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Tuesday, December 20, 2011

अरे अन्ना, बेचारे संघ का समर्थन ले लो भाई



नुक्कड़ पर दीपक भाजपाई  उर्फ़ संघ वादी खड़े हो कर चिल्ला रहे थे - " ऐ भाई संघ का समर्थन ले लो भाई ।" हमने पूछ लिया - "" जिसको समर्थन देना है, उसी से डाइरेक्ट जाकर क्यों नही कहते।" दीपक बाबू फ़ट पड़े - "वो ले ही नही रहा,  लेता तो क्या बात थी।"  हम अचरज में पड़ गये,  यहा तो सारे समर्थन के लिये मरे जाते है और जब ये मुफ़्त में देना चाह रहे हैं तो किसी को क्या दिक्कत। हमने कहा- "भाई जरा साफ़ साफ़ कहो, किसको समर्थन देना चाह रहे हो।" दीपक जी बोले - "समर्थन हम अन्ना हजारे को देना चाह रहे हैं, और वो ले क्यों नही रहा। "  हमने कहा- "मान लो ले नही रहा तो आप क्यों मरे जा रहे हो देने को।" दीपक जी बोले "संघ हमेशा देश हित के सारे आंदोलनो को अपना समर्थन देता है चाहे कोई मांगे या न मांगे।"


हमने कहा- "भाई यह कैसा समर्थन दे रहे हो,  दिग्विजय सिंग के साथ टाईमिंग मिला के बयान बाजी करते हो। आप कहते हो हम अन्ना के साथ है उधर से दिग्विजय कहता है संघ अन्ना के पीछे है। मुझे तो लगता है कि आप दोनो सेटिंग कर के मुसलमानो को अन्ना के आंदोलन से दूर करना चाहते हो।" दीपक बाबू ने सिर झटकाया - " हम मुसलमानो का नही जानते, पर अन्ना के बिना मांगे भी हम जबरदस्ती समर्थन दे कर रहेंगे।" हमने कहा - "ये कैसा समर्थन है दीपक बाबू, मुंह में राम बगल में छुरी, एक तरफ़ गले पड़ाउ समर्थन देने की बात करते हो। दूसरी ओर सायबर ब्रिगेड को लगा रखा है कि सुबह शाम अन्ना हजारे और उसकी टीम को कोसो, क्या चक्कर है रे भाई।"

दीपक संघी तुरंत नट गये - "कोसने वाले हमारे आदमी नही हैं।" हमने कहा- "पाकिस्तान भी कहता है कि आतंकवादी हमारे नही है। दरअसल बात यह है कि  बाबा रामू से भी आपका काम न हुआ तो आप अन्ना के आंदोलन के कंधे से भी फ़ायरिंग का जुगाड़ बैठा रहे थे। अन्ना से किनारे लगा दिया तो मुसलमानो को उनसे दूर करने के लिये समर्थन वाली बयान बाजी कर रहे हो और हिंदुओ को दूर करने के लिये नेट मे साईबर ब्रिगेड लगा दिये हो। आपका मतलब साफ़ है हम भी खेलेंगे नही तो खेल खराब करेंगे।"


दीपक संघी भड़क गये - "संघ का समर्थन नही चाहिये हम अछूत हैं।" हमने कहा - " प्रियंका गांधी ने हमे छोड़ राबर्ट वढेरा से शादी कर ली, मै अछूत हूं क्या। अरे भाई जिसे जो पसंद आये उसका साथ ले या ब्याह करे क्या जबरदस्ती किसी के गले पड़ जाओगे।" दीपक जी बोले - " मेहनत करी श्रद्धेय बाबा रामदेव ने देश को जगाया उन्होने और क्रेडिट ले जाये अन्ना। उसके बाद तुर्रा ये की अब साथ नही चाहिये।" हमने कहा - "मेहनत की बाबा रामदेव ने और पिटवा दिया आपने। आपको तो जनाक्रोश चाहिये था न।" दीपक संघी और भड़क गये - "पीटा कांग्रेस ने और दोष हम पर लगाते हो।" हमने कहा - "पीटा तो कांग्रेस ने ही लेकिन साध्वी को तो आपने भेजा था कि नही।" दीपक संघी संभल कर बोले - " आदरणीय बहन श्रद्धेय साध्वी और बाबा रामदेव से हमारा कोई नाता नही है संबंध केवल उतना है जितना अन्ना हजारे से है हम समर्थन करते है बस।"



हमने कहा - "भाई तुम लोग गांधी का स्वदेशी चुरा लिये, खादी चुरा लिये, हे राम तक चुरा लिये, चश्मा क्यों नही चुराये। चश्मा चुरा लेते तो साफ़ साफ़ नजर आता कि हिंदुओ का हित किसमे है। क्यों विरोधाभासी विचारधारा अपनाते हो। अन्ना हजारे को हिटलर कहते समय यह क्यों नही सोचते कि हिंदुस्तान के हिंदू आपको इज्जत से देखते हैं।  हिंदू हित का बना संगंठन है उसको क्यो दाये बाये ले जाते हो। वनवासी कल्याण, सरस्वती शिशु मंदिर से लेकर कितने अच्छे काम करते हो, फ़िर क्यों ऐसी चीजो मे शामिल होना कि मुंह चुराना पड़े। 


दीपक भाजपाई कम संघी भड़क उठे - " जब गधे के कानो में हवा भर जाती है तो वो इधर से उधर दौड़ने लगता है ....यही हाल भारत की मूर्ख जनता का हो चला है ..... इन निष्कृष्टों को हमेशा कुछ ऐसा चाहिए जिसमे कुछ करना न पड़े और इनकी देशभक्ति के ढोंग को दिखाने के लिए आयाम मिल जाये। गांधी ने भी यही सोचकर चरखा घुमाते हुये ,बकरी का दूध पीते हुये,विनम्रता के चार बोल सुना दिये थे ....... फिर वही मूर्ख अंधी, हिन्दू जनता चल पड़ी है मोमबत्ती लेकर क्रांतिकारी बनने ।  हिन्दुओ और हिन्दुत्व का सत्यानाश हो रहा है दिन ब दिन तब तुम क्यो नहीं निकलते ? फिर वही क्यो निकलोगे गांधी और अन्ना है न फिर से तैयार हो जाओ एक नए छोटे गांधी कि विचार धारा को अगले बीस से पच्चीस साल तक झेलने के लिए ..... बस देखना ये है ये लेटैस्ट गांधी , कितनी हानि कर के मरेगा ?"



हमने कहा- "रे भाई हिंदूओ के स्वयंभू ठेकेदार हम बता रहे कि आपको तकलीफ़ क्या है। आपकी शाखाओं मे कौंवे बोल रहे हैं। आपके बुलाये लोग एकत्रित नही हो रहे तो दूसरो के सर पर सवार होकर आपको अपना एजेंडा पूरा करना है। क्या मांग रहे है अन्ना हजारे देश हित के लिये कड़े कानून। क्या अहित हो जायेगा रे भाई इस कानून से हिंदूओ का। औरहिंदुओ का हित तो हिंदुस्तान की तरक्की में है की नही। यहां दूसरे धर्मो के लोग सुख शांती से रहे यही तो हमारा गौरव है सहिष्णुता ही हमारा तिलक है। और जो देश द्रोह का काम करे उसके लिये कानून है संविधान है। रिपोर्ट लिखाओ , पकड़ो कानून के हवाले करो।  हिंदूत्व का आंदोलन करना है, क्रांतीकारी बनना है तो बनो रे भाई कौन तुम्हारा खाकी चड्डा पकड़ के रोक रहा है। खड़ा करो अपना आंदोलन लोगो के सामने बात रखो उनको समझ मे आयेगा तो आपका समर्थन करेंगे। दूसरो के आंदोलन को खराब करने से कौन से शिवाजी बन जाओगे।"

दीपक संघी बोले -"हमे आप के जैसे क्षद्मनिरपेक्ष सिकुलर बिकाउ मिडिया के भांड, देश द्रोही लोगो की नसीहत नही चाहिये। हम अब इस देश में हिंदुत्व की लहर उठा कर रहेंगे और इस देश से आप जैसे लोगो को भगा कर रहेंगे।"
इतना कह दीपक बाबू पैर पटकते चल दिये और हम सिर खुजाते खड़े रह गये कि ये भाई लोग क्षद्म हिंदुत्व से ग्रसित हैं कि हमारे जैसे लोग हिंदूत्व की गलत व्याख्या कर रहे हैं। अब ये लोग गीता, वेद, शास्त्रो की व्याख्या पर बात करते ही नही करते। इनके मुद्दे  बटवारे के समय के हिंदुस्तान,  पाकिस्तान पर अटके हैं। गांधी मर गये, गोड़से मर गये। लेकिन ये भाई लोग है कि उस समय की सोच पर ही अटके है।

Friday, July 1, 2011

शिव पार्वती - क्या भ्रष्टाचार से हारेगा अन्ना ?


कैलाश पर विराजे शिव जी से माता ने पूछा क्यों प्राणनाथ ये अन्ना हजारे का क्या होगा । प्रभु ने कहा प्रिये प्रारब्ध को अपना काम करने दो आप क्यो  परेशान हो रही हो । माता बोलीं वाह बेचारा भारत भूमी के उद्धार के लिये अनशन कर रहा है और आप कहते हो मै परेशान न हॊउं सच है पुरुष पत्थर दिल होते हैं । अपनी गलती के कारण समस्त पुरूषो को बदनाम होता देख प्रभु बोले नही नही  ऐसी बात नही है पर ये अन्ना लोकतंत्र विरूद्ध कार्य भी तो कर रहा है देखा नही कल प्रणब मुखर्जी अनशन को लोकतंत्र के विरूद्ध हमला बता रहे थे कह रहे थे की कांग्रेस को जनता का समर्थन प्राप्त है दो महिना पहले ही तीन राज्यो मे चुनाव जीत कर आयी है । माता बोलीं लोकतंत्र विरूद्ध अरे वो तो भ्रष्टाचार के खिलाफ़ अनशन मे बैठा है समर्थन मे थोड़े ही बैठा है । और चंद विज्ञापन पाउ पत्रकारो को छोड़ दो तो देश मे आज आप जिस से भी पूछेंगे वो अन्ना के आंदोलन का समर्थन ही करेगा  सारी जनता अन्ना के साथ है । शिव जी मुस्कुराये अरे आप समझी नहीं देखिये  पडिंतो ने क्या कहा है " जेही विधी राखे राम तेही विधी रहिये सीता राम सीता राम कहिये "

अब कलयुग मे ये नेता अफ़सर लोग ही तो राम हैं जैसे रख रहें है रहो अब इनसे लड़ने जाओगे तो हारना तो निश्चित है बात को समझिये जनता अपने खून पसीने की कमाई से लड़ती है और ये जनता से लूटे गये पैसो । माता बोलीं क्या आप कुछ भी कहते हैं अरे इसी अहिंसा और उपवास के अस्त्र का प्रयोग करके तो महात्मा गांधी ने अंग्रेजो को भारत से बाहर खदेड़ा था । प्रभु ने कहा अरे वो लोग अलग देश के रंग के थे और वे ये जानते थे कि आज नही तो कल इसे छोड़ के जाना है । ये नेता अफ़सर तो इसी देश के इसी रंग के हैं और ये केवल अपने पैसे को विदेश भेजने की सोच सकते हैं देश छोड़ने का तो इनको सपना भी नही आता । ये सब अस्त्र इन पर लागू नही हो सकता ।


माता ने कहा क्या करोड़ो लोगो की भीड़ भी इन भ्रष्टाचारियो को सबक नही सिखा सकती प्रभू । हजारो सालो से राजाओ बादशाहो अंग्रेजो और अब नेताओ की गुलामी सहती जनता उदासीन हो चुकी है उदासीन न होती तो पीटती होश ठिकाने ले आती प्रभु ने कहा । और पीटना भी किसको अपने ही लोगो को वैसे भी भारत का आदमी दया सागर है । नेता हो या अफ़सर दोषी के पैरो मे लोटते ही स्वय़ं भगवान क्रुपानिधान बन जाता है उसपर रहम कर सोचता है वाह मैने कितना पुण्य कमा लिया जनता का भी यही हाल है नेता गिड़गिड़ाया नही कि बस ।

इतना सुनते ही माता भड़क उठीं ठहरिये मै अभी ही इन भ्रष्टाचारियो का संहार कर देती हूं । माता को रौद्र रूप मे देख प्रभु ने उन्हे शांत करते हुये कहा आप कानून व्यवस्था अपने हाथ मे न लें हे जगदबें आप ऐसा करेंगी तो आप के नाम से कपटी साधू लोग सत्ता हाथ मे ले लेंगें । अभी तक जो रामानंद बन राम के नाम से आनंद उठा रहे हैं वे दुर्गानंद बन कर आपका कोई विदेशियो द्वारा ध्वस्त मंदिर खोज उसके नाम पर आनंद उठाना चालू कर देंगे क्या आप ऐसा चाहती हैं । माता ने कहा कदापी नही पर मै इस दुष्ट भ्रष्टासुर को जीवित भी तो नही छोड़ सकती । और ये अन्ना तो मुझे पुत्र के समान प्रिय है इसकी रक्षा तो मै करूंगी ही ।


आप चिंता न करें प्रिये ये अन्ना भी पुराना चावल है इसने महाराष्ट्र मे कई नेताओं को ठीक किया है ये जानता है कब उंगली टेढ़ी करना है और कब सीधी इसे ये भी मालूम है कि बात एक बार मे ही नही बन जायेगी लड़ाई लंबी लड़नी होगी । बातचीत से कोई न कोई रास्ता निकल जायेगा आप चिंता न करें । माता का गुस्सा फ़िर भी कम न हुआ था आप ये बात सीधे सीधे नही कह सकते थे हर बात को गोल गोल घुमाना आपकी आदत बन गयी दिखती है । प्रभु ने मुस्कुरा कर कहा आप तो आजकल दिन भर महिला मुक्ती नारी शक्ती पता नही क्या क्या आंदोलनो मे इतना व्यस्त रहतीं है कि मुझसे बात करने का आपको समय ही नही मिलता इसी बहाने आपके दो मीठे बोल तो सुन लेता हूं मै । इतना सुनते ही माता का क्रोध शांत हो गया और मुस्कुराकर बोलीं क्या आप भी दो बच्चो के पिता होकर ऐसी बातें करते हैं इधर प्रभु ने  चैन की सांस ली ।