पहुंचते ही कुटिल जी ने घोषणा कर दी हमारी नीयत साफ़ है और हम सभ्य समाज की ओर से पेश किये गये बिल के अधिकांश बिंदुओ से सहमत है । खाली छोटे मोटे कुछ बिंदू है जिस पर सहमति नही है । बाकी पार्टियों से चर्चा की जायेगी और बिल पास हो जायेगा ।

मैने पूछ लिया किस बात मे असहमति कुटिल जी जवाब मिला  एक तो धोखपाल कौन चुनेगा इस पर है इस पर भी इन लोग सर्च कमेटी बनाना चाहते हैं । मैने पूछा कुटिल जी क्या चोरो को अपने जज खुद चुनने की छूट होना चाहिये  जो आप लोगों को धोखपाल चुनने का अधिकार दें कुटिल जी भड़क गये किसने कहा हम चोर हैं । मैने जवाब दिया आप को तो कोई चोर साबित कैसे करे कैसे आप के कामो की जांच भी आप खुद करते हो इसीलिये तो ये जनधोखपाल का जरूरत पड़ गया

कुटिल जी ने मुद्दा बदला बोले ये लोग प्रधानमंत्री को दायरे मे रखना चाहते हैं । तभी जनता से आवाज आयी वो बेचारा तो खुद ही तैयार हैं पहले ही मम्मी से लेकर मामा लोगो के दायरे मे है नजर के सामने से राजा दो लाख करोड़ ले गया सारी ईमानदारी धरी की धरी रह गयी नाम खराब हुआ वो अलग जनधोखपाल होता तो उसका डर दिखा कम से कम रोक तो पाते । कुटिल जी तब तक नया विचार रख चुके थे बोले संसद के अंदर सांसद लोगो का व्यहवार दायरे के बाहर है । जवाब मिला ऐसा व्यहवार जिसमे कुर्सिया फ़ेकी जाती हों वोट बेशर्मी से खरीदे बेचे जाते हो नोट लहराये जाते हो जहां अध्यक्ष अपनी पार्टी का भोपू बना हो भाई यह तो नैतिकता के दायरे मे भी नही आता इस बारे मे कुछ लिखा है क्या आप के संविधान मे ?

कुटिल सिब्बल जी तुरंत भड़क गये आप हमारे महा विद्वान पूर्वजो के बनाये संविधान पर सवाल उठा रहे हो  । आप हो कौन तथाकथित सभ्य समाज कौन समर्थन करता है आपका मुठ्ठी भर लोग । फ़िर कुटिल जी ने कुटिलता भरी श्रद्धा से सिर नवाते हुये चेतावनी दी परम पूज्यनीय बाबा भीमराव अंबेडकर के संविधान पर सवाल उठाओगे तो सारा दलित समाज आंदोलित हो उठेगा उन बेचारो को तो इस तमाम लफ़ड़े के बारे मे पता ही नही है वे आप का जीना मुश्किल कर देंगे ।

इतने मे माहौल को शांत करते हुये बाजू बैठे शर्मा जी बोल पड़े प्यारे भाईयो हम आपके साथ मिल कड़े से कड़ा कानून बनायेंगे हमारी कुछ मजबूरियां भी है लोकतंत्र मे संसद ही सर्वोच्च है आप लोग तो फ़्रेम मे हो ही नही यहां सब कुछ संसद करती है । जनता मे से आसिफ़ भाई गुर्राये तुम लोगो ने लोकतंत्र को पैरो की जूती बना लिया है संसद को चोर बाजार अगर तुम ही सही होते तो  अन्ना किसको चाहिये थे फ़ालतू बात मत करो धोखपाल नही लोकपाल चाहिये । तभी कुटिल जी ने तर्क दिया भाई ये अन्ना का लोकपाल कितना महंगा है जीडीपी का एक प्रतिशत खर्चा हो जायेगा हर साल । हम केवल उंचे लेवल के अधिकारियों को ही इसके अंदर रख सकते है सभी को नही । तभी ललित शर्मा मूछो पर ताव देते बोल पड़े हां नीचे के अधिकारी कम पैसे मे ही बिक जायेंगे आम के आम गुठली के दाम और आप लोग जीडीपी का चालीस फ़ीसदी पैसा खा जाते हो उसका क्या ये लोकपाल तो समझो फ़्री मे पड़ेगा भाईयों

तभी पीछे से दीपक भाजपाई ने नारा लगाया हर हर महादेव हिंदू भाईयों इनको भगाना ही होगा  कॊई कुछ कहता कि मै उनको खींच सामने ले आया पूछा मुसलमान लोग क्यों नही भगायें । तुम लोग इस संक्रमण काल मे तमाशा मचा रहे हो वोटबैंक की राजनीति खेल रहे हो । जरा ये तो बताओ लोकपाल बिल के बारे मे क्या विचार है दीपक भाजपाई जोर से बोले हम जनलोक पाल के साथ हैं फ़िर धीरे से मन ही मन भुनभुनाये पर ये अन्ना हम को साथ ले कहा रहा है । मैने कहा अच्छा है भाई कि नही ले रहा ऐसे नारे लगाओगे तो एक दिन आयेगा हिंदू भी जान जायेंगे कि तुम लोग धर्म के नाम पर खाली वोट मांगते हो काम पूरे तुम्हारे भी कांग्रेस से कम नही सब जगह बराबर भ्रष्टाचार है । अब देश मे जागरूकता आ रही है लोगो को मोदी जैसा इमानदार और विकासवादी नेता चाहिये सुधऔर मंदिर का नारा लगाना है तो लगाओ सौगंध राम की खाते हैं मंदिर लोकपाल का बनायेंगे सुधर जाओ दीपक बाबू देश की तुम आज आखिरी उम्मीद हो निकलो इस धर्मवादी राजनीती से विकल्प बनो कांग्रेस का मोदी पर लगा दंगो का दाग हटाओ और देश को बचाओ ।

और कुटिल बाबू अब कॊई सफ़ाई मत दो जाओ और खाओ खूब कमाओ भरो पाप का घड़ा हां फ़िर बस ये न पूछना जूता क्यों पड़ा क्यों लोग सड़को पर दौड़ा कर पीट रहे हैं । और अब भी लेश मात्र अकल है तो अपनी मम्मी को ऐसा नेता बनाओ जिस के द्वारा बनाये कानून से देश मे भ्रष्टाचार समाप्त हो गया फ़िर देखना कैसे लोग उनको अम्बेडकर और गांधी  से भी ज्यादा पूजेंगे ।

और प्यारे जाते जाते यह भी याद रखना कि कही इतिहास मे मीर जाफ़र और जयचंद के साथ तुम्हारा नाम भी जुड़ न जाये ।



Monday, June 20, 2011

भाजपाइयों आम खाओ पेड़ क्यों काटते हो

नुक्कड़ पर दीपक भाजपायी बेचैनी से टहल रहे थे टहलते टहलते बड़बड़ा भी रहे थे । "अब किस बाबा को आगे करूं  कैसे अन्ना के पीछे लगूं  रामदेव बाबा कब तक वापस तगडे होंगे उनको कैसे तगड़ा करूं मै क्या करूं " । इतने मे किसी ने उनको समझाया भाई किसी से सलाह लेते क्यो नही बात दीपक भाजपायी को जम गयी सीधे मेरे और आसिफ़ भाई के पास पहुंच गये और व्यथा बताई कहने लगे राह बताओ भाई मै क्या करूं तीन साल काटना बड़ा मुश्किल हो रहा है । मैने मुस्कुराकर कहा इतनी जल्दी क्या है प्यारे जब जीना है बरसो दीपक जी भड़क गये बोले दवे जी हर वक्त मजाक अच्छा नही लगता अभी मामला गंभीर है  । मैने कहा भाई तुम लोगो की मुसीबत तुम लोग खुद हो । खुद ही खुद को ठीक कर सकते हो यहा वहां घूमने का कोई जरूरत नही है


देश की जनता वैसे ही कांग्रेस से त्रस्त है उसको सत्ता से निकाल बाहर करना चाहती है । बाबा रामदेव ही लाईन मे ले आते खामखा तुम लोग उन के साथ जुड़ गये साध्वी को बैठा दिया वो अलग । आम खाने का इंतजार करते काहे पेड़ ही काट दिया । दीपक भाजपायी फ़िर भड़क गये हद करते हो लोकतांत्रिक देश है हर किसी को हक है आंदोलन मे भाग लेने का हमने भाग लिया तो दोषी और बाकी सब ले लेते तो ठीक लालू और नायडू बाबू आते ते कोई कुछ न कहता साध्वी चली गयी तो गुनाह हो गया । दवे जी आप तो छदम धर्मनिरपेक्ष मीडिया और कांग्रेस टाईप बात करते हो ।

मैने मुस्कुराते हुये कहा भाई तुम लोग अकेले कहीं कहां जाते हो साथ तुम्हारे साथ मुसीबत भी आती है पहली मुसीबत अभी जनता की लड़ाई भ्रष्टाचार से है और तुम लोग भी बराबर से खा पी रहे हो ऐसे मे कांग्रेस बाबा को छोड़ तत्त्काल तुम्हारा चेहरा सामने ले आती है ।  अब जनता एक चोर के खिलाफ़ लड़ाई मे दूसरे चोर का साथ दे तो कैसे । इतने मे आसिफ़ भाई बोल पड़े दूसरी मुसीबत तुम्हारे पुछल्ले हैं जहा जाते हैं  धार्मिक नारे लगाने लगते हैं । वैसे मे मेरे जैसे अल्पसंख्यक वर्ग के लोग उस आंदोलन से दूर हो जाते है । भाई हिंदुओ की कोई समस्या है तो कोई मांग है तो संविधान के अंदर रह कर उसके लिये लड़ो  । देश का मुसलमान आज कांग्रेस से त्रस्त है इसने लालीपाप दिखा दिखा कर पचास साल से उनका शोषण लिया है । तुम एक कदम आगे तो बढ़ाओ कांग्रेस तो छोड़ उसका दफ़्तर भी इस देश मे नही दिखेगा ।



मैने कहा तीसरी और अंतिम सलाह यह है दीपक भाई कि अब अन्ना से दूर ही रहना कुछ करना ही हो तो गरीबो मे दान दक्षिणा बाट देना भगवान खुश होकर अन्ना को सफ़ल कर देंगे । प्यारे मोहन ये कांग्रेस खुद ही अपने कर्मो से मरी जाती है क्यो तुम बाबाओ को यतिओं को सामने रख इसको प्राण वायु देते हो । जब चुनाव होगा तो कांग्रेस से त्रस्त आम आदमी सत्ता का आम तुम्हे ही चूसने देगा और है कौन तुम्हारे अलावा । खाली अन्ना की जो मांगे है उनके पक्ष मे संसद मे वोट दे देना बस इससे आगे कूदने जाओगे प्यारे भाजपाई काम बिगड़ जायेगा आम का पेड़ कट जायेगा ।

इतना सुनते ही दीपक भाजपायी प्रसन्न हो चल पड़े इधर आसिफ़ भाई ने मुस्कुरा कर पूछा यार दवे जी  मोदी जी को नेता बनायेंगे तो पक्का सत्ता पायेंगे ये सलाह क्यों नही दी इनका काम जल्दी हो जाता । मैने भी मुस्कुराकर कहा मियां ये सलाह मानते ही कहां है किसी की । सलाह मानना ही होता तो संघ के उन कार्यकर्ताओ की मानकर ईमानदारी पूर्वक आचरण  करते जिन्होने भाजपा को शून्य से आकाश तक पहुंचाया था ।  खुद की शाईंनिंग हो गयी तो इंडिया शाईनिंग समझने लगे हालत यह है कि दो बार लगातार चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस के इतने भ्रष्ट और निरंकुश शासन के बाद भी ये लोग चुनाव जीत ही जायेंगे इस पर सहज भरोसा नही होता है ।

वैसे  आसिफ़ भाई  ये तो बताओ   मीडियासुर को कांग्रेस की कमीज दीपक भाजपाई की  कमीज से सफ़ेद कैसे नजर आती है । ये  इतना कमा रहे हैं जरा खर्चा करते मैनेज करते  क्यों  सारा माल खुदे हजम कर जाते हैं ।

Wednesday, June 8, 2011

नुक्कड़ चर्चा -- रामदेव बाबा के आंदोलन का पोस्टमार्टम

                     नुक्कड़ पर भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी दुखी थे और दीपक भाजपायी दुखी नजर आने का असफ़ल प्रयास कर रहे थे । सबसे बुरा हाल आसिफ़ भाई का था वे दुखी होंउ या खुशी मनाउं समझ ही नही पा रहे थे । मुझे देखते ही आसिफ़ भाई फ़ट पड़े यार दवे जी मेरी पीड़ा का अंत करें माजरा क्या है और बाबा के आंदोलन का औरर आखिर ये दमन हुआ क्यों यह भी जानकारी दो । मै धीरे से मुस्कुराया बोला भाई तुम लोग तो हिंदू मुसलमान कांग्रेसी भाजपायी बन कर सोचते हो और इन विषयों को भारतीय बन कर ही समझा जा सकता है

                                  तीनो ने सर हिलाया कहा हम भारतीय बन सुन रहे हैं आप बताओ । मैने कहा सबसे पहले तो ये बाबा के आंदोलन का प्रारूप गलत था लोकतंत्र मे अनशन सांकेतिक रूप से गंभीर तात्कालिक मुद्दे पर  लचीलेपन के साथ होना चाहिये जैसे अन्ना हजारे का आंदोलन था । अब  सरकार जनलोकपाल बिल मे वादाखिलाफ़ी करती है तो  चुनाव मे जनता सबक सिखायेगी । दूसरे ऐसे अनशन मे चुनिंदा मझें हुये कार्यकर्ता ही करते हैं । बाबा की तरह नही कि हजारो बुजुर्ग विकलांग और महिलाओं को बैठा दिया ऐसे मे अनहोनी की आशंका हरदम रहती है । सरकार को ब्लैकमेल नही करना चेतावनी देना है कि जनता की क्या तकलीफ़ है । तीसरी बात मुद्दे सीमित और गंभीर होने चाहिये ये नही कि कालाधन भी उसके बाद सुनाई पड़ा भू अधिग्रहण का मामला तो उसे भी जोड़ लिया अब इस बाबा को राष्ट्रीय किसान आय आयोग भी चाहिये शिक्षा मे भारतीय भाषाये भी चाहिये था और भी पता नही क्या क्या । मजाक है क्या पचास हजार अनुयायियों को बुलाया और सौ मांगे लेकर बैठ गये नाम हुआ तो अपना अनहोनी हुयी तो सरकार जिम्मेदार । आंदोलन का अंत गिरफ़्तारी से होता है कैसे अन्ना ने घोषणा की थी हम जेल जाने को तैयार हैं और ये बाबा तो महिलाओं का सुरक्षा घेरा बना गिरफ़्तार नही होना चाहते थे । इतना सुनते ही दीपक भाजपाई भड़क गये बोले दवे जी कितना माल मिला कांग्रेसियो से जो अनाप शनाप बक रहे हो ।

मैने कहा आगे तो सुनो भाई आपको अभी और तिलमिलाना बाकी है ये । क्या जनता को दिख नही रहा कि आंदोलन के शांतिपूर्ण खत्म होने पर सरकार का फ़ायदा था और दमन होने पर भाजपा का इसीलिये शुरू मे ही आनन फ़ानन मे  चार चार वरिष्ठ मंत्री एयरपोर्ट गये चर्चा की आंदोलन शुरू होते ही फ़िर होटल मे चर्चा हुयी और सहमती भी बन गयी । लेकिन बाबा पर लौटते ही संघ का दबाव पड़ा आंदोलन जल्दी समाप्त करने के विरूद्ध बाबा के श्रीमुख से नयी नयी मांगे निकलने लगी राष्ट्रीय किसान आय आयोग जमीन अधिग्रहण और भी बहुत सी । सहमती पत्र दे चुके बाबा की नयी मांगो और मंच पर बैठी साध्वी रितंभरा को देख सरकार का माथा ठनका । आंदोलन मे संघ के परोक्ष रूप से जुड़े होने की बात उसे पहले से पता थी पर उसका और उसके अनुषांगिक संगठनो का इस तरह खुल कर सामने आना बात अलग थी । खुफ़िया सूचनायें थी कि  अगले दिन सुबह से भारी भीड़ जुटने वाली है और यह भी की बाबा अब इस आंदोलन को टकराव की ओर ले जाने वाले हैं । बाबा पर दबाव बढ़ाया गया लेकिन बाबा को टकराव से ही लोकप्रियता मिलने की सीख मिली थी और अन्ना के आंदोलन का हश्र भी बाबा को बुरा नजर आ रहा था । इसपर सरकार ने सहमती पत्र जारी कर दिया और अपना पत्र बाबा के पास भेज दिया लेकिन बाबा ने उसे झूठा और साजिश करार दिया । अब सरकार के पास कोई चारा नही था दिन मे आंदोलन खत्म कराने पर क्या हंगामा होता यह सरकार जानती ही थी ।  इसलिये रात मे ही सरकार ने कार्यवाही के निर्देश जारी कर दिये । जितना नुकसान हो सकता था उससे कम ही हुआ । सरकार के लिये एक नपा तुला कदम था नुकसान भी बाबा अपने बयानो से आने वाले दिनो मे पूरा कर ही देने वाले थे

मेरे इतना कहते ही सोहन शर्मा नाचने लगे बोले मान गये दवे जी बेहद दिमागदार आदमी हो मैने कहा मिया किसी गलत फ़हमी मे न रहना दवे जी और पूरा देश अभी उस धर्म निरपेक्ष आदमी की तलाश मे हैं जो आपकी पार्टी को हमेशा के लिये स्विस बैंक मे जमा कर आये आप लोगो के पाप का घड़ा अब भर चुका है । तभी बाजू खड़े दीपक भाजपाई बोले दवे जी भी कांग्रेसी हैं खाली खाल आम आदमी की ओढ़ रखी है। मैने जवाब दिया दीपक जी निकम्मे और भ्रष्ट आप लोग भी कांग्रेस से कम नही और बल्कि एक कदम आगे बढ़ गये हो यतियों को सामने रख लड़ना चाहते हो । खुद के बुलावे पर जनता साथ नही दे रही तो रामदेव का आंदोलन दूषित करने पहुंच गये । अपने गिरेबान मे झांकने की जहमत क्यों नही करते जनता क्यो साथ नही दे रही इसका चिंतन क्यों नही करते नेता से कार्यकर्ता सब भ्रष्ट हो गये हैं । इसका उपाय आपसे किया न जायेगा न करने की इच्छा है खाली सहारा खोजते हो । याद रखो आज से तीन साल बाद आप ही देश मे विकल्प हो सावधान अगर आपने अपने को ठीक न किया तो इस देश का  लोकतंत्र से विश्वास उठ जायेगा । तुम्हारी पूरी पार्टी मे मोदी के अलावा और कोई ईमानदार और विकास पुरूष नही है  । पर तुम्हारे जनाधार विहीन नेता कभी उसको सामने नही लायेंगे खाली उसका फ़ोटो दिखा वोट कमायेंगे । सुधर जाओ दीपक बाबू अभी भी समय तुम्हारे साथ है । और खबरदार जो आज के बाद किसी गैर राजनैतिक आंदोलन को दूषित करने का प्रयास किया ।

मेरे इतना कहते ही आसिफ़ भाई मुझे खींच कर अलग ले गये बोले दवे जी सबको ही खरी खोटी सुना देते हो किसी एक का पक्ष तो लिया करो । मैने ठंडी सांस ली बोला भाई आज तो  हम लोग याने जनता विपक्ष हैं और सारी पार्टियां सत्ता पक्ष अब आप ही बताओ विपक्ष का काम सत्ताधारियों को खरी खोटी सुनाना है कि नही