भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी गुनगुनाते हुये आ रहे थे मम्मी जी भी सुंदर सुंदर बाबा भी सुंदर सुंदर है । हमसे रहा नही गया पूछ बैठे के भाई शर्मा जी संकंट काल मे चेहरे पर खुशी क्या अन्ना मान गया आपकी बात । शर्मा जी का मुंह कसैला हो गया बोले यार दवे जी किसी की खुशी आपसे देखी नही जाती ।भाई अपना मन्नू बोलने लगा है अब अपनी सारी सफ़ाई वही खुद देगा॥ कांग्रेस पार्टी खामखा बदनाम हो रही थी सरकार गठबंधन की और नाम हमारा खराब वैसे भी मन्नू से बड़ा ईमानदार तो कोई है ही नही ।
मैने बीच मे बात काटी ये बोलना भी कोई बोलना है मन्नू पांच चमचे बुलाये जो पूरे समय बंद कमरे मे दुम हिला रहे थे । क्या कहते है मै कमजोर नही हूं मुझे सोनिया मम्मी का पूरा विश्वास प्राप्त है रै भाई अपनो से ही कहना था तो जनता के विश्वास के बारे मे भी झूठ कह देता कि वह भी पूरा प्राप्त है । और शर्मा जी ये मन्नू के विग्यापन पाउ चमचे क्या कहते है बाहर आकर मन्नू की बाडी लैगुएज अच्छी थी कान्फ़िडेंट दिख रहे थे । अरे भाई अगर मन्नू महिला होता तो क्या कहते मन्नू की बाडी की बात करते ही पिटने की नौबत आ जाती ।
शर्मा जी ने बात पलटी कहने लगे विपक्ष सहयोग नही कर रहा मन्नू का हमने कहा क्या शर्मा जी कुछ भी आरोप लगाते हो भ्रष्टाचार कर तो रहे हैं बेचारे अपने अपने राज्यो मे । राजा दो लाख करोड़ खा गया मन्नू टुकूर टूकूर ताकते रह गये फ़िर भी कोई नही कह पा रहा कि मन्नू भी या तो शामिल था या नाकारा है । और कैसा सहयोग चाहिये अब आपकी सरकार मे विपक्ष तो पैसा नही खा सकता न । शर्मा जी ने तत्काल विरोध दर्ज किया कहने लगे गठबंधन धर्म की मजबूरी भी होती है मैने पूछा इसका मतलब बड़े अर्थशास्त्री है समझबूझ कर खाने का अवसर दिया था क्या । शर्मा मे फ़िर प्रतिवाद किया बोले भाई अगर मन्नू अपने मंत्रियो पर भरोसा न करे तो सरकार चले कैसे मैने तत्काल शर्मा जी को सामने और मन्नू को मन ही मन प्रणाम किया और कहा कि मतलब आप लोग स्वीकार करते हो कि मंत्रियो ने मन्नू के और मन्नू भाई ने हमारे भरोसे को तोड़ विश्च्वास घात किया है ।
शर्मा अब लोकपाल की बात कहने लगे कि मन्नू को उसके दायरे मे आने मे कोई दिक्कत नही हमने कहा दिक्कत क्या होगी थामस टाईप अपना कॊई चमचा बैठा लेंगे देश भी खुश मन्नू भी खुश । शर्मा जी ने सफ़ाई दी बोले मन्नू को भी मजबूत लोकपाल चाहिये हमने कहा भाई कि क्या लोकपाल को कुश्ती लड़नी है कि दारा सिंग चाहिये । कड़े सिस्टम को तो मन्नू चाहे भी तो तुम लोग बनने नही दोगे बाकी बात बेमानी है । और ये मन्नू तो निरा गधा है प्रधान बन गया पेंशन मिलनी ही है क्यो नही भाग निकलता बीमारी का बहाना बना कर इसको कौन सा अपना राजवंश चलाना है ।
शर्मा जी फ़िर भड़क गये कहने लगे मतलब आप जो हो देश के पांच महानतम विद्वान संपादको से ज्यादा होशियार हो जब उन लोगो को मन्नू पर फ़िर से भरोसा हो गया है तो आप को क्यो नही हो रहा । मै मुस्कुराया बोला शर्मा जी अपन भी क्या उन संपादको से कम है भाई हमको भी खिला पिला दो हम भी खुश हो जायेंगे । आज देश मे दुखी तो वही है जो बेचारा खा पी नही पा रहा और वे भी इसलिये आज अपना दुख प्रकट कर रहे है भाई कि उनको आज दो वक्त की रोटी के लाले हो गये हैं । और तुम्हारा अर्थशास्त्री मन्नू भी इसलिये बेबस है कि जो नोट उसने मंदी से बचने के लिये छपवाये थे वे सब खाने पीने वाले लोगो के पास पहुंच गये हैं । उन नोटो से बढ़ी महंगाई के कारण आम आदमी गरीब हो गया है । अब उन अतिरिक्त नोटो को मन्नू वापस लेता है तो खाने पीने वालो की जेब थोड़ी हल्की हो जायेगी पर आम आदमी की जेब पूरी खाली हो जायेगी इसिलिये मन्नू हैरान है और तुम्हारी पार्टी परेशान है ।
शर्मा जी अचकचाये ये क्या बोल गये दवे जी अपनी तो समझ मे कुछ नही आया आप तो ये बताओ कि हमको करना क्या चाहिये मै फ़िर मुस्कुराया तुमको कुछ नही करना है भाई अब जनता करेगी बस तुम इंतजार करो की कब करती है।
मैने बीच मे बात काटी ये बोलना भी कोई बोलना है मन्नू पांच चमचे बुलाये जो पूरे समय बंद कमरे मे दुम हिला रहे थे । क्या कहते है मै कमजोर नही हूं मुझे सोनिया मम्मी का पूरा विश्वास प्राप्त है रै भाई अपनो से ही कहना था तो जनता के विश्वास के बारे मे भी झूठ कह देता कि वह भी पूरा प्राप्त है । और शर्मा जी ये मन्नू के विग्यापन पाउ चमचे क्या कहते है बाहर आकर मन्नू की बाडी लैगुएज अच्छी थी कान्फ़िडेंट दिख रहे थे । अरे भाई अगर मन्नू महिला होता तो क्या कहते मन्नू की बाडी की बात करते ही पिटने की नौबत आ जाती ।
शर्मा जी ने बात पलटी कहने लगे विपक्ष सहयोग नही कर रहा मन्नू का हमने कहा क्या शर्मा जी कुछ भी आरोप लगाते हो भ्रष्टाचार कर तो रहे हैं बेचारे अपने अपने राज्यो मे । राजा दो लाख करोड़ खा गया मन्नू टुकूर टूकूर ताकते रह गये फ़िर भी कोई नही कह पा रहा कि मन्नू भी या तो शामिल था या नाकारा है । और कैसा सहयोग चाहिये अब आपकी सरकार मे विपक्ष तो पैसा नही खा सकता न । शर्मा जी ने तत्काल विरोध दर्ज किया कहने लगे गठबंधन धर्म की मजबूरी भी होती है मैने पूछा इसका मतलब बड़े अर्थशास्त्री है समझबूझ कर खाने का अवसर दिया था क्या । शर्मा मे फ़िर प्रतिवाद किया बोले भाई अगर मन्नू अपने मंत्रियो पर भरोसा न करे तो सरकार चले कैसे मैने तत्काल शर्मा जी को सामने और मन्नू को मन ही मन प्रणाम किया और कहा कि मतलब आप लोग स्वीकार करते हो कि मंत्रियो ने मन्नू के और मन्नू भाई ने हमारे भरोसे को तोड़ विश्च्वास घात किया है ।
शर्मा अब लोकपाल की बात कहने लगे कि मन्नू को उसके दायरे मे आने मे कोई दिक्कत नही हमने कहा दिक्कत क्या होगी थामस टाईप अपना कॊई चमचा बैठा लेंगे देश भी खुश मन्नू भी खुश । शर्मा जी ने सफ़ाई दी बोले मन्नू को भी मजबूत लोकपाल चाहिये हमने कहा भाई कि क्या लोकपाल को कुश्ती लड़नी है कि दारा सिंग चाहिये । कड़े सिस्टम को तो मन्नू चाहे भी तो तुम लोग बनने नही दोगे बाकी बात बेमानी है । और ये मन्नू तो निरा गधा है प्रधान बन गया पेंशन मिलनी ही है क्यो नही भाग निकलता बीमारी का बहाना बना कर इसको कौन सा अपना राजवंश चलाना है ।
शर्मा जी फ़िर भड़क गये कहने लगे मतलब आप जो हो देश के पांच महानतम विद्वान संपादको से ज्यादा होशियार हो जब उन लोगो को मन्नू पर फ़िर से भरोसा हो गया है तो आप को क्यो नही हो रहा । मै मुस्कुराया बोला शर्मा जी अपन भी क्या उन संपादको से कम है भाई हमको भी खिला पिला दो हम भी खुश हो जायेंगे । आज देश मे दुखी तो वही है जो बेचारा खा पी नही पा रहा और वे भी इसलिये आज अपना दुख प्रकट कर रहे है भाई कि उनको आज दो वक्त की रोटी के लाले हो गये हैं । और तुम्हारा अर्थशास्त्री मन्नू भी इसलिये बेबस है कि जो नोट उसने मंदी से बचने के लिये छपवाये थे वे सब खाने पीने वाले लोगो के पास पहुंच गये हैं । उन नोटो से बढ़ी महंगाई के कारण आम आदमी गरीब हो गया है । अब उन अतिरिक्त नोटो को मन्नू वापस लेता है तो खाने पीने वालो की जेब थोड़ी हल्की हो जायेगी पर आम आदमी की जेब पूरी खाली हो जायेगी इसिलिये मन्नू हैरान है और तुम्हारी पार्टी परेशान है ।
शर्मा जी अचकचाये ये क्या बोल गये दवे जी अपनी तो समझ मे कुछ नही आया आप तो ये बताओ कि हमको करना क्या चाहिये मै फ़िर मुस्कुराया तुमको कुछ नही करना है भाई अब जनता करेगी बस तुम इंतजार करो की कब करती है।